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Sagar - An Erotic Incest Story

Sagar – An Erotic Incest Story – Update 21

Update 21.

सुबह की किरणें रोशनदानों से होती हुई मेरे चेहरे पर पड़ी तो मेरी आंखें खुल गईं । मोबाइल पर नजर डाली , पांच बज रहे थे । बिस्तर छोड़ कर नित्य कर्म से निवृत्त हुआ । थोड़ी बहुत एक्सरसाइज की । आज सन्डे था तो डैड की छुट्टी थी । रीतु को भी कालेज नहीं जाना था । मैं नीचे हाल में पहुंचा तब वहां पर अभी कोई भी नहीं था । शायद छुट्टी के कारण अभी किसी ने बिस्तर नहीं छोड़ा था । मैं वापस अपने कमरे में चला गया और बिस्तर पर लेट गया । लेटे लेटे झपकी लग गई ।

माॅम की आवाज सुनकर निंद टुटी ।

” क्या बात है ? इतने देर तक सोये हुए हो… गाजियाबाद नहीं जाना है क्या ?” – माॅम बिस्तर पर बैठते हुए बोली ।

” जाना है माॅम…” – मैंने घड़ी के उपर निगाह उठाई , आठ बज चुके थे ।

” तबीयत तो ठीक है ना ?”

” हां । ठीक है… मैं तो बहुत पहले ही उठ गया था , फ्रेश होकर दुबारा सो गया था ।”

मैंने देखा माॅम ने मेरी लाई हुई नाइटी जो पुरे बदन को ढकने वाली थी , पहनी हुई थी । वो नहा धो कर काफी फ्रेश और ताजगी से भरी हुई लग रही थी ।

” हाॅल में ही चल… नाश्ता लगाती हूं ” कहते हुए वह उठ खड़ी हुई ।

” माॅम , वो जो मैंने आपको मैसेज किया था….”

” बाद में बात करेंगे ” – माॅम ने मेरी बात पुरी होने से पहले ही टोक दिया ।

फिर हम दोनों नीचे हाल में गये । डैड और रीतु सोफे पर बैठ कर चाय पीते हुए टीबी में न्यूज चैनल देख रहे थे । मैंने डैड से उनकी कार की चाभी मांगी फिर नाश्ता करके उपर अपने कमरे में चला गया । कपड़े वगैरह पहने । फिर इंस्पेक्टर कोठारी को फोन लगाया और आज उनसे मिलने की इच्छा जताई । इंस्पेक्टर ने मुझे दस बजे के बाद आने को कहा ।

घर से साढ़े आठ बजे मैं निकल गया । चाची के घर के सामने कार खड़ी की और कार से उतर कर उनके घर चला गया । बेल बजाने पर राहुल ने दरवाजा खोला । मैंने उससे चाची के बारे में पुछा तो उसने किचन की तरफ इशारा किया और बाथरूम में नहाने के लिए चला गया । चाचा घर पर नहीं थे । मैं किचन में गया । चाची साड़ी पहनी हुई थी । और गर्मी के कारण साड़ी के पल्लू को कमर में लपेट लिया था । उनके बदन पर पसीने की बूंदें दिख रही थी । वो इस वक्त चूल्हे के पास खड़े खड़े सब्जी बना रही थी ।

मैं किचन में दाखिल हुआ और उनको पीछे से अपने बाहों में कसते हुए बोला -” क्या कर रही हो चाची ?”

चाची चिहुंक उठी और मुझे देखते हुए बोली -” नालायक , डरा ही दिया था ।”

” क्यों ? मैंने ऐसा क्या किया कि डर गई ” – कहते हुए मैं उनसे और चिपक गया । लेकिन मेरा कमर से निचले वाला हिस्सा उनसे दूर ही था ।

” ऐसे अचनके में पकड़ेगा तो डर लगेगा नहीं ?”- वो कुकर में सब्जियों को तलते हुए बोली ।

” ठीक है , आगे से आपको पुछ कर पकडूंगा “- कहते हुए मैंने एक छोटी सी थैली उनको पकड़ा दी ।

” क्या है ये ?”

