मेरी माँ बहने और उनका परिवार – Update 25
रात भर मामी के चक्कर में जगे रहने और फिर दिन में चुदाई से, हम दोनों इतने बुरे तरीके से थके थे कि समय का अंदाजा ही नहीं रहा। फोन के घंटी से एक साथ हम दोनों की नींद खुली। बिस्तर पर हम दोनो नंग धडंग पड़े हुए थे। चादर कहीं और पड़ा था। जैसे ही उसकी नजरें मुझसे मिली उसने चादर उठा कर ओढ़ ली। मैं उसकी ये हरकत देख मुश्कुरा उठा।
उधर फ़ोन पर श्वेता – कहाँ हो? कितनी देर हो गई है ? माँ घर जाने को बोल रही हैं। रात के खाने के लिए।
मैं – हाँ आता हों। गहरी नींद आ गई थी।
श्वेता – लगता है मैदान मार लिया।
मैं – हाँ।
श्वेता – बधाई हो। उसे चलने लायक छोड़ा है भी नहीं ?
इधर श्वेता बोली उधर सोनिया जो कि बिस्तर से उठने की कोशिश कर रही थी एकदम से लड़खड़ा गई। उसके मुँह से चीख निकल गई – उई माआ।
श्वेता – देख उसे क्या हुआ ?
मैं सोनिया से – क्या हुआ ?
सोनिया – बहुत दर्द हो रहा है। चला नहीं जा रहा।
मैं – तुम लेट जाओ। मैं दवा देता हूँ।
सोनिया – हम्म्म। अब सब क्या सोचेंगे ? हे भगवान् क्या हो गया।
मैं – इसमें सोचने की कोई बात नहीं है। सबको पता है आज नहीं तो कल ये होना ही था। कल तक ठीक हो जाओगी।
सोनिया – हॉस्पिटल ?
मैं – तुम रहने दो आज। कल तक ठीक हो जाओगी।
सोनिया की हालत खराब थी। मैंने उसे दवा दिया और पानी गरम करके सेंकने को कहा। वैसे तो वो बहुत जिद्द कर रही थी पर मैंने उसे घर पर ही छोड़ दिया और हॉस्पिटल की तरफ निकल पड़ा।
वहां मुझे अकेला देख सब मुश्कुरा रहे थे पर किसी ने कोई सवाल नहीं पुछा। तय ये हुआ कि माँ और श्वेता घर जाएँगी। मैंने उन्हें भी मना कर दिया। सोने में दिक्कत होती। यहाँ मैं और मामा रुकने वाले थे। कोई रुकता तो मामा को आराम नहीं मिलता।
मैंने अभी तक मामा की बेटी को नहीं देखा था। मैं उनके कमरे में गया तो उनके गोद में एक प्यारी सी बच्ची थी। बहुत ही सुन्दर, एकदम फूल सी। मामी भी निखर गई थी। उनका बदन तो पहले से ही भरा था अब और भी भर गया था। मुझे देखते ही वो खुश हो गईं।
मामी – बधाई हो , छोटी बहन आई है। और हाँ उसके लिए भी।
मैं – आपको भी। कितनी प्यारी है। आपकी तबियत कैसी है ?
मामी – सही हूँ। मस्त। पर मोटी हो गई हूँ।
मैं – गदरा गई हैं। पहले से थोड़ा ज्यादा। मामा को और मजा आएगा।
मामी – अब तो तुझे मजा देना है। दूध पियेगा ?
