You dont have javascript enabled! Please enable it! बैलगाड़ी – Pariwar Me Sex Story | Update 136 - KamKatha
बैलगाड़ी - Pariwar Me Chudai Ki Kamuk Gatha

बैलगाड़ी – Pariwar Me Sex Story | Update 136

वादे के मुताबिक राजू निश्चित कि हुई जगह पर पहुंच चुका था यह जगह गांव के खत्म होने के बाद शुरू होती थी और लगभग लगभग जंगल की तरह ही नजर आती थी चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ घनी झाड़ियां बड़े-बड़े घास,,,, और इनमें सांप बिच्छू का डर अलग से बना रहता था इसलिए यहां पर गांव वाले बहुत कम ही आते थे लगभग ना के बराबर ही ,,, अभी तक राजू की मां वहां पर पहुंची नहीं थे इसलिए राजू वहीं पर घोड़े से उतरकर अपनी मां का इंतजार करते हुए उसकी राह देखने लगा,,,,

राजू के मन में कुछ और चल रहा था आज गोदाम पर कोई नहीं था गोदाम पूरी तरह से खाली था सिर्फ दशहरी आम संतरे व खरबूजे ही रखे हुए थे,,,, तीनों फल की गोलाई के बारे में सोच कर उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी बड़ी चूची नजर आने लगती थी  पहले उसका ऐसा इरादा बिल्कुल भी नहीं था लेकिन आम संतरा और खरबूजा के बारे में सोच कर उसके मन में यही चल रहा था कि वह अपनी मां को गोदाम में लाकर जी भर कर उसकी जुदाई करें क्योंकि वहां कोई नहीं था ना देखने वाला नहीं सुनने वाला गोदाम के अंदर चुदाई का वह एक अलग अनुभव लेना चाहता था इसीलिए तो वह अपनी मां को गोदाम घुमाने के लिए तैयार हो चुका था और इसीलिए बड़ी बेसब्री से अपनी मां का इंतजार भी कर रहा था,,,,,,, बेचैनी के साथ-साथ पजामें में कैद मुसल का तनाव बढ़ता जा रहा था,,,, राजू बड़ी बेसब्री से अपनी मां का इंतजार करते हुए उसी जगह पर चहलकदमी कर रहा था और सड़क की तरफ देख रहा था जो कि पूरी तरह से घनी झाड़ियों से गिरी हुई थी किसी का आना जाना दूर से दिखाई नहीं देता था इसीलिए तो राजू अपनी मां को इस जगह पर बुलाया था ताकि गोदाम पर ले जाते समय उसे कोई देख ना सके,,,,

कुछ ही देर में उसकी इंतजार की घड़ी खत्म हो गई उसकी आंखों के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत मुस्कुराते भी आती हुई दिखाई दी जिसके सर पर पल्लू है और उसी पल्लू से उसकी बड़ी-बड़ी छातियां छुपी हुई थी लेकिन तेज चल रही हवाओं की वजह से उसके साड़ी का पल्लू उड़ जा रहा था और उसकी घनघोर घटाओं से घिरी हुई भारी-भरकम छातियां दूर से ही नजर आने लगती थी गोलाकार नितंबों की वजह से उसकी चाल भी बेहद मादक थी जिसे देखने पर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए और यही हाल राजू का भी हो रहा था अपनी मां को अनेकों बार भोग चुका राजू इस समय भी अपनी मां को देखकर उत्तेजित वजह रहा था देखते ही देखते उसकी मां राजू के एकदम करीब आ गई,,, और राजू से बोली,,,,।

मुझे थोड़ी सी देरी हो गई क्या करूं घर का काम निपटाने में थोड़ा समय लग गया,,,

तभी मैं सोचूं कि इतनी देर कैसे लग गई मैं तो तुमसे कहा था ना कि घर का कामकाज छोड़कर समय पर चली आना मैं कब से यहां पर इंतजार कर रहा हूं,,,

अरे कोई बात नहीं बेटा आ तो गई ना बस यही बहुत है,,,,

चलो कोई बात नहीं,,,(इतना कहने के साथ ही राजू घोड़े की राशि पकड़कर उछल कर उसके ऊपर चढ़कर या देखकर हैरान होते हुए मधु बोली)

अरे यह क्या मैं कैसे चलूंगी,,,,

मेरे लंड पर तो बैठ कर चलोगी नहीं घोड़े पर ही बैठ कर जाना है,,,,

बाप रे यह मुझसे ना हो पाएगा मुझे तो बहुत डर लगता है,,,,

अरे यार कैसा मैं हूं ना,,,,

नहीं राजू पैदल ही चलते हैं,,,,

पैदल जाओगी देख रही हो घनी झाड़ियां यहां कहां पर सांप बिच्छू आएंगे दिखाई भी नहीं देगा और काट लेंगे,,, आओ डरो मत,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां का हाथ पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा और मधु समझ गई कि अब राजू की बात माने बिना दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है इतनी घनी झाड़ियों में वह पैदल पैदल जा भी नहीं सकती थी,,,)

अरे लेकिन मुझे बैठना नहीं आता,,,

अरे तुम आओ तो सही मैं बताता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही अपनी मां का हाथ पकड़ कर वह ऊपर की तरफ उठाने लगा और बोला) पहले नीचे जो लोहे का बना है उसमें अपना पैर रखो,,,

इसमें,,,(आंख के इशारे से बताते हुए)

हां इसी में थोड़ा सा पेर ऊपर उठाओ,,,,

(इतना सुनते ही मधु अपना एक पैर ऊपर की तरफ उठाने लगी ऊंचाई कुछ ज्यादा थी इसलिए उसकी साड़ी एकदम घुटनों से ऊपर जांघ तक आ गई थी और नीचे की नंगी  टांग साफ दिखाई दे रही थी वह तो अच्छा था कि यहां पर कोई देखने वाला नहीं था अपने पैर को उस लोहैं की गोलाई में रखते हुए मधु बोली,,)

