You dont have javascript enabled! Please enable it! मां के हाथ के छाले – Update 21 | Incest Sex Story - KamKatha
मां के हाथ के छाले - Seductive Incest Sex story

मां के हाथ के छाले – Update 21 | Incest Sex Story

फिर मां के जाते ही मैं जैसे होश में आया और अंडरवियर और लोवर डाल कर सोचने लगा। फिर एक डायरी और पैन उठाया और उसपर कुछ लिख कर काफी देर फिर सोच में डूबा रहा और फिर सो गया।
सुबह कानों में मां की आवाज पड़ी : उठ जा सोनू बेटा, टाइम तो देख, सोता ही रहेगा क्या अब पूरा दिन..
मैंने हल्की सी आंख खोली और मां को सामने देख फिर धीरे धीरे आंखे खोली और बोला : क्या हुआ मां, सोने दो ना, 6 बजे चलेंगे स्कूटी सीखने।
मां : हां क्यूं नहीं बेटा, जरा टाइम तो देख घड़ी में।
मैनें टाइम देखा तो 9 बज चुके थे , टाइम देखते ही मैं एकदम से उठा और बोला : ये क्या मां, 9 बज गए, मैं 9 बजे तक सोता रहा।
मां : और नहीं तो क्या, सुबह स्कूटी सीखने जाना था तब भी तुझे उठाया पर तू था के उठने का नाम ही नहीं लिया।
मैं: क्या सच में मां।
मां : हां, लगता है ज्यादा ही अच्छी नींद आई तुझे कल रात।
मैं सोचने लगा कल रात के बारे में और याद आया के मां ने तो मेरा माल छुड़वा दिया था कल रात, क्या इसलिए ही ऐसी मस्त नींद आई। और अभी हैंड जोब से ऐसी नींद आई है तो सोचो चूदाई से कितनी मस्त आएगी। में हल्का सा मुस्कुराने लगा और मां मुझे देखकर बोली : लगता है बुद्धू को कल रात की नींद याद आ गई।
मैं: हां मां, कल सच में मस्त नींद आई।
मां : हां , तेरा जख्म ठीक है अब?
मैं: हां , शायद।
मां : दिखा तो सही।
मैं: मां कुंडी तो लगा दो , कहीं पापा ना आ जाएं।
मां : वो जल्दी चले गए हैं, अब तीन चार दिन बाद ही आएंगे।
मैं ये सुनकर खुश हुआ और खुदसे बोला : अब रात में बनाए प्लान को सफल करने का वक्त आ गया है।
मैं: चलो अच्छा है मां.
मां हस्ते हुए : अच्छा जी, इसमें अच्छा क्या है।
मैं: मेरा मतलब अब मैं बिना लोवर के 3-4 दिन रह सकता हूं और ये जख्म भी जल्दी ठीक हो जाएगा ना इस से।
मां : हां हां , ये तो है।
मां ने फिर धीरे से मेरा लोवर उतारा और फिर अंडर वियर जैसे ही उतारा के खड़ा लोड़ा देख कर हस्ते हुए बोली : ये खड़ा ही रहता है क्या?
मैं भी हस्ते हुए बोला : नहीं नहीं मां, वो सुबह सुबह तो बस…
मां : हां, बेटा लगता है अब तेरी शादी करनी पड़ेगी जल्दी ही।
मैं: क्यूं मां शादी क्यूं?
मां लोड़े की ओर इशारा करते हुए : इसका ध्यान रखने के लिए भी तो कोई चाहिए ना बेटा।
मैं: आप हो ना मां।
मां : अच्छा जी मैं कैसे रखूंगी इसका ध्यान?
मैं: मां, जैसे कल रात को रखा था।
मां : चुप बदमाश, वैसा खयाल तो तू खुद भी रख सकता है।
मैं: तो आप दूसरे वाला ख्याल रख दो इसका।
मां : दूसरे वाला कोन सा।
मैं: जैसा मै नहीं रख सकता वैसा।
मां : कैसा?
मैं: मैं तो सिर्फ हाथों से इसका ख्याल रख सकता हूं पर आप तो हाथों के अलावा भी रख सकते हो ना।
मां मुस्कुराते हुए : अच्छा जी, ज्यादा ही मस्ती सूझ रही है मेरे बुद्धू को।
