मां के हाथ के छाले
Part : 3
मां मेरे पीछे पीछे वैसे ही आई और : अरे पागल, मजाक मत कर ना, मेरे बाल ज्यादा हो रखे हैं बेटा वहां पर, बिना उसके डाले फिर खुजली सी होती रहती है
मैं: तो फिर बाल काटते क्यूं नही आप?
मां : बेटा, बाल तो हर 2 हफ्ते बाद साफ करती हूं और इस बार भी कल के रविवार का सोचा था के काट लूंगी और अब ये सब हो गया के रह ही गए।
मैं: मां फिर इसका मतलब जब तुम बाल काटती हो , उसके बाद बिना पैंटी के रहती हो?
मां : चुप बदमाश कहीं का
मैं: बताओ ना मां प्लीज
मां : अम्म हां, काटने के बाद 3-4 दिन तक तो जरूरत नहीं पड़ती उसे पहनने की पर फिर…
मैं: फिर क्या मां?
मां : अरे मेरे बुद्धू , फिर दोबारा से बड़े होने लग जाते हैं ना वो
मैं: अच्छा, मां क्या ये मर्द लोग भी काटते हैं नीचे के बाल?
मां इसपर हंसने लगी और बोली : हां, सभी काटते हैं
मैं: मैनें तो नहीं काटे मां कभी भी
मां : हां, तेरी गर्लफ्रेंड नहीं है ना, इसलिए तुझे कभी जरूरत ही नहीं पड़ी शायद।
मैं सब समझ कर भी अनजान बनता रहा और इस सिचुएशन का मजा लेता रहा बातों से ही, मुझे लगा नहीं था के ये इस से भी आगे जाएगा पर मैं शायद गलत था।
मैं अनजान बनकर पूछा : क्या मतलब मां?
मां (हंसते हुए बोली) : कुछ नहीं मेरे बुद्धू बेटे, चल अब बाते छोड़ और मेरी ये पैंटी ऊपर कर
मैं सोफे पर जा बैठा था और मां मेरे सामने आई , खड़ी होकर बोली : कर भी दे अब, ओ बुद्धू
मैं: करता हूं मां
इधर सामने टीवी चल रहा था और मां पहले तो मेरी तरफ मुंह करके खड़ी थी पर जैसे ही टीवी पर चलते गाने की आवाज आई वो उसे देखने के लिए थोड़ी सी घूमी और मेरी तरफ अपनी गांड़ करके खड़ी हो गई ,
इधर मेरा पूरा ध्यान बस मां पर ही था, अपनी आखों के इतने पास उनकी गांड़ देख कर मन तो किया की बस खा जाऊं, पर मैंने खुदपर काबू किया और उनकी पजामी को थोड़ा सा नीचे सरकाया और ये क्या इतनी गोरी गांड़ देख के तो जी ललचा सा ही गया, फिर जैसे ही मैं नीचे उनकी पैंटी ऊपर करने के लिए झुका तो मां अचानक से ही थोड़ा पीछे हो गई और मेरा मुंह ऊपर आते वक्त उनकी गांड़ की दरार से होते हुए आया, वाह क्या पल था वो, वो गांड़ की एक भीनी सी खुश्बू सूंघ कर तो मानों नशा सा सवार हो जाए किसी पर भी, फिर मैनें ज्यादा ना सोचते हुए उनकी पैंटी ऊपर की और फिर पजामी भी, ऐसा करने के दौरान मां खड़ी रही और टीवी पर नजर गड़ाए बस गाना गुनगुनाती रही।
मैं बोला : हो गया मां।
मां बोली : थैंक्यू मेरे बुद्धू।
और फिर सोफे पर मेरे साथ आकर बैठ गई और टीवी देखने लगी। फिर यूंही बातों में और टीवी देखने में समय बीत गया और दोपहर हो गई। मुझे भूख लगी तो मैंने मां से भी पूछा : मां आपको भूख लगी है क्या?
