You dont have javascript enabled! Please enable it! मेरी माँ बहने और उनका परिवार – Update 29 - KamKatha
मेरी माँ बहने और उनका परिवार - Family Sex Story

मेरी माँ बहने और उनका परिवार – Update 29

मेरी माँ बहने और उनका परिवार – Update 29

घर वापस आया तो थोड़ा सुना सुना लग रहा था। घर में सिर्फ माँ और सुधा दीदी थी। सोनिया अपने घर जा चुकी थी और चाची भी गाओं गईं हुई थी। पर एक हफ्ते में ही मुझे एहसास हो गया की सुधा दी और माँ ने कितना सैक्रिफाइस किया था। उन्हें भी मेरी जरूरत थी पर उन्होंने मुझे सबके साथ मस्ती करने दिया। मौसी के यहाँ से लौट कर आने पर एक दो दिन तक तो मैंने भी खूब आराम किया। फिर कॉलेज और काम के बारे में सोचने लग गया। कॉलेज का आखिरी समय था। कुछ ही दिन में एक्साम्स होने वाले थे । मैंने पार्ट टाइम एम् बी ए के लिए अप्लाई कर दिया था। उधर सोनी को मेरा आइडिआ पसंद आया था । सबसे ज्यादा खुश तो विक्की था। उसे न सिर्फ आगे एक बिजनेस करने को मिल गया था बल्कि सोनी भी मिल गई थी। श्वेता भी कॉलेज के आखिरी साल की वजह से बीजी थी पर हम दोनों के बीच फ़ोन पर बात होती रहती थी।

इधर बीच सुधा दी और माँ एक साथ सोने लगे थे। ऐसा मेरे मौसी के यहाँ जाने के बाद से शुरू हुआ था। बीच में एक दो बार सेक्स हुआ था पर कॉलेज और बाकी काम की वजह से मैं इतना थक जाता की होश ही नहीं रहता।

एक दिन मैं कॉलेज से काफी थका हुआ आया था और खाना खाकर सोफे पर लेट कर टीवी देखने लगा गया। तब तक दीदी भी वहीँ आ गईं। मुझे थका हुआ देख मेरे बिना बोले ही उन्होंने मेरे सर पर हलके से मालिश करनी शुरू कर दी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

मैंने कहा – जरा ठंढा तेल भी लगा दो।

दीदी उठीं और तेल लेकर आ गईं। उन्होंने मेरा सर अपने जांघ पर रख लिया और सर में तेल लगाने लगीं। दीदी ने एक नाइटी पहन रखी थी। बच्चा होने के बाद से वो अक्सर एक पतले से नाइटी में रहती थी जिसमे सामने से एक चैन हुआ करती थी। जब बच्चे को दूध पिलाना होता तो चेक खोलकर पीला देती थी। नाइटी के निचे कभी पैंटी होती तो कभी नहीं। उनके नरम मुलायम भरे हुए जांघ पर सर रखते ही मुझे ककहक अजीब सा होने लगा। बहुत दिनों बाद मैं थोड़ा रिलैक्स्ड मूड में था। इधर बीच जब भी सेक्स हुआ जल्दी में हुआ। माँ ने तो मेरे साथ सेक्स करना बंद ही कर दिया था। दीदी प्यार से मेरे सर पर तेल लगा रही थी। मुझे उनके प्यार पर प्यार आ रहा था।

कुछ देर बाद मैंने उनके चेहरे को पकड़ा और झुका कर उनके होठों को किस कर लिया। दीदी ने भी मेरा साथ दिया पर उन्होंने कहा – चुप चाप आराम कर। इतने दिनों से मेहनत कर रहा है।

मैंने – कहा , आप पर तो कोई मेहनत नहीं की। आपको प्यार करता हूँ तो साड़ी थकन चली जाती है।

दीदी ने उलाहना देते हुए कहा – आजकल तेरी थकन तो जवान कुंवारी लड़कियों से उतरती है। सोनी और सोनिया नहीं हैं , तो देख कितना थका थका रहने लगा है।

मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ। मैंने कहा – मुझे माफ़ कर दो। पर सच कहूँ तो तुमसे और माँ से ज्यादा मैं किसी को प्यार नहीं करता।

दीदी – रहने दे। अभी श्वेता सुनेगी तो बवाल काटेगी।

मैं – दीदी रहने दो न उसे क्यों बीच में ले आती हो। उस पागल के दिमाग में ना जाने क्या घुसा हुआ है। पहले तीन कुंवारी बोला अब कहती है घर भर को छोड़ो।

दीदी हँसते हुए – इसी लिए मेरा चोदू भाई , अपना लौड़ा लेकर निकल पड़ा है। हर किला फ़तेह करके अपनी रानी के पास जायेगा।

ये सुन मैं भी हंसने लगा। हम दोनों की हंसी सुनकर माँ भी आ गई। माँ अभी तक किचन में थी। काम करके आई थी तो पसीने से लथ पथ थीं। हमारा बेटा पास में ही सोया हुआ था।

माँ ने कहा – कितना अच्छा लग रहा है तुम्हे इतने दिनों बाद रिलैक्स्ड देख कर।

मैं – अभी रिलैक्स कहा हुआ हूँ। दीदी से कह रहा हूँ रिलैक्स कर दो तो मना कर रही हैं। अब आप ही कर दो।

माँ ने मुझे झापड़ दिखाते हुए कहा – घर की आधी चुतों को छोड़ चूका है तब भी मन नहीं भरा तेरा ।

मैं – आप दोनों से कहाँ भरता है।

माँ – चुप कर।

मैं – दीदी , दूध पिलाओ न। बहुत दिन हुए पीये हुए।

दीदी – क्यों मौसी ने और सोनी ने नहीं पिलाया।

मैं – देखो माँ, दीदी जलन के मारे परेशान कर रही हैं। अब तुम ही पिलाओ।

माँ ने अपने स्तनों पर हाथ रखते हुए कहा – ना बाबा ना। खींच खींच कर इतना बड़ा कर दिया और ना होगा। सुधा तू ही पीला दे।

सुधा – माँ , अब बाप बेटे दोनों पिएंगे। दिन भर वो खींचता है। अब इन्हे चाहिए। मेरे भी आपके बराबर हो चुके हैं।

मैं – भाई , चची की तरह नपाई करनी है तो बताओ। वैसे मुझे बड़े ही अच्छे लगते हैं।

माँ – बड़े तो मुझे भी अच्छे लगते हैं।

ये सुन हम सब फिर से हंस पड़े। हमारी हंसी सुनकर बेटा भी जग गया।

दीदी उठीं और उसे पालने से लेकर अपने गोद में ले लिया और दुसरे वन सीटर सोफे पर बैठते हुए कहा – देख तेरा सुन , तेरा बेटा आ गया पीने।

मैं – मादरचोद, इसे भी अभीही बीच में आना था। माँ अब तुम ही कुछ करो मेरा।

दीदी – माँ तुम अपने बेटे को सम्भालो , मैं अपने को संभालती हूँ।

माँ – देख मैं काम करके आ रही हूँ। पुरे पसीने पसीने हूँ। थोड़ा ठंढा होने दे।

मैं – माँ, तभी तो कह रहा हूँ। आ जाओ। तुम्हे मैं ठंढा कर दूंगा। पसीने का नशा भी कर लूंगा।

माँ – तू भी न।

माँ आकर मेरे बगल में बैठ गईं। मैं भी उनके बगल में बैठ गया और उनके चेहरे और गर्दन पर लगे पसीने को चाटने लगा। माँ ने हमेशा की तरह सिर्फ ब्लॉउज और पेटीकोट पहना था। ब्लॉउज के निचे कुछ नहीं था। उनके निप्पल एकदम से तन चुके थे। ब्लॉउज पसीने से भींगा हुआ था। मैंने चेहरे और गर्दन के बाद माँ के स्तनों के बीच की घाटियों को चाटना शुरू कर दिया। माँ ने आँखे बंद कर लीं थी और उनके हाथ अब मेरे बालों के बीच में थे। दीदी ने ये देखा तो कहा – मेरे लिए भी बचा कर रख आती हूँ। बेटा सो गया था। दीदी ने उसे पालने पर फिर से सुला दिया और माँ के दुसरे साइड में बैठ गईं। अब हम दोनों माँ के स्तनों का मर्दन भी कर रहे थे और ऊपर से चाट भी रहे थे। माँ का एक हाथ मेरे सर पर तो दूसरा दीदी के सर पर था। दीदी ने अपने नाइटी के चेन को बंद नहीं किया था तो उनके स्तन भी लगभग बाहर ही थे।

मैंने अपना एक हाथ उनके नाइटी में डाल दिया। दीदी ने कुछ नहीं कहा। तभी दीदी ने माँ के हाथ को उठा दिया और उनके कांख को चाटने लगीं।

माँ- उफ़ , क्या कर रही है सुधा। कपडा गन्दा है।

दीदी – तो उतार दो न।

माँ – तू ही उतार दे।

दीदी ने माँ के ब्लॉउज का हुक खोल दिया और माँ ने अपने ब्लॉउज उतार दिया। माँ के स्तन बाहर आते ही मैं उन पर टूट पड़ा पर दीदी तो माँ के बगलों को चाटने में ही लगी हुई थी। माँ के साइड में थोड़े भी बाल नहीं थे और दीदी उसे चाट रही थी। साथ ही साथ दीदी का एक हाथ माँ के खली स्तन पर था क्योंकि दुसरे पर मैं कब्ज़ा जमा चूका था। कुछ देर माँ को चाट लेने के बाद दीदी ने भी माँ के दुसरे स्तन पर नमः लगा दिया।

माँ – आह , बहुत महीनों बाद एक साथ दोनों इस्तेमाल हो रहे हैं। चूस लो अपनी माँ के दूध। आह आह। उफ्फ्फ उफ्फ्फ। सुधा , तूने तो बसों बाद मुँह लगाया है बच्ची।

दीदी – हाँ माँ , मैं तो तुम्हारा स्वाद भूल ही गई थी।

मैं दीद के नाइटी में हाथ डाले हुए था। मेरे हाथ लगाने से दीदी के स्तनों से दूध निकलने लगा था।

दीदी – दूध बर्बाद मत कर आ जा पीले। मुझे माँ का पीने दे।

हमने सोफे पर थोड़ी जगह बनाई। माँ एक कोने पर बैठ गईं और दीदी सोफे पर सीढ़ी लेट कर उनके स्तनों को चूसने लगीं। दीदी ने भी नाइटी उतार दिया। मैं अब जमीन पर बैठ दीदी के स्तनों से दूध पीने लगा। अब दीदी माँ के और मैं दीदी के स्तनों को चूस रहा था। पर दीदी अब गरम हो चुकी थीं। माँ ने भी ये महसूस कर लिया था। माँ ने अब झुक कर दीदी के दुसरे स्तन को पीना शुरू कर दिया था। अब मेरा लंड बेकाबू हो चला था। दीदी की छूट भी कुलबुला रही थी।

दीदी – चल भाई अब चोद मुझे। हो जा रिलैक्स और मुझे भी रिलैक्स कर दे।

दीदी ये कहकर सोफे से उतर गईं। उन्होंने माँ के पेटीकोट का नाडा खोल दिया और उनके सामने कुतीया बनकर उनके छूट पर मुँह लगा दिया। माँ ने अपने पैरणो के बीच में दीदी के सर को फंसा लिया और उनके बालों को सहलाने लगीं।

दीदी – चल बहनचोद , चालु हो जा।

मैं तो पहले से ही उत्तेजित हो चूका था । मैंने अपना लंड दीदी के चूत में डाला और चुदाई शुरू कर दी । इधर मैं दीदी की चुदाई कर रहा था उधर दीदी माँ की चूत चाटे जा रही थी। दीदी की मस्त गांड देख कर मुझे मौसी की याद आ गई। मन तो किया की गांड मार लूँ पर मैंने अपने आपको मना लिया।

माँ – उफ्फ्फ, क्या मस्त चूत चाटती है रे तू सुधा। इस्सस आह आह

दीदी – माँ, स्वाद है तुममे। बहुत दिन बाद तुम्हारा माल मिला है। ऐसे ही राज दीवाना नहीं है तुम्हारा।

माँ – हां रे। वो तो दूध और चूत दोनों का दीवाना है।

मैं – आह माँ , सच में तुम्हारे शरीर का हर पानी नशा देता है। आह। दीदी की चूत की सील फिर से जुड़ गई लगता है।

माँ – हां, औरतों की चूत अपने आप सेट हो जाती है। वैसे भी इसने तो सिर्फ तुम्हारा लंड लिया है।

दीदी – आह आह , माँ इसका लेने के बाद तो दूसरों का लंड नुन्नू जैसा ही लगेगा। बहनचोद ने गदहे जैसा लंड पाया है।

माँ – सच में। तेरे नाना का भी फेल है इसके सामने।

मैं दीदी की चूत मार रहा था। दीदी पनिया चुकी थी। उन्होंने अपना माल छोड़ दिया था। उधर माँ भी कुछ देर बाद स्खलित हो गईं थी।

दीदी – मेरा तो हो गया रे। अब बस कर। माँ अब तुम सम्भालो।

मैंने दीदी के चूत से लंड निकाल लिया अब माँ सोफे से उतर कर दीदी की जगह ले लीं और दीदी वही निचे बैठ गईं।

माँ की चूत पहले से गीली हो चुकी थी तो मेरा लंड फचाफच अंदर बाहर हो रहा था। माँ की गांड दीदी से भी चौड़ी थी।

मैंने माँ से कहा – माँ , गांड मारने दो ना।

माँ – मादरचोद , दो दो चूत ले रहा है फिर भी गांड चाहिए। मंजू ने तेरा मन ख़राब कर दिया है।

मैं – मंजू मौसी तो मस्त रंडियों की तरह हर छेद में माल लेती हैं। अब तो सोनी भी एक्सपर्ट हो गई है।

माँ – साले , चूत मार। गांड की तरफ नजर मत डाल।

मैं – माँ , प्लीज।

माँ – उफ्फ्फ , तू मानेगा तो है नहीं। आज नहीं तो फिर कभी मारेगा ही। सुधा ले आ तेल किचन से।

मैं एकदम खुश हो गया। मुझे पता नहीं था माँ इतनी जल्दी मान जाएँगी। पर लगता है मौसी की मजे देख उनका मन भी मचल गया था।

दीदी धीरे से उठकर किचन से तेल लेकर आ गईं। मैंने खूब सारा तेल माँ की पिछवाड़े पर उलट दिया फिर लंड निकाल कर उस पर भी लगा लिया। फिर मैंने अपना लंड माँ की गांड पर सेट किया। माँ बोली – आराम से डालना लल्ला। आजतक उसमे एक ऊँगली भी नहीं गई है।

मैं – माँ चिंता मत करो। दर्द करे तो बता देना , निकाल लूंगा।

माँ – बहनचोद , निकालने की लिए थोड़े ही डलवा रही हूँ। बस तू आराम से डाल।

मैंने धीरे धीरे पूरा लंड माँ की गांड में घुसा दिया। माँ दर्द से कराह रही थी। मुझे भी लग रहा था जैसे किसी गरम संकरे गुफा की अंदर हूँ। फिर मैंने धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। माँ को भी कुछ देर में मजा आने लगा।

