You dont have javascript enabled! Please enable it! मां के हाथ के छाले – Update 20 | Incest Sex Story - KamKatha
मां के हाथ के छाले - Seductive Incest Sex story

मां के हाथ के छाले – Update 20 | Incest Sex Story

फिर मां स्कूटी रोक कर हल्का सा ऊपर उठी और मैंने धीरे से उनकी पजामी पीछे से थोड़ी नीचे सरका दी, फिर जैसे ही मैं उनकी पैन्टी पकड़ के सरकाने लगा मां बोली : रुक बेटा, ये मत सरका।
मैं: ऐसे तो फिर ये गंदी हो जाएगी मां।
मां : हां बेटा, मैनें अभी वो कल शादी में डाल कर गई थी ना ब्लैक वाली, वही डाल रखी है, ये वैसे भी रात में उतारनी ही है मुझे तो गंदी हो भी गई तो भी कोई बात नहीं।
मैं: ठीक है मां।
मैनें फिर उसे उतारने के बजाए उसको नीचे से पकड़कर गांड़ की साइड में फसा दिया। मेरे ऐसा करते ही मां ने हल्की सी सिसकी ली और बोली : क्या कर रहा है सोनू बेटा?
मैं: मां वो जैसे आप उस दिन बता रही थी ना बाथरूम में कर के, वही देख रहा था।
मां : अच्छा बेटा, धीरे से करते हैं, नहीं तो नीचे के होंठों से खीच जाती है।
मैं: नीचे के होठ कोन से मां?
मां : और वो चूत वाले, वो भी एक तरह के होठ ही होते हैं।
मैं: अच्छा मां।
मां फिर सीट पर बैठ गई और स्कूटी चलाने लगी। मैनें आसपास फिर नजर दौड़ाई और मौके का फायदा उठाकर लन्ड सीधा उनकी पीछे से नंगी हुई गांड़ में अड़ा दिया। मैनें तो लन्ड सिर्फ उनकी पजामी में ही ढकने के बहाने से डाला था पर वो तो सीधा जाकर उनकी गांड़ की दरार में फिसलने लगा। इस एहसास से हम दोनो बेहद गर्म हो गए और मां सिसकियां भरते भरते स्कूटी बिलकुल धीमे चलाने लगी। हम दोनों अब गर्म होकर आगे पीछे होने लगे और एक दूजे के जिस्म का एहसास करने लगे। मां अपनी गांड़ मेरे लोड़े पर रगड़ती रही और इधर मैं अपना लोड़ा उन पर रगड़ता रहा।
हम इस रगड़ से ही एक दूजे के मजे लेते रहे और फिर मां बोली : बेटा अब घर चलते हैं, तेरे पापा आने वाले होंगे।
मैं: ठीक है मां।
फिर मैंने मां को पीछे बिठाया और हम दोनो घर की ओर निकल पड़े। रास्ते में एक मेडिकल स्टोर पर मां ने मुझे स्कूटी रोकने को कहा और बोली : चल मेरे साथ, एक सामान लेना है मैनें।
मैं: ठीक है चलो।
फिर मां ने उस स्टोर में से दो कोंडोम के पैक उठाए और बोली : देख तो बेटा, कोनसा सही है?
मैं: मां , ये किस लिए?
मां : अरे बेटा वो तुझे नीचे कपड़े पहनने में दिक्कत ना हो ना इसलिए ले रही हूं।
मैं: ठीक है मां
मां : हां, अब बता ना कोनसा लूं?
मैं: आपको कोनसा पसंद है मां?
मां : ये स्ट्राबेरी वाला….
मैं: तो ये ले लो मां
मां : ठीक है।
मां ने एक बड़ा पैक उठाया जैसे अब चूदाई के लिए सभी परबंध कर रही हो। फिर काउंटर पर पे करके हम वहां से निकल गए और मां बहुत खुश लग रही थी। मैं ये सोच रहा था के मां ने कोंडोम तो ले लिए, इसका मतलब अब चूदाई का समय दूर नहीं है।
फिर हम घर पहुंचे और घर पहुंच कर मां ने मुझे वो कोंडोम दिए और बोली : इसे अपने कमरे में रख ले और जब भी डालना हो ना मुझे बता देना, मैं पहना दूंगी।
मैं: ठीक है मां।
