राजू और गुलाबी दोनों की सगाई हो चुकी थी सगाई में राजू ने दिल खोलकर खर्चा किया था और पूरे गांव वालों के साथ साथ गांव के जमींदार और उसकी बहन को भी आमंत्रित किया था जो की खुशी खुशी राजू और गुलाबी की सगाई में शामिल भी हुए थे,,,, नाच गाना भोजन सब का प्रबंध राजू ने बड़े अच्छे से किया था,,,,,,,, झुमरी की सगाई राजू के साथ रंजीत से देखी नहीं जा रही थी रंजीत उस दिन से ही चुनरी के पीछे अपने आदमी को लगा दिया था जिस दिन से उसकी नजर झुमरी पर पड़ी थी और झुमरी के चलते राजू ने उसकी जमकर पिटाई की थी,,,,, राजू और झुमरी की सगाई रंजीत ने अपनी आंखों से देखा था और एकदम आग बबूला हो गया था झुमरी की खूबसूरती को वह पाना चाहता था उसे भोगना चाहता था लेकिन राजू के चलते ऐसा मुमकिन नहीं था इसीलिए दोनों की सगाई की बात वहां विक्रम सिंह से कर दिया था और यह भी कह दिया था कि,,, लाला पर दिए गए धमकी का असर बिल्कुल भी नहीं हो रहा है और वह तो निश्चिंत होकर पूरे गांव में घूम रहा है सगाई में शामिल होकर आनंदित हो रहा है नाच गाने का मजा ले रहा है इतना सुनकर विक्रम सिंह एकदम क्रोध से भर गया था उसे लगा था कि उसकी दी गई धमकी से लाला डर जाएगा और अपने आप ही सब कुछ उसके नाम कर देगा लेकिन राजू का साथ पाकर लाला में जाना गई थी और वह विक्रम सिंह के दिए गए धमकी पर बिना गौर किए अपना जिंदगी जी रहा था,,,,
इसलिए विक्रम सिंह आगबबूला होकर अपने आदमियों को लेकर हवेली की तरफ निकल गया था,,,,,, जहां पर निश्चिंत होकर लाला अपनी हवेली में बैठकर हुक्का गुड़गुड़ा रहा था,,,,,,,, विक्रम सिंह जैसे ही हवेली के मुख्य द्वार पर पहुंचा उसके आदमी पहरेदार को मारना शुरू कर दिए और एकाएक हुए हमले से वह दोनों को समझ नहीं पाए और तुरंत वहां से भाग लिए,,,,, लाला को इस बात का आभास तक नहीं था कि जिसके सहारे वह हवेली में निश्चिंत होकर रह रहा था वही दोनों मुसीबत की घड़ी में हवेली छोड़कर भाग खड़े हुए थे,,,, विक्रम सिंह मुख्य द्वार को पार करके हवेली के बड़े दरवाजे के लक पहुंचा और जोर से आवाज लगाता हुआ दरवाजा खोलने लगा,,,।
लाला कहां है निकल बाहर,,,(इतना कहने के साथ ही विक्रम सिंह दरवाजा खोल कर हवेली में प्रवेश कर गया,,, सामने ही गद्दी पर बैठ कर लाला हुक्का गुड़गुड़ा रहा था विक्रम सिंह को देखते ही उसकी आंखें एकदम से फटी की फटी रह गई उसके बदन में खून जमने लगा वह सोचा नहीं था कि विक्रम सिंह इस तरह से उसकी हवेली में आ जाएगा वह तो निश्चिंत था कि दरवाजे पर पहरेदार खड़ा कर रखा है लेकिन उसे क्या मालूम था कि पहरेदार मुसीबत की घड़ी में उसे छोड़कर भाग खड़े होंगे,,,,)
विक्रम सिंह तुम यहां,,,(विक्रम सिंह को गुस्से में देख कर लाना अपने मुंह में से हुक्के की पाइप को बाहर निकालते हुए बोला,,,)
तुझे क्या लगा मैं यहां नहीं आ सकता दरवाजे पर दो पहरेदार खड़ा कर दिया तो क्या तू निश्चिंत हो गया वह दोनों तो कब से भाग खड़े हुए हैं,,,,,
