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Sagar - An Erotic Incest Story

Sagar – An Erotic Incest Story – Update 3A

Update 3 A.

मैं गमगीन वहीं खड़ा ही था कि एक पुलिस का दल धड़धड़ात हुआ फ्लेट में प्रवेश किया ।

” हमें खबर मिली है यहां किसी का कत्ल हुआ है।” इंस्पेक्टर अपने कठोर आवाज में कहा ।”

इंस्पेक्टर के बैच से मालुम हुआ कि उसका नाम विजय कोठारी है । वो एक 6 फुट से भी ऊपर निकलता हुआ हठठा कट्टा कडियल जवान था ।

” जी । बाथरूम में ।” मैंने धीरे से कहा ।

पुलिस फ्लेट के चारों तरफ फैल गई । मैं वहीं ड्राइंगरुम में बैठ गया । लाश का मुआयना करने के बाद इंस्पेक्टर बोला ।

” क्या इस फ्लेट के मालिक तुम हो ।”

” जी नहीं । ये मेरे जीजा राजीव सोलंकी का का फ्लेट है ।”

” मकतुल का कत्ल तुमने किया है ।”

” जी नहीं । जब मैं यहां आया तब ये मरा पड़ा था ।”

” तुम यहां कब आये । और घर कहां है तुम्हारा ।”

” मैं यहां पन्द्रह मिनट पहले ही आया था । और मेरा मकान दिल्ली के रोहिणी में है ।” फिर मैंने इंस्पेक्टर को अपने, अपने परिवार और यहां आने का कारण बताया ।

” हुं ।” फिर थोड़ी देर बाद कहा । ” मकतुल को जानते हो ।”

” हां । मेरा दोस्त था । बहुत ही जिगरी ।” मैं अपने आंसुओं को पोछते हुए कहा ।

” मकतुल तुम्हरा दोस्त था ।” इंस्पेक्टर हैरान होते हुए बोला । ” क्या करता था वो । और वो यहां क्या करने आया था ।”

” इंस्पेक्टर साहब, ये तो मैं भी नहीं समझ पा रहा हूं कि वो यहां क्यों और कब आया ।” मैं भावुक हो गया था । ” मेरे साथ ही पढ़ता था । अपने मां का एकलौता सहारा था ।”

तभी मेरे जीजा राजीव ‌ने फ्लेट में प्रवेश किया और पुलिस और मुझे देखकर अचंभित हुआ ।

” क्या बात है ! सागर तुम यहां और पुलिस यहां कैसे । पुलिसकर्मियों को देखते हुए मुझसे पूछा ।

” कत्ल हुआ है यहां । और तुम कौन हो ।” इंस्पेक्टर ने कठोर आवाज में कहा ।

” क्या ! कत्ल ! ” उन्होंने आंखें चौड़ी करते हुए दहशत भरे स्वर से कहा । ” क.. किसका ! किसका कत्ल हुआ है ।”

” मेरे दोस्त अमर का ।” मैंने धीरे से कहा ।

” तुम्हारे दोस्त का ।”

मुझे न जाने क्यों ऐसा लगा जैसे मेरे जीजा ने चैन की सांस ली हो ।

” मैं राजीव सोलंकी । इस फ्लैट का मालिक ।” जीजा ने इंस्पेक्टर की तरफ तवज्जो देते हुए कहा । ” कत्ल कैसे हुआ इंस्पेक्टर साहब । किसने किया । क्या क़ातिल पकड़ा गया ।”

” अभी तक तो नहीं लेकिन जरुर पकड़ा जाएगा । आप जरा धैर्य रखें और मेरे सवालों का जवाब दें ।” इंस्पेक्टर ने कहा ।

” जी ।” कहकर जीजा मेरे बगल बैठ गया ।

” अभी आप कहां से आ रहे हैं और करते क्या हैं ।

” मैं दिल्ली के एक MNC कम्पनी Hayat Infotech में काम करता हूं जो कनाटप्लेस में है । मैं अभी वहीं से आ रहा हूं ।”

