वहीं दूसरी तरफ नजमा की हालत भी कुछ ऐसी ही थी और वो सोच रही थी कि आज जो हुआ क्या वो सही था। नाजिम ने उसकी साड़ी ठीक करी और ब्लाऊज़ के बटन लगाए वो सब तो ठीक था लेकिन जिस तरह से आज पापा बोल रहे थे कि मेरी कमर चिकनी हैं इसका मतलब उन्हे मेरी कमर पसंद आई है शायद और तो और वो तो मेरी छातियों को भी देखकर बोल रहे थे कि जब सांसे ठीक हो जाए तभी बाहर आना इसका मतलब उन्हे एहसास था कि मेरी हालत क्या है और क्यों मेरी सांसे इतनी तेज हो गई थी।
नजमा को याद आया कि उसके बाप का खड़ा हुआ लंड उसकी गांड़ से छुआ था तो नजमा की सांसे एक बार फिर से तेज होने लगी और नजमा अपनी आंखे बंद करके उसी पल के बारे में सोच रही थी। क्या उनका लंड मेरे बारे में सोचकर खड़ा हुआ था, हान यही हुआ था क्योंकि मेरे अलावा तो कोई था ही नहीं वहां। कितना मोटा और सख्त लग रहा था मुझे किसी पत्थर की तरह एकदम। कितना बड़ा होगा उनका लंड ये सोचते ही नजमा का बदन कांप उठा और उसे उस दिन की याद आ गई जब उसके पापा उसकी अम्मी को चोद रहे थे और के बदन में अजीब सी उत्तेजना फैल गई। आंखे लाल सुर्ख हो गई थी और सांसे अब पहले से कहीं ज्यादा तेज हो गई थी और उसका एक हाथ अपनी चूचियों पर आ गया और नजमा ने उन्हे हल्का सा सहला दिया तो नजमा के बदन में उत्तेजना दौड़ गई और उससे बर्दाश्त नही हुआ तो उसके हाथ उसकी नाइटी में घुस गए और उसकी चूचियां सहलाने लगे और नजमा को बेहद मजा आ रहा था। नजमा की नजर अपनी चूचियां दबाते हुए शीशे पर पड़ी तो अपनी लाल आंखे देखकर उसे अजीब सा एहसास हुआ और शीशे की तरफ चल पड़ी और उसके सामने जाकर खड़ी हो गई और अपनी आंखो में देखते हुए अपनी चुचियों को मसलने लगी और अजीब अजीब से भाव उसके चेहरे पर आ रहे थे।
नाजिम को नींद नहीं आ रही थी और उसे जोर से पेशाब लगी तो वो बाहर आ गया और जैसे ही नजमा के रूम के सामने से निकला तो उसे लाइट जली हुई दिखाई दी और नाजिम ने सोचा कि नजमा ने रात के 2 बजे लाइट को क्यों जला रखा है और उसके कदम अपनी बेटी के दरवाजे पर पहुंच गए और नाजिम ने जैसी ही अंदर झांका तो उसे यकीन नही हुआ क्योंकि उसकी बेटी अपनी चुचियों को सहला रही थी और शीशे में देखते हुए अपने होंठो पर जीभ फेरती हुए खुद को ही कामुक इशारे कर रही थी और नाजिम के देखते देखते ही कमाल हो गया और नजमा ने अपने होंठ शीशे की तरफ बढ़ा दिए और शीशे पर टिका कर अपने ही होंठ चूसने लगी।
