You dont have javascript enabled! Please enable it! Sagar - An Erotic Incest Story – Update 23A - KamKatha
Sagar - An Erotic Incest Story

Sagar – An Erotic Incest Story – Update 23A

Update 23 A.

” क्या टाईम हुआ है ?”

चाची के पहलू में लेटा कुछ देर पहले हुई अभिसार सुखों के कल्पनाओं में खोया हुआ था कि चाची के आवाज ने मुझे चेतना में ला दिया । मैंने लेटे लेटे ही टाईम देखने के लिए अपनी मोबाइल ढुंढने के लिए हाथ अगल बगल दौड़ाया । तभी मुझे याद आया कि मोबाइल तो मेरे पैंट में हैं । मैं हड़बड़ा कर बिस्तर से उठा ।

” क्या हुआ ?” – चाची मुझे इस तरह हड़बड़ा कर उठते हुए देख कर बोली ।

” मेरा मोबाइल तो पैंट में हैं…. कहीं पानी में भीगने से खराब न हो गया हो “- मैं नंगे बदन ही उठा और पैंट से मोबाइल निकालते हुए कहा ।

मैंने वहीं बगल में पड़े हुए एक सुखे कपड़े से मोबाइल पोंछा । शुक्र था कि मोबाइल खराब नहीं हुआ था । मगर उसमें माॅम के पांच , रीतु के दो और रमणीक लाल के दो मिस काॅल थे । इतने मिस काॅल देखकर मैं चौंका । मैं मोबाइल लेकर वापस बिस्तर पर आकर बैठ गया ।

” मोबाइल ठीक है ना ?”- चाची उठ कर मेरे बगल में बैठते हुए बोली ।

हम दोनों के शरीर पर अभी भी कपड़े का नामोनिशान तक नहीं था ।

” हां । मोबाइल तो ठीक है लेकिन माॅम , रीतु के ‌कई मिस काॅल है ।”

” क्या बात है ?”- वो मेरे लिंग को अपने हाथों से पकड़ कर सहलाते हुए बोली ।

” पता नहीं । फोन करता हूं ” – मैंने भी उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को दबाते हुए कहा ।

मैंने माॅम को फोन लगाया ।

” अरे कहां पर है ? कब से फोन कर रही हूं , फोन क्यों नहीं उठाता ?” – रिंग होते ही माॅम गुस्से से बोली ।

” कैसे फोन उठाऊं ? देख नहीं रही हो कितनी जोर से बारिश हो रही है ।”

” तो बारिश होने से फोन उठाने या नहीं उठाने का क्या मतलब है ?”

” बारिश से फोन भींग कर खराब नहीं हो जायेगी ?”

” वाह ! क्या सुन्दर जबाव दे रहा है । यदि बारिश हो तो फोन का इस्तेमाल ही नहीं करना चाहिए । कहीं उस कमीनी ज्योत्सना के साथ तो नहीं है ?”

अब उन्हें क्या बताऊं कि मैं ज्योत्सना के साथ नहीं बल्कि चाची के साथ नंग धडंग बैठा उनसे बातें कर रहा हूं ।

” अरे नहीं माॅम मैं ज्योत्सना के साथ नहीं हूं । मैं कहीं और ही जगह पर हूं । एक्चुअल में मेरी बाइक भी तो खराब हो गई है ।”

” क्या ? बाइक खराब हो गई है ?” – अब वो पहले के अपेक्षाकृत नरम स्वर में बोली ।

” हां । पहले ये बताओ ना कि फोन किसलिए किया था ?”

” रीतु के लिए ।”

” रीतु के लिए ?” – मैं घबड़ाते हुए बोला – ” क्या हुआ रीतु को ?”