मैं – क्या मामी आप भी। अभी इसे दो।
मामी – ये अभी कहाँ ले रही है। पर मेरे थन देख कितने भर गए है।
मामी ने अपने हॉस्पिटल गाउन के बटन खोल अपने स्तन दिखाने लगीं। उनके स्तनों का साइज़ सच में बढ़ गया था। सुधा दीदी की तरह ही गहरे भूरे ओरोला और उसके ऊपर बड़े खजूर जैसे निप्पल। एक बार को मन हो आया कि ले लूँ पर खुद को संभाल लिया।
मैं – अरे मामी कवर करो। कहते हैं नजर लग जाती है। बिटिया के ऊपर असर पड़ेगा। मामा समझाओ इन्हे।
मामा – अरे यार ये तो एकदम ठरकी हो चुकी है। अब जब तक इसके सारे छेदों में लंड दुबारा नहीं जायेगा इसे चैन नहीं आएगा।
मैं – फिर तो नाना को भी बुलाना पड़ेगा। मुँह बंद करने के लिए भी तो कुछ चाहिए।
मामी – ना बाबा ना। बहुत हुआ। मुझे कोई छूट ही दिला देना चाटने को। ये बता सोनिया कैसी है ? कैसा है उसका स्वाद ?
मैं हँसते हुए- सच में एकदम ठरक चढ़ी है।
मामी – सच में बता ना या। कैसी माल है ?
मैं – अरे मामी ज्यादा कुछ नहीं कर पाया। बस कल रात चोद लिया उसे।
मामी – कोई फोरप्ले नहीं ?
मैं – थोड़ा सा। हम दोनो को चुदाई की जल्दी थी।
मामी – कोई बात नहीं। अभी वो है यहाँ। कर लियो पूरी मस्ती।
मैं – हम्म। अच्छा आप लोग आराम करो दीदी अकेली होंगी चलता हूँ।
जैसे ही मैं उनके कमरे से बाहर निकला वही नर्स मिल गई। मेरे साथ चलते चलते उसने कहा – क्यों हीरो , कैसा है ? आज कहाँ छोड़ दिया अपनी माल को ? आज नहीं आई।
मैं कुछ नहीं बोला।
नर्स- शर्मा रहा है। लगता है उसका बंद बजा दिया। अकेला है तो आज फिर मिलें ?
मै – मेरे पीछे क्यों पड़ी हो ?
नर्स – दिल आ गया है तुझ पर।
मै – ज्यादा पंगे मत लो।
नर्स – अभी कुछ ख़ास लिया ही कहाँ है।
तब तक दीदी का कमरा आ चूका था मैं अंदर चला गया और नर्स अपने नर्सिंग स्टेशन पर।
सुधा दी – मिल आया अपनी प्रेमिका से ?
मैं – अरे वो तो गजब ठरकी हो चुकी हैं। उनका बस चले तो अभी यहीं थ्रीसम कर लें।
दीदी – जब औरत को कई दिनों तक लंड नहीं मिलता है तो यही हाल होता है। मर्द लोग तो इधर उधर मुह मार लेते हैं। मामा तो कई बात सुशीला मौसी और लीला दी को पेल चुके हैं। दोनो कई बार मामी का ख्याल रखने के चक्कर में चुद चुकी हैं। तू भी तो ~~
दीदी ने बात अधूरी छोड़ दी। सच में, मैं भी तो पुरे मजे ले रहा था। दीदी को तो बल्कि डॉक्टर ने सेक्स के लिए एकदम मना कर रखा था। मामी ने गांड मरवा कर कुछ तो हवस मिटा ली थी पर दीदी एकदम भूखी थी।
मैंने उनसे कहा – सॉरी दी।
दीदी – अरे यार। सॉरी वोर्री कुछ नहीं। वो तो मेरे मुँह से निकल गया। तेरी उम्र है। और कौन सा तू मेरा मरद है।
मेरे आँखों ने ये सुनकर आंसू आ गए। मैंने उनके पास गया और उनके माथे को चूम कर बोला – गोवा भूल गई ?
