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Sagar - An Erotic Incest Story

Sagar – An Erotic Incest Story – Update 5

Update 5.

सुबह साढ़े नौ बजे मैं ड्राइंगरुम पहुंचा तब माॅम और रीतु सोफे पर बैठे टीबी देख रहे थे । उन्हें हग करने के बाद मैं भी उनके बगल बैठ गया । माॅम ने नाश्ता निकाला । नाश्ते के ही दौरान मैं चुपके से उनके हाव भाव को भी ताड़ रहा था ।

” माॅम, बहुत दिन हो गए कालेज नहीं गया । सोच रहा हूं आज चला जाऊं ।” मैंने कहा ।

” भाई, आप वहां से लौटोगे कब ।” रीतु बोली ।

” तीन चार बजे तक ।” मैं रीतु की तरफ पलटते हुए कहा ।” तुम्हें कोई काम है क्या ।”

” तीन बजे तक लौटोगे तो मुझे भी कालेज से पिक अप कर लेना । यदि तुम्हें कोई काम न हो तो ।”

” ठीक है ।” कहकर नाश्ते के बाद हाथ मुंह धोकर बाहर निकल गया ।

कालेज में अमर की यादें जब आती थी तो मन उद्वेलित हो जाता था । धीरे धीरे कालेज के वातावरण मे मैं ढलने लगा ।

तीन बजे रीतु का जब फोन आया तो मैं कालेज से अपनी बाइक लेकर उसके कालेज की ओर चल दिया । रीतु का कालेज मेरे कालेज से पन्द्रह मिनट की दूरी पर था ।

उसके कालेज के गेट के पास बाइक खड़ी कर मैं उसका इन्तज़ार करने लगा । थोड़ी ही देर बाद मुझे रीतु अपने सहेलियों के झुंड के साथ आती दिखी ।

रीतु ने भी मुझे देख लिया था । वो अपनी खास सहेली काजल की बांह पकड़े मेरे पास आई ।

काजल भी रीतु की ही तरह खुबसूरत थी बिल्कुल काजल अग्रवाल की तरह । दोनों लड़कियां मेरे पास आ कर खड़ी हो गई । काजल ने मुझे अभिवादन किया तो मैं धीरे से मुस्कुरा कर कहा ।

” कब आईं मामा के घर से ।”

” एक हफ्ते से उपर हो गया भाई ।” उसने मुस्कुराते हुए कहा ।

” कहती थी न तुझसे, भाई तेरे बारे में मुझसे बीसो बार पुछ चुका है ।” रीतु काजल को देख कर मेरी टांग खिंचती हुईं बोली – ” कहां है काजल ! कब तक आयेगी काजल ! बहुत दिनों से देखा नहीं है काजल को ! फलां ! फलां ! फलां ।”

” क्या बक रही है । मैंने कब कहा ।” मैं हड़बड़ा कर बोला ।

काजल शर्म से अपनी नजरें नीचे कर धीरे से मुस्कराने लगी ।

” क्यों झूठ बोलते हो भाई । झूठ बोलना अच्छी बात नहीं । पाप लगता है ।” वो कुटिल मुस्कान भरी ।

” अच्छा पुछ भी लिया तो क्या ग़लत हो गया ।” मैं काजल से मुखातिब होते हुए कहा – ” क्यों काजल ! क्या मैं तुम्हारे बारे में कुछ पुछ नहीं सकता । आखिर तुम भी तो मेरी बहन जैसी हो ।”

” हां सही कहा ! बहन जैसी हो । बहन नहीं ।”

मैं सकपका गया । लगता है ये लड़की काजल के सामने मेरा पुलंदा बंधवा कर ही रहेंगी ।

” क्या बक बक कर रही है । चुपचाप नहीं रह सकती क्या ।” काजल ने लजाते हुए कहा ।

” अरे बक बक नहीं कर रही । सच बोल रही हूं । ” उसने काजल के कंधे पर हाथ रख कर कहा । – ” जानती है काजल ! मेरा भाई का दिल न दरिया दिल है । बल्कि दरिया दिल भी नहीं, सागर दिल है ।
मेरे भाई का जैसा नाम वैसा ही उसका दिल । सागर जैसी गहराई वाली दिल । उसके दिल में सिर्फ प्यार ही प्यार है । तु न राज करेगी ।” दार्शनिक अंदाज में काजल को बोली ।

” क्यों अपने भाई को छेड़ रही है ।” काजल हंसते हुए बोली ।

मैं जो अपने आप को लड़कियों के मामले में सुरमा भोपाली समझता था, अभी स्तब्ध सा भौंचक्का खड़ा था । तभी काजल के डैड आ गये और रीतु के जबान पर ब्रेक लगा ।
काजल के डैड का चांदनी में पुराने एंटीक चीजों का बिजनेस था ।

जब वो हमारे पास पहुंचे तो मैंने और रीतु ने उनको हाथ जोड़कर अभिवादन किया । उन्होंने मुस्करा कर हमें आशिर्वाद दिया ‌और हमारी हाल चाल पुछ कर काजल के साथ अपने घर चले गए ।

” वैसे तो बड़े तीसमार खान बनते हो, लेकिन आज पता चला कि सिर्फ अपनी डेंगी हांक ते थे । अपना चेहरा देखा, हवा पंचर हो गई थी । रीतु ने हंसते हुए कहा ।