नाजिम अपनी बेटी की ये कामुक हरकत देखकर अपनी आंखो पर यकीन सा नही कर रहा था। उसे आज दिन में एहसास हो गया था कि उसकी बेटी जवान हो गई है लेकिन इतनी ज्यादा कामुक भी है इसका उसे जरा भी एहसास नही था। नजमा अपने हाथ से अपनी चूचियां सहलाती हुई पागलों की तरह शीशे में खुद ही अपने लिप्स चूस रही थी और देखते ही देखते नजमा ने वो किया जिसकी कल्पना नाजिम कर भी नहीं सकता था। नजमा ने अपने दोनो हाथ उपर किए और अपनी मैक्सी को ऐसे उतार फैंका मानो उससे नफरत करती हो। अब नजमा का पीछे का पूरा नंगा बदन नाजिम की आंखो के सामने था और ने एक नजर उसे देखा तो नजमा के चौड़े चिकने मजबूत कंधे और उसके नीचे उसकी मजबूत, चिकनी रसीली कामुक कटावदार पूरी तरह से भरी हुई कमर और नजमा की गांड़ देखते ही नाजिम के लंड ने एक जोरदार झटका मारा मानो अपनी खुशी जाहिर कर रहा हो। नजमा की कमर के नीचे जहां से गांड़ का उभार शुरू हो रहा था वहां से उसका बदन कुछ ज्यादा ही चौड़ा था और नीचे की तरफ आते हुए कुछ जरूरत से ज्यादा चौड़ा और उभरा हुआ होते हुए उसकी गांड़ को ऐसा मनमोहक कामुक आकार प्रदान कर रहा था जिसकी सिर्फ कल्पना ही करी जा सकती थी। नजमा की गांड़ ऐसी उभरी हुई थी मानो दो बड़ी ढोलक एक साथ जोड़ दी गई हो। नजमा के हाथ अब उसकी नंगी चूचियों पर चल रहे थे और उन्हें सहलाते हुए वो नीचे से अपनी जांघो को आपस में मसल रही थी जिससे उसकी गांड़ हिलकर नाजिम पर कहर ढा रही थी और नाजिम का लंड अब पूरी तरह से खड़ा होकर झटके पर झटके मार रहा था मानो उसके पायजामे को फाड़ देना चाहता हो। नजमा का आगे का हिस्सा देखने के लिए नाजिम अंदर ही अंदर तड़प रहा था। नजमा ने जोर से अपनी जांघो को एक दूसरे से मसला तो उसके मुंह से आह निकल पड़ी क्योंकि उसकी चूत उसकी जांघो के बीच रगड़ी सी गई और मस्ती में नजमा की जीभ अपने आप पूरी की पूरी बाहर निकल आई और शीशे में पागलों की तरह खुद ही अपनी जीभ चाटने चूसने लगी।
मस्ती से नजमा का पूरा बदन हिल रहा था और नाजिम अपने खड़े लंड के साथ अपनी चुदासी बेटी की कामलीला देख रहा था।नजमा पूरी पसीने पसीने हो गई थी लेकिन उसकी जांघो की आपस में टकराने की गति कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही थी और उसकी जांघो के आपस मे टकराने से अब थप थप थप की आवाज सी निकल रही थी। जिस तरह से उसकी जांघें हिल रही थी उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो नजमा साइकिल सी चला रही हो। तभी नजमा की गति बढ़ती चली गई और उसकी कमर तेजी से हिलने लगी जिससे उसकी गांड़ बहुत ही कामुक अंदाज में मटकने लगी और नाजिम को पसीना साफ महसूस हुआ। नजमा की कमर की गति बढ़ती जा रही थी और उसकी जीभ से निकलता रस शीशे को पूरा भिगो कर नीचे की तरफ गिरता जा रहा था और नजमा और ज्यादा जोर जोर से अपनी ही जीभ को चूसने का प्रयास कर रही थी।
