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बैलगाड़ी - Pariwar Me Chudai Ki Kamuk Gatha

बैलगाड़ी – Pariwar Me Sex Story | Update 74

राजू एक बहाने से अपनी मां की खूबसूरती की तारीफ कर रहा था क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि औरतों को सबसे अच्छी अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना लगता है,,,और यह सच भी था कि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी,,, तभी तो राजू खुद अपनी मां की खूबसूरती का दीवाना हो गया था,,,,पहली बार वह बेल गाड़ी में बैठाकर अपनी मां को किसी दूसरे गांव छोड़ने जा रहा था ब्याह में रास्ते भर का सफर उसके पास था,,, ऐसे सफर के दौरान वह अपनी मां के मन में क्या है यह जानना चाहता था,,,,,, बात करने का कोई दूसरा उद्देश्य नहीं था तो राजू अपने मतलब की बात कर रहा था,,,, अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर मधु अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी लेकिन अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना उसके तन बदन में अजीब सी हलचल भी पैदा कर रही थी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच सिहरन सी पैदा होती हुई महसूस हो रही थी,,,,,,,,।

राजू लगता है कि तू अब जवान हो गया है तेरी शादी करना पड़ेगा,,,

वो क्यों मां,,,,?

अरे देख रही तू अब औरतों की तारीफ करने लगा है तुझे औरतों की खूबसूरती में दिलचस्पी आने लगी है समझने लगा है,,,

नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है मां अगर हम अच्छे खूबसूरत फूल को देखते हैं तो उन्हें अच्छा कहते हैं उन्हें तोड़ लेते हैं अपने साथ रखते हैं वैसे भी खूबसूरती छुपाए नहीं छुपती और तुम खूबसूरत हो इसलिए कह रहा हूं,,, नहीं खूबसूरत होती तो नहीं कहता,,,,

इसका मतलब है कि तारीफ करने के लिए खूबसूरत होना जरूरी है,,,

अरे मां तुम तो बात का बतंगड़ बना रही हूं अच्छा हुआ कि तुम खूबसूरत हो वरना तुम्हें यही लगता है कि मैं बेकार में तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं,,,,

नहीं नहीं यह बात तो मैं भी जानती हूं कि मैं खूबसूरत हूं लेकिन सच कहूं तो तूने जिस तरह से अपने मुंह से बोल दिया ना उस तरह से आज तक किसी ने नहीं बोला,,,,

(अपनी मां की बात सुनकर राजू के तन बदन में गुदगुदी हो रही थी क्योंकि अपनी मां की बात सुनकर उसे लगने लगा था कि उसकी मां उसके बातो के जाल में धीरे-धीरे फस रही है,,, अपनी मां की बात सुनकर राजा बोला,,,)

अरे किसी ने नहीं तो पिताजी ने तो कहा ही होगा,,, आखिर उनका आप पर पूरा हक है,,, और मैं यह भी जानता हूं कि पिताजी आप को बहुत मानते हैं बहुत प्यार करते हैं,,,(यह कहते हुए राजू की आंखों के सामने दीवार के छोटे से छेद से देखा गया हर एक दृश्य पल भर में नजर आने लगा कि कैसे उसके पिताजी अपने हाथों से उसकी मां की साड़ी उतारकर से नंगी करने के बाद जबरदस्त घमासान चुदाई करते थे और उसकी मां भी चुदाई का पूरा मजा लेती थी,,,)

तुझे कैसे पता कि तेरे पिताजी मुझे बहुत मानते हैं मुझे बहुत प्यार करते हैं,,,,,,

(अपनी मां की बातें सुनकर एक पल के लिए  राजु के मन में आया कि अपनी मां से खुल कर बोल दे कि उसने तुम दोनों की जबरदस्त घमासान चुदाई अपनी आंखों से देखा है कैसे तुम दोनों एक दूसरे के बदन से आनंद लेते हो लेकिन ऐसा कैसे करें कि हिम्मत उसमें थी नहीं इसलिए वह बात को घुमाते हुए बोला,,,)

अरे मासी कैसी बात है तुम दोनों में कभी झगड़ा नहीं हुआ किसी बात को लेकर तकरार नहीं हुआ पिता जी आपकी बात जल्दी मान लेते हैं और आप की ताजी की बात मान लेती हो यही देख कर समझ में तो आता ही है कि तुम दोनों के बीच कितना प्यार है और दूसरों को देखो,,, मेरा एक दोस्त है गांव में रोज उसके घर झगड़ा होता रहता है रोज उसके पिताजी उसकी मां को पीटते हैं और कभी-कभी तो उसकी मां भी हाथ उठा देती हैं,,,,,(यह राजू के मन की बनी बनाई बात थी ऐसा कुछ भी नहीं था बस वह अपनी मां का मन बहलाना चाहता था उन्हें जताना चाहता था कि वाकई में उन दोनों के बीच बहुत प्यार है जो की सच्चाई भी थी)

