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भूल का फूल - Maa Ki Chudai Ki Kahani

भूल का फूल – Update 4 | Maa Ki Chudai Ki Kahani

दर्द से कराहती हुई सुलिप्सा ने अपना पूरा घर ढूंढ लिया लेकिन उसे कोई नही मिला। थक हार कर वो हॉल में बैठ गई और सोचने लगी कि हाय भगवान ये क्या जुल्म था कि मेरे अपने घर में ही मेरे साथ कोई ऐसा कैसे कर सकता है, कौन हो सकता हैं वो हरमजादा, छोड़ने वाली नही हु बस एक बार मिल जाए तो साले का लंड ही काट दूंगी।

लेकिन ऐसे मेरे घर में भला कोई कैसे घुस सकता है,और चलो अगर घुस भी गया तो स्टोर में घुस कर मेरे साथ ऐसा करने की हिम्मत नहीं कर सकता। क्या सूरज हो सकता है क्या ?

हाय राम मैं भी भला क्या सोचने लगी, वो क्यों करेगा भला ऐसा मेरे साथ क्योंकि वो तो मेरा सगा बेटा हैं। ठीक है दारू पी लेता है लेकिन अभी इतना भी नहीं गिरा कि ऐसी हरकते करे।

तो फिर भला और कौन हो सकता है? इस घर में तो महीनों से सूरज के अलावा किसी मर्द के कदम तक पड़े। जरूर कोई चोर हो सकता है जो शायद कुछ चोरी करने आया हो और मुझे उस हालत में देखकर अपने होश खो बैठा होगा। लेकिन अगर चलो मान लो कि चोर था और सेक्स करना चाहता था तो फिर जब अंदर घुस रहा था तो उसने बाहर क्यों निकाल लिया और भाग क्यों गया जबकि वो तो सब कुछ जान बूझकर कर रहा होगा। चलो अच्छा ही हुआ कि बाहर निकाल लिया वरना आज तो मेरी फाड़ ही देता वो कोई कमीना।

ये सब सोचते हुए सुलिप्सा को उस पल का एहसास हुआ जब लंड का सुपाड़ा घुसा था तो उसे कितना दर्द हुआ था क्योंकि कितनी कठोरता से उसने उसकी चूत के होंठो को रगड़ा था। ये सब सोचते ही उसके हाथ अपनी मैक्सी में घुस गए और उसने अपनी चूत के होंठो को छुआ तो उसे हल्के दर्द का एहसास हुआ। उफ्फ कितना मोटा और कठोर लंड रहा होगा उस कमीने का, अच्छा हुआ जो भाग गया मुझे छोड़कर वरना आज तो मेरी चूत का सत्यानाश कर देता।

ये सब सवाल सुलिप्सा को परेशान कर रहे थे और उसे कुछ ठीक से समझ नही आ रहा था। सुलिप्सा फिर से उठी और घर में ढूंढने लगी लेकिन कोई नही मिला। जब वो पूरी तरह से थक हार गई तो नहाने के लिए बाथरूम में चली गई क्योंकि सफाई के कारण वो पहले ही धूल मिट्टी में हो गई थी।।

वहीं दूसरी तरफ सूरज ऐसे घर से भागा था मानो उसने जिंदा भूत देख लिया था। आज जो उसके साथ हुआ उसने कभी सपने में भी कल्पना नहीं करी थी। उसे अभी तक यकीन नही हो रहा था कि ऐसा कैसे हो सकता है, राधा की जगह उसकी मम्मी कैसे आ गई जबकि सूरज को अच्छे से याद था कि यही मैक्सी सुबह राधा ने पहनी हुई थी। और फिर मम्मी राधा के होते भला सफाई क्यों कर रही थी क्योंकि आज तक तो उसने कभी अपनी मम्मी को सफाई करते नही देखा था।

सूरज को कुछ भी समझ नही आ रहा था तो वो एक पार्क में बैठ गया और सोचने लगा कि अब आगे क्या होगा! क्या उसकी मम्मी को पता चल गया होगा कि मैने उनकी चूत में, उफ्फ मैं सोच रहा हूं भला, लेकिन क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा मुझे। चूत तो चूत ही होती है न चाहे राधा की हो या मां की। नही मम्मी को पता नहीं चला होगा क्योंकि मैं तो घर से पहले ही निकल भागा था। लेकिन अगर थोड़ा सा भी शक हो गया ना तो ऐसी की तैसी हो जाएगी मेरी।

