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पहलवान नाजिम - An Incest Story Written by Unique star

पहलवान नाजिम – Update 4 | Incest Story

घर आने के बाद नजमा अपने बाप के गले लग गई और रोने लगी। बाप उसे दिलासा देता रहा और बेटी फूट फूट कर रोटी रही और नाजिम उसकी कमर सहलाते हुए बोला

” बस बस बेटी नजमा चुप हो जाओ। जो अल्लाह को मंजूर था वो हो गया,उसके आगे किसी की नही चलती बेटी।

नजमा रोते हुए बोली:” लेकिन अल्लाह ऐसे आदमी बनाता ही क्यों हैं जो न खुद अच्छे से जीते हैं और न दूसरो को जीने देते है। मेरी अम्मी की क्या गलती थी जो वो उस कुत्ते नवाब के कारण मारी गई बेचारी।

इतना कहकर नजमा एक बार फिर जोर से फफक पड़ी तो नाजिम उसे समझाते हुए बोला:”

” बेटी इंसान अपने कर्म खुद तय करता है बेटी। नवाब ने अपनी करनी का फल भुगत ही लिया और आखिर में कुत्ते की मौत ही मारा गया।

नजमा:” हान लेकिन उसने गलत किया था तो मारा गया लेकिन मेरी अम्मी की क्या गलती थी बेचारी की जो वो भी मारी गई !!

नाजिम:” बेटी इंसान के हाथ में कुछ भी नहीं और फिर इस दुनिया में कोई भी हमेशा रहने के लिए नही आया। बस बेटी अल्लाह की यही मर्जी है और कोई न की बहाना बना देता तुम अब चुप हो जाओ, मैं आज के बाद तुम्हे बाप के साथ साथ मां का भी प्यार दूंगा।

नजमा अपने बाप की बात सुनकर थोड़ा शांत हुई और अपने बाप के गले लगी रही। नजमा के की बुआ और उनकी बेटी भी आई हुई थी और अगले कुछ दिन साथ ही रहे और काफी समझाने के बाद आखिरकार धीरे धीरे उनकी जिंदगी अपनी रफ्तार पर आने लगी और नजमा ने अब ठीक से खाना पीना शुरू कर दिया था। नाजिम के ज्यादा जिद करने पर उसने कॉलेज भी जाना शुरू के दिया लेकिन उसने अब दूसरे शहर में कॉलेज में दाखिला लिया था ताकि पुरानी सहेलियां उसे परेशान न कर सके।

आखिर वो दिन आ ही गया और उसकी बुआ और बेटी अपने घर जाने लगी और नजमा बोली:”

” बुआ आप थोड़े दिन और रुक जाते तो अच्छा होता।मैं फिर से अकेली हो जाऊंगी।

बुआ:” बेटी मेरे साथ भी अपनी दिक्कत है और आज कल तेरे फूफा की भी तबियत ठीक नहीं रहती। तू चिंता मत कर मैं थोड़े दिन बाद फिर से आ जाऊंगी।

नजमा:” ठीक हैं बुआ लेकिन आप फरीन को छोड़कर चली जाओ।

बुआ:” बेटी इसके भी कॉलेज की पढ़ाई का नुकसान हो रहा हैं तो इसका रुकना अब ठीक नही होगा। बाद में मेरे साथ ही आ जायेगी ये भी या छुट्टी होने पर भेज दूंगी इसे।

नजमा:” ठीक हैं बुआ जैसे आपको ठीक लगे।

बुआ:” बेटी मेरी एक बात का ध्यान रखना। तेरी मां के करने का तेरे से कहीं ज्यादा दुख तेरे बाप को हुआ हैं क्योंकि उसकी साथी चली गई है। मर्द कभी अपना दर्द किसी से कह नहीं पाते है। इसलिए तू अपना बाप का ध्यान रखना क्योंकि उसे इस मुश्किल समय में तेरे सहारे की जरूरत है।कोशिश करना कि नाजिम को हमेशा खुश रख सको तुम।