तो तुझे तेरे दोस्त के परिवार अच्छे लगते हैं या तुझे खुद का परिवार अच्छा लगता है,,,

बेशक मां हमारा परिवार बहुत अच्छा है कितनी शांति है घर में किसी बात का झगड़ा मार नहीं है,,,,,,(राजू बैलगाड़ी को हांकते हुए बोल रहा था मधु पहली बार अपने बेटे से इस तरह की इतनी सारी बातें कर रही थी वरना दोनों कभी साथ में बैठते ही नहीं थे,,,, मधु को अपने बेटे से इस तरह की बातें करने में अच्छा लग रहा था,,,,,, मंजिल से बेहतर सफर का मजा मिल रहा था मधु के मन में हो रहा था कि काश यह सफर कभी खत्म ना हो,,,मैं तो यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो चुका है,,, उसकी उफान मारती जवानी का उदाहरण वह अच्छी तरह से देख चुकी थी और एक जवान लड़के के साथ सफर तय करने में उसे बेहद अच्छा लग रहा था,,,, चारों तरफ पेड़ पौधे हरियाली हरियाली बीच से गुजरता हुआ कच्चा रास्ता और उस पर बैलगाड़ी के गुजरने से घुंघरू की आवाज वातावरण को और भी ज्यादा खूबसूरत बना रही थी,,,, आज मधु थोड़ा अच्छी तरीके से सजी-धजी थी और बैलगाड़ी में इस तरह से पीछे बैठने पर उसे अपने आप को एक दुल्हन के रूप में देख रही थी क्योंकि वर्षो पहले जब वह विवाह करके आई थी तो इसी तरह से बैलगाड़ी में आई थी,,,,, घूंघट में पूरा मुखड़ा छुपा हुआ था बाराती पीछे चल रहे थे और उसका पति हरिया आगे आगे चल रहा था,,, सब लोग बेहद खुश थे,,,,आज बरसों बाद ना जाने क्यों मधु को अपना विवाह वाला समय याद आ रहा था वह बहुत खुश नजर आ रही थी बरसों बाद उसे एक बार फिर से दुल्हन होने का एहसास हो रहा था,,, बेल गाड़ी वाला जवान लड़का उसे अपना लड़का नहीं बनती कोई अनजान गाड़ी वाहन लग रहा था और यह एहसास उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था,,,, अपने मन में आए इस खयाल को अपने बेटे से बताते हुए बोली,,,)

तुझे पता है राजू आज मुझे कैसा लग रहा है,,,

कैसा लग रहा,, मां,,?

बरसों पहले मैं इसी तरह से दुल्हन बनकर बेल गाड़ी में बैठकर गांव में आई थी,,, उस दिन तो हमें बहुत सही देखी थी लेकिन आज मैं उतना सजी-धजी नहीं हूं लेकिन फिर भी मुझे अच्छी तरह से याद है है कि उस दिन भी मैं बहुत खूबसूरत लग रही थी,,,,।

(मधु किसी ख्यालों में खोए हुए अपने मन की बात बता रही थी और राजू अपनी मां की बात सुनकर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था क्योंकि धीरे-धीरे इसी तरह से उसकी मां खुलना शुरू हो गई थी,,, अपनी मां की बात सुनकर राजू बीच में बोला,,,)

सच में मां,,, तब तो पिताजी तुम्हें देखते रह गए होंगे,,,

हां तो सच कह रहा है तेरे पिताजी ने मेरा चेहरा तो नहीं देखे थे लेकिन मेरा रूप रंग कद काठी देखकर बहुत खुश हो रहे थे रास्ते भर बराती लोग तेरे पिताजी को छेड़ते हुए जा रहे थे,,,,

क्या सच में मां क्या कह रहे थे सब लोग,,,,?

तेरे पिताजी के दोस्त लोग कह रहे थे,,,, हरिया तू तो बड़ा भाग्यवान है रे आसमान से परी लेकर आया है,,,, अब तो तुझे लालटेन की जरूरत बिल्कुल भी नहीं पड़ेगी,,,

वह क्यों मां,,,,?