” आप की मोबाइल ।”

वो सब्जी बनाना छोड़ कर थैली से मोबाइल निकाली । मैं उनसे पीछे वैसे ही चिपका रहा ।

” बहुत अच्छी मोबाइल है “- वो मोबाइल देखते हुए बोली ।

” आप से अच्छी नहीं “- कहते हुए मैंने अपनी दाहिना हाथ आगे बढ़ा कर उनके नंगे चर्बी युक्त पेट पर रख दिया । नंगे पेट पर हाथ पड़ते ही वो सिहर सी गई ।

” क्या कर रहा है ? छोड़ ना…. मेरी सब्जी जल जाएगी “- कहते हुए मोबाइल को किचन के स्लैब पर रखते हुए बोली ।

” मैंने क्या आपको सब्जी बनाने से रोक रखा है ?” – इस बार मैंने हिम्मत करते हुए उनके गदराए हुए पेट को मुठ्ठी से हल्के से दबा दिया जिससे वो ‘ उंह ‘ कर बैठी । पसीने से उनका पेट भींगा हुआ था ।

” तु अभी श्वेता के यहां जा रहा है न ” – वो दुबारा सब्जियों पर ध्यान देते हुए बोली ।

” हां । वहां जाकर उनकी भी थोड़ी हेल्प कर दूं ।”

” तुझे वहां जाने की क्या जरूरत है । राजीव तो है ही , वो सब सम्भाल लेगा ।”

” सम्भाल तो लेगा लेकिन मेरा भी वहां कुछ पर्सनल काम है तो सोचा एक पंथ दो काज हो जाय ” – कहते हुए मैंने अपनी बीच वाली उंगली से उनके गहरी नाभि के अगल बगल सहलाने लगा ।

वो बुरी तरह कांप गई ।

” छोड़ ना ! राहुल नाश्ते के लिए आता ही होगा ” – वो कसमसाते हुए बोली ।

” राहुल अभी अभी बाथरूम में गया है “- कहते हुए अपनी उंगली को धीरे-धीरे उनके नाभी के आसपास सहलाते रहा ।

वो चुपचाप वैसे ही खड़ी रही तो मैंने थोड़ी और हिम्मत की । अपने कमर के निचले हिस्से को भी उनके पिछवाड़े से सटा दिया । और उनसे लगभग पूरी तरह चिपक गया । उनके बड़े बड़े पिछवाड़े का स्पर्श पाकर मेरा लिंग पुरी तरह तन गया । मुझे अंदाजा तो था कि वो मेरे लिंग को जरूर महसूस कर रही होंगी ।

तभी उनके दरवाजे की घंटी बजी । वो हड़बड़ा कर मुझसे अलग हुई । मैंने उनके चेहरे को देखा । उनका चेहरा तमतमाया हुआ था ।

” कौन है ? – मैंने पूछा ।

” शायद तेरे चाचा होंगे ” – वो मुझसे नज़रें चुराती हुई बोली ।

मैं किचन से बाहर निकल गया । दरवाजा खोला । तात श्री ही थे ।

” शाम को घर पर ही रहिएगा… कहीं दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने मत निकल जाइएगा… श्वेता दी आ रही है , कोई काम वाम पड़ सकता है ” – तात श्री को बोलकर बिना उनका जबाव सुने मैं बाहर निकल गया ।

सवा दस बजे मैं गाजियाबाद के उस पुलिस स्टेशन में पहुंचा जहां इंस्पेक्टर कोठारी की पोस्टिंग थी । वो अपने केबिन में बैठा लेंड लाईन फोन पर किसी से बातें कर रहा था । मुझे देखते ही सामने विजिटिंग चेयर पर बैठने का इशारा किया । मैं चुपचाप बिना कुछ कहे चेयर पर बैठ गया ।

करीब दस मिनट तक फोन पर बिजी रहा फिर फोन को रख कर मेरे तरफ़ प्रश्न सूचक दृष्टि से देखा ।

” हूं ” – कोठारी बोला -” अब बताओ , क्या कहना चाहते हो ?”

मैंने आगरा में हुए संजय जी के रिसेप्शन का सारा हाल कह सुनाया ।

” तो तुम कहते हो कि वहां किसी ने तुम्हें जान से मारने की कोशिश की ।”

” सर , मैं अभी भी कन्फ्यूजन में हूं । मैंने आपको बताया कि ये मेरी बहन के साथ हुई बातों से निकल कर हमने निष्कर्ष निकाला । लेकिन क्या आपको अमर केस का सम्बन्ध आगरा से सम्बंधित लगता है ।”

” मैं बात करता हूं वहां के इंचार्ज से । वैसे तुमने कोई गैरकानूनी हरकतें तो नहीं न कर दी है । कोई ग़लत शलत काम ।”

” सर मुझे तो याद नहीं है कि मैंने ऐसा कोई ग़लत काम किया है कि कोई मेरे जान का प्यासा हो जाए ।”

” कुछ तो बात जरूर है… कहीं न कहीं तुम ने या तुम दोनों दोस्तों ने कुछ ऐसा घपला किया है या कुछ ऐसा देख लिया है जो नहीं देखना चाहिए था शायद इसीलिए ये सब हो रहा है । यदि ऐसा कोई भी बात है तो मुझे निसंकोच बताओ ।”

” सर मैं हर बार कहूंगा कि मैंने कुछ भी नहीं किया है । जब किसी की जान पर पड़ जाय तो कौन झुठ बोलेगा ।”

” कालेज में कहीं ड्रग्स वगैरह का कोई चक्कर तो नहीं था ।”

” मैंने अपनी जिंदगी में कभी भी ड्रग्स देखा ही नहीं है तो इसके बारे में क्या बोलूं ।”

” देखा नहीं है सुना तो जरूर होगा।”

” हां सर सुना है ।”

” क्या सुना है ?”