दीदी भी रोने लगीं। बोली एक औरत कभी भी कुछ भी नहीं भूलती। पर मेरा तेरा भविष्य नहीं है। वो तो बस मन में था कर लिया।
मैं – पर सच यही है कि अभी आप मेरी बीवी हो और मेरे बच्चे की माँ भी । कोई रस्म न हुए हो कोई कानूनी बंधन भले नहीं हो पर दिल से आपने भी मुझे अपना पति माना था और मैं भी उस समय आपको पत्नी मान कर ही चला था। सच कहूँ तो आज भी आप ही मेरी हो। और आज मैं वादा करता हूँ कि भले कानूनी तौर पर आप मेरी पत्नी न हो पर मैं आपका हमेशा ख्याल रखूँगा। आपके मर्जी के बगैर मैं कोई काम नहीं करूँगा। आपसे कोई भी बात नहीं छुपाऊंगा। आज से मेरा कोई भी सम्बन्ध आपके परमिशन के बिना नहीं होगा।
दीदी ये सब सुन रोने लगीं। बोली -सात वचन से ज्यादा हो गए। बस कर।
ये सुन मेरा रोना रुक गया। तभी कमरे में श्वेता दाखिल हुई।
हम दोनो को ऐसे देख वो बोली – गजब है ये लड़का भाई। सबको दीवाना बना रखा है। एक घर पर है , उधर मामी इसके गुणगान गा रही हैं और यहां तुम।
दीदी भी बोल पड़ी – और एक तू है। बर्दास्त नहीं हुआ क्या इससे अलग रहना।? क्यों आ गई ?
श्वेता – भाई खाना देने आई थी। बहनो को भाई कि चिंता रहती है। एक बहन ने उधर मामा के लिए बना कर भेजा है और एक मैं चली आई।
दीदी – बड़ी आई तू इसकी बहन।
श्वेता – मैं बहन ही हूँ , ये अलग बात है ये साला बहनचोद है।
हम सब ये सुन हंस पड़े। फिर श्वेता ने बताया कि माँ को मेरी और मामा के खाने की चिंता थी तो उन्होंने फटाफट से बना कर दिया है। मामा को उनके कमरे में देकर आई थी। उसने कैब निचे ही रोक रखी थी। खाना देकर वो चली गई।
कमरे में मैं और दीदी ही रह गए। मैं काफी देर तक बच्चे के साथ खेलता रहा। दीदी को नर्स ने फिर से कुछ दवाएं दी थी वो सो गईं और मैं भी बेड पर लेट गया।
रात काफी देर हो चुकी थी तो दीदी ने मुझे जगाया। उन्हें बाथरूम जाना था। मैंने ड्रिप हटा दी और सहारा देकर ले गया। बाथरूम से लौटकर वो लेट गईं। हम दोनो की नींद खुल चुकी थी।
दीदी ने धीरे से मुझसे कहा – सो गया क्या ?
मैं – नहीं।
दीदी – पियेगा
मैं समझ गया दीदी एकदम चुदासी हो रखी हैं। मन मेरा भी कर रहा था। दीदी को प्यार किये काफी दिन हो गए थे। आज चुदाई तो नहीं कर सकता था पर प्यार तो कर ही सकता था। मैंने बच्चे को पालने में सुला दिया। दीदी अपने बेड के किनारे हो गई थी। उन्होंने मेरे लिए जगह बना दी थी। मैं उनके बगल में लेट गया। उन्होंने मेरे माथे पर किस किया। उन्होंने अपने बाहों के ऊपर मुझे बच्चे कीतरह लिटा दिया। फिर अपने गाउन का बटन खोल दिए। मैंने उनके एक स्तन को मुँह में ले लिया। होठ लगाते ही उनके स्तनों से दूध की धार मुँह में आने लगी। दूध क्या था हलके पानी सा था। पर मेरे पीने से दीदी को बहुत रहत महसूस हुई। शायद उनके स्तनों में दूध बहुत भर गया था और वो उस वजह से परेशान थी। उन्हें हल्का सा महसूस होने लगा। अब वो मेरे बालों को सहला रही थी। मैंने उनके दुसरे स्तन पर हाथ लगाया तो उन्होंने मन कर दिया। बोली – बहा कर खराब मत कर। कपडे और बेड गीले हो जायेंगे।