क्योंकि मैं बहुत गोरी थी ना इसके लिए वह लोग कहते थे कि अंधेरे में भी बैठा दोगे तो कमरे में उजाला ही उजाला हो जाएगा,,,,

सच में हम लोग कितने खुश किस्मत हैं कि हमें तुम मिली हो पिताजी तो और भी ज्यादा खुश किस्मत हैं कि उन्हें इतना अच्छा जीवन साथी जो मिला है,,,,।

(अपने बेटे की बात सुनकर मधुर बहुत खुश हो रही थी आज बरसों बाद वह अपने मन की बात अपने ही जवान बेटे से कर रही थी इस तरह की बातें उसने आज तक किसी से नहीं कही थी लेकिन आज नहीं जाने क्यों वह अपने मन में  दबी बातों को अपने बेटे से बता रही थी,,,,, और राजू मन ही मन खुश हो रहा था,,, क्योंकि आज उसकी मां ने अपने दिल के तार छोड़ दिए थे जिससे मधुर संगीत निकल रही थी और राजू इसी का फायदा उठाना चाहता था वह अपनी मां के मन की बात को जानना चाहता था,,,,)

अच्छा मैं एक बात बताओ पता नहीं मुझे पूछना चाहिए कि नहीं पूछना चाहिए लेकिन जब बाद में निकल ही गई है तो मैं सोचता हूं कि तुमसे पूछ  ही लुं,,,

कौन सी बात,,,?

पहले बोलो गुस्सा तो नहीं करोगी ना,,,

अरे नहीं करूंगी बता तो सही,,,(मधु के भी मन में अजीब सी हलचल हो रही थी कि उसका बेटा ऐसा कौन सी बात पूछने वाला है जिसके लिए उसे इजाजत लेनी पड़ रही है और उसे इस बात का डर भी है कि बात गलत लग गई तो डांट पड़ेगी)

तुम्हें मेरी कसम है मैं अगर बात गलत लगे तो कुछ बोलना नहीं लेकिन मुझे डांटना नहीं क्योंकि तुम नाराज हो जाती हो तो मुझे अच्छा नहीं लगता,,,

ठीक है बाबा नहीं डांटुगी,,,

अच्छा मैं शादी से पहले तो पिताजी ने तुम्हें नहीं देखा था नहीं तुम्हारा चेहरा देखा था,,,

हां शादी से पहले ना तो मैं उन्हें देखी थी और ना ही तेरे पिताजी ने मुझे,,,

फिर पहली बार पिताजी ने तुमको कब और कहां देखा,,, !(राजू के इस सवाल में पूरी तरह से चना की भरी हुई थी पहले कि वह अपनी बात की माफी अपनी मां से मान चुका था वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर अपनी मां से यह सवाल पूछा था वह देखना चाहता था कि उसकी मां भी सवाल का जवाब देती है या नहीं और इस सवाल को सुनकर उसकी मां भी थोड़ा सा शर्मा गई थी क्योंकि उसे लगने लगा था कि उसका बेटा किस बारे में बात कर रहा है फिर भी मधु जानबूझकर बात को घुमाते हुए बोली)

जिस दिन मैं शादी करके घर पर आई उसी दिन तेरे पिताजी ने मुझे देखा,,,,,,

फिर भी मां कैसे देखा पिताजी ने मतलब सबके सामने या  अकेले में या अकेले कमरे में,,,,

अरे बता तो रही हूं  की शादी करके आई थी उसी दिन,,,

मैं  मैं फिर भी ठीक से समझ नहीं पा रहा हूं,,, पिताजी ने रात को तुम्हें देखा होगा क्या कहते हैं उस रात को,,, अरे मेरे दोस्त लोग बताते हैं,,,, अभी अभी मेरे दिमाग में था लेकिन,,,,(राजू जानबूझ कर बेल गाड़ी चलाते समय इस बात का जिक्र कर रहा था और उस रात का नाम भूल गया था जो शादी की पहली रात होती है जो कि वह बुरा नहीं था बस भूलने का नाटक कर रहा था वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था,,,) अरे मां क्या कहते हैं उस रात को जब दूल्हा दुल्हन की पहली रात होती है,,,

(अपने बेटे की यह बात सुनकर मधु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी क्योंकि मधु समझ गई थी कि उसका बेटा सुहागरात की बात कर रहा है और अपनी मां से ही कर रहा है यह थोड़ा अजीब जरूर था लेकिन ना जाने क्यों मत हो को उसकी यह बात बेहद उत्तेजनात्मक तरीके से अच्छी भी लग रही थी,,,,मैं तो अपने बेटे के सवाल का जवाब नहीं देना चाहती लेकिन फिर भी ना जाने क्यों उसके होठों पर  अचानक ही वह शब्द आ ही गए,,,)

ससस,, सुहागरात,,,,

हां,,,,, सुहागरात मैं तो भूल ही गया था मेरा दोस्त बता रहा था किसी दिन दूल्हा दुल्हन एक दूसरे को अच्छी तरह से देखते हैं,,,, तो क्या मां पिताजी इसी रात को आपको अच्छी तरह से देखे थे,,,,।

(अब अपने बेटे का इस सवाल का जवाब बहुत ही सीधे उसे तो समझ में नहीं आ रहा था उसे अपनी बेटी पर थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था लेकिन उसके सवाल पर ना जाने क्यों वह उत्साहित भी नजर आ रही थी शायद यह एक जवान लड़की के साथ एकांत पाने का नतीजा था कि मधु ना चाहते हुए भी अपनी बेटी के सवाल का जवाब देते हुए बोली,,,)