नजमा की गति बढ़ती ही जा रही थी और उसकी चूड़ियों की आवाज सुनकर नाजिम मस्त होता जा रहा था। आपस में टकराने से नजमा की कई चूड़ियां टूट गई थी और नजमा को इन सब का होश ही कहां था और वो पागल सी हुई अपनी चूत के छेद को अपनी जांघो के बीच ही रगड़े जा रही थी और अब उसकी स्पीड इतनी बढ़ गई थी कि नाजिम को ठीक से उसकी जांघें नजर नहीं आ रही थी और नाजिम अपनी बेटी की ताकत देखकर खुश हो रहा था कि उसकी बेटी बिलकुल उस पर ही हुई है। नजमा की जांघो की रफ्तार इस कदर बढ़ गई थी कि ऐसा लग रहा था मानो नजमा नही बल्कि कोई मशीन हिल रही थी तभी नजमा का पूरा बदन जोर जोर से कांपने लगा और नजमा एकदम उत्तेजना से पागल सी हो गई और उसकी जांघो की गति हद से ज्यादा एकदम अविश्वसनीय हद तक बढ़ गई और उसकी कमर शायद उसके हाथ से भी ज्यादा तेजी से हिल रही थी जिससे नाजिम को अब उसकी गांड़ नाम मात्र के लिए ही नजर आ रही थी और तभी नजमा को अपनी चूत में तूफान सा महसूस हुआ और नजमा ने जोर से आह भरते हुए अपनी जांघो को कस लिया और अपने ही आप में सिमट सी गई।उसकी चूत से रस की बौछार निकल कर उसकी टांगो से टपकती हुई जांघो से नीचे बह रही थी। जैसे ही उसकी चूत का स्खलन बंद हुआ तो उसे अपने घुटने कमजोर महसूस हुए और नजमा अपने हाथ से अपनी चूत को थामे हुए फर्श पर ही पेट के बल गिर पड़ी और नाजिम ने फिर से एक नजर उसके बदन पर डाली जो अभी तक कांप रहा था और अपने खड़े हुए, अकड़े हुए लंड के साथ अपने कमरे में आ गया और सोने की कोशिश करने लगा। काफी कोशिश के बाद उसे नींद आ गई और नजमा भी अब हल्का महसूस कर रही थी और नंगी ही उठी और अपने बेड पर लेट गई और नींद के आगोश में चली गई।
रात भर नाजिम अपने खड़े लंड के साथ करवट बदलता रहा और अपनी ही बेटी के बारे में सोचता रहा। नजमा जवान होकर बिलकुल एक पके हुए फल की तरह हो गई थी जिसका उसे आज ही एहसास हुआ था। नजमा जवान और हसीन है ये तो आज उसने दिन में ही देख लिया था लेकिन किस कदर कामुक हैं इसका अंदाजा भी उसे अब हो गया था। अनुभवी नाजिम समझ गया था कि नजमा की बेहाल जवानी अब लंड के लिए तड़प रही है।
अगले दिन सुबह नाजिम उठा तो देखा कि नजमा पहले ही उठ गई थी और घर के काम खत्म कर चुकी थी। उसने नाजिम के साथ नाश्ता किया और बोली:”
” मुझे आज कॉलेज के बाद मार्केट जाना हैं तो थोड़ी देर ही आउंगी शाम को।
नाजिम:” कोई बात नही बेटी। बस ध्यान से आना और अपने ध्यान रखना।
नजमा उसके बाद अपने आपको हॉल में लगे शीशे में देखने लगी और आगे झुककर अपनी लिपस्टिक ठीक करने लगी जिससे उसकी गांड़ पीछे को निकल आई।
अनजाने में सही लेकिन नजमा ने सुबह सुबह नाजिम पर ऐसा वार कर दिया कि नाजिम की हालत खराब हो गई और वो न चाहते हुए भी अपनी बेटी की गांड़ को देखने लगा। थोड़ी देर तक नजमा ऐसे ही झुकी रही और फिर सीधी हुई और अपनी हरकत से बिलकुल अनजान सी नाजिम को स्माइल देकर बाहर निकल गई। नाजिम उसे बस देखता ही रह गया और उसके बाद अपने काम पर चला गया।
शाम को करीब छह बजे नजमा घर आई और घर के काम में लग गई और खाना तैयार कर लिया। करीब आठ बजे तक नाजिम भी आ गया और नहा धोकर खाने के लिए बैठ गया। पूरे घर में बिरयानी की लजीज खुशबू फैली हुई थी और बाप बेटी दोनों को ही बिरयानी बेहद पसंद थी।