माँ – उफ़ , कितना गरम है रे तेरा लंड। मेरी गांड लगता है फट जाएगी।

मैं – माँ बोलो तो निकाल लूँ।

माँ – खबरदार जो अब निकाला तो। मजा आने लगा है। जरा स्पीड बढ़ा।

मैंने स्पीड बढ़ा दिया। कुछ देर बाद मैंने माँ को खड़ा कर दिया। और खड़े खड़े पीछे से गांड मारने लगा। माँ की चूत सामने देख दीदी उस पर लपक पड़ी।

माँ – आह , कमीनी। इस्सस ठीक से चाट। जरा मेरे लौड़े को चूस।

अब माँ की दोनों छेदो पर हमला हो रहा था। मेरा लंड भी जवाब देने लगा था। मैं किसी भी पर अपना माल निकाल सकता था। मेरे धक्के तेज हो गए। कुछ ही देर में मैं खलास हो गया। मैंने माँ को पीछे से जकड लिया। माँ का शरीर कांपने लगा था। कुछ देर हम दोनों वैसे ही एक दुसरे की साथ चिपके रहे।

तभी माँ बोली – अब निकाल भी ले। मुझे बाथरूम जाना है।

इस पर दीदी बोली – माँ, कहा जाओगी। बहुत दिन हुए तुम्हारा नामकी पानी पिए हुए। यहीं पीला दो।

माँ की भी ना जाने क्या सुझा उन्होंने वहीँ दीदी के ऊपर धार छोड़ दी , जिसमे से दीदी कुछ पीती कुछ नहाती। मैं भी निचे बैठ गया और माँ के झरने से नहाने लगा। माँ रुक रुक कर हम दोनों को तृप्त किये जा रही थी। जब माल ख़त्म हुआ तो माँ और दीद एक दुसरे से लिपट गईं। माँ दीदी को चूमने और चाटने लगीं। वो अपना ही माल खुद लिए जा रही थी।

मैंने इतनी व्यस्तता के बाद इतनी मस्त चुदाई की थी तो आनंद में था। आनंद तो इस लिए भी था क्योंकि आज मैं माँ के गांड को मारने में सफल हुआ था। और ये भी पता था की जल्दी ही सुधा दी भी अपना गांड दे देंगी ।

उस रात  हम  चरों  माँ  बेटे  एक  ही कमरे  में  सोये । सबसे किनारे माँ , फिर मैं , मेरे बाद दीदी और लास्ट में दिवार की साइड हमारा बच्चा।  उसे किनारे रखा था दिवार की साइड ताकि वो गिरे नहीं।  सोते समय दीदी जब बेटे को दूध पीला रही थी तो मैंने भी माँ से जिद्द करके दूध माँगा तो उन्होंने कहा – एकदम बाप पर गया है।  दूध का दीवाना है तू।

मैं – माँ , यही मौसी भी कह रही थी।  पर जब मैंने पुछा तो उन्होंने बस दूध वाली रस्म बताई और बड़े मौसा और छोटे मौसा की बात की।  पापा के साथ नानी ने क्या किया था बताओ न।

दीदी – हाँ माँ।  बताओ ना।  सुना है नानी अपने दूध का लालच देकर ही दामादों को दीवाना बनाती थी।

माँ – तुम लोग नहीं मानोगे ।  ठीक है सुनो अपने पापा और नानी की कहानी।

——————————————–माँ की जुबानी पापा की कहानी [फ्लैशबैक 9 ]———————————-

हमारे घर के खेल में दामाद लोगों को शामिल करने का माँ ने अच्छा तरीका निकला था वो था की शादी के कुछ दिन तक दामाद लड़कीवालों के यहाँ ही रहेगा। साथ ही उनकी सुहागरात भी वहीँ मनेगी। पारिवारिक चुदाई के खेल  में शामिल करने के लिए ये रस्म बनाई गई थी सुहागरात में लड़की के कमरे में लड़के को दूध लड़की की माँ पिलाएगी और वो भी डाइरेक्ट अपने स्तनों से।  मेरी सुहागरात में भी वही होना था। मेरी शादी के टाइम तक लीला पैदा हो चुकी थी और दीदी के स्तनों में भी दूध आता था।

खैर सुहागरात को मेरे और तेरे पापा कमरे में आने के कुछ देर बाद माँ दूध का ग्लास लेकर कमरे में आई।

माँ के आते ही तेरे पापा ने उनके पैर छुवे  ।  माँ  ने उन्हें आशीष  दिया और उनके माथे  को चूम  कर  कहा – दामाद जी  आपको  तो हमारे यहाँ के रस्म का पता ही है।

तेरे पापा – हाँ पता है और  मैं आपका  ही इंतजार  कर  रहा था।

माँ फिर बेड पर टेक लगाकर बैठ गईं। 

तेरे पापा – माँ, मुझे बच्चा बनकर पीना है।  आपके  गोद में सर रख कर।  

माँ हँसते हुए – ठीक है आइये दामाद जी। 

तेरे पापा – दामाद जी नहीं बेटा कहिये।  जैसे आप अपने बेटे को पिलाती वैसे ही। 

माँ – आओ बेटा , भूख लगी होगी।  दूध पी लो। पर ये शादी वाले कपडे उतार लो, चुभेंगे। 

तेरे पापा ने झट से अपना कुरता और पैजामा दोनों उतार दिया।  उनका बदन बहुत ही गठीला था।  चौड़े कंधे और सीना, पेट सपाट। अंडरवियर के उभार को देख कर लग रहा था की उनका लंड विशालकाय ही होगा।  मन तो किया खींच कर अंडरवियर उतार दूँ और चढ़ जॉन उनके लौड़े पर।  पर अपने ऊपर कण्ट्रोल किया मैंने।  माँ ने सुन्दर सी लाल रंग की साडी पहनी हुई थी।  तेरे पापा जब उनके गोद में लेटे तो उन्हें उनकी साडी पर किया काम गाड़ने लगा। 

तेरे पापा – माँ , आपकी साडी चुभ रही है।  वैसे भी मुझे नंगा कर दिया है।  आप कम से कम साडी तो उतार दो। 

माँ – ठीक है। 

माँ निचे उतर गईं।  

तेरे पापा – सरोज, तुम भी उतार दो। 

ये सुन मुझे गुस्सा आ गया।  कमरे में सुहागरात मेरी होनी थी पर ये माँ के साथ लगे थे।  कायदे से अब तक कोई और मर्द होता तो अपनी बीवी के कपडे उतार चूका होता और ये मुझे खुद ही उतारने को कह रहे थे।  मैंने गुस्से में गाली देते हुए कहा – भोसड़ी के कैसा मर्द है ।   अभी तक कोई और होता तो पटक कर चोद चूका होता।  पर साले तू अपनी बीवी को छोड़ कर सास के पीछे पड़ा है। 

तेरे पापा कुछ नहीं बोले , बस मुश्कुरा कर देखते रहे।  मुझे कुछ समझ नहीं आया।  मैंने कहा – साले देख क्या रहा है ?

तेरे पापा – यही की गाली देते हुए तू कितनी सुन्दर लगती है।  चिंता ना कर तुझे ऐसा चोदूंगा की याद रखेगी।  पर माँ का दूध जरूरी है। 

मैं – बड़ा आया माँ का दीवाना।  अपनी माँ का दूध नहीं पिया क्या ?

तेरे पापा – नहीं। दो साल का हुआ तो छोटा भाई आ गया।  उसके आने पर पिलाया ही नहीं।  उसे छोटे भाई से ही ज्यादा प्यार है।  अब भी उसी को मानती है। 

मैं ये सुन कर चुप हो गई और बिस्तर से उतर गई।  मेरे साथ तेरे पापा भी खड़े हो गए।  उन्होंने मुझे पहले माथे पर किस किया और फिर होठों पर।  मैं भी उनका साथ देने लगी।  कुछ देर वैसे ही हम एक दुसरे को चूमते रहे।  फिर उन्होंने मेरे गहने उतारे।  सारे गहने उतार कर उन्होंने टेबल पर रख दिए।  फिर उन्होंने मेरी साडी भी उतार दी।  साडी उतारने के बाद उन्होंने ब्लॉउज के ऊपर से मेरे स्तन पकड़ते हुए कहा – तुम्हारे दूध भी माँ जैसे ही हैं। 

मैं – तुम्हारे ही हैं।  पी लेना। 

तेरे पापा – पहले माँ के। 

अब तक माँ बिस्तर पर सिर्फ ब्लॉउज और पेटीकोट में बैठी थी। तेरे पापा बिस्तर पर चढ़ गए और माँ के गोद में सर रख कर बोले – माँ दूध पिलाओ न। 

माँ ने अपने ब्लॉउज खोला और पास के टेबल से दूध के ग्लास को उठा लिया।  माँ अपने हाथो से दूध की हलकी धार अपने स्तनों पर गिरा रही थी और तेरे पापा बच्चे की तरह उनके स्तनों को चाट और चूस रहे थे।  माँ ने अपने दोनों स्तनों से वैसे ही दूध पिलाया।  दूध ख़तम हो गया पर तेरे पापा माँ के स्तनों पर भिड़े हुए थे।  माँ के नदी स्तन और नुकीले निप्पल देख मुझे भी कुछ कुछ होने लगा।  मैं भी उनके पास पहुँच गई और उनके स्तनों पर मुँह लगा दिया।  अब हम दोनों पति पत्नी माँ के स्तनों को चूस रहे थे। माँ को लगा ऐसे तो तेरे पापा उनको छोड़ेंगे नहीं।  उन्होंने मेरे ब्लॉउज को खोलकर मेरे कबूतरों को आजाद कर दिया।  अब तेरे पापा माँ के स्तनपान के साथ साथ तेरे मेरे स्तन दबाने लगे।  मैं पूरी तरह से उत्तेजित थी और चुदना चाह रही थी।  पर तेरे पापा में बड़ा संयम था।  उनका लंड खड़ा हो चूका था पर वो पता नहीं क्या चाह रहे थे।  

कुछ देर बाद माँ ने कहा – बेटा मेरा दूध तो आ नहीं रहा।  कितना चूसोगे।  देखो न निप्पल भी लाल हो गए हैं।  थोड़ा सरोज के पिलो।  देखो उसके निप्पल कितने कड़े हो गए हैं। 

तेरे पापा – माँ , मेरा मन तो भर ही नहीं रहा।  सरोज के दूध तो पियूँगा ही।  पर सच में दूध का जुगाड़ करो न। 

माँ – दूध ? अब दूध तो आप सरोज के पीना।  आज हो चोद लो।  नौ महीने बाद बच्चा और दूध। 

तेरे पापा – नहीं माँ , इतनी जल्दी बच्चा नहीं करना।  पहले तो इसके साथ चुदाई का मजा लेना है। 

मैं – तो चोद लो न मेरे राजा।  मेरी चूत तो कबसे तैयार है।  तुम्हारे लंड की याद में रो रो लार उसका बुरा हाल है। 

तेरे पापा – चिंता मत करो , उसके आंसू भी मैं पॉच दूंगा।  पर दूध का जुगाड़ हो जाता तो। सुशीला दीदी को तो दूध आता है न।  उनका पिलवा दो। 

माँ – देखो दामाद जी , आज अभी जो है उसी से काम चला लो।  सुशीला को आपके लिए तैयार करना पड़ेगा। और उसकी लोगे तो उसके पति क्या कहेंगे ? उन्होंने तुम्हारी बीवी की मांग ली तो। 

तेरे पापा – माँ , मुझे कोई दिक्कत नहीं है।  साली वैसे भी आधी घरवाली होती है।  यहाँ पूरी ही सही।  अगर सरोज को जीजा लोगों को दूध पिलाने में कोई दिक्कत नहीं तो मुझे भी कोई दिक्कत नहीं है। 

मैं – एकदम बुद्धू हो क्या ? सिर्फ दूध पी कर छोड़ दोगे?

तेरे पापा हँसते हुए बोले – ठीक है , चुद जाना जीजा से।  मैं भी सुशीला जिज्जी के चूत में लंड घुसा लूंगा। 

मैं – पहले मुझे चोद कर शांत करो।  फिर उनकी सोचेंगे। 

तेरे पापा – जैसा कहो मेरी रानी।  पहले मुझे अपना दूध तो पिलाओ। 

ये कहकर तेरे पापा मेरे आजाद कबूतरों पर टूट पड़े।  मैंने उन्हें अपने स्तनों से छुड़ाते हुए कहा – बहुत दूध पी चुके।  पहले मेरी रानी के आंसू  पोछो। 

तेरे पापा ने कहा – ठीक है।  तेरे पापा ने मेरे पेटीकोट को कमर तक किया और मेरे गीली पैंटी पर मुँह रख दिया।  कुछ देर तो पैंटी को ऊपर से चाटने के बाद उन्होंने खींच कर मेरे पैंटी उतार दी और मेरे चूत पर जीभ फेरने लगे। 

मैं एकदम आनंद में थी।  मैं – आह आह ।  चाट लो मेरे चूत को।  बहुत देर से परेशान है।  देखो कितना रोइ है।  इस्सस माँआआ। 

तेरे पापा बड़े मन से मेरी चूत चाटे जा रहे थे। कभी वो चूत के लबों को चूसते तो कभी मेरे क्लीट को जीभ लपलपा कर जोर जोर से हिलाते। उनकी इस हरकत को देख कर माँ का हाथ अपने आप अपने पेटीकोट में चला गया। 

तेरे पापा ये देख कर बोले – माँ , आप मत करो कुछ।  मुझे पता है आपकी चूत भी बह रही है।  बस दो मिनट दो आपकी बेटी की गर्मी शांत करके आपकी चूत की गर्मी भी शांत करूँगा। 

तेरे पापा कमाल का चूत चाटते थे। दो ही मिनट में मेरे चूत ने जवाब दी दिया और मैं ढेर हो गई।  तेरे पापा ने चूत से निकले एक एक बूँद को चाट कर पी लिया और फिर उठते हुए बोले – क्या मस्त माल निकला है तुमने सरोज।  माँ जब आपकी बेटी का स्वाद ऐसा है तो आपके रस से  तो तृप्त हो जाऊंगा।  जरा स्वाद चखाओ  न माँ। 

माँ ने अपना पेटीकोट पूरा ही उतार दिया और अपनी चिकनी चूत को फैलाते हुए कहा – आजा मेरे लाल।  पी जा मेरे रस को।  

माँ पैंटी नहीं पहनती थी।  तेरे पापा अब माँ के चूत पर भीड़ गए।  उनके जीभ के लगते ही माँ के मुँह से सिसकी निकल गई – इसस्स्सस्स्स्स,  आह दामाद जी क्या मस्त चूत चाटते हो आप।  उफ्फ्फ।  

तेरे पापा तो माँ की चूत में खो से गए।  

माँ – उफ़ , खा जाओ मेरी चूत को।  चाट लो।  आह आह। जरा मेरे लौड़े को भी प्यार करो न। 

