You dont have javascript enabled! Please enable it! Sagar - An Erotic Incest Story – Update 27 - KamKatha
Sagar - An Erotic Incest Story

Sagar – An Erotic Incest Story – Update 27

Update 27.

कुछ देर तक दोनों के मुंह से आवाज तक नहीं निकली ।

” मनीष जैन की की खबर आप जानते ही होंगे कि किसी ने उसके पीठ में खंजर घोंप के उसकी हत्या कर दी है ?” – मैंने कहा ।

” हां । आज की ही तो बात है ” – रमाकांत जी ने कहा ।

” और वो खंजर श्वेता दी की है ।”

” क्या ?” – वो चौंकते हुए बोला -” वो श्वेता की थी ?”

” जी ।”

” उसके खंजर से मनीष की हत्या कैसे हो गई ? क्या उसकी खंजर चोरी हो गई थी ?”

” जी हां ।”

” किसलिए ? मनीष की हत्या करने के लिए ?”

” मनीष की हत्या उस खंजर से हुई तो जरूर थी लेकिन चोरी का मकसद कुछ और ही था ।”

” क्या ?”

” खंजर की मूठ खोखली थी और उस खोखली मूठ में एक ऐसी चीज छुपी हुई थी जिसकी उसे जरूरत थी । मगर दुर्भाग्य से खंजर वो वाली नहीं निकली जिसकी उसे जरूरत थी ।”

” क्यों ?”

” क्योंकि वैसी जापानी एनटिक नक्काशीदार मूठ वाली खंजर एक नहीं बल्कि तीन थी । और चोर की जरूरत वाली खंजर श्वेता दी के पास नहीं बल्कि मेरे मरहूम दोस्त अमर के पास थी ।”

” ऐसी क्या चीज थी ?”

” वो चीज पच्चीस साल पुरानी एक तस्वीर थी जो बहुत महीन तरीके से गोल लपेट कर उस खंजर की खोखली मूठ में छुपा दी गई थी ।”

रमाकांत जी के चेहरे के भाव में थोड़ी तब्दीली आई । उसके नेत्र सिकुड़ गये ।

” ऐसी क्या खास बात थी उस तस्वीर में ?” – जानकी देवी बोली ।

” तुमने देखी है वो तस्वीर ?” – रमाकांत जी ने पूछा ।

” जी हां ” – मैं बोला -” देखी है ।”

” क्या तस्वीर थी वो ?”

” वो आपकी और जानकी देवी की शादी की तस्वीर थी । वरमाला के समय की । जो कि वीणा – जानकी देवी की बहन की बेटी – के व्यक्तिगत सामानों में मोजूद थी और जिस पर उसके ब्वायफ़्रेंड अमर की निगाह पड़ गई थी । अमर को वह तस्वीर बहुत काम की लगी इसलिए उसने वो तस्वीर अपने खंजर की मूठ में छुपा दी ।”

” मेरी समझ में नहीं आता कि हमारी शादी की मामूली तस्वीर में काम की लगने वाली कौन सी बात रही होगी जो अमर ने उसे यूं छुपाकर रखने की जरूरत महसूस की ?”

” आना तो चाहिए आप की समझ में ।”

” नहीं आ रहा है ” – वह जिद भरे स्वर में बोला ।

” ठीक है फिर मैं समझाता हूं । रमाकांत जी , उस तस्वीर में आप बड़े पिचके हुए और कमजोर लग रहे थे और एड़ियों के बल उचक कर , कन्धों से उपर हाथ उठाकर जानकी देवी जी को वरमाला पहना रहे थे ।”

” तो क्या हुआ ?”

” तो यह हुआ कि आप तो कद काठी में अपने बीवी से अच्छे खासे लम्बे हैं , फिर आपको इनके गले में वरमाला डालने के लिए एड़ियों के बल उचकना क्यों पड़ा और हाथ कन्धों से ऊंचे उठाने क्यों पड़े ? आप का जो कद है उस हिसाब से तो आप स्वाभाविक ढंग से हाथ उठाकर ही वरमाला पहना सकते थे ।”

रमाकांत जी खामोश हो गया ।

” यही बात थी जो तस्वीर में अमर ने भी नोट की थी । और इसलिए उसने उसे एक बहुत ही खुफिया जगह पर – खंजर की खोखली मूठ में – छुपाकर रखने की जरूरत महसूस की ।”

” मतलब क्या हुआ इसका ?”

” मतलब यह हुआ कि आप तस्वीर वाले रमाकांत सिंह नहीं है ।”

” तो और कौन हूं मैं ?”

” आप उस वक्त नौजवान और हसीन रही जानकी देवी की कोई खास आशिक होंगे जो इनके पति की मौत के बाद रमाकांत सिंह की जगह ले बैठे ।”

” किस लिए ?”

” ट्रस्ट की उस माहवारी रकम को क्लेम करने के लिए – रमाकांत सिंह की मौत के बाद जो मिलनी बंद हो जानी थी । वह जानकी देवी की चालाकी थी उस रकम को हासिल करते रहने के लिए । इतफाक से इनका पति यहां से बहुत दूर हिमाचल प्रदेश में मरा जहां कि उसकी मौत की खबर छुपाए रखना इनके लिए कोई मुश्किल काम नहीं रहा । वहां इन्होंने सबके साथ आपका परिचय अपने पति के तौर पर करवाया । आप लोग बड़े आराम से रमाकांत के नाम आने वाली माहवारी की रकम डकारते रहे ।”

” पेमेंट तो चेक से होती होगी ।”

” ” तो क्या हुआ ! ज्वाइंट एकाउंट में चेक पति के नाम हो तो जमा हो जाने के बाद रकम पत्नी भी निकाल सकती है । बाद में आपने कोई नया एकाउंट खोल लिया होगा , जैसा कि दिल्ली में इंडियन बैंक में खोला हुआ है , और उसमें रमाकांत के नाम से आप के साइन चलने लगे होंगे ।”

” यह बात साबित कैसे होगी ? तुम करोगे ?”

” मैं नहीं करूंगा । वो तस्वीर करेगी ।”

” पच्चीस साल पुरानी तस्वीर ” – वो हंसा -” पच्चीस सालों में तो आदमी की सुरत में जमीन आसमान का फर्क आ जाता है ।”

” सुरत में ! कद में नहीं ! एक बार बालिग हो जाने के बाद आदमी का कद दो इंच भी नहीं बढ़ता । उपर से एक बात और भी है ।”

” वो क्या ?”

” हिमाचल में असली रमाकांत के असली बैंक एकाउंट में आज भी उसके हस्ताक्षर का नमूना होगा ।”

” हस्ताक्षरों का नमूना !” – वो फिर हंसा -” अब तक तो बैंक भी बंद हो गया गया ।”

” फिर भी एक जगह और है जहां से असली रमाकांत के हस्ताक्षर का नमूना पाया जा सकता है ।”

वो मुझे एक टक देखता रहा ।

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