दोनो बाप बेटी मजे से खा रहे थे और काले रंग के सूट में नजमा बेहद खूबसूरत लग रही थी। नाजिम बिरयानी खाते हुए बोला
” मजा आ गया नजमा, बिरयानी तो तूने आज सच में बेहद स्वादिष्ट बनाई है।
नजमा अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई और ट्रे को देखकर बोली:”
” आप पेट भरकर अच्छे से खाइए ना। रुको मैं ट्रे में गर्म लेकर आती हूं।
इतना कहकर नजमा उठ गई और किचन की तरफ चल पड़ी। नाजिम उसे मना करता रहा लेकिन उसने जैसे सुना ही नहीं और बिरयानी ट्रे में करने लगी। नजमा का दुपट्टा फिसल कर उसे बार बार परेशान कर रहा था इसलिए उसने उसे अपने गले में लपेट लिया और गर्म बिरयानी लेकर बाहर की तरफ चल पड़ी। नजमा को आते देखकर नाजिम की उस पर नजर पड़ी और नाजिम एक बार फिर से अपनी पलके झपकाना भूल गया। खुले गले से नजमा की चुचियों की कम से कम तीन इंच की खाई साफ नजर आ रही थी।
जैसे जैसे नजमा पास आती जा रही थी तो नाजिम की सांसे तेज हो रही थी और जैसे ही नजमा उसके ठीक सामने ट्रे टेबल पर रखने के लिए झुकी मानो कमरे में आग सी लग गई क्योंकि नजमा की आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को झांक पड़ी और नाजिम के लंड पर इसका जबरदस्त असर हुआ और नाजिम की आंखे लाल सुर्ख होने लगी। झुकने से नजमा का दुपट्टा उसके गले से फिसल कर टमाटर की चटनी में गिर पड़ा और नजमा उसे उतारते हुए बोली
” पूरा दुपट्टा चटनी से खराब हो गया मेरा। रुको मैं दुपट्टा बदलकर आती हू अभी पापा।
नाजिम के दिमाग पर पूरी तरह से वासना हावी हो गई और उसे रोकते हुए बोला
” बेटी बाद में बदल लेना। खाना बीच में छोड़ना अच्छी बात नहीं होती हैं।
नजमा को अपने बात की बात ठीक लगी और उसके सामने ही बैठ गई और खाना खाने लगी। नजमा आज पहली बार अपने बाप के सामने बिना दुपट्टे के खाना खा रही थी और उसकी चूचियां अपना आकार दिखाती हुई नाजिम पर कहर बनकर टूट रही थी। नाजिम भी बीच बीच मे मौका देखकर उसकी चूचियां देख रहा था और उसका लंड अपने पूरे शबाब पर आकर अकड़ गया था और उसकी आंखे लाल सुर्ख हो गई थी। नजमा ने गले में एक सोने की पतली सी चैन पहनी हुई थी जो उसकी चुचियों की दरार में लटकी हुई थी।
नजमा ने एक नजर अपने आप पर डाली और बोली:
” पापा कल एक कुश्ती मेरे कॉलेज में लड़ी जाएगी। मुझे खुशी होगी कि आप कल आए और उस कुश्ती को जीते।
नाजिम:” बेटी मन तो हैं नही। अब कुश्ती लड़ना मैने छोड़ सा ही दिया है।
नजमा:” ऐसी बाते मत करो। आपको आना हैं तो बस आना हैं मेरी खुशी के लिए बस।
नाजिम: लेकिन बेटी अब मेरे अंदर वो बात नहीं रही। हार गया तो बेकार में बेइज्जती हो जायेगी।