कुछ देर पीने के बाद दीदी ने दूसरा स्तन भी मुझे दे दिया। मैंने दोनों को खाली कर दिया। मैंने फिर दीदी के होठो पर किस करके बोलै – मजा आ गया।
दीदी – मुझे भी अब हल्का लग रहा था। दीदी मुझे प्यार से बाँहों में भरे हुए थी। मैं कभी उनके गालों को , कभी गर्दन को तो कभी स्तनों को किस करता। दीदी उत्तेजित हो रही थी। उन्होंने मुझे मना कर दिया। बोली – बस कर, मेरा मन कर जायेगा और मैं कुछ कर नहीं सकती। चल अपना लंड दे, तेरा पानी निकाल दूँ। मैं बेड से उतर गया और उठ कर उनके चेहरे के पास आ गया। मैंने अपना पैंट निचे किय। मेरा लंड अजगर की तरह फुफकारने लगा।
दीदी – रात सोनिया को पेल कर आया है फिर भी एकदम तैयार है।
मैं – तुम्ह देख कर तैयार हुआ है।
दीदी ने मेरे लंड को हाथ से आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
बोली – अब तैयार हुआ है तो ख्याल भी रखना पड़ेगा। वैसे ये बता उस नर्स को भी पेल लिया न ?
मैं – तुम्हे कैसे पता ?
दीदी – मुझे उस पर पहले से शक था। बड़ी चुदक्कड़ लग रही थी। कंडोम लगा कर लिया है न ?
मैं – आह आह। हाँ उसने खुद भी दिया था। बिना प्रोटेक्शन के सेक्स करता भी नहीं।
दीदी – और सोनिया के साथ ?
मैं – नहीं। वो तो कुँवारी थी। मुझे जरूरत नहीं लगी।
दीदी – हाँ। शादी के वक़्त से देख रही हूँ। सिर्फ मुझसे लगी थी और अपनी माँ से। सेफ है वो। पर अब पता नहीं। वैसे उसकी फाड़ तो नहीं दी न ?
मैं – उफ़ , जरा मुँह में लो न।
दीदी ने थोड़ा खिसक कर आगे आईं और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।
मैं – आह , बस ऐसे ही। क्या मस्त चुस्ती हो दीदी। आह आह। सोनिया को दवा दिला दूंगा। प्रेग्नेंट नहीं होगी। बेचारी ने जोश जोश में ले तो लिया पर दर्द बाद में मालूम पड़ा।
दीदी – गलप गलप , हम्म,काफी समय से बहुत दिन सेतुम्हारे लंड की दीवानी थी। मूड बना कर आई थी। सही किया पेल दिया। आज कल का दर्द है बस फिर खुद ही कूदेगी तुम्हारे लंड पर।
मैं – आह हम्। उफ़। हाँ छोड़ने को तो उसकी माँ भी छोड़ दूँ। उस समय आया था तभी लग रहा था चुद जाएगी। पर बच गई।
दीदी – गलाप गलप। चिंता मत कर। वो भी मानेगी नहीं। फ़ोन आया था। यहाँ आने को बेचैन है। हो सकता है एक आध दिन में आ जाये। माँ बेटी को एक साथ चोद देना।
मैं आँखे बंद कर दोनों को एक साथ चोदने की कल्पना में खो गया। मेरा लंड भी माल छोड़ने को तैयार था।
मैं – बस मेरा होने वाला है। अहह आह चोद दूंगा उन दोनों को। आह दीदीईईईईई।
दीदी ने मेरा माल पूरा पी लिया। एक भी बूँद वेस्ट नहीं किया। बल्कि सब घोंट कर लंड को दोबारा चाट लिया।
दीदी – मजा आ गया। अब जरा ठंढा पानी पीला।
मैंने अपना पैंट ऊपर किया और उन्हें पानी पिलाया। खुद भी पीया। उसके बाद दीदी ने बच्चे को अपने पास किया और सो गईं।
मैं भी बेड पर जाकर सो गया। मुझे गहरी नींद आ रही थी। दीदी भी संतुष्ट थी। शायद वो मेरे साथ अकेले समय बिताना चाह रही थी जो आज हुआ।