पापा माँ के कहे अनुसार कभी उनके चूत में जीभ डालते तो कभी उनके चूत को ऊपर से निचे तक चाटते।  कभी उनके क्लीट को चूसने लगते।  कुछ ही देर में माँ भी धराशाही हो गई।  तेरे पापा ने उनके भी चूत से रिसते हर एक बूँद को चाट लिया।  अब माँ उनके लंड को देखते हुए बोली – दामाद जी आपने इतनी सेवा की है तो मेरा भी हक़ बनता है ाकि थोड़ी सेवा कर दूँ। 

तेरे पापा – अब तो मैं आपका हो चूका हूँ।  करिये जो करना है।  माँ ने तेरे पापा को सीधा लिटा दिया और उनके अंडरवियर को उतार दिया। तेरे पापा का लंड देखते ही हम दोनों के होश उड़ गए।  तेरे पापा का लंड नाना से बस थोड़ा ही छोटा था।  पर उनसे कहीं ज्यादा मोटा था।  एकदम मुसल जैसा।  उसे देख मेरी हालत खराब हो गई।  पर माँ एकदम खुश। माँ ने तुरंत तेरे पापा का लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे चुभलाने लगी।  माँ ने कहा – आ देख कितना सुंदर लंड है।  घर में किसी का नहीं है।  आजा स्वाद ले। 

मैं भी माँ के पास पहुँच गई।  हम दोनों बारी बारी से तेरे पापा का लंड मुँह में लेते रहते।  कुछ देर बाद तेरे पापा बोले कोई चूत में भी लेगा। 

मैं बोल पड़ी – मुझसे न हो पायेगा।  माँ ये लौड़ा तो मेरी चूत फाड़ देगा। 

तेरे पापा – सासु माँ , अब मुँह में लिया है तो चूत में भी ले ही लो। 

माँ तो यही चाहती थी। माँ उठी और तेरे पापा के कमर के दोनों तरफ पैर करके उनके लंड को अपने चूत पर सेट किया और उसे अंदर ले लिया।  तेरे पापा का लंड मोटा था तो माँ के मुँह से भी चीख निकल गई – फट गई रे।  मेरी चूत फट गई।  गधेड़ा जैसा मोटा लंड है तेरे पति का।  आह। 

तेरे पापा का लंड शायद पहली बार चूत में जा रहा था।  वो भी उत्तेजना में बोले – माँ , लगता है किसी सुरंग में घुसा जा रहा हूँ।  आह आह। 

कुछ देर बाद माँ ने  एक लय में तेरे पापा के लंड पर उछलना शुरू कर दिया।  

तेरे पापा – आह आह।  माँ मुझे पता नहीं था चुदाई में इतना मजा आता है।  उफ़ आह आह तेज और तेज।  आपकी मुम्मे ऐसे उछल रहे हैं जैसे  बास्कटबाल के बॉल 

माँ – तो पकड़ लो न बास्केटबाल।  दबा कर उछालो।  मजा आएगा। 

तेरे पापा ने कहा – नहीं मुझे इन्हे ऐसे ही उछालते देखना है। 

चुद माँ रही थी और चूत मेरी रिस रही थी।  अब मुझसे बर्दास्त नहीं हुआ।  मैंने माँ को पकड़ा और कहा – हटो , मुझे चुदना है। 

माँ ने कहा – दो मिनट रुक जा , मेरा होने वाला है। 

मैं भी जिद्द में थी।  कहा – इस लौड़े पर पहले मेरा हक़ है।  इसका पानी मेरी चूत में पहले जायेगा हटो। 

माँ ने कहा – बहनचोद रंडी कहीं की।  जब ये बुला रहा था तो क्यों नौटंकी दिखा रही थी। 

मैं – हटो , मुझे कुछ नहीं सुनना है।  

माँ को उठना पड़ा। उनके उठते पापा ने मुझे सीधा लिटा दिया और मेरे चूत में एक ही बार में अपना लंड डाल दिया और हचक कर चोदने  लगे।  माँ को पकड़ कर उन्होंने अपने सामने खड़ा कर दिया।  अब वो मुझे चोद भी रहे थे और साथ ही माँ की चूत चाट भी रहे थे।  हम तीनो की चीखने की आवाज गूँज रही थी।  माँ कुछ ही पल में धराशाही हो गई। पर तेरे पापा मेरी चुदाई में लगे हुए थे।  पता नहीं उनके अंदर कितना स्टेमिना था।  मेरी चूत ना जाने कितनी बार पानी निकाल चुकी थी। माँ के हटते ही तेरे पापा ने मुझे कुतिया की तरह चौपाया बना दिया और पीछे से चूत में लंड डाल चोदने लगे। 

मैं – माँ , मुझे बचाओ।  ये तो मेरी चूत फाड़ डालेंगे आज। 

माँ – तू ही तो बड़ा उछल रही थी।  चुद अब।  फाड़ दो इसकी चूत दामाद जी।  

तेरे पापा – आह आह।  इसकी क्या माँ , मैं तो सबकी फाड़ दूंगा।  बस आप आवाज दो किसकी फाड़नी है।  

माँ – सबकी दिलाऊंगी दामाद जी चिंता न करो।  ऐसी धुंआधार चुदाई देख  सुशीला  भी अपने आप आएगी और मेरी छोटी बहन भी।  बड़ी चुदैल हैं सब की सब।  

मैं – आह आह , ये सब अपनी गांड भी दी देंगी । मन करे तो घर के किसी मर्द के साथ मिलकर भी इन्हे चोद लेना पर मुझे बक्श दो। 

माँ – पर भूल मत तू भी चुदेगी 

मैं – अगर तुम्हारा दामाद तैयार हो तो जिससे कहो उससे चुद जाऊं पर अभी इनसे बचा लो। 

तेरे पापा ने मुझे कुछ देर और चोदा फिर बोल पड़े – प्रसाद अंदर डालूं या बाहर लोगे तुम दोनों। 

मैं – अंदर मत डालना।  अभी और मजे लेने हैं।  बाहर निकालो। 

माँ – मुझे दो , बर्बाद मत करना। 

तेरे पापा ने अपना लंड निकाल लिया और माँ ने उनके लंड को मुँह में ले लिया।  कुछ धक्के तेरे पापा ने उनके मुँह में लगाए और फिर अपना माल उनके मुँह में डाल दिया जिसे माँ पूरा का पूरा चाट कर गई।  मेरी हालत इतनी ख़राब थी की मैं अपना हिस्सा मांग भी नहीं पाई। 

उस रात तेरे पापा ने हम दोनों को सोने नहीं दिया।  पूरी रात वो कभी माँ को चोदते तो कभी मुझे।  

————————————————–वर्तमान समय ——————————————————

माँ की कहानी सुनते सुनते बीच में ही मैं उनके कमर के पास बैठ गया था और अपना लंड उनके चूत में डाल दिया था और कभी उन्हें चोदता तो कभी वैसे ही लंड डाले रहता। माँ की कहानी शुरू ख़त्म भी हो गई पर मेरा माल नहीं निकला था।  

माँ कहा – अब चोद कर माल निकाल।  कब तक मेरे चूत को मथेगा।  एकदम बाप पर गया है।  दूध पियेगा और चूत ऐसे मथेगा जैसे मक्खन निकलेगा। 

मैं – माँ , तुम्हारी चूत ऐसी है कि निकलने का मन ही नहीं करता।  मन करता है बस डाल कर लेता रहूँ। 

माँ – पर मुझे तो चुदाई चाहिए।  चल अब चला अपनी मोटर और निकाल मक्खन। 

मैंने माँ को चोदते हुए कहा – माँ फिर क्या हुआ ? पापा को मौसी का दूध पीने को मिला की नहीं ?

माँ – आह आह , मादरचोद को कहानी सुन सुनकर ही चोदना है। हाँ तेरे बाप को अगले ही दिन सुशीला दीदी से दूध पीने को भी मिला और उनकी चूत भी।  मेरी और माँ की हालत ऐसी नहीं थी की अगले दो दिन चुद  सकें। अगली रात सुशीला दी मेरे कमरे में थी।  उन्होंने तेरे पापा को अपना दूध भी पिलाया और चुदी भी।  तेरे पापा ने उनकी हालत भी ख़राब कर दी थी।  उनका लोहा सब मानने लगे थे।  तेरे नाना का लंड लम्बा था पर तेरे पापा का मोटा भी था और टिकता भी था।  

मैं सुनकर उत्तेजित था।  बड़ा अच्छा लग रहा था।  अब समझ आया मुझमे इतनी ताकत कैसे आई थी।  

माँ – अब मेरा हो गया।  रहने दी।  देख तेरी बहन तरस रही है। 

मैंने दीदी की तरफ देखा तो वो अपने चूत में ऊँगली किये जा रही थी।  

मैंने कहा – ऊँगली मत करो दीदी, मेरा लौड़ा है न। 

मैंने माँ की चूत से अपना लंड निकाला और दीदी को चौपाया बनाकर चोदने लगा। 

खुद और खुद की पापा की बारे में सोच कर बहुत अच्छा लग रहा था।  उस रात मैंने भी दीदी और माँ को कई बार चोदा।  

मेरी जिंदगी वापस से ट्रैक पर आ गई थी।  उधर सरला दीदी भी पूरी सावधानी रखे हुए थी।  उनके आने का प्रोग्राम टल गया था।  अब उनके घर वाले कह रहे थे कि बच्चा होने के बाद ही भेजेंगे।  मैं और माँ कुछ कह नहीं सके। पर कहते हैं खुशियां ज्यादा दिन तक टिक नहीं पात।  

एक दिन सुबह सुबह सुधा दी के ससुराल से उनकी सास का फ़ोन आया।  कहने लगीं कि सुधा दी को वापस भेज दे  इतने दिनों से वो मायके में हैं तो लोग बातें बनाने लगे हैं।  और उनके रिश्तेदार बच्चा देखना चाह रहे थे।  

दीदी ने जब ये बात बताई तो मुझे गुस्सा आ गया।  मैंने कहा – बच्चा पैदा करने का दम नहीं है।  मेरा बच्चा है , कहीं नहीं जायेगा।  और तुमने भी मुझसे मांग भरवाई है बीवी हो मेरी। मैं तुम्हे उस भड़वे के पास नहीं भेजूंगा। 

दीदी ने ये सुना तो मुझे जोर का एक थप्पड़ लगाया और कहा – जीजा के बारे में बोलने कि ऐसी हिम्मत कैसे हुई ? माना बच्चा पैदा नहीं कर सकते पर मत भूल तुझसे बच्चा करने को उन्ही ने कहा था।  अब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ तो उनकी वजह से ही हूँ।  कोई और होता तो अपनी गलती छुपाता और मेरी जिंदगी नाश कर देता।  

मैं – पर ये बेटा तो मेरा है।  तुम दोनों पर मेरा हक़ है। 

दीदी – तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे हम कोई सामान हैं। मत भूलो तुम्हे शुरू से पता था कि नाम तेरे जीजा का ही होगा।  

मैं – पर ये ठीक नहीं है।  मैं तैयार नहीं हूँ।  अब तक तुम दोनों का ख्याल रखा है, आगे भी रख लूंगा। 

फिर माँ ने मुझे समझाने कि कोशिश की – बेटा समाज भी कोई चीज होती है।  उनके यहाँ बदनामी हो रही होगी।  और उनका भी तो मन करता होगा बच्चे को अपने पास रखने का। 

मैं – केस बदनामी माँ।  बदनामी से बचने के लिए ही तो ये सब किया।  

मैं अब अपनी बातों में ही फंस गया।  माँ ने कहा – वही तो।  जब अपनी बहन और उसके ससुराल वालो के लिए इतना किया तो ये भी तो करना पड़ेगा।  और सुधा हमेशा तो हमारे पास नहीं रहेगी।  कभी न कभी तो जाना पड़ेगा। 

मैं कुछ नहीं जानता, दीदी नहीं जाएँगी  – ऐसा कहकर मैं गुस्से से घर से निकल गया।

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।  सुधा दी हुए बच्चे के जाने के विचार से ही मुझे अजीब लगने लगा था।  मैं गाडी लेकर निकल गया। शहर में मैं ऐसे ही गाडी चलता रहा।  मेरा मन श्वेता से बात करने का कर रहा था।  मैंने उसके कॉलेज कि तरफ गाडी मोड़ ली।  गेट पर पहुँच कर उसे फ़ोन किया तो उसने बताया कि उसे कल कोई असाइनमेंट जमा करना हैं।  वो वही कर रही है।  ये सुनकर मैंने उसे डिस्टर्ब करना उचित नाही समझा।  मैं गाडी स्टार्ट करके वापस जाने ही वाला था कि सामने से दीप्ति मैम मिल गईं।  उन्होंने इशारा देकर मुझे रोक लिया।  मैंने  बाहर निकल कर उन्हें  नमस्ते किया।  मेरा उतरा हुआ चेहरा देख कर उन्होने पुछा क्या हुआ ?

मैंने कहा – कुछ नहीं , बस थोड़ा मूड ऑफ है। 

मैम – श्वेता ने कुछ कहा क्या ?