हां,,,,दूल्हा दुल्हन की पहली रात को ही सुहागरात कहते हैं और इसी दिन तेरे पिताजी ने मुझे ठीक तरह से देखे थे,,,,।

(यह कहते हुए मधु को अपनी पुर से काम रस रिसता हुआ महसूस हो रहा था और यही हाल राजू का भी था पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,,, उसे अच्छा लग रहा था कि उसकी मां उसके सवाल का जवाब दे रही है,,,अभी का सवाल समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे पूछे लेकिन वह पूछे बिना रह भी नहीं पा रहा था वह अपनी मां से खुले शब्दों में पूछना चाहता था इसलिए उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह सवाल पूछे या ना पूछे उसकी मां क्या सोचेगी क्या कहेगी कहीं गुस्सा हो गई तो,,, लेकिन फिर भी वह अब तो कर दो के मन में क्या चल रहा है इस बारे में अंदाजा लगा लेता था कई औरतों का संगत पाकर इस कला में राजू पूरी तरह से निपुण हो चुका और इसीलिए ही वह  तपाक से बोला,,)

तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर,,,,

(राजू एकदम मदहोशी भरे स्वर में भोला मधु अपने बेटे का यह सवाल सुनकर एकदम सनन  रह गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा इस तरह के खुले शब्दों में क्यों बोल रहा है उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी अब उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे इस तरह से खुले शब्दों में पूछ लिया था कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा तो राजू समझ गया की बात थोड़ी गंभीर है इसलिए खुद ही बात को संभालते हुए बोला,,,) मुझे ज्यादा तो नहीं मालूम है ना लेकिन मेरा दोस्त बता रहा था कि उसके पिताजी ने सुहागरात वाली रात को उसकी मां के सारे कपड़े उतार कर अच्छी तरह से देखे थे कभी खुश हुए थे वरना उसका दोस्त बता रहा था कि अगर उसकी मां से अच्छी नहीं लगती तो वह उसे उसके घर छोड़ देते ,,,,

मैं इसीलिए पूछ रहा था ना कि पिताजी ने भी तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर दो मैं अच्छी तरह से देखने के बाद ही घर में रखे थे,,,,

(मधु को समझ में नहीं आ रहा थाकि उसका बेटा क्या सब जानबूझकर बोल रहा है या बालिस मन की वजह से ऐसा कह रहा है,,,, लेकिन इतना तो वह जानती थी कि उसका बेटा अब नादान बिल्कुल भी नहीं है लेकिन जिस तरह से उसने पूरी बात की गंभीरता को संभाल ले गया था उसे देखते हुए मधु की थोड़ी झिझक खत्म हो गई थी इसलिए अपने बेटे के सवाल का जवाब देते क्या बोली,,,)

हां सारे कपड़े उतार कर लेकिन इसलिए नहीं कि अच्छी लगेगी तभी व रखेंगे वरना मुझे मेरे घर छोड़ देंगे या तो एक रीति रिवाज होती है इसलिए वह सुहागवाली रात को मेरे सारे कपड़े उतार दिए थे,,,,(मधु सारी बात बोल गई थी लेकिन कैसे बोल रही थी या खुद उसे पता नहीं चल रहा था बैलगाड़ी अपने लय में आगे बढ़ रही थीनदी नाले ऊंची नीची सड़कों से गुजरते हुए बैलगाड़ी आधे रास्ते पर पहुंच चुकी थी लेकिन इस सफर का मजा अवर्णनीय था शायद यह सफर मधु को भी बहुत अच्छा लग रहा था रास्ता कब गुजर जा रहा था उन दोनों को इस बारे में पता तक नहीं चल रहा था अपनी मां का जवाब सुनकर राजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था वह अपने मन में कल्पना कर रहा था कि पहली रात को उसके कपड़ों को कैसे उसके पिताजी अपने हाथों से उतार कर उसकी मां को नंगी किए होंगे उसके हर एक अंग को अपनी आंखों से देख कर कर उसे छूकर उसे चूम कर उस मस्ती को अपने अंदर उतारे होंगे,,,अपनी मां का जवाब देने के बाद कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा केवल बैल और बैल गाड़ी के पहिए में बने घुंघरू की आवाज ही शोर मचा रही थी,,, अपनी मां की बातें सुनकर जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए राजू बोला,,,)

बाप रे मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है की तुम्हें बिना कपड़ों में देखने के बाद कोई इंसान होश में कैसे रह सकता है मैं तो होता तो शायद मेरी जान निकल जाती,,,

(इस बात पर मधु की हंसी छूट गई वह बोली)

