You dont have javascript enabled! Please enable it! Sagar - An Erotic Incest Story - Update 15 - KamKatha
Sagar - An Erotic Incest Story

Sagar – An Erotic Incest Story – Update 15

Update 15.

जब मैं थाने पहुंचा तब मालूम हुआ कि इंस्पेक्टर कोठारी थोड़ी देर पहले किसी दूसरे केस के सिलसिले में बाहर गया हुआ है और मुझे थाने में ही बैठकर उसका इन्तज़ार करने को कहा है । मैं वहीं कुढ़ता , मन मसोसता उसके कक्ष में उसका इन्तज़ार करने लगा । करीब आधे घंटे बाद वो आया । उसके चेहरे पर थकान की भाव थी । उसकी बातों से पता चला कि उसके कुलभूषण खन्ना के घर के विजिट के दौरान दोनों मियां बीवी अपने घर पर ही मिले । पुछताछ के दौरान अनुष्का ने वारदात वाले दिन जीजू के घर मौजूद होने की बात स्वीकार करी । लेकिन उसने अजय के कत्ल में खुद पर लगे इल्जाम का पुरजोर विरोध किया । उसके जीजू के घर मौजूद होने की वजह जीजू के साथ दोस्ती बताई । कुलभूषण खन्ना ने तो इस पुरे केस से अपनी अनभिज्ञता जाहिर की । वो साफ मुकर गया कि वो किसी अजय या किसी राजीव सोलंकी नाम के शख्स को जानता भी है । हालांकि कत्ल के वक्त वो घर में ही था , इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं पेश कर सका । और सबसे सनसनीखेज खबर ये थी कि उनके पास से एक ३६ केलिवर रिवाल्वर का पाया जाना जो लाइसेंसी थी । रिवाल्वर के खाने में से तीन गोलियां कम थी जिसके बारे में उसने बताया कि शुटिंग प्रेक्टिस के दौरान कहीं गायब हो गई ।

इंस्पेक्टर मेरे उपर काफी भड़का था कि समय रहते मैंने उनके बारे में खबर नहीं की । अगर मैंने समय रहते खबर किया होता और यदि उस रिवाल्वर से गोली चली होती तो रिवाल्वर के अंदर पाये गये बारूद के कण और उसके गन्ध से और अजय के शरीर में धंसे हुए गोली से उसका जांच कराया जा सकता था । मैंने शर्मिंदगी से अपनी गलती कबूल की । मेरे को लास्ट में यह वार्निंग देकर जाने दिया कि अगर मुझे इस केस से सम्बंधित कोई भी जानकारी मिले तो तुरंत उसे ख़बर करे ।

मैं वहां से दिल्ली पैराडाइज क्लब की ओर रवाना हो गया क्योंकि समय भी वहां पहुंचने का हो गया था ।

वहां पहुंचने पर मालूम हुआ कि १ मई होने के कारण आज क्लब बंद है । लेकिन आफिस खुला था । मैं आफिस गया वहां कुलभूषण खन्ना हमेशा की तरह अपने आरामदायक कुर्सी पर बैठा कोई फाइल चेक कर रहा था । मुझे देखते ही उसने अन्दर बुलाया । मैं उसके सामने एक कुर्सी पर बैठ गया ।

” तो आखिर में तुमने पुलिस के सामने अपना मुंह खोल ही दिया ।” – उसने अपने कान की लौ को सहलाते हुए कहा ।

मैं चुपचाप बैठा रहा ।

” क्यों किया ऐसा । मैंने तुम्हें पहले भी कहा था कि मैं अनुष्का से कितना मोहब्बत करता हूं । उसके साथ कुछ बुरा हो ये मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता । मैंने तुम्हें यहां नौकरी दी , तुम्हें इज्जत दी तो बदले में तुमने इस तरह मेरा शुक्रगुजार अदा किया ।” – वो अपने कान की लौ को जोर जोर से खिंचते हुए कठोर स्वर में बोला ।

मैं चुपचाप बैठा रहा ।

” मुझे तुमसे ऐसी आशा नहीं थी । मैं तुम्हें एक अक्लमंद युवक समझता था लेकिन तुम…।”