” ड्रग्स के नाम जैसे गांजा , अफीम , हिरोइन , एल एस डी , हशीश , मार्फिन , मारेजूआना , कोकीन , ब्राउन सुगर , चरस , हेलीपेरीडोल , बारबीटुरेक्स २।”

” हेलीपेरीडोल , बारबीटूरेक्स २ ये क्या है ।”

” सर मैंने कहीं पढ़ा था कि इसके चार डोज हाथी को भी चार घंटे के लिए बेहोश कर देते हैं ।”

” अच्छा ! और क्या जानते हो इसके बारे में ?”

” ये रंगहीन होता है , टेस्ट हिन होता है , मैंने कहीं पढ़ा था कि अक्सर ट्रैन में यही सब चाय सिगरेट पान आदि में थोड़ा सा लगा कर लुटेरे यात्रियों को लुट लेते हैं । एक हल्का सा इसका अंश आदमियों को सैकड़ों घंटे बेहोश कर सकता है ।”

” तुम तो बहुत कुछ जानते हो ।”

” सर कुछ कुछ जानता तो हर चीज के बारे में हूं लेकिन वो भी पुरा सच है या नहीं ये मुझे नहीं पता ।”

इंस्पेक्टर कोठारी खामोश रहा । वह कुछ क्षण खामोशी से बैठा एक हाथ से कुर्सी का हत्था ठकठकाता रहा और फिर एकाएक बोला –

” अगर तुम्हें लगता है कि पुलिस प्रोटेक्शन चाहिए तो मैं इंतजाम किए देता हूं ।”

” नहीं सर । मुझे फिलहाल पुलिस प्रोटेक्शन नहीं चाहिए लेकिन मैं आपसे कुछ मेरी शंकाएं है जो कि पुछना चाहता हूं ।”

” पुछो ।”

” सर, पहले तो मैं जानना चाहता हूं कि किसी के कत्ल की जांच आप लोग किस तरह से करते हैं ?”

” नियमों के मुताबिक पुलिस कोई भी घटना होने के बाद तुरंत वैज्ञानिक सबूत एकत्रित करने के लिए फाॅरेंनसिक लैव को सूचना देती है । इसके अन्तर्गत वाॅयोलोजिकल एक्सपर्ट , फिजिकल डिविजन , फाॅरेंसिक फोटोग्राफी की टीम जांच करती है । और यदि गोली चलाने जैसी कोई घटना होती है तो उसकी वैलेस्टिक जांच भी की जाती है । पैराफिन टेस्ट भी होता है…. इसके बारे में उस दिन मैंने बताया भी था ।”

” थैंक यू सर ये बताने के लिए । और एक बात और बता दें तो बड़ी मेहरबानी होगी ।”

” क्या ?”

” अमर के कत्ल के बाद आपकी जांच रिपोर्ट क्या कहती है ?”

इंस्पेक्टर ने अपने एक हवलदार को बुलाया और अमर केस की फाइल मंगवाया ।

” मौत करीब दस और साढ़े ग्यारह के बीच में हुई है । और गोली करीब छः फुट की दूरी से चलाई गई है । ” वो फाइल पढ़ते हुए बोला -” और फ्लैट के अन्दर ऐसा कोई भी सुराग नहीं मिला है जिससे हमें क़ातिल को ढुंढ ने में मदद मिले । उसके शरीर पर किसी भी तरह के चोट के निशान नहीं है । ना ही उसके शरीर में कोई जहर पाया गया है ।”

” आप लोग ये अंदाजा कैसे करते हैं कि मौत इन समयों के बीच में ही हुआ है ।”

” डेड बोडी के टेम्परेचर और लास्ट टाइम पर किए गए भोजन के डाइजेस्ट के रिसर्च पर । इसके अलावा भी और कई तरह की जांच होती है ।”

” और सर गोली छः फुट की दूरी से चलाई गई है तो क्या इसका भी कोई जानने का प्रोसिजर है ।”

“:हां । इसका भी प्रोसिजर है । डिस्टेंस में थोड़ा बहुत डिफरेन्स आ सकता है ।”

” मैंने सुना है कि कुछ लोग कई गोली खाने के बाद भी मरते नहीं है लेकिन ऐसा क्या हो गया कि वो सिर्फ एक ही गोली से मर गया ।”

” ये डिपेंड करता है कि गोली ‌शरीर के किस हिस्से में लगी है । अमर को गोली ठीक उसके हार्ट पर लगी है तो इसमें उसका बचना असम्भव था । ”

” इसका मतलब कि किसी तजुर्बेकार आदमी ने गोली चलाई होगी ?”