” आज आपकी आफिस बंद है जो इतनी जल्दी घर आ गए ।”

” जी नहीं । मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं थी इसलिए सीक लेकर जल्दी चला आया ।”

” कितने बजे आफिस निकलते हैं ।”

” सुबह नौ बजे ।”

तभी पुलिस का डाक्टर और फिंगर प्रिंट्स वाले आ गए और उन्होंने अपना अपना निरीक्षण शुरू कर दिया । इंस्पेक्टर भी उनके साथ लग गया ।

” तुमने आने से पहले मुझे फोन क्यों नहीं की ।” जीजा मेरी तरफ झुक कर धीरे से पुछा ।

” आप को दीदी ने नहीं बताया कि मैं आज यहां आने वाला था ।”

” नहीं । उसने तो मुझे कुछ भी नहीं बताया । लेकिन तुम तो मुझे फोन कर सकते थे ।”

” सुबह मैंने आपको फोन करने गया तो पता चला मेरे फोन में रिचार्ज खतम हो गया है । आउटगोइंग और इनकमिंग दोनों बन्द हो गया था ।” मैंने निराश होकर बोला ।

” तुम्हारा दोस्त यहां क्या करने आया था ।”

” ये तो मैं भी नहीं समझ पा रहा हूं ।”

तभी इंस्पेक्टर आया तो मैंने उन्हें कटे बालों वाली लड़की के बारे में बताया ।

इंस्पेक्टर हैरान हो कर बोला । ” इतनी महत्वपूर्ण बात तुम अब बता रहे हो ।”

” मेरे दोस्त के मौत ने मुझे सदमे में डाल दिया था । मैं सोचने समझने की स्थिति में नहीं था ।” मैं भर्राये हुए स्वर में बोला ।

* तुम उसे पहचानते हो ।”

” नहीं । लेकिन अगर दुबारा दिखी तो पहचान जाउंगा ।”

तभी वहां डाक्टर आया ।

” मेरा सरसरी तौर पर किया गया मुआयना ” डाक्टर बोला – ” यह बताता है कि मौत 36 caliber की रिवाल्वर से निकली गोली से कोई डेढ़ से दो घंटे पहले हुईं है ।”

” तुम्हारे पास ऐसी कोई रिवाल्वर है ।” इंस्पेक्टर मेरी तरफ देखते हुए कहा ।

” नहीं । ” मैंने इनकार करते हुए कहा ।

” तुम्हारे पास ? ” इंस्पेक्टर जीजा से पूछा ।

जीजा ने मुंडी हिलाई ।

” जबान के गूंगे हो ।” इंस्पेक्टर ने कर्कश भरें स्वर में कहा ।

” ज.. जी नहीं ।” जीजा हड़बड़ाया । – ” मेरे पास कोई रिवाल्वर नहीं है ।”

” ड्यूटी कैसे जाते हो ।”

” मेरे पास कार है ।”

” अभी कार से ही दिल्ली से आ रहे हों ।

” जी। ”

” कत्ल के वक्त कहां थे ।”

” आप मुझ पर शक कर रहे हैं ।” जीजा ने थोड़े कड़ स्वर है कहा ।

” जी । हां । जब तक क़ातिल का पता न चल जाय तब तक मकतुल से सम्बंधित हर व्यक्ति सस्पेक्ट है । आप भी और आप का ये साला भी ।”

” म.. मैं सवा दस बजे आफिस से निकला और अभी आप के सामने ही घर पहुंचा ।”

” आप के आफिस से यहां आने में ढाई घंटे लगते हैं ।”

” नहीं । करीब एक घंटा । लेकिन बरसात और जाम होने के कारण टाइम ज्यादा लग गया ।”

इंस्पेक्टर अपनी घड़ी देखते हुए ” अभी साढ़े बारह बज रहे हैं । और डाक्टर का मुआयना बताता है कि कत्ल डेढ़ से दो घंटे पहले हुईं है । इस का मतलब कत्ल दस बजे से लेकर ग्यारह बजे से लेकर के बीच हुआ है । ”

