Update 9.
श्वेता दी के आवाज से मेरी नींद खुली । मैंने घड़ी में टाईम देखा शाम के सात बज रहे थे । मैं जम्हाई लेते हुए बोला – ” बहुत देर तक सो लिया ।”
” हां , सात बज गए । चलो उठो जल्दी से तैयार हो जाओ उर्वशी नीचे हाल में बुला रही है ।”
मैंने श्वेता दी की तरफ देखा । वो नहा कर फ्रेश हो गई थी । उसने ब्लू कलर की साड़ी और ब्लाऊज़ पहन रखी थी । चेहरे पर हल्की सी मेकअप थी । मैं उसकी सुन्दरता को निहारते हुए सोच रहा था खुबसूरत लड़कियो को शादी ही नहीं करनी चाहिए । इनके शादी के बाद न जाने कितने लड़कों का दिल टुट जाता होगा । कितने बेचारे देवदास बन जाते होंगे ।
” क्या हुआ ? चलना नहीं है क्या ?” मुझे सोचते देख उसने कहा ।
” हां हां चलता हूं ।” कहकर मैं बिस्तर से नीचे उतरा ।
” सुनो ! मैं निचे जा रही हूं तुम जब आना तब कमरे को बंद कर देना ।’
श्वेता दी बोलकर कमरे से निकल गयी । मैं भी बाथरूम में चला गया ।
करीब आधा घंटा बाद नहा धो कर पैन्ट शर्ट पहन कर मैं भी तैयार हो गया । मैं कमरे से निकलने ही वाला था कि मेरा मोबाइल बजा ।
मैंने देखा माॅम का नम्बर था । मैंने फोन उठाया । माॅम मेरे वापस आने के प्रोग्राम के बारे में पुछ रही थी । मैंने उन्हें बताया कि मैं कल शाम को किसी वक्त आऊंगा । उन्हीं से ये भी मालूम हुआ कि रीतु की सहेली काजल भी घर आईं हुई है और वो आज रात मेरे घर पर ही रूकेगी ।
माॅम से बात कर मैं रूम से बाहर निकला और दरवाजे को बंद कर मैं लिफ्ट की तरफ बढ़ा कि फिर मेरा मोबाइल बजने लगा । मैंने देखा इस बार रीतु थी ।
” हां बोल ।”
” भैया , मां ने कहा आप कल शाम को आवोगे ।”
” हां कल शाम तक आ जाउंगा । कोई काम है क्या ”
” आप आ जाओ फिर बोलती हूं ।” – रीतु बोली – ” भैया आप की लाडो काजल आप से बात करना चाहती है ।”
” बोलो काजल ” मैंने प्यार से बोला ।
” भैया आप आते समय वहां के पेठा लेते आईयेगा ।”
” लेते आऊंगा । और कुछ चाहिेए ? ” मैंने कहा ।
” नहीं भैया । लीजिए ! रीतु आप से कुछ बोलना चाहती है ।”
फोन पर अब रीतु आ गयी ।
मैं उसके बोलने से पहले ही कहा -” तु क्यों काजल को परेशान करती है । न जाने मेरे बारे में क्या क्या सोचती होगी ।”
” आप एक नम्बर के बेवकूफ हो । आपको बताऊं वो थोड़ी देर पहले क्या कर रही थी ।’
” क्या कर रही थी ।”
” आपके रूम में आपके बिस्तर पर लेट कर गाना गा रही थी ।”
” गाना कौन सा गाना ?”
” मैं तो छोड़ चली बाबुल का देश पिया का घर प्यारा लगे ।’
” क्या ?”
” क्या बकवास करती है । भैया ये झुठ बोल रही है ।” – काजल हड़बड़ाते हुए बोली ।
दोनों को एक साथ बोलते हुए सुनकर मैं समझ गया कि मोबाइल स्पीकर पर है ।
” मैं झुठ नहीं बोल रही हूं बल्कि मैं तो झुठ बोलती ही नहीं हूं । सतयुग में राजा हरिश्चन्द्र के बाद कलयुग में सच बोलने वाला सिर्फ मैं ही हूं ।”
अभी उसकी बक बक जारी ही थी कि वहां मधुमिता पहुंच गई । मैंने रीतु को बाद में फोन करने को बोलकर फोन काट दी ।
” किससे बातें हो रही थी ।” मधुमिता ने मुस्कुराते हुए कहा ।
” मेरी बहन थी पर तुम यहां क्या कर रही हो ?”
” मैं भी इसी फ्लोर पर ठहरी हूं रूम नं ३०७ ।”
” अच्छा ये तो बहुत अच्छी बात है । तब तो रात अच्छी कटेगी ।”
” ज्यादा ख्याली पुलाव बनाओ मत । मेरे साथ मेरी दो सहेलियां भी है ।”
” ओह ।” मैंने बुरा मुंह बनाया ।
” और मेरे बगल वाला रुम ३०६ भैया और भाभी का है ।”
” अच्छा । और बाकी तुम्हारे फेमिली ?”