ऐसा क्यों बोल रहा है,,,

क्यों ना बोलूं मां तुम बहुत खूबसूरत हो जैसा कि पिताजी के दोस्तों ने बोला कि आसमान से परी लेकर आया है तो सोचो उस समय तुम कितनी खूबसूरत होगी इस समय भी तो भी तुम बहुत खूबसूरत हो वह समय की बात कर रहा हूं सोचो एक इंसान जब अपने हाथों से तुम्हारे सारे कपड़े उतार कर तुम्हें पूरी तरह से नंगी देखेगा तो तुम्हें नंगी देखने के बाद मुझे नहीं लगता कि वह अपने होश में होगा वह तो बेहोश हो जाएगा मदहोश हो जाएगा बिना पिए ही 4 बोतलों का नशा उसके तन बदन में छा जाएगा,,,,,

(राजू एक झटके में अपने मन की बात बोल गया था और यह बात सुनकर मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी क्योंकि उसका बेटा उसकी खूबसूरती नंगी जवानी की एक तरह से तारीफ ही कर रहा था कि उसे नंगी देखने के बाद भला कैसे कोई इंसान होश में रह सकता  है,,, अपने बेटे की बातें सुनकर मधु को अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल सी महसूस होने लगी थी,,,, मधु का मन बहकने लगा था,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले वह पूरी तरह से खामोश हो गई थी,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)

चुप क्यों हो गई मां मैं झूठ थोड़ी कह रहा हूं जब अपनी आंखों के सामने छोड़ के प्यार करो या फिर आप अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर खड़ी हो जाएगी तो बना इंसान कैसे उसके सामने टिक पाएगा वह तो वहीं ढेर हो जाएगा,,, पिताजी हो गए थे क्या मां,,, तुम्हें नंगी देखने के बाद उनका क्या हाल हुआ था,,,,!(राजू बहुत चालाक हो गया था वह एक बहाने से अपनी मां के मन की सारी बात को जान लेना चाहता था और उसके सवाल-जवाब को देखकर अंदाजा लगा रहा था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है और किस तरह से वह आगे बढ़ेगा,,, सच यही था कि मधु अपने बेटे की चिकनी चुपड़ी बातों में आ चुकी थी वह अपने बेटे की बातों को सुनकर मस्त हुए जा रही थी उसकी बातों को सुनकर उसे भी अच्छा लग रहा था,,, अपने बेटे के सवाल का जवाब हुआ मुस्कुराते हुए देते हुए बोली)

धत् तू कैसी बातें कर रहा है,,, मैं स्वर्ग से उतरी अप्सरा थोड़ी ना हूं कि तेरे पिताजी वहीं ढेर हो जाएंगे,,,

नहीं मां मुझे तो विश्वास नहीं होता मैंने आज तक पूरे गांव में जहां भी घूम आओ तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत नहीं देखा और ऐसी खूबसूरत औरत अपने सारे कपड़े उतार कर अगर नंगी होकर खड़ी हो जाए तो देखने वाले की हालत खराब हो जाएगी वह तो वहीं गिर ही जाएगा,,,,।

(अपने बेटे की बातों को सुनकर मधु मन ही मन खुश हो रही थी और हैरान भी हो रही थी कि उसका बेटा बड़े आराम से उसके सामने ही नंगी जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा है,,, और वह भी बिना शर्माए,,,एक तरफ जहां वह अपने बेटे की बातों को सुनकर हैरान थी वहीं उसकी बातों से उत्तेजित भी हो रही थी,,,,,,, मधु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुट रही थीअपने बेटे के मुंह से खुद ही बातें और अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर उससे रहा नहीं जा रहा था,,, पर वह अनजाने में ही अपने मुंह से उन शब्दों को बाहर निकाल दी जिसके बारे में सुनने के लिए राजू तड़प रहा था,,,)

अगर तु मुझे बिना कपड़ों के देख ले तो,,,

(बस यही तो राजू सुनना चाहता था वह एकदम से मदहोश हो गया अपनी मां के मुंह से यह शब्द सुनकर लेकिन अपने आप को बिना  असहज किए ही वह सहज होता हुआ बोला,,)

बाप रे अगर सच पूछो तो मैं तुम्हें बिना कपड़ों के एकदम नंगी देख लूं तो शायद मेरा तो दिल की धड़कन ही बंद हो जाए मेरी तो सांसे ऊपर नीचे हो जाए,,,,,, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है की उस समय मेरा क्या होगा जब मैं तुम्हें बिना कपड़ों के एकदम नंगी देखूंगा,,,,।

(इतना कहकर वह बैलगाड़ी को आवाज लगाते हुए  हांकते  हुए बोला,,,) आहहह आहहहह,,, उधर नही ,,,,उधर नहीं,,,  सीधे-सीधे,,,,,

