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मेरी माँ बहने और उनका परिवार - Family Sex Story

मेरी माँ बहने और उनका परिवार – Update 23

उस दिन मामा मामी शाम तक हमारे यहाँ रह।  मामी की चुहलबाजी से घर का माहौल काफी हल्का हो गया था।  मामी तो श्वेता को छोड़ ही नहीं रही थी।  उसे हमेशा अपने पास बिठाये रखा।  उधर मामा और चाची एक दुसरे के साथ नैन मटक्का किये जा रहे थे।  सरला दी ने मामा के साथ जो किया था उसके बाद शायद गिल्ट हो रहा था इस लिए वो थोड़ा कटी कटी सी रह रही थी।  पर मुझे पता था ये सिर्फ टेम्पररी है।  बहुत जल्दी मामी भांजी सेक्स भी कर ही लेंगे।

शाम को जाते वक़्त मामा मामी ने हम सबको अपने घर आने का न्योता दिया।  मामी ने कहा – लल्ला यहाँ ज्यादा मजा नहीं आया।  घर आओ खुल कर खेलेंगे।  सरला दी और चाची को भी लेकर आना।

मैंने उनको वादा किया।

उनके जाने के बाद घर थोड़ा सुना सा हुआ पर अगले दिन सब पहले जैसा हो गया।  मैंने श्वेता और सरला दीदी के साथ अपने बिजनेस आईडिया डिसकस किये।  फ़ूड ट्रक, होलसेल बिजनेस और आर्गेनिक फार्मिंग जैसे आईडिया भी डिसकस किये गए।  श्वेता ने स्कूल खोलने का आईडिया भी दिया।  वो अपनी पढाई आगे एजुकेशन में ही करने को सोच रही थी।  हमारे पास गाँव में स्कूल खोलने का भी आईडिया आया।  आस पास बढ़िया स्कूल नहीं थे।

अभी थोड़ा समाया था इस लिए हमने डिस्कशन आगे भी जारी रखने का सोचा।     दो दिन बाद श्वेता की छुटियाँ ख़त्म हो गई।  उसे एक दिन पहले शाम को छोड़ने का प्लान हुआ।  पहले की तरह ही मैं और सरला दी गाडी से छोड़ने जाने वाले थे।  सरला दी के दिमाग में आया क्यों न दीप्ति मैम के लिए भी चला जाए।  श्वेता ने तो मन कर दिया। पर मैं जाना चाह रहा था। मुझे तारा से मिलना था।

सरला दी ने दीप्ति मैम को फ़ोन किया।  उन्होंने हमें आने को बोला।

शाम को हम तीनो निकल पड़े।  पहले श्वेता को कॉलेज छोड़ा फिर मैम के घर पहुँच गए। दीप्ति मैम ने हमें देखते ही सबसे पहले दीदी को गले लगाया फिर मुझे।  सरला दीदी ने भी तारा को अपने गले लगाया और उसके माथे को चूम कर बोला – तुम्हे कितनो सालों बाद देख रही हूँ।  कितनी सुन्दर हो गई हो तुम।

तारा – आपसे कम। आप जैसा कोई नहीं। 

सरला दी – मैं और सुन्दर ? देखो कितनी मोती हो गई हूँ।

तारा – इसको मोटाना नहीं गदराना कहते हैं दीदी।  आपका जलवा ऐसा है की मॉम को आपके अलावा कोई पसंद ही नहीं आया।

सरला दी ने मैम की तरफ देखा।  मैम ने कहा – सच ही कह रही है। तुम मेरी इकलौती फेवरेट हो जो मेरे इतने करीब आई हो।

ये सुन मुझे भी आश्चर्य हुआ।  ये सिर्फ दीदी के बदन का जादू नहीं रहा होगा।  दीदी इतनी केयरिंग थी , मैम के अकेलेपन में उन्होंने उनका बहुत सपोर्ट किया था।  ये सच्चा प्यार ही था।

खैर दीदी तो सुन्दर थी ही , पर तारा भी काम सुन्दर नहीं थी।  मेरे मुँह से निकल गया – दीदी की बात तो अलग है ही।  पर तारा तुम भी बहुत खूबसूरत हो।

ये सुन तारा शर्मा गई।  दीप्ति मैम ने कहा – सरला तुम तो कहती थी तुम्हारा भाई एब्नार्मल है।  इसे बड़ी उम्र की लड़कियां पसंद हैं।  मुझे लगा था मेरी तारीफ करेगा पर लौंडा तो मेरे सामने मेरी ही बेटी को लाइन मार रहा है।

मैं सकपका गया।  पर सँभालते हुए कहा – अरे मैम , गई तो आप पर ही है।  आप जैसा कोई कहाँ है।  दीदी भी तो तभी आप पर फ़िदा हैं।

और जहाँ तक रही बड़ी उम्र की पसंद आने की तो आज तक किसी कली ने इस भँवरे को आस पास फटकने नहीं दिया तो फूलों से ही काम चला लेता हूँ।

सरला दी भी बोल पड़ी – मैम एकदम फट्टू है ये।  किसी जवान को आज तक पटा नहीं पाया।  वो मैं और आप हैं तो थोड़ा बहुत बोल पा रहा है।  वार्ना अगर अकेले तारा होती तो इस साले के मुँह से एक लफ्ज नहीं निकलता।

दीप्ति मैम – साला या बहन ~~

सरला दी ने वाकया पूरा किया – बहनचो।  वैसे इस मादरचोद का लंड कोई भी देख ले लेने के लिए तरस जाए।

दीप्ति मैम – हाँ वो तो मैंने पिछली बार ही देख लिया था।

दोनों को इतना खुल कर गरियाते देख तारा अंदर चली गई।  बोली – आपलोग अपनी बातें करिये मैं कुछ खाने पीने को लेकर आती हूँ।

सरला दी ने मैम से कहा – ड्रिंक है ?

मैम ने कहा – है।  चिंता मत कर।  तू अपना ड्रिंक लेकर आई है ?

सरला दी – हाँ , शाम से गई नहीं हूँ।  पानी भी खूब पिया है। आप तैयार हैं ?

मैम – हाँ। 

सरला दी – एक बात पूछूं बुरा तो नहीं मानेंगी ?

मैम – यार तेरा क्या बुरा मानना।  खुल के बोल।

सरला दी – वो मैं सोच रही थी आज कुछ नया ट्राई करते।

मैम समझ गईं, बोलीं – तू ही बात कर ले।  दे देगी तो मुझे कोई ऑब्जेक्शन नहीं है।

मुझे इनकी बातें कुछ कुछ तो समझ आ रही थी।  कुछ तो किंकी करने वाली थी।  मुझे पिछली बार इनके एक साथ बाथ्ररोम जाने और फिर अलग ही महक के साथ लौटने की बात याद आ गई।

कुछ देर में तारा कुछ स्नैक्स और पानी लेकर आई।  उसने पुछा – आप लोग कॉफी लेंगे या चाय।

सरला दी ने कहा – देख तुझसे क्या शर्माना – चाय और कॉफ़ी बच्चे पीते हैं।  तुम अपने और राज के लिए बना लो।  हम तो हार्ड ड्रिंक लेंगे।

मैं – पर मेरे साथ ये नाइंसाफी क्यों ? पिछली बार भी एक घूँट बियर दिया था। 

सरला दी – साले गाडी कौन चलाएगा फिर ?

मैं – यार जब यही करना था तो टैक्सी से आते।

सरला दी – किसी एक को तो फिर भी होश में रहना ही होगा।

मैंने मुँह बना लिया।  तारा हंस पड़ी।  मैम ने दीदी से कहा चलें मेरे कमरे में?

