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मां के हाथ के छाले - Seductive Incest Sex story

मां के हाथ के छाले – Update 2 | Incest Sex Story

मां के हाथ के छाले
Part:2
मां ने फिर आवाज लगाई तो मैं अपनी सोच से बाहर आया : जल्दी कर बेटा, मुझे जोर से आई है।
मैं: क्या करू मां , बोलो
मां : चल मेरे साथ आ पीछे पीछे
ये बोलकर मां बाथरूम की और मैं उनके पीछे पीछे चल के उन्हें देखता रहा और सोचता रहा मन में : क्या ये सच में हो रहा है, कहीं सपना तो नहीं ना ये?
फिर मां की आवाज आई : जल्दी आ सोनू बेटा
मैं: हां मां, बोलो क्या करूं
मां : बेटा देख मेरी मजबूरी है ये वरना तुझसे ना कहती
मैं: अरे कोई बात नहीं , बोलो आप
मां पजामी की और इशारा करते हुए : इसे थोड़ा सा नीचे कर ना
मैं (चौंक कर) : क्या?
मां : अरे जल्दी कर ना पागल, निकल जाएगी वरना बीच में ही
मैंने धीरे से उनकी कमीज को पकड़ा , थोड़ा सा ऊपर उठाया और एक हाथ से पजामी नीचे करने लगा के मां ने ऊपर उठी कमीज को अपनी गर्दन से पकड़ लिया और बोली: बेटा दोनों हाथों से नीचे कर जल्दी , वरना कहीं यहीं नदी ना बह जाए। मैनें दोनो हाथों को उनके लैफ़्ट और राइट साइड रखकर धीरे धीरे नीचे सरकाया और उनकी पैंटी मेरे सामने आगई जिसे देखकर मैं खो सा गया के तभी मां बोली : सोनू, बेटा कहा खो गया।
मैं: हां मां, कर दी नीचे, लो कर लो, मैं बाहर खड़ा होता हूं।
मां : तु पागल है क्या, मेरी पैंटी में तुम मर्दों के अंडरवियर जैसा कोई छेद थोड़ी है जो उसमे से कर लूंगी, इसे भी नीचे सरका।
ये सुनकर मैं हंस पड़ा पहले तो फिर अपने हाथ उनके कोमल चूतड़ों के आजू बाजू रखकर पैंटी को नीचे सरकाया ही था के मेरे सामने मां की बालों वाली चूत आ गई, जिसे देखकर मेरा मुंह खुला का खुला रह गया। पहली बार मैनें किसी औरत की चूत देखी थी असलियत में और वो भी अपनी मां की। मेरे पेंटी नीचे सरकाते ही मां फट से घुटनो के बल नीचे बैठ गई और सिटी बजाकर अपनी मूत की धार छोड़ने लगी। ये आवाज सुनकर और सब देखकर मैं तो पागल ही हुए जा रहा था के एकदम होश में आया और खुदसे बोला, मेरी मां मजबूरी में है और मैं उसका फायदा उठा रहा हूं, ये गलत है। ऐसा सोच कर मैं जैसे ही मुड़ा जाने के लिए के मां की आवाज आई : रुक बेटा, कहां जा रहा है।
मै: मां, आप कर लो, जब हो जाए बताना, मैं ऊपर कर दूंगा ये।
मां : हां ऊपर तो कर देगा, पर ……
मैं : पर कया?
मां मुझे समझाते हुए : बेटे हम औरतों का तुम जैसा नहीं होता ना
मैं: क्या मतलब मां?
मां : मतलब मर्दों का मूतने के बाद बिना उसे धोए चल जाता है पर हमें उसे थोड़ा सा धोना पड़ता है नहीं तो वो स्मैल करता है बाद में और जैसे तुम मर्द लोगों का एक पिचकारी की तरह निकलता है वैसे हमारा ना…….और चुप हो गई
मैं: आप औरतों का क्या मां?
मां : अरे बेटा, समझा कर ना