फिर एकाएक इंस्पेक्टर मेरी तरफ मुड़ा और मुझ पर निगाह डालते हुए कहा ” और तुम दोनों के बयान के अनुसार जब कत्ल हुआ उस वक्त तुम दोनों कार ड्राइव कर रहे थे । क्या तुम लोगों के साथ कोई और भी गाड़ी में था ।”

” जी नहीं ।” हम दोनों ने एक साथ कहा ।

इंस्पेक्टर मुझे घुरते हुए बोला ” और ये कटे बालों वाली लड़की तुम्हारा कोई मनगढ़ंत किस्सा भी हो सकता है । क्योंकि इस बात का भी कोई सबूत तुम्हारे पास नहीं है ।”

” नहीं ऐसी बात नहीं है । मैं सच कह रहा हूं ।” मैंने बिरोध करते हुए कहा ।

” क्या तुम ऐसी किसी कटे बालों वाली लड़की को जानते हो ।” इंस्पेक्टर जीजा की तरफ पलटते हुए कहा ।

” न.. नहीं । ” जीजा हड़बड़ाया । ” नहीं मैं किसी कटे बालों वाली लड़की को नहीं जानता हूं ।”

इस दौरान छानबीन में मर्डर वीपन बरामद नहीं हुआ ।

इंस्पेक्टर ने अपने एक पुलिसकर्मी को बुलाया और हेडक्वार्टर से पैराफिन टेस्ट करने वाले को बुलाने को कहा ।

” उसका क्या होगा ।” जीजा ने पूछा ।

” तुम दोनों के हाथों का पैराफिन टेस्ट किया जायेगा । अगर तुम्हारे हाथ से ही रिवाल्वर चली होगी तो उस टेस्ट से तुम्हारे चमड़ी में पैबस्त हो गये बारूद के कण पैराफिन पर आ जायेंगे ।”

आधे घंटे बाद पैराफिन टेस्ट वाला आया तब तक इंस्पेक्टर ने मेरी और जीजा की सारी जन्मकुंडली हमसे निकलवा ली ।

पैराफिन टेस्ट हुआ । मेरे और जीजा दोनों में किसी के भी चमड़े में पैबस्त जले बारूद कण नहीं मिले ।

इसके बाद इंस्पेक्टर ने मेरे घर और जीजा के आफिस में हमारे निकलने की पड़ताल की ।

” तुम दोनों अपने अपने मोबाइल नंबर दे जाओ । अभी के लिए तो मैं छोड़ रहा हूं लेकिन दुबारा कभी भी मैं तुम दोनों को तलब कर सकता हूं ।” इंस्पेक्टर ने हमें गौर से देखते हुए कहा ।

” और तुम अपने वो कटे बालों वाली का कुछ सुराग उराग लगाओ ।” उसने मेरी छाती पर ऊंगली टेकते हुए कहा ।

मैं हैरान हुआ । “मैं कैसे पता लगाउंगा । दिल्ली के सवा करोड़ आबादी में तो हजारों कटे बालों वाली लड़कियां होगी । ये तो भुसे में से पिन ढुढने वाली बात हुई ।”

” कल थाने आकर अपनी हाजिरी के साथ साथ लड़की का स्कैच भी बनवा देना ।” इंस्पेक्टर मेरी बातों पर ध्यान नहीं दिया और जीजा की तरफ मुड़ा । ” और आप जनाब जब तक इस लड़के का असली क़ातिल नहीं पकड़ा जाता तब तक आप इस शहर से कहीं नहीं जायेंगे ।”

फिर इंस्पेक्टर अपने लाव लश्कर के साथ दनदनाता हुआ निकल गया । डेड बॉडी पोस्टमार्टम के लिए पहले ही भेज दी गई थी ।

ये सारी कारवाई करते करते पांच बज गए थे । मैंने श्वेता दी का सामान लिया और जीजा से बिदा ले दिल पर भारी बोझ लिए वहां से बिदा हो गया ।

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