” खन्ना साहब , मैंने वही किया जो एक आम नागरिक का अपने देश के साथ…. देश के कानून के साथ फर्ज होता है । मैंने वही किया जो एक दोस्त का एक दोस्त के प्रति वफादारी और विश्वास का होता है । और मैं आपसे वादा करता हूं कि ये तब तक करता रहूंगा जब तक मेरे दोस्त के हत्यारे को कानून के गिरफ्त में..कानून के शिकंजे में न ला दूं । और हत्यारा आप की पत्नी क्या अगर मेरा बाप भी होगा तो भी करता रहूंगा ।” – मैंने भी कठोर और स्पष्ट स्वर में कहा ।

वो अपनी छोटी छोटी आंखों से मुझे एक टक देखता रहा ।

मैंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा -” क्या आप नहीं चाहते कि क़ातिल को उसके किए की सजा मिले…क्या आपको अपने देश के विधि विधान से मतलब नहीं है….भगवान न करे लेकिन यदि आपकी पत्नी अगर क़ातिल निकले तो आपको उसके पहलू में सोने से डर नहीं लगेगा… आप सारी जिंदगी एक क़ातिल के साथ गुजारना पसंद करेंगे । और यही बात आप पर भी लागू होता है । मैं भी कोई पाक पवित्र आदमी नहीं हूं… मैंने भी समाज के नियमों के खिलाफ व्यवहार किया है लेकिन किसी की जान लेना मेरे उसूल के खिलाफ है । यदि कोई गुनाहगार है तो सजा देना परवरदिगार का काम है या फिर कानून का ।”

वो अपने चेयर पर बैठे बैठे कसमसाने लगा । कुछ देर तक चुप रहा फिर अपेक्षाकृत मध्यम स्वर मेंबोला – ” लेकिन पुलिस का शक तो मुझ पर भी है ।”

” आपने खुन किया है ?

” नहीं । मैंने आज तक एक मक्खी भी नहीं मारी ।”

” तब आपको चिंता करने की क्या जरूरत है । ”

” लेकिन अनुष्का..?”

” आप उनके हसबैंड है.. उनके बारे में आप अन्य बाकी लोगों से ज्यादा बेहतर जानते होंगे.. क्या आप को लगता है कि उन्होंने खून किया हो सकता है ।”

” मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है । मैं उसके बारे में नहीं कह सकता ।”

” आप निश्चित रहिए… अगर वो निर्दोष है तो उन्हें कुछ नहीं होगा । और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अभी तक अमर का न तो आपसे और न ही आपकी पत्नी से कोई रिश्ता साबित हुआ है । ”

वो अब पहले से ज्यादा शान्त लग रहा था । उसने अपने स्टाफ को चाय लाने का आर्डर दिया ।

” खन्ना साहब , अभी थोड़ी देर पहले आप ने कहा कि आपने मुझे यहां नौकरी देकर मुझ पर अहसान किया है । मुझे इज्जत बख्श की है । इसके लिए आपको मैं एक बार से शुक्रिया कहता हूं लेकिन आप बुरा न मानें ये नौकरी मैं पार्ट टाइम कर रहा हूं….और वो भी किसी सिफारिश पर नहीं बल्कि मेरी काबिलियत के बल पर मिली है… जितनी आमद यहां होती है उन से मेरी गृहस्थी नहीं चल सकती..हो सकता है कि अगले छः महीने के अंदर मेरी इंजीनियरिंग की पढ़ाई काम आ जाए और फिर मैं यहां न होऊं… और जहां तक इज्जत की बात है तो इज्जत फोकट में नहीं मिलती है बल्कि कमाइ जाती है… और इसका सबूत मेरे क्लास के यंग लड़के लड़कियां देंगे जिनसे मेरे बारे में आपने काफी छानबीन की है ।

वो हक्का बक्का मुझे देखता रहा । उसने कुर्सी से उठने की कोशिश की तो अपने मोटे विशाल कमर के कारण कुर्सी कमर से फंसाए खड़ा हो गया । उसने हाथों से कुर्सी को झटक कर अपने कमर से निकाला ।