मां : हां, बेटा लगी तो है, जा जाकर कुछ ले आ बाजार से।
मैं: हां मां, बताओ क्या खाओगी आप
मां सोचने लगी और बोली : बेटा मेरा आज रोटी खाने का दिल नहीं कर रहा, तु पिज्जा ऑर्डर करदे ना।
मैनें दो पिज्जा और एक कोल्डड्रिंक ऑर्डर की। तकरीबन आधे घंटे बाद पिज्जा आया। हम दोनो की भूख तब तक इतनी बढ़ चुकी थी। मैनें पिज्जा और कोल्ड ड्रिंक सोफे के सामने पड़े मेज पर रखे और खुद सोफे पर जाकर बैठ गया। मां को पता था के उन्हें खिलाना तो मुझे ही पड़ेगा, इसलिए वो सिंगल वाले सोफे से उठकर मेरे पास बड़े वाले सोफे पर आकर बैठ गई और देखने लगी। मैनें बॉक्स खोला और उस पर चिल्ली फ्लेक्स और ओरेगेनो डालकर खाने के लिए एक पीस उठाया ही था के मां ने अपना मुंह खोल लिया, मुझे मस्ती सूझे रही थी , मैंने फटाक से उसका बाइट लिया और मां को देखकर हंसने लगा।
मां बोली : अच्छा बच्चू, मां से मस्ती। कोई बात नहीं ठीक हो जाने दे मेरे हाथ फिर बताती हूं तुझे।
मैं हंसते हंसते उसका दूसरा बाइट मां के मुंह की तरफ लेकर गया और उन्हें खिलाया , फिर एक एक घुट करके हमने कोल्ड ड्रिंक भी खत्म कर दी और पिज्जा भी। फिर मां पीछे सोफे पर कमर लगा कर बोली : वाह बेटा, मजा आ गया आज तो पिज्जा खा कर वो भी तेरे हाथों से। थोड़ी देर बाद मां अपने कमरे में चली गई ये कहके के मैं अब थोड़ी देर आराम करने जा रहीं हूं, कुछ काम होगा तो तुझे बुला लूंगी। मैनें भी हां में सर हिलाया
फिर शाम तक हमने आराम किया और मां ने फिर मुझे अपने कमरे से आवाज लगाई : सोनू बेटा, इधर तो आ जरा, मेरी मदद कर दे।
मैं: आया मां।
मां : बेटा मुझे सुसु आई है
मैं: चलो मां
मां : अच्छा सुन, सुबह की तरह मस्ती मत करना अब, ठीक है ना?
मैं: हां मां, नहीं करूंगा।
फिर मां बाथरूम में घुसी और मैनें सुबह की तरह ही उनकी पहले पजामी उतारी और फिर उनकी पैंटी और उनकी वो पेशाब की आवाज मेरे कानों में पड़ने लगी। पेशाब करने के बाद वही उनकी पैंटी ऊपर की फिर पजामी। फिर इधर उधर की बाते हुई, मैं रात में बाहर से खाना लाया, खाना खाकर मैंने उन्हें दवा दी और ट्यूब उनके जख्मों पर लगाने के लिए निकाली तो मां बोली : रुक बेटा , मुझे पहले चेंज करना है, फिर ये लगा देना।
मैं: ठीक है मां।
मां : वो सामने अलमारी तो खोल मेरी
मैनें अलमारी खोलकर पूछा : हां , बताओ क्या डालोगी
मां : वो नाइटी निकाल ले बेटा , वो ढीली है ना तो उसमे सही नींद आती है मुझे
मैं: ठीक है मां।
मां : पहना तो दे बेटा मुझे, मैं खुद केसे पहनूंगी।
मैं: पर मैं केसे मां?
मां : अरे शर्माता क्यूं है, क्या बचपन में मैं तुझे खुद कपड़े नहीं पहनाती थी क्या,, तो आज तू मुझे पहना दे, बस सिंपल।
मैं: पर मां।
मां : अच्छा ठीक है, मैं दूसरी तरफ घूम जाऊंगी , तु फिर पहना देना, अब ठीक
मैनें हां में सर हिलाया और मां घूम कर मेरे सामने खड़ी हो गई। पहले मैंने उनकी कमीज उतारी और फिर उनकी पजामी नीचे तो सरक गई पर जैसे ही उनके पैरों से निकालने लगा तो वो वहां अटक गई और मां अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में , अपनी पजामी को पैरों में फसाकर मेरे सामने खड़ी थी, आज पहली दफा था के मेरे लोड़े में हलचल हुई ये सब देख कर। मां घूमी और बोली : अरे बेटा, सॉरी वो मैं बताना ही भूल गई, ये पजामी ना नीचे से टाइट होती है और किसी पॉलीथीन वगेरा की मदद से आसानी से निकल जाती है,और ये बिना उसके निकाली ना तो अटक गई।
मैं: अब फिर केसे करें मां?
मां : रुक, जा किचन से एक पॉलीथीन लेकर आ।
मैं किचन में गया और पॉलीथीन लेकर आया और पूछा : अब?
मां बैड पर बैठ गई और बोली : पहले पजामी को ऊपर कर फिर पैरों पर पॉलीथीन डालकर धीरे धीरे पजामी को सरका नीचे।
मैंने ठीक ऐसा ही किया और पजामी तो बाहर आ गई और साथ ही मेरा लोड़ा भी ये सब देख कर बाहर आने को उतावला हो गया। फिर मां को मैंने हड़बड़ी में नाइटी डाली ही थी के वो बोली : अरे बुद्धू कहीं के, ब्रा उतारना तो रह ही गया
मैं: क्या?
मां : अरे तुझे नहीं पता क्या, औरतें बिना ब्रा के सोती है, मेरा बेटा इतना बुद्धू है के उसे हर बात बतानी पड़ती है