धीरे धीरे अंधेरा होने लगा और सूरज ने घर की तरफ जाने का फैसला किया। नही जाना भी उसके लिए ज्यादा घातक होता क्योंकि मम्मी शक कर सकती थी। सूरज धड़कते हुए दिल के साथ घर के अंदर पहुंचा तो उसने अपनी मां की अजीब सी नजरो का सामना किया और सूरज बिना कुछ कहे रोज की तरह अपने कमरे मे चला गया।

सुलिप्सा उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही थी लेकिन सूरज का चेहरा बिल्कुल सपाट था तो सुलिप्सा को कुछ समझ नहीं आया और उसके कमरे में आई और बोली:”

” कहां थे तुम पूरे दिन आज ? तुम्हे तो सफाई के लिए कहा था ना मैं आज।

सूरज की हालत बड़ी खराब हो गई थी और अपने आपको संभालते हुए बोला:”

” मम्मी मैने दिन में राधा आंटी के साथ सफाई का काम किया था कि मेरे दोस्त विजय का फोन आया कि कुछ जरूरी काम है उसके घर पर तो मैं चला गया था।

सुलिप्सा:” सब पता है मुझे तुम लोगो के जरूरी काम। सिर्फ टाइम पास और नौटंकी करते हो तुम सभी। क्या किया सारे दिन तुमने ? कब थे उसके साथ ?

सूरज की गांड़ से धुवां सा निकलने लगा और कांपते हुए बोला:” थोड़ी देर पहले ही बस उसके घर से आया हु।

सुलिप्सा उसकी हालत देखकर समझ गई कि ये कुछ तो झूठ बोल रहा है इसलिए जोर से बोली:”

” झूठ बोलते हुए शर्म नही आती क्या ? अभी पुछु क्या उसकी मम्मी से फोन करके मैं ?

सूरज के दिमाग और गांड़ दोनो में एक साथ धमाका सा हुआ और कांपने लगा और बड़ी मुश्किल से बोला:”

” वो मम्मी मम्मी मैं उसके साथ ही था, आप चाहे तो पूछ लीजिए।

सुलिप्सा:” अच्छा तो फिर कांप क्यों रहा हैं तू ? रुक जरा तु मैं उसकी मम्मी को कॉल करती हू।

सुलिप्सा को दाल में कुछ काला लगा तो उसने अपना मोबाइल लिया और कॉल कर दी तो सूरज को काटो तो खून नहीं। उसे आंखो के आगे अंधेरा सा महसूस हो रहा था।

सुलिप्सा फोन पर:” हान भाभी जी नमस्ते !! कैसे है आप ?

विजय की मम्मी:” ठीक हु तुम कैसी हो ? आज इतने दिन के बाद कैसे मेरी याद आ गई?

सुलिप्सा:” बस याद तो आपकी आती हैं लेकिन आप समझ सकती हैं कि सारा काम घर से लेकर बिजनेस तक मुझे खुद ही देखना पड़ता है। अच्छा सूरज हैं क्या आपके यहां ?

विजय की मम्मी:” सूरज आया तो था लेकिन वो तो विजय के साथ ही निकल गया था करीब 12 बजे और विजय भी शाम को ही घर आया हैं। इन लड़को ने बड़ा परेशान कर रखा है मुझे। समझ नही आता क्या करू इनका??

सुलिप्सा:” सुधर जायेंगे आप चिंता मत करिए ज्यादा। उम्र के साथ साथ समझ आ जाएगी। अच्छा मैं आपको बाद में कॉल करती हू।

इतना कहकर उसने फोन काट दिया और गुस्से से बोली;”

” देख सूरज मैं जो पुछू उसका सही और सच जवाब देना !! कहां थे तुम आज पूरा दिन ?

सूरज के माथे पर पसीना उभर आया तो चाह कर भी कुछ नही बोल सका तो सुलिप्सा उसके पास आई और उसका हाथ पकड़ कर जोर से बोली:”

” मेरे सवाल का जवाब दो, कहां थे तुम आज पूरे दिन ?

सूरज जानता था कि उसका जवाब देना मजबूरी है। लेकिन उसका जवाब उसे कितना भारी पड़ेगा ये भी उसे अंदाजा था आखिर कार सूरज बोला:”

” मम्मी मैं विजय और अपने दोस्तों के साथ मूवी देख रहा था।

सुलिप्सा ने उसके चेहरे को ध्यान से देखा और बोली:”

” लेकिन शहर के सारे सिनेमा हॉल तो स्ट्राइक के कारण बंद चल रहे थे तो फिर तुम कहां मूवी देख रहे थे ? अगर झूठ बोले तो थप्पड़ पड़ेगा तुम्हे।