दीदी ने मैम का हाथ पकड़ा और उनके बैडरूम की तरफ चल पड़ी। तारा मुझसे बोली – ये दोनों तो गईं।  तुम बताओ क्या लोगे चाय या कॉफी ?

मैं – जो तुम्हे अच्छा लगे।

तारा बोली – कॉफ़ी बनाती हूँ। 

मैं भी उसके साथ साथ किचन में चल पड़ा। मैंने उससे पुछा – तुम्हे अजीब नहीं लगता ये ?

तारा – क्या ? मैम और दी का व्यवहार ?

तारा – इसमें अजीब क्या है।  माँ की भी नीड है।  और ये दोनों बहुत पहले से रिलेशन में है।  सबसे बड़ी बात कोई एक्सपेक्टेशन नहीं है।  सरला दी की शादी हुई तो माँ सबसे खुश थी।  वो जब जब मिलती हैं माँ कई दिन तक खुश रहती हैं।

मैं – वो सब ठीक है।  पर इनका किंकी लव ?

तारा – सब चलता है।  जिससे जो खुश रहे।  कुछ हद तक सब सही है।  वैसे भी माँ को पापा से प्यार तो मिला नहीं।  जबसे मैं हुई उसके बाद से दोनों लगभग अलग ही रह रहे हैं।  दादा जी जब तक थे तो ताई और उनका परिवार था पर उनके जाने के बाद से तो एकदम अकेली हैं।

मैं – हम्म्म।  चलो अच्छा लगा तुम ओपन माइंडेड हो।

तारा – तुम अपना सुनाओ।  सच में तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है ?

मैं – सच में।  वो तो माँ और दीदी लोग हैं तो खुश हूँ। 

तारा हँसते हुए – तुम सच में अपनी माँ और बहन के साथ ~~~~

मैं – तुमसे कुछ छुपाऊं क्यों।  हाँ मुझे उनसे प्यार है।  मैं उनको बहुत प्यार करता हूँ और वो भी मुझे उतना ही प्यार करती हैं।  सिर्फ इतना ही नहीं, मैंने अपनी चाची को भी प्यार दिया है और मामी को भी।

तारा ने बड़ा सा मुँह बनाते हुए कहा – ऊऊऊ , पुरे घर के अकेले मर्द हो तुम।

मैं – समझ सकती हो।  पर क्या ही फायदा जब कोई बाहरी न पटे।

तारा – माँ तैयार हो जाएँगी।  चाहो तो आज ही चोद दो।

तारा के मुँह से चुदाई शब्द सुन कर मुझे गुदगुदी सी हुई।  मैंने कहा – शायद वो मान जाएँ पर मेरे कहने का मतलब कुँवारी जवान लड़की से था।

तारा – तुम्हारे घर में भी तो एक है।  श्वेता।

मैं – वही तो मुसीबत है।  उसी की शर्त है।

तारा ने कहा – कैसी शर्त ?

मैंने साड़ी बात उसे बता दी।  ना जाने क्यों मुझे तारा से कुछ भी छुपाने का मन नहीं किया।  उसकी आँखें जब मुझे देखती थी तो लगता था जैसे वो मेरे दिल की बात पढ़ रही हो।  उससे कुछ छुपा ही नहीं पा रहा था मैं। 

तारा से सारी बात सुनकर कह – तीन तीन कुँवारी चूत।  कहाँ से मिलेगी ?

मैंने कहा – देखि जाएगी। तुम अपना सुनाओ।  तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड?

तारा – नहीं।  कोई नहीं है।

मैं – फिर तुम खुद को कैसे खुश रखती हो ?

तारा – टूल्स हैं न।

मैं – टूल्स ?

तारा – अरे बुद्धू तुम्हे ये सब नहीं पटा।  चलो दिखाती हूँ।

तारा मुझे अपने कमरे में ले गई।  उसके कमरा पिंक कलर से पेंटेड था।  उसने दीवारों पर एकदम इरोटिक पोस्टर्स भी लगा रखे थे।  बेड के साइड में टेबल था जिस पर कुछ बुक्स थी।  उसने वहीँ टेबल का ड्रावर खोल दिया और कहा देखो।

मैंने देखा उसमे कई तरह के डिलडो और वाइब्रेटर रखे थे।  छोटे बड़े सब।

मैंने कहा – ओह्ह्ह।  तुमने तो शानदार कलेक्शन बना रखा है। 

तारा – इसमें से कुछ माँ भी उसे करती हैं।  ख़ास कर बड़े वाले।

मैं  उसे इतनी आसानी से खुलने की उम्मीद नहीं कर रहा था।  पर शायद सरला दी और मैम के प्यार की वजह से वो मुझसे आसानी से खुल गई।  उसे मेरे घर का भी पता था इस लिए मुझसे बदनामी का कोई डर नहीं था।

मैंने एक बड़ा डिलडो उठा लिया और कहा – ये अंदर लिया होगा तो ~~~

तारा – मैंने अभी तक कोई भी डिलडो ज्यादा अंदर नहीं डाला।  मेरी सील इनटेक्ट है।

मैंने मन ही मन सोचने लगा – क्या ये मेरे लिए हिंट था।  क्या वो मुझे ये कहना चाह रही थी की वो अब तक कुँवारी है।  उसका कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं था।  कुछ देर वहीँ रहने के बाद वो बोली – चलो देखते हैं वो दोनों क्या कर रहे हैं।

हम दोनों दीप्ति मैम के कमरे की तरफ चल पड़े।

उनके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था।  कमरे में पहुंचे तो देखा माहौल देख मेरे तो रोयें के साथ लंड भी खड़ा हो गया।  मैम कमरे में काउच पर दिवार के अदलती अवस्था में नंगी बैठी थी ।  दीदी उनके पैरों के बीच जमीन पर नंगी बैठी हुई थी।  उनका मुँह मैम की चूत पर था।  मैम के मुँह बियर की एक पतली सी धार निकल रही थी जो उनके मुम्मो से होते हुए सीधे चूत के आस पास गिर रही थी जिसे दीदी एक बिल्ली की तरह चाटे जा रही थी। टेबल पर बियर की बोतल थी और नट्स का पैकेट रखा था।

हमें देखते ही मैम बोली – आ गए तुम दोनों भी।  पर ड्रिंक नहीं मिलेगी।

सरला दी ने पलट कर देखा।  बोली – मैम , अब नशा आएगा।  साला इतने देर से नशा चढ़ ही नहीं रहा था।  प्लीज आप तारा को बोलो न।

तारा – ओह माई गॉड।  ये कौन सा तरीका है ?

मैं – इनका यही तरीका है।  पिछली बार तो ताई से नशा किया था।

दीप्ति मैम – तारा , प्लीज हमारी मदद कर दो।  ड्रिंक थोड़ा स्पाइक कर दो प्लीज।

तारा – मॉम , क्या कह रही हैं आप ?

