You dont have javascript enabled! Please enable it! एक नया संसार – Update 21 | Incest Story - KamKatha
एक नया संसार - Erotic Incest Sex Story

एक नया संसार – Update 21 | Incest Story

अपडेट………《 21 》

अब तक…….

डरी सहमी हालत में वह कुछ देर अपनी माॅ को देखती रही फिर हिम्मत करके वह पलटी और बेड से अपनी माॅ के सारे कपड़े उठा कर उसने बाथरूम के बाहर से ही करुणा की तरफ उछाल दिया। अपने नंगे बदन पर अचानक कपड़ों के पड़ने से करुणा बुरी तरह हड़बड़ा गई। उसकी नज़र पहले खुद के ऊपर गिरे हुए कपड़ों पर पड़ी फिर बाथरूम के गेट पर डरी सहमी खड़ी अपनी बेटी पर। दिव्या पर नज़र पड़ते ही वह चौंकी। एकाएक ही उसे अपनी नग्नता का एहसास हुआ। उसने हड़बड़ाकर अपने नंगे बदन को छिपाने के लिए उन कपड़ों से अपने बदन के गुप्तांगों को ढॅका। जबकि बाथरूम के गेट पर खड़ी दिव्या सीघ्र ही अपनी नज़रें अपनी माॅ पर से हटा कर वापस पलट गई। बाहर शिवा की धुनाई और उसकी दर्द में डूबी हुई चीखें चालू थी। कुछ देर बाद करुणा अपने कपड़े पहन कर बाथरूम से बाहर निकली और बेड पर बैठी अपनी बेटी दिव्या को देख कर उसके जिस्म में एक अजीब सी झुरझुरी महसूस होती चली गई। चेहरे पर लाज और शर्म की लाली फैल गई और उसका सिर झुक गया। अपनी ही बेटी से नज़र मिलाने की हिम्मत न हुई उसमें।

“मम्मी।” दिव्या बेड से उठकर तथा दौड़ते हुए आकर अपनी माॅ से लिपट गई। उसकी आॅखों से आॅसू बहने लगे थे। करुणा को समझ न आया कि वह अपने सीने से लिपटी तथा आॅसू बहाती बेटी से क्या कहे?? उसके दिलो दिमाग़ में अंधड़ सा मचा हुआ था। कमरे के बाहर से अब कोई आवाज़ नहीं आ रही थी। शायद अभय शिवा को लेकर जा चुका था।

करुणा कुछ पल बुत बनी खड़ी रही फिर जाने क्या सोच कर उसने अपने सीने से दिव्या को अलग करके कहा__”जाओ अपने कमरे में और अपनी इस स्कूली ड्रेस को चेंज कर लो।”

दिव्या ने अजीब भाव से अपनी माॅ के चेहरे की तरफ देखा, और फिर पलट कर कमरे से बाहर निकल गई। इधर दिव्या के जाते ही करुणा के चेहरे पर एकाएक पत्थर जैसी कठोरता आ कर ठहर गई। ऐसा लगा जैसे उसने किसी बात का बहुत बड़ा फैंसला कर लिया हो।

अब आगे,,,,,,,

अभय गुस्से में तथा भभकते हुए अजय सिंह के घर से बाहर आकर अपने घर की तरफ जाने लगा। अभी वह अपने घर की बाउंड्री पार ही किया था कि उसे उसकी बेटी दिव्या भागते हुए घर से बाहर उसकी तरफ ही आती दिखी। बुरी तरह रोये जा रही थी वह। अभय को देख कर वह उससे रोते हुए लिपट गई, फिर तुरंत ही अपने पिता से अलग हुई।

“पापा वो म मम्मी…मम्मी ने।” दिव्या रोये जा रही थी। उसके मुख से कुछ निकल ही नहीं रहा था।

“क्या हुआ बेटी…क्या कह रही है तू?” अभय अंजानी आशंका से घबरा गया।

“पापा, वो मम्मी कमरे का दरवाजा ही नहीं खोल रही हैं।” दिव्या ने रोते हुए कहा__”मैने बहुत बार मम्मी को पुकारा लेकिन मम्मी न तो दरवाजा खोल रही हैं और ना ही कुछ बोल रही हैं। पापा मम्मी ने कहीं कुछ कर तो नहीं लिया? आप उन्हें बचा लीजिए जल्दी से।”

