मां और मेरी शुरुआत की वो ठंडी रात – Update 10
मैं जैसे ही उनके चूचों से मुंह हटा ऊपर की ओर उनके होंठों पर जाने लगा था के मेरे लन्ड का टोपा मां की चूत के होंठों में फस गया था और लोड़ा नीचे की ओर बैंड हो गया था पर मैं बिना किसी झिजक के अपने होंठ मां के होंठों के पास ले जाकर उन्हें होंठ रखने का इशारा कर रहा था।
इधर मेरे होंठ मां के होंठों पर रख उन्हें रसपान कर रहे थे उधर नीचे लोड़ा मां की चूत रूपी होंठों पर बैठ उसे माल का रसपान करवा रहा था। क्या नजारा था वो भी।
अब धीरे धीरे मेरे होंठो मां के रसीले होंठों पर कसते जा रहे थे और जीभ उनकी जीभ पर फिरती जा रही थी जो हम दोनो को पागल कर रही थी। ये दूध पीने पिलाने का सही बहाना था जो हम दोनो के होंठों के मिलन का कारण बना था।
लेट कर मां के होंठ चूमता हुआ मैं अपनी आखें बंद कर गया और अपने एक हाथ को उनके चूचों पर ही रख होले होले से दबाने लगा। मां तो बस किसी सेक्स की रानी की तरह अपने हर कामुक अंग को छुआकर मजे ले रही थी। उनके चूचे , होंठ, चूत हर अब मेरे जिस्म की किसी न किसी चीज की पकड़ में था। बस एक उनकी प्यारी गांड़ ही थी जो आजाद थी उस पल मेरी पकड़ से।
हमारी ये सिलसिला करीब 5-6 मिनट तक यूंही चला और हम दोनों आखें बंद कर इस पल का मजा लेते रहे। मेरा एक हाथ अब भी आजाद था तो मैनें धीरे से उस हाथ से भी मां को जकड़ते हुए उसे उनकी बेहद कोमल गांड़ पर टिका फेरने लगा। मेरे गांड़ पर हाथ फेरते फेरते फिर से ये सिलसिला शुरू हुआ और हम दोनो एक लंबे समय तक यूंही चिपके रहे और एक दूजे से गरमाहट लेते रहे।
अब धीरे से उनकी गांड़ पर हाथ फेरते फेरते मैंने एक उंगली उनकी छेद के पास रख सीधा बिना किसी सोच के उतार दी और मां एक दम झटका सा ख़ाके कांपी और अपने होंठ मेरे होंठो पर दबा चूसने लगी के अगले ही पल उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया जिसका अंदाजा मुझे मां के एक दम होंठ छोड़ तेज तेज सांसे भरने से हुआ और नीचे मेरा लन्ड जो उनके चूत के होंठों पर बैठा था वो भी भीगने लगा।
मां के एक दम कांपने से मैं जैसे था वैसे ही रुक गया और उनकी चूत को पूरा रस बाहर निकाल देने का इंतजार करने लगा और होले से उनके सर पर हाथ रख फेरने लगा ठीक वैसे ही जैसे मां ने मेरे माल छूटने पर फेरा था।
मां के सांसे धीरे धीरे नॉर्मल हुई पर उन्होंने अपनी आंखो को बंद ही रखा और मेरे हाथ फेरने से जैसे किसी बच्चे की तरह वो शांत सी हुई और अगले ही पल कुछ यूं हुआ के एक दम से मां उठ खड़ी हुई और मुझे भी उठा दिया।
हुआ ये के मां के इस तरह शांत के कुछ ही पल बाद मां की चूत से एक दम तेजी से गर्म मूत की धारा सी बही जिसने मेरे लन्ड पर कब्जा जा बना उसे पूरा भीगा दिया। अचानक से ही इतने प्रेशर से मूत निकलने से मां के मुंह से एक तेज सी आवाज सी आई – आह, उह…..बेटा….