सरला दी बहकते कदमों से हमारे पास आई और तारा का हाथ पकड़ कर बोली – प्लीज।

तारा को कुछ समझ नहीं आया।  बोली – मैं क्या करूँ इसमें अब।

मैम भी उठ कर मेरे पास आ गईं।  बोली – सरला तारा को मना रही है।  पता नहीं वो मानेगी की नहीं।  पर तू मेरी मदद कर दे।

उनके हिलते हुए बड़े मुम्मे देख मेरा लंड बेकाबू हो रहा था।  मन कर रहा था मुम्मो और पेट पर टपकते हुए बियर को चाट जाऊं। मैम ने मेरे इरादे भांप लिए थे। 

उन्होंने कहा – पी जाना।  चाट लेना। पर अभी मुझे तुम्हारा लॉलीपॉप चाहिए।  यू नो मुझे बियर लॉलीपॉप चाहिए।  हीहीहीहीही।

मैं बूत की तरह खड़ा था।  उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बिस्तर की तरफ ले कर चल पड़ी।  उन्होंने वहां पहुंचकर मेरे पेंट के बटन और ज़िप खोल कर एक ही झटके में उसे उतार दिया और मुझे बिस्तर पर बिठा दिया।  फिर वो टेबल पर पहुंची और अपना ग्लास उठा लिया।  वो मेरे पार आई और मेरे पैरों के पास बैठ गई।  उन्होंने मेरा पेंट पूरा उतार कर अलग कर दिया और कहा – डोंट वोर्री , कपडे ख़राब नहीं होंगे।

फिर उन्होंने मेरा लंड मेरे अंडरवियर से निकाल लिया।  मेरा लंड कमरे के माहौल और नंगी गदराई दीप्ति मैम को देख पहले से सलामी दे रहा था। 

मैम ने दीदी की तरफ देख कर कहा – तूने इस गधेड़े लंड को कैसे लिया रे।

दीदी – मैम आप लेकर देखो मजा आ जायेगा।  एक बार जो अंदर लिया तो निकलने का मन नहीं करेगा। 

मैम – चूत के अंदर का पता नहीं पर अभी मुँह में तो जायेगा। 

मैम ने मेरा अंडरवियर भी उतार दिया। और ग्लास से बियर मेरे लंड पर डाल कर उसे नहला दिया। जब मेरे लंड पूरी तरह से गिला हो गया तो मैम ने कहा – अब बियर लोलिओप का मजा आएगा।  कह कर उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया और सडप सडप की आवाज के साथ उसे चूसने लगी।  मेरी आँखे बंद होने लगी थी। मैं आनंद के सागर में गोते लगाने लगा था।

उधर दीदी ने तारा को काउच पर बिठा दिया था और उसके पैरों और जांघो को चाट रही थी।  शुरू में तारा ने तो उन्हें मन किया पर माहौल देख कर वो भी पिघलने लगी थी।  दीदी के चेहरे की कामुकता और लपलपाती जीभ ने असर दिखाना शुरू कर दिया था। उसकी आँखें भी बंद हो रही थी।  दीदी ने कब उसकी पेंट उतार दी पता ही नहीं चला। अब दीदी उसके चूत पर जीभ चला रही थी।  तारा सिसकियाँ लेना शुरू कर चुकी थी। वो अपने दोनों हाथों से टी शर्ट के ऊपर से ही अपने बूब्स दबा रही थी।

इधर मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने मैम से कहा – कुछ नशा मुझे भी करने दीजिये प्लीज।

मैम ने कहा – चलो तुम भी क्या याद करोगे।

मैम अब बिस्तर पर चढ़ कर लेट गईं।  मुझे पहले तो समझ नहीं आया इस कामुकता से भरी औरत के साथ कहा से शुरुआत करूँ ? क्या करूँ ? मैं कुछ पल उन्हें निहारता ही रहा।  भरा पूरा लम्बा शरीर, बॉब कट बाल , बड़े बड़े मुम्मे, उस पर से बड़ा भूरा एरोला और एकदम तीर जैसा बड़ा निप्पल।  माँ के बाद इतने बढ़िया ममममे मैंने नहीं देखे थे।  सपाट पेट जिसपर बड़ी सी वृत्ताकार नाभि। जब मेरी नजर निचे पड़ी तो मेरे होश उड़ गए।  मैम के क्लीट एकदम बड़े से थे।  पिछली बार बस एक झलक मिली थी।  पर आज गौर से देखा तो लगा जैसे एक छोटी सी नुनी निकली हुई थी।  गुलाबी चूत के फैंको के बीच लग रहा था जैसे किसी ने एक ताज सजा दिया हो। वैसे ही वो उनके चूत रस , दीदी के थूक और बियर से गीली हो रखी थी।  मैं उन्हें निहार ही रहा था की मैम की आवाज आई – बस देखेगा ही या बहन की तरह नशा भी करेगा।

मैंने तुरंत बीएड के साइड में रखे उनके ग्लास को उठाया और धीरे से उनके बदन पर ऊपर से निचे की तरफ बूँद बूँद करके गिराने लगा। उसके बाद मैंने उनके मुम्मे चाटना शुरू कर दिया।  पहली बार मैंने किसी को बिना किस किये सीधे बदन को भोगने की सोची थी।  पर स्थिति ही ऐसी थी।  मैंने जैसे ही जीभ लगाई , उनका शरीर सिहर उठा।  उन्होंने कहा – एकदम अपनी बहन जैसा है।  चाट ले।  उनके मुम्मो के चारों तरफ लगे बियर, पसीने और दीदी के थूक के गीलेपन को चाटने के बाद मैंने उनके निप्पल पर अपनी जीभ फेरी।  क्या मस्त चूचक थे।  मजा आ गया।  मैंने एक हाथ से उनके एक मुम्मे को गूथना शुरू किया और दुसरे को चूसना। 

मैम – आह , पी जा इन्हे।  तेरी बहन को भी बहुत पसंद है।  इस्सस आराम से निप्पल को ठीक से चूस।  आह आह।

मैं उनके निप्पल चूसने के बाद उनके पेट की तरफ बढ़।  कुछ देर पेट को चाटने के बाद मैंने उनके गहरी नाभि में जीभ डाल दी। कुछ देर जीभ फेरने के बार मुझे कुछ सुझा।  मैंने ग्लास से दो बूँद ड्रिंक उनके नाभि में डाल दिया और सुडुप सुडुप करके पी गया।  मुझे ये करके बहुत मजा आया।  मैंने ऐसा दो तीन बार किया।

फिर मैं उनके चूत की तरफ बढ़ा।  मैम बोली – मेरे मुँह में भी कुछ डाल दे मादरचोद या खाली चीख निकलवायेगा।

मैं – डाल तो दूँ रंडी पर मेरे माल आज तेरी चूत में ही निकलेगा।  बोल मंजूर है ?

मैम – भोसड़ी के तेरे सामने नंगी लेती हूँ।  तुझसे अपना बदन चटवा रही हूँ तब भी तू ये सवाल पूछ रहा है।

मैं – पिछली बार का याद है।  बाँध दिया था तुम सबने मुझे।

मैम – भोसड़ी के आज तो आजाद है।  चल दे लॉलीपॉप और मेरी डबल ब्रैडरोल खा जा।

मैंने अपने दोनों पैर मैम के कंधे के दोनों तरफ किया और सिक्सटी नाइन पोजीशन में आ गया।  मैम ने लपक कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।

मैंने कहा -साली काट मत लेना। 

मैम – काटूंगी तो चुदुंगी कैसे ?

उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में अंदर बहार करना शुरू कर दिया।  और मैं उनके चूत पर भीड़ गया।

उधर तारा ने दीदी को बालों से पकड़ लिया और अपने चूत पर रगड़ने लगी।  वो भी आहें भरी जा रही थी और मस्ती में मोले जा रही थी।

तारा – आह दीदी , क्या मस्त चूसती हो।  अब पता चला माँ तुम्हे हमेशा क्यों याद करती हैं।  आह।  थोड़ा अंदर जीभ डालो।  मुझे पता होता की चटवाने में इतना मजा है तो पहले ही  खुद को तुम्हारे हवाले कर देती , बेकार ही वाइब्रेटर से काम चला रही हूँ।  आह आह इस्सस

दीदी – डार्लिंग।  अब मैं भी हूँ और मैम भी।  सोच जब मुझसे इतना मजा आ रहा है तो मेरा भाई कितना मजा देगा।  देख तेरी माँ की चूत कितने मजे से चाट रहा है।  अभी तेरी माँ जब उसके लौड़े की सवारी करेगी तो देखना।

इधर मैम – आह आह , सडप सडप।  जरा मेरे लौड़े को तो चूस।  चूत का ताज है वो जरा उसकी पूजा कर।

सच में उनका क्लीट को आराम से चूसा जा सकता था।  मैंने उनके क्लीट को दातों तले दबा दिया और उसे चूसने लगा।  मैंने साथ ही साथ अपने एक हाथ की ऊँगली उनके चूत में और दुसरे हाथ की एक ऊँगली उनके गांड के मुहाने पर रख दी।

मैम ने मेरा लंड छोड़ दिया था।  अब वो चूत चुसाई के मजे ले रही थी।

मैम – आह , इसस चूस ले।  चूस ले। खा जा ।  आह बड़ा तंग करता है।  तेरी बहन तो दीवानी है इसकी।  चूस चूस।  आह हाँ हाँ ऐसे ही।

मैम अब जल्दी ही खलास होने वाली थी।  कुछ ही देर के बाद उनके शरीर में कंपन होनी शुरू हो गई।  उनकी गांड, थाई बुरु तरह से थरथराने लगे।  उन्होंने अपने हाथों से मेरे मुँह को अपने जाँघों के बीच जकड लिया और चूत से रस छोड़ने लगी।  गजब का माल छोड़ रही थी।  एकदम अलग सा स्वाद।  मुझे मजा आ गया।  मैं उनके चूत से निकल रहे एक  एक बूँद को चाटता रहा।  कुछ देर बाद अचानक से दीप्ति मैम ने अपने पैर ढीले छोड़ दिए।  वो अपने चरम सुख को पा चुकी थी।  मैं भी उठ कर बैठ गया था।  और चटकारे लेते हुए दीदी और तारा की तरफ देखने लगा।

मैम ने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर लेटा दिया ।  मैंने उनके पेट को तकिया बना लिया और उन दोनों को वापस देखने लगा।  तारा की आँखे बंद थी।  उसने भी दीदी को जांघो के बीच जकड रखा था।  मैं देखना चाहता था की स्खलन के समय वो कैसी दिखती है। उसके शरीर में भी कम्पन शुरू हो गई थी।  उसके चूत ने भी रस निकलना शुरू कर दिया था।  दीदी उसे चूसे जा रही थी।  दीदी ने एक और काम किया था।  दीदी ने बियर की ग्लास से कुछ बूँद उसके चूत पर गिरा दिया था।  वो बियर और चूत से निकले पानी का मिश्रण पी रही थी।  तारा स्खलित हो चुकी थी पर दीदी ने उसे चाटना जाी रखा।  तारा बोली – आह दीदी बस करो।  मेरा निकल जायेगा।  प्लीज बस करो मुझे बाथरूम जाना है।

दीदी – बस मेरी जान वही तो चाह रही हूँ।  छोड़ दे अपना गर्म फवारा मेरे ऊपर।  दे दे नशा।  देख ग्लास लेकर बैठी हूँ।

तारा ने आखिर मूतकी धार दीदी के चेहरे पर छोड़ दिया।  कुछ बूँद पीने के अलावा दीदी ने कुछ अपने बियर वाले ग्लास में भरा और बाकी के गर्म मूत से अपने आपको नहलाने लगीं।  तारा सिसकारियां लेती हुई मुट्ठी रही और मैं बूट बने इस खतरनाक, गंदे , किंकी एक्ट को देखता रहा।

दीदी बोल पड़ी – मैम बहुत स्वाद है आपकी बिटिया में।  आप पर ही गई है।

मैम – तब तो चखना पड़ेगा।

मैंने देखा मैम उठ कर दीदी के बगल में बैठ गईं।  दोनों ने पहले तो एक दुसरे को चूमा फिर मैम दीदी के बदन पर लगे तारा के रस को चाटने लगीं। 

दीदी ने ग्लास में और बियर लिया और  दो सिप लेने के बाद मैम को थमा दिया।

दोनों को देख मेरा लंड उछलने लगा।  मेरा माल तो निकला ही नहीं था। मैं उठ कर उनके पास जाने को सोच रहा था तभी मैम मुझे देख बोल पड़ी – आ जा मादरचोद आ मेरे बदन को चाट। फिर चूत मिलेगी।

उनका डोमिनेटिंग अंदाज मुझे अलग ही मजा दे रहा था।  मैं बेड से उतर कर घुटनो के बल उनके पास पहुँच गया।  वो तारा के बगल में काउच पर बैठ गईं।  मैंने उनके पैरों से चाटना शुरू किया और जांघो तक पहुँच गया।  एक बार फिर से मैं उन्हें चाट रहा था पर इस बार मेरे साथ साथ दीदी भी लगी हुई थी।  दीदी ने एक बार बीच में मुझे किस भी किया।  मेरे होठों पर जब उन्होंने अपने होठ लगाए तो मुझे अजब सा ही स्वाद आया।  अलग सा नशा था उसमे।

तारा ने जब हम तीनो को इस तरह से देखा तो वो उठ कर जाने लगी।  मैम ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया और कहा – इतने के बाद जाने का क्या फायदा। 

तारा वहीँ रुक गई। कुछ देर की चूत चुसाई के बाद मैंने कहा – बहुत हुई तेरी सेवा अब मेरे लंड को चूत चाहिए। 

मैम बोली – तीन तीन है।  पर पहले मेरी ले।  अपनी मुनिया से पहले  तेरी दोस्ती कराऊँ। बहुत सालों बाद लंड पायेगी वो।  आज चढ़ जा।

तारा एक किनारे हो गई।  मैम ने उसके गॉड में अपना सर रख दिया।  मैंने काउच के दोनों तरफ पैर किया और मैम के पैर को उठा दिया और अपना लंड उनके चूत में एक ही बार में डाल दिया। 

मैम की चीख निकल गई – मादरचोद , बोलै था न बहुत साल बाद लंड लुंगी।  आराम से डालना था।  भोसड़ी के फाड़ दी मेरी चूत।

गालियां सुन मैं एक पल को ठिठक गया।

मैम – बहनचोद, रुक क्यों गया अब लंड अंदर डाला है तो चोद ना।

मैंने उनके पैर कंधे पर रखे और चुदाई शुरू कर दी।  वाकई बहुत दिन बाद उन्होंने लंड लिया था ।  डिलडो भी शायद कभी पूरा नहीं डाला होगा।  एकदम टाइट चूत थी। 

मैं धक्के मारे जा रहा था।  मैम ने उधर तारा के शर्ट में मुँह डाल कर उसके मुम्मे पीना शुरू कर दिया था।  दीदी का हाथ मैम में क्लीट की मालिश कर रहा था।

मैं – बोल कुतिया , अब मजा आ रहा है ? दर्द गया या नहीं?

