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Sagar - An Erotic Incest Story

Sagar – An Erotic Incest Story – Update 20

Update 20.

पहाड़गंज जिस काम से मैं गया था वो हुआ नहीं तो मैंने संजय जी के होटल से ही उनको फोन लगाया और उनसे मिलने की इच्छा जताई । उन्होंने बताया कि वो अभी दिल्ली से बाहर है , थर्सडे तक वापस दिल्ली आयेंगे । आज सेटरडे था…. इसका मतलब वो पांचवें दिन वापस दिल्ली लौटेंगे ।

वहां से वापस मैं रोहिणी निकल पड़ा । रोहिणी पहुंचने के बाद उस बैंक में गया जिसमें आंटी का एकाउंट था । पहला सेटरडे होने के कारण बैंक खुला हुआ था । लेकिन न जाने क्यों आज भीड़ ज्यादा थी । पैसे निकालते निकालते तीन बज गए ।

वहां से फिर आंटी के घर गया और उन्हें उन रूपयों में से एक लाख रुपए वापस दे दिए । लेबर अभी भी काम में व्यस्त थे । उनका मजदूरी भी जोड़ जाड़ के काम शेष होने के पहले ही दे दिया । आंटी ने जो सामान मंगवानी थी उसका लिस्ट भी आज ही दे दिया तो वहां से फिर मैं मार्केट चला गया और आंटी के सामानों की खरीदारी कर उन्हें उनके घर देता हुआ अपने घर चला आया ।

जब मैं घर पहुंचा तब चार से कुछ ही मिनट उपर हुए थे । दरवाजा माॅम ने खोला था । माॅम ने खाने के लिए पुछा तो मैंने मना कर दिया । मैं सीधे अपने कमरे में चला गया । और बिना पैन्ट शर्ट चेंज किए बिस्तर पर लेट गया ।

मै हैरान था कि आखिर कल से माॅम ने मेरे मैसेज का कोई रियेक्सन क्यों नहीं दिया । वो मैसेज देख ली है , ये तो साफ कन्फर्म है … और उस युवती का नाम भी पढ़ ली है जिसके बारे में मैंने बताया था कि नाइटी उस युवती के लिए लाया हूं और उसके साथ मेरा सेक्सुअल रिलेशन है और और वो युवती उनके जान पहचान में ही है । फिर भी उसके बारे में अभी तक मुझसे कुछ पुछा क्यों नहीं… मुझे फटकारा क्यों नहीं…। हो सकता है ये सब पुछने के लिए उन्हें समय ना मिला हो ।

माॅम को ह्वाट्सएप करने के बाद और फिर ताजातरीन घर में हुई चर्चा के बाद माहौल भी तो बदला था । शायद अभी उन सब बातों से ज्यादा उन्हें मेरी सलामती की फ़िक्र सताए जा रही हो । यही कारण हो सकता है कि उनके अभी तक नहीं पुछने का ।

सोचते सोचते मेरी आंख लग गई । पांच बजे माॅम ने जगाया । डैड और रीतु भी घर आ चुके थे । चाय नाश्ते के बाद मैं क्लब चला गया ।

फिर वही सब जो वहां रोज होता है । लड़के और लड़कियों को ट्रेनिंग देना । ट्रेनिंग खत्म होने के बाद आफिस जाना । आज भी मालिक कम मैनेजर कुलभूषण खन्ना नहीं था । वहां से वापस घर आ गया ।

माॅम और रीतु रात के खाने की तैयारी कर रही थी जबकि डैड हमेशा की तरह टीबी के सामने बैठे अपने पसंदीदा चैनल पर डेली ओपेरा सिरियल का लुत्फ उठा रहे थे । मैं सीढ़ियों से होता हुआ अपने कमरे में चला गया और पैंट शर्ट खोलकर पायजामा और हल्का शर्ट पहन लिया ।

अभी सात ही बजे थे । मैंने सोचा श्वेता दी को कल अपने गाजियाबाद आने की सूचना तो दी ही नहीं । मैं कमरे से बाहर निकल कर खुले छत पर आया , एक सिगरेट सुलगाया और उन्हें फोन लगाया ।

दो रिंग बजते ही उन्होंने फोन उठाया ।

” हैलो !” – श्वेता दी की मधुर आवाज़ आई ।

” क्या कर रही हो तुफाने हमदम ?”

” डिनर की तैयारी कर रही हूं….तु बता वहां क्या खबर है ?”

” कोई खास नहीं । और बताओ तुमलोग की पैकिंग शैकिंग हो गई ?”

” वो तो कल ही हो गई । बस कुछ बर्तन , कपड़े और कुछ खुचरा सामान बाकी है , वो सब कल कर लेंगे ।”

” पलंग खोल दिया है क्या ?”

” हां । कल हम जमीन पर ही चादर डाल कर सोये थे ।”

” और गाड़ी वगैरह ?”

” गाड़ी भी बुक हो गई है । हम कल सुबह दस बजे यहां से निकल भी जायेंगे ।”

” सुनो , मैं कल वहां आ रहा हूं । मेरे वहां पहुंचने के बाद ही निकलना है ।”

” क्यों ? क्या हुआ ? …कोई काम है क्या ?”