“क्याऽऽऽ???” अभय बुरी तरह चौंका, और साथ ही दौड़ पड़ा घर के अंदर की तरफ। उसके पीछे दिव्या भी रोते हुए दौड़ पड़ी थी।

अभय जितना तेज़ दौड़ सकता था उतना तेज़ दौड़ कर ही उस कमरे के पास पहुॅचा था जिस कमरे के अंदर करुणा थी।

“करुणाऽऽऽ दरवाजा खोलो।” अभय ने चीखते हुए कहा__”ये क्या बेवकूफी है??? दरवाजा खोलो जल्दी। करुणाऽऽऽ।”

अभय के चिल्लाने का कोई असर न हुआ। वह कुछ देर इसी तरह करुणा को पुकारता रहा। मगर ना तो दरवाजा खुला और ना ही अंदर से करुणा ने कुछ कहा। अभय को किसी अनिष्ट की आशंका हुई। उसने दरवाजे को तोड़ने की कोशिश करने लगा।

“करुणा, प्लीज दरवाजा खोलो।” अभय दरवाजे को तोड़ने के साथ साथ कहता भी जा रहा था__”ये तुम क्या पागलपन कर रही हो? अगर तुम ये समझती हो कि इस सबमें तुम्हारा कोई दोस है तो तुम ग़लत समझ रही हो करुणा। तुम मेरी करुणा हो, मुझे तुम पर खुद से भी ज्यादा भरोसा है। तुम कभी ग़लत नहीं हो सकती। मैं जानता हूॅ कि उस हरामज़ादे ने ही तुम्हें ग़लत इरादे से देखने की कोशिश की है। तुम तो उसे अपना बेटा ही मानती हो करुणा। तुम कहीं भी ग़लत नहीं हो, प्लीज ऐसा वैसा कुछ मत करना।”

अभय पूरी शक्ति से कमरे के दरवाजे को तोड़ने के लिए धक्के मार रहा था। पास में ही उसकी बेटी दिव्या भी खड़ी थी, जो सिसक सिसक कर रोये जा रही थी। अंदर ही किसी कमरे में शगुन के रोने की भी आवाज़ आ रही थी। लेकिन उसके रोने की तरफ किसी का ध्यान नहीं था।

“तुम मुझे सुन रही हो न करुणा?” अभय अधीर भाव से कह रहा था__”तुम्हें मेरी कसम है, तुम कोई भी ग़लत क़दम नहीं उठाओगी। तुम मेरी जान हो करुणा, तुम्हारे बिना जीने की मैं सोच भी नहीं सकता। तुम्हें ये सब करने की या सोचने की कोई ज़रूरत नहीं है। तुम मेरी नज़र में उसी तरह गंगा की तरह पवित्र हो करुणा। प्लीज ऐसा वैसा कुछ मत करना, वर्ना तुम्हारी कसम सारी दुनियाॅ को आग लगा दूॅगा मैं।”

बड़ी मुश्किल से और भीषण प्रहार के बाद आख़िर दरवाजा टूट ही गया। कमरे के अंदर की तरफ टूट कर गिरा था दरवाजा। अभय ने एक भी पल नहीं गॅवाया। बिजली की सी तेज़ी से वह कमरे के अंदर दाखिल हुआ। और…….

“न नहींऽऽऽऽ।” अभय के हलक से चीख निकल गई। कमरे में पहुॅचते ही उसने देखा कि करुणा कमरे की छत पर लगे पंखे के नीचे रस्सी के सहारे झूल रही थी। रस्सी का फंदा उसके गले में था तथा रस्सी का दूसरा सिरा कमरे की छत पर बीचो बीच लगे लोहे के कुंडे में फॅसा था। नीचे फर्स पर एक स्टूल लुढ़का हुआ पड़ा था।

स्पष्ट था कि करुणा ने आत्म हत्या करने के लिए ही ये सब किया था। वह इस घटना के बाद खुद को ही इस सबका दोसी मानती थी। वो समझती थी कि अब वह किसी को मुॅह दिखाने के काबिल नहीं रही है। वह समझती थी कि इस सबके बाद उसके पति उसे ग़लत समझेंगे। शायद इसी वजह से उसने ये क़दम उठाया था।

