Update 24 A.
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जैसे ही उर्वशी चुप हुई मैं दौड़कर बाथरूम भागा । संजय और उसकी बहन मधुमिता की चुदाई कहानी सुनकर लन्ड आसमान ज़मीन एक किए हुए था । और वाइन पीने के कारण पेशाब भी लग गया था ।
इतना जोर से पेशाब लगा था कि दो तीन मिनट तक लग गए पेशाब करते करते । फिर हाथ मुंह धोकर रूम में प्रवेश किया । और वहां के माहौल को देखा तो मेरा लन्ड जो पेशाब करने के बाद थोड़ा शांत हो गया था फिर से अशांति पर उतर आया ।
दोनों हस्तनी सहेलियां श्वेता दी और उर्वशी पुरी तरह निर्वस्त्र पलंग पर एक दूसरे से गुत्थमगुत्था हो कर एक दूसरे को चुम चाट रही थी ।
मैंने पोर्न मूवी तो बहुतों देखी थी । और कुछ लेस्बियन सेक्स मूवी भी देखा था लेकिन कभी जीवंत नहीं देखा था । दो गोरी-चिट्टी मांशल बदन वाली शादीशुदा युवतियों को पुरी तरह नंगी एक दूसरे से गुत्थमगुत्था देखना शरीर के रोंगटे खड़े कर देने वाला था । दोनों के लेस्बियन सेक्स को और देखने के लालशा में मैंने उन्हें डिस्टर्ब करना उचित नहीं समझा और बगल में रखे सोफे पर बैठ गया । मैंने भी अपना लोवर निकाल दिया । अब मैं भी उन्हीं की तरह सर से पांव तक निर्वस्त्र था ।
श्वेता दी बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी और उनके उपर उर्वशी दी चढ़ी हुई थी । दोनों सहेलियों ने अपने दोनों पांवों को कैंची की तरह फंसा कर रखा था जिससे दोनों की रस से भरी हुई चुत एक दूसरे से रगड़ खा रही थी । साथ में दोनों अपनी मोटी मोटी जांघें फैलाए एक दुसरे से घसे जा रही थी ।
दोनों की बड़ी बड़ी चूचियां एक दूसरे से दबी हुई थी । उर्वशी श्वेता दी की जीभ को बुरी तरह चुस रही थी । दोनों की चुमाचाटी और सिसकारियों की आवाज पुरे कमरे में मधुर संगीत पैदा कर रही थी ।
उपर चढ़े होने के कारण उर्वशी की तरबुज की तरह बड़ी गांड़ आगे पीछे एक लय में हील रही थी । और नीचे से श्वेता दी भी धक्के लगा रही थी । मैं जहां बैठा था वहां से दोनों को एक-दूसरे के चुत को घिसते हुए स्पष्ट देख रहा था । दोनों की चिकनी चुत की रसमलाई रिसते हुए उनके मोटी मोटी जांघों तक आ पहुंची थी ।
उर्वशी दी के उपर होने के कारण उसकी चौड़ी गान्ड की हल्की भुरी छेद भी मैं देख पा रहा था जो कभी खुल रही थी तो कभी बंद हो रही थी । मै बहुत उत्तेजित हो गया था । मैं डर से अपने लन्ड को छु नहीं रहा था कि कहीं मेरे कठोर हाथों के स्पर्श से लन्ड पानी न फेंक दे ।
वो दोनों एक दूसरे में इतना खो गई थी कि उन्हें मेरा ख्याल तक भी नहीं रहा था । कुछ देर तक एक-दूसरे को चुमते चाटते और अपनी चुत रगड़ते कब 69 पोज में आ गई , इसका अंदाजा उन्हें खुद भी नहीं था। फिर तो जो वो दोनों एक-दूसरे के गुप्तांगों को चुमने चाटने लगी कि उनके चपर चपर की आवाज मेरे कानों तक पहुंचने लगी । उर्वशी दी की पांव मेरी तरफ थी जिससे मैं श्वेता दी को उनकी फुली हुई रसभरी दरारों को अपने जीभ से चाटते हुए स्पष्ट देख रहा था ।