(इतना सुनते ही लाला के पसीने छूटने लगे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें फिर भी स्थिति को संभालने हेतु वह बोला)
हुआ क्या है विक्रम सिंह मुझे कुछ तो बताओ,,,,
देख रहे हो चाचा इसके तेवर बदले बदले से लग रहे हैं जैसे इसे कुछ मालूम ही नहीं है,,,,
देख रहा हूं रंजीत पहली बार ऐसा हुआ है कि मेरी दी गई धमकी का किसी पर बिल्कुल भी असर नहीं हुआ है,,,,, वरना आज तक किसी की हिम्मत नहीं हुई की मेरी बात को काट सकें वह तो पिताजी की दोस्ती के खातिर मैंने इसे 1 महीने का समय दे दिया था लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसे जरा भी फर्क पड़ा होगा,,,,,
यह कैसी बातें कर रहे हो विक्रम सिंह हमारे पिताजी और तुम्हारे पिताजी के बीच गहरी दोस्ती थी,,,, थोड़ा तो लिहाज करो तुम तो तू तड़ाका वाली बातें कर रहे हो,,,,
क्योंकि तू मान सम्मान के लायक नहीं है,,,,, मैं बात को इधर उधर ना घुमा कर सीधे मुद्दे पर आता हूं,,,, देख मैंने तुझे 1 महीने का समय दिया था,,,,, इस बीच तुझे हमारे पिताजी के द्वारा दिया गया उधार पैसा चुकाना था या फिर अपनी मर्जी से अपनी हवेली खेत खलियान और गोदाम सब कुछ हमारे नाम करना था,,,,, लेकिन मुझे नहीं लगता कि तूने इस बारे में थोड़ा भी विचार किया होगा,,,,।
विचार कैसा करना विक्रम सिंह,,,, हमारे पिताजी ने तुम्हारे पिताजी से जितनी भी रकम उधार मिली थी एक-एक पाई सूत समेत चुका दिए हैं कुछ दिन पहले ही हमें रकम चुकाई का कागजात मिला है,,,,,,।
(इतना सुनते ही विक्रम सिंह के चेहरे पर हे रानी के भाव नजर आने लगे,,,,, वह रंजीत सिंह की तरफ देखने लगा रंजीत सिंह भी थोड़ा सा चौक गया था लाला की बात को सुनकर लेकिन फिर वह बोला)
ऐसा है तो दिखाओ कागजात,,,,
हां हां मैं अभी लेकर आता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही लाला अपने कमरे में गया और थोड़ी देर बाद एक पुरानी सी डायरी लेकर आया,,,,,, और उसके पन्ने पलट कर उसे अपने पिताजी की लिखावट दिखाने लगा जिसमें साफ-साफ उसके पिताजी ने लिख रखा था कि अब उसके ऊपर कोई भी कर्जा नहीं है उसने एक-एक पाई चुका दिया है,, जोकि देने वाले के नाम सहित लिखा हुआ था लाला जैसे ही डायरी का पन्ना खोल कर रंजीत और उसके चाचा विक्रम सिंह की तरफ आगे बढ़ा कर दिखाने लगा और विक्रम सिंह डायरी पर लिखे हुए उस उधार नामा को पढ़ते ही जोर जोर से हंसने लगा उसे हंसता हुआ देखकर लाला समझ गया था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है लेकिन फिर भी बोला)
क्या हुआ विक्रम सिंह तुम ऐसे क्यों हंस रहे हो,,,
अरे बेवकूफ आदमी हंसु नहीं तो और क्या करूं,,,,
(विक्रम सिंह के साथ-साथ उसके आदमी लोग भी है जोर जोर से हंस रहे थे मानो कि लाला की खिल्ली उड़ा रहे हो,,,,,) तुम मुझे क्या दिखा रहा है डायरी पर लिखा हुआ लिखावट क्या यह मान्य है ये कोई दस्तावेज है,,,,