अभय बुरी तरह उसके पैरों से लिपटा रोये जा रहा था, उसकी बेटी दिव्या का भी वही हाल था। अचानक अभय को जाने क्या सूझा कि उसने तुरंत ही बेड को खींचा और करुणा के पैरों के नीचे उसी लुढ़के पड़े स्टूल को रखा। जिससे करुणा के गले में फॅसा रस्सी का फंदा टाइट न हो। अभय खुद बेड पर चढ़ गया और करुणा के गले से रस्सी के फंदे को छुड़ाने लगा।

कुछ ही पल में करुणा के गले से रस्सी का फंदा निकल गया। करुणा के गले में फंदा फॅसा हुआ था जिसकी वजह से करुणा की आॅखें व जीभ बाहर आ गई थी। अभय ने करुणा को अपने दोनो हाथों से सम्हाल कर उसी बेड पर आहिस्ता से लिटाया, और करुणा की नब्ज चेक करने लगा। अभय ये महसूस करते ही खुश हो गया कि करुणा की नब्ज अभी चल रही है। मतलब उसने करुणा को सही समय पर सही सलामत बचा लिया था। अगर थोड़ी देर और हो जाती तो शायद भगवान भी करुणा को मौत से बचा नहीं पाते। अभय ने खुश हो कर करुणा को खुद से चिपका लिया। दिव्या भी दौड़ कर अपनी माॅ से लिपट गई।

करुणा अभी बेहोशी की अवस्था में थी। अभय के कहने पर दिव्या ने तुरंत ही एक ग्लास में पानी लाकर अभय को दिया। अभय उस पानी से हल्के हल्के छीटे डालकर करुणा को होश में लाने की कोशिश करने लगा। कुछ ही देर में करुणा को होश आ गया। उसने गहरी गहरी साॅसे लेते हुए अपनी आॅखें खोली। सबसे पहले नज़र अपने पति पर ही पड़ी उसकी। वस्तुस्थित का ख़याल आते ही उसका चेहरा बिगड़ने लगा। आॅखों से आॅसू बहने लगे।

“मुझे क्यों बचाया अभय आपने?” फिर उसने उठकर रोते हुए कहा__”मुझे मर जाने दिया होता न। इस सबसे मुक्ति तो मिल जाती मुझे।”

“तुमने ये सब करने से पहले क्या एक बार भी नहीं सोचा था करुणा कि तुम्हारे बाद मेरा और हमारे बच्चों का क्या होता?” अभय ने भर्राए स्वर में कहा__”तुमने क्या सोच कर ये सब किया करुणा? क्या तुम ये समझती थी कि इस सबकी वजह से मैं तुम पर किसी प्रकार का शक या तुम पर कोई लांछन लगाऊॅगा?? नहीं करुणा नहीं..हमारा प्यार इतना कमज़ोर नहीं है जो इतनी सी बात पर तुम्हें मुझसे जुदा कर देगा। मुझे तो हर हाल में तुम पर यकीन है करुणा लेकिन शायद तुम्हें मुझ पर यकीन नहीं रहा। तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं था, अगर होता तो इतना बड़ा फैसला नहीं करती तुम।”

“मुझे माफ कर दीजिए अभय।” करुणा ने रोते हुए कहा__”मैं जानती हूॅ कि आपको मुझ पर हर तरह से भरोसा है। मगर हालात ऐसे बन गए थे कि मुझे यही लग रहा था कि इस सबकी वजह से मैं अब कहीं भी किसी को मुह दिखाने के काबिल नहीं रही। इसी लिए मैं इस सबको सहन नहीं कर पाई और खुद को खत्म करने का फैसला कर लिया था।”

“आज अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो।” अभय ने एकाएक ठंडे स्वर में कहा__”मैं उस हरामज़ादे को ज़िंदा नहीं छोंड़ता जिसकी वजह से ये सब हुआ।”

“मुझे नहीं पता था अभय कि वो कमीना मुझे इस नज़र से देखता है।” करुणा ने कहा__”अगर पता होता तो कभी उसे इस घर में घुसने ही नहीं देती।”