तभी श्वेता दी की नजर मुझ पर पड़ी । वो मुस्कराई और मुझे आंखों ही आंखों में वहां आने का इशारा की ।
मैं तो बहुत पहले से इस निमंत्रण का इंतजार कर रहा था । मैं बिना देरी किए वहां झटपट पहुंच गया । श्वेता दी ने उर्वशी की चुत को अपने दोनों हाथों से फैलाया । उनकी चुत उनके कामरस से भीगी हुई थी । बस फिर क्या था… उर्वशी की चुत को हम दोनों भाई बहन एक साथ चुसने लगे । उर्वशी को भी इसका आभास हो गया था कि उसकी चुत में दो दो जीभ ढुके हुए हैं । वो उत्तेजित हो कर बेसब्री से अपनी कमर हिलाने लगी । श्वेता दी उसकी क्लीट को अपने होंठों से दबा कर चूसने लगी और मैं उसके छेद में अन्दर तक जीभ डाल उसकी चुत को जीभ से चोदने लगा ।
ये दो तरफा प्रहार उर्वशी झेल नहीं पाई और बुरी तरह झड़ने लगी । उसकी चुत ने पानी का फव्वारा छोड़ दिया जिसे हम दोनों भाई बहन ने गटक गटक कर पी लिया ।
उर्वशी के सुस्त पड़ते ही मैंने श्वेता दी को पकड़ कर बिस्तर पर पटक दिया और अपने दोनों हाथों से उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को जोर जोर से मसलते हुए उनकी गुलाबी जीभ को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा । मेरा लन्ड उनकी कचोड़ी जैसे फुली हुई चुत पर झटके पर झटका दिए जा रहा था । श्वेता दी भी काफी उत्तेजित हो गई थी । वो बड़े जोश से अपनी जीभ मेरे मुंह के अंदर ठेलने लगी ।
ये देख उर्वशी की काम वासना फिर से भड़कने लगी । वो सरक कर हमारे करीब आई और अपनी जीभ निकाल कर हम दोनों के जीभ से सटा दी ।
फिर तो हम तीनों आपस में अपना मुंह सटाए चुमा चाटी करने लगे । तीनों बदल बदल कर एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे । तीनों ने अपनी अपनी जीभ निकाल कर एक दूसरे के मुंह में ठुसने शुरू कर दिए । तीनों के थुक एक दूसरे के मुंह में जा रहे थे ।
थोड़ी देर बाद उर्वशी वहां से घसक कर मेरे जांघों के पास आई और मेरे फनफनाते लन्ड को पकड़ कर अपने मुंह में डाल लिया और आइसक्रीम की तरह चूसने लगी । ये देख श्वेता दी ने मुझे पीठ के बल लिटा दिया और मेरे सर के ऊपर से अपने दोनों पांव दो तरफ करके मेरे मुंह के सामने अपनी चिकनी चुत रखकर आगे की ओर झुक गई । अब वो भी उर्वशी के साथ साथ मेरे लन्ड को चूसने लगी ।
मैंने श्वेता दी की खुबसूरत चुत को बड़ी कामूक भरी निगाहों से देखा जो उसके काम रस से भीगी हुई थी । सच में ये जन्नत का द्वार था । डबल पावरोटी के समान फुली हुई और बीच में दरार ली हुई । उनकी चुत को अपने दोनों हाथ के अंगूठे से फैलाया । अंदर रस ही रस था । और उसकी महक मुझे पागल किए जा रही थी । मैंने अपना जीभ निकाला और उनके दरारों में घुसेड़ दिया और उनकी चुत से निकल रही मलाई को चुस चुस कर पीने लगा । मैं जितना उनकी चुत से मलाई चाटता उतना ही वो और अधिक मलाई छोड़ देती । और मैं बड़े प्रेम से उसे भी चाट चाट कर साफ़ कर देता ।