” हां । थाने में थोड़ा काम है । वैसे मैं तुम्हारे पास ग्यारह बजे तक पहुंच जाऊंगा ।”

” देर नहीं हो जायेगी ?…वहां पहुंच कर सामान सब रखवाना है , एडजस्ट करवाना है ।”

” कुछ भी देर नहीं होगा । यहां के लिए मजदूर कर दिया है , एकाध घंटे में वो सब रख देंगे । और बाकी रहा एडजस्ट करने का वो धीरे धीरे बाद में करने के लिए तुम्हारे दो आशिक तो है ही ।”

” दो नहीं सिर्फ एक है ।”

” अपने हसबैंड को काम करने से बचाना चाहती हो ?”

” वो यहां रहेंगे तो न काम करेंगे ।”

” क्यों ? अमेरिका , युरोप जा रहे हैं ?”

” नहीं । मुम्बई जा रहे हैं ।”

” अरे ! किस्त किस्त में क्या बोल रही हो । साफ साफ बताओ ना ?”

” आज सुबह इनके आफिस से इनके बाॅस का फोन आया था तो वो सुबह आफिस चले गए थे । वहां बाॅस ने इन्हें मुम्बई में कम्पनी के डेलीगेट मीटिंग में शामिल होने को कहा है । वो मीटिंग बुधवार से शुरू होगी जो तीन चार दिनों तक चलेगी । इसलिए ये दिल्ली से सोमवार को ही निकल जायेंगे ।”

” लेकिन जीजू तो छुट्टी पर थे ना ?”

” ये बहुत ही अर्जेंट काम है इसलिए इन्हें जाना ही पड़ेगा । वैसे भी इनकी तबीयत ठीक हो ही गई है और सोमवार से ज्वाइनिंग भी करनी ही थी ।”

” जीजू अभी घर पे ही है ?

” नहीं । दोस्तों से मिलने गए हैं , अब आते ही होंगे ।”

” मुम्बई जाने का मतलब सात आठ दिन जीजू घर से बाहर…वाह ! और घर पर सिर्फ़ हम तुम ।”

” क्या हम तुम ?”

” हम तुम एक कमरे में बंद हो और चाबी खो जाय ” – मैंने बाॅबी मूवी का गाना गाया ।

” बड़ा शौक है ना ! और तुम्हारे साथ मैं क्यों कमरे में बंद हुंगी , आन्टी है ना… उनके साथ रहुंगी ।”

” आंटी भी मंगलवार से चार धाम के यात्रा पर जा रही है । समझी ! एक हफ्ते तक…अब मैं ही तुम्हें बजाऊंगा… मुझे तो सोच सोच के न जाने क्या क्या हो रहा है ।”

” बड़ा आया बजाने वाला । मैं मम्मी को बुला लुंगी ।”

” चाची को बुला लोगी तो चाचा और राहुल का देखभाल कौन करेगा ? तुम करोगी ?…चाचा का मुड तो वैसे ही हर समय दुर्योधन के गुस्से जैसा रहता है… इधर तुमने चाची को अपने घर बुलाया उधर तात श्री रासन पानी लेकर चाची के पीछे पीछे तुम्हारे घर में ।”

” मैं उर्वशी को बुला लुंगी… वैसे भी संजय जी भी कहीं बाहर गए हैं तो वो पक्का आ जायेगी ।”

” वाह वाह ! दो फुल एक माली….मजा आ जायेगा ।”

” हमें फुल समझने की गलती मत करना बेटा…गन्ने की तरह चुस डालेंगे ।”

” मैं तो कब से तैयार बैठा हूं मम्मी कि कोई मुझे गन्ने की तरह चुस डाले । तुम पहले यहां आओ तो जानेमन ।”

” आ रही हूं बेटा… थोड़ा सब्र कर…. बस दो ही दिन की तो बात है ।”

” मैं तो बस सब्र ही किए जा रहा हूं कि कब आवोगी और मैं तुम्हें कब आगे पीछे दोनों साइड से बजाऊं ।”

” खबरदार जो दोनों साइड के बारे में सोचा… पीछे के बारे में भुल कर भी मत सोचना ।”

” पीछे के बारे में क्या बुराई है ?…. आजकल सारी लड़कियां करवाती है ।”

” मुझे औरों के बारे में नहीं सोचना… मैं सिर्फ अपने बारे में कह रही हूं…. मुझे तो सोचकर ही कंपकंपी छूट जाती है ।”

” अरे कुछ नहीं होता… लड़कियो को लड़कों से भी ज्यादा मजा आता है । ब्लू फिल्म में नहीं देखी है ?”