मैं अब और घूम फिरा कर इस चूत लन्ड के मिलन का खेल नहीं खेलना चाहता था तो मैं अब सीधा मुद्दे की बात कर रहा था। और इतनी मस्ती चढ़ी थी मुझपर के अब और बर्दास्त करना मेरे बस में ना था। दरअसल मैं रात में मां की उस हरकत के बारे में सोचता रहा और मां के जाने के करीब एक घंटे बाद मैनें एक कागज पैन उठाया और एक शायरी लिख डाली और मन बना लिया के पापा जिस दिन भी कहीं बाहर जाएंगे समझ लो उस दिन मां को ये शायरी सुनाऊंगा और ज्यादा बातें ना करते हुए सीधा चूदाई का इन्विटेशन दे दूंगा।
और वो वक्त आ गया था के ये इन्विटेशन मां को दिया जाए।
मैं: मां मैनें रात में आपके लिए एक शायरी लिखी है, सुनाऊं?
मां : वाह मेरा बेटा कब से शायर हो गया?
मैं: जब से इसे आप से प्यार हुआ है, बोलो सुनाऊं?
मां : हां सुना।
मैं:
“”
मेरे हाथों से भीगी पजामी को उतरवाना,
फिर अकेले में झांटे साफ़ करवाना,
ये तड़प नहीं तो क्या था।
फिर मेरे संग शॉपिंग पर जाना,
मुझसे अपने लिए ब्रा चूज करवाना,
ये तड़प नहीं तो क्या था।।
साड़ी उठा कर अपनी नई पैंटी दिखाना,
खुद भी तड़पना, मुझे भी तड़पाना।
अब खत्म करते हैं ये तड़प का खेल,
मिलकर कराते हैं इस लन्ड चूत का मेल।।
अब मान भी जाओ के बड़ा हो गया है आपका बुद्धू,
कमसेकम इसे थोड़ा सा तो पीला दो अपना दूदू।
अब ये लन्ड और जुदाई ना सह पाएगा,
तुम्हे चोदने से पहले तुम्हारा बेटा तुम्हारी चूत को खाएगा।।
भूल जाओ पापा का डर,
मान लो मुझे अपना वर।
चलो चलकर सुहागरात मनाते हैं,
एक दूजे को अपना अपना रसपान कराते हैं।।
बोलो क्या अब भी नखरे दिखाओगी,
या अभी घोड़ी बनकर मुझसे चुदना चाहोगी।।
यूं थोड़े थोड़े मजे लेकर,क्या तुम खुश रह पाओगी,
अरे मुंह में लेकर तो देखो मेरी जान, स्ट्राबेरी भी भूल जाओगी।
जिस फ्लेवर के कोंडोम से कहोगी, उसे चढ़ाकर ही तुम्हे पेलूंगा,
जब जब तुम्हारा करेगा दिल, तब तब चूदाई का खेल मैं खेलूंगा।
कभी किचन तो कभी बैडरूम में तुम्हारी सिसकियां गूंजेगी,
चूदाई करते वक्त तुम देखना ये चूचियां कितना झूमेंगी।।
अंत में मैं बस इतना कहना चाहूंगा…
अब किस पल की तु इंतजार करे,
आजा मेरी जान, जम के हम प्यार करें।।
“”””””

फिर मां ये सुनते ही मुझे बेड पर धकेल के टूट पड़ी और किस करने लगी। मैं भी उनका साथ देने लगा और उनकी साडी में गांड़ को सहलाने लगा और आगे तो आप सबको पता ही है के क्या हुआ।। :)
फिर शुरू हुआ हमारा चूदाई का खेल,
जिसमे शामिल था हमारे जिस्मों का मेल।
जब भी मौका मिलता ये चूदाई का खेल हम खेला करते,
कभी घोड़ी बनाकर तो कभी लन्ड पर बिठाकर उन्हें पेला करते।।
चूत के साथ साथ उस मस्त गांड़ का भी मैनें स्वाद चखा,
कभी कभार पूरी रात उनकी चूत में लन्ड डालकर रखा।।।
शुक्रिया उन छालों का जिनकी बदौलत हमने उस चूत का रुख किया,
और खुदके साथ साथ मां को भी चूदाई का वो सुख दिया।।

❤️Thankyou ❤️
❤️THE END ❤️
Hope you guys like it
This was my first complete original story
BYE BYE
TATA

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top