” नहीं नहीं भई..मेरा इरादा तुम्हरा अपमान करने का नहीं था । आज घर में पुलिस आने के कारण मैं थोड़ा असहज महसूस कर रहा था । यदि मेरी बातों से तुम्हें दुःख पहुंचा हो तो मुझे क्षमा करना ।” – वो बनावटी हंसी करते हुए बोला ।

तभी स्टाफ चाय ले आया । उसके जाने के बाद हम चाय पीने लगे । चाय पीने के बाद मैंने अपना फेवरेट क्लासिक निकाल कर उसे दिया तो उसने सहर्श एक सिगरेट निकाल लिया । मैंने भी अपनी सिगरेट सुलगाई ।

” आज पहली मई के कारण यहां छुट्टी है इसलिए कोई भी नहीं आया है लेकिन मुझे कुछ अर्जेंट काम के लिए आना पड़ा । लेकिन तुम आज क्यों आ गये ?” – वो वापस कुर्सी पर बैठ गया ।

” मुझे नहीं मालूम था कि आज छूट्टी है ” – मैं कुर्सी से उठता हुआ बोला -“अच्छा खन्ना साहब अब मुझे इजाजत दीजिए ।”

” सुनो , तुम्हारी सेलरी बैंक एकाउंट में भेज दी गई है । चेक कर लेना ।”

” लेकिन अभी तो मेरा महिना पुरा नही हुआ है ।” – मैं आश्चर्य करता हुआ बोला ।

” यहां सभी की सेलरी महिने की पहली तारीख को दे दी जाती है । और तुम्हारी ज्वाइनिंग पहली तारीख से ही शुरू कर दी गई है ।”

” शुक्रिया खन्ना साहब ।”

मैंने उसको नमस्कार किया और वहां से निकल गया । घर जाते समय याद आया कि मैंने माॅम को नाइटी लाने के लिए बोला था तो मैं ए.टी.एम. जा कर पैसा उठाया फिर माॅल चला गया और उनके लिए दो सुती के फुल एड़ियों तक आने वाली नाइटी खरीद लिया । फिर कुछ सोचकर श्वेता दी के लिए भी दो नाइटी खरीद लिया । मगर श्वेता दी वाली नाइटी काफी हाॅट थी । एक तो घुटने तक की थी जो सेमी ट्रांसपेरेंट थी और दूसरी बेबीडॉल नाइटी थी जो जांघ तक ही आती थी और काफी ज्यादा ट्रांसपेरेंट थी । इसकी स्ट्रीप बहुत पतली थी । यदि कोई युवती इसे पहन ले तो उसकी अस्सी प्रतिशत छाती न्यूड हो जानी थी और जांघों से नीचे का हिस्सा न्यूड था ही ।

मैं वहां से घर निकल ही रहा था कि रीतु का फोन आया । उसने बताया संजय जी उर्वशी और अपनी बहन मधुमिता के साथ घर आए हुए हैं । मैं हैरान हुआ न कोई फोन न कोई मैसेज… मैंने एक होटल से कुछ मिठाई , समोसा , भुजिया और कोल्ड ड्रिंक लिया फिर घर की ओर निकल गया ।

शाम के सात बजे थे जब मैं घर पहुंचा । सभी लोग हाॅल में ही बैठे मिले । बड़े वाले सोफे पर डैड , संजय जी और मधुमिता बैठे हुए थे जबकि उर्वशी दी और माॅम सिंगल सोफे पर बैठे हुए थे । रीतु एक अलग कुर्सी पर बैठी थी । मैंने होटल से लाई हुई सारी चीजें माॅम को दे दी । माॅम उसे लेकर किचन चली गई । फिर मैंने संजय जी को प्रणाम किया तो वो सोफे से उठ कर मुझ से गले मिले । फिर मैंने उर्वशी और मधुमिता को हग किया और दो मिनट में आने को बोलकर अपने रूम में चला गया । वहां मैंने खरीदी हुई नाइटी मेरे बिस्तर के बगल में रखी कुर्सी पर रख दी फिर हाथ मुंह धोकर निचे हाॅल चला आया ।

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top