लेकिन विक्रम सिंह मेरे पिताजी ने जो रकम तुम्हारे पिताजी से उधार लिया था वह भी तो कोई दस्तावेज में लिखा हुआ नहीं था बस दोस्ती के खातिर ले लिए थे ना कोई दस्तावेज ना कोई लिखावट ना कुछ गिरवी रखना ऐसा तो कुछ बात नहीं हुआ था,,,,
अभी तो लाला वह पिताजी का जमाना था लेकिन यह जमाना मेरा है मेरे लिखावट को नहीं मानता और मुझे तुम्हारी जमीन जायदाद गोदाम खेत खलियान सब कुछ चाहिए अगर यह सब बचाना चाहते हो तो रकम मुझे वापस लौटा दो मैं चला जाऊंगा,,,,
नहीं नहीं विक्रम सिंह ऐसा क्यों कर रहे हो थोड़ा तो अपनी जमीदारी की लाज रखो अपने पिताजी और मेरे पिताजी के रिश्ते के बारे में तो सोचो,,,,, यह हवेली खेत खलियान गोदाम यह सब कुछ बाप दादा की कमाई हुई है हमारी इज्जत है सब कुछ है मैं ऐसे कैसे तुम्हें दे दुं,,,,
(इतना सुनते ही विक्रम सिंह एकदम से क्रोधित हो गया और दोनों हाथ को आगे बढ़ा कर लाला की छाती पर जोर से पीटते हुए उसके गिरेबान को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींच लिया और गुस्से में बोला)
हरामजादे अब तक मैंने तुझे प्यार से समझाया लेकिन अब तू मेरा गुस्सा देखेगा,,,,, कल तक अपनी मर्जी से तुझे सब कुछ मेरे नाम करना होगा अगर ऐसा नहीं किया तो तेरी लाश आम के बगीचे पर लटकी मिलेगी याद रखना तू अभी भी मेरा कुछ नहीं कर पाएगा और कल भी कुछ भी उखाड़ नहीं पाएगा याद रख लेना अब फैसला तुझे करना है कि जमीन जायदाद हवेली से चिपके रहना है ,,,इसके लिए जान देना है या फिर जिंदा रहना है,,,,,
(विक्रम सिंह लाला को धमका ही रहा था कि तभी नहा कर तरोताजा होकर सोनी उस कक्ष में प्रवेश की उसे नहीं मालूम था कि उस कक्ष में विक्रम सिंह अपने आदमियों के साथ खड़ा है उसे तो लगा था कि उसका समय सिर्फ उसका भाई ही है इसलिए वह केवल साड़ी पहनी थी और अपनी चुचियों को छुपाने के लिए ब्लाउज नहीं पहनी थी उस पर सिर्फ अपनी साड़ी कंधे पर डालकर अपनी दोनों चुचियों को साड़ी के पल्लू से छुपाई हुई थी जो कि नहा कर आने की वजह से अभी भी उसके बदन पर गीलापन था जिसकी वजह से साड़ी भी गीली हो चुकी थी और उसकी दमदार जानलेवा चुचियों से चिपक कर मदमस्त कर देने वाली चूचियों को उजागर कर रही थी,,,,,,
जैसे ही सोनी उस कच्छ में आई इतने सारे आदमियों को देखकर,,, वह जिस हालत में थी अच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि उसकी दोनों चूचियां एकदम साफ नजर आ रही थी और उसे ऐसा ही लगा था कि कच्छ में सिर्फ उसका बड़ा भाई ही है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत थी लेकिन वह एकदम से घबरा गई थी और अपनी दोनों जवानी को छुपाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह ऐसा कर पाती इससे पहले ही विक्रम सिंह के साथ-साथ रंजीत सिंह और उसके साथियों की भी नजर सोनी की मदमस्त कर देने वाली दोनों जवानी पर पड़ चुकी थी विक्रम सिंह तो सोनी को इस हालात में देखकर एकदम से उत्तेजित हो गया और लाला को