“पापा, शिवा भइया बहुत गंदे हैं।” सहसा इस बीच दिव्या ने भी हिम्मत करके कहा__”वो अक्सर अकेले में मुझे गंदी नज़र से देखते हैं।”

“क्याऽऽ???” अभय बुरी तरह उछल पड़ा, फिर गुर्राते हुए बोला__”उस हरामखोर की ये हिम्मत थी की वो मेरी बेटी को भी गंदी नज़र से देखता था?? नहीं छोंड़ूॅगा उस नीच और घटिया इंसान को, अभी उसे जान से मार दूॅगा मैं।”

अभय ये सब कह कर बेड से उठने ही लगा था कि करुणा ने हड़बड़ा कर तुरंत ही अभय का हाॅथ पकड़ लिया, फिर बोली__”नहीं अभय, आप ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे। जो कुछ हुआ उससे ये तो पता चल ही गया है कि वो कैसा लड़का है। इस लिए अब उससे कोई मतलब नहीं रखेंगे हम, और ना ही उसे इस घर में आने देंगे।”

“करुणा उस नीच की हिम्मत तो देखो,वो हमारी इस नन्हीं सी बच्ची के बारे में भी ऐसी नीयत रखता है।” अभय ने मारे गुस्से के उफनते हुए कहा__”उसने एक बार भी नहीं सोचा होगा कि वो ये सब क्या सोचता है और करने का इरादा रखता है? नहीं करुणा, ऐसे नीच और गिरी हुई सोच वाले लड़के को एक पल भी जीवित रखना पाप है। मुझे भइया भाभी की कोई परवाह नहीं है, मैं उसे किसी भी कीमत पर अब ज़िंदा नहीं छोंड़ूॅगा।”

“नहीं अभय, प्लीज रुक जाइए। आपको मेरी कसम।” करुणा ने भारी स्वर में कहा__”सबसे पहले हमें उसके माता पिता से इस बारे में बात करना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि उनका बेटा कैसी सोच रखता है अपने ही घर की माॅ बहनों के लिए। जल्दबाज़ी में उठाया हुआ क़दम अच्छा नहीं होता अभय। खुद को शान्त कीजिए”

“मैं भाभी से बोल आया हूॅ कि आज के बाद अगर उनके इस नीच बेटे ने मेरे घर की तरफ देखा भी तो उसके लिए अच्छा नहीं होगा।” अभय ने कहा।

“ये आपने अच्छा किया।” करुणा ने कहा__”दीदी ज़रूर इस संबंध में बड़े भइया से बात करेंगी।”

“हमसे बहुत बड़ी ग़लती हुई है करुणा।” अभय ने एकाएक अधीर होकर कहा__”आज मुझे एहसास हो रहा है कि क्यों मेरी देवी समान गौरी भाभी हम सबको छोंड़ कर इस हवेली से अलग खेतों में बने उस मकान पर रहती थी? सिर्फ इसी हरामज़ादे की वजह से करुणा। उस रात विराज आया था मुम्बई से, और सुबह उसने ही शिवा को मार मार कर अधमरा किया था। तब हमने सोचा था कि उसने बेवजह ही किसी खुंदक में शिवा को मारा था। जबकि अब मुझे सब बातों की समझ आई है कि क्यों विराज ने शिवा को मारा था?”

“क्या मतलब है आपका?” करुणा चौंकी।

“इसी नीच की वजह से करुणा।” अभय ने आवेश में कहा__”ये तो समझ ही गई हो तुम कि शिवा अपने ही घर की माॅ बहनों के बारे में ऐसी नीयत रखता है। उसने उसी नीयत से गौरी भाभी और हमारी फूल सी बच्ची निधि पर भी यही सब किया रहा होगा। इसी वजह से ये सब हुआ है।”

“लेकिन अगर ऐसी बात थी तो।” करुणा ने सोचने वाले भाव से कहा__”गौरी दीदी को इस बारे में बड़ी दीदी और बड़े भइया को बताना चाहिए था। अगर वो ये सब उनसे बताती तो वो अपने बेटे पर लगाम लगाती। लेकिन वो तो हवेली ही छोंड़ कर खेतों वाले मकान में गुड़िया के साथ रहने लगी थी। क्या सिर्फ इतनी सी बात की वजह से??”