ऐसे ही करके मेरे दिन और रात बीत रहे थे। पर उस दिन की चुदाई के बाद मुझे कोई और चूत नहीं मिली। इसी बीच सरला दीदी के यहाँ से इस बार फिर से खुशखबरी आई। वो दोबारा प्रेग्नेंट हो गईं थी। तीन दिन बाद दीदी घर आ गईं। श्वेता और सोनिया ने मिलकर पुरे घर को सजा रखा था। दो एक दिन के बाद माँ ने पंडित से बात की और घर में बच्चे के नामकरण और कुछ अन्य संस्कार करने के लिए पार्टी रखवाई। डेट इस तरह से तय किया गया था की मामी भी घर आ जाती। बल्कि मामी और दीदी दोनों को थोड़ा आराम भी मिल जाता। पार्टी में दोनों मौसी लोगों को और बहनो के ससुराल वालों को बुलाया गया था।
मैं अब पार्टी की तैयारी में व्यस्त हो गया। दिन भर कभी माँ के साथ शॉपिंग तो कभी श्वेता और चाची के साथ। माँ ने सोनिया के लिए भी कपडे ख़रीदे और सभी मेहमानों के लिए गिफ्ट भी लिया।
सरला दी के ससुराल वालों ने उनके प्रेग्नेंसी की वजह से आने से मना कर दिया था। वो लोग इस बार कोइ गलती नहीं करना चाहते थे। पर माँ के कहने पर वो लोग तीन महीने बाद सरला दीदी को यहाँ भेजने को तैयार हो गए थे।
इन सबके बीच मेरी हालत खराब थी। मैं सिर्फ इकलौता मर्द ही नहीं था बल्कि अकेला गाडी चलाने वाला भी था तो दिक्कत हो रही थी। कभी कभी ये लोग अकेले टैक्सी करके भी चली जाता तो थोड़ा आराम मिल जाता।
पर घर में इतनी औरतें होने से एक फायदा था की बच्चे को सब हाथों हाथ ले लेते थे। सुधा दी को भी काफी आराम था। पर मेरी हालत खराब थी। मामी को भी मदद चाहिए थी। वहां मामा अकेले पद गए थे। कुछ दिन में वहां बड़ी मौसी और लीला दीदी आ गए। फंक्शन से दो दिन पहले मेरी छोटी मौसी और उनके बच्चे घर आने वाले थे।
मैंने आपको छोटी मौसी के परिवार के बारे में नहीं बताया। मेरी छोटी मौसी का नाम मंजू था। वो माँ से तीन साल छोटी थी। उनसे मेरा मिलना बहुत कम था। पापा के मौत के टाईम मौसी और मौसा ही आये थे। माँ के अनुसार
मौसा और मौसी भी सेक्स के मामले में खुले विचार के थे। पर बच्चों के होने के बाद से वो थोड़ा रिज़र्व रहने लगे थे। नाना ने मंजू मौसी से भी बहुत मजे लिए थे। उनका एक लड़का था जो मेरे ही उम्र का था। उसका नाम विक्की था। उनकी एक लड़की थी जिसका नाम मोहिनी है पर सब उसे मोनी कह कर पुकारते है। वो मुझसे छोटी थी। उसका पढाई में कोई ख़ास मन नहीं लगता था तो उसने बुटीक का काम सीख लिया था और अपना एक बुटीक चला रही थी। घर में छोटी होने के वावजुद सबसे समझदार थी। सुना था बहुत ही कड़क मिजाज थी। कुछ कुछ सुधा दी और श्वेता की तरह ही। पर मैं इन सबसे बहुत कम ही मिला था। फ़ोन पर भी कभी कभार ही बात होती थी।
मौसा फंक्शन वाले दिन आने वाले थ। मौसी, विक्की और सोनी के आने से माँ बहुत खुश हुईं। वो भी उनसे बहुत दिन बाद मिल रही थी। विक्की बार बार श्वेता और सोनिया के देख रहा था। बीच बीच में वो माँ , चाची और सुधा दी को भी ताड़ रहा था। पर लगता था सोनिया पर उसका दिल आ गया था । मेरी नजर तो सोनी पर अटक गई थी। सुन्दर कोमल शरीर , तीखे नयन नक्स और भरे हुए नेचुरल होठ। लगता था उनमे रास भरा हुआ है। मौसी भी गदराई माल थी। माँ से छोटी थी तो जवानी भी भरपूर झलक रही थी। उनको देखते ही मन में यही आया की नाना ने इनकी कितनी ली होगी। सवाल ये भी आ रहा था की क्या पापा जिन्दा रहे होंगे तो उन्होंने इनकी ली होगी क्या ?
खैर यही सब सोच रहा था की मेरे पास विक्की आया और मुझसे बातें करने लगा। विकास खुले मन का लड़का था। कुछ ही घंटो में हम दोनों एक दुसरे के साथ खुल गए। बात पढाई से शुरू होकर गर्लफ्रेंड तक आ गई।
उसके आने से मुझे मदद हो गई थी। शॉपिंग में अब वो भी मेरी मदद करने लगा था। मुझे नहीं मालूम था की उसे कितना मालूम है। पर जब मुझे अकेला पाकर उसने बधाई दी तो मैं आश्चर्य में पड़ गया। पहले तो मैंने अनजान बनाने की कोशिश की पर उसने मुझे खुल कर बता दिया की अपने खानदान के हरकते उसे पता है।
मैंने उससे पुछा – मेरे और सुधा दी के बारे में उसे किसने बताया।
उसने कहा – माँ ने बताया।
मैं – हम्म। लगता है तुझमे और मौसी में खुल कर बात होती है।
वो हँसते हुए बोलै – हाँ , लगभग उतनी ही जितनी मुझमे और माँ में होती है।
मेरे लिए यही हिंट काफी था।
मैंने कहा – और सोनी ?
विक्की – उसे पता सब है पर वो इन सबसे दूर रहती है। बल्कि वो तो लड़को से दूर ही रहती है।
मैं – कोई बॉयफ्रेंड नहीं है ?
विक्की – ना भाई। कोई नहीं। कहती है पैसा कमा कर खुद पर खर्च करना है। लड़को वादकों के चक्कर में नहीं पड़ना। इसी उम्र में उसने दो दो बुटीक खोल रखा है और बड़े बड़े क्लाइंट हैं। हाई प्रोफ़ाइल लेडीज भी।
मैं हँसते हुए बोलै – कहीं कोई गर्लफ्रेंड तो नहीं है ? हो सकता है लेस्बियन हो ? आजकल सब चलता है।
विक्की – नहीं भाई। कोई चक्कर नहीं है। मैंने बहुत जासूसी कर ली है।
मैंने कहा – फिर तो वर्जिन होगी।
विकास- सोलह आने।
ये सुनते हीमेरे दिमाग में एक घण्टी बजी। मैंने कहा अगर इसकी भी ले ली तो बस तीन कुँवारी वाली शर्त पूरी। पर जो इतनी कड़क है उसे पटना और भी मुश्किल होगा। श्वेता को तो आजतक नहीं अपना बना पाया। पर ये भी तय था की एक बार सीसे में उतर गई तो फिर दीवानी हो जाएगी। पर मैं ये विक्की को जाहिर नहीं करना चाहता था।
तभी विक्की बोल पड़ा – भाई तुमने किसकी किसकी ले ली है ? ये सोनिया कैसी है ?
मैंने अभी बात छुपा ली। उसने अगर पुछा था इसका मतलब इसे और मौसी को ज्यादा कुछ पता नहीं था। मैंने कहा – अरे यार माँ कभी कभार साथ दे देती है। वो तो सुधा दी के पति कुछ नहीं कर पाते इस लिए सबकी रजामंदी से ये हुआ है वार्ना घर की बाकी औरतें तो घास भी नहीं डालती।
विक्की – पर सुना है बड़ी मौसी, लीला दी और मामी तो एक नंबर की चुदकड़ हैं।
मैं – हाँ पर सब नाना से फसी हैं। मुझे तो मौका नहीं मिला।
विक्की – हाँ बेटीचोद बुढऊ में ना जाने कितना दम है। माँ भी उनको बहुत याद करती हैं।
मैं आश्चर्य में – अच्छा।
विक्की – हाँ , सुना है बहुत बड़ा लंड है। अब भी खड़ा हो गांड मारे बिना नहीं छोड़ता।
मैं मन ही मन सोचने लगा फॉर तो मौसी को अपना दिखा दूँ तो दे देंगी।
मैंने कहा – पर तुम्हे तो देती हैं न ?
विक्की – हाँ। एक नंबर की चुड़क्कड़ है। भोसड़ीवाली को दोनों छेद में एक साथ लेने में बहुत मजा आता है।
मैं – दोनों छेद ?
विक्की – हाँ पापा और मैं एक साथ ही लेते हैं।
मैं हँसते हुए बला – दोनों मौसी का एक ही टेस्ट है ?
विक्की – हाँ एकदम वाइल्ड सेक्स। ये बता मौसी की कैसी पसंद है ? और तेरी चची भी मस्त माल लग रही हैं।
मैं – अरे यार माँ के साथ एक आध बार हो गया बस। वो भी इस लिए की मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। पर बाद में मना कर दिया। और चाची से ज्यादा खुला नहीं हूँ। पर तू ट्राई मार सकता है। क्या पता किस्मत चमक जाए।
विक्की – चल अच्छा हुआ तुझे कोई दिक्कत नहीं है। मैं ट्राई करूँगा। पर सोनिया को पटाने का कोई तरीका बता। मान जाए तो शादी कर लून उससे। बड़ी अच्छी है।
मैं – मादरचोद ये बता , पेलना है या शादी करना है। इतनी जल्दी शादी की भी कैसे सोच लिए ? पहले कुछ कमाने धमाने का सोच लो।
विक्की – हाँ भाई , सही कह रहे हो। कुछ बिजनेस करने को ही सोचा है । कुछ पैसे मिल जाएँ तो सही रहे। सोनी को बोला की पार्टनर बना ले। कहती है लेडीज काम में मर्द क्या करेंगे। साली ले पास जेंट्स टेलर हैं जो दिन भर औरतों के नाप लेते हैं पर मुझे अपने बुटीक के पास भी नहीं फटकने देती।
मैं – होता है। उससे अलग हटकर सोचो।
विक्की – हाँ देख रहा हूँ। पर तुम सोनिया के बारे में बताओ।
मैंने सोनिया की खूब तारीफ कर दी। विक्की कोई बुरा लड़का नहीं था। सोनिया इससे पट जाती तो मेरे सर का बोझ भी उतर जाता। मैंने मन ही मन सोचा इसकी जितनी मदद होगी कर दूंगा।
मैंने कहा – तुम कोशिश करो। मैं मदद करूँगा।
ये साड़ी बातें हम जब भी काम के बीच में मौक़ा मिलता तो करते। पर सोनी से बात नहीं हो पा रही थी। वो मुझसे कतरा रही थी। पर मैंने देखा उसकी श्वेता और सोनिया से बहुत बन रही थी। मुझे उसके बारे में उन दोनों से ही कुछ पता चलना था।