मैं – नहीं , बल्कि उससे तो मुलाकात ही नहीं हो पाई।  उसका कल कोई सुब्मिशम । 

मैम –  कोई बात नहीं।  मुझे घर ड्राप कर दोगे क्या ? आज गाडी तारा के पास है। 

मेरा मूड तो जाने का नहीं था पर मैं उनको मना भी नहीं कर सकता था।  वो गाडी में बैठ गई।  मैं उनके घर की तरफ चल पड़ा।  मूड खराब था तो कुछ बोल नहीं रहा था। 

मैम ने मुझे खामोश देखा तो कहा – क्यों आज मेरा शेर इतना शांत क्यों है ? ना मेरी तरफ देख रहा है ना ही तारा के बारे में कुछ पुछा।  मुझे लगा था कि गाडी में बैठते ही किस विस करेगा।  

मैं – सॉरी मैम , आज थोड़ा मूड सही नहीं है। 

मैम ने मेरे गलों को सहलाया और कहा – कोई बात नहीं मेरे बच्चे।  होता है।  अगर अपनी प्रॉब्लम शेयर कर सकते हो तो करो, शायद कुछ दर्द कम हो। 

उनके इस ममतामई बात को देख कर मेरे अंदर का गुबार निकल गया।  मैंने गाडी एक साइड लगा लिया और फुट फुट कर रोने लगा।  मैम ने मुझे रोका नहीं बल्कि रोने दिया।  रोते रोते मैंने उनको सारी बात बता दी , जिसे वो चुप चाप सुनती रहीं।  

मेरी पूरी बात सुनने के बाद उन्होंने बोला – अब समझ आया कि इस शेर के अंदर भी एक कोमल व्यक्ति छुपा हुआ है।  ये सच है कि वो तुम्हारा बच्चा है और तुम सुधा से बहुत प्यार करते हो।  और ये एक फैक्ट है जिसे कोई बदल नहीं सकता।  तुम एक अच्छे इंसान हो जो अपने बच्चे को अपनी जिम्मेदारी समझते हो और आगे भी उठाने के लिए भी तैयार हो , वार्ना तो आजकल कौन करता है ऐसा।  मेरी ही हालत देख लो। पर तुम्हे ये इस बात से भी खुश होना चाहिए कि सुधा के ससुराल वाले भी तुम्हे और सुधा को उतना ही प्यार करते हैं।  तुम्हारे जीजा तुम लोगों के साथ गोवा गए।  तुम सब सेक्स में लगे रहे पर उन्होंने कभी कोई शिकायत नहीं किया।  सिर्फ वही नहीं, उनकी माँ रत्ना और सोनिया भी तुम्हे उतना ही प्यार करते हैं।  बच्चा भले ही तुमने दिया है पर है तो उनका ही।  सुधा भी उन सबको बहुत प्यार करती है। तुम्हे समझना पड़ेगा कि तुम हमेशा अपने घर उसे नहीं रख सकते।  आज नहीं तो कल उसे जाना ही पड़ेगा। 

मैं – पर मैम मेरा मन कैसे लगेगा।  अब तो उन दोनों के बिना घर घर जैसा ही नहीं लगता।  मैं बाहर भी जाता हूँ तो उन्ही कि याद आती है। 

मैम ने मेरे माथे को चूमते हुए कहा – पहले भी तो रहता ही था न माँ के सा।  थोड़े दिन और सही।  घर में इतनी औरत रही माँ कितनी अकेली फील करती होंगी।  कुछ समय बाद श्वेता भी आ जाएगी।  ये मौका है माँ के साथ कुछ समय बिता ले।  और सुधा रहती ही कितनी दूर है।  उससे मिलने जब चाहो चले जाना , उसी बहाने सोनिया और रत्ना को भी चोद  आना। 

मैं उनके आखिरी लाइन पर हंस पड़ा – क्या मैम आप भी ना।  

मैम – मैं भी तो प्यासी हूँ ? मेरी तो चिंता तुम्हे है ही नहीं।  सरला के जाने के बाद तो हमारे पास आये ही नहीं। 

मैं – सॉरी मैम , इधर बीच कुछ बिज़ी था। 

मैंने गाडी स्टार्ट कि और उनके घर की ओर चल पड़ा। उनके घर पहुंचा तो उन्होंने अंदर आने को कहा।  मैंने सोचा, अब आया हूँ तो बैठ लेता हूँ।  दरवाजा तारा ने खोला ।  मुझे देखते ही मेरे गले लग गई – राआज।  लगता है मुझे भूल ही गए थे।  कितनी याद आती थी तुम्हारी।  उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया। 

मैम ने कहा – भाई अंदर तो आने दे या बाहर ही चुद बैठेगी। 

तारा – आपको तो पता है , जब से गया है प्यासी हूँ। 

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।  इतनी सुंदर लड़की मेरे लिए पागल थी।  उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे सोफे पर बिता दिया और शिकायती लहजे में कहा – क्या मेरी याद एकदम नहीं आती ? बस प्यार एक दिन के लिए था।  

मुझे कुछ जवाब देते नहीं बन रहा था।  मैंने कहा – मैं वो थोड़ा मैं।।। 

वो हँसते हुए बोली – माँ आपका शेर तो भीगी बिल्ली कि तरह मिमिया रहा है। 

मैम भी हँसते हुए बोली – अभी थोड़े देर पहले रोते हुए देखती।

मैं ने मैम से शिकायत करते हुए कहा – मैम आप ना मेरी बेइज्जती करा दीजिये। 

मैम – तेरी इतनी इज्जत बना रखी थी मैंने ।  जब भी ये चुड़ैल मुझसे अपनी चूत चटवाती तो मैं यही कहती, आने दे शेर को तेरी चूत का भोसड़ा न बनवाया तो। 

तारा – अच्छा जी और जब डिलडो पहनवा कर मुझसे चुदती थी तो कहती थी कि मजा नहीं आ रहा है।  मुझे तो मेरे शेर का लौड़ा चाहिए। 

मैम – सो तो है।  पर तो मुझसे बड़ी दीवानी है।  मैंने कितने बार कहा की चोद दूँ पर तुझे लौड़ा तो राज का ही चाहिए था। 

उन दोनों की बातें सुनकर थोड़ी देर के लिए मैं अपना दर्द भूल गया।  मेरे एक साइड में तारा जो लगभग कुँवारी , केवल मुझसे चुदी वो भी एक बार और दूसरी तरफ एक गदराया नशीला माल जिसका अंग अंग भोगने वाला था।  

मैं सोच में डूबा ही था की मैम ने कहा – कुछ खाने पीने का लाएगी ? क्या लोगे राज ?

मैं – आज हार्ड ड्रिंक लेने का मन है। 

मैम – पर ~~~ ठीक है।  आज पी लो हमारे संग।  लौटने के लिए  टैक्सी कर दूंगी।  गाडी कल कॉलेज लेते आउंगी।  वही ले लेना और श्वेता से भी मिल लेना। ठीक है।  

मेरे कुछ बोलने से पहले ही उन्होंने तारा से कहा – अब उठ भी।  मैं भी चेंज करके आती हूँ। इधर मैम अंदर गईं और तारा खाने पीने का इंतजाम करने।  उनके जाते ही मैं वापस सुधा दी और बेटे के बारे  सोचने लगा।  तभी मेरे फ़ोन पर श्वेता की कॉल आई – कहाँ हो ?

मैं – क्या हुआ ?

श्वेता – तुमने बताया नहीं कि क्या हुआ है ?

मैं – कुछ तो नहीं हुआ है। 

श्वेता – तुरंत कॉलेज आओ।  मुझे मिलना है। 

मैं – पर तुम जो काम कर रही थी। 

श्वेता – मैंने टीचर से टाइम ले लिए है।  अगले हफ्ते कर दूंगी।  तुम फ़ौरन मेरे पास आओ। 

तब तक मैम आ चुकी थी।  मेरा भी मन रुकने का नहीं था।  मैंने उनसे कहा – मुझे जाना होगा। 

मैम ने पुछा क्या हुआ ?

मैंने कहा – सॉरी , आज कि भारपाई मैं फिर किसी दिन करूँगा पर आज नहीं। 

मैमे ने मुझे गले से लगाया और फिर मेरे माथे को चूम कर कहा – मेरे बेटे जैसे हो।  जाओ , पर कभी भी कोई परेशानी हो मुझसे शेयर कर सकते हो । खुश रहो।  

मैंने कहा – मैम , आपकी बातों का असर है।  काफी दुःख हल्का हुआ है।  पर श्वेता कि बात नहीं ताल सकता। 

मैम ने हांसे हुए कहा – उसका फ़ोन है तो भागो। 

मैंने निकलते हुए कहा – आप माँ जैसी हैं मैं बह मादरचोद हूँ।  जल्दी ही आपका शेर बेटा आपकी चूत का कबाड़ा करने आएगा। 

मैम हंस पड़ी। 

मैं तुरंत कॉलेज कि तरफ निकल पड़ा।  पहुंचते ही देखा तो श्वेता गेट पर ही कड़ी थी।  उसने एक जीन्स और टॉप पहन रखा था। मेरे गाडी से उतरते ही वो मुझसे लिपट पड़ी।  मैं भी उस से लिपट पड़ा।  मुझसे लिपटे हुए ही वो बोली – कहा थे ? ऐसे घर से बिना बताये कोई निकलता है ? माँ और दीदी कब से फ़ोन कर रही हैं।  तुमने उनका फ़ोन भी नहीं उठाया।  सब कितने परेशान हैं। 

मैं – उन्हें मेरी परेशानी की चिंता नहीं है तो मैं क्यों सोचूँ। 

श्वेता ने मेरी तरफ देखा और रोते हुए  कहा – सब तुम्हारे लिए परेशान हैं।  मेरी तो जान निकाल दी थी तुमने।  कुछ हो जाता तो सोचा मैं कैसे जिन्दा रहती। 

मैंने उसके आंसू पोछे और कहा – तुम्हारे पास ही तो आया था। 

श्वेता – और बिना बताये चले गए।  कहा थे अब  तक ? कुछ खाया पिया की नहीं ?

मैं मुश्कुराते हुए बोला – मैम के यहाँ था , खाने म पीने और चुदाई, सबका इंतजाम हो रहा था, तुम्हारा फ़ोन आ गया।  सब छोड़ कर चला आया। 

श्वेता ने मुझे किस किया और कहा – इतना प्यार करते हो कि दो दो माल छोड़ कर चले आये।  मेरे सोना, चलो कुछ खाते हैं। 

फिर हम दोनों पास के ही बढ़िया रेस्टोरेंट कि तरफ चल पड़े।  वहां कपल के लिए केबिन रूम कि व्यवस्था थी।  हम दोनों एक केबिन में जाकर बैठ गए।  हमने खाने का आर्डर कर लिया।  श्वेता मेरे हाथ को पकड़ कर बोली – आगे से ऐसा मत करना। 

मैं – पर तुम ही बताओ , सुधा दीदी ऐसा कैसे कर सकती हैं ? उनके ससुराल वालों का समझ आता है पर वो कैसे राजी हैं ?

श्वेता – हम सबसे बड़ी हैं।  माँ जैसी हैं।  दुनिया देखि है उन्होंने।  बहुत कड़ा दिल करके कहा है उन्होंने।  उनका भी रो रो कर बुरा हाल है। पर ये भी तो सोचो, उनके ससुराल वाले कितना प्यार करते हैं।  उन्होंने अपनी कमी देखि और दीदी को कुछ नहीं कहा।  रानी कि तरह रखा है।  अब जब अपनी कमी छुपाने के लिए ये सब किया है तो आगे भी वैसे ही रहना पड़ेगा।  जीजा जी का सोचो, कितने खुश थे जबकि उन्हें पता था कि उनका बेटा नहीं है।  दीदी बता रही थी कि अक्सर फ़ोन पर उनसे बात करते हैं। बच्चे का हाल लेते हैं। 

मुझे दीप्ती मैम और अब श्वेता के समझाने पर बात समझ आने लगी थी।  सच में जीजा जी अक्सर वीडियो कॉल पर बच्चे को देखा करते थे।  उससे बात करने कि कोशिश करते थे। मैं सच में थोड़ा स्वार्थी हो गया था।  पर मेरा मन मानने को तैयार नहीं था।  

मैंने कहा – पर मैं अपने कलेजे के टुकड़े को कैसे दूर कर दूँ ?

श्वेता – कितनी दूर जा रही है ? कुछ घंटो का रास्ता है।  मिल आना।  दीदी और जीजा कि इज्जत का भी ख्याल रखो।  रत्ना आंटी और सोनिया का सोचो। सोचो सोनिया ने सब जानते हुए भी कितने दिनों तक सबका ख्याल रखा। दोनों माँ बेटी ने तुम्हे सब कुछ दे दिया।  अब उनकी इज्जत भी तुम वापस नहीं कर सकते?

मैं ख़ामोशी से उसकी बातें सुनता रहा।  वो मुझे समझाती रही।  धीरे धीरे मेरा गुस्सा शांत हो रहा था। खाना खाने के मैंने आइसक्रीम का आर्डर किया।  आइसक्रीम खाते खाते वो बोली – अब गुस्सा ठंढा हुआ ?

मैंने थोड़ा मुँह बनाते हुए कहा – नहीं।  मेरा गुस्सा गुलाबजामुन से शांत होगा। 

उसने कहा – पहले बताते।  वही माँगा लेते। 

मैंने उसके शर्ट के ऊपर से उसके निप्पल को टच करते हुए कहा – ये वाला जामुन। 

उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया।  उसने कहा – धत्त। 

मैंने कहा – धत्त वाली क्या बात है।  दीदी भी जा रही है और तुमने भी ऐसी उटपटांग शर्त रख दी है। तीन कि शर्त थी, पूरी कर दी तो तुमने उस पर से और बोल दिया।  वो लीला दी और बड़ी मौसी कि तरफ तो देखने का मन भी नहीं करता।  बड़ा ऐटिटयूड दिखाती थी।  

श्वेता ने कहा –  ऐटिटयूड तो शुरू में मैंने भी दिखाया था। 

मैंने कहा – तुम्हारी बात कुछ और है। 

श्वेता कुछ नहीं बोली।  कुछ देर वैसे ही बैठे रहने के बाद हम मैंने बिल चुकाया और फिर हम निकल पड़े। उसने कहा – घर चले ?

मैंने कहा – अभी मूड नहीं है।  कहीं और चलते हैं। 

श्वेता फिर हम दोनों शहर के एक पार्क कि तरफ चल पड़े।  वो पार्क प्रेमी युगलों के लिए फेमस था।  जैसे ही मैं वहां पहुंचा श्वेता बोली – किस जगह ले आये।  यहाँ तो गन्दा हाल होता है।  

मैं – पर मेरा मूड तो यहीं सही होगा।  हम भी तो प्रेमी हैं। 

श्वेता कुछ नहीं बोली।  हमने एक दुसरे का हाथ थामा और अंदर चले गए।  वहां पदों के छाँव में कई जोड़े बैठे थे।  कुछ झाड़ियों के निचे कार्यक्रम भी चल रहा था।  कुछ जोड़े तो इतने बेशर्म थे कि सबके सामने चुदाई करने में भी संकोच नहीं कर रहे थे।  बहुत ढूंढने पर एक पेड़ो का झुरमुट मिला जिसके निचे थोड़ी छाँव थी।  हम वहीँ जाकर बैठ गए।  मैंने श्वेता के गोद में सर रख दिया।  मैंने उसे झुका कर किस कर लिया।  उसने मुझे मना नहीं किया बल्कि मेरा साथ देने लगी।  मैंने उससे कहा – गुलाब जामुन दो न। 

श्वेता – भक्क।  सबके सामने। 

मै – यहाँ सब शर्मा रहे हैं क्या ? और हमें जानता ही कौन है ? दो ना। 

उसने कुछ देर सोचने के बाद अपना टी शर्ट ब्रा सहित उठा दिया और मेरे मुँह में अपना निप्पल दे दिया।  उसके निप्पल पहले से ही एरेक्ट थे।  शायद माहौल का असर था।  मैं उसके निप्पल चूसने लगा। वो मेरे बालों को सहला रही थी।  बीच बीच में वो मेरे गालों पर किस भी कर ले रही थी।  

तभी हमें पास से एक लड़के आवाज आई – दीदी चूत दो न। 

लड़की – चुप कर।  कितना चाटेगा।  दूध पी पी कर मेरे थन लटका दिए हैं।  चूत बस चाटने को चाहिए।  चुदाई में एक मिनट भी थार नहीं पाता ।  नुनु है तेरा।  किस्मत ख़राब है भडुआ पति मिला है और चूतिया भाई। 

लड़का- दीदी चूत चटवाने में तुम्हे ही तो मजा आता है। 

लड़की – साले चोद नहीं पाता इस लिए चटवाती हूँ। तेरा जीजा तो चाटता भी नहीं है।  एक बच्चा दे दिया और साधु बन गया। 

उनकी बातें सुनकर हम दोनों मुश्कुराने लगे।  हर जगह यही हाल था।  श्वेता धीरे से बोली – चोदेगा उसे ?