“वजह तो हमें यही बताया था भइया भाभी ने कि गौरी भाभी ने प्रतिमा भाभी के कमरे से उनके जेवर चुराए थे।” अभय ने कहा__”और इतना ही नहीं बल्कि बड़े भइया को अपने रूप जाल में फसाने की कोशिश भी की थी। इस लिए बड़े भइया ने उन लोगों को हवेली से निकाल दिया था।”

“हाॅ तो ग़लत क्या था अभय?” करुणा ने अजीब भाव से कहा__”गौरी दीदी ने तो सच में बड़े भइया के साथ ग़लत करने की कोशिश की थी। इस सबका सबूत भी दिखाया था प्रतिमा दीदी ने हम लोगों को। उन फोटोग्राफ्स में साफ साफ दिखता था कि कैसे गौरी दीदी ने बड़े भइया को उनके ही कमरे में अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था।”

“क्या ये स्वाभाविक बात लगती है करुणा कि बड़े भइया गौरी भाभी के साथ उस स्थित में हों और दूसरा कोई उस स्थिति में उनकी फोटो खींचे?” अभय ने सोचने वाले भाव से कहा__”जबकि उस स्थिति में होना तो ये चाहिए था कि अगर गौरी भाभी ने बड़े भइया को ग़लत नीयत से जकड़ा हुआ था तो इस सबका बड़े भइया विरोध करते, और गौरी भाभी को इस सबके लिए डाॅटते। दूसरी बात उन लोगों की उस वक्त की फोटो बनाने वाला कौन था?? अगर फोटो खींचने वाली प्रतिमा भाभी थी तो उन्हें फोटो खींचने की बजाय इस सबको रोंकना था। आखिर फोटो खींचने के पीछे उनका क्या उद्देश्य था? क्या सिर्फ ये कि हम सब उन फोटोज़ को देख कर ये यकीन कर सकें कि गौरी भाभी सच में बड़े भइया के साथ ये सब करने की नीयत रखती हैं या ये सब करती भी हैं???”

“आप कहना क्या चाहते हैं अभय??” करुणा ना समझने वाले भाव से बोली।

“आज के इस हादसे से मेरे सोचने का नज़रिया बदल गया है करुणा।” अभय ने गंभीर लहजे में कहा__”हम सब जानते थे कि विजय भइया और गौरी भाभी किसी देवी देवता से कम नहीं थे। उन्होंने भूल से भी किसी के साथ कभी भी कुछ ग़लत नहीं किया था। वो पढ़ाई लिखाई में भले ही ज़ीरो थे, लेकिन जब से उन्होने खेती बाड़ी का काम सम्हाला था तब से हमारे घर के हालात हज़ार गुना बेहतर हो गए थे। यहाॅ तक कि उनकी मेहनत और लगन से किसी भी चीज़ की कभी कोई कमी न रही थी। उनकी ही मेहनत और रुपये पैसे से इतनी बड़ी हवेली बनी और उनके ही पैसों से बड़े भइया ने अपने कारोबार की बुनियाद रखी थी। माॅ बाबूजी विजय भइया और गौरी भाभी को सबसे ज्यादा मानते थे। विजय भइया और गौरी भाभी ने कभी भी मुझे किसी बात के लिए कुछ नहीं कहा, बल्कि विजय भइया ने तो उस समय के हिसाब से मुझे एक बुलेट मोटर साइकिल खरीद कर दी थी। पूरे गाॅव में किसी के पास बुलेट नहीं थी। इतना ही नहीं उन्होंने अपने ही पैसों से बाबूजी के लिए एक शानदार कार खरीदी थी ताकि बाबूजी बड़े शान से उसमें सवारी करें। घर का बड़ा बेटा होने का जो फर्ज़ अजय भइया को निभाना चाहिये था वो फर्ज़ विजय भइया निभा रहे थे वो भी अपनी पूरी निष्ठा के साथ। मुझे याद है करुणा कि अजय भइया और प्रतिमा भाभी कभी भी विजय भइया और गौरी भाभी से ठीक से बात नहीं करते थे। बल्कि उनके हर काम में कोई न कोई नुक्स निकालते ही रहते थे। फिर समय गुज़रा और एक रात विजय भइया को किसी ज़हरीले सर्प ने काट लिया और वो इस दुनिया से चल बसे। उनके इस दुनिया से जाते ही हम सबकी खुशियों पर ग्रहण सा लग गया करुणा। माॅ बाबूजी को उनकी मौत से गहरा सदमा लगा था। हम सब उनके सदमे की वजह से परेशान हो गए थे। बड़े भइया और भाभी ने ही उन्हें सम्हाला था। एक दिन माॅ बाबूजी उसी कार से शहर जा रहे थे तो रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया और वो दोनो उस एक्सीडेंट की वजह से कोमा में चले गए। समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा था हम सबके साथ?”