नजमा:” बहाना मत बनाओ आप। आपके अंदर आज भी वही जोश और ताकत है पहले वाला बल्कि मुझे तो लगता हैं कि जिस तरह से आपने ईरानी पहलवान को हराया था उससे लगता हैं कि आप पहले से कहीं ज्यादा तगड़े और ताकतवर हो गए हैं।
नाजिम अपनी तारीफ सुनकर खुश हुआ और बोला:”
” ठीक है बेटी, तेरी खुशी के लिए मैं जरूर आऊंगा। एक कुश्ती तेरे लिए भी लड़ लूंगा।
नजमा अपने बाप की बात सुनकर खुश हो गई और आगे झुककर पानी का ग्लास उठाने लगी और उसकी चूचियां इस बार अपने पूरे शबाब पर थी और नाजिम नजरे गडा कर देख रहा था कि सच में उसकी बेटी की चुचियों का आकार किसी पपीते से बिलकुल भी कम नहीं होगा। हर बार नाजिम नजमा से नजरे बचा लेता था लेकिन इस बार इस कामुक दृश्य में फंस गया है नजमा को अपनी चुचियों पर उसकी नजरो का एहसास हुआ तो उसका बदन कांप उठा और चेहरा शर्म से लाल हो गया और जल्दी से उठ गई और बर्तन उठाने लगी। बर्तन उठाते हुए नजमा नाजिम के पास आई और देखा कि उसकी पेंट आगे से बुरी तरह से एकदम सीधी तनी हुईं थी तो नजमा को उसकी सांसें रुकती हुई सी महसूस हुई और बर्तन लेकर तेजी से बाहर चली गई।
नजमा ने बर्तन धोए और सोच रही थी कि उसे अपनी हालत का एहसास क्यों नहीं हुआ अपने बाप के सामने।
नजमा एक ग्लास उठाने के लिए झुकी तो उसकी चूचियां फिर से बाहर की तरफ उछल पड़ी और नजमा ये सब देख कर शर्म से पानी पानी हो गई कि उसकी चूचियां किस हालत में उसके बाप के सामने थी जिस कारण उनका लंड खड़ा हो गया था।
नजमा को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि कल से उसके साथ क्या हो रहा है। पहले वो साड़ी कल साड़ी वाली बात और अब उसका अपने बाप की साथ इस हालत में होना अच्छी बात नहीं थी लेकिन बार बार ऐसा क्यों हो रहा है इसका जवाब उसके पास नही था।
बर्तन धोकर नजमा अपने कमरे में आ गई एक सुंदर सी नाइटी पहन ली और थोड़ी देर लेटी रही। रात को करीब दस बजे वो उठी और एक ग्लास गर्म दूध लेकर नाजिम के कमरे में चल पड़ी। कमरे में उसने देखा कि नाजिम सिर्फ एक लंगोट में बैठा सा हुआ था और अपने बदन पर तेल की मालिश कर रहा था। नजमा ने उसे दूध का ग्लास दिया और उसके पास ही बैठ गई और बोली:”
” आप मालिश क्यों कर रहे हैं रात को पापा ?
नाजिम अपनी कमर पर तेल लगाने की नाकाम सी कोशिश करते हुए बोला:”
” तेल लगाने से सभी नशे ठीक से खुल जाती हैं और शरीर की मासपेशियां मजबूत बनती है। कुश्ती से पहले मालिश करने से शरीर में फुर्ती रहती है।
नजमा:” ओह ये बात है। आपको को कल कॉलेज में कुश्ती भी करनी है तो आपको अच्छे से मालिश करनी चाहिए फिर तो। लेकिन आपके हाथ ठीक से कर नही पा रहे हैं।
नाजिम फिर से अपने कंधो की मालिश करते हुए बोला:”
” हो जाएगी। कोशिश कर रहा हूं ना मैं। तेरी अम्मी थी तो वो बहुत अच्छी मालिश करती थी। अब तो खुद ही करनी पड़ेगी मुझे।
नजमा:” आप कहे तो मैं आपकी मालिश कर दू क्या ?