(राजू जानबूझकर इस बात को ज्यादा तो नहीं देना चाहता था क्योंकि वह अपनी मां के सामने एकदम सहज बने रहना चाहता था वह बिल्कुल भी अपनी मां को जताना नहीं चाहता था कि उसके मन में किसी भी प्रकार की गंदगी है,,,, और अपने बेटे की बात सुनकर मधु मन ही मन प्रसन्न होने लगी उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी उसे इस बात की खुशी थी कि उसकी जवानी अभी पूरी तरह से काबिले तारीफ है जो एक जवान लड़के को मदहोश करने के लिए सक्षम है,,,, राजू जानबूझकर कुछ बोल नहीं रहा था,,,, वह अपनी बातों की दिशा को बदलते हुए बोला,,)

बस अब थोड़ी दूर ही रह गया है ना मां,,,, चलो अच्छा हुआ कि समय पर पहुंच जाएंगे क्योंकि मुझे शाम को लौटना भी है घर पर कोई नहीं है,,,,।

(राजू ने अपना काम बाण अपनी मां पर चला चुका था,,, उसकी मां राजू की बातों में पूरी तरह से सम्मोहित हो चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें बुर पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी केवल इस तरह की बातें करके आज तक उसकी बुर ने इतना पानी नहीं छोड़ी थी,,, सांसो की गति भारी हो चली थी उसे जोरों की पेशाब लगने का आभास हो रहा था लेकिन अपने बेटे से कैसे कहे उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,, तभी उसे दूर उचाई पर एक कुआं नजर आया और वह तुरंत राजू से बोली,,)

राजु उस कुएं के पास रोकना मुझे जोरो की पेशश,,,, प्यास लगी है,,,,।

(राजू समझ गया कि उसकी मां क्या कहना चाहती जो कि उसके मुंह से निकलते निकलते रह गया था,,,)

ठीक है मुझे भी प्यास लगी है,,,,।

(और इतना कहने के साथ ही राजू ठीक उस  कुएं के सामने बैलगाड़ी को खड़ा कर दिया कुंवा थोड़ी ऊंचाई पर था,,, बैलगाड़ी से तुरंत उतर कर राजू बेल गाड़ी के पीछे की तरफ के और अपनी मां को उतरने में मदद करने लगा उसकी मां उतरते समय उसका हाथ पकड़ कर नीचे उतरने लगी और उतरते समय थोड़ा सा झुकने की वजह से राजू को ब्लाउज में से जाती है उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियों की झलक मिल गई जिसे देख कर उसके मुंह में पानी आ गया,,,, और राजू की यह चोर नजरें मधु से छिपी नहीं रह सके मधु को इस बात का आभास हो गया था कि उसका बेटा उसकी झलक देख कर मस्त हो गया है और यह एहसास बदल के तन बदन में भी अजीब सी हलचल पैदा कर गया था,,,, राजू अपनी मां को सहारा देकर अपनी गाड़ी से नीचे उतारा,,, कच्ची सड़क से तकरीबन 3 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ था और यह कुआं आने जाने वाले राहगीर के लिए ही बनाया गया था ताकि लोग सफर की प्यास कुए के शीतल जल को पीकर बुझा सके,,,,,, मधु को प्यास तो लगी थी लेकिन उससे ज्यादा जोरों की पेशाब लगी हुई थी रास्ते भर में अपने बेटे से ऊतेजनात्मक बातें करके वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, उससे पेशाब की तीव्रता बर्दाश्त नहीं हुई तो वह अपने बेटे से पहले ही जल्दी-जल्दी चलते हुए कुएं के पास पहुंच गई और अच्छी सी जगह ढूंढने लगी कुएं के पास ही एक बड़ा सा पत्थर था मधु ठीक उस पत्थर के पीछे जाकर अपनी साड़ी कमर तक उठा कर पेशाब करने लगी,,,,,राजू को इस बात का आभास तक नहीं था कि उसकी मां कुएं के पास पत्थर के पीछे बैठकर पेशाब कर रही है वह तो सोच रहा था कि उसको जोरों की प्यास लगी है इसलिए जल्दी से कुएं के पास चली गई और वह भी मदद करने के लिए उसके पीछे चल दिया लेकिन तुम्हें के पास कोई नहीं था तो वह,,, अनायास इधर उधर झांकते हुए ठीक पत्थर के पास पहुंच गया और मधु पेशाब करने में व्यस्त थी,,,, और राजू उसे ढूंढता हुआ ठीक पत्थर के पास पहुंचकर जैसे ही आवाज लगाया,,,।