सूरज के पास कोई उपाय नहीं था तो नजरे नीची करके बोला:”

” मम्मी हम सब वो संगम सिनेमा में मूवी देख रहे थे।

सुलिप्सा को मानो यकीन नही हुआ और बोली:”

” क्या सच में तुम संगम सिनेमा गए थे ? ये तो वही हॉल हैं न जिस पर एडल्ट फिल्में चलाने के कारण बैन लगा दिया गया था ।

सूरज ने धीरे से अपनी गर्दन को हां में हिलाया और सुलिप्सा उसके कान पकड़ कर खींचते हुए बोली:”

” अच्छा तो तुम ये काम भी करने लगे हो। और क्या क्या काम सीख गए हो तुम ?

सूरज:” कुछ नही मम्मी। आपकी कसम माफ कर दो। आज के बाद कभी नहीं जाऊंगा।

सुलिप्सा ने मन ही मन राहत की सांस ली थी कि उसका बेटा सिर्फ मूवी देखने के कारण डर रहा था और उसके साथ हरकत करने वाला कोई और था। उसने सूरज को डांट लगाते हुए कहा

” आज के बाद तुम वहां दिख गए तो तुम्हारी दोनो टांगे तोड़ दूंगी। समझ गए ना

सूरज जल्दी से :” हान मम्मी कभी नही जाऊंगा। आपकी कसम मम्मी।

सुलिप्सा:” अच्छा ठीक हैं चल नहा ले तू। मैं खाना बना लेती हूं।

सूरज:” आप खाना क्यों बना रही हैं ? राधा आंटी नही आई क्या आज?

सुलिप्सा:” नही आयेगी वो कुछ दिन, उसका बाप बीमार हैं तो अपने गांव चली गई है। सफाई भी मुझे खुद ही करनी पड़ेगी अब सारे घर की।

सूरज को सारा कुछ समझ आ रहा और नहाने के लिए चला गया। राधा के जाने के बाद मम्मी ने पुराने कपड़े पहन कर सफाई करी और मुझे लगा था कि ये राधा हैं जिस वजह से ये सब हुआ। चलो कोई नही जान बच गई अब तो।

खाना खानें के बाद सूरज छत पर घूमने चला गया और सुलिप्सा उसके बेड को ठीक करने लगी और स्टोर से नई बेड शीट लेने के लिए गई तो उसकी नजरे एक कागज पर पड़ी और सुलिप्सा को मानो यकीन भी नहीं हुआ। ये संगम सिनेमा का एक टिकट था जो उसे स्टोर से मिला और बिलकुल ठीक उसी जगह से जहां उसकी चूत में किसी ने धक्का मारा था और सुलिप्सा को समझते देर नहीं लगी कि जब सूरज अपना लंड बाहर निकाल रहा होगा तो टिकट गिर गया होगा और जिस पर उसका ध्यान नहीं गया और जल्दी में भाग गया होगा मेरी आवाज सुनकर।

सुलिप्सा ने टिकट देखा तो मूवी का नाम प्यासी कामवाली देखकर उसे सब कुछ समझ में आ गया कि मूवी देखने के बाद सूरज भी राधा के साथ सेक्स करना चाहता होगा और मुझे राधा समझ कर ये सब उससे हो गया।

सुलिप्सा को सब कुछ समझ में आ गया और उसे लग रहा था कि शायद सूरज और राधा के बीच मे ये संबध काफी दिनों से चल रहे हैं और सुलिप्सा को अपने बेटे से ज्यादा राधा पर गुस्सा आया कि इतनी उम्र होने के बाद भी जवान लड़के फंसा रही है।

सुलिप्सा ने अपना मोबाइल निकाला और राधा का नंबर मिला दिया।

सुलिप्सा:” राधा जो मैं पूछु सच सच बोलना नहीं तो तुझे पुलिस मे दे दूंगी। समझी

राधा को कुछ समझ नही आया और कांपते हुए बोली:”

” मालकिन मुझे कुछ समझ में आया ? कुछ बताओ तो

सुलिप्सा गुस्से से:” तेरे और सूरज के बीच कब से चक्कर चल रहा है ?