नाजिम को भला क्या एतराज हो सकता था लेकिन बोला:”
” लेकिन बेटी तुझे तो मालिश आती भी नही होगी। तुम कैसे कर पाओगी
नजमा:” आप चिंता मत करो। आदमी हर काम पहली बार करता है। ऐसी मालिश करूंगी कि अम्मी की मालिश भूल जाओगे आप।
नाजिम:” अच्छा फिर तो ठीक हैं, देखता हु मैं भी आज तेरे हाथो का जादू।
नजमा:” ठीक हैं आप जल्दी से दूध पी लो। तब तक मैं आती हू।
इतना कहकर नजमा बाहर आ गई और तेल को एक बड़ी सी कटोरी में गर्म लिया और लेकर अंदर की तरफ चल पड़ी। नाजिम अब अपने बदन पर लंगोट लपेटे हुए पड़ा हुआ था और नजमा लेकर बेड पर चढ़ गई और बोली
” चलिए अब आप जल्दी से मालिश के लिए तैयार हो जाए।
नाजिम:” मैं तो तैयार ही हु बेटी। बस तुम अच्छे से मालिश करना, फिर देखना कैसे एक झटके में पहलवान को उठा कर पटक दूंगा मैं कल।
नजमा ने हाथ में तेल लिया और नाजिम के हाथ पर लगाने लगी और अच्छे से मसलने लगी। नाजिम को गर्म गर्म तेल काफी सुकून दे रहा था और नजमा बेहद लज्जत के साथ उसके हाथ को मालिश कर रही थी और धीरे धीरे नजमा के हाथ आगे की तरफ बढ़ते हुए उसके कंधो तक जाने लगे जिससे नजमा को आगे होना पड़ रहा था और उसके घुटने नाजिम की जांघो से टकराने लगे और नजमा को आज एहसास हो रहा था कि उसके बाप के कंधे कितने चौड़े और ताकतवर है। नजमा ने फिर से थोड़ा सा तेल लिया और अच्छे से रगड़ रगड़ कर उसके कंधे की मालिश करने लगी। मालिश करते करते नजमा को अपने बाप की भुजाओं और कंधो की मजबूती और सख्ती का एहसास हुआ कि उसके बाप की भुजाए अभी भी एक दम पूरी तरह से कसी हुई है और कितनी ज्यादा शक्तिशाली है। नजमा ने मालिश के बहाने अपने बाप के कंधे और भुजाओं को खूब अच्छे से कस कस कर दबा दबा कर मसला और मन ही मन अपने बाप के जिस्म की कसावट पर खुश हुई। नजमा ने अच्छे से उसके हाथो की मालिश करने के बाद उसके हाथ उपर की तरफ मोड़ दिए और बोली
” अब आप हाथो को ऐसे ही रखिए, मैं आपके सीने की मालिश कर देती हु।
नजमा अब आप के बराबर में बैठी हुई थी और अच्छे से अपने हाथ की उंगलियों को तेल से भिगोया और अपनी बाप की छाती पर रख दिया तो नाजिम को बेहद सुकून सा मिला। देखते ही देखते नजमा के हाथो की उंगलियां उसकी छाती की मालिश करने लगी और नाजिम की छाती के घने बाल नजमा की उंगलियों में आने लगे और नजमा को मालिश करने में बेहद मजा आ रहा था और अपने बाप की मजबूत चौड़ी बालो से भरी हुई छाती को वो अपनी उंगलियों से अच्छे से मसल रही थी। नजमा की नाजुक उंगलियों का असर नाजिम पर होने लगा और उसकी छाती के निप्पल खड़े होकर बाहर को निकलने लगे और नजमा की उंगलियों से टकराने लगे तो नजमा की सांसे तेज होने लगी और उसके हाथ और ज्यादा सख्ती से उसकी छाती की मालिश करने लगे। नाजिम के निप्पल जैसे ही नजमा की उंगलियों से छूते तो नाजिम को बेहद अच्छा लगता और उसका असर उसके लंड पर भी होना शुरू हो गया था। नाजिम ने फिर से अपने हाथो में तेल लिया और अच्छे से नाजिम की छाती को तर कर दिया और पहले के मुकाबले ज्यादा सख्ती से मालिश करने लगी तो नाजिम की भी हालत खराब होने लगी और उसका लंड खड़ा होना शुरू हो गया। अपने बाप के मजबूत बदन का एहसास पाकर नजमा को भी अब मालिश में बेहद मजा आ रहा था और उसकी उंगलियां जैसे ही निप्पल के करीब आती तो हाथ की गति कम हो जाती और अच्छे से निप्पल को महसूस करके तेजी से नीचे जाती और फिर से तेज़ी से ऊपर की तरफ आती। नजमा की इस हरकत से नाजिम अनजान नही था और उसे तो ये सब बेहद अच्छा लग रहा था और बोला:”