छोड़कर तुरंत सोनी की तरफ गया और उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसे अपनी बाहों में भर लिया जिस तरह से विक्रम सिंह ने सोनी को अपनी तरफ खींचा था उसकी पीठ विक्रम सिंह की छाती से एकदम से चिपक गई थी और विक्रम सिंह अपनी मजबूत भुजाओं में बड़ी मजबूती से सोनी को भर लिया था जिससे उसकी गोल-गोल उभरी हुई गांड सीधे विक्रम सिंह के लंड से टकरा रही थी जो कि पल भर में उत्तेजित होकर खड़ा हो चुका था अपनी नरम नरम गांड पर विक्रम सिंह के कठोर लंड का स्पर्श पाते ही सोनी एकदम से घबरा गई और विक्रम सिंह की मौके का फायदा उठाते हुए अपने दोनों हाथ को उसके खरबूजे जैसी चूची पर रख दिया जो की पूरी तरह से नंगी थी और बोला,,,।
वाह मेरी रानी तू खामखा इस हवेली में अपनी जवानी को पानी पानी कर रही है चल मेरे साथ तुझे अपनी रखेल बनाकर रखूंगा और रोज रात को तुझे चांद की सैर कराऊंगा,,,
छोड़ हरामजादे,,,, छोड़ मुझे,,,,(सोनी अपने आपको विक्रम सिंह की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन यह मुमकिन बिल्कुल भी नहीं था और यह देखकर लाला भी एकदम आग बबूला हो गया और विक्रम सिंह की तरफ आगे बढ़ते हुए जोर से चिल्लाया)
हरामजादे विक्रम सिंह आज मैं तुझे नहीं छोडूंगा,,,,(उसका इतना कहकर विक्रम सिंह की तरफ आगे बढ़ना था कि विक्रम सिंह का आदमी तुरंत उसे दबोच लिया उसके गले पर चाकू रख दिया और बोला)
जरा सी भी चला कर दिखाया तो यही तेरी गर्दन धड़ से अलग कर दूंगा,,,,
(लाला एकदम से घबरा गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा एकदम से फंस चुका था विक्रम सिंह की ताकत को अच्छी तरह से जानता था और साथ ही उसके आदमियों को भी जोकि कही गई बात को पूरा करने में बिल्कुल भी वक्त नहीं लगाते हो बस इशारा मिलने के लिए दी थी लेकिन विक्रम सिंह मुस्कुराकर फिर से सोने के ऊपर अपना पूरा ध्यान बटोर लिया और उसके कंधे पर से साड़ी का पल्लू हटाते हुए उसकी चुचियों को एकदम नंगी कर दिया और उसकी नंगी चूची को अपने दोनों हाथों में भरकर जोर जोर से दबाते हुए बोला,,,)
मेरी रानी छटपटाती हुई औरतें मुझे बहुत पसंद है औरत जितना छटपटाती है उसे चोदने के उतना ही मजा आता है कितना मजा आएगा जब लाला की आंखों के सामने उसकी बहन की बुर में मेरा लंड जाएगा और मैं जी भर कर इसे चोदूंगा,,,,।
(विक्रम सिंह की अश्लील हरकत और अपनी बहन के बारे में इतनी गंदी बात सुनकर लाला एकदम से क्रोध में भरकर भले ही अपनी बहन के साथ उसका संबंध शारीरिक तौर पर था लेकिन फिर भी थी तो उसकी बहन ही इसलिए वह दूसरे के मुंह से अपनी बहन के लिए इस तरह की गंदी बातें कैसे सुन सकता था इसलिए वह जोर से चिल्लाया ही था)
