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मां के हाथ के छाले - Seductive Incest Sex story

मां के हाथ के छाले – Update 4 | Incest Sex Story

मां के हाथ के छाले
Part: 4

मैं: ब्रा उतार के क्यूं मां?
मां : अरे पूरा वो दोनो कैद रहते हैं उनमें और रात को आराम भी तो देना होता है ना उन्हें, इसलिए नहीं डालते
मैं: किसे मां?, क्या कैद रहते हैं , किन्हें आराम देना होता है?
मां : अरे समझा कर ना बेटा इतना तो
मैं: अरे बताओ भी मां
मां अपने बूब्स की ओर इशारा करते हुए : मेरे ये
मैं: ओ अच्छा अच्छा
मां : हां, बुद्धू कहीं के
फिर मां मेरी तरफ घूम गई और बोली : अब ये नाइटी पीछे से ऊपर उठा और ब्रा का हुक खोल
मैंने जैसे ही मां की नाइटी उठाई , उनका बुरा पीछे से नंगा बदन फिर से देखकर मेरा लोड़ा झटके मारने लगा, फिर एकदम मां बोली : हां, अब हुक खोल दे ये
मैंने आजतक कभी किसी ब्रा का हुक नहीं खोला था, ये मेरा पहली बार था, थोड़ा इधर उधर देख कर जैसे तैसे करके मैनें उनका हुक खोला के मां हल्का सा पीछे हुई और उनकी गांड़ पहली बार मेरे लोड़े से हल्की सी लगी जिसे महसूस करके मैं चोक गया, फिर एकदम से मां आगे हुई और बोली : हां, खुल गया है, अब ये आगे से ब्रा पकड़ के नीचे खींच धीरे धीरे
मैनें वैसा ही किया और लाल रंग की गद्देदार ब्रा अब मेरे हाथों में थी , मेरा मन तो किया के एक बार इसकी खुश्बू ली जाए, पर मैं ऐसा कर ना पाया। फिर मस्ती करते हुए मैं बोला : मां, ये पैंटी भी उतार कर सोती हैं क्या औरतें?
इसपर मां हंसने लगी और बोली : वो तो उनकी मर्जी होती है।
मैनें तुरंत पूछा : और आप मां, आप डाल कर सोते हो या उतार कर?
मां : वैसे तो मैं उतार कर ही सोती हूं पर अब लगता है 3-4 दिन ऐसे डाल कर ही सोना पड़ेगा।
मैं: क्यूं मां?
मां : अरे मैनें तुझे दिन में बताया था ना के वो बाल हों तो डालनी पड़ती है तो इसलिए नहीं तो खुजली होती रहती है, और अब मेरे हाथ पर छाले हैं जिस कारण मैं खुजला भी नहीं सकती अगर उतार कर भी सोऊं तो.
मैं: मां, अब दुपहर में ही तो आपने कहा था के ये मेरे हाथ अब थोड़े दिनों के लिए आपके हुए, और अगर आपको उतार का अच्छी नींद आती है तो वैसे ही सो जाओ, मैं खुजला दूंगा अगर जरूरत पड़ी तो।
मां हंसने लगी और बोली : चुप बदमाश कहीं के, नहीं मैं डालकर ही सोने की कोशिश कर लूंगी, तेरे हाथों को ज्यादा तकलीफ नहीं देना चाहती मैं
मैं: इसमें तकलीफ कैसी मां
मां : नहीं नहीं , मैं सो जाऊंगी ऐसे ही
मैं: ठीक है जैसी आपकी मर्जी
मां : अच्छा सुन, आज रात तु मेरे साथ ही मेरे कमरे में सोजा ना, अगर रात में मुझे पेशाब लगी या कुछ और जरुरत पड़ी तो कहां तेरे कमरे पे आवाजे लगाती फिरूंगी
मैं ये सुनकर खुश हो गया मन ही मन और बोली : हां जरूर मां
फिर मैं अपने कमरे में गया और एक लोवर और टी शर्ट डालकर मां के कमरे में आया और मां बेड के एक साइड लेती हुई थी और कुछ सोच रही थी, मैं भी बैड के दूसरी तरफ आकार लेता और पूछा : क्या सोच रही हो मां?
मां : कुछ नहीं बेटा बस यूंही
मैं: बताओ ना
मां : बस तेरे बारे में सोच रही थी के, आज तूने मेरा कितना ख्याल रखा।
मैं: अरे ये तो मेरा फर्ज था मां
इसपर मां मेरे थोड़ा नजदीक आई और मेरे माथे पर एक किस किया और बोली : थैंक्यू बेटा सब के लिए
मैं: अरे आप भी ना मां, कुछ भी काम हो तो बेजीझक बोल देना, शरमाना नहीं। आपकी सेवा करना तो मेरा फर्ज है।
मां : ठीक है बेटा बता दूंगी।
फिर हम लाइट ऑफ करके सोने लगे, मेरी आखों में तो नींद थी ही नहीं, लगभग आधे घंटे बाद इधर उधर करवटें बदलते बदलते मां की आवाज आई : सोनू, बेटा सो गया है क्या?