मैंने कहा – पागल हो क्या ? कोई रंडी थोड़े ही है। 

श्वेता – प्यासी तो है।  तुम्हारा लौड़ा मिल जायेगा तो कल्याण हो जायेगा। 

मै कुछ जवाब देता उससे पहले श्वेता बोल उठी – गधे जैसे लंड से छोड़ना है तो बोलो।  यहीं है। 

उधर से आवाज आनी बंद हो गई।  पूरा संन्नाटा था। श्वेता ने मेरा लंड निकाल लिया था और हाथ में लेते हुए बोली – हम्म गांड में दम नहीं लौड़े के लिए तरस रही है। 

तभी मैंने देखा दूसरी तरफ एक औरत और एक लड़का झाँक रहे है।  दोनों कि नजर मेरे लंड पर थी। 

लड़का बोल पड़ा – दीदी इसका तो सच में बहुत बड़ा है। 

वो औरत बोली – चुप। 

फिर वो हमारे तरफ सरक कर आ गई और बोली – तुमने हमारी बातें सुन ली हैं। तुम्हारे बॉयफ्रेंड का लंड तो सच में बहुत बड़ा है।  पर तुम खुद चुदने के बजाय , मुझे क्यों दे रही हो ?

श्वेता – हम्म।  क्या कहूँ।  लेने का मन तो बहुत करता है।  पर सुहागरात में ही लुंगी।  तब तक बेचारा उदास न फील करे, इसे फ्री किया हुआ है।  जिसे चोदना चाहे चोद ले। 

औरत – इतना प्यार करती हो ?

श्वेता – हाँ।  जितना आप सोच सकते हो उससे भी ज्यादा।  अब ये बताओ , चुदना है या बकवास करना है। 

औरत मेरे पास आ गई और मेरे लंड को हाथ में लेते हुए बोली – मन तो बहुत है।  पर ये मेरी चूत फाड़ देगा।  चीख निकलवा देगा।  यहाँ नहीं लुंगी।  घर पर लुंगी। 

लड़का – दीदी पर घर पर सब हैं। 

औरत कुछ सोचते हुए – अगले हफ्ते मेरे घर के सारे लोग  एक रिश्तेदार के फंक्शन में जा रहे हैं। 

लड़का – दीदी , पर तुम्हे भी तो जाना है। 

औरत – चुप भोसड़ी के।।  कुछ होता जाता नहीं है तो बीच में मत बोला कर।  मैं तबियत का बहाना बना लुंगी।  एक हफ्ता पूरा रहेगा।  

मेरे खड़े लंड पर धोखे हुए जा रहे थी।  आज चूत पास होते हुए भी नहीं मिली थी।  मूड तो पहले से ही ख़राब था।  मैंने श्वेता से कहा –  चल चलें।  आज का दिन ही ख़राब है।  

औरत बोली – जा कहाँ रहे हो।  स्वाद तो लेने दो।  

उसने ऐसा कहकर मेरे लंड को मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी।  मेरा मन हवा में हो गया।  बड़ा ही मस्त चूस रही थी वो। मैंने भी उसका सर पकड़ लिया और धक्के देने लगा।  वो गुं गुं करते हुए मेरे लंड को मुँह में अंदर बाहर कर रही थी।  काफी देर के बाद में मेरा माल निकलने को राजी नहीं था।  उसने अपने मुह से लंड निकला और कहा – सच में बहुत दम है।  अच्छा हुआ यहाँ नहीं लिया।  कैसे आएगा तू भाई। 

मैंने कहा – तुम्हारे मुम्मे बड़े हैं।  उसमे आता हूँ।

उसने कहा ब्लॉउज ख़राब हो जायेगा। 

मैंने कहा – उतार दो। 

उसके ब्लॉउज के बटन पहले से खुल रखे थी।  उसने उन्हें पूरा उतार दिया और लेट गई।  मैंने अपना लंड उसके मुम्मो के बीच में दबा दिया और मस्त चोदने लगा।  उसने भी अपनी जीभ निकाल ली और जब मेरा लंड ऊपर आता तो मेरे टोपे को चूम लेती।  उसके स्तन बहुत बड़े थी।  लगभग माँ और सुधा दी जैसे। उनके बीच मेरा लंड खो जा रहा था। कुछ देर ऐसे ही रगड़ने के बाद आखिर मेरे लंड ने पानी छोड़ ही दिया।  मुझे मजा तो नहीं आया पर माल निकल जाने से कुछ राहत मिली ।  उसने भी अपने स्तन को रुमाल से साफ़ किया। 

उसने कपडे ठीक करने के बाद मुझे अपना मोबाईल नंबर दिया और कहा एड्रेस व्हाट्सप्प कर दूंगी।  अगले हफ्ते तैयार रहना। 

फिर हम दोनों जोड़े अलग अलग निकल गए। 

मैंने फिर श्वेता को उसके हॉस्टल ड्राप किया और घर कि तरफ चल पड़ा। घर पहुंचा तो दीदी ने दरवाजा खोला। मुझे देखते ही उन्होंने ताबड़तोड़ मेरे गाल पर थप्पड़ मारने शुरू किये और रोने लगीं – कहाँ चला गया था बिना बताये ? इतने गुस्से में निकला था मुझे लगा कहीं कुछ कर न बैठे। फ़ोन भी नहीं लग रहा था। सोचा कि अगर मुझे कुछ हो जाता तो ?

मैंने दीदी को गले से लगा लिया और अंदर लेकर आया। बोला – मुझे माफ़ कर दो । मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या करूँ। आप दोनों से जुड़ा होने को सोच भी नहीं पा रहा।

दीदी – तुझे क्या लगता है ये सब मुझे अच्छा लग रहा है ? मैं भी नहीं जाना चाहती , पर समझता क्यों नहीं मज़बूरी है।

मैं – ठीक है। समझा लूंगा दिल को।

दीदी और मैं सोफे पर बैठे थ। दोनों रो रहे थे। माँ भी वही हमारे बच्चे को लिए रो रही थी और बच्चा हमें टुकुर टुकुर देख रहा था।

कुछ देर बाद दीदी ने पुछा – कुछ खाना खाया ?

मैंने कहा – हाँ , श्वेता के साथ खा लिया था।

माँ – और यहाँ हम दोनों भूखे बैठे है।

मैं माँ के पास गया और उनके पैरों के पास बैठ कर बोला – मुझे माफ़ कर दो।

माँ – मुझसे क्या बोलता है। अपनी बहन से बोल।

मैं दीदी के पास आया और कहा – माफ़ कर दो। चलो क्या खाओगे आप लोग , आर्डर करता हूँ।

दीदी कुछ नहीं बोली। फिर मैंने उनके पसंद का खाना बाहर आर्डर किया। आने के बाद खुद ही निकाला और अपने हाथो से उन्हें खीलाने लगा। दीदी बस प्यार से मुझे देखती रही।

दीदी – ऐसे प्यार करेगा तो जाउंगी कैसे ?

मैंने उनका मूड हल्का करने के लिए कहा – अब तो जाना पड़ेगा। तुम वहां रहोगी तो मिलने आऊंगा। उसी बहाने रत्ना आंटी और सोनिया को भी चोद लूंगा।

माँ और दीदी दोनों ये सुनकर हंसने लगी। दीदी बोली – चोदू का चोदू ही रहेगा। वैसे ये ज्ञान किसे चोद कर मिला ?

मैं – कहाँ चोद पाया। श्वेता से बात करने गया तो बीजी थी। वहां से दीप्ति मैम मिल गई। उनके घर गया। अभी तैयारी थी ही कि श्वेता का फ़ोन आ गया। शायद आप लोगों ने उसे कहा था। फिर भाग कर श्वेता के पास गया। वो तो देने से रही।

दीदी ने मेरे गाल खींचे और कहा – खड़े लंड पर धोखा हो गया।

मैं – हाँ , पर एक मिल गई उसने मेरा माल निकाल दिया।

फिर मैंने उस औरत वाली बात बताई। खाना और बात ख़त्म होने तक दोनों ने मजे लेकर पूरी बात सुनी फिर कहा – चलो एक चूत का और इंतजाम हो गया।

मैं – पर अभी अभी तो नहीं मिली न।

दीदी – घर में दो दो चूत हैं छोड़ कर जायेगा तो ऐसा ही होगा न।

मैंने दीदी को खड़ा कर दिया और उन्हें वहीँ टेबल पर लिटा दिया और कहा – अभी एक की तो खबर लेता हूँ। 

मैंने  उनके नाइटी को ऊपर कर दिया और उनकी टांगे उठा कर अपने कंधे पर रख लिया। पर चोदने के लिए जैसे ही अपना लंड घुसाया वो उनके चूत की जगह गांड के छेद में जा भिड़ा।  

दीदी – मादरचोद कहाँ घुसा रहा है , ना जाने किसीकी किसको कितनी बार चोद चूका है पर अब भी चूत और गांड में फर्क नहीं पता है। 

मैं – दीदी अब घुस ही रहा है तो घुसने दो न। 

दीदी – एकदम नहीं , तीन चार दिन में मुझे जाना है और तू मझे चलने लायक भी नहीं छोड़ेगा। चूत चोदनी है  तो बता वरना रहने दे। 

मैंने उनके चूत में ही लंड डाला और चोदने लगा।  पर मेरा मन डोल चूका था।  उनके टाँगे उठी हुई थी और चौड़ी गांड मेरे सामने थी।  टेबल हम दोनों की चुदाई से हिलने लगा था। 

दीदी – आह आह , वहां जाकर यही सब मिस करुँगी।  क्या मस्त चोदता है रे तू।  कैसे प्यास बुझाऊँगी मैं वहां। 

मैं – वही तो मैं भी सोच रहा हूँ।  तुम चली जाओगी तो क्या होगा।  मौका है।  मरवा लो न।  देखो पता नहीं फिर कब मिलना हो। 

दीदी – उफ़ मेरे चूत की गर्मी शांत कर।  गांड भूल जा। 

माँ तब तक बच्चे को कमरे में सुला कर आ चुकी थी।  उनके हाथ में वैसलीन की डब्बी थी।  दीदी ने मस्ती  में आँखे बंद कर ली थी।  माँ ने धीरे से मेरे पास वैसलीन रख दिया।  फिर वो किचन में गईं और कटोरी में तेल लेकर आई।  माँ हमारे पास आकर खड़ी हो गईं।  उन्होंने दीदी के स्तन दबाने शुरू कर दिए।  उनके हाथ लगते ही दीदी के मुँह से निकला – माँ , आह मजा आ गया। 

माँ – मेरी बिटिया अभी तुझे दुगुना मजा दिलाती हूँ।  

माँ ने फिर मुझे इशारा किया।  मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया।  माँ ने मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर उस पर वैसलीन लगा दिया।  मेरा लंड पहले से ही दीदी के चूत के पानी से गीला हो रखा था।  अब वैसलीन। 

मेरे लंड निकलते ही दीदी ने आक्न्हे खोल मेरी तरफ देखा और सवालिया निगाहों से देखते हुए कहा – बहनचोद आने वाली थी मैं , निकाल क्यों लिया।  

माँ झुक कर उनके चूत पर मुँह रखते हुए बोली – थोड़ा स्वाद मुझे भी तो लेने दे बिल्लो रानी। फिर ये स्वाद पता नहीं कब मिले। 

माँ ने उनके गीले चूत से खेलते हुए मेरे लंड पर वैसलीन और तिल दोनों लगाया।  उन्होंने फिर अपने तेल से चुपड़े एक ऊँगली से उनके गांड के छेद को सहलाना शुरू कर दिया।  माँ बड़ी सफाई से दीदी को गांड मरवाने के लिए तैयार कर रही थी।  

दीदी – आह माँ , अगर राज के लंड के मजे हैं तो तुम्हारी जीभ और ऊँगली भी कमाल की है , उफ़ , बस जरा मेरे लौड़े को तेजी से रगड़ो न । 

माँ ने एक हाथ की ऊँगली उनके गांड में करना शुरू किया और दुसरे के अंगूठे से उनके क्लीट को।  और एक बिल्ली की तरह जीभ से उनके चूत की मलाई को चाट किये जा रही थी।  मैंने माँ के ब्लॉउज और पेटीकोट को उतार दिया था।  दीदी आने ही वाली थी की माँ ने अपना मुँह दीदी के चूत से हटाया और मुझे इशारा किया।  मैं खुश हो गया। मैंने माँ की जगह अपना लंड दीदी के चूत के आस पास रगड़ना शुरू कर दिया।  

दीदी तड़पते हुए बोली – तुम दोनों माँ बेटे मेरे साथ ये क्या खेल खेल रहे हो।  अंदर डालो  न क्यों तरसा रहे हो। 

मैं – डाल दूँ ?

