फिर मां बोली : तूने झूठ क्यूं बोला मुझसे?
मैं: बस मां यूंही, दिल किया
मां: हां ज्यादा मस्तीबाज हो गया है तु।
फिर मां हट गई और बोली : चल अब ये टाइट जींस उतार दे और मुझे कोई सलवार पहना और फिर तूने मेरे कपड़े भी धोने हैं।
मैं: अरे मां, पहने रखो ना थोड़ी देर के लिए,इतनी तो मस्त लग रही है आप पर ये।
मां : नहीं बेटा, उतार दे।
मैं: मां प्लीज ना, मेरे लिए, बस थोड़ी देर फिर रात में बदल दूंगा।
मां सोचने लगी फिर बोली : अम्म, चल ठीक है, पर मेरा एक काम करना पड़ेगा तुझे
मैं: हां मां, जो कहोगी वो कर दूंगा।
मां : ठीक है कल सुबह बताऊंगी फिर।
मैं : ओके मां
मां: चल अब कपड़े धो दे मेरे अब, कल सुबह डालने के लिए और है भी नहीं मेरे पास।
मैं अलमारी की ओर देखता हुआ : इतने सारे कपड़े हैं तो मां।
मां : अरे ये नहीं बुद्धू, वो पैंटी।
मैं: अच्छा, अच्छा।
फिर मैंने घड़ी की तरफ टाइम देखा तो 9 बज चुके थे।
मैं मां से बोला : मां, टाइम तो देखो जरा, खाना भी लाना है , कपड़े कल धो दूं क्या?
मां : 9 बज गए, ये सब तेरे पापा आने वाले ड्रामे की वजह से हुआ है। चल ठीक है, खाना ले आ तु, कपड़े कल धो लेना।
मैं फिर मार्केट से खाना लेने गया, खाना लेकर आया तब तक पोने 10 बज चुके थे। फिर मैंने खाना पैकेट्स में से निकाला, बर्तन में डालकर मां के रूम में ले गया और नीचे खाना रखकर मां को बोला : आजाओ मां।
मां नीचे आकर बैठने लगी के उनकी जींस टाइट होने की वजह से उनसे बेटा नही जा रहा था तो वो बोली : बेटा ये जींस इतनी टाइट है तु उतार पहले इसे, फिर खाना खिलाना।
मैंने मां की जींस उतारी और आह फिर से मां की गोरी गांड़ के दर्शन हो गए। फिर मां बोली : चल अब खाना खाते हैं पहले, ठंडा हो जाएगा। फिर मुझे एक सलावर या पजामी डाल देना।
ये सुनते ही मेरे मन में तो लड्डू सा फूट पड़ा हो जैसे। मैं फिर से नीचे बैठा और रोटी सब्जी में डूबने ही लगा के मां नीचे बैठते ही उछली और बोली : आह मां, कितना ठंडा है ये मैट।
मैंने जहा मां बेटी थी वहां देखा और बोला : अरे मां, ये वही जगह है जहां मैं रुमाल से आपकी साफ कर रहा था, शायद वही पेशाब गिरा हुआ था, इसलिए ठंडा लग रहा है मैट आपको।
मां : हां, मैं तो भूल ही गई थी, अब क्या करूं बेटा? लगता है सलवार डालनी ही पड़ेगी।
मैं मुड़ में आकर : मां, खाना तो मुझे ही खिलाना है, आप मेरी गोदी में बैठ जाओ इतना, आओ, खाना ठंडा हो जाएगा वरना।
मां मस्त होकर मुस्कुराई और बोली : ठीक है।
बोलते ही अपनी नंगी मोटी गांड़ लिए मां मेरी गोद में आ बैठी और मेरे खड़े लन्ड को अपनी गांड़ पर महसूस करके एकदम कूद उठी और बोली : आह, सोनू।
मैं: क्या हुआ मां?
मां : वो वो, कुछ नहीं बेटा, मेरे घुटने मुड़ गए थे बैठते वक्त इसलिए बस।
मैंने मां के मेरी गोद में बैठे थे उनकी टांगे आगे की ओर सीधी करदी जिस से पूरा उनकी गांड़ का वजन मेरे लोड़े पर आ गया और हम दोनो मस्त हो गए। और मैं बोला : ऐसे टांगे सीधी रखोगी ना, फिर दर्द नहीं होगा मां
मां : हां, बेटा।
फिर मैं मां को अपनी गांड़ पर बिठाए बिठाए ही खाना खाने लगा और उन्हें भी खिलाने लगा, खाना खाते खाते वो मस्ती में मेरी उंगलियों को भी बीच बीच में चाटने लगी और मैं जान बूझ कर खाने के प्लेट से खाना उठाने के बहाने उन्हे हल्के हल्के से झटके देने लगा। अब बस मां की गांड़ और मेरे लोड़े के बीच अगर ये लोवर का कपड़ा ना होता तो मेरा लोड़ा सच में उनकी गांड़ के इस छेद में घुस जाता और जन्नत की सैर कर आता। करीब यूंही 10-15 मिनट तक हम धीरे धीरे खाना खाते रहे और बिना एक दूसरे को कुछ कहे गांड़ और लन्ड को आपस में रगड़ते रहे। 2 दिन के बर्दाश्त के बाद आज लगता है मेरा भी पानी छुटने ही वाला था के मां भी एकदम झड़ी और उनके मुंह से तेज : आह आह निकल पड़ी और मैं भी हल्का सा कसमसा सा गया। 1-2 मिनट के लिए सब थम सा गया और फिर हम दोनों होश में आए और मां उठी और उनके उठते ही मैं कमरे से बिना बर्तन लिए बाहर चला गया।
बाहर जाकर मैं सोफे पर 10 मिनट यूंही बैठा रहा और फिर अपने कमरे में जाकर पहले अपना लोवर बदला और फिर मां के कमरे में गया तो मां बैड पर अपने घुटनों को फोल्ड किए आंखे बंद कर अपने ख्यालों में खोई थी। पता नहीं क्या हुआ के यूं बैठी मां की घुटनों से नीचे चमकती चूत को देख लन्ड फिर से खड़ा होने लगा के मैंने बिना कुछ कहें वहा से बर्तन उठाना शुरू किया। बर्तन की आवाज से मां ने आंख खोली और कुछ बोली नहीं। फिर मैं किचन में बर्तन रखकर घर की लाइट्स वगैरा बंद की और मां की दवा लेकर उनके कमरे में गया और बोला : मां , दवा लेलो।
मां : हां
मैनें मां को दवा खिलाई और फिर ट्यूब लगाने के लिए उनके हाथ अपनी ओर करके देखा और बोला : मां, आपके छाले अब ठीक होने लगे हैं, शायद कल तक सही हो जाएंगे एकदम।
मां उन्हे देखकर : हां, बेटा, थैंक्यू मेरे लिए इतना सब करने के लिए, तु यहीं सो जाना बस एक दो दिन की ही बात है, फिर मैं खुद कर लिया करूंगी सब।
मैं: ठीक है मां।
फिर हम सोने लगे के मां बोली : अच्छा सुन, सोनू।
मैं: हां, मां?
मां : एक बार मुझे पेशाब करवाने ले जाएगा क्या?
मैं: हां मां।