नजमा:” जी बुआ। आप उनकी फिक्र छोड़ दीजिए क्योंकि उनका ध्यान अब उनकी बेटी अच्छे से रखेगी।

बुआ:” अच्छी बात है मेरी बेटी। बस एक नाजिम का बोझ था जो अब तेरी वजह से सिर से उतर गया। अच्छा बेटी मैं अब चलती हु। अल्लाह तुझे खुश रखे बेटी।

उसके बाद बुआ अपनी बेटी के साथ चली गई और नजमा घर के काम में लग गई और शाम के खाने की तैयारी करने लगीं। बुआ की बात उसे याद आ रखी थी कि अपने बाप का ध्यान रखना और नजमा ने अपने आप से वादा किया कि वो अपने बाप को किसी चीज की कमी नहीं होने देगी।

शाम के नाजिम आया तो नजमा ने एक मीठी सी मुस्कान के साथ अपने बाप का स्वागत किया और बोली:”

” आ गए आप पापा काम से, चलिए हाथ मुंह धो लीजिए मैं आपके लिए पानी लेकर आती हूं।

नाजिम हाथ मुंह धोने के लिए चला गया। नाजिम को अपनी बेटी के चेहरे पर मुस्कान देख कर अच्छा लगा और हॉल में बैठ गया। नजमा पानी लेकर आई और नाजिम ने ग्लास पीने के बाद एक तरफ रखा और बोला:”

” तेरी बुआ का फोन आया था और वो ठीक से घर पहुंच गई है।

नजमा:” मैंने तो उन्हे थोड़े दिन और रुकने के लिए बोला था लेकिन मानी नही और चली गई।

नाजिम:” बेटी सबके घर में काम होते हैं बस इसलिए।

नजमा:” अच्छा मैंने खाना बना दिया हैं और आप नहा लीजिए उसके बाद गर्म गर्म रोटी बना दूंगी आपके लिए।

नाजिम:” अच्छा ठीक हैं। मैं थोड़ी देर नहा लेता हूं उसके बाद तुम रोटी बना लो और दोनो साथ में खायेंगे।

नजमा:” नही जी, रोटी आप पहले गर्म गर्म खाना बस। मैने कह दिया तो कह दिया।

नाजिम उसकी बात सुनकर स्माइल करते हुए बोला:”

” अच्छा तू अब मेरी बेटी मुझे ही किसी पहलवान की तरह दादागिरी दिखाने लगी है

नजमा ने अपने हाथ को ऊपर उठाया और बोली:”

” आखिर बेटी किसकी हु ये भी तो आपको पता होगा नाजिम पहलवान की।

इतना कहकर नजमा हंस पड़ी तो नाजिम भी उसका साथ देते हंसकर बोला:”

” बेटी तुम हंसती हो तो अच्छा लगता हैं, ऐसा लगता हैं जैसे घर में फिर से खुशियां लौट आई है। बेटी मुझे से एक वादा कर के आज के बाद तुम ऐसे ही हंसती खेलती रहोगी।

नजमा ने अपने बाप की बात सुनकर उसका हाथ पकड़ा और खड़ा करते हुए बोली:”

” चलिए जल्दी से नहाकर आइए। आपको भूख लगी होगी।

नाजिम खड़ा हुआ और बोला:”

” अरे तुम तो सच में दादागिरी करने लगी। अच्छा बाबा जाता हू मैं नहाने के लिए।

इतना कहकर नाजिम चला गया और थोड़ी देर नहा कर आ गया तो नजमा ने उसके लिए खाना लगा दिया और गर्म गर्म रोटी ला लाकर देनी लगी तो नाजिम खुशी खुशी रोटी खाने लगा। जब नाजिम ने तीन चार रोटी खा ली और नजमा फिर से एक प्लेट में फिर से रोटी ले आई और नाजिम ने देखा कि प्लेट पूरी रोटियों से भरी हुई थी।

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नाजिम बोला:” अरे इतनी सारी रोटी क्यों बना दी बेटी तुमने?

