You dont have javascript enabled! Please enable it! Sagar - An Erotic Incest Story – Update 24 - KamKatha
Sagar - An Erotic Incest Story

Sagar – An Erotic Incest Story – Update 24

Update 24.

सुबह रीतु और राहुल को बस स्टैंड पहुंचाने गया तब काजल अपने मां और डैड के साथ वहां पहले से ही मौजूद थी । उन्हें बस में बैठा कर करीब आठ बजे घर आया ।

मेरी बाइक खराब थी इसलिए सोचा कि पहले इसे गैरेज में मिस्त्री को दिखा लाऊं फिर नहाना धोना करूंगा । गैरेज हमारे घर से ज्यादा दुर नहीं था । मैं बाइक लेकर गैरेज चला गया । बाइक में कोई खास खराबी नहीं थी लेकिन फिर भी उसे ठीक करते कराते दस बज गया ।

जब घर पहुंचा तब तक डैड ड्यूटी चले गए थे । माॅम ने मुझे जल्दी से नहा धो कर नाश्ता करने को कहा । मैं अपने कमरे में चला गया और आधे घंटे बाद बाथरूम से बाहर निकला । मैंने पैंट पहनना शुरू ही किया था कि मुझे कल दोपहर में किचन में खाना खाते वक्त की घटना याद आई । किस तरह खाना खाते वक्त बैठते समय मेरे तौलिए में गेप हो गया था और मेरा लिंग माॅम के सामने उजागर हो गया था । ये सोचते ही मेरे लिंग में तनाव आने लगा ।

मैंने पैंट को बिस्तर पर रखा और वही तौलिया लपेट लिया । अन्दर मैंने कुछ भी नहीं पहना था । सिर्फ सैंडो गंजी पहन लिया । और नीचे हाॅल में पहुंचा । माॅम वहां नहीं थी । मैं किचन में गया । वो वही पर थी ।

उन्होंने मुझे तौलिया और गंजी में देखते हुए कहा – ” तैयार नहीं हुआ अभी तक ?”

माॅम सिम्पल सी बड़ी वाली नाइटी पहन रखी थी ।

” नाश्ता करने के बाद रेडी होऊंगा ” – मैं किचन में प्रवेश करते हुए बोला -” पैंट शर्ट पहन कर नाश्ता करने से पेट पर दबाव पड़ता है ।”

“अच्छा , हाॅल में बैठ… नाश्ता ले आती हूं “- वो नाश्ता निकालते हुए बोली ।

” यहीं बैठ कर नाश्ता कर लेता हूं न ”

मैं उसी जगह पर दिवाल से सट कर लकड़ी वाले छोटे तख्त पर बैठ गया ।

माॅम ने दो थालियों में नाश्ता निकाला । एक मुझे देकर मेरे ठीक अपोजिट उसी जगह पर अपनी थाली लेकर नीचे दुसरे तख्त पर बैठ गई । वो सभी को खिलाने के बाद ही खाती थी ।

मैंने इस बार जान बुझ कर अपने तौलिए में इस तरह का गैप कर दिया जिससे मेरा लिंग उन्हें स्पष्ट दिखाई दे । और इस बारे में अनजान बन कर नाश्ता करने लगा ।

मैंने अपना सिर नीचे किए हुए नाश्ता करते करते चुपके से कनखियो से उनकी तरफ देखा । नाश्ता करते हुए उनकी नजर रह रह कर मेरे लिंग की तरफ जा रही थी । लेकिन कुछ बोली नहीं । मेरा लिंग वो चोरी छिपे देख रही है ये सोचकर मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मेरा लिंग धीरे धीरे अपनी आकार बढ़ाने लगा ।

थोड़ी देर बाद नाश्ता भी खत्म हुआ लेकिन उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी । मैं उठा और जुठे बर्तन को बगल में बने वाश बेसिन में रखकर हाथ मुंह धोया और माॅम की नाइटी से हाथ पोंछने लगा ।

” ये क्या कर रहा है , अपने तौलिए से पोंछ “- उन्होंने मेरे सर पर मारते हुए कहा ।

” इसे गन्दा करने के लिए पोंछ रहा हूं ताकि आप कल वाली नाइटी पहने ।”

” धत ! ” – वो शरमाते हुए बोली -” वो तो कल चेक करने के लिए एक बार पहनी थी ।”

” तो फिर कैसी लगी ?”