मां कहां गई,,,,,(इतने में उसे पत्थर के पीछे बैठकर पेशाब करती हुई उसकी मां नजर आ गई उसकी गोरी गोरी मदमस्त कर देने वाली गांड राजू की आंखों के सामने थी और गुलाबी छेद में से पेशाब की मधुर ध्वनि सुनाई दे रही थी,,,, यह पल भर के लिए ही था लेकिन इतने में ही राजू ने अपनी मां की मदमस्त गांड के दर्शन कर लिया था और वह भी उसे पेशाब करते हुए देख रहा था जैसे ही मधु के कानों में राजू की आवाज गई वह तुरंत उसे रोकते हुए बोली)

अरे इधर नहीं इधर नहीं आ,,,,।

(लेकिन तब तक देर हो चुकी थी राजू ने वह सब कुछ देख लिया था जो  उसे नहीं देखना चाहिए था,,, मधु ने भी पीछे नजर करके राजू को रोकने की कोशिश करते हुए उसकी आंखों को उसकी नजरों की सीधान को देख ली थी जो कि उसकी गांड की तरफ ही था पल भर में ही मधु एकदम से सिहर उठी,,,, राजू तुरंत दो कदम पीछे हट गया था लेकिन इस नजारे को देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो गया था,,,, वह कुएं के पास खड़ा होकर बाल्टी को ढूंढ कर उसमें पास में पड़ी रस्सी बांधने लगा तब तक मधु पेशाब करके वापस उनके पास आ चुकी थी वह इतना तो जान चुकी थी कि उसका बेटा अपनी खुली आंखों से उसकी नंगी गांड को देख लिया था उसे पेशाब करते हुए देख लिया था यह एहसास ही मधु के तन बदन में आग लगा रहा था,,,, बाल्टी को रस्सी में बांधता हुआ देख कर मधु बोली,)

तू रहने दे राजू में पानी निकाल लूंगी तूने कभी कुवे से पानी निकाला नहीं है,,,

अरे रहने दो ना मां मैं तुम्हारी मदद कर देता हूं,,

तू रहने दे मदद करने को याद है एक दिन तो इसी तरह से मेरी मदद कर रहा था,,,,तो ,,,,(इतना कहकर मधु एकदम से खामोश हो गई उसके कहने का मतलब को राजू अच्छी तरह से समझ गया था लेकिन फिर भी जानने के उद्देश्य से  वह बोला,,)

तो क्या हुआ मा आज भी मदद करने दो ना वैसे भी बाल्टी आज कुछ ज्यादा भारी है उसे से बड़ी है,,,,,,

नहीं नहीं तू रहने दे ,,(और इतना कहने के साथ ही,,,, मधु  बाल्टी को कुएं में नीचे गिरा दी,,,और उसमें पानी भरने के लिए उसे गोल गोल कमाने लगे ऐसा करने पर मधु पूरी तरह से झुकी हुई थी,,, और झुकने की वजह से उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड कुछ ज्यादा ही उभर कर बाहर निकली हुई थी राजू का मन तो कर रहा था कि पीछे से दबोच ले लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी,,,कुछ पल पहले ही वह अपनी मां की नंगी गांड को देख चुका था साड़ी में और साड़ी के बगैर उसकी मां की दोनों तरह से ही बेहद खूबसूरत और आकर्षित लगती थी,,,,,,उसकी मां कुएं से पानी निकालने की कोशिश कर रही थी और राजू चारों तरफ का नजारा देख रहा था चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था बस पंछियों की आवाज भी सुनाई दे रही थी,,, सूर‌ज सर पर चढ़ आया था,,,, राजू अपने पिताजी को मन ही मन धन्यवाद दे रहा था कि अच्छा हुआ उन्होंने उसे बेल गाड़ी चलाना सिखा दिया वरना इतना खूबसूरत सफर का मजा हुआ कभी नहीं ले पाता,,,,,।

क्या हुआ मा आऊं क्या,,,,(अपनी मां को नीचे झुके हुए कुवे से पानी की बाल्टी को भरते  हुए देखकर  राजू बोला,,)