“इन सब बातों को सोचने का क्या मतलब है अभय?” करुणा ने कहा__”जो होना था वो तो हो ही गया। इसमें कोई क्या कर सकता था भला?”

“मैं ये सब कभी नहीं भूला करुणा।” अभय ने कहा__”मैं कभी किसी से कुछ कहता नहीं मगर मेरे अंदर हमेशा ये सब गूॅजता रहता है। आज के इस हादसे ने मेरी आॅखें खोल दी है करुणा। इस हादसे ने ये सोचने पर मजबूर कर दिया है मुझे कि ये जो कुछ भी हुआ वो सब क्या सच था या फिर किसी झूॅठ को छुपाने के लिए उस पर इन सब बातों को गढ़ कर पर्दा डाला गया था? ये तो सच है करुणा कि माॅ बाप का खून और उनके अच्छे संस्कारों की वजह से ही कोई औलाद सही रास्तों पर चलते हुए भविश्य में अपने अच्छे काम और नाम की वजह से अपने माॅ बाप और कुल का नाम रोशन करते हैं। शिवा को देख कर अंदाज़ा लगाना कोई मुश्किल नहीं है कि उसकी परवरिश और उसके खून में कितनी गंदगी है। दुनियाॅ में बहुत से ऐसे माॅ बाप हैं जिनके एक ही बेटा होता है मगर वो अपने एक ही बेटों को क्या ऐसे संस्कार देते हैं जिसकी वजह से वो अपने ही घर की माॅ बहनो पर बुरी नीयत रखे?? नहीं करुणा नहीं….कम से कम मेरी जानकारी में तो ऐसे माॅ बाप और ऐसे बेटे नहीं हैं। ज़रूर इनमें ही कहीं न कहीं कोई ख़राबी है। मैने फैंसला कर लिया है कि मैं खुद सारी सच्चाई का पता लगाऊॅगा।”

“सच्चाई???” करुणा चौंकी__”कैसी सच्चाई अभय?”

“वहीं सच्चाई करुणा।” अभय ने मजबूत लहजे में कहा__”जो हमसे छुपाई गई और उसके बदले कुछ और ही हमें दिखाया गया। उस समय मैंने इस सबका पता करने की कोशिश इस लिए नहीं की थी क्यों जो कुछ मुझे सबूत के साथ दिखाया गया था उससे मैं अत्यधिक क्रोध और गुस्से में था। उस सूरत में मैं उन लोगों की शकल तक नहीं देखना चाहता था। मगर अब नहीं, अब मैं पता लगाऊॅगा इस सबका। मैं मुम्बई जाऊगा करुणा…और गौरी भाभी तथा उनके दोनो बच्चों को ढूढूॅगा। उनसे ही सच्चाई का पता चलेगा। मैने अपने गुस्से और नाराज़गी की वजह से इतने साल बर्बाद कर दिये। कभी सोचा तक नहीं कि एक बार गौरी भाभी से भी पूछ लेना चाहिए कि उन पर जो आरोप लगाया गया था वो सच भी था या झूॅठ? काश! मैंने ये सब उनसे पूछा होता। अरे कानून भी हर मुजरिम को अपनी सफाई में कुछ कहने का अवसर देता है, जबकि मैंने तो पूॅछा तक नहीं था। मान लो कि अगर गौरी भाभी पर लगाए गए सारे आरोप सिरे से ही ग़लत हों तो सोचो क्या होगा करुणा? मैं अपनी ही नज़रों में गिर जाऊॅगा। कितना बड़ा पापी कहलाऊॅगा कि अपनी देवी समान भाभी पर लगे झूॅठे आरोपों को सच मान कर उनके बारे में क्या क्या सोच लिया था मैंने?? मुझे नरक में भी जगह नहीं मिलेगी करुणा….मैं तो शर्म से ही मर जाऊॅगा।”