इधर मेरा मोटा तगड़ा हथियार कभी उर्वशी के मुंह के अंदर होता तो कभी श्वेता दी के मुंह में होता । मेरे दोनो अंडकोष को दोनों सहेलियां बदल बदल कर अपने होंठों से तो कभी जीभ से प्यार करती । कभी अपने मुंह में डाल कर चुसती ।
मैं लन्ड चुसाई का सुख भोग ही रहा था कि उर्वशी दी कामोत्तेजना बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरे जांघों पर चढ़ गई और मेरे लन्ड को पकड़ कर अपने चुत के छिद्र से सटाकर उसे अपने अंदर लेने लगी । जैसे ही मेरा लन्ड उनके चुत के गहराइयों में पहुंचा कि वो अपनी कमर ऊपर नीचे करके मुझे चोदने लगी । उनकी चुत अभी भी कसी हुई थी जिससे कारण लन्ड फंस फंस कर अंदर बाहर हो रहा था ।
श्वेता दी मेरे मुंह पर अपनी चुत रखकर चुसवा रही थी वहीं उर्वशी मेरे लन्ड को अपने चुत में डाल कर खुद ही मुझे चोदे जा रही थी । मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था ।
कमरे का तापमान काफी गरम हो गया था । श्वेता दी मेरे मुंह पर अपनी चुत रगड़ते हुए अपनी गाल मेरे नाभि के ऊपर रखकर अपने भाई के लन्ड को उर्वशी की चुत में तेजी से अंदर बाहर होते हुए देख रही थी । इस कामूक दृश्य को देख उत्तेजित होकर वो मेरे मुंह पर अपनी चुत तेजी से पटकने लगी ।
उर्वशी की उत्तेजना चरम पर पहुंच गई थी । वह जोर जोर से मेरे लन्ड पर कूदते हुए और सिसकारियां मारते हुए बुरी तरह झड़ने लगी । उन्होंने अपनी पानी से मेरे लन्ड को नहलवा दिया । मेरा लन्ड उर्वशी की चुत की गर्मी और उनके झड़ते हुए पानी को बर्दाश्त नहीं कर पाया और वो भलभला कर उनके चुत में झड़ने लगा । श्वेता दी की नजरें हमारे संधि स्थल पर ही थी । हमें झड़ते देखकर वो भी बर्दाश्त नहीं कर पाई और उन्होंने भी अपनी नलकी मेरे मुंह में खोल दी । और मैं बड़े प्रेम से उनकी मलाई पीता गया । उर्वशी झड़ने के बाद श्वेता दी के पीठ पर सुस्त हो कर पसर गई ।
थोड़ी देर बाद तीनों अगल बगल लेट गए । करीब दस पंद्रह मिनट तक हम अपनी सांसें दुरूस्त करते रहे ।
श्वेता दी जब सहज सी महसूस की तो उसने उर्वशी से पुछा -” तेरा और सागर का ये सब चक्कर कैसे चालु हुआ था , ये तो तुने अभी तक बताया नहीं ।”
” इसने नहीं बताया ? ” – उर्वशी ने कहा ।
” पुछने का टाइम नहीं मिला “- श्वेता दी बोली ।
मैं चुपचाप बिस्तर पर लेटे थोड़ा आराम करते हुए मोबाइल पर इंग्लैंड और पाकिस्तान क्रिकेट मैच का ड्रीम इलेवन टीम बनाने लगा ।
” ह्वाट्सएप पे बढ़िया बढ़िया मैसेज भेज के पटाया ।”
” ऐसा क्या बढ़िया मैसेज भेजता था कि एक दम से चुद ही गई ?”
” शुरुआत गुड मार्निंग मैसेज से किया था ।”
” गुड मार्निंग मैसेज ?”