दीदी – भोसड़ी के न्योता छपवा कर भेजवाऊं।  डाल अंदर। 

मैंने इस बार आव ना देखा देखा ताव और अपना लंड उनके गांड में घुसा दिया।  लंड बस थोड़ा सी ही अंदर गया था। 

दीदी चीखते हुए बोली  – साले , बहनचोद गांड फाड़ दिया , वहां डालने को थोड़े ही बोला था।  

मैंने एक धक्का और दिया और पूरा अंदर घुसाते हुए कहा – अंदर डालने को कहा था , किसके अंदर ये थोड़े ही कहा था। 

दीदी ने तड़पते हुए कहा – माँ , ये तुम्हारी साजिश है न।। उफ़ निकलवा दो प्लीज ।  

माँ ने साइड से दीदी के चूत पर झुकी पने हाथो से इनके क्लीट को रगड़ते हुए बोली – अब दोहरा मजा लो।  

माँ ने उनके चूत को चाटना शुरू कर दिया।  अबतक मेरा लंड भी दीदी के गांड में जगह बना चूका था।  दीदी को दुबारा मस्ती चढ़ने लगी थी। 

वो बोली – अब घुसा दिया है तो मार भी ले। 

मैंने धीरे धीरे दीदी के गांड में धक्के मारने शुरू कर दिए। 

दीदी – आह आह।  माँ।  उफ़।  वो अपने हाथो से अपने मुम्मे दबाने लगीं । दूध की धार हवा में फव्वारे की तरह गिरने लगी।  मैं और माँ दीदी को मजे से भोग रहे थे।   इस तरह भयंकर गांड मरै और चुसाई से दीदी कुछ ही देर में ढेर हो गई।  उन्होंने मेरे कमर को अपने पैरों से जकड लिया और अपने हाथ से माँ के सर को चूत पर टीका दिया।  वो शानदार तरीके से कांपते हुए स्खलित हो रही थी।  

उनके सुख भरे चेहरे को देख मुझे अच्छा लग रहा था।  पर मेरा लंड चिढ़ा हुआ था।  उसे अभी चैन नहीं था।  माँ दीदी के ऊपर से उठ गईं।  मैंने दीदी के गांड में लड़ घुसाए घुसाए ही उनका हाथ पकड़ कर उठा दिया।  मैं अपनी कुर्सी पर बैठ गया और दीदी गांड में लंड घुसाए मेरे गोद में।  अब दीदी उछल उछाल कर मुझसे खुद ही गांड मरवाने लगी। 

दीदी – कर ली न अपनी वाली बात।  मार ली न बहन की गांड।  उफ़ आह।  फटने नहीं चाहिए मेरे भाई।  आराम से। 

मैं – दीदी अब सवारी तो तुम कर रही हो।  संभाल कर करो। 

दीदी – ऐसा मजा मिले तो कौन खुद को संभाले।  माँ तुमने खुद को कैसे रोक रखा था इतने दिनों तक। 

माँ – तेरे पापा ने बहुत कोशिश की थी ।  पर ना जाने क्यों मन में था , बेटे से ही सील खुलेगी।  

दीदी ने अपने हाथ बीच में ले लिया था अपने चूत को सहला रही थी।  मैंने जब देखा उनकी चूत दोबारा गरम हो गई है तो मैंने उन्हें गोदी से उठा लिया।  उनके उठाते ही मेरे लंड गप की आवाज से बाहर आया।  दीदी कुछ समझ पाती उससे पहले ही मैंने उन्हें पलटा और उनकी पीठ कप मेरी तरफ किया और वापस उन्हें इस तरह बिठाया जिससे मेरा लंड उनके गांड में घुस गया।  इस बार हम दोनों को कोई तकलीफ नहीं हुई। मैंने दीदी को खड़ा किया और इनके गांड में धक्के मारते हुए सोफे पर ले आया।  अब हम सोफे पर बैठ गए।  कुछ देर बाद दीदी का हाथ खुद बा खुद अपने चूत पर पहुँच गया।  माँ ने जबये देखा तो वो दीदी के पास जमीन पर बैठ गईं  और उन्होंने फिर से दीदी के चूत पर मुँह लगा दिया। 

दीदी – आह आज तुम दोनों माँ बेटे मुझे मार डालोगे।  भाई तुम्हारा कब होगा।  माँ तो फिर से चूत में से धार निकाल देंगी। 

माँ को भी इस बात की चिंता थी।  उन्होंने अपने हाथो से मेरे टोटे सहलाने शुरू कर दिए।  वो बीच बीच में मेरे लंड पर भी जीभ लगा देती थी। 

इस बार दीदी के चूत के साथ साथ मेरे लंड ने भी अपना पानी बहा दिया।  अपने चरम पर पहुँच कर हम दोनों के शरीर कांपने लगे।  हम दोनों ही नहीं माँ भी अपना चरम पा चुकी थी।  मैं और दीदी एक दुसरे से चिपके हुए थे तो माँ ने दीदी के पैरों पर सर रखे हुए थी। 

होश सँभालने के बाद दीदी बोली – उफ़ , ये भी एक अलग ही मजा है।  क्या नशा है चुदाई का।  

माँ – नशा तो अभी बाकी है।  जरा दे न। 

दीदी भी मस्ती में थी। इतनी चुदाई के बाद मूत निकालनी ही थी।  उन्होंने वहीँ अपनी गरम धार छोड़ दी।  माँ जो निचे बैठी थी उनका शरीर उनके गरम धार से भीगने लगा।  कुछ मेरे पैरों और जांघो पर भी गिर रहा था।  

माँ ने कुछ बूंदे चाटी और कहा  – यही तो असली मजा है।  इसका नशा अलग है।  दीदी ने माँ को उठाया और कहा मुझे भी तो दो  

माँ दीदी के सामने खड़ी हो गईं।  दीदी पसीने और अपने गरम धार से गीले माँ के पेट पर अपनी जीभ फेरने लगी।  मैंने उनके मुम्मे दबाने शुरू कर दिए जिससे उनके दूध की धार भी निकल कर माँ पेट पर लग रही थी।  अजब सा कॉकटेल था।  पर नशीला था क्योंकि जामैं रुकने लगा तो दीदी ने अपने हाथो से मेरा हाथ पकड़ दबवाना शुरू कर दिया।

कुछ देर बाद दीदी मेरे गोद से उठ गईं और जब उठकर जाने लगीं तो माँ ने उनका हाथ पकड़ लिया।  दोनों एक दुसरे का हाथ पकडे पकडे बाथरूम की तरफ चली गईं।  दोनों अजब से गंध से महक रही थी। मैं भी उठ कर अपने कमरे में मूतने चला गया।  बाहर आया तो दोनों नजर नहीं आई।  मैं माँ के कमरे में गया जहाँ दोनों गईं थी।  देखा तो बाथरूम का दरवाजा खुला था और  माँ के सिसकने की आवाज आ रही थी। 

माँ  – उफ़ क्या कर रही है।  छोड़ न।  कितना चाटेगी। 

दीदी – माँ तुम्हारा नशा ख़त्म ही नहीं होता।  अब ना जाने तुम्हारा अमृत कब मिलेगा। 

माँ – तू शुरू से ऐसी है।  हमेशा इसके पीछे पड़ी रहती है। 

दीदी – माँ , आदत भी तो तुमने ही लगाई है।  भूल गई जब मुझे मास्टरबेट करना सिखाया था और मास्टरबेट करते करते मेरी धार निकल गई थी तो तुमने पूरा पी लिया था।  मैंने कहा गन्दा है तो तुमने कहा – गंदे में ही नशा है। 

माँ – और उसके बाद तू लगभग रोज ही पीछा करके एक बार लेती थी। 

दीदी – हीहीहीहीहीहीहीही।  हम दोनों एक दुसरे का।  कितना मजा आता था। अब जाने का वक़्त आया है तो वो सब शौक जाग रहे हैं। 

उन दोनों की बात सुनकर मेरा लंड दोबारा खड़ा हो गया।  मैंने अपने कपड़े उतारे और बाथरूम में घुस गया।  देखा तो माँ कमोड का ढक्कन बंद किये बैठी थी और दीदी उनके पैरों के पार नीचे जमीन पर।  दोनों सर से लेकर पाँव तक गीली थी।  शावर ऑन था।  लगता है नहाते नहाते माँ को मूतने जाना होगा तो दीदी भी उनका अमृत चखने जा पहुंची होंगी। 

माँ ने मुझे देखा और बाहें फैलाते हुए कहा – कितनी देर  लगा दी तूने  मेरे लल्ला ।  आ जरा अपना लौड़ा दे।  चूसने का मन कर रहा है। 

मैंने समम्हट अवस्था में उनके पास पहुँच गया।  वो एकदम सेक्स की मूर्ति लग रही थी।  पानी के बूंदो से गीला उनका बदन चमक रहा था। 

उनके बड़े स्तन सीने पर झूल रहे थे।  दीदी निचे पीढ़े पर बैठी उनके चूत पर भिड़ी थी।  इस अवस्था में उनका पिछवाड़ा इस कदर निकला था की मन कर रहा था उठा कर फिर गांड मार लूँ।  पर मैं सीधे माँ के पार पहुंचा।  माँ ने मेरे नब्बे डिग्री पर सलामी देते हुए लंड को देखा और उसे चूमते हुए गर्व से कहा – क्या पैदा किया है मैंने।  मेरे प्यारा मुन्ना। 

कुछ ही देर में मेरा लंड माँ के मुँह में समां गया।  माँ मेरे लम्बे से लंड को गले के अंदर तक लेकर चूस रही थी। मैंने झुक कर उनके लटकते बड़े स्तनों को दबाना शुरू कर दिया।  मैं उत्तेनजना के चरम स्टार पर पहुँचने लगा।  मैंने माँ के स्तनों को छोड़ दिया और उनके सर को पकड़ लिया।  अब मैं उनके मुँह में अपना लंड खुद ही अंदर बाहर करने लगा जैसे मैं उन्हें चोद रहा हूँ।  ऐसा करते हुए मेरा लंड एकदम गले तक चला जा रहा था।  माँ को तकलीफ होने लगी पर मैं तो जैसे पागल हो चूका था।  

दीदी ने माँ की हालत देखी तो मुझे मारते हुए बोली – क्या कर रहा है जान लेगा क्या ? निकाल  देख उनकी क्या हालत हो गई है। 

दीदी के मारने से मुझे होश आया तो मैंने तुरंत अपना लंड बाहर निकाल लिया।  लंड बाहर आते ही माँ खांसने लगी। 

मैंने तुरंत उनसे माफ़ी मांगी – माँ मुझे माफ़ कर दे। पागल हो गया था मैं। 

माँ ने खुद को संभाला और कहा  – मादरचोद , मैं कहीं भाग थोड़े ही रही थी।  छोड़ने के लिए ही तो बुलाया था।  साले चूत भी थी वो भी एक नहीं दो।  मुँह तो नस थोड़े देर के लिए होता है।  वो तेरे इस लौड़े को देख कर प्यार आ जाता है तो चूम लेती हूँ।  

दीदी हँसते हुए बोली – तुम भी बड़ी चुदक्कड़ हो ।  कहाँ तो लगा की इसके इस हरकत के बाद मरोगी पर तुम तो इसे प्यार से चूत और लौड़े का प्यार समझा रही हो। 

माँ – तू भी अभी जो रंडी की तरह कर रही वो कहाँ की शराफत थी। 

मै उन दोनों की बात सुन फिर गरम होने लगा।  माँ ने मेरे लंड को देखा तो हँसते हुए बोली – बता इसके इस हरकत पर कोई कैसे  नाराज हो सकता है। 

माँ उठ खड़ी हुई उन्होंने खुद को नल के सहारे झुका कर खड़ी हो गई और कहा – अब चोद, जितने जोर से चोदना है। 

मैं उनके पीछे गया और उनके चूत में अपना लंड डाल कर उन्हें चोदने लगा। माँ के झुके होने और मेरे धक्के से उनके मुम्मे तेजी से हिल रहे थे। 

माँ – और जोर लगा।  मुँह में तो बड़ी तेजी से चोद रहा था।  जब चूत मिली तो थक गया।  दिखा अपना जोर।  चोद मुझे।  और तेज । 

दीदी वापस पीढ़े पर बैठ गईं और माँ के तेजी से हिलते मुम्मे को पकड़ कर उन्हें गाय जैसे दुहने लगी। 

दीदी – पेल दे मेरे भाई।  पेल अपनी माँ को।  जैसे मुझे माँ बनाया , इनको भी बना दे।  फिर मैं इनको ऐसे ही दुहूँगी।  

माँ – चुप रंडी।  पहले अपने थान को देख।  चू रही है।  खुद जब देखो बिना दुहे ही दूध बहा देती है , मुझे दुहेगी। 

दीदी – रंडी तो तुम हो।  मुँह में लेकर मन नहीं भरा तो चूत मरवाने लगी।  अभी गांड भी मरवायेगी। 

माँ – हाँ मरवाउंगी।  मेरा जना लंड है।  जहाँ मन करेगा वहां लुंगी। 

उन दोनों की उत्तेजक बात शौनक कर मुझे लगा मैं आ जाऊंगा।  माँ समझ गई।  बोली – खबरदार जो सर्रेंडर किया तो काट दूंगी तेरा लौड़ा।  सुना नहीं बहनचोद अभी गांड में भी चाहिए। 

माँ की बात सुनकर मैं थोड़ा रुका।  पर इस बार दीदी ने मेरा साथ सिया उन्होंने माँ के दूध को छोड़कर अपना मुँह माँ के चूर पर लगा दिया। 

मैं फिर से धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।  मेरे धक्के और दीदी के जीभ का असर था , माँ का शरीर कांपने लगा।  वो स्खलित होने लगीं।  मैं ठहर गया और उनको पकड़ कर खड़ा हो गया।  माँ के स्थिर होते ही मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया।  फिर पास ही पड़े शैम्पू के बोतल से खूब सारा शैम्पू निकल।  कुछ अपने लंड पर और कुछ माँ के गांड पर डालने के बाद मैंने माँ को फिर से झुकाया और इस बार इनके गांड में अपना लंड डाल दिया।  अब मैं माँ का गांड मार रहा था।  माँ फिर से मजे में आ गईं।  

माँ – देखा मेरे बेटे का दम।  पूरा मजा देता है तब भी थकता नहीं है।  आह आह।  मार ले मेरे लाल , मार मेरे गांड को तेरे लिए ही बचा कर रखा था।  तेरे पापा को भी नसीब नहीं हुआ था ये।  उफ़ और तेज।  जोर लगा। 

मैंने फिर माँ को खड़ा कर लिया और उनका गांड तेजी से मारने लगा।  दीदी अब उनके चूत की फिर से चुसाई शुरू कर चुकी थी।  मैंहम तीनो शावर के नीचे थे।  माँ के गांड में मेरा लंड और चूत में दीदी की जीभ।  अब मेरा लंड भी जवाब देने लगा था।  कुछ ही देर में मेरे अंदर का लावा फुटने को था।  जैसे ही मेरे लंड ने अपना माल माँ के गांड में छोड़ा उधर माँ ने फिर से आगे धार बहा दी जिसने दीदी नहाने लगी।   

मैं थक चूका था।  हम तीनो ने फिर अच्छे से नहाया।  वापस जाकर ड्राइंग रूम में गए तो वहां की हालत देख माँ ने सर पकड़ लिया।  कमरा गीला था।  

माँ ने कहा – उफ़ फिर से नहाना पड़ेगा। 

मैंने कहा – अकेले नहाना।  मुझे तो दोबारा भूख लग गई है।  दीदी तुम मैगी बना दो। 

माँ – हाँ बना मेरे लिए भी रखना।  मैं जरा सफाई कर दू। 

मेरा अगला हफ्ता बहुत बीजी रहा।  माँ और दीदी के साथ शॉपिंग और दीदी के साथ जबरदस्त चुदाई।  चुदाई जब होती तो दोनों ऐसे डूब जाते जैसे अगली बार नहीं होगी , यही आखिरी मौका है।  जबकि ऐसा नहीं था।  दीदी भले ही अपने ससुराल जा रही थी ,मैं वहां भी जाकर उनके साथ समय बिता सकता था , मस्ती कर सकता था। और उनके साथी की क्यों, उनकी सास और सोनिया भी थीं। पर हम दोनों जैसे पागल प्रेमी हो रखे थे।  

वीकेंड आते आते जहाँ मैंने अपने आपको मजबूत किया दीदी का रोना धोना बढ़ गया।  माँ ने ना जाने कैसे खुद को मजबूत बताया हुआ था।  वो उन्हें समझाती रहती थी। दीदी के जाने के एक दिन पहले श्वेता भी आ गई थी।  इतवार को सुबह सुबह जीजा जी और सोनिया दोनों आये।  दोनों करीब एक घंटे तक हमारे यहाँ रुके थे।  हम तीनो ने बड़े ही कड़े मन से दीदी को विदा किया।  जाते वक़्त दीदी और बच्चा भी रोने लगा।  उसे भी हमारी आदत थी।  जीजा को तो वो पहचानता ही नहीं था।  लड़की की विदाई का माहौळ ही ऐसा होता है की आँखे नम हो जाती हैं। 

जो माँ ने खुद को अब तक संभाला हुआ था वो भी उस वक़्त रो पड़ी।  खैर जो होना था वो होना था।  दीदी दो घंटे बाद चली गईं।  उनके जाने के बाद माँ भी फफक फफक कर रो पड़ी थी।  मैं भी रोही रहा था।  कहते हैं न जब सब कमजोर पड़ते हैं तो घहर का कोई सदस्य मजबूती से खड़ा रहता है।  ऐसे टाइम पर श्वेता ने हम दोनों को संभाला।  उसी ने शाम का खाना भी तैयार किया।  माँ ने पहले तो मन किया पर किसी तरह श्वेता ने उन्हें मनाया।  हम तीनो ने किसी तरह से खाना खाया।  माँ ने कहा वो सोना चाहती हैं।  श्वेता ने उन्हें रोक लिया। 

माँ – जाने दे।  आज कुछ करने का मन नहीं है। 

श्वेता – आप कमरे में जाकर सो भी नहीं पाओगी।  बैठो न।  कोई पिक्चर देखते हैं।  

माँ – मेरा मूड नहीं है। 

श्वेता – इसका मतलब आपको सिर्फ सुधा दी से प्यार है।  मैं आपकी बेटी नहीं ?