नजमा:” आपके लिए बनाई हैं और आपको ये सारी रोटी खानी पड़ेगी।

नाजिम:” अरे इतनी रोटी मुझसे नही खाई जायेगी।

नजमा:” बात बंद कीजिए और रोटी खाइए। अब आजकल अपना बिलकुल भी ध्यान नहीं रखते। आज के आज आपका ध्यान आपकी बेटी रखेगी।

इतना कहकर नजमा ने रोटी टेबल पर रख दी और नाजिम रोटी तोड़के खाते हुए बोला:”

” अरे बेटी इतना जायदा घी क्यों चुपड़ दिया रोटी पर। देखो ना कैसे टप टप कर रहा है!!

नजमा:” तो खाइए न घी आप। खायेंगे तभी तो ताकत आयेगी और कुश्ती कर पाएंगे। बोलते ही रहेंगे या खाना भी खायेंगे आप।

नाजिम समझ गया कि आज उसकी एक नही चलने वाली और खाना खाने लगा और नजमा भी कुछ और रोटी लाकर उसके सात ही बैठ गई और दोनो बाप बेटी खाना खाने लगे। नाजिम आज बेहद खुश था और अपनी बेटी पर गर्व कर रहा था कि कैसे उसका ध्यान रख रही थी और पूरा घर खुशियों से घर गया था। खाना खाने के बाद नाजिम अपने कमरे मे आ गया और थोड़ी देर बाद नजमा उसके लिए दूध लेकर आ गई और नाजिम ने दूध पिया और सोने के लिए लेट गया। नजमा भी अपने कमरे में लेट गई और दोनो गहरी नींद में चले गए।

अगले कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा और दोनो की जिंदगी अब फिर से खुशी खुशी चल पड़ी और नजमा अपने बाप का पूरा ध्यान रख रही थी और नाजिम भी अपनी बेटी को कोई शिकायत का मौका नहीं दे रहा था। नाजिम कभी उसके लिए सुंदर कपड़े लेकर आता तो कभी चॉकलेट और कभी आइस क्रीम।

एक दिन नाजिम शाम को घर आया और खाना खाने के बाद नजमा बोली:”

” पापा मेरी एक सहेली बनी हैं मेघा, कल उसके यहां पार्टी है और मुझे भी बुलाया हैं। आप कल थोड़ा जल्दी आ जाइए फिर साथ में चलेंगे।

नाजिम:” ठीक हैं बेटी। मैं कल तुम्हारे साथ चलूंगा

अगले दिन नाजिम जल्दी ही आ गया और दोनो बाप बेटी तैयार होकर निकल पड़े। नजमा ने एक काले का हिजाब पहना हुआ था और उसमे बेहद खूबसूरत लग रही थी मेघा के घर की तरफ और रास्ते में नाजिम की कार बंद हो गई क्योंकि इंजन गर्म हो गया था तो नाजिम पानी लेने के लिए चला गया और नजमा को अंदर कार में गर्मी लगने लगी तो नजमा ने अपना हिजाब उतार दिया लेकिन फिर भी उसे सुकून नहीं मिला तो वो कार से बाहर निकल कर मौसम का मजा लेने लगीं। ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और आकाश में काले काले बादल उमड़ उमड़ कर मानो किसी तूफान के आने का इशारा कर रहे थे। बाहर नजमा को बेहद सुकून मिला और वो खुशी से आस पास घूमने लगी।

तभी जोर से तूफान आया और तेज तेज हवाएं चलने लगी और नजमा खुद को बचाने के लिए एक पेड़ के पीछे खड़ी हो गई और तेज तुफान के कारण उसके कपड़े बिलकुल उसके जिस्म से चिपक गए थे।