” हां… गुड मार्निंग मैसेज.. इतना सुन्दर होता था न कि क्या बताऊं । जो भी पढ़ेगा वो यही समझेगा कि भेजने वाला शख्स कितना अच्छा संस्कारिक और धार्मिक किस्म का आदमी है ।”
” अच्छा तो तु धार्मिक टाइप के मैसेज से पट गई ?”
” अरे नहीं यार । सुन ! ये तेरा मासूम सूरत वाला कमीना भाई रोज सुबह..जो दिन होता था उसी दिन के हिसाब से भगवान का फोटो और साथ में अच्छी अच्छी धार्मिक मैसेज भेजता था । ”
” तो इसमें खराबी क्या थी ?”
” खराबी कुछ भी नहीं थी। बल्कि बहुत ही सुन्दर मैसेज होता था । जानती है..इसके भेजे हुए देवी देवताओं के फोटो और मैसेज से मेरा फोन का गैलेरी पुरा भर गया था । मुझे डर लगता था कि भुल से भी कहीं मेरा पांव टच न हो जाए मोबाइल से और मोबाइल के अन्दर के देवी देवता नाराज न हो जाएं…. मैंने तो मोबाइल सोते समय बिस्तर पर रखना तक छोड़ दिया था ।”
” फिर ?” – श्वेता दी ने हंसते हुए कहा ।
” फिर.. फिर दो तीन महीने बाद रात में गुड नाईट मैसेज भेजना शुरू किया ।”
” किस तरह का मैसेज ?”
” शुरू में तो सिम्पल साधारण सा भेजता था लेकिन बीस पच्चीस दिन के बाद थोड़ा रोमांटिक टाइप भेजना शुरू किया ।”
” तो तेरे मन में कैसा रियेक्सन होता था ?”
” पहली बार थोड़ा अजीब सा लगा फिर धीरे धीरे सामान्य सा लगा…और जैसे जैसे दिन गुजरते गया अच्छा लगने लगा ।”
” क्या तु भी मैसेज करती थी ?”
” गुड मार्निंग वाला तो मैं भी करती थी । आखिर इतना सुन्दर मैसेज के जबाव में मुझे भी तो कुछ अच्छे अच्छे मैसेज भेजना बनता था न ।”
” और रात वाली । गुड नाईट के बदले ?”
” कुछेक दिन तो नहीं भेजी फिर एकाध महीने के बाद मैं भी भेजना शुरू कर दी ।”
” यानी कि धीरे धीरे आग लगनी शुरू हो गई “- श्वेता दी मुस्कराते हुए बोली ।
” वो तो लगनी ही थी । आखिर कमीना है भी तो हैंडसम । फिर धीरे धीरे रात वाली मैसेज और ज्यादा रोमांटिक होने लग गई । और एक रात इसने थोड़ी अश्लील टाइप गुड नाईट मैसेज भेजा ।”
” किस तरह का ?”
” गूगल से कोई फोटो डाउनलोड करके भेजा था । जिसमें एक लड़की लिंगरी में पीठ के बल लेटी हुई थी और उसके उपर एक लड़का लड़की के एक बोबे को अपने हाथों में पकड़े हुए उसकी चुम्बन ले रहा था और नीचे गुड नाईट लिखा हुआ था ।”
” फिर ?”
” मैं तो देखकर भौंचक्का हो गई थी । शुरू में गुस्सा आया…फिर बिना कोई जबाव दिए मोबाइल स्विच ऑफ कर दी और सो गई । सुबह उठने के बाद जब फिर से वो मैसेज देखी तो मुझे कुछ कुछ होने लगा । मेरी भी भावनाएं मचलने लगी…फिर तो जैसे एक रूटिन बन गई । ये रोज सुबह-सुबह गुड मार्निंग मैसेज अच्छी अच्छी वाली भेजता था और रात में गुड नाईट वाली मैसेज रोमांटिक और गंदी टाइप वाला भेजने लगा ।”
” तो तु क्या करती थी..इसके मैसेज का जबाव देती थी या नहीं ?”