” अरे कुछ नहीं हुआ है । वो कल काजल के साथ उसके शहर जाने के लिए बोल रही है । काजल की कजन सिस्टर की शादी है तो वो रीतु को साथ ले जाने के लिए बोल रही है ।”

” क्या ?” – मैं आश्चर्यचकित हुआ ।

लेकिन काजल ने तो मुझे कहा था कि सिर्फ उसके मां बाप जाने वाले हैं और वो यही रहेगी । और उसके मां बाप के जाने के बाद कल पुरा दिन और पुरी रात मेरे साथ पलंग कबड्डी खेलेंगी ।

मैंने माॅम से कहा -” और रीतु क्या बोल रही है ? क्या वो जाना चाहती है ?”

” हां । उसकी भी इच्छा है जाने के लिए ।”

” वो घर पर ही है ?

” नहीं , काजल के घर गई है ।”

” ठीक है । मैं रीतु से बात करता हूं ।”

” लेकिन तु है कहां अभी ? और कब तक आयेगा ?”

” मैने बताया न मैं कहीं और जगह पर फंसा हुआ हूं । मैं आधे घंटे में आ रहा हूं ।”

” और मुझे लगा तु उस कलमूही के साथ होगा ।”

” यही तो गलती कर दिया जो उसके पास नहीं गया । अभी में घर आता हूं फिर वहां से उस कलमूही के घर जाता हूं ।”

चाची मुझे हैरत से देख रही थी । उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि मैंने उनकी सहेली ज्योत्सना को भी पटा रखा है ।

” उससे पहले मैं तेरी पांव तोड़ दुंगी ” – माॅम गुस्से से बोली ।

मैंने हंसते हुए फोन काट दिया ।

चाची मेरे लन्ड को दबाते हुए बोली -” ये ज्योत्सना वाला क्या चक्कर है ?”

” जैसा तुम्हारे साथ वाला चक्कर है ” – कहते हुए मैंने उनकी चूत में अपनी उंगली पेल दी ।

” तुम सच में बहुत नालायक हो । बड़ी बड़ी उमर की औरतों के पीछे पड़ रहते हो । ये सब तुम्हारी गन्दी गन्दी किताबें पढ़ने का नतीजा है ” – वो मेरे लन्ड को पकड़ कर मूठ मारते हुए बोली ।

मैं चौंका ।

इसका मतलब मेरी अलमारी से जो किताबें गायब हो रही थी , वो चाची कर रही थी ।

” मैंने उनकी चूची की बड़ी निप्पल को उंगलियों से मसलते हुए कहा – ” आपको कैसे पता कि मैं गन्दी गन्दी किताबें पढ़ता हूं ।”

” अपने आलमारी में जो किताबें छुपा कर रखा है क्या वो तेरे बाप का है ?”

” है तो मेरा ही लेकिन आप को कैसे पता ?”

” बस पता है ।”

” कहीं वो आप ही नहीं तो जो मेरे आलमारी से किताबें गायब करती थी ?”

” तुझे मालूम था कि वहां से कोई कोई किताब गायब हो जाती थी ?”

” क्यों नहीं पता होगा ? आखिर मेरा किताब था तो कोई किताब न होने से मालूम पड़ ही जायेगा । अब आप बताओ वो किताबें आप ही निकालती थी न ?”

” मैं नहीं , तेरी मम्मी निकालती थी ।”

” क्या ?”

मैं आश्चर्य से मूंह फाड़े उनको देखता रहा ।

वो मुझे आश्चर्यचकित होते देखकर मुस्कराई और मुझे अपने ऊपर खींच ली । और मेरे लन्ड को पकड़ कर अपने चूत के छिद्र पर रख कर नीचे से धक्का दी जिससे मेरा लन्ड का सुपाड़ा उनके चूत में घुस गया ।

” चाची , सच सच बताओ ? क्या माॅम वहां से किताबें निकालती थी ?” मैं अभी भी श्योर नहीं था ।