माँ ने ये सुनकर उसके गाल पर हाथ फेरते हुए कहा – तू तो बेटी भी है, बहु भी है और जान भी।  

श्वेता – ये हुई ना बात।  आपकी एक बेटी गई है।  दूसरी आ गई। थोड़ा समय मेरे साथ भी बिता लो। 

उसने मुँह बनाते हुए कहा – फिर मैं भी हॉस्टल चली जाउंगी। 

ये सुन मैंने कहा – तू यही शिफ्ट हो जा।  दीप्ति मैम से बात कर लेंगे। 

श्वेता – उसके लिए तुम्हे उन्हें और उनकी बेटी दोनों की जबरदस्त चुदाई करनी पड़ेगी। 

उसकी ये बात सुनकर मैं और माँ दोनों मुश्कुरा उठे। 

बात आगे बढ़ाते हुए उसने कहा – माँ, इसकी तो चांदी है।  घर में भी माल।  बाहर भी माल।  देखो कल ये चोदू राजा एक नए छूट को मारेगा

मैं – तू मान जाए तो किसी को न चोदू।  शर्त तूने ही लगाई है।  मुझे पूरा जिगोलो बना दिया है। 

श्वेता – मेरे राजा इसमें तुम्हारा ही तो मजा है। 

माँ का मूड हम दोनों की चुहलबाजी देख कर हल्का हुआ।  उनके चेहरे पर थोड़ा इत्मीनान आया देख मैंने कहा – बियर पियोगी माँ ?

माँ का भी मूड बना हुआ था।  उन्होंने कहा – कुछ हार्ड बना।  

मैंने अपने लैंड पर हाथ रखते हुए कहा – हार्ड तो ये आलरेडी बन गया है। 

माँ – तेरा तो ये हमेशा ही हार्ड बना रहता है। तुझे पता है श्वेता पिछले हफ्ते ये दोनों भाई बहन एक दुसरे सेएकदम चिपके रहते थे।  इसके लौड़े ने जैसे सुधा के चूत को अपना घर ही बना लिया था। 

मैं – चूत ही नहीं माँ गांड भी। 

श्वेता चौंक कर बोली – क्या सुधा दी की गांड भी मार ली। 

मैं – पहला उद्घाटन तो माँ का ही था। 

श्वेता ने माँ की होठो को किस करके कहा – आखिर आपने अपने बेटे से सील तुड़वा ही ली 

माँ – तेरी भी टूटेगी।  तेरी गांड तो सुहागरात वाले दिन ही तुड़वाउंगी। 

श्वेता – मेरी तो गांड किसी को नहीं मिलेगी। 

माँ – यही सुधा भी कहती थी।  पर पिछले हफ्ते इतना मरवाई है है की गांड न किला बन गया है। 

श्वेता हँसते हुए बोली – आपका क्या बना। 

तब तक मैं ड्रिंक और ग्लासेज लेकर आ गया था।  मैंने कहा – माँ की तो शायद एक या दो बार ही मारी थी।  

श्वेता ने  एक बियर उठा ली।  वो कम ही पीती थी। मैंने माँ के लिए ग्लास में कुछ पॉइंट्स डाले।  माँ ने उसे नीट ही पी लिया। 

माँ ने कहा – उफ्फ्फ , हार्ड तो है पर उतना नहीं। 

मुझे ये सुन आश्चर्य हुआ। मैं उन दोनों के सामने खड़ा था। तभी श्वेता ने मेरे बरमूडा को खींच कर उतार दिया और अपने बियर के बोतल से मेरे लैंड पर बियर गिरा लिए और मेरे लैंड को चूम कर बोली – अब ऐसे ड्रिंक  हार्ड लगेगी। 

मैंने ये सुन अपना लैंड उसके मुँह में पूरा घुसा सिया और कहा – ड्रिंक हार्ड या सॉफ्ट ये तो अंदर लेने के बाद ही पता चलेगा। 

श्वेता खांसने लगी।  मैंने लैंड बाहर कर लिया।  बोली – बलात्कार करेगा क्या ?

मैंने उसके गाल पर एक झापड़ मार दिया और कहा – मन तो कर रहा है। 

श्वेता – भोसड़ी के माँ का कर ले।  मेरे साथ कुछ भी जबरदस्ती की तो मुझे भूलना पड़ेगा। 

माँ ने उसे अपने पार खींच लिया और मुझे हौले से कहा – मादरचोद , जो प्यार से मिले वही लेना चाहिए।  देख फूल सी बच्ची का क्या कर दिया। 

उन्होंने उसको अपने आगोश में भर लिया। माँ रात को अपने उसुअल ड्रेस में थी – एक ब्लॉउज और पेटीकोट।  श्वेता ने एक शार्ट और टी शर्ट डाला हुआ था। 

माँ ने उससे कहा – हार्ड ड्रिंक मेरे लिए है। मेरी बच्ची तो सॉफ्ट ड्रिंक लेती है। 

माँ ने श्वेता की बियर की बोतल उठाई और अपने स्तनों पर थोड़ा सा गिरा लिया। श्वेता के मुँह उनके सीने से लगा ही हुआ था।  उसने गिरती बूंदो को चाटना शुरू कर दिया। 

माँ – पी जा मेरी बच्ची।  

माँ ने मुझे देखते हुए कहा – लौड़े मुझे भी हार्ड ड्रिंक देगा ?

मैंने ग्लास में ड्रिंक उड़ेली और अपने लैंड को उसमे भिगो लिया और माँ के सामने आकर खड़ा हो गया।  अब माँ बड़े चाव से मेरे लैंड को चूस रही थी। 

श्वेता – और पिलाओ न। 

मैंने माँ के हाथ से बोतल ली और उनके सीने पर गिराने लगा । श्वेता एक बिल्ली की तरह उसे चाटने लगी।  मैं बीच बीच में कभी बियर तो कभी हार्ड ड्रिंक के घूँट ले रहा था। माँ का पूरा ब्लॉउस गिला हो रखा था।  माँ का ही नहीं श्वेता का टी शर्ट भी पूरा गिला हो रखा था।  माँ मेरे लैंड को बड़े आराम से लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।  मुझे दीप्ति मैम और सरला दी की याद आ रही थी।  अगर उस दिन मैं दीप्ति मैम के यहाँ रुका होता तो शायद कुछ ऐसा ही माहौल होता।  

कुछ देर बाद मैंने माँ से कहा – माँ मुझे भी सॉफ्ट ड्रिंक पीना है। 

माँ ने प्यार से कहा – कहाँ भागी जा रही हूँ।  पी लेना। श्वेता तू एक बार हार्ड ड्रिंक फिर से ट्राई कर न बड़ा टेस्टी हो गया है। 

श्वेता  ने मेरे लैंड की तरफ देखा और कहा – जबरदस्ती तो नहीं करेगा न ?

माँ – करेगा तो साले का लैंड काट दूंगी। 

श्वेता – काट कर अपने चूत में रख लेना।  मुझे चाहिए होगा तो दे देना।  मैं अपने अंदर रख लुंगी। 

दोनों नशे में आ चुकी थी।  मैंने कहा – सॉरी अबकी नहीं करूँगा नहीं करूँगा।  तूने ऐसे वादे में डाल रखा है की मैं क्या करूँ तू कुछ करती भी नहीं है। 

श्वेता – उम्मम मेरा राजा ,आजा तेर लौड़े को प्यार करूँ। 

मैं उसके पास चला गया।  श्वेता ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और मुँह में अंदर बाहर करने लगी।  कुछ देर करते ही उसे फिर से खांसी आ गई।  उसने लंड बाहर निकाल दिया और कहा – कैसे कर लेती हो आप लोग।  मेरा तो दम घुटने लग रहा है। 

माँ ने उसके होटों पर लगे ड्रिंक और मेरे प्री कम को चाटा और कहा – इस लिए कहती हूँ कुछ प्रैक्टिस कर ले।  खैर जाने दे सब सीखा दूंगी। 

माइन माँ से कहा – मुझे भी सॉफ्ट ड्रिंक पीना है। 

माँ ने मेरे हाथ से गिलास लिया और अपने पेटीकोट की डोरी खोल दी और कहा – क्या करेगा सॉफ्ट ड्रिंक।  चल तू भी हार्ड ड्रिंक पी।  

मेरी तो चांदी हो गई।  मैं झट से उनके चरणों में बैठ गया।  माँ ने ड्रिंक की धार अपनी नाभि से गिरानी शुरू की।  मैंने माँ की चूत की पार अपने जीभ को चम्मच जैसा बना रखा था।  जैसे ही धार वहां तक पहुंची।  माँ रुक गईं।  मैंने एक एक बूँद ड्रिंक की चाटनी शुरू कर दी।  माँ की गिरी चूत का रास और दरनी दोनों का मिश्रण का स्वाद अलग ही था।  मैंने चूत ही नहीं बल्कि चूत की ऊपर से होते हुए उनके नाभि तक को चाट डाला।  हमारे घर की औरतों की नाभि गहरी थी।  माँ की सबसे गहरी।  मैं उसमे जीभ घुसा कर ऐसे अंदर बाहर करने लगा जैसे उसे ही चोद रहा हूँ।  तब तक श्वेता ने अपना टी शर्ट उतार दिया था और माँ का ब्लॉउज भी।  मैं और माँ पूरी तरह से नंगे थे और श्वेता टॉपलेस।  श्वेता मेरे सामने गाँव में नंगी हो चुकी थी पर सब छणिक ही था।  

आज उसने अपना पेंट नहीं उतारा था। उसने बियर का एक बड़ा सिप लिया।  कुछ घूँट खुद पिया और फिर अपने होतो को माँ की पास ले गई।  माँ ने मुँह खोल दिया।  श्वेता थोड़ा ऊपर हुई और उसने अपने मुँह से बियर माँ की मुँह में बूँद बूँद करके गिराना शुरू कर दिया। उसने कुछ घूँट माँ की घाटियों की बीच में भी गिरा दिया जो सीधे नाभि से होता हुआ नीचे आने लगा।  मैं फिर से उसे चूत से लेता हुआ नाभि तक चाटने लगा।  अबकी मैं उठ कर उनके स्तनों की घाटी को भी चाटने लगा।  श्वेता सोफे पर घुटनो की बल कड़ी अवस्था में थे।  उसके स्तन माँ की चेहरे की सामने थे।  माँ ने अपने जीभ से उसके एक स्तन की घुंडी को सितार की तार की तरह हिला दिया। श्वेता की स्तन सुडौल थे।  न बड़े न छोटे।  शायद आम सफेदे आम से हल्का बड़ा। उस पर से भूरे रंग का जो घेरा।  पर उसके स्तनों को सबसे अलग करते थे उसके निप्पल।  इरेक्ट होने पर एकदम नुकीले हो जाते थे।  कोई चाहे तो हाथ की अंगूठे और मिडिल फिंगर की कॉम्बिनेशन ( जैसे कैरम खेलते हैं ) उनको छेड़ सकता था।  माँ अपने जीभ से वैसा ही कुछ कर रही थी। शायर ये उसका वीक पॉइंट था।  माँ समझ गईं थी।  वो कभी उन्हें निचोड़ती तो कभी उन्हें जीभ से हिलाती। श्वेता बेचैन हो गई। 

श्वेता – उफ़ माँ।  क्या कर रही हो।  आग लगा दिया तुमने।  उफ़ , मा माँ सम्भालो।  

श्वेता का शरीर कांपने लगा और वो भरभरा कर माँ की ऊपर ही गिर पड़ी।  माँ ने उसे बाँहों में भर लिया – मेरी बच्ची।  प्यारी बच्ची।  तू तो इतने से मस्त गई।  लंड जायेगा तो क्या करेगी। 

माँ ने उसके पेंट की अंदर हाथ डाल दिया था। उनकी उंगलिया उसके क्लीट से खेल रही थी।  उधर मैं उनके क्लीट से। उन दोनों की लौडो को मजा था पर मेरा लौड़ा शिकायत की मूड में था। 

मैंने माँ से कहा – अब मुझे चोदना है। 

माँ – चोद न फिर किसने रोका है। 

मैं भी मूड में था – तुम दोनों की रासलीला चल रही है।  

माँ – वो तो चलेगी।  हाथ आई लौंडिया न तू छोड़ेगा न मैं।  और ये तो बहुत दिनों बाद आई है। 

मैं – अब बर्दास्त नहीं होता। 

माँ – रुक। 

माँ ने श्वेता को सोफे पर ठीक से बिठा दिया।  उन्होंने उसके पेंट को उतार दिया।  खुद निचे मेरी तरह हो गईं।  माने उसके सामने चौपाया। मैं थोड़ा पीछे हुआ। मेरा एक मन तो किया गांड ही मार लूँ। 

माँ ने मेरा मन पढ़ लिया था।  बोली – बहनचोद , पहले चूत की खुजली मिटा। इतने दिनों से बहन की चूत में घुसा था मेरी चूत बहुत प्यासी है। पहले उसकी प्यास बुझा। 

मैंने माँ की चूत में पीछे से अपना लंड डाला और माँ को चोदना शुरु कर दिया।  माँ ने श्वेता की चूत पर जीभी फिरानी शुरू कर दी।  श्वेता फिर से होश खोने लगी थी।  उसने अपने हाथों से ही अपने निप्पल खींचने शुरू कर दिए। 

श्वेता – माँ उफ़ , आह।  मजा आ गया। जीभ अंदर लो न।  उफ़ हाँ ऐसे ही। 

मैं माँ को चोद रहा था और उसके चेहरे की वासना देख रहा था।  श्वेता फिर से छटपटाने लगी थी।  उसने आँखे खोल दी और मेरी तरफ देखा। 

नजरे मिलते ही उसने कहा – मादरचोद इधर क्या देख रहा है।  

मैं – अपनी जान को देख रहा हूँ।  कितनी सेक्सी लग रही हो।  एकदम चुदास। 

श्वेता – भोसड़ी की , चोद माँ को रहा है और सेक्सी मुझे कह रहा है। 

मैं – माँ तो सेक्स की देवी हैं।  उपमा से परे। 

माँ – शायरी , कविता छोड़ तेजी से चोद।  मेरा आने वाला है।  तेजी से धक्के लगा।  पेल दे मेरी चूत को बहा दे नदियां। 

श्वेता भी बेशर्मी से बोली – चुद रही हो फिर भी चैन नहीं है।  आज इनके चूत का भोसड़ा बना दो राज।  

माँ ने कहा – पहले तेरी चूत की खबर लेती हूँ। ‘हम दोनों अपने काम पर लग गए।  श्वेता में पेअर सिकोड़ लिए थे और माँ की सर को जकड लिया था।  वो एकटक मुझे देखे जा रही थी।  

हम तीनो अपने चरम अवस्था पर पहुँचने वाले थे।  माँ और श्वेता का शरीर कांपने लगा था।  माँ की जंघे ताकत खो चुकी थी और बुरी तरह से थरथरा रही थी। वैसा ही हाल श्वेता का भी था।  मैं भी उनके साथ ही स्खलित हुआ। मेरे लंड ने भी माँ की चूत में माल उड़ेल दिया। श्वेता सोफे पर सर पीछे करके हो गई।  माँ ने अपना सर उसके जाँघि पर राखी दिया था और बैठ गई थी।  मैं भी वहीँ जमीन पर उनके एक पेअर पर सर रख कर लेट गया। तीनो ने जबरदस्त ओर्गास्म पाया था। हमें होश नहीं था।  हम तीनो अलग ही दुनिया में थे। 

तभी फ़ोन की घंटी बजी। मैंने कहा – इस वक़्त किस बेटीचोद को हमारी याद आ गई।  

माँ ने कहा – सुधा होगी। 

मैंने फ़ोन उठा लिया और स्पीकर पर रख दिया।  मैं – हाँ दीदी , कैसी हो ?

