You dont have javascript enabled! Please enable it! नेहा का परिवार – Update 175 | Erotic Family Saga - KamKatha
नेहा का परिवार - Pariwarik Chudai Ki Kahani

नेहा का परिवार – Update 175 | Erotic Family Saga

मैं नहा धो कर तैयार हो गयी। मैंने खाकी निक्कर और टी शर्त पहन ली। मेरा सारा बदन दर्द कर रहा था। सुबह आधा दिन नानू ने रोंदा था। फिर दोपहर भर सुकि दीदी ,रत्ना चाची, राजू चाचू और उनके बेटे ने रगड़ रगड़ कर थका डाला था मुझे। पिच्छली रात से मैंना जाने कितनी बार चुद चुकी थी।
सुशी बुआ ने मेरी चाल से समझ लिया कि मेरे नए अनुभव के बारे में। मुझे उन्हें विस्तार से बताना पड़ा। सुशी बुआ की आँखें फ़ैल गयीं भूरे की करामाती चुदाई के विवरण सुन कर।
रात के खाने पर सारे परिवार में चुअल बाज़ी हो रही थी। मैंने देखा कि मम्मी थोड़ी बेचैन लग रहीं थीं। उनकी आँखें बिना संयम रखे बार बार अपने पापा और भाइयों के चेहरों को निहार रहीं थीं।
“सुन्नी , यदि तुझे नींद आ रही हो तो बाबूजी के कमरे में सो जाना। मैं तो आज देर तक बात करूँगीं अपने भैया, पापा मम्मी के साथ। ” सुशी बुआ ने हमेशा की तरह मीठा संदश भेजा। अब मुझे समझ आने लगे यह सब ढके छुपे सांकेतिक इशारे। मम्मी की शर्माहट से मेरा हृदय खिल उठा। शरमाते हुए मेरी अप्सरा जैसी मम्मी और भी सुंदर लगतीं थीं।
दादू ने टीका लगाया , “निरमु आज हमारी बेटी ने जो मालिश की है उसके लिए तो हमारे पास कोई शब्द ही नहीं है। ”
दादी हंस दीं ,” बेटी नहीं मालिश करेगी अपने पापा की तो और कौन करेगा ? आज मुझे तो अपने बेटे के साथ बिताये दिन की यादें ध्यान कर अंकु के प्यार अभिभूत हो गयीं हूँ। ”
“मम्मी क्या ख़रीदा भैया ने आपके लिए। सुन्नी भाभी देख तो जरा। भैया तेरी सास को मॉल ले जा कर दौलत खर्चते हैं और तू कुछ नहीं शिकायत करती।,” मेरी मम्मी भले ही सुशी बुआ जैसी तेज़ तर्रार नहीं थी पर बिलकुल निस्सहाय भी नहीं थी।
“नन्द जी तेरे भैया जैसा हीरा तो मुझे मिला ही है अम्माजी की कोख से। इस हीरे के लिए तो दुनिया की साड़ी दौलत भी काम है अम्माजी के ऊपर खर्चने के लिए ,” मम्मी ने इक्का मार दिया बुआ के बादशाह के ऊपर। मम्मी और बुआ का रिश्ता भी मजे का था। दोनों एक दुसरे की भाभी और ननंद दोनों थीं।
सब हंस पड़े। फिर सब मीठा खाने के बाद कौनियाक के गिलास ले कर अपने सुइट्स की ओर चल पड़े। मैं अब सब समझती थी और मैंने भी लम्बी थकी जम्भाई ले कर सोने के लिए जाने का नाटक किया।
शीघ्र ही मैंने पहले दादू के कमरे की ओर चल पड़ी। कमरे में सुशी बुआ, दादू और दादी थीं। बुआ आने अपनी मम्मी की साड़ी उतार दी और कुछ ही क्षणों में दादी बिलकुल नग्न थीं। दादी का परिपक्व प्रौढ़ सौंदर्य देखते ही बनता था। उनके प्रचंड चवालीस ( ४४ “) इंचों के ई ई (डबल ई ) भारी ढलके हुए स्तन , गोल भारी तीन सुंदर तहों से सजी अड़तीस ( ३८ “) इंच की कमर और फिर उनके तूफानी अड़तालीस (४८ “) इंची हाहाकारी विशाल स्थूल नितम्ब। उनके बगलों में घने घुंगराले बाल उनके सौंदर्य में और भी इज़ाफ़ा कर रहे थे। दादी के पांच फुट छह इंच का पिच्चासी किलो ( ८५ किलो ) का गदराया शरीर किसी भी संत का संयम भांग कर सकने में सक्षम था। फिर बुआ ने अपने पापा को आदर से वस्त्र विहीन आकर दिया।
“सुशी बेटा मेरा अंकु कहाँ है ?” दादी ने बुआ का कुरता उतारते हुए पूछा।
दादू ने तब तक अपनी बेटी की सलवार का नाड़ा खोल दिया था, “मम्मी आप तो सिर्फ अपने बेटे के प्यार में डूबी रहती हो। अपनी बेटी की तरफ भी तो देख लीजिये कभी कभी। ” बुआ की नटखट आवाज़ को दादी भी गंभीरता लिया।