नहीं नहीं मैं कर लूंगी,,,,(राजू की तरफ देखे बिना ही मधुर बोली हालांकि वह अपने मन में यही चाहती थी कि उसकी मदद करने के लिए उस दिन की तरह ही उसका बेटा आज भी उसके पीछे खड़ा होकर कुवे में से  बाल्टी को खींचे तो बहुत मजा आ जाए क्योंकि ना जाने क्यों मधु का मन अपने बेटे की मर्दाना ताकत की चुभन को अपनी गांड पर महसूस करने के लिए कर रहा था,,,,, राजू वहीं खड़ा रहा लेकिन तभी देखा कि कुएं में से बाल्टी को खींचते समय उसकी मां का पैर तक मंगा रहा था तो वह तुरंत अपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसी तरह से रस्सी को पकड़कर खींचने लगा जैसा कि उस दिन अपनी मां की मदद कर रहा था,,,,अपनी मां की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड और बाकी पूरी तरह से नंगी देखने के बाद उसका लैंड पहले से ही उफान मार रहा था और इस तरह से उसके पीछे खड़े हो जाने पर तो ऐसा लग रहा था कि पैजामा फाड़ कर बाहर ही आ जाएगा,,,,राजू अपनी मां की मदद करने के लिए अपनी मां के पीछे खड़ा होकर रस्सी को खींचने लगा था उसकी मां भी रस्सी खींच रही थी,,,,कुछ देर पहले ही उसके बेटे ने उसे पेशाब करते हुए देखा था इस बात का एहसास उसे उत्तेजित कर रहा था मधु की बुर से मदन रस का बहाव बड़ी जोर से हो रहा था,,,, तभी बाल्टी को खींचते समय वही एहसास फिर से मधु को महसूस होने लगा जैसा कि वह पहली बार महसूस की थी राजू का लंड पर जाने में होने के बावजूद भी पूरी तरह से उभार लिए हुए था जो कि ठीक उसकी मां की गांड के बीचो-बीच धंस रहा था,,, मधु की तो हालत खराब होने लगी इसीलिए वह अपने बेटे को मना कर रही थी लेकिन उसी से अकेले बाल्टी खींची भी नहीं जा रही थी और वह खुद चाहती थी कि उसका बेटा उसकी मदद करें,,,,।

मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, इस हरियाली से भरे स्थान पर मधु की जवानी जोर मार रही थी और वह भी अपने बेटे के लिए,,,धीरे-धीरे राजू बाल्टी को ऊपर की तरफ खींचने लगा लेकिन साथ ही जानबूझकर अपने लंड का दबाव अपनी मां की गांड पर बराबर बनाए हुए था उसकी मां भी उसकी हरकत का पूरा मजा ले रही थी,,,तो अभी जान पूछ कर ना जाने किस एहसास से अपनी गांड को पीछे की तरफ दे मार रही थी,,,, कभी-कभी राजू जल्दबाजी दिखाते हुए पूरा जोर लगा कर बाल्टी कोऊपर की तरफ खींचता तो अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का दे देता ऐसा करने से उसे अपनी मां को चोदने का एहसास हो रहा था और उसके हर एक धक्के पर मधु पूरी तरह से पानी-पानी हो जा रही थी,,,बाल्टी जब तक कुएं से बाहर आती तब तक राजू ने अपनी हरकत की वजह से अपने लंड की रगड़ को अपनी मां की गांड पर महसूस करवा करवा कर उसका पानी निकाल दिया था मधु झड़ चुकी थी,,,,,,एहसास मधु के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था कि उसका बेटा बिना उसकी चुदाई कीए ही उसका पानी निकाल दिया था,,,, बाल्टी बॉय से बाहर आ चुकी थी और मधुअपने चेहरे पर आई शर्म की लालिमा को अपने बेटे से छुपाते हुए अपने हाथ में पानी लेकर अपने चेहरे पर मारकर अपने चेहरे को धोने की कोशिश करने लगी,,,,राजू को इस बात का आभास तक नहीं था कि राजू ने अपनी हरकत की वजह से अपनी मां का पानी निकाल दिया है,,, अपने चेहरे को धोते समय मधु चोर नजरों से अपने बेटे के पजामे की तरफ देखी तो दंग रह गई,,, उसके पहचाने में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था और पल भर में ही मधु अपने बेटे के तंबू की शक्ल को उसके नंगे लड की कल्पना में तब्दील करने लगी तो वहां उसकी मोटाई और लंबाई से हैरान रह गई हालांकि अब तक वह अपने बेटे के लंड को नग्न अवस्था में नहीं देखी थी लेकिन फिर भी जो नजारा हुआ देख रही थी उससे उसे अच्छी तरह से आभास हो रहा था कि उसके बेटे के पजामे में मर्दाना ताकत से भरा हुआ है एक लंबा तगड़ा लंड है जो कि किसी की भी बुर में जाकर उसका पानी निकाल सकता है,,,,,।

दोनों पानी पीकर तृप्त हो चुके थे,,,, राजू वापस बेल गाड़ी चलाने लगा और अपनी मंजिल की तरफ जाने लगा थोड़ी ही देर में हवेली आ चुकी थी वह अपनी मां को घर गाड़ी से उतारकर,,,वापस घर की तरफ आ गया उसका मन तो आज घर पर लौटने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था क्योंकि वह सोच रहा था कि शादी में रुक जाए और यहीं पर किसी भी तरह का जुगाड़ करके अपनी मां की चुदाई कर दे क्योंकि ऐसा लग रहा था कि उसकी मां उसकी बातों में पूरी तरह से आ चुकी थी,,, लेकिन उसका घर पहुंचना भी जरूरी था,,, इसलिए वापस घर पर आ गया,,,।

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