मैम – हां बहन के लौड़े।  मजा तो तू दे ही रहा है।   आह आह।  मेरी मुनिया एकदम खुश हो गई है ।  दोनों भाई बहन मस्त सेवा कर रहे हो। खुश कर दिया है तुमने।  इनाम में मेरी बेटी की भी ले लेना।  आह आह।  साली आजतक कोई लंड नहीं लिया है उसने। एकदम कोरी है।  बस वाइब्रेटर से काम चालती है।  वो भी बस ऊपर से।

मैं – जितनी तू मास माल है उतनी ही खूबसूरत तेरी बेटी भी है।  चूत देगी तो लूंगा क्यों नहीं।  बोल उसको देगी क्या ?

मैम – तारा बिटिया , मान जा।  देख कितना मजा आता है चुदाई में । आह आह ,  आज देखा ना वाइब्रेटर से बढ़िया जीभ काम करती है।  वैसे ही लंड मजा देगा।  मान जा मेरी बात।  तेरी उम्र की लड़कियां ना जाने कितनी बार चुद चुकी होती हैं।  पर एक तू है।

मैं – मान जाओ तारा।  देखो कितना मजा आ रहा है मैम को।  आह।  मस्त चूत है इनकी। 

अंत में तारा भी बोल पड़ी – बहनचोद , दे तो दूँ पर डर लगता है।  माँ की हालत देख कर फटी जा रही है मेरी।

मैम – आह आह।  पहले धक्के का दर्द है बस।  देख मेरा कितना पानी निकल चूका है।  अभी भी मैं आ गई हूँ पर इसका माल नहीं निकला है।  ले ले।  मौका है। 

तारा असमंजस में थी।  मैम की चूत पानी छोड़ चुकी थी पर मेरा माल नहीं निकला था। मैम ने कहा – बस कर मेरा तो हो गया है।  अपनी बहन चोद ले अगर तारा नहीं दे रही है तो।

मैं – बहन की तो रोज ही लेट हूँ।  आज तो माल या तुझमे निकलेगा या तेरी बेटी में।  सोच ले।  मैं धक्के लगाए जा रहा था।  अचानक से तारा बोल पड़ी – ठीक है।  पर तुम चूत में लंड नहीं डालोगे।   मैं चूत में लंड लुंगी।  दर्द हुआ तो निकाल लुंगी कोई जबरदस्ती नहीं।

मैं – जैसी तुम्हारी मर्जी मेरी जान।  तरबूज चाकू पर गिरे या चाकू तरबूज पर कटेगा तो तरबूज पर ही।  बताओ क्या करना है।

मैंने मैम की चूत से लंड निकाल लिया।  मैम धीरे से उठ कर बैठ गई।  अब मैं काउच के दोनों तरफ पैर लटका कर टेक लगाए बैठा था।  मेरा लंड एकदम सीधा तना हुआ था।  तारा की चूत एकदम पनियाई हुई थी।  वो सरकते सरकते मेरे पास आई और काउच के दोनों तरफ पैर करके खड़ी हो गई।  उसने अपने हाथो से मेरा लंड पकड़ा।  उसके पकड़ते ही मेरा लंड फड़फड़ा उठा।  वो बोली – ये तो बहुत बड़ा है।

दीदी बोल पड़ी – मेरी जान तेरी चूत इससे भी गहरी है।  डर मत पूरा लील लेगी तू इसे।  बस धीरे धीरे ले।

तारा – दीदी , जाया बियर दो। 

दीदी ने बियर की पूरी बोतल उसे दे दी।  तारा ने एक हो घूँट में पूरी बोतल पी डाली और फिर मेरे लंड को अपने चूत पर सेट करके धीरे धीरे अंदर लेने लगी।  अभी टोपा ही गया होगा की वो चीक पड़ी – माआ , तुमने कैसे किया इसे।  मुझे तो अभी ही दर्द होने लगा।

मैम – थोड़ा रु।  चूत पर घिस।  कुछ देर में मजा आने लगेगा।

तारा में मेरे लंड को फिर अपने चूत में थोड़ा डाला और फिर निकाल लिया।  उसने खड़े खड़े ही मेरे लंड से अपने चूत के पंख और क्लीट को रगड़ा।  कुछ देर में उसे मजा आने लगा।  अबकी उसने हिम्मत करके लंड को कुछ और अंदर लिया पर फिर तुरंत निकाल लिया।

उसकी चूत एकदम भाति की तरह दहक रही थी। मेरा लंड भी माल निकलने को तैयार था।  मैं जानता था इसने एक दो बार ऐसा किया किया तो मेरा माल निकाल जायेगा।  इससे ना मुझे मजा आएगा ना ही उसे।  पर तारा तो पहले ही मजे ले चुकी थी।  उसकी चूत कई बार पानी निकाल चुकी थी। तरस तो मन रहा था।

मैंने कहा – जान , कब तक तरसाओगी। पूरा लो न।

शायद अब उसे मजा आने लगा था।  वो अबकी धपप  से मेरे लंड पर पूरा ही बैठ गई।  पर इससे उसकी चीख निकाल गई –  माआआआआ

मैंने उसे अपने बाहों में भर लिया और अपने ऊपर लिटा लिया।  मैंने अपने होठ उसके नरम मुलायम अधरों पर रख दिए।  उसने भी दर्द के एहसास के साथ मेरे होठ अपने अपने मुँह में भर लिए और उन्हें चूसते चूसते अचानक से काट लिया।  मैं दर्द से बिलबिला उठा और उसी दर्द में कमर को एक झटका दिया जिससे मेरे लंड का कुछ हिस्सा उसकी चूत से बाहर आया और फिर पूरा अंदर चला गया। है दोनों कुछ देर वैसे ही रहे पर थोड़ी देर में उसने अपने कमर को फिर से हरकत दी। अब वो मेरे चेहरे और होठो को बेतहाशा चूमे जा रही थी और साथ ही मेरे लंड को चूत में अंदर बाहर किये जा रही थी।  अब उसे मजा आने लगा था।

तारा – हम्म , उफ्फ्फ।  माँआआ , तुम सच कह रही थी।  बहुत मजा है चुदाई में।  आह आह।

दीदी – देखा , मैं कहती थी न तेरी चूत इसे पूरा जातक सकती है।  देख।

तारा – हाँ।  इस्सस मजा है।  क्या मजा है।

दीदी और मैम बिस्तर पर एक दुसरे के बाहों में लेटी हम दोनों के जवान शरीर के अठखेलियों को देख रही थी।  तारा कभी मेरे ऊपर उछलती तो कभी मुझसे लिपट कर लेट जाती।  उसने अपने टी शर्ट को निकाल फेंका था।  मैं तो कब का नंगा हो रखा था।  हम दोनों के बदन एक दुसरे से लिपट रहे थे तो कभी अलग हो रहे थे।  मेरा लंड जैसे लग रहा था तारा के काबू में है।  मुझे लगा था की एक ही दो धक्के में मेरा लंड माल निकाल देगा।  पर दर्द कहिये या उसकी कला वो रुक रुक कर झटके ले रही थी।  हम दोनों अलग दुनिया में थे।  उसकी चूत पनियाई थी पर मेरा लंड भी कम मोटा नहीं था।  कुछ देर बाद जब वो दर्द से मुक्ति पाकर आनंद के सागर में पहुंच गई तो उसने लगातार लंड पर झूलना शुरू कर दिया।  अब हम दोनों ही अपने चरम सुख को पा लेना चाहते थे।  मैं उसके छोटे पर सॉलिड उछलते मुम्मे और निप्पल के साथ खेल रहा था।  वो अपने खुले बालों को पकडे मुझे पर सवारी कर रही थी।  लग रहा था जैसे मैं उसका गुलाम बनता जा रहा हूँ।