” बेकार ।”

” आप को कैसे पता कि बेकार लगी । किसी पर कौन सा कपड़ा जंचता है वो तो दुसरे लोग बताएंगे न । जैसे मुझे तो बहुत अच्छी लगी ।”

” तुझे तो अच्छी लगेगी ही ” – वो होंठों ही होंठों में बुदबुदाई ।

” क्या बोली ? “- मैंने उन्हें हग करते हुए बोला ।

” कुछ नहीं ” – वो मुझे परे धकेलते हुए बोली -” तेरे कहने से क्या होता है । मुझे नहीं पहननी ।”

” क्यों नहीं पहननी ? कल तो पहनी थी न तो फिर दुबारा पहनने में क्या बुराई है ?

” अभी तो बताया था कि चेक करने के लिए पहनी थी और वैसे ये तेरे डैड को अच्छा नहीं लगेगा ।”

” तो प्रोब्लम क्या है ? , आप डैड के सामने मत पहनना ।”

” तो क्या तेरे सामने पहनूंगी । बदमाश , खाली बेसिर पैर का बात करता है ” – वो अपनी आंखें तरेरते हुए बोली ।

” मुझे कोई आपत्ती नही है ” – मैंने शरारत से कहा ।

” रूक ! अभी बताती हूं तुझे ” – वो मुझे मारने के लिए झपटी तब तक मैं वहां से फरार हो गया । मैं अपने कमरे में गया और कपड़े पहन कर नीचे आया ।

माॅम सोफे के पास खड़े होकर धुले हुए कपड़े चपेत रही थी । मैं उन्हें बहुत देर तक निहारता रहा । मैं उनके पास गया और उनके हाथ से कपड़े लेकर सोफे पर फेंक दिया । मैंने उनकी आंखों में देखा । वो मुझे गुस्से से देख रही थी । लेकिन मैं जानता था कि उनका गुस्सा बनावटी है ।

वही चिर परिचित सी आंखें ।
आंखों में वही सूनापन , वही खोई खोई सी । लेकिन चेहरे पर वही बनावटी मुस्कान ।

मैंने माॅम के हाथों को पकड़ा और उन्हें अपने गले लगाते हुए कहा ।

” क्या हुआ ? नाराज हो ?”

उन्होंने ना में अपनी सिर हिलाई ।

मैं उनके चेहरे को अपने हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाया और धीरे से कहा ।

” आप क्या सोचती हो माॅम , मुझे कुछ नहीं पता , मैं सब कुछ जानता हूं… सब कुछ …डैड की प्रोब्लम , आप की घूट घूट कर जिती हुई जिन्दगी , घर के हालात की प्रोब्लम….सब कुछ….आपके प्रति डैड का रवैया । क्या ये मैं नहीं जानता हूं कि उनकी नजरें आप के प्रति कैसी है … वो भी आज से नहीं जब मैं बहुत ही छोटा था तब से…।”

” क्या बोल रहा है बेटा ?” – वो मेरे बाहों से अलग होते हुए बोली ।

मैंने बीच में उन्हें टोकते हुए कहा -” कुछ मत बोलो माॅम । औरतों की जिंदगी में पति का प्यार न भी हो तो वो सह लेती है लेकिन….”

उन्होंने मेरा मुंह अपने हाथों से बंद कर दिया और…

वो मेरे सीने से लिपट गई । उनकी आंखे नम थी । मेरी आंखें भी बोझिल हो गई थी ।

मैंने उन्हें अलग किया और आंखों की नमी छुपाते हुए मुस्कुरा कर कहा -” मैं कालेज जा रहा हूं ।”

वो अपने को सम्हालते हुए बोली -” कब तक आएगा ?”