” मुझे बेवकूफ मत बनाओ… मुझे सब पता है । बाप रे ! वो इतना छोटा और तुम्हारा इतना बड़ा…. जायेगा ही नहीं , अगर भुले भटके चला भी गया तो वो मेरी जिंदगी का अन्तिम दिन ही हो जायेगा… असम्भव…नो…नेभर ।”

” बेकार में टेंशन ले रही हो… कुछ नहीं होता… हां , पहली बार थोड़ा सा दर्द होगा और वो तो आगे वाली सील भी टुटने से होता है । इसमें भी सेम वैसा ही होगा । और एक बार ले लिया न तो खुद ही कुद कुद कर कहोगी कि मेरे पीछे ढुकाओ ।”

” मैं ऐसा कभी नहीं कहने वाली हूं । और तुम भी कोई जबरदस्ती नहीं करोगे ।”

” जैसी आप की इच्छा स्वीट हार्ट । वैसे पीछे करवाना स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक होता है ।”

” अच्छा ! भला वो कैसे ?”

” जिन्दगी में कभी पाइल्स की बिमारी नहीं होगी ।”

” फिर कोई उल जलूल तर्क देगा । फिर भी बता कैसे पाइल्स नहीं होगी ?”

” पाइल्स में जानती हो न कि क्या होता है ?”

” हां , जानती हूं ।”

” क्या होता है ?”

” वो लैट्रिन के रास्ते में घाव हो जाता है और वहां से खून निकलने लगता है ।”

” ठीक कहा लेकिन लैट्रिन के रास्ते में घाव क्यों हो जाता है ?”

” मुझे क्या पता । तु ही बता ?”

” हम जब लैट्रिन करते हैं तब ना हमारे मलद्वार से कभी मल पतला निकलता है तो कभी मोटा तो कभी सही तरीके से … जानती हो न..।”

” छी…छी… मुझे नहीं सुनना तेरी ये गन्दी बातें ।”

” अरे भाई सुन तो पहले… फिर बाद में गन्दी अच्छी करते रहना ।”

” बक ।”

” पतला और मोटा मल निकलना पेट की बिमारी के कारण होता है ।”

” वो सभी को पता है । तु पाइल्स के बारे में बता ?”

” जब लैट्रिन होते वक्त मल मोटे मोटे हार्ड रूप में निकलने लगता है तो उससे गुदा छिद्र छील जाता है । और यही यदि अक्सर होने लगे तो वो जगह छिलते छिलते घाव का रूप अख्तियार कर लेता है । और इसी घाव के कारण वहां से खून का रिसाव होने लगता है । और यही पाइल्स कहलाता है । ये बिमारी यदि ज्यादा बदतर पोजीशन में चला जाय तो कैंसर भी बन जाता है ।”

” तो पीछे वाले हिस्से में करने से इस बिमारी का क्या मतलब ?”

” पीछे करने से गांड़ का छोटा छेद बड़ा हो जाता है और छेद बड़ा होने से मल कितना भी मोटा क्यों न हो फ्रिक्वैटंली बड़े आराम से बाहर निकल जाता है । और जब मल बिना विध्न वाधा के बाहर निकल जाए तो थोड़ी न मल छिद्र में कोई खिंचाव आयेगा या कोई जख्म बनेगा । और जब जख्म नहीं होगा तो पाइल्स भी नहीं होगा ।”

” ये सब डाक्टर ने बताया ?”

” नहीं । ये मेरी थियुरी है ।

” कमीने , कुत्ता , बदमाश…….”- वो गरम हो कर बोली ।

” शान्त बालिके… शान्त ” – मैंने हंसते हुए कहा ।

” कितना गन्दा थियुरी है ।”

” अच्छा यदि तुम्हें विश्वास नहीं है तो किसी डॉक्टर से पुछ लो… वैसे एक डाक्टर है मेरी नजर में… डॉ. चुतिया । बहुत ही काबिल डाक्टर है । उनके सैकड़ों किताबें भी मार्केट में उपलब्ध है ।”

( साॅरी डॉ साहब ये मैंने आपसे बिना इजाजत लिए लिख दिया )

” जरूरत नहीं है मुझे किसी डॉक्टर वाक्टर से पूछने की । और यदि ऐसा ही है तो तु खुद ही क्यों नहीं मरवा लेता ? तुझे कभी बवासीर नहीं होगा ।”

” तुम यदि लड़का होती तो मरवा भी लेता ।”

” कोई बात नहीं , वहां आने के बाद तेरी ये इच्छा मैं फिर भी पुरी कर दुंगी ”

” तुम अपनी इच्छा पूरी करना और मैं अपनी इच्छा पुरी करूंगा ।”

” नो वे ।”

” तेरा पीछा ना छोडूंगा सोनिये , भेज दे चाहे जेल में…”

” ये क्या है ?”

” गाना है और क्या है ।”

” सुन , मैं फोन रखती हूं , शायद वो आ गए हैं ।”

” ओके । बाॅय एंड स्वीट ड्रीम्स ।”

” सेम टू यू ।”

उन्होंने फोन काट दिया ।

फिर कुछ खास नहीं हुआ । डिनर के पश्चात सभी अपने अपने कमरे में चले गए । मैं भी अपने कमरे में चला गया । सुबह जल्दी ही निकलना था इसलिए सोने की कोशिश करने लगा ।

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