तभी मुझे लगा , जैसे श्वेता मेरे  ऊपर हो।  मुझे उसके बाल , और मुम्मे याद आने लगे।  जैसे ही मुझे ये एहसास हुआ की श्वेता की चूत से बस दो चूत दूर हूँ मैं , मेरे लंड ने अपना माल निकाल दिया।  तारा ने भी मेरा साथ दिया और मेरे ऊपर लेट गई।  अब मैं निचे से धक्के लगा कर अपना पूरा माल उसके अंदर उड़ेल रहा था और वो मेरे होठों को पी रही थी। कुछ देर पहले जहाँ मुझे लग रहा था की मेरा लंड एक भट्टी में है वही अब मुझे लगने लगा था की वो किसी शांत, गीले और मीठे एहसास वाली जगह में घूम रहा है।  वही क्यों मैं भी किसी और दुनिया में था।  मैंने बहुत चुदाई की थी पर ऐसा एहसास नहीं हुआ था।

श्वेता और दीप्ति मैं को चोदने के बाद तो मुझे होश ही नहीं था। जब मैं उनके घर से गाडी लेकर निकला तो मुझे पता भी नहीं था मैं किधर जा रहा हूँ। मेरी गाडी अपने आप श्वेता के हॉस्टल के सामने आकर रुकी।

सरला दी ने नशे में पुछा – कहाँ ले आया तू ?

मैंने कहा – श्वेता को बुला दो।

दीदी को फिर समझ में आया कि हम कहा हैं। उन्होंने श्वेता को फ़ोन किया। श्वेता ने बड़ी मुश्किल से परमिशन ली और बाहर आई। जैसे ही मैंने उसे देखा मैं गाडी से निकला और उसके होठो पर अपने होठ रख दिए। उसने पहले तो थोड़ा रेजिस्ट किया फिर मेरा साथ देने लगी। उसे कुछ पता नहीं था। उसने किस तोड़ने के बाद शर्माते हुए कहा – इतना प्यार किस लिए ?

मैंने कहा – आज तारा की ले ली। अब बस दो चूत और फिर तू मेरी।

श्वेता समझ गई क्या हुआ है। उसने गाडी में झाँक कर सरला दी से पुछा – ये क्या सच कह रहा है ?

दीदी – हाँ , सच ही कह रहा है। हीहीहीहीही। अब वीट लगाकर चूत साफ़ कर ले , जल्दी ही तेरी लेगा। हीहीहीहीही।

श्वेता मुझसे बोली – यही बताने आये थे।

मैं – हाँ। सच कहूँ तो ले तारा कि रहा था पर एहसास तुम्हारा था। आई लव यू।

श्वेता – तुम पागल हो गए हो।

मैं – हाँ , मैं तुम्हारे प्यार में पागल हो गया हूँ।

श्वेता – लगता है तुमने पी ली है।

सरला दी – इसने पी तो है , पर चूत का पानी। हीहीहीहीहीही

श्वेता समझ गई दीदी को चढ़ गई है। उसने मुझसे कहा – आई लव यू टू। अब घर जाओ , इनकी हालत ख़राब है। सड़क पर उलटी करें इससे पहले घर पहुंचो।

वो फिर हॉस्टल चली गई। मेरे कानो में तो बस उसका आई लव यू टू गूँज रहा था। गाडी कब घर पहुंची , मैं कब उस रात सोया पता ही नहीं।

सुबह जब नींद खुली तो सब मुझे मुश्कुरा कर देख रहे थे। माँ ने तो उठते ही मुझे गले लगा लिया। सुधा दी भी ऐसे देख रही थी जैसे मैंने कोई किला फ़तेह कर लिया हो।

मैं सीधे चाची के पास गया और उनके गले लग कर कहा – अब अपनी बिटिया कि शादी कि तैयारी शुरू कर दो।

सरला दी बोली – पगला गए हो क्या ? प्यार, मोहब्बत, चुदाई , बाल बच्चे तक ठीक हैं। पर शादी ?

चाची बोली – हो सकती है। कोई खून का रिश्ता थोड़े ही है।

अब चौंकाने कि बारी हम सबकी थी। क्योंकि श्वेता ने पिछली बार यही कहा था कि हम सबके पिता ही उसके पिता है। और पापा और चाची के सम्बन्ध से वो पैदा हुई थी। ये बात श्वेता ने हम सबको खुद बताई थी और उसे पापा ने।

चाची बोली – हाँ , मुझे पता है भाई साहेब ने श्वेता से कहा था कि वही उसके पिता हैं। पर ये सच नहीं है। वो मुझे उसके नजरों के सामने निचा नहीं करना चाहते थे इस लिए उसे अपना अंश बता दिया। मेरे और भाई साहब के बीच सम्बन्ध थे पर श्वेता उनकी औलाद नहीं है।

माँ भी आश्चर्य में थी। बोली – ये क्या कह रही हो छोटी तुम ?

चाची – सच कह रही हूँ। विशवास न हो तो इनका डीएनए टेस्ट करवा लेना। वो दरअसल मेरे मायके में मेरे बचपन के एक साथी कि बेटी है। एक बार जब मैं मायके गई थी तो कुछ महीने रह कर आई थी। वहीँ मेरे स्कूल टाइम का एक दोस्त है। बस मजाक मजाक में बचपन कि बातें याद करते करते कब हमने सम्बन्ध बना लिया पता ही नहीं चला। मुझे अफ़सोस भी नहीं था क्योंकि मैं तब तक भाई साहब के साथ भी सम्बन्ध बना चुकी थी और घर के खुले माहौल में रम चुकी थी। पर मुझे गर्भ ठहरने कि उम्मीद नहीं थी पर जब ठहर ही गई तो गिराया नहीं। मैं नहीं चाहती थी बाकी लोग दुखी हों। भाई साहब सब समझते थे तो उन्हें बता दिया। उन्होंने मेरा पूरा सपोर्ट किया । जब श्वेता बड़ी हुई तो वो ये न समझे कि मैंने कई जगह मुँह मरवाया है भाई साहब ने उसे अपना बच्चा बता दिया। ये सुनकर भी उसे झटका तो लगा था और उसने हमारे रिश्ते को ही बहुत बाद में स्वीकार किया। इतना ही नहीं इस बात के लिए भी वो मुझे दोषी ठहराती रही। तभी तो मेरे साथ उसने समय काम बिताया। भाई साहब के अलावा उसके बाद से मैंने भी किसी से कोई सम्बन्ध नहीं बनाया। पर राज को मन न कर सकी। इसे देखती हूँ तो भाई साहब कि झलक आती है। तभी तो सब सौंप दिया। श्वेता भी कहीं न कहीं उनके प्रति आकर्षित थी , तभी वो इसे चाहती है।

इतना सब कहते कहते चाची रोने लगीं। बाकियों के आँखों में भी आंसू आ गए थे। सुधा दी ने उन्हें चुप कराया। माहौल थोड़ी देर के लिए ग़मगीन हो गया। माहौल हलका करने को मैंने कहा – साला मैंने सोचा था कि कुँवारी चूत मिली है ये सुन कर तुम सबकी चूत भी पनिया जाएगी पर यहाँ तो आँख में पानी भरे बैठे हो तुम सब।

ये सुन सब हंसने लगे। चाची ने ये सब श्वेता को बताने से मना कर दिया। उन्होंने कहा – किसी दिन समय आने पर बताया जायेगा। वैसे भी अभी राज दो चूत दूर है उससे।