” कुछ दिन बाद मैं भी देने लगी ।”
“अच्छा ! रोमांटिक और गंदी गुड नाईट वाली की भी ?”
” हां । लेकिन मैं सिर्फ गुड नाईट लिखकर भेज दिया करती थी ।”
” फिर ?”
” फिर तो इसकी हिम्मत बढ़ते गई और रात में न जाने कहां-कहां से खोज खोज कर गंदी गंदी पिक्चर और पोर्न टाइप गिफ्ट भेजने लगा । ये सब देखकर मैं उत्तेजित होने लगी… आखिर मैं भी तो एक जवान लड़की थी…. लड़के लड़कियों की नंगी चूदाई तस्वीर देखकर भला कौन उत्तेजित नहीं होगा ?”
” फिर ?
” फिर एक दिन इसने मुझे फोन किया और डेट के लिए पुछा ।”
” हम्म्.. फिर ?”
मैं तो पहले से ही तैयार थी…थोड़ी आनाकानी की फिर मान गई । फिर हम मूवी देखने गए वहीं थियेटर में ही हमने पहली किस की और फिर कुछ दिन के बाद एक होटल में गए… सुबह ग्यारह बजे के आसपास… वहीं हमारी पहली चुदाई हुई… पहले दिन ही इसने तीन बार मेरी ले ली ।”
” क्या ?”- श्वेता दी मुस्की काटते हुए बोली ।
” ये “- उर्वशी दी भी मुस्कराते हुए अपनी चुत की तरफ इशारा की ।
” रूक… मैं पेशाब करके आती हूं तब बाकी बताना “- श्वेता दी खड़ा होते हुए बोली ।
” चल । मैं भी चलती हूं ।”
फिर दोनों नंगी ही रूम में ही बने अटैच बाथरूम में चली गई । और बिना दरवाजा बंद किए नीचे बैठकर पेशाब करने लगी ।
जैसे ही दोनों अपनी अपनी बड़ी गांड़ फैलाए नीचे बैठ कर पेशाब करना शुरू की…. कि मेरा लन्ड फनफना कर खड़ा हो गया । उनकी पेशाब करने की आवाज मेरे कानों तक पहुंच रही थी ।
जब वे नंग धडंग बाथरूम से आई तो मेरा खड़ा लन्ड देखकर मुस्कुराने लगी । श्वेता दी बिस्तर पर चढ़ते ही झुकी और बिना हाथ लगाए मेरे लन्ड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी । उर्वशी दी बगल में बिस्तर पर लेटकर हमें देखने लगी ।
थोड़ी देर बाद मैंने श्वेता दी के मुंह से अपना लन्ड निकाला और उठकर उनके पीछे बैठ गया । अपनी छाती उनके मुलायम पीठ से सटाते हुए अपने हाथों को आगे बढ़ाया और उनकी दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से मसलने लगा । वो अपनी बड़ी गांड़ मेरे गोद में रखकर पीछे की ओर झुक गई और अपनी चूचियों को मसलवाने का आनंद लेने लगी । मेरा तनतनाया हुआ लन्ड उनकी चौड़ी गांड़ से दब गया था। वो सिसकारियां भरते हुए अपनी गांड़ मेरे लन्ड पर घसने लगी ।
थोड़ी देर बाद मैंने उन्हें आगे की ओर झुकाया और अपने लन्ड को पकड़ कर उनके रस छोड़ती चुत के दरारों में घिसने लगा । उनकी चुत के पानी से मेरा लन्ड गीला हो गया था ।
मैंने उन्हें थोड़ा और आगे की ओर झुकाया । वो अपनी चौड़ी गान्ड पीछे से उपर उठाए आगे की ओर हाथ के सहारे झुक गई । वो कुतिया वाली पोजीशन में हो गई थी । मैंने अपने घुटनों के बल पोजीशन लिया और उनकी चुत के छिद्र में अपना लन्ड रखा और जोर का धक्का लगा दिया। उनकी चुत उनके काम रस से इतनी ज्यादा गीली हो गई थी कि दो ही प्रयास में पुरा लन्ड उनकी चुत की गहराई में प्रवेश कर गया ।