नाजिम को पानी मिल गया था और तूफान को देखकर जल्दी से वापिस गाड़ी की तरफ चल दिया और लेकिन तूफान इतना तेज था कि धूल मिट्टी भी उड़ रही थी और नाजिम के लिए गाड़ी तक पहुंचना मुश्किल हो रहा था तो उसने भी एक पेड़ का सहारा लिया और खड़ा हो गया। उसे अपनी बेटी की फिक्र हो रही थी लेकिन वो तूफान के चलते मजबूर था।

नाजिम तूफान थमने का इंतजार कर रहा था कि तभी उसकी नजर एक पेड़ के पीछे खड़ी हुई औरत पर पड़ी और नाजिम को उसका को उस औरत का पिछवाड़ा दिखाई पड़ा और नाजिम मन ही मन उसकी गांड़ की चौड़ाई की तारीफ किए बिना न रह सका। काफी लंबी तगड़ी औरत थी और तूफान के चलते उसके कपड़े उसके जिस्म से पूरे तरह से चिपक गए थे जिससे उसके जिस्म का आकार साफ साफ महसूस हो रहा था और नाजिम की नजरे उसकी तरफ ही टिकी हुई थी। धूल से बचने के लिए औरत ने अपने दुपट्टे का घूंघट सा बनाकर अपने चेहरे को ढका हुआ था। नाजिम आंखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था उसकी आगे को निकली हुई जबरदस्त छातियां और भरी हुई पुष्ट कमर के साथ साथ मजबूत मोटी मांसल केले के तने जैसी तगड़ी टांगे जो इस बात का सुबूत थी कि ये हसीना सच में किसी भी मजबूत मर्द को झेल सकती थी।

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नाजिम ने आज जिंदगी में पहली बार इतनी मदमस्त हसीना देखी और उसका दीवाना सा हो गया था। नाजिम की जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ था कि उसने अपनी बीवी के अलावा किसी को सेक्सी नजर से देखा था और नाजिम के लंड पर इसका सीधा असर हुआ और नाजिम का लंड अकड़ना शुरू हो गया। तभी तूफान की रफ्तार बढ़ने लगी और वो कपड़े उस हसीना के बदन से अब हद से ज्यादा चिपक गए और उसने अपने पल्लू को और जोर से ऊपर की तरफ खींच कर अपने मुंह पर लपेट लिया जिससे उसका बड़ी बड़ी भरी भरी चुचियों का तगड़ा उभार हल्का सा सामने आया और नाजिम उसके बदन को देखते हुए खुद को नही रोक पाया और बोला

” या अल्लाह तेरी कारीगिरी का भी कमाल नहीं!! इस मादक हसीना का चेहरा कितने कमाल का होगा,काश मैं एक बार देख पाता उसे।

नाजिम के इच्छा करने की देर थी और पूरी होते देर समय अभी नही लगा क्योंकि तभी सांय सांय की आवाज करती हुई हवा ने उस औरत के दुपट्टे को उड़ा दिया और जैसे ही उसका चेहरा सामने आया कि नाजिम को मानो सांप सा सूंघ गया और उसे अपनी आंखो पर यकीन नहीं हुआ क्योंकि ये मदमस्त जवानी कोई और नहीं बल्कि उसकी सगी बेटी नजमा थी।

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नाजिम को अपने आप अब पर अब पछतावा सा हो रहा था और उसने मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया। नाजिम को अपने आपको बुरा भला बोल रहा था और धीरे धीरे तूफान कम होता चला गया तो नाजिम धीरे से थोड़ा दूर हुआ और फिर जोर जोर से आवाज लगाते हुए आने लगा। नजमा ने अपने बाप की आवाज सुनी और खुद हो गई। नाजिम ने गाड़ी को ठीक किया और फिर से दोनो चल पड़े। नाजिम ने देखा कि उसकी बेटी जो हिजाब पहन कर घर से आई थी वो पीछे सीट पर पड़ा हुआ था और उसे अब समझ में आ गया कि क्यों वो अपनी बेटी को उसके कपड़ो से पहचान नहीं पाया था। करीब रात को नौ बजे वो मेघा के घर पहुंच गए और नजमा भी पहली बार उसके घर आई थी और उन्हें एहसास हुआ कि मेघा सच में एक बहुत ही ज्यादा अमीर बाप की बेटी हैं।