विक्रम,,,(और इतने में ही उसके आदमी का चाकू गर्दन पर दबाव बढ़ाने लगा और लाला एकदम से घबरा गया,,,, एकदम से वह खामोश हो गया विक्रम सिंह एक नजर लाला के ऊपर डाला और फिर अपनी हथेली को जोर-जोर से सोने की चूची पर रखकर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया उसे इस समय इतना गजब कहानी प्राप्त हो रहा था कि पूछो मत लेकिन सोनी एकदम घबराई हुई थी उसे इस बात का डर था कि कहीं विक्रम सिंह उसके साथ अपनी मनमानी ना कर बैठे,,,,, सोनी इतनी खूबसूरत है कि उसका खूबसूरत बदल और उसकी चूची देखकर रंजीत सिंह के मुंह में पानी आ रहा था और उसके आदमियों की भी हालत खराब थी वह लोग एकदम गौर से सोने की हालत को देख रहे थे और उसकी चूची को अपनी मालिक विक्रम सिंह की हथेली में देखकर मस्त हुए जा रहे थे,,,,, अपने होठों को सोने के गर्दन पर रख उसे चुंबन करने के साथ-साथ उसकी चूची को दबाते हुए विक्रम सिंह बोला,,,)
लाला तुझे अपने बाप दादा की कमाई हुई धन दौलत शोहरत से इतना प्यार है लेकिन क्या तुझे अपने घर की इज्जत से भी उतना ही प्यार है जितना हवेली के लिए जान देने को तैयार हो गया है सोच अगर तेरी बहन की इज्जत लूट गई तो पूरे गांव में पूरे गांव में क्या पास पड़ोस के तेरी थु थु हो जाएगी,,,, और जब सबको पता चलेगा कि तेरी बहन मेरी रखैल बन कर मेरे हवेली में रहती है तब क्या होगा तेरी इज्जत एक कौड़ी की नहीं रह जाएगी तब क्या करेगा इस हवेली को इस जायदाद को इस व्यापार को,,,, विक्रम सिंह अपनी बातों से लाला को डराने की कोशिश भी कर रहा था और सोनी की गरम जवानी के चलते वह पूरी तरह से गर्म भी हो चुका था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर सोनी की गांड में घुसा चला जा रहा था और सोनी अपनी गांड के बीचो बीच विक्रम सिंह के लंड को महसूस करके कसमसा रही थी वह किसी भी तरह से विक्रम सिंह की कैद से छूटना चाहती थी लेकिन वह अपने आप को छुड़ा नहीं पा रही थी,,,,, लाला की हालत खराब हो चुकी थी उसकी आंखों के सामने ही विक्रम सिंह उसकी बहन की इज्जत पर हाथ डाल रहा था विक्रम सिंह ऐसा कर सकता था इस बात को लाला अच्छी तरह से जानता था क्योंकि वह एक नंबर का गिरा हुआ इंसान था,,,,)
लाला जरा सोच तेरी आंखों के सामने इसी समय अगर मैं तेरी बहन की साड़ी उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दूं तो भी तो कुछ नहीं कर पाएगा और सोच मैं अपने लंड को तेरी बहन के मुंह में डाल भी दूं तो भी उसके पास भी उसे चूसने के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचेगा तेरी बहन तेरी आंखों के सामने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसेगी ना तू कुछ कर पाएगा वरना तेरी बहन और फिर यही अपने हाथों के सामने ही मैं तेरी बहन की बुर में लंड डालकर उसे चोदूंगा और फिर पीछे से भी तेरी बहन की गांड मारूंगा निश्चित तौर पर तेरी बहन को शुरू शुरू में अच्छा तो नहीं लगेगा लेकिन मेरा बलशाली लंड पाकर तेरी बहन धन्य हो जाएगी और फिर खुद ही मेरी रखैल बनने के लिए तैयार हो जाएगी क्योंकि औरतों को खुश करने में मैं माहिर हूं एक बार तेरी बहन मेरे लंड की सवारी करने की फिर इसे सवारी पर से उतरने का नाम ही नहीं लेगी तब तू सोच तेरी क्या हालत होगी जब तेरी बहन भी तुझे छोड़कर मेरे पास आ जाएंगे और अगर इतने से भी तेरा दिल ना भरे तो मेरे बाद मेरा भतीजा और मेरे आदमी लोग भी तेरी बहन पर चढ़ेंगे तब तु क्या कर लेगा,,,,,।