मां को मानो जैसे बीच में ही पेशाब निकल गया। शायद वो काफी लंबे टाइम बाद इस सुख को प्राप्त कर रही थी जो उनकी चूत ने काबू ना किया और माल चोदने के कुछ ही पलों बाद मूत की तेज धारा ने सब कुछ नीचे भीगा के रख दिया।
मां के तेज मूत निकलने से आई आवाज के तुरंत बाद ही मां एक दम उठ खड़ी हुई और मेरा हाथ पकड़ मुझे भी उठा लिया और बोली – सॉरी सॉरी बेटा, वो , वो बस एक दम अचानक से आ गया।
मैं मां को अपने सीने में लगा के बोला – अरे कोई बात नहीं मां, ठंडी है हो जाता है कभी कभी।
मां मेरे गले लग कर ही – हां पर ऐसे बीच में नहीं होता ना कभी।
मैं – आपने कोनसा कपड़े पहने हैं मां जो बीच में हो गया हो।
फिर 3-4 मिनट तक मां यूंही मेरे गले लगी रही चुपचाप और अपने मन में कुछ न कुछ सोचती रही। और थोड़ी देर बाद बोली
मां – हां, देख मेरी गलती से तेरी टांगों पर भी सारा पेशाब गिर गया मेरा।
मैं – कोई बात नहीं, मैं धो लेता हूं।
मां – नहीं नहीं बेटा, मेरी वजह से हुआ है ये सब , मैं धो देती हूं।
मां ने फिर साइड राखी बाल्टी में से ठंडा पानी उठाया और मेरे पेट पर जैसे ही डाला के ठंड के मारे मैं सिसकी भर बैठा और मां बोली – ज्यादा ठंडा लग रहा है क्या?
मैं – हां मां।
मेरे ये बोलते ही मां ने अपने हाथ से मेरे पेट पर लगे पानी को पोछा।
मां ने फिर दूसरा डब्बा भरा और हल्का सा झुक कर पेट के ठीक नीचे मेरे खड़े लन्ड पर पानी डाला के मैं फिर से ठंड से सिसका तो मां ने ठीक वही किया जिसका मैनें अंदाजा लगाया था, मां ने अपने हाथ से मेरे लन्ड पर लगे पानी को झाड़ा , उन्होंने लन्ड पर हाथ तो लगाया पर ऐसे नहीं जैसे अच्छे से पकड़ा हो, उन्होंने तो बस साफ करने के नाम मात्र ही हाथ लगाया और फिर नीचे झुक और पानी का डब्बा भर टांगों पर डालने लगी।
फिर वो नीचे बैठ गया और एक हाथ से डब्बे से पानी मेरी टांगो पर डालती तो दूसरे हाथ से टांग को घिस कर साफ करने लगी ठीक वैसे ही जैसे कोई मां अपने छोटे बच्चे को नेहलाते वक्त करती है। टांगे अच्छे से मां साफ कर ही रही थी के मैं अपने टट्टों की तरफ मां को इशारा करते हुए बोला – मां यहां पर चिप चिप सा लग रहा है।
मां ने मुंह ऊपर उठाया और देखा तो मेरे टट्टो पर लगे बाल मां के रस से चिप चिपे हो रखे थे। उन्होंने उसपर पानी डाला और हल्का हल्का सा कर उसे घिसने लगी के मेरी सी की आवाज सी निकली।
मां का शायद अभी कुछ पल पहले ही माल छुट गया था इसलिए वो एकदम शांत सी थी और लन्ड पर हाथ लगाने का मोका मिलने पर भी उन्होंने उसे अच्छे से छुआ नहीं था। शायद वो अभी अपने मन में ये सोच रही थी के चूत से पानी छुड़वा बैठी हूं वो भी अपने ही बेटे से, शायद उन्हें इस बात की गिल्ट फिल हो रही थी। अब मैं उनके मन को तो नहीं पढ़ सकता था बस अंदाजा ही लगा रहा था के शायद ऐसा कुछ हुआ होगा।
मां ने मेरे टट्टे साफ किए और फिर खड़ी होकर बाल्टी में देखा तो सिर्फ थोड़ा सा ही पानी बचा था जिस से उन्हे अभी अपनी पूरी टांगे और चूत को धोना था।
मेरे शरीर को धो कर अब वो मेरे सामने खड़ी हो बाल्टी से एक डब्बा पानी का भर बोली – अब यही आखरी डब्बा बचा है पानी का।