“खुद को सम्हालिए अभय।” करुणा की आॅखें छलक पड़ी थी__”यकीनन हमसे बहुत बड़ी भूल हो गई है। मगर अब जो हो गया उसे लौटाया भी तो नहीं जा सकता न? ईश्वर जानता है कि इस सबके बाद भी हमने कभी उनका बुरा नहीं चाहा है। हमें जो कुछ बताया गया था उससे हमें दुख ज़रूर पहुॅचा मगर इसके बावजूद हमने कभी उनके बारे में बुरा नहीं चाहा। आज आपने अगर इस सबका पता लगाने का फैसला कर ही लिया है तो ये अच्छी बात है अभय। सच्चाई का पता तो चलना ही चाहिए।”

“तुम चिन्ता मत करो करुणा।” अभय ने कहा__”मैंने अब इस बात को जानने का फैसला कर लिया है कि इस सबके पीछे की सच्चाई क्या है। मैं कल ही स्कूल में लम्बी छुट्टी की अर्ज़ी दे दूॅगा। अब मेरे पास सिर्फ यही काम रहेगा..किसी भी हाल में सच्चाई का पता लगाना।”

“आप हर सच्चाई का ज़रूर पता लगाइये अभय।” करुणा ने कहा__”लेकिन इस बात का भी ध्यान दीजिए कि वो लोग भी शान्त नहीं बैठेंगे जिन्होंने गौरी दीदी पर ये सब आरोप लगाये थे।  संभव है कि अपनी पोल खुल जाने के डर से वो कोई भी कठोर कदम उठा लें। इस लिए उन लोगों से सतर्क और सावधान रहिएगा।”

“चिन्ता मत करो करुणा।” अभय ने कठोर भाव से कहा__”मुझे पता है कि अपने रास्ते पर आने वाली रुकावट से कैसे निपटना है।”

“फिर भी सावधान रहिएगा।” करुणा ने कहा__”क्योंकि इस सबसे ये तो समझ आ ही गया है कि वो लोग किसी के साथ कुछ भी कर सकते हैं।”

“कुछ भी करने वालों को मैं देख लूॅगा करुणा।” अभय ने कहा__”मेरे मुम्बई जाने के बाद तुम यहाॅ सबकी देख भाल अच्छे से करना। दिव्या तब तक स्कूल नहीं जाएगी जब तक मैं मुम्बई से लौट नहीं आता।”

“क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम सब ही मुम्बई चलें?” करुणा ने कहा__”कौन जाने आपके जाने के बाद यहाॅ कैसे हालात बन जाएॅ? उस स्थिति में मैं अकेली औरत भला किसी का कैसे मुकाबला करूॅगी??”

“मैं तुम सबको मुम्बई नहीं ले जा सकता क्योंकि मुम्बई में तुम लोगों को लिए मैं कहाॅ कहाॅ भटकूॅगा? अंजान शहर में अपना कहीं कोई ठिकाना भी तो होना चाहिए।” अभय ने कहा__”इस लिए तुम ऐसा करो कि कुछ दिन के लिए दिव्या और शगुन को लेकर अपने मायके चली जाओ। वहाॅ तुम सब सुरक्षित रहोगे, और मैं भी तुम लोगों के लिए निश्चिंत रहूॅगा।”

“हाॅ ये ठीक रहेगा।” करुणा ने कहा__”आप मेरे भाई को फोन कर दीजिए वो आ जाएगा और हम लोगों को अपने साथ ले जाएगा।”

“ठीक है।” अभय ने कहा__”मैं बात करता हूॅ तुम्हारे भाई से, तब तक तुम ज़रा चाय तो बना कर पिला दो मुझे।”

“जी अभी लाई।” करुणा ने बेड से उठते हुए कहा।

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