” नजमा बेटी जरा सख्त हाथ से मालिश कर न , मालिश से लगना चाहिए कि तुम नाजिम पहलवान की बेटी हो।
इतना कहकर नाजिम ने नजमा को मानो लाइसेंस सा दे दिया कि वो पूरी सख्ती से उसकी छाती की मालिश कर सकती हैं। नजमा ने अब उंगलियों के साथ साथ अपनी हथेली का जोर देना शुरू किया और नाजिम का बदन मस्ती में डूब गया। नजमा अब अच्छे से सख्ती से उसकी छाती मसल सी रही थी और नाजिम के तने हुए खड़े हुए निप्पल को भी बीच बीच में मसल देती थी जिसका असर ये हुआ कि नाजिम का लंड पूरी तरह से अकड़ गया और उसकी लुंगी को आसमान की तरफ उठा दिया। लंड से पूरी तरह से बेखबर नजमा के हाथ पेट की तरफ आने और नाजिम नही चाहता था कि उसकी बेटी को उसके खड़े लंड का एहसास हो तो इसलिए नाजिम पलट गया और नजमा से बोला
” बेटी मेरी कमर की मालिश कर दो ना अच्छे से। कमर मजूबत हो तो आदमी ज्यादा ताकत लगा सकता है कुश्ती में।
नजमा ने हाथ में तेल लिया और उसकी नंगी कमर पर लगाते हुए बोली
” कमर तो आपकी बेहद ज्यादा मजबूत लग रही है। किसी को भी उठा कर पटक सकते हो।
इतना कहकर नजमा उसकी कमर को सख्ती से मसलते हुए मालिश करने लगी और नाजिम को अब बेहद अच्छा लग रहा था। नजमा के हाथ उसकी पूरी कमर पर फिर रहे थे और नजमा कभी उंगलियों से तो कभी अपनी हथेली से उसकी कमर को सहला रही थी और नाजिम का लंड खड़ा होकर बेड में घुसा सा जा रहा था। नजमा के बार बार आगे झुकने से उसकी नाइटी का एक बटन खुल गया और नजमा की थोड़ी सी चूची नाजिम को नजर आ रही थी और उसके बदन में उत्तेजना सी दौड़ गई। कमर की सख्ती से मालिश करने के बाद नजमा के हाथ नीचे की तरफ बढ़ने लगे और नजमा के साथ साथ नाजिम की सांसे भी तेज होने लगी क्योंकि उसके हाथ अब नाजिम की गांड़ के उभार तक पहुंचने वाले थे। नजमा ने अपने हाथ में तेल लिया और फिर से उसकी कमर के निचले हिस्से में तेल लगाया और अच्छे से मालिश करते हुए उसकी गांड़ के शुरुआती उभार तक आने लगी। नाजिम को समझ नही आ रहा था कि क्या करे, उसका दिल चाह रहा था कि उसकी बेटी इसी तरह उसकी गांड़ की मालिश कर डाले और दिमाग उसे ऐसा करने की इजाजत नहीं दे रहा था। नजमा की भी हालत खराब हो गई और उसकी चुचियों के निप्पल सख्त हो रहे थे और पूरे बदन में उत्तेजना दौड़ रही थी।
जैसे ही उसके हाथ आगे बढ़कर नाजिम की गांड़ पर पहुंचे तो नाजिम को मानो होश सा आया और बोला
” बस बस बेटी हो गई मालिश। अब तुम जाओ और आराम करो, रात भी बहुत हो गई है।
नजमा ने भी चैन की सांस ली और तेल की कटोरी उठा कर बाहर की तरफ चल पड़ी। नजमा को आज एहसास हो गया था कि उसका बाप सच में बेहद मजबूत जिस्म का मालिक है। नजमा ने तेल की कटोरी को किचन में रखा और अपने कमरे में आ गई और थोड़ी देर कोशिश करने के बाद उसे नींद आ गई।