फिर थोड़ी देर बाद पापा आ गए। वो हाथ धोकर फ्रेश हुए और टीवी देखने लगे। जब रात का खाना खाने की बारी आई तो हम तीनों ने मिलकर खाना खाया और फिर पापा थोड़ी देर इधर उधर की बाते कर के अपने कमरे में चले गए। उनके जाने पर मैं भी उठा और अपने कमरे में आकर सोचने लगा के अब क्या किया जाए जिस से उनकी चूत मिल सके। फिर ये सब सोचते सोचते मेरा लोड़ा थोड़ा टाइट हो गया। और मां जैसे ही सोने से पहले मेरे कमरे में आई, उस जख्म के बारे में पूछने, तो मैनें नाटक करते हुए कहा : मां अब दर्द सा होने लगा है इसमें। और ये ऊपर जलन हो रही है।
मां : ओ, अच्छा , रुक मैं दवाई लगा देती हूं।
मैं: ठीक है मां।
फिर मां अपने कमरे से दवाई लेकर आई और मेरे कमरे की कुंडी लगाकर उसे मेरे जख्म पर लगाने लगी। दवाई लगाने के बाद मां बोली : बेटा, तेरे पापा घर ही हैं तो तु इसे ढक कर ही सोना।
मैं: ठीक है मां
मां : हां वो गुब्बारे…मेरा मतलब है कोंडोम कहां रखे है जो लाए थे।
मैं हस्ते हुए : मां मुझे पता है वो कोंडोम हैं।
मां : अच्छा जी, बुद्धू अब बड़ा हो गया है।
मां ने फिर मेरे बताने पर मेरी टेबल की ड्रोर में से कोंडोम निकाले और 1 पैकेट निकल कर मुंह से फाड़ने लगी। उसे फाड़ कर मां उसे मेरे लोड़े पर चढ़ाने लगी, पर वो लोड़ा सुखा होने के वजह से नहीं चढ़ रहा था। ना तो मां ने लोड़े पर मूव क्रीम लगाई और ना ही इस बार मैनें उन्हें कहा। जब कोंडोम लोड़े पर नहीं चढ़ा तो मैं बोला : मां ये चिकना नहीं है, शायद इसलिए नहीं चढ़ रहा इसपर।
मां हस्ते हुए : हां, बेटा , शायद, फिर अब?
मैं: मां आप इसपर थोड़ा सा थूक लगा कर चढ़ा के देखो ना।
मां : हां आइडिया अच्छा है, रुक।
मां ने ये बोलते ही अपने मुंह से ढेर सारी थूक लोड़े पर गिराई और उसे हाथों से चारो तरफ लगाने लगीं। मुझे ऐसा लगा जैसे मां मुझे हैंडजोब दे रही हो। मां की मुंह से टपकती थूक और उस थूक से भीगे हाथों का स्पर्श अपने लोड़े पर पाकर मैं तो जन्नत में था। मां ने फिर बिना मेरे कहे ही लोड़े को हिलाना शुरू किया और कोंडोम चढ़ाने लगी। कोंडोम चढ़ा कर भी मां रुकी नहीं और लोड़े को सहलाती रही। मैं बैड पर पीछे की ओर गिरकर लेट गया। अब हम दोनों की नजरे एक दूजे से नहीं मिल रही थी और हम दोनों ही इसका फायदा उठाकर एक दूसरे के मजे ले रहे थे। मां एकदम बोली : बेटा, ये स्ट्राबेरी की खुश्बू आ रही है इसमें से, इस खुश्बू को सूंघकर मेरा तो स्ट्राबेरी खाने का मन कर गया।
मैं लेटे लेटे बोला : तो खा लो ना मां, आपकी ही है ये स्ट्राबेरी।
मां हसने लगी और बोली : क्या…..?
मैं: वो मां, मेरा मतलब ये कोंडोम आप ही ने दिलवाए हैं ना, तो ये स्ट्राबेरी भी आपकी हुई।
मां : हां हां , चल मस्ती मत कर ज्यादा।
मैं इतने वक्त से सब अपने अंदर समाए हुए था के मां के इतना हिलाने पर और ऐसी बातों से बर्दास्त ना हुआ और लोड़े ने एकदम मां के हाथ में ही झटका सा लिया और मैं आह मां बोलकर सारा माल उसी कोंडोम में छोड़ गया।
इसपर मां एकदम हैरान सी हुई और हल्की सी मुस्कान के साथ बोली : लगता है, आज अच्छी नींद आएगी मेरे बेटे को।
मैं बिना कुछ सोचे समझे बोला : थैंक्यू मां।
मां ने कुछ नहीं कहा और उठकर मुझे स्माइल देकर अपने कमरे में चली गई।

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