राधा की हालत खराब हो गई और बोली:” मालकिन ऐसा कुछ नहीं है, आपको कुछ गलतफहमी हो गई है शायद। वो तो मेरे लिए बेटा जैसा है।

सुलिप्सा:” चुप कर डायन कहीं की, सच सच बता मुझे नहीं तो मुझसे बुरा कोई नही होगा।

राधा:” मालकिन ऐसा कुछ नही है। बस सच बात है कि सूरज ने मुझ पर गंदी नजर रखी और सेक्स करना चाहता था लेकिन मैने उसे डांट दिया और आपको सब बता देने की धमकी दी थी ताकि वो सुधर जाए।

सुलिप्सा:” अगर ऐसा कुछ था तो तूने मुझे बताया क्यों नही ? झूठ मत बोल समझी

राधा:” नही , झूठ नही बोल रही।मुझे लगा था कि वो सूरज सुधर जाएगा बस इसलिए नही बताया।

सुलिप्सा:” अच्छा तो क्या वो सुधर गया ?

राधा:” नही मालकिन, लेकिन मैं आपको नही बता सकती थी अपनी किसी मजबूरी के चलते बस इसलिए जान बूझकर आपके घर से आ गई क्योंकि आज सुबह भी उसने मुझे पकड़ लिया था और मैं मजबूर थी। बस इसलिए बहाना बनाया कि मेरे पापा बीमार हैं।

सुलिप्सा के दिमाग में धमाका सा हुआ और बोली:” एक बार मुझे तो बताना चाहिए था। तुम खुद भी तो उसे रोक सकती थी।

राधा:” नही मालकिन मैं ऐसा कुछ भी नही कर सकती थी क्योंकि सूरज को मेरा कुछ राज पता चल गया था।

सुलिप्सा के कान खड़े हो गए और बोली:” राज कौन सा राज पता चल गया था उसे ?

राधा को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन तीर कमान से निकल गया था और राधा अब कुछ नही कर सकती थी।

सुलिप्सा:” बोल ना चुप क्यों हैं तू? ऐसा क्या पता चल गया था उसे ? कहीं तू उसे फसाने के लिए झूठ तो नही बोल रही है ?

सुलिप्सा ने अपना तीर छोड़ा और लगा सीधे निशाने पर। राधा सहम सी गई और बोली:”

” नही मालकिन, दरअसल उसने मुझे किसी के साथ देख लिया था सेक्स करते हुए जब रात को मिठाई देने आया था। उसने धमकी दी थी कि अगर मैने उसकी बात नही मानी तो वो मुझे बदनाम कर देगा। बस इसलिए आपको नही बता पाई।

सुलिप्सा को सारी कहानी समझ में आ गई और ये बात भी कि राधा का चरित्र खराब है और उसे अब आगे काम पर रखना उसके लिए ठीक नहीं होगा इसलिए बोली:”

” तुम्हारा खुद का चरित्र ठीक नहीं है और इल्जाम मेरे बेटे पर भी लगा रही हो। आज के बाद तुम्हे मेरे घर काम पर आने की जरूरत नहीं है। तुम्हे 3 महीने के एडवांस पैसे मिल जायेंगे। अपना मुंह भी मत दिखाना आज के बाद मुझे।

इतना कहकर उसने फोन काट दिया और गहरी सोच में डूब गई। एक पुरानी कहावत हैं कि पेड़ जब भी गिरता है तो अपनी तरफ ही गिरता है और वही कहावत यहां भी सच साबित हुई। अपने बेटे का भला क्या कर सकती थी इसलिए उसने राधा को ही काम से निकाल दिया।

रात के करीब 11 बज गए तो सूरज डरता हुआ धीरे धीरे नीचे आया और अपने कमरे में चला गया। हॉल में बैठी हुई सुलिप्सा ने उस पर एक नजर डाली और कुछ नहीं कहा। दरअसल अब खुद सुलिप्सा को भी समझ नही आ रहा था कि अपने बेटे से कैसे ये सब बातें करे इसलिए चुप रहना ही बेहतर समझा।

धीरे धीरे रात होने लगी और सुलिप्सा अपने कमरे में आ गई। दोनो ही मां बेटे को नींद नहीं आ रही थी। सुलिप्सा ज्यादा परेशान थी क्योंकि उसे सब कुछ पता चल गया था और बस हल्की सी अपनी आंखे खोले छत को घूर रही थी। वहीं दूसरी तरफ सूरज थोड़ी देर सोचता रहा और तभी उसके मोबाइल पर कोई मैसेज आया तो उसने देखा कि विजय का मैसेज था। सूरज ने देखा कि कोई लिंक था तो उसने खोल लिया और उसकी आंखे पूरी तरह से चौड़ी हो गई क्योंकि ये आज दिन में देखी गई मूवी का क्लिप था जो उसे बेहद पसंद आया था और सूरज सब कुछ भूल गया और एक बार फिर से वीडियो देखने लगा।