(विक्रम सिंह की धमकी को सुनकर और उसकी हरकत को देखकर लाला रोने लगा वह घबरा चुका था क्योंकि वह जानता था कि वह विक्रम सिंह का कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता और रोते हुए बोला)
मेरी बहन को छोड़ दो उसका क्या कसूर है उसके साथ ऐसा गलत व्यवहार मत करो,,,,
मैं भी तो यही चाहता हूं लाला लेकिन तू शायद अपनी बहन की इज्जत की परवाह नहीं करता तुझे तो सिर्फ हवेली से प्यार है जमीन जायदाद जमीदारी से प्यार है लेकिन अपनी बहन से जरा भी प्यार नहीं है इसीलिए तुझे आखरी मौका देता हूं कल शाम तक तू अपनी जमीन जायदाद हवेली खेत खलियान गोदाम सब कुछ मेरे नाम पर कर देना अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर दूसरे तरीके से तो मैं हासिल करना जानता ही हूं और लेकिन तब तेरा और भी ज्यादा बिगड़ जाएगा तेरी बहन मेरे हवेली की रखैल बन कर रह जाएगी जिस पर रोज न जाने कितने लोग चढ़ेंगे मेरा भतीजा तो अभी से तैयार है क्यों रंजीत,,,,।
चाचा जी आप के इशारे की देरी है वरना मेरा लंड तो कब से तैयार है इसकी बुर में जाने के लिए,,,,
नहीं नहीं विक्रम सिंह ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,,,, मैं कहीं का नहीं रह जाऊंगा किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाऊंगा,,,
इसीलिए तो प्यार से काम ले रहा हूं अभी तो मैं जा रहा हूं लेकिन कल शाम तक अगर तू मेरी बात नहीं मानी तो जो कुछ भी होगा उसका जिम्मेदार तु खुद होगा,,,,,
चलो,,,,,।
(इतना कहकर विक्रम सिंह हवेली के बाहर जाने लगा और पीछे पीछे उसके आदमी और उसका भतीजा रंजीत सिंह जाने लगा रंजीत सिंह धीरे से अपने चाचा से बोला,,,)
क्या चाचा जी यही मौका था उसकी जमीन जायदाद अपने नाम करने का,,,,
अरे बुद्धू मैं जानता हूं इसी समय में सब कुछ अपने नाम करवा सकता था लेकिन यह भी जानता हूं कि लाला के पास अब कोई रास्ता नहीं लाला मेरी ताकत से अब अच्छी तरह से वाकिफ हो गया है देख नहीं रहा था कि से रो रहा है मुझे पूरा यकीन है कि ये खुद ही कल सब कुछ मेरे नाम पर कर देगा,,,,,
अगर ऐसा नहीं हुआ तो चाचा,,,,
अगर ऐसा नहीं हुआ तो कल बहुत कुछ हो जाएगा,,,,,,
(हवेली के अंदर विक्रम सिंह के जाते ही सोनी रोते हुए अपने भाई के सीने से लग गई और लाला भी रोने लगा वह दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि वह दोनों की ताकत एकदम से खत्म हो चुकी है अब क्या होने वाला है इस बात का एहसास दोनों को नहीं था लेकिन दोनों इतना जरूर जानते थे कि अगर विक्रम सिंह की कही बात सच हो गई तो बरसों की पुरखों की बनी बनाई इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी,,,,)