महलनुमा उसके घर के सामने बड़ी बड़ी गाडियां लाइन से खड़ी हुई थी और नजमा अपने पापा के साथ अंदर घुस गई और देखा कि सभी लोग एक ही तरह की ड्रेस पहने हुए थे। औरतों लड़कियों सबने नीले रंग की सुंदर सी साड़ी पहनी हुई थी और मर्दों ने सफेद रंग का देसी कुर्ता पायजामा। एक ही तरह से कपड़ो में सब बेहद आकर्षक लग रहे थे। वो मेघा को देख ही रही थी कि मेघा खुद उसके पास आ गई और उसे गला लगा लिया। नजमा ने मेघा को जन्मदिन की ढेर सारा बधाई दी और फिर मेघा बोली:”

” नजमा मैने आज पार्टी में ड्रेस कोड रखा हुआ है। कैसे लग रहे हैं सभी लोग?

नजमा ने फिर से एक नजर सभी पर डाली और बोली:”लग तो सभी बहुत अच्छे रहे हैं लेकिन माफ कीजिए मैं तो साड़ी कभी नहीं पहनी आज तक और न ही मैं लेकर आई हूं।

मेघा:” अरे नही पहनी तो आज पहन लो। मैने खुद काफी सारी साडियो का इंतजाम किया हुआ है, आओ मेरे साथ मैं दे देती हु।

नजमा ने अपने बाप की तरफ देखा तो मानो उनकी इजाजत मांग रही हो तो मेघा बोली:”

” अंकल प्लीज आज की ही बात है बस, ड्रेस कोड के बिना अच्छा नही लगेगा, आप भी मेरे साथ आइए और आपको भी मैं कुर्ता पायजामा दे देती हु।

नाजिम उसका दिल नही तोड़ सका और दोनो उसके साथ चल दिए और मेघा उसे अपने कमरे में ले गई और एक साड़ी उसे दी और बोली:

” लो जल्दी से पहन कर नीचे आ जाना तुम। अंकल ये आपके लिए हैं कुर्ता , आप बगल वाले कमरे मे चले जाइए।

नाजिम अपना कुर्ता पायजामा लेकर चला गया और नजमा बोली:”

” मेघा मुझे तो साड़ी बांधनी भी नहीं आती है। तुम मदद करो ना मेरी इसे बांधने में।

मेघा उसकी साड़ी बांधने लग गई और नजमा के लंबे तगड़े शरीर के आगे साड़ी हल्की सी छोटी थी। साड़ी बांधने के बाद मेघा को कॉल आ गया और वो बोली:

” नजमा तुम चेक करो और आ जाना, मुझे जरूरी काम है अभी आती हूं।

इतना कहकर मेघा चली गई और नजमा अपनी साड़ी देखने लगी और उसने खुद को शीशे में देखा तो बुरी तरह से शर्मा गई क्योंकि साड़ी में उसके दोनो हाथ कंधो तक पूरे नंगे थे और ब्लाउस उसकी पपीते के आकार की चुचियों पर पूरा कसा हुआ था और नीचे से अपना नंगा पेट देखकर नजमा को अपनी सांसे रुकती हुई महसूस हुई। नाजिम ने कुर्ता पायजामा पहन लिया और बाहर नजमा के आने का इंतजार कर रहा था और अंदर नजमा बाहर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। हिजाब में रहने वाली लड़की भला इतने सारे लोगो के बीच और अपने सगे बाप के सामने कैसे जायेगी ये सोचकर उसकी सांसे बढ़ी हुई थी और और तभी मेघा का कॉल आया कि जल्दी आओ नजमा केक काटा जाएगा अब।