” सभी इसी फ्लोर पर ठहरे हैं । मेरे डैड और मम्मी और भाभी का भी परिवार सभी ।”
तब तक मधुमिता की सहेलियां आ गयी । मैं मधुमिता से फोन नंबर एक्सचेंज का के नीचे हाल में आ गया ।
मैं नीचे रिसेप्शन हाल में पहुंचा । वहां पहले से ज्यादा लोगों का जमावड़ा था । पार्टी पुरे शबाब पर थी । मैं टहलते हुए चाय के काउंटर पर पहुंचा और चाय लेकर धीरे धीरे पीने लगा । तभी श्वेता दी वहां आ गई और वो भी चाय लेकर मेरे बगल में खड़ी हो गई ।
” इतनी देर कैसे हो गई ?” श्वेता दी ने पूछा ।
” माॅम और रीतु का फोन आ गया था ।”
” सब ठीक है ना ।”
” सब ठीक है दरअसल वो आने के बारे में पुछ रही थी ।”
‘ ओह ।”
मैं चाय पीते हुए हाल के चारों ओर नजर दौडा रहा था । हाल में इस वक्त करीब सौ के आसपास मेहमान थे । उर्वशी और संजय जी दोनों स्टेज पर सिंहासन के समान चेयर पर बैठे थे । मेहमान वहां जाकर उनको शादी की मुबारकबाद दे रहे थे ।
” उर्वशी के शादी के बाद भी तुम्हारा सम्बन्ध रहा है क्या ” – श्वेता दी ने कहा ।
मैंने चौंक कर श्वेता दी की तरफ देखा ।
” कहां से होता ? जिस दिन उसकी शादी थी उसी दिन तो अमर का खून हो गया था । फिर उसके बाद की सारी कहानी तुम्हें पता ही है ।”
” हूं …. तुम दोनों की लास्ट पिछली डेट कब हूई थी ?”
” मैं सच कहुंगा तो फिर गुस्सा करोगी ।”
” नहीं करूंगी । बोलो ना ।”
” तुम्हे याद है जब वो अपने शादी की कार्ड देने तुम्हारे घर आई थी ।”
” हां याद है । अपने शादी के चार दिन पहले आई थी ।”
” उसी दिन ।”
” क्या ?” वो मुंह बाये मुझे देख रही थी ।
” हां उसी दिन । उस दिन के बारे में याद करो ।”- मुस्कराते हुए मैंने कहा ।
” वो दोपहर में शायद आई थी ।” श्वेता दी बोली ।
” वो दोपहर नहीं ग्यारह बजे आई थी । तब चाचा चाची को लेकर राहुल के स्कूल गए थे । उस दिन राहुल के स्कूल में पैरेंट्स मीटिंग था ।”
” हां याद आ गया । जब वो आई थी उस समय हम दोनों तास खेल रहे थे । है ना ।”
” हां । हम तास खेल रहे थे । उर्वशी ने तुम्हें कार्ड बांटने के लिए साथ में चलने को कहा तब तुमने उससे कहा मैंने अभी नहाया नहीं है । तुम बैठो मैं अभी नहा कर तैयार हो कर आती हूं ।”
” हां याद आया । फिर मै नहाने चली गई ।”
” उसी समय ।”
श्वेता दी आश्चर्य से मुझे देखते हुए बोली -” क्या ? मतलब जब मैं नहाने गई तब तुम दोनों वो.. वो मेरा मतलब सेक्स किया ।”
” हां तुम्हारे रूम में और तुम्हारे ही बिस्तर पर और सेक्स के दौरान वो तुमसे बातें भी करती रही ।”
” तुम न सच में एक नम्बर के हरामी हो । और ये उर्वशी की बच्ची…”
” छोड़ो ना यार । क्यों खामखां की टेंशन पालती हो ।”
मैंने देखा वो नाखुश नजर आ रही थी । फिर उर्वशी ने हमें देख कर अपने पास बुला लिया । मैं श्वेता दी के साथ स्टेज पर चला गया । श्वेता दी उर्वशी के पास खड़ी हो गई । मैं संजय जी के सामने से गुजरा । संजय जी ने इस वक्त घी कलर की शेरवानी पहन रखी थी । वो काफी हैंडसम दिख रहे थे ।आंखों में शानदार गोगल्स ।
मैं उनके गोगल्स की तरफ देखते ही चौंक गया । गोगल्स के प्रति बिम्ब से मुझे एक रिवाल्वर की नाल को उनकी तरफ तानते हुए पाया । मैं बिना सोचे समझे संजय जी पर झपटा और उन्हें लिए जमीन पर गिर पड़ा । गोली मेरे शर्ट को छुते हुए पिछे की दिवार में घुस गई ।