दीदी – तू हांफ क्यों रहा है ? माँ और श्वेता कहा हैं ?

माँ – हम यहीं है।  ठीक हैं। 

तभी उधर से हंसने की आवाज आई।  दीदी ने धीरे से कहा – क्या करती है।  थोड़ा सा सब्र नहीं है।  फ़ोन पर हूँ। 

उधर से सोनिय की आवाज आई – उधर भी खेल चल ही रहा है।  चोदू लाल ने लगता है दोनों चूत बजा दी आज। 

श्वेता – चुप रहो।  मैंने अभी वादा नहीं तोडा है। 

तभी दीदी की आवाज आई – अम्मा जी आप भी।  रुकिए तो। 

उधर से रत्न आंटी की आवाज आई – थोड़ा पीला दे न।  प्लीज।  बहुत मन है। 

माँ ने हँसते हुए कहा – रत्ना जी चूस लीजियेगा अच्छे से।  बहुत भरा हुआ होगा।  दामाद जी को भी पीला दीजियेगा।  हो सके तो उनके पापा को भी। 

रत्न आंटी की आवाज आई – नमस्ते जी।  वो दोनों तो अभी अभी पीकर गए है। एक साथ थन से ऐसे लटके थे जैसे कुटिया की बच्चे हों। 

मैंने कहा – खबरदार जो मेरी बहन को कुटिया कहा त।  आकर वही चोद दूंगा दोनों माँ बेटी को।  

रत्ना आंटी हँसते हुए – फिर तो कुतिया ही कहना पड़ेगा। 

ये सुन हम सब हंसने लगे।  माँ ने कहा – मेरी बेटी को ज्यादा परेशान मत करियेगा। आराम आराम से। 

सुधा दी –  ठीक है माँ।  आप लोग मजे में हैं ये सुन अब चिंता दूर हो गई।  गुड नाइट। 

हम तीनो ने भी कहा – गुड नाइट। 

नाइट तो गुड हो गई थी।  तसल्ली हुई की दीदी को वहां भी सुख देने वाले हैं। क्या हुआ लंड रोज नहीं मिले तो।  एक औरत तो वास्तव में बाहर से ही खुश हो जाती है।  वहां सोनिया और आंटी को ये हुनर आता था।  यहाँ माँ ने श्वेता को खुश कर दिया था।  बाकी दीदी का ससुराल कुछ घंटो की दुरी पर था।  दुध और तीन चूत तो मैं कभी भी मार कर आ सकता था। यही सोच रहा था की माँ ने कहा – नशा भी उतर गया और भूख भी  इलाज गई। शाम को कुछ ख़ास नहीं खाया था। 

श्वेता ने अपनी पेंटी उठाई और पहन लिया।  वो उठकर किचन में जाने लगी।  उसने कहा – मैगी बनाती हूँ । आप बैठिये। 

माँ सोफे पर बैठ गईं।  मैं उनके गोद में सर रख कर लेट गया और श्वेता की थिरकते पिछवाड़े को देखने लगा।  

माँ ने कहा – मस्त माल है।  बच्चे ताकतवर होंगे।  

उसकी जाँघे और हिप्स बहुत ही सुडौल थे।  मजबूत पर पुरे शेप में।  न बड़े न छोटे।  श्वेता को पता था हम क्या देख रहे हैं।  उसने वहीँ से कहा – सिर्फ देखने की लिए है।  मारने की सोचना भी मत। 

माँ – हाँ।  सही बात है।  गांड तो तेरा बेटा मारेगा।  

ये सुन हम सब हंसने लगे। रात अभी ख़त्म नहीं हुई थी।  बात अभी ख़त्म नहीं हुई थी।  पर इस बची हुई रात की बात तो मैं बताऊंगा ही पर आने वाले कल या परसों भी एक धमाकेदार चुदाई होनी थी।  उस पार्क वाली महिला की साथ।  

मैं और माँ वहीँ सोफे पर थे। अभी माँ ने मेरे गोद में सर रखा हुआ था। मैं एक हाथ से उनके बालो में अपनी उँगलियों से कंघी कर रहा था तो दुसरे से उनके बदन के ऊपरी हिस्से को प्यार से सहला रहा था। हम दोनों बीच बीच में एक दुसरे को किस भी कर रहे थे।

माँ ने मुझसे कहा – साला इतनी चुदाई हुई की नशा ही उतर गया।

मैं – हाँ , और पीना है क्या ?

माँ – पीला न , पर खुद पीकर पीला। मेरा उठने का मन नहीं है।

मैंने वहीँ से ग्लास में रखे पेग को उठाया और मुँह में भर लिया। कुछ सिप तो खुद घोंट लिया फिर माँ के चेहरे के ऊपर झुका। माँ ने अपना अपना मुँह खोल दिया  मैंने अपने मुँह से धीरे धीरे उनके मुँह में डालना शुरू कर दिया। कुछ सिप पिया ही था की श्वेता मैगी लेकर आ गई। वो कुछ ड्राई फ्रूट्स भी एक प्लेट में लेकर आई थी। अबकी वो सोफे के पास एक स्टूल लेकर बैठ गई। माँ मेरे ऊपर ही थोड़ा ऊपर हो कर मेरे सीने से पीठ सटा कर अधलेटी अवस्था में हो गई। श्वेता एक ही प्लेट में मैगी लेकर आई थी। उसने थोड़ी से मैग्गी ली और माँ से कहा – लो माँ।

माँ ने मुँह खोल दिया और उसने उसमे मैगी डाल दिया। उसने फिर थोड़ मैगी मुझे दी।

उसने मुझसे कहा – थोड़ी मुझे भो पिलाओ।

मैंने वैसे ही कुछ सिप लिया और अपना चेहरा उसके ऊपर किया उसने मुँह खोल दिया मैंने अपने मुँह से उसके मुँह में डाल दिया। इस चक्कर में कुछ बूंदे उसके सीने पर गिरी जिसे माँ चाट गई। श्वेता अब काफी खुल गई थी। वो हमारे सामने सिर्फ एक पैंटी में थी। उसके तने हुए स्तन और उभरी हुई घुंडीया मुझे लालच दे रही थी। मैंने एक हाथ बढ़ा कर उसके स्तन पकड़ लिए। उसने मुझे मना नहीं किया। बल्कि मेरे हाथ लगाने से उसके निप्पल और कड़े हो गए। एकदम खजूर जैसे। मैं उन्हें बड़े आराम से अपनी उँगलियों के बीच दबा सकता था। मैंने वही किया। बल्कि जोश में आकर थोड़ा खींच लिया।

वो चिहुंक कर बोली – नोच क्यों रहा है। आराम से दबा न।

माँ ने मेरे अंदर भड़कते आग को समझ लिया था। वो अब मुझे और श्वेता को नजदीक लाना चाहती थी। वो उठकर बैठ गई। उन्होंने श्वेता के हाथ से मैगी ले लिया और कहा – बड़ी सेवा हो गई। मुझे खिलाने दे।

मैंने श्वेता का हाथ पकड़ कर उसे अपने गोद में बिठा लिया। वो भी बड़े आराम से आ कर बैठ गई। पर मेरे गोद में बैठते ही मेरे लैंड का एहसास हुआ ।

उसने मुझे धमकाते हुए कहा – अपने लौड़े  को काबू में रखना। अंदर नहीं जाना चाहिए।

मैं – तेरी चूत काबू में है क्या ? देख झरने की तरह बहे जा रही है।

श्वेता – बहने दे। उसके पानी से नहा ले चाहे तो , पर झरने के श्रोत में अभी नहीं घुसेगा। वो ख़ास दिन के लिए है। समझ रहा है ना।

मैं – चलो ना आज ही ख़ास दिन बना लेते हैं।

श्वेता – माँ चोद मन नहीं भरा है। जितना मिल रहा है , उतने का मजा ले ले। वार्ना उठ जाउंगी , लंड हिलाते रह जाओगे।

मैंने और रिस्क नहीं लिया। माँ हम दोनों को मैगी खिलाने लगीं। मैं श्वेता के मुम्मे दबा रहा था। उसके निप्पल निचोड़ रहा था। निप्पल उसकी कमजोरी थी। वो सिसकियाँ लेने लगी थी। धीरे से उसने कहा – प्यार से दबाओ। दर्द मत दो।

मैं आराम से उसके मुम्मो को सहलाने लगा और निप्पल छेड़ने लगा। बीच बीच में मैं उसके कान के लबों को चूमता तो कभी उसके गर्दन को।

मेरा एक हाथ उसके नाभि और सपाट पेट को सहला रहा था। जिसे मैं धीरे धीरे उसके पैंटी के अंदर ले गया। उसने आँखे बंद कर ली थी। उसका हाथ मेरे हाथ को गाइड करने लगा था। उसने मेरी उँगलियों के बीच में अपने क्लीट को फंसवा लिया और खुद अपनी ऊँगली चूत के लबों के पास ले गई। मैं समझ गया था उसे क्या चाहिए। अब मेरा एक हाथ उसके क्लीट को छेड़ रहा था और दुसरे उसके निप्पल को

उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं। मेरा लंड उसके गांड के फांक के बीच फंसा था। उसकी कमर अब आगे पीछे होने लगी थी। हम दोनों ने आँखे बंद कर ली थी। श्वेता ने धीरे से कहा – बहुत मजा आ रहा है राज। मुझे कभी छोड़ना मत। बस जकड़े रहो। पर संभाल कर , अपने हथियार को काबू में रखना प्लीज। आह इस्सस इस्सस मा मा कहाँ जा रही हूँ मैं। बचा लो। मैं बहे जा रही हूँ।

माँ भी अब उसके नजदीक आ गई और उसके होठो को चूमने लगी। वो हम दोनों के बीच में थी।

उसने अपना हाथ अपने चूत से हटा लिया और माँ को कंधे से पकड़ लिया।

श्वेता – माँ आप दोनों ही मेरे अपने हो। बस मुझे बहने से बचा लो। मुझे कुछ कुछ हो रहा है।

माँ – बस बेटी , मेरी दुलारी। कुछ नहीं होगा तुझे। हम दोनों हमेशा तेरे साथ रहेंगे। तू मेरी बेटी भी है , दिल की रानी भी और मेरी बहु भी।

श्वेता ने तेजी से कमर हिलना शुरू कर दिया। मेरी उँगलियाँ उसके चूत और क्लीट पर हरकत कर रही थी और मेरा लंड उसके पीछे। हम दोनों की कश्ती माँ संभाले हुए थी। हम दोनों पार लगने वाले थे। श्वेता का शरीर कांपने लगा था। उसका ही नहीं माँ को भी ओर्गास्म आ गया था। मेरा लंड भी बस लावा उगलने वाला था। कुछ देर में हम तीनो एक साथ तेजी से ओर्गास्म की और बढ़ चले। हम तीनो ने एक दुसरे को जकड़ा हुआ था। मेरे माल से उसकी पैंटी गीली हो गई थी। पर उसे फिक्र नहीं थी। हम तीनो एक दुसरे से चिपके हुए थे।

कुछ देर बाद माँ उठी। उन्होंने कहा – मुझे बाथरुम जाना है।

श्वेता भी धीरे से बोली – मुझे भी।

मैं – मुझे भी आई है।

हम तीनो एक दुसरे का हाथ पकडे बाथ्ररोम में पहुँच गए। लाज शर्म का पर्दा काफी हद तक उठ चूका था। हम तीनो बाथरूम में फिर से चिपक गए। श्वेता हमारे बीच में थी। मेरे तरफ मुँह किये हुए। हम एक दुसरे को अपने गरम पानी से नहला रहे थे। गरम सोते से पानी निकल रहा था और अंदर की गरमी भी धीरे धीरे निकल रही थी। हमने इतनी पी रखी थी की रुक रुक कर मुते जा रहे थे। कुछ देर बाद हम तीनो ने हल्का सा शावर लिया। माँ ने हमारे बदन को पोछा। हममे से कोई बोल नहीं रहा था। श्वेता तो चुप थी। उसके मन में कुछ चल रहा था। बदन पोछने के बाद उसने एक पतली सी स्लीव डाल ली और निचे एक थोंग पहन लिया। मैं और माँ बिना कपडे के थे। हमने वापस जाकर थोड़ा बहुत खाया। अबकी हमने एक एक बोतल बीयर पी और कमरे में जाकर सो गए।

सुधा दी हमसे दूर गईं थी पर उनके जाने से श्वेता हमारे और नजदीक आ गई थी। दिल के करीब तो वो थी ही जिस्म भी करीब आ गए थे। मैं बस यही सोच रहा था कब इसकी शर्त ख़त्म हो और ये पूरी तरह से मेरी हो जाए। उधर माँ भी श्वेता को पाकर धन्य थी। बिस्तर पर श्वेता उनसे ही चिपकी सो रही थी। दू के चेहरे पर प्यार भरी मुस्कान और सकूं था। जब तक ये दोनों मेरी जिंदगी में थी मुझे कोई फिक्र नहीं थी। मैं जिंदगी में कुछ भी बन सकता था। अब मुझे जल्दी ही अपने पैरों पर खड़ा होना था।

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top