” लास्ट सेमेस्टर में कुछ ही दिन बाकी है , अब वहां पढ़ाई वगैरह तो होता नहीं । बस जाऊंगा और घुम फिर कर चला आऊंगा ।”

मैं माॅम को बोलकर अपने कमरे में की ओर जाने लगा ।

” अब कहां जा रहा है ?” – माॅम मुझे वापस अपने कमरे की तरफ जाते देख बोली ।

” कुछ बुक्स लेने हैं ।”

कहकर मैं उपर अपने रूम में पहुंचा । आलमारी खोली , फोटो सहित सेक्सी कहानियां वाली किताब निकाली । उनमें से एक पन्ना फाड़ कर अपने बिस्तर पर तकिया के नीचे दबा कर । और नीचे हाॅल में आ गया ।

मैं घर से निकलते निकलते बोला – ” मेरे कमरे में मेरा बिस्तर चेंज कर देना , गन्दी हो गई है ।”

*******

मेरा मुड सेक्स करने के लिए काफी बेचैन था । घर से निकला था कालेज जाने के लिए मगर इच्छा नहीं कर रहा था । मैं चाची के पास जाने के लिए सोचा । उन्हें फोन किया तो पता चला कि चाचा घर पर ही है । कल बरसात में भीगने के कारण उनको ज़ुकाम हो गया था । फिर मैंने सोचा चलो कालेज ही चला जाता हूं ।

तभी श्वेता दी का फोन आ गया । वो अपने घर बुला रही थी । मैं खुश हो गया । जीजू भी घर पर नहीं थे । और चाची भी चाचा के तबियत खराब के चलते उनके घर जायेगी नहीं । और आन्टी तीर्थ यात्रा पर गई थी । आज बहुत बढ़िया मौका था ।

ग्यारह बजे मैं श्वेता दी के घर पहुंचा । बाइक घर के बगल में लगा कर बेल बजाईं ।

बेल बजने के बाद थोड़ी ही देर में श्वेता दी आई । उन्होंने चित्ताकर्षक मुस्कान के साथ मेरा स्वागत किया । जबाव में मैंने भी गोल्डन जुबली मुस्कान देते हुए उनको हग किया ।

मेरे अंदर आते ही उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया ।

आन्टी का मकान दो मंजिला था । दोनों मंजीले सेम पैटर्न के ही बने थे । तीन तीन रूम , हाॅल , स्टोर रूम , किचन , बालकनी , एक काॅमन बाथरूम । लेकिन दो रूमों में अटैच बाथरूम था ।

मैं श्वेता दी के साथ सीढ़ियां चढ़ता हुआ उपर वाले तल्ले में पहुंचा । दरवाजा खोलते ही मेन हाॅल था । हाॅल के एक सिरे में रूम था तो दुसरे सिरे में किचन , स्टोर रूम और सबसे लास्ट में बाथरूम बना हुआ था ।

मैं कमरे में प्रवेश किया ।

कमरे में बड़े से पलंग पर उर्वशी बैठी हुई थी । वो गुलाबी कलर की साड़ी पहने हुए थी । मैं उसे देखते ही चौंक गया ।

” हैलो हैंडसम ” – उर्वशी दी ने मुस्कुराते हुए कहा ।

मैं मुस्कराते हुए आगे बढ़ कर उन्हें हग किया ।

” वाह ! हवाट्स ए सरप्राइज , कब आई ?”

” तुमसे आधे घंटे पहले । आते ही तुम्हें याद किया , श्वेता को कहा और तुम हाजिर ।”

” मेरा अहोभाग्य । बन्दा आपकी सेवा में 24 आवर्स हाजिर है । बताइए ये खादिम आप की क्या सेवा कर सकता है ?”

” सेवा तो बहुत कर सकते हो , अब देखना यह है कि तुम्हारी सेवा से हम कितना प्रसन्न हो सकते हैं ।”

मैंने शंकित नजरों से श्वेता दी को देखा । वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी । फिर उर्वशी दी को देखते हुए मुस्कुरा कर कहा -” ” क्या बात है भाई , कोई परीक्षा ली जाने वाली है क्या ?”