सीमा की मस्ती भरी सिसकियां देख कर सूरज के बदन में फिर से चिंगारी सी लग गई और उसके लंड में अपने आप तनाव आ गया। कहां तो दिन भर हुए घटना कर्म के बाद उसका लंड मानो उसकी टांगों से ही गायब सा हो गया था और अब वहीं सांप की फन उठा उठा कर फूंफकार रहा था। करीब 5 मिनट की क्लिप ने ही सूरज की हालत खराब कर दी और उसका पूरा गला सूख गया। आंखे लाल सुर्ख हो गई और सूरज से जब प्यास बर्दाश्त नही हुई तो वो पानी लेने के लिए बाहर आया। परेशान सी सुलिप्सा को धीरे धीरे करीब आधी रात को आखिरकार नींद ने सुलिप्सा को अपने आगोश में ले लिया था।

वापिस अपने कमरे मे जाते हुए उसे अपनी मम्मी के कमरे से रोशनी आई दिखाई दी तो उसे एहसास हुआ कि उसकी मम्मी भी परेशान हैं और अभी तक सोई नहीं है तो धीरे से दबे पांव अंदर आया और देखा कि उसकी मम्मी बेड पर पड़ी थी और नींद में थी। नींद में भी उसके खूबसूरत चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा था। सोने के कारण उसकी मम्मी का साड़ी का पल्लू अस्त व्यस्त था और उसका गोरा चित्ता सुंदर पेट गहरी नाभि के साथ खुला हुआ था।

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अपनी मम्मी की सुंदरता देखकर सूरज को अपनी मम्मी पर अभिमान हुआ और तभी उसकी मम्मी ने हल्की सी करवट बदली तो सूरज की गांड़ फट गई कि कहीं मम्मी जाग गई तो क्या समझेगी। लेकिन सुलिप्सा गहरी नींद मे थी और हल्की की तिरछी होने के कारण उसकी नाभि अब पूरी तरह से उभर कर सामने आ गई थी और सूरज को अपनी मम्मी की गोल गोल गहरी नाभि बिलकुल बेहद आकर्षक लगी और सूरज के हाथो में अपने आप कम्पन होने सा लगा मानो उसकी उंगलियां उसकी मम्मी की नाभि को छूने के लिए तरस रही हो। सूरज के खड़े लंड ने उसकी उंगलियों का भरपूर साथ दिया और उसकी उंगलियां खुद ब खुद ही उसके पेट की तरफ बढ़ गई। सूरज को पसीना आ गया लेकिन चाह पर भी खुद को नही रोक पाया और जैसे ही उसने अपनी मम्मी के पेट को छुआ तो सूरज के हाथ कांप उठे और बदन में उत्तेजना सी दौड़ गई।

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सूरज ने धीरे से अपने हाथ की उंगलियों को अपनी मम्मी के पेट पर फिराया और जैसे ही उनकी नाभि के पास पहुंचा तो उसका धैर्य जवाब दे गया और उनकी उंगलियों का दबाव अपनी मम्मी की नाभि पर पड़ा तो नींद में भी सुलिप्सा के चेहरे पर अजीब से भाव उभरे और सूरज का समूचा वजूद कांप उठा। तभी उसकी मम्मी ने एक करवट ली और सीधे होकर लेट गई जिससे उसकी साड़ी उसकी जांघो तक सरक गई और सूरज की आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि एक बार फिर से आंखो के सामने अपनी मां के पैर घुटनों के उपर तक नंगे हो गए और सूरज को काटो तो खून नहीं, साड़ी बिलकुल ढीली सी पड़ी हुई थी और वो चाहे तो हिम्मत करके उसे उपर तक सरका सकता था और कयामत आ सकती थी।

सूरज ने हिम्मत करके अपनी मां की साड़ी को उठाने का इरादा किया और जैसे ही उसके साथ साड़ी के करीब पहुंचे तो बाहर आसमान में जोर से बिजली कड़की और सूरज डर के मारे कमरे से निकल गया। बाहर तेज तूफान के साथ बिजलियां कड़क रही थी और सुलिप्सा की आंखे भी खुल गई और खिड़की और दरवाजे को ठीक से बंद किया और फिर से नींद में चली गई।

सूरज भी अपने कमरे में आ गया और उसकी सांसे अभी तक तेजी से चल रही थी। उसे समझ नही आ रहा था कि उसने जो किया वो सही था या गलत लेकिन एक बात साफ थी कि उसकी मां अगर उसे अपनी कमरे में देख लेती तो वो हमेशा हमेशा के लिए उनकी नजरो से गिर जाता। सूरज ने सोच लिया कि आज के बाद वो ऐसा कुछ नही करेगा और नींद में चला गया।

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