नजमा ने अब हिम्मत करके अपने कमरे से निकलने का फैसला किया और जैसे ही धड़कते दिल के साथ बाहर निकली तो नाजिम की नज़र उस पर पड़ी और नजमा का जिस्म क्या रूह तक कांप उठी और शर्म के मारे उसकी नजरे झुक गई और साड़ी का छोटा सा पल्लू भी उसके हाथ से छूट गया और नजमा एक आह भरती हुई कमरे में वापिस चली गई और इसी भागा भागी में साड़ी पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गई और नजमा उसे अंदर ठीक करने लगी लेकिन उससे कहीं हो पा रही थी। बाहर नाजिम पर मानो बिजली सी गिर पड़ी तो और उसकी आंखो ने आज वो देखा जिसकी उसे सपने में भी उम्मीद नहीं थी। अपनी बेटी को ऐसे कपड़ो में देखकर उसे एहसास हो गया था कि उसकी बेटी एक बेहद आकर्षक और कामुक शरीर की मालकिन है। थोड़ी देर नजमा कोशिश करती रही और उससे साड़ी ठीक नहीं हुई तो उसने मेघा को कॉल किया लेकिन मेघा नहीं उठा पाई तो नजमा को एक ही उम्मीद की किरण नजर आई उसका बाप। लेकिन अपने बाप को बुला पाने की हिम्मत उसके अंदर नही थी और उसकी किस्मत अच्छी थी कि बाहर से नाजिम की आवाज आई

” नजमा जल्दी आओ ना बेटी, मेघा इंतजार कर रही होगी।

नजमा ने हिम्मत करके बोला:”

” वो मेरी साड़ी ठीक से नहीं बंध रही है, मेघा फोन भी नही उठा रहीं हैं, समझ नहीं आ रहा क्या करू मैं??

नाजिम के अंदर सीधा अपने बाप से साड़ी ठीक करने के लिए बोलने की हिम्मत नहीं थी इसलिए बातो ही बातो में उसे इशारा कर दिया और नाजिम बोला:”

” बेटी नजमा, अगर तुम चाहो तो क्या एक बार में कोशिश करूं, कोई और रास्ता भी तो नहीं बचा है तुम्हारे पास।

नाजिम ने भी उसकी बात का ध्यान रखते हुए कहा ताकि उसकी बेटी को ज्यादा शर्म महसूस न हो और नजमा की आवाज नही आई तो नाजिम ने फिर से पूछा और एक बार हिम्मत करके नजमा ने थोड़े से खुले हुए गेट को पूरा खोल दिया और नाजिम उसका इशारा समझ कर अंदर गया और नजमा ने शर्म के मारे अपना मुंह दूसरी तरफ एक लिया और नाजिम की आंखो के सामने नजमा की खुली हुई कमर और भारी भरकम पिछवाड़ा था।

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नाजिम की आंखे मानो फट सी गई क्योंकि उसने पहली बार अपनी बेटी को इतने करीब से देखा और जी भर कर देखा। नजमा खड़ी हुई कांप रही थी और नाजिम की हिम्मत उसके दूध से गोरे चिकने बदन को छुने की नही हो रही थी। अंततः हिम्मत करके नाजिम आगे बढ़ा और जैसे ही उसकी साड़ी के पल्लू को पकड़ा तो नजमा की हालत खराब हो गई और उसकी सांसे बहुत तेजी से चलने लगी। नाजिम उसके बिलकुल करीब हुआ और उसकी साड़ी के पल्लू को उसके नंगे कंधे पर रखा तो अपने बाप के सख्त मर्दाना हाथ का एहसास करके नजमा की आंखे बंद हो गई और और नाजिम ने उसकी साड़ी के पल्लू को ब्लाउस की तनी के नीचे फंसा दिया और बोला

” देखो नजमा ठीक हो गया ना अब ?