” वो तो मैं अब भी हूं ।” मैंने अपना सीना तान कर कहा – “लड़कियों के मामले में मुझे कम तर मत आंकना । वो तो तेरी सहेली थी इसलिए लिहाज कर गया ।”

” हां, हां वो देखी मैंने ।”

” तुने अभी तक देखा ही कहां है । जिस दिन देख लेगी उस दिन तेरे सारे भ्रम टुट जायेंगे ।”

” अच्छा ! इतना घमंड ।” वो कालेज के कैम्पस की तरफ देखते हुए बोली – “वो ! वो जो लड़की आ रही है , उसे prapose करके दिखाओ ।”

जिस लड़की के बारे में उसने इसारा किया था, उस तरफ देखा तो एक फैशनेबल हाॅट लड़की जींस और टाॅप पहने कालेज के गेट की तरफ आ रही थी ।

” उस को ।” मैंने उस लड़की की तरफ इसारा करते हुए पुछा ।

” हां । उस को ।”

“ठीक है फिर । अब मेरा टेलेंट तु देख ही ले ।” कहकर मैं उस लड़की की तरफ चल दिया ।

” एक्सक्यूज मी मिस ।” मैं लड़की के आगे खड़ा हो कर बोला ।

” मैं ! ” लड़की चौंकते हुए बोली ।

” जी ! आप ।” मैंने मिश्री से भी मीठे आवाज में कहा ।

” जी । कहिए ।”

” क्या आप मेरी girlfriend बन सकती है ।”

” क्या मतलब ! ” लड़की हड़बड़ाते हुए आंखें चौड़ी करते हुए कही ।

” जी । मेरा मतलब है कि क्या मैं आपका boyfriend बन सकता हूं ।”

” पागल हो क्या । कौन हो तुम । मैं तो तुम्हें जानती नहीं ।”

” जी ! नहीं । मैं पागल नहीं बल्कि आपके खुबसूरती का कदरदान हूं ।” मैंने अपने सीने पर हाथ रख कर कहा ।

” क्या तुम मुझे जानते हो ।” उसने संशय भरे हुए में कहा ।

” नहीं । जानता तो नहीं हूं लेकिन बाद में जान जाउंगा ।”

” क्या बकवास है । सनकी मालूम पड़ते हो । हटो, जाने दो मुझे ।” लड़की गुस्से से बोली ।

” मिस ! मेरी बात तो सुनिए । देखिए , मैं सागर चौहान दिल्ली युनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्यूनिकेशन के फाइनल ईयर का स्टुडेंट । और ठीक मेरे पीछे जो लड़की रेड कलर की सलवार सूट पहनी है, वो मेरी बहन है । लेकिन please उसकी तरफ Direct मत देखिएगा ।” मैंने जल्दी जल्दी एक सांस में ही कह दिया ।

लड़की ने कनखी से रीतु की तरफ देखा ।

” हो गई न मेरी परिचय ।” मैंने कहा ।

लड़की इस बार मुस्कराई । फिर मेरा पिछा छुड़ाने के मकसद से बोली ।

” But kind for your information I’m engaged. I have already booked. ”

” कोई बात नहीं । आप फिर भी मुझे boyfriend बना सकती हैं ।”

” वो कैसे ? ”

” मिस ! आप तो जानती है जमाना कितना फास्ट हो गया है । और लड़कियां तो फास्ट से भी ज्यादा फास्ट हो गई है ।”

” क्या मतलब ।”

” जैसे एक बार में लड़के कई लड़कियों से फ्रेंडशिप कर लेते हैं उसी तरह लड़कियां भी एक साथ कई कई लड़कों को boyfriend बना लेती हैं । मसलन जब वो सुबह घर से बाहर निकलती है तब , जब रास्ते में होती हैं तब , जब कालेज में होती है तब , कालेज की छुट्टी के बाद घर जाती है तब । और भी ऐसी कई जगहे है ।”

” तौबा तौबा । तुम्हारे कहने का मतलब है कि लड़कियों की इन सभी जगहों पर अलग-अलग boyfriend होती है ।”

” जी ! सही फरमाया ।”

” एक नम्बर के कमीने हो ।”

” शुक्रिया ।”

” किस बात की कि कमीने हो ।”

” नहीं । एक नम्बर का हूं इस बात के लिए । दिल्ली में अगर कोई व्यक्ति एक नम्बर का होता है वो उसकी तारीफ होती है ।” मैंने धीरे से उसके सामने सिर झुकाते हुए कहा ।

” बातें अच्छी कर लेते हो ।” अब लड़की मुस्कराई ।

” मैं और भी कई सारी चीज़ें अच्छी अच्छी कर लेता हूं ।”

” अच्छा ! ”

” जी हां । तो मेरा application मंजूर हुआ ।” मैंने आशावादी नजरों से उसे देखा ।

” अभी तक तो नहीं । बाद की बाद में देखेंगे ।” कहकर मुस्कराते हुए चली गई ।

उसके जाते ही रीतु आईं । वो सारी बातें चुपके से सुन रही थी । और मेरे हाथों को पकड़ कर जोर जोर से हंसने लगी ।

” सच में तुम एक नम्बर के कमीने हो ।” हंसते हंसते बोली ।

मैं हंसा और बोला – ” चल घर चलते हैं । काफी देर हो गई ।”

फिर हम बाइक पर बैठ घर की तरफ रवाना हो गए ।

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