बाप रे तो कुछ ज्यादा ही ऊपर है मेरी साड़ी जांघ तक आ गई,,,

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं अगर यहां से नंगी होकर गोदाम तक जाओगी तो भी‌ देखने वाला कोई नहीं है,,,

धत् हमेशा तुझे यही सब सुझता रहता है,,,

क्या करूं तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि तुम्हें देखकर ही यही सब ख्याल आते हैं,,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां का हाथ कस के पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया और दोनों हाथों को अपनी मां की कमर पर रख कर उसे पकड़कर थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा कर उसे अपने ठीक आगे घोड़े पर बिठा दिया ऐसा करने पर मधु एकदम से गड़बड़ा गई और बोली ,,,)

तू तो मुझे अपने आगे बिठा दिया कोई देखेगा तो क्या बोलेगा,,,,

अरे मैं तुमसे कह रहा हूं ना कि यहां से अगर बिना कपड़ों के भी जाओगी तो भी कोई देखने वाला नहीं बेफिक्र रहो जहां कोई आता जाता नहीं है,,,,,

मुझे क्या मालूम मैं यहां तक थोड़ी आती हूं,,,,

(मधु घोड़े के ऊपर अपने बेटे के ठीक आगे बैठ गई थी और उसके सट कर राजू बैठा हुआ था वह एक तरह से अपनी मां को पीछे से बाहों में पड़ा हुआ था पहले से ही उसका लंड पूरी तरह से खडा था जो कि इस अवस्था में सीधे मधु की गांड से टकरा रहा था और अपने बेटे की लंड की चुभन मधु को अच्छी तरह से अपनी गांड पर महसूस हो रही थी जिसके चलते वह भी उत्तेजित हो रही थी,,, जिंदगी में पहली बार मधु घोड़े पर सवार हुई थी इसलिए उसे बहुत अच्छा लग रहा था उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी फिर तो घोड़े पर बैठने का रोमांच और ऊपर से अपने बेटे के ठीक आगे ऐसा लग रहा था कि जैसे मानो राजू पीछे से उसे चोद रहा हूं इसलिए तो मधु के तन बदन में कुछ ज्यादा ही हलचल हो रही थी ठीक से अपनी मां को घोड़े पर बैठा लेने के बाद राजू बोला,,,)

आराम से बैठ गई हो ना,,,,

हां आराम से बैठ गई हूं,,,

कोई दिक्कत हो रही हो तो बोलना पीछे से तुम्हारी गांड में लंड डालकर खुंटा बना लूंगा और फिर तुम गिरोगी नहीं,,,

धत् शैतान हमेशा इसी तरह की बातें करता है,,,

Raju is tarah se apni ma ko ghode par bitha k le ja Raha tha 

बातें करता नहीं चलो गोदाम पर वहां तुम्हारी जमकर चुदाई करूंगा,,,,(ऐसा कहते हुए राजू घोड़े की लगाम खींचकर उसे आगे बढ़ने का इशारा कर दिया और घोड़ा धीरे-धीरे दौड़ने लगा अपने बेटे की बात सुनकर मधु मुस्कुराते हुए बोली)

अगर गोदाम पर ले जाकर यह सब करना है तो रहने दे तु मुझे उतार दे मैं घर चली जाऊंगी,,,

आहा कह तो ऐसे रही हो कि जैसे तुम्हारी बुर तड़प नहीं रही है मेरे लंड के लिए अगर हाथ लगा कर देखुंगा तो उसमें से पानी ही निकल रहा होगा,,,

तो पानी निकलने वाली जगह ही है तो निकलेगा नहीं,,,,

लेकिन कुछ और सोच कर निकल रहा है,,,

क्या सोच कर निकल रहा है बता तो,,,

बताऊंगा नहीं गोदाम पर चलो वहीं पर दिखाऊंगा,,,,

(घोड़ा धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रहा था और राजू का बदन भी आगे पीछे हो रहा था ऐसा लग रहा था मानो जैसे कि वह अपनी मां को घोड़े पर बैठा कर चोद रहा हो बार-बार उसका मोटा तगड़ा लेना मधु की गांड से रगड़ खाता हुआ अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था जोकि मधु को एकदम साफ महसूस हो रहा था और इसी के चलते वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी,,,,। राजू को बेहद आनंददायक स्थिति लग रही थी उसका बस चलता तो अपनी मां के सारे कपड़े उतार कर नंगी घोड़े पर बैठा कर उसे गोदाम तक ले जाता और खुद भी नंगा हो जाता और ऐसे हालात में घोड़े पर बैठे बैठे ही उसकी बुर में लंड डालकर घोड़े की सवारी के साथ-साथ घोड़ी की भी सवारी का मजा ले लेता,,,,

अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड की रगड़ की वजह से मदद पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसकी बुर से वास्तव में नमकीन रस झर रहा था जिसकी वजह से उसका साया आगे से गिला होता जा रहा था,,,। उसका मन बहुत कर रहा था अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए लेकिन वो जानती थी कि गोदाम तक पहुंचने तक उसे सब्र करना होगा गोदाम के पहुंचने के बाद उसे अपने बेटे से कुछ भी बिना बोले ही उसका बेटा उसे बहुत कुछ दे देगा,,,।

गोदाम पर पहुंचने की जल्दबाजी और उत्सुकता दोनों के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी,,,, घोड़े की सवारी करना मधु को बेहद रोमांचित कर रहा था उससे भी ज्यादा रोमांच से भरा हुआ था अपने ही बेटे के लंड की सवारी जोकि उसका