बुआ ने नहीं पहनी थी सलवार उतारने साफ़ था की उन्होंने पैंटी भी नहीं पहनी थी, “मम्मी शालिये लेट जाइये आपकी बेटी ने कितने दिनों अपनी मम्मी की चूत पिया है। अंकु भाभी को तैयार होने में मदद कर रहा है।”
दादी का गदराया शरीर बिस्तर पर फैला था। बुआ ने अपनी मम्मी की झांटों को फैला कर उनकी गुलाबी चूत को खोल दिया। कितनी प्यारी थी दादी की चूत। दादू ने अपनी बेटी के चूतड़ फैला कर बुआ की चूत और गांड के ऊपर मुँह टिका दिया।
दादी और बुआ सिसकारी निकल पड़ीं। और तभी पापा दाखिल हुए कमरे में , “अहा सब शुरू हो गए हमारे बिना। “पापा कमीज़ खोलते हुए कहा।
न जाने क्यों मुझे पापा को देख आकर बुरी तरह शर्म से भर गयी और मैं वहां से दौड़ पड़ी।
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मम्मी के कमरे में मम्मी आखिर तैयारी में थीं। मम्मी ने शादी वाली साड़ी पहनी थी। उनके सारे शादी के गहने उन पर चमक रहे थे। उनकी नाथ का हीरा उनके चेहरे के हिलने भर से चका-चौंध कर रहा था। मम्मी ने पूजा की थाली तैयार की हुई थी। कस्तूरी , चन्दन , हल्दी और सिंदूर सब थे थाली में। मैं मम्मी की सुंदरता देख कर रोने जैसी हो गयी ,ना जाने क्यों। ख़ुशी में भी आंसू उबलने लगते हैं।
मम्मी की काया सुडौलता से भरी गदरायी हुई थीं। साड़ी में भी नहीं समा पा रहे थे मम्मी के लार टपका देने वाले नितम्ब। उनके ब्लाउज़ की बटन झगड़ा सा कर रहे थे उनके उन्नत हिमालय की चोटी जैसे मीठे उरोजों से।मम्मी ने हल्का सा घूँघट खींच लिया अपने माथे के ऊपर। मम्मी ने अपने पापा के सुइट की ओर कदम बड़ा दिए।
मैं पहले ही पहुँच गयी नानू के सुइट में।
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कमरे में सजावट देख कर मैं हैरान हो गयी। सारा कमरा फूलों से सजा हुआ था। बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियां फैली हुईं थीं। बड़े, छोटे मामू सिल्क के जरीदार कुरता, पजामा और अचकन पहनी हुई थी। नानू भी उसी तरह तैयार थे। उनके सर पर शादी की पगड़ियां थीं। तीनों पुरुष कितने मोहक,और काम-आकर्षक लग रहे थे।
मम्मी जैसे ही दाखिल हुईं तीनो खड़े हो गए। मम्मी ने अपनी कोल्हापुरी सोने से सजी जूतियां दरवाज़े पे उतार दीं अपने के साथ दोनों भाईयों और पिता की जूतियों के साथ।
मम्मी शर्म से लाल लज्जा से भरी तीनों पुरुषों के सामने खड़ीं हो गयीं।
उन्होंने पहले अपने पिता के फिर बड़े भैया के और फिर छोटे भैया के पैर छुए। तीनो ने उन्हें बारी बारी से आशीर्वाद दिया -सम्पनता, विपुलता और गर्भ धारण के आशीर्वाद।
फिर तीनो पुरुष बैठ गए थाली के इर्द गिर्द। मम्मी ने कस्तूरी का दिया जला दिया। मम्मी ने पहले अपने पापा के माथे पर पहले हल्दी, फिर चन्दन का टिका लगाया। और फिर अपने दोनों भाइयों के माथे पर टिका लगाया।
फिर मम्मी खड़ीं हो गयीं और नानू ने उनके घूँघट को हटा कर उनकी साड़ी का पल्लू उनके कन्धों पर गिरा दिया।
“आप तीनों ने मुझे कुंवारी से स्त्री बनाया था पच्चीस साल पहले। आज भी आपकी बेटी और बहन उस दिने से आप तीनो की अर्धांगिनी भी है। इस बहन और बेटी की मांग भर कर उसे एक बार फिर से अपनी अर्धांगिनी होने का सौभाग्य दे दीजिये ,”मम्मी ने भावुक शब्दों से अपने पिता/भाइयों/पतियों से कहा।
नानू ने अपनी बेटी की मांग में सिंदूर भर दिया और कहा ,”सुन्नी बेटा ,हमसे भाग्यशाली कोई भी पिता नहीं है जिसे तुझ जैसी बेटी और अर्धांगिनी मिली हो। सदा सुहाग शाली रहो मेरी बेटी। ”
फिर बड़े मामू ने छोटे मामू ने अपनी बहन की मांग सिंदूर से भर कर पूजा का समापन किया। और फिर तीनों ने पहनाये साधारण पर पवित्र मंगलसूत्र मम्मी को।

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