” हां । तेरी माॅम ही तेरे रूम के आलमारी से किताबें गायब करती थी और हम दोनों बारी बारी से उसे पढ़ती थी । क्या करें ! आखिर हम भी तो हाड़ मांस की ही बनी है । हमारी भी इच्छा होती है कि कोई हमें भी रगड़ कर प्यार करे । तेरे डैड ने तेरी मम्मी के साथ और तेरे चाचा ने मेरे साथ करीब आठ दस सालों से सेक्स करना ही छोड़ दिया है । उनका खड़ा ही नहीं होता । हम दोनों बरसों से प्यासी है । एक दिन तेरी माॅम तेरी कमरे की सफाई कर रही थी । सफाई करते हुए तेरी बिस्तर के नीचे से उन्हें आलमारी की चाबी मिली । उन्होंने सोचा क्यों न आलमारी भी साफ करके उसके अंदर की सामान सजा दूं , तभी उन्हें तेरी ये गन्दी गन्दी किताबें दिखाई पड़ी । पहले तो वो बहुत गुस्सा हुई । तुम्हें उसी वक्त डांटना चाहती थी । और संयोग से उस दिन मैं भी वहां पहुंच गई । उन्होंने मुझे दिखाया । मुझे भी खराब लगा । लेकिन संयोगवश उसी दिन तुम अपने दोस्तों के साथ बंगलूरू घुमने चले गए । तुम पुरे छः दिन बाद आए थे तब तक यहां की कहानी कुछ और ही हो गई थी । इन छः दिनों में हमने सारी किताबें पढ़ ली और वो भी एक बार नहीं बल्कि कई बार और फिर अब तुम्हें क्या फटकारें हम दोनों खूद ही उन गन्दी कहानियों के दिवाने बन चुके थे । हमारी दबी हुई लालशा फिर परवान चढ़ने लगी । हमारी सेक्स की भुख पहले से भी ज्यादा बढ़ गई । लेकिन परिवार के मान सम्मान हमारी मजबूरी , संस्कृति हमारी पांव में बेड़ियां डाले पहले ही की तरह जकड़ी रही ।

मेरा तो आश्चर्य के मारे बूरा हाल था । माॅम किताबें मेरे रूम से गायब करती थी और उसे पहले खुद पढ़ती थी फिर चाची को पढ़ाती थी और जब फिर पढ़ने के बाद मेरे आलमारी में रख देती थी ।

वो सारी गन्दी गन्दी किताबें जिसमें मां बेटे , बाप बेटी , भाई बहन , चाची भतीजा , देवर भाभी की चुदाई की कहानियां भरी पड़ी थी । ये सोचकर मेरा लन्ड खुशी के मारे उछलने लगा जिसे चाची अपने चूत में साफ महसूस कर रही थी ।

मैं पुरी तरह से उत्तेजित हो गया और चाची को हुमच हुमच कर चोदने लगा । वो भी मेरा भरपूर साथ देने लगी ।

थोड़ी देर बाद वो अपने कपड़े पहनने लगी । मेरा पैंट शर्ट गंजी जांघिया अभी भी भींगा हुआ ही था । फिर भी मैंने सारे भींगे हुए कपड़े दुबारा पहन लिये ।

कपड़े पहनने के बाद मैने रीतु को फोन किया ।

उसके हैलो कहते ही मैंने कहा – ” किसलिए फोन कर रही थी ?”

” भाई , मैं काजल के साथ उसकी कजन की शादी में जाना चाहती हूं । क्या जाऊं ?”- उधर से रीतु बहुत ही मीठे स्वर में बोली ।

” अरे , तु क्या करेगी शादी में जाकर ? उनलोगो का अपना समाज होगा , अपना माहौल होगा । तु वहां जाकर परेशान ही होगी ।”

” कोई परेशानी नहीं होगी । शादी जयपुर में है । वहां उन्होंने होटल बूक किया हुआ है । शादी के बहाने जयपुर भी घुम लुंगी ।”

” कितने दिन का ट्रिप है ?”