मैं: नहीं मां, क्या हुआ?
मां : बेटा मैं ऐसे सो नहीं पा रही
मैं: क्या हुआ मां कुछ प्रोब्लम है क्या?
मां : वो तु सही कह रहा था के मुझे बगैर पैंटी के ही सोना चाहिए था, आदत ऐसी ही बनी हुई है ना, इसलिए शायद नींद नहीं आ रही, क्या तु मेरी पैंटी उतार देगा, प्लीज
मैं ये सुनकर मुस्कुराया और बोला : ठीक है मां, अभी उतार देता हूं
मैनें कमरे की लाइट ऑन की, फिर मां ने सीधा लेटे हुए अपनी टांग थोड़ा सा ऊपर उठाई और बोली : बेटा ले उतार तो सही धीरे से खींच के
मैनें जैसे ही उनकी टांगों के सामने बैठ के दोनों हाथों से पैंटी को पकड़ा के मां की टांगे नीचे आ गई,उनका शरीर एक मिल्फ की तरह ही था , वो मोटी मोटी गांड़ और भारी टांगे,शायद यही कारण था के वो हवा में अपनी टांगों को रख ना पाई और बोली : सॉरी बेटा , वो टांगे थोडी भारी है ना , मुझसे हवा में इन्हे कुछ सेकंड्स भी रोका ही नहीं गया, सॉरी
मैं: अरे कोई बात नहीं मां,
मैनें मोके का फायदा उठा के फिर बोला : अच्छा एक काम करो या तो आप बैड पर खड़े हो जाओ मैं फिर उतार दूंगा या फिर मैं ये टांगे पहले उठा कर अपने कंधो पर रखता हु फिर दोनों हाथों से पैंटी सरका लूंगा, बताओ आप
मां हल्का सा मुस्कुराई और बोली : बेटा अब बैड से उठने का मन तो नहीं है तु वो दूसरा तरीका ही कर ले
मैं भी एक हल्की सी मुस्कान देकर बोला : ठीक है मां
ये बोलकर मैनें उनकी मेरे घुटनों पर गिरी टांगे हल्के हल्के से उठा के अपने कंधों पर रखी और फिर प्यार से उनकी नाइटी को दोनों साइड से ऊपर सरकाया और दोनों हाथों से पैंटी को पकड़ कर नीचे करने लगा के पैंटी उनकी भारी मोटी गांड़ में फसी हुई थी
मैं बोला : मां, थोड़ा सा ऊपर उठाओ ना
मां अनजान बनते हुए : क्या बेटा?
मैं: अरे ये आपके
मां : क्या?
मैं अचानक बोल पड़ा : आपकी गांड़ मां
ये सुनकर मां हंसने लगी और बोली : चुप बदमाश, कहां से सीखा है ये सब शब्द तु, बहुत बिगड़ गया है
मैं भी हंसने लगा और फिर बोला : अरे उठाओ भी अब हल्का सा
मां : अच्छा बच्चू, अब मां का हल्का सा वजन उठाने की भी ताकत नहीं है क्या तुझमें?
मैं: ऐसा नहीं है मां
मां : फिर बोल क्यूं रहा है, खुद ही उठा कर सरका ले ना पैंटी
मैनें ये सुनते ही बिना कुछ सोचे अपने को थोड़ा सा उनके और पास सरकाया और अपने हाथ उनकी गांड़ के नीचे डालकर ऊपर की ओर उठाया के मां सिसक उठी : आह, धीरे कर पागल, कमर मोड़ के तोड़ ही देगा क्या आज मेरी
मैं (हल्का सा हंसते हुए) : अरे सॉरी सॉरी मां
मैनें फिर उनकी पेंटी सरकाई और जैसे ही पैंटी ऊपर की उनके जहां उनके पैर मेरे कंधो पर पड़े थे, उसकी एक भीनी सी खुश्बू मुझे आई, जिसमे मां के पेशाब की खुश्बू भी शामिल थी, क्या नजारा था वो मानों मैं उन्हे चोदने की पोजिशन में ला रहा होऊं।
तभी मां बोली : हो गया सोनू बेटा, थैंक्यू।
अगर मुझे मां की उस वक्त कोई आवाज ना आती तो शायद उसी दिन मैं होश खो बैठ ता और उन्हें चोद बैठता । फिर मैनें खुद को वहां से हटाया और पेंटी पकड़ कर बोला : इसे कहां रखूं मां
मां बोली : ये बाहर गंदे कपड़े पड़े हैं उनमें रख दे
मैं उठ कर बाहर गया और पैंटी को सुनने लगा, उसे सूंघते ही मैं मदहोश हो गया और मेरा लोड़ा एकदम टाइट होकर लोवर में से झटके मारने लगा। मैनें एकदम पैंटी अपने लोड़े से लगाई और हल्का सा रगड़ कर , अपनी मां होने का खयाल कर उसे कपड़ों में रख कर अंदर कमरे में चला गया।

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