नजमा उसकी तारीफ घूमी और अपनी गर्दन उपर उठाई और जैसे ही सीधी हुई तो साड़ी का पल्लू एक बार फिर से बाहर निकल आया और नजमा की मस्ती भरी चूंचियां ब्लाउस में नाजिम के सामने आ गई तो नजमा ने शर्म के मारे अपना मुंह दोनो हाथों से छुपा लिया और नाजिम ने आज पहली बार उसकी उन्नत मस्तानी चूचियों के उभार को पास से बिलकुल पास से देखा तो नाजिम की आंखे चौड़ी हो गई क्योंकि किसी की चूंचियां ऐसी उठी हुई भी हो सकती हैं ये नाजिम को अंदाजा नहीं था। नाजिम ने जी भरकर उसकी चुचियों की गहरी लकीर को देखा और फिर से उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ लिया और उसके कंधे पर ले गया तो नजमा जोर से कांप उठी और एक कदम पीछे हट गई तो नाजिम ने उसकी साड़ी का पल्लू थोड़ा आगे होते हुए ब्लाउस में फंसा दिया और लेकिन पल्लू फिर से बाहर निकल गया तो नाजिम बोला

” बेटी नजमा, मुझे लगता हैं कि साड़ी नीचे ज्यादा बंधी है इसलिए दिक्कत हो रही है। नीचे से थोड़ा ऊपर करनी पड़ेगी।

नाजिम की बात सुनकर नजमा को कुछ समझ नहीं आया और बोली:”

” तो कर दीजिए आप जैसे आपको ठीक लगे। मेघा क्या सोचेगी जल्दी कीजिए आप।

नजमा के बोलते ही नाजिम के अपने हाथो को उसके कूल्हों पर रख दिया तो नजमा शर्म के मारे पीछे को खिसक गई और दीवार से सट गई तो उसकी हालत खराब हो गई। नाजिम आगे बढ़ा फिर से उसके कूल्हों पर हाथ रखा और धीरे से उसके कान में बोला:”

” नजमा ज्यादा मत हिलना और थोड़ी सी आगे को हो जाओ। मैं जल्दी ही करता हूं।

नजमा अपने बाप की बात सुनकर आगे को हल्की सी हुई और झुक सी गई जिससे उसकी मादक मनमोहक गांड़ पूरी तरह से उभर कर नाजिम के सामने आ गई कुछ इस तरह

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नाजिम को काटो तो खून नहीं और अपनी सगी बेटी की गांड़ और उसका शरीर नाजिम का ईमान खराब करने पर तुला हुआ था। नाजिम ने हिम्मत करके उसके कूल्हों पर हाथ रखा और जैसे ही साड़ी के अंदर उंगलियां घुसाई तो नजमा के मुंह से आह निकल पड़ी और उसने अपने बाप के हाथ को अपने हाथ से पकड़ लिया मानो रोकना चाहती हो। नाजिम ने कुछ नहीं किया और नजमा को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसकी पकड़ ढीली हुई और नाजिम की उंगलियां अंदर घुस घुस कर जैसे ही उसके जिस्म को छूती हुई साड़ी के पल्लू को पकड़ी तो नाजिम का जिस्म पसीने पसीना हो गया और जैसे ही साड़ी का पल्लू लिए नाजिम का हाथ बाहर आया तो नजमा की उंगलियां उसकी कमर पर बंधी हुई ब्लाउस की डोरी से उलझ गई और एक झटके के साथ उसकी डोरी खुल गई और नजमा की पूरी कमर नंगी होती चली गई और नजमा जोर से सिसक सी पड़ी