” बताएंगे । जरूर बताएंगे लेकिन पहले बैठो , अपनी सांसें दुरूस्त कर लो ।”

” शुक्रिया ” – मैं पलंग पर बैठते हुए कहा -” वैसे मैं कोई पैदल चलकर नहीं आया हूं । मेरी सांसें बिल्कुल दुरुस्त है ।”

” अच्छी बात है । थके हुए नहीं हो ।”

” थके हुए का क्या मतलब ? मैं बिल्कुल फिट और चौकस हूं ।”

” देखेंगे ! थोड़ी देर बाद कितने फिट और चौकस रहते हो ” – उन्होंने अर्थपूर्वक लहजे में कहा ।

” बड़ी बहकी बहकी बातें कर रही हो ? जरा डिटेल में समझाओ न ?”

” समझा देंगे लेकिन पहले एक काम करो ।”

” क्या ?”

” बाजार जाओ और दो बियर का बोतल हमारे लिए और अपने लिए जो तुम्हें पसंद है वो ले आओ ।”

” वाइन ?” – मैं चौंक गया।

” हां । आज पार्टी करते हैं । तुम वाइन ले आओ तब तक हम दोनों खाने की तैयारी करते हैं ” – वो मुस्कुराती हुई बोली ।

ये क्या चक्कर है… पार्टी , वाइन , बहकी बहकी बातें ।

मैं कंधे उचकाते हुए कहा -” ओके ! ये तो बता दो कि आपके हुजूर अभी ट्रीप से आए हैं या नहीं ?”

” वो परसों तक आयेंगे । तुम देर मत करो , फटाफट निकलो और वाइन के अलावा ये थोड़ा सा सामान है , ले आओ ।”

मैंने ओके कहा और बिस्तर से उठ गया । श्वेता दी एक कागज की परची दी जो लाने वाले सामान का लिस्ट था ।

श्वेता दी मुझे पैसे दे रही थी लेकिन मैंने लिया नहीं ।

आधे घंटे बाद वापस घर आया । इस बार उर्वशी ने दरवाजा खोला । हम उपर रूम में गये । मैंने बोतल फ्रिज में रख दिया । वे दोनों भोजन बनाने में बिजी हो गई ।

मैं वहां बैठे हुए बोर हो रहा था इसलिए मैं नीचे आन्टी के कमरे के पास आ गया । आन्टी अपने घर की चाबी मुझे सौंप गई थी । मैंने न जाने क्या सोचकर उनके कमरे को खोला और अंदर चला गया । कमरे के अंदर कवर्ड , बक्से , ड्रेसिंग टेबल सभी कुछ थे । उनके पलंग के गद्दे के नीचे चाबियों का गुच्छा भी पड़ा मिल गया।

मैंने उनके पुरे कमरे की तलाशी लेनी शुरू कर दी । बक्सा , आलमारी सब कुछ छान डाला लेकिन कोई भी संदिग्ध जैसी चीजें नहीं मिली ।

फिर मैं अमर के रूम में गया । वहां भी उसी तरह पुरे शिद्दत के साथ तलाशी ली लेकिन वहां भी सेम वही रिजल्ट । मैं थक हार कर वहां से निकलने लगा कि मेरी नज़र उसके शो केस पर पड़ी । वहां एक ही फोटो फ्रेम में दो फोटो साथ में लगे मिले । एक मे वो मेरे साथ था तो दुसरे में अपनी मां के साथ । फोटो देख कर मेरा दिल लरजने लगा । फोटो फ्रेम के पास एक जापानी एनटिक खंजर था । उस खंजर की मुठ गोलाकार और बड़ी थी । मुझे याद आया ऐसा ही खंजर मैंने श्वेता दी के पास भी देखा था ।

फिर सारे दरवाजे बंद करके मैं उपर श्वेता दी के कमरे में गया । कमरे के अंदर नजर पड़ते ही मैं बुरी तरह से चौंक गया ।

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top