” बिल्कुल और जैसा कि तुमने बताया आगरा में वहां भी किसी एक्सपर्ट ने ही गोली चलाई मालूम पड़ती है ।”

” मतलब जिसने भी ये कत्ल किया है वो हथियार चलाने में सक्षम है ।”

” बिल्कुल ।”

” एक बात और… यहां थाने में मुखबिर ने अमर के कत्ल के बारे में एग्जेक्ट क्या कहा था ?”

” सेक्टर न. ७ राजा पैलेस फ्लैट नं १३१ मैं गोली चलने की आवाज आई है ।”

” सर , एक बात बताओ वो छ मंजिला इमारत है जिसमें हर फ्लोर पर तीन तीन फ्लैट है । उसे एग्जैक्ट कैसे पता कि उस छः मंजिला इमारत के उसी फ्लैट में गोली चलने की आवाज आई है । बगल में दो फ्लैट है तो उनमें से किसी ने गोली चलाने की आवाज क्यों नहीं सुनी । आपने तो बगल के फ्लैट में भी पता किया होगा । उन लोगो का क्या कहना था ।”

” बगल ही नहीं बल्कि पुरे बिल्डिंग में किसी ने भी गोली की आवाज नहीं सुनी । हमने सभी से इन्क्वायरी की है ।”

” जब बगल वाले फ्लैट में किसी ने गोली की आवाज नहीं सुनी तो आपका वो मुखबिर भला कैसे गोली की आवाज सुन लिया । मान लीजिए क़ातिल ने साइलेंसर का इस्तेमाल किया होगा शायद इसीलिए फ्लैट में रह रहे लोगों ने गोली की आवाज नहीं सुनी लेकिन यदि साइलेंसर का इस्तेमाल किया गया है तो उस मुखबिर ने कैसे सुन ली ।”

” बरखुदार… हमें हमारी ड्यूटी मत समझाओ… ये हम भी जानते हैं और इसीलिए तुम और तुम्हारे जीजा को हमने अरेस्ट नहीं किया । वो मुखबिर हमारे टारगेट पर है… और पुलिस उसकी तलाश कर रही है ।”

” और सर… वहां मिले फिंगरप्रिंट के बारे में क्या कहना है ?

” वहां से हमें सात लोगों का फिंगरप्रिंट और फुटप्रिंट मिला है जिसमें तुम्हारा , तुम्हारे जीजा , तुम्हारी बहन श्वेता , अनुष्का , और तुम्हारा मरहूम दोस्त अमर का मिलान हो चुका है लेकिन बाकी के दो कौन है , ये अभी तक मालूम नहीं हो पाया है ।

मेरी सिगरेट पीने की इच्छा तलब करने लगी तो मैंने इंस्पेक्टर से इजाजत मांगी ।

” यहां नहीं ” – कोठारी ने कहा -” बाहर चलते हैं… मैं भी पियूंगा ।”

हम उसके केबिन से बाहर निकल आए और थाने के कैम्पस में ही एक जगह खड़े हो गए । मैंने सिगरेट का पैकेट निकाला और उसमें से एक सिगरेट निकाल कर कोठारी को दिया और एक अपने लिए निकल लिया । मैंने पहले उसकी सिगरेट सुलगाई फिर अपनी ।

” सर मेरे पास आपके लिए एक प्रपोजल है ” – मैंने सिगरेट का एक गहरा कश लेते हुए कहा ।

” क्या ?”- वो चौंकते हुए बोला ।

” मरहूम अमर की मम्मी के तरफ से यदि आप या आपकी पुलिस अमर के क़ातिल को गिरफ्तार करती है तो उनके तरफ से एक छोटा सा नजराना बतौर गिफ्ट पेशकश है ।”

” मैंने ये वर्दी नजराना या ईनाम के लिए नहीं पहनी है ” – कोठारी गरम होते हुए बोला -” मैंने अपनी जिंदगी में कभी भी घूस नहीं लिया है और ना ही कभी लुंगा । मैं अपनी तरफ से भरपूर कोशिश कर रहा हूं कि उस बच्चे के क़ातिल को कानून के शिकंजे में जकड़ कर अदालत के कटघरे में खड़ा करूं ।”

मैंने उसे सम्मान की दृष्टि से देखा । आज के जमाने में ईमानदार पुलिसिया कहां मिलता है । सिगरेट पीने के बाद इंस्पेक्टर कोठारी को नमस्कार करके मैं श्वेता दी के फ्लेट चला गया ।

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