मैं उनकी चूचियों को दबाते हुए धीरे धीरे उन्हें चोदने लगा । शुरू शुरू में हल्के-हल्के धक्के से चोद रहा था । उर्वशी दी ने जब मुझे श्वेता दी को कुतिया पोजीशन में चोदते हुए देखा तो वो पीठ के बल लेट गई और सरकते हुए हम दोनों के कमर के नीचे जहां मेरा लन्ड श्वेता दी की चुत में अन्दर बाहर हो रहा था , पहुंच गई । और अपनी आंखों से करीब दस बारह इंच की दूरी पर मेरे लन्ड को श्वेता दी के चुत से अंदर बाहर होते देखने लगी । वो इतने करीब से लन्ड को चुत में घुसते निकलते देख कर काफी उत्तेजित हो गई और जैसे ही मेरा लन्ड श्वेता दी के चुत के अंदर से बाहर की ओर निकला , अपने हाथों से पकड़ कर पुरी तरह बाहर निकाल ली और अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी । मेरे लन्ड को चूसने के बाद श्वेता दी की चुत के अंदर अपनी जीभ डाली और चार पांच बार चारों तरफ जीभ फिराई फिर मेरे लन्ड को पकड़ कर श्वेता दी की चुत के छेद पर सटा दी ।
मैंने एक जोरदार धक्का लगाया और फिर से मेरा लन्ड उनके चुत में घुस गया । अब मैं जोर जोर से श्वेता दी को चोदने लगा । उर्वशी दी अपनी सिर को उपर की ओर उठाई और अपनी जीभ हम दोनों के संधि स्थल पर फिराने लगी । मैं श्वेता दी को बुरी तरह चोदे जा रहा था । श्वेता दी भी उत्तेजना के मारे अपनी चूतड़ तेजी से पीछे की ओर धकेल रही थी । करीब आधे घंटे की चुदाई के दौरान श्वेता दी तीन बार झड़ चुकी थी और मेरा भी वीर्य निकलने वाला ही था । आखिरी समय में मेरा चोदने का स्पीड इतना बढ़ गया था कि पलंग भी हिलने लग गया था । ज्योंहि मेरा झड़ने का समय नजदीक आया मैंने श्वेता दी के चेहरे को अपनी ओर घुमाया और उनके जीभ को चुसते हुए लन्ड को उसकी चुत की गहराइयों में घुसेड़ कर झड़ने लगा । इसके साथ साथ एक बार फिर से वो भी झडने लगी ।
थोड़ी देर बाद तीनों बिस्तर पर लेट कर सुस्ताने लगे ।
आधे घंटे बाद हम सभी ने एक बार फिर से नहाया । फ्रेश होने के बाद लजीज व्यंजन का लुत्फ उठाया । उसके बाद एक एक राउंड चुदाई का दौर और चालू हुआ ।
उसी दौरान श्वेता दी ने बताया कि रात में सोने के लिए वहां चाची आ रही है । ये सुनकर मैं मायूस हो गया । मेरा इच्छा रातभर उनके साथ रहने का था । खैर…. थोड़ी देर बाद मैं उन दोनों को छोड़कर घर आ गया ।
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” सागर…चाय पियोगे क्या ?”
माॅम की आवाज सुनकर मेरी तन्द्रा भंग हुई ।
” हां…बनाओ । मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं “- मैंने ऊंची आवाज में कहा ।
क्लब भी जाने का टाइम हो गया था । मैं तैयार हो कर रीतु को फोन किया । वो लोग जयपुर पहुंच कर होटल में शिफ्ट हो गए थे । अभी सभी आराम कर रहे थे । थोड़ी देर बात करने के बाद मैं नीचे हाॅल में गया । डैड भी आज जल्दी ही आ गए थे ।
शाम हो गया था । चाय पीने के बाद मैं क्लब चला गया ।