मैं – ये टूंटी तो लगी है मां, इसमें तो है ही टैंकी की इतना सारा पानी।
मां – ये टांकी का पानी आधी रात में इतनी ठंड में पता है कितना ठंडा हो गया होगा।
मैं – हां, वो तो हो गया होगा।
मां – तो फिर, इतने ठंडे पानी को थोड़ी डालूंगी शरीर पर अब।
फिर मैनें बाल्टी में देखा तो पूरी खाली थी बस कुछ ही डब्बा पानी होगा उसमे। मां ने फिर जो डब्बा पकड़ा था पानी का उसे मुझे पकड़ा कर बोली – इसे पकड़िओ, मैं बाल्टी वाला थोड़ा सा भी इसमें डाल देती हूं।
मैनें डब्बा पकड़ा और मां ने बाल्टी उठा कर उसमे से जो भी थोड़ा सा पानी था डिब्बे में डाला और बाल्टी साइड में रख बोली – दे डब्बा, मैं धो लेती हूं।
मां ने डब्बा लिया और शुरुआत की अपने सॉफ्ट सॉफ्ट थोड़े से बाहर की ओर निकलने पेट से। मां ने हल्का सा पानी पेट पर डाला और मसल कर बोली – ये भी इतना ठंडा हुआ पड़ा है।
फिर उन्होंने पेट से नीचे अपनी साफ सुथरी बिना बालों वाली प्यारी सी चूत पर पानी डाला और उसे जैसे ही रगड़ा के अपने होंठ चबा लिए। शायद ऐसा करने से वो फिर से गर्म सी होने लगी। फिर अगले ही पल खुद को शांत सा कर उन्होंने थोड़ा सा टांगो पर पानी डाला और अपने हाथ पीछे गांड़ की ओर ले जाकर उसपर पानी डाल घिसने लगी।
अब पानी खतम हो गया था और मां की टांगे भी लगभग चूत और गांड़ से रिसते पानी से साफ हो ही गई थी।
फिर मां ने मेरी ओर घूम बाल्टी को टैंकी वाली टूंटी के नीचे लगाया और उसे भर कर जैसे ही आगे को झुकी नीचे रखे सर्फ के डब्बे को उठाने को मेरे खड़े लन्ड पर अपनी गांड़ रगड़ दी और कुछ नहीं बोली। ये तो बस गलती से ही हुआ था हमारे बीच बाकी का सब तो हम दोनो की मर्जी से ही हुआ था मानों।
फिर उन्होंने नीचे से हम दोनो के लोअर टी शर्ट और टॉवल उठाए जो मूत से भीग गए थे और हमारे शरीर धोने से उन पर पानी डाल कर वो अब पूरे गीले थे। मां ने उन्हें उठाकर बाल्टी में डाला और थोडा सा सर्फ ऊपर से डाला उन्हे अच्छे से घोल कर बोली – ये ही दो तीन कपड़े थे डालने को अब ये भी भीग गए हैं, अब क्या ही हम डालें और किसपर ही हम सोएं।
मैनें घड़ी देखी तो 4 : 53 हो रखे थे तो मैनें मां को टाइम बताया तो मैं ने कहा – चलो इतना वक्त बीत गया, थोड़ा और सही, 6 बजे के आसपास आंटी उठ जाती है, फिर हम उन्हे बुला लेंगे।
मैं – हां मां।
फिर मैं मन में सोचने लगा के अब सिर्फ एक ही घंटा है और बाद में कभी जिंदगी में ऐसा मोका मिले या ना मिले पता नहीं। और अगर मां यहां से बाहर जाने के बाद बिलकुल नॉर्मल हो गई और फिर ये सब का जिक्र भी ना हुआ तो किस्मत से इतना प्यार पीस चला जाएगा।
कम से कम एक बार तो इस आखरी के एक घंटे में मां की चूत में लन्ड डाल ही दूं किसी न किसी तरह क्योंकि कहते हैं के अगर औरत एक बार अगर आपका लन्ड अंदर ले ले तो चांसेज बढ़ जाते हैं के वो दुबारा से आपको चुदाई का मोका दे, तो अभी इस बनते मौके को हाथ से ना गवा और एक बार तो चुदाई का मजा ले ही ले। बाद में तो फिर खुद ब खुद ही मौके मिल जाएंगे।
मैं फिर ये सोचने लगा के क्या ही तरीका अपनाया जाए के एक बार मां इस लन्ड की सवारी कर ले।