” चार दिनों का ।”

” लेकिन मैंने तो सुना था कि सिर्फ काजल के मम्मी पापा ही जा रहे हैं । काजल के जाने का प्लान नहीं था ।”

” पहले काजल के जाने का प्लान नहीं था लेकिन उसकी कजन उसके न आने की खबर सुनकर बहुत नाराज़ हूई ।उस ने जोर देकर उसे आने को कहा । और फिर काजल के मम्मी डैडी ने भी फोर्स किया तो फिर तैयार हो गई ।”

” ओह ?”

” वैसे आपको कैसे पता कि काजल नहीं जाने वाली थी । मैंने तो आपको कभी कहा नहीं ” – वो मजाक करते हुए बोली ।

मैं हड़बड़ाया ।

” अरे वो… वो… वो काजल एक दिन रास्ते में मिल गई थी , तभी कहा था उसने ।”

” कहीं कुछ छुपा तो नहीं रहे हो मुझसे ? कोई चक्कर वक्कर तों नहीं है ?” – वो शरारती अंदाज में बोली ।

” अरे बकवास मत कर । ऐसा कुछ नहीं है ।”

” तो फिर बताओ मैं क्या करूं ? शादी में जाऊं या नहीं ?”

” तु श्योर जाना चाहती है ?”

” हम्म ।”

” तो एक काम कर , राहुल को भी अपने साथ ले जा । तेरे साथ एक मर्द रहेगा तो अच्छा होगा ।”

” क्या ?”

” हां । अब तु काजल और उसके मम्मी डैडी से पुछ ले । अगर तुझे जाना है तो राहुल भी तेरे साथ जायेगा ।”

” ओके । राहुल हमारे साथ जायेगा ।”

” अरे , पहले पुछ तो ले ।”

” काजल बगल में ही है । मैंने उससे पुछ लिया है । वो राजी है ।”

” ठीक है फिर । वैसे कल निकलना कैसे हैं ?

” सुबह सात बजे के बस से निकलना है । अंकल जा रहे हैं टिकट बूक करने ।”

” बस से ?”

” अरे भाई , शानदार बस है । उसका भाड़ा ए सी ट्रेन से भी ज्यादा है ।”

” ठीक है फिर । तु शाम को कब तक घर आयेगी ?

” छः बजे आ जाऊंगी । तैयारी भी तो करनी है ।”

” जल्दी आना । यदि कोई सामान वगैरह लाना होगा तो खरिदने के लिए समय चाहिए न ।”

” मैं पक्का छः बजे तक आ जाऊंगी ।”

मैंने फोन काट दिया । चाची को सारी बातें बताया । और राहुल को जयपुर जाने के लिए और उसके कपड़े वगैरह भी तैयार रखने को कहा ।

फिर वहां से अपने घर चला आया ।

जब घर पहुंचा तो दरवाजा खुला हुआ पाया । मैंने सोचा कहीं डैड तो नहीं आ गए हैं । मैं घर में प्रवेश कर के मेन दरवाजा बंद किया और माॅम को आवाज लगाई ।

माॅम चिल्ला कर बोली कि वो किचन में है तो मैं ये कहते हुए अपने कमरे की तरफ चला गया कि मैं नहा कर , फ्रेश होकर नीचे आता हूं ।

मैं अपने कमरे में गया । सारे भींगे हुए कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस गया । नहा धो कर जब मैं अपनी गंजी और जांघिया पहनने के लिए ढुढने लगा तो देखा कि वो भी पुरी तरह से भीगी हुई है । सुबह से बरसात होने के कारण वो सुख नहीं पाई थी ।

मैं अपने कमरे में आलमारी से एक तौलिया निकाल कर लपेट लिया । और उपर एक शर्ट पहन लिया । और फिर नीचे हाॅल में आ गया । माॅम शायद अभी भी किचन में ही थी ।

मैं किचन में गया । और माॅम को देखकर बुरी तरह से चौंक गया ।

नेक्स्ट कल रात तक…..

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