” हाय अल्लाह ये क्या हो गया, बचा ले मुझे आज।

ब्लाउस खुलकर उसके कंधो पर अटक सा गया और नाजिम ने अपनी बेटी को चिकनी भरी हुई मांसल पुष्ट कमर को देखा और न चाहते हुए भी उसके लंड ने अंगड़ाई ले ही ली। नजमा की कटावदार सुंदर चौड़ी मजबूत कमर इस बात की गवाही दे रही थी कि नजमा एक पूरी मजबूत लड़की बन गई है। नजमा खुद ही ब्लाउस की डोरी बांधने लगी लेकिन नही बंधी और बार बार कोशिश करने के बाद भी वो सफल नही हुई तो नाजिम ने बिना उसके बोले ही उसकी डोरी को पकड़ा और उसकी कमर पर बांधने लगा और बोला:”

” नजमा तेरी कमर बेहद चिकनी हैं, इसे कसकर बांध देता हूं कहीं बाद में भी ना खुल जाए।

अपने बाप की बात सुनकर नजमा शर्म से मरी जा रही थी और नाजिम ने उसकी कमर को अपने हाथ से थामते हुए डोरी को कसकर बांध दिया लेकिन उसका लंड खड़ा हो गया था और नजमा को आज उसके शरीर पर मजबूत हाथो को मर्दाना एहसास महसूस हो रहा था और भले ही ये हाथ उसके बाप का था लेकिन उसका जिस्म ये सब बेहद पसंद कर रहा था। नाजिम ने डोरी को बांधने के बाद अब साड़ी का पल्लू पकड़ा और नजमा के कंधे पर ले जाने लगा और आगे को खिसका तो उसका खड़ा लंड नजमा की गांड़ पर लगा तो नजमा को दिन में तारे नज़र आ गए और शर्म और उत्तेजना से आगे को हो भी नहीं सकती थी क्योंकि आगे दीवार थी। नजमा को लग रहा था मानो कोई मोटी गर्म रॉड उसकी गांड़ पर लगी हुई थी क्योंकि कपड़ो के अंदर से भी नजमा लंड की गर्मी साफ साफ महसूस कर रही थी नाजिम ने ज्यादा देर ना करते हुए साड़ी का पल्लू उसके ब्लाउस के नीचे उल्टा फंसा कर जोर से कस दिया और फिर उससे अलग हो गया और बोला

” देख लो नजमा ठीक हो गया ना अब बिल्कुल।

नजमा शर्म से लाल सुर्ख हुई धीरे धीरे पलटी और अपने आपको शीशे में देखने लगी और देखा कि पल्लू ठीक हो गया था और उसकी नजर पास खड़े नाजिम पर पड़ी जो उसकी चूचियां देख रहा था तो नजमा की आंखे शर्म से झुक गई और क्योंकि उसकी चूचियां बेहद तेजी से ऊपर नीचे उठ गिर रही थी और नाजिम बोला:”

” जब सांसे ठीक हो जाए तो बाहर आ जाना नजमा, मैं बाहर मिलता हु।

इतना कहकर नाजिम बाहर निकल गया और नजमा शर्म से पानी पानी वही खड़ी रही और अपने सगे बाप की बात सुनकर उसकी सांसे कम होने के बजाय और बढ़ गई। उफ्फ अब क्या होगा, कहां आ फंसी आज।

ये सब सोचते सोचते आखिर में उसकी सांसे ठीक हुई और फिर नजमा बाहर आई और मुंह नीचे किए बिना कुछ बोले अपने बाप के साथ चल पड़ी। पार्टी हॉल में सभी की नजरे नजमा पर ही टिकी हुई थी और नजमा शर्म से लाल थी। नजमा की जवानी कहर बनकर लोगो पर टूट रही थी और आखिर में रात के करीब 11 बजे पार्टी खत्म हुई और दोनो अपने घर लौट आए। आज जो हुआ उसकी वजह से नींद दोनो की आंखो से कोसो दूर थी और अपने अपने विचारो में उलझे हुए थे।

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