मैं: अरे आप बताओगी तभी समझूंगा ना
मां : बिल्कुल ही बुद्धू है तु, लगता है तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, ना ही कोई लड़की फ्रैंड है जो तुझे ये सब कुछ पता हो
मैं: हां,मां वो तो नहीं है, अब आप ही बताओ ना
मां : मेरा मतलब था के जैसे हम जब पेशाब करते हैं न बैठ के तो हम औरतों का क्या है के जैसे होठों के बीच से निकलता है तो थोड़ा बहोत निकलते वक्त इधर उधर बह जाता है तो उस बहने वाले को साफ करना जरूरी होता है, अब आ गई समझ
मैं: ओ, अच्छा ऐसा है मां, ठीक है समझ गया।
मां : क्या समझ गया मां, अब समझ गया है तो कर भी तो सही बेटा।
मैं : क्या मतलब, मुझे साफ करना पड़ेगा अब ये?
मां : बेटा मजबूरी है , वरना मैं तुझे कभी ना कहती ये करने को, क्या आज तक मैनें कभी तुझे ऐसा कुछ करने को कहा है।
मैं: नहीं मां
मां : तो फिर
मैं: ठीक है मां, मैं कर देता हूं।
मैंने जैसे ही वो टॉयलेट सीट के वॉशर का नल घूमाया के एक सीधी तेज पिचकारी मां की चूत और गांड़ पर आकर लगी और मां एक दम बोली : अरे पागल, सारे कपड़े भीग जाएंगे मेरे , क्या कर रहा है
मैनें एकदम से वो नल बंद किया और बोला : सॉरी सॉरी मां, वो अचानक से चल गया।
मां : हां , कोई बात नहीं , अब धीरे से चला इसे।
मैनें धीरे से थोड़ा सा नल खोला तो पानी हल्के हल्के से उनके चूतड़ों तक ही पहुंचा, फिर वो बोली : बेटा थोड़ा सा और तेज कर
फिर मैनें वैसा ही किया और कुछ सेकंड्स के बाद मां बोली : हां, बस बेटा , हो गया।
मैनें नल बंद किया और मां उठी और बोली : ये ऊपर करदे अब , बस फिर तुझे कुछ काम नहीं कहूंगी।
मैं जैसे ही थोड़ा बैंड हुआ उनकी नीचे पजामी को उठाने के लिए , मैनें सोचा क्यूं ना एक छोटी सी शरारत की जाए और मैनें उनकी पेंटी बिना ऊपर किए ही उनकी पजामी ऊपर करदी और बोला : ओके मां,हो गया, और कोई काम हो तो बिना किसी संकोच के बता देना।
तभी मां बोली : थैंक्यू मेरे बुद्धू बेटे, थैंक्यू सो कुछ
और जैसे ही वो चली बाथरूम से बाहर उन्हे पता चल गया के मैनें पैंटी तो ऊपर की ही नहीं और वो मुझे जाते देख बाथरूम के बाहर निकलकर बोली: रुक बुद्धू कहीं के, इधर आ
मैं हस्ते हुए मुड़ा और बोला : हां मां?
मां समझ गई की मैनें ये जान बूझ कर किया है और बोली : अच्छा जी, मां से मस्ती करते हो, बदमाश कहीं के, मुझे सब पता चल गया के तूने ये जान बूझ कर नीचे ही छोड़ दी ना।
मैंने हंसते हुए कहा : नहीं तो मां
मां : चुप बदमाश, सही कर इसे जल्दी से
मैं फिर से बाहर सोफे की ओर जाते हुए: अरे रहने दो ना , कोई कुछ हो थोड़ी रहा है इस से।
मां मेरे पीछे पीछे वैसे ही आई और : अरे पागल, मजाक मत कर ना, मेरे बाल ज्यादा हो रखे हैं बेटा वहां पर, बिना उसके डाले फिर खुजली सी होती रहती है

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