ये सुनमुझे उन पर बहुत प्यार आया और मैंने उन्हें चूम लिया।

उस दिन के बाद से मैं और सरला दी एक दीप्ति मैं के यहाँ दो बार और गए। मैंने तारा कि खूब चुदाई की। वो भी दीप्ति मैम की तरह डोमिनेटिंग सेक्स पसंद करती थी। धीरे धीरे उसे भी सरला दी और दीप्ति मैम के नशे की लत लग गई। मुझे बस गरम धार पसंद थी पर पीना ज्यादा पसंद नहीं आया।

मैंने अब कॉलेज की पढाई पर भी ध्यान देना शुरू कर दिया था। लास्ट ईयर था तो एम्बीए के बारे में भी पता करना शुरू किया। सरला दी भी कुछ महीने बाद वापस ससुराल चली गईं। उन्होंने कहा डिलीवरी के टाइम फिर आएंगी। माँ ने कहा कोशिश करना पेट में बच्चा लेकर आना। महीने दर महीने बीतते गए। सुधा दीदी का पेट निकलता गया। बच्चा भी अब पेट में किक मारने लगा था। जब वो किक मारता हम सब खुश हो जाते।

मैंने और श्वेता ने मिलकर सबके सलाह से दो बिजनेस प्लान चुना था। एक तो गाँव की जमीन पर स्कूल और दूसरा शहर में एक रेस्टुरेंट। तय हुआ था पहले रेस्टुरेंट खोलेंगे जिसकी थीम में गाओं के फ्रेश अनाज और सब्जियां होंगी। एक तरह से डायरेक्ट फ्रॉम फार्म। फिर थोड़ा पैसा इक्कठा करके गॉंव में स्कूल। प्लान था छोटे से शुरू करेंगे। खाने का आईडिया इस लिए भी था क्योंकि माँ और चाची दोनों का हाथ साधा हुआ था। और मुझे भी धीरे धीरे कुकिंग में मजा आने लगा था।

ये सब करते कराते दीदी के डिलीवरी का टाइम कैसे नजदीक आया पता ही नहीं चला। एक शाम दीदी ने पेट में दर्द की शिकायत की। हम सब उनको लेकर हॉस्पिटल की तरफ दौड़ पड़े। श्वेता भी हमारे साथ आ गई थी। माँ ने दीदी के ससुराल में फ़ोन कर दिया था। जीजा जी सोनिया को लेकर आ रहे थे। दीदी की सास दीदी के ससुर को अकेले नहीं छोड़ सकती थी। डिसाइड हुआ की अभी सोनिया आएगी।

हॉस्पिटल में दीदी को लेबर रूम में ले गए। हम सब बाहर इंतजार कर रहे थे। कुछ ही घंटो में जीजा जी और सोनिया भी पहुँच गए।

रात में दीदी और बच्चे को कुछ कॉम्प्लीकेशन्स आ गई। डॉक्टर ने कहा सिजेरियन करना पड़ेगा। जीजा जी का मन तो नहीं था पर सिचुएशन के हिसाब से हम सब तैयार हो गए। करीब तीन बजे सुबह दीदी ने एक स्वस्थ गोलू मोलू से लड़के को जन्म दिया। जीजा जी बहुत खुश थे। उनके चेहरे से लग ही नहीं रहा था की ये उनका बच्चा नहीं है। उन्होंने अपने घर , मोहल्ले और दोस्तों सबको बता दिया की उन्हें लड़का हुआ है। मैं भी मंद मंद मुस्का रहा था। साथ ही मुझे दीदी की चिंता थी। ऑपरेशन के बाद जैसे ही दीदी को बाहर ले आया गया उन्हें देखते ही मेरे आँखों में आंसू आ गए। मैंने झुक कर उन्हें गले लगा लिया। ऑपरेशन की वजह से दीदी को तीन चार दिन हॉस्पिटल में ही रहना था। हमने एक प्राइवेट रूम ले लिया था। दीदी सुबह तक उसमे शिफ्ट हो गई।

सुबह मैंने सबको घर भेज दिया। सभी रात भर के जगे थे। जीजा जी रुकना चाह रहे थे। मैंने उन्हें घर भेज दिया। पर सोनिया घर नहीं गई। वो कई महीनो बाद दीदी से मिली थी। वो दीदी को छोड़ ही नहीं रही थी। सबने बहुत कहा की घर जा कर आराम कर ले पर उसने कहा वो दीदी के साथ ही घर जाएगी। बच्चा अभी नर्सरी में था। पता किया तो दोपहर तक हमें मिलना था। उसे नजदीक से देखने को हम सब बेताब थे। रूम में जब पहुंचे तो दीदी दवा की वजह से सो गईं। मैं भी रात भर जगा था तो वहां साइड में जो एक्स्ट्रा बेड था उस पर लेटे लेटे कब सोया पता ही नहीं चला । सोनिया वहां रखे चेयर पर बैठी रही।

दोपहर में बच्चे की आवाज से मेरी नींद खुली। देखा तो नर्स अपने बाँहों में कपडे में लपेटे एक छोटी सी जान लिए हुए थी। दीदी उठ कर बैठ गईं थी। नर्स ने उसे दीदी को थमाया। दीदी के आँखों में आंसू थे। मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई थी। बच्चा एकदम दीदी की तरह था। गोल मटोल चेहरा। नर्स ने उसे दीदी के गॉड में दिया और दूध पिलाने के लिए कहकर चली गई। मैं बाहर जाने लगा तो दीदी ने रोक लिया।

मैंने कहा – आता हूँ। मैं अभी वहां नहीं रुकना चाहता था। बच्चे के हक़ की तरफ अभी देखना भी नहीं चाहता था।

मैंने बहार आकर सबको बताया की बच्चा मिल गया है। सब शाम को आने का कह गए। कुछ देर टहलने के बाद जब मैं वापस आया तो देखा बच्चा दीदी के गोद शांति से सोया हुआ था और दीदी उसे अपलक निहार रही थी। मुझे देखते ही दीदी ने कहा – एकदम तेरे जैसा है।

ये सुनकर मैं शर्मा गया। बोला – नहीं तुम्हारे जैसा।

तभी बगल में खड़ी सोनिया बोली – तुम दोनों जैसा है। तुम दोनों भी एक जैसे ही हो।

तब मुझे ख्याल आया सच में ऐसा ही तो है। सोनिया के बोलने पर याद आया ये तो नाराज थी।

मैंने उसे कहा – तुम तो मुझसे नाराज थी ?

सोनिया – भाभी , आपका भाई गधा है क्या ? एक तो नाराज करता है , फिर माफ़ी भी नहीं माँगता और बात करो तो टॉन्ट मारता है।

दीदी ने हँसते हुए मुझसे कहा – सच ही तो कह रही है। चल सॉरी बोल और दोस्ती कर।

मैं – सॉरी बोल दूंगा तो वो वाली दोस्ती करेगी क्या ?

सोनिया ने मेरे कहने का मतलब समजह कर झूठ मोथ ही बोला – भाभी, इससे बात करना ही बेकार है। इसके दिमाग में एक ही चीज घूमती रहती है।

मैं – तुम हो ही ऐसी तुम्हे देख मन मचल जाता है। मन करता है कि बस ~~~

अपनी तारीफ सुन वो खुश हो गई। उसने कहा – देखा भाभी , अब भी सॉरी नहीं बोल रहा है।

मैं – सॉरी बाबा। गलतियों के लिए माफ़ी। क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी ?

सोनिया ने हँसते हुए कहा – चलो माफ़ किया।

मैं – बड़ी मेहरबानी आपकी।

तभी बच्चा जग गया। उसने टिमटिमाती आँखों से दीदी कि तरफ देखा। फिर हमें देखने लगा। दीदी ने मुझसे कहा – लेगा इसे ?

मैंने कहा – मेरी अभी हिम्मत नहीं है।

सोनिया ने उसे गोद में ले लिया। उसके गोद में बच्चा एकदम शांत पड़ा रहा। मुझे ये देख काफी ख़ुशी हुई। दीदी को बाथरूम जाना था। मैंने सहारा देकर उन्हें बाथरूम तक छोड़ा , लौटकर दीदी ने बच्चे को गोदी में लिया और दूध पिलाने के लिए शर्ट के बटन खोलने लगीं।

मैं फिर बाहर जाने लगा तो दीदी बोली – कहाँ बार बार भाग रहा है। तेरी नजर नहीं लगेगी। बैठ।

मैं वहीँ बैठ गया। बच्चा चुप चुप कि आवाज के साथ दुध पीने लगा। थोड़ी देर पीने के बाद वो सो गया।

शाम को घर से सभी हॉस्पिटल आये। मेरे और सोनिया के लिए खाना आया था। जीजा जी ने रुकने को कहा तो मैंने मना कर दिया। वापस मैं और सोनिया ही सोने वाले थे। जीजा जी ने कहा कि वो कल सुबह वापस चले जायेंगे।

रात को नर्स ने दीदी को दवाइयां दी। कमरे में टी वी चल रहा था। पर मैं सोनिया को और वो मुझे चोरी चोरी देख रही थी। सोने कि बारी आई तो मैंने कहा मैं बाहर चला जाऊंगा वहां सोफे पड़े हैं सो लूंगा। सोनिया और दीदी दोनों ने कहा यहीं सो जाना। मैंने कहा – यहाँ कैसे सोयेंगे ? बेड तो एक ही है।

सोनिया ने कहा – मैं निचे सो जाउंगी।

दीदी ने बोली – अरे बच्चा रात भर जगायेगा , देखते हैं कौन सो पाता है?

सोनिया दिन में नहीं सोइ थी। वो बेड पर लेट गई। उसने वहीँ बाथरूम में कपडे चेंज कर लिए थे। उसने एक शार्ट और टी-शर्ट डाल लिया था। मैंने वैसे भी एक बरमूडा और टी-शर्ट में था। मैं टी वी देख रहा था। दीदी कभी उंघती तो कभी जगती। दवा का असर था। बच्चा उनके बगल में था। कुछ एक घंटे बाद मैंने दीदी कि तरफ देखा तो दीदी के शर्ट के ऊपर के सारे बटन खुले हुए थे उनके मुम्मे बाहर आ चुके थे। प्रेग्नेंसी के बाद उनका ओरोला एकदम काला हो गया था और उसका घेरा भी बढ़ गया था। उनके मुम्मो से नसे दिख रही थी। लग रहा था काफ़ी दूध भरा हुआ था। उनके निप्पल भी बड़े हो गए थे। उनके चेहरे पर भी अजीब सी खूबसूरती आ गई थी। मैं उन्हें ऐसे ही निहार रहा था कि दीदी कि नींद खुल गई। उनकी नजरें मुझसे मिली तो उन्होंने आँखों के इशारे से पुछा – क्या है ?

मैंने कहा – कुछ नहीं। बस देख रहा था तुम कितनी खूबसूरत हो गई हो।

दीदी शर्मा गई। उन्होंने अपने बदन को ढकने कि कोशिश नहीं कि बल्कि अपने मुम्मे के तरफ इशारा करते हुए बोली – चाहिए ?

मैंने ना में इशारा किया और बच्चे की तरफ देख कर बोला – अभी उसका हक़ है।

दीदी ने धीरे से कहा – इनमे बहुत दूध है। वो अभी इतना नहीं पी रहा है। तू ले सकता है।

मेरे मन में अब भी झिझक थी। दीदी ने बाहें फैला कर कहा – आजा।

मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैं उठ कर गया और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। मैंने धीरे से बच्चे को उठाकर पास में पालने में डाल दिया। उसके बाद मैंने दीदी के तरफ अपनी चेयर कर ली। मुझे पास पाते ही दीदी ने पहले तो मुझे मेरे मुँह पर किस किया और बोली – आई लव यू। तूने मुझे इतना सुन्दर गिफ्ट दिया है। मुझे माँ बनाकर आज तूने मुझे पूरा कर दिया। उनके आँखों में आंसू थे।

मैंने उनके आंसू पी लिए और आँखों को चूमते हुए कहा – आई लव यू टू। आपने भी तो मुझे इतनी बड़ी ख़ुशी दी है। आज आपकी वजह से मेरा अपना अंश मेरे सामने है।

तभी सोनिया की आवाज आई – प्रेम वार्तालाप हो गया हो तो जिस लिए उसे बुलाया है दे दो उसे।

दीदी बोली – तू जगी है ?

सोनिया – सोइ थी अपर आप लोगो के खुसर पुसर से नींद खुल गई।

दीदी बोली – तुझे भी चाहिए क्या ?

सोनिया – पहले इन्हे दे दो। मैं बाद में लुंगी अगर बचेगा तो।

दीदी ने कहा – पहले तो बड़ा बोला करती थी तुम्हारा दूध पीना है। मैं तुम्हारी बेटी की तरह दूध पियूँगी और ना जाने क्या ? बच्चा करने को कितना उकसाया था ताकि दूध मिले और अब नहीं चाहिए। ठीक है।

सोनिया उठ कर बैठ गई थी और हमें देख रही थी। दीदी ने अपना बिस्तर थोड़ा ऊपर उठवाया जिससे वो अधलेटी अवस्था में आ गईं और मैं उनके बगल में बैठ गया।

दीदी ने मेरा सर पकड़ा और कहा – पी जा भाई। तेरे खातिर इतना किया है। ये तेरा हक़ है। बहुत ज्यादा भरे हुए हैं। ख़त्म कर दे इन्ह।

मैं ने उनके मुम्मे पर मुँह लगा दिया। जैसे ही मुँह लगा दीदी की सिसकारी निकल गई। सोनिया तुरंत उठ कर आई बोली – क्या करती हो ? बाहर आवाज जाएगी

दीदी ने उसे अपने पास खींचा और उसे चूमने लगी। मैं दीदी के दूध पी रहा था और वो उहे चूम रही थी। दीदी ने उसके मुम्मो पर भी हाथ लगा दिया था।

मुझे दीदी के मुम्मे ओरोला देख कर उत्तेजना हो रही थी। मेरा लंड खड़ा हो गया था। कुछ देर बाद मैंने देखा सानिया ने दीदी के दुसरे मुम्मे पर मुँह लगा दिया था। अब हम दोनों दीदी के मुम्मे पी रहे थे। दीदी अपने दोनों हाथो से हमारे बाल सहला रही थी। अभी कुछ देर ही हमने पिया होगा तभी बच्चा रो पड़ा। हम सब हंस दिए। दीदी बोली – इन भाई से बर्दास्त नहीं हुआ की कोई कैसे इनका हक़ मारे। सोनिया जरा तौलिया गीला करके मेरे मुम्मे पोछ दे। सोनिया ने वैसे ही किया। तब तक मैंने उसे उठा कर दीदी के गोद में दे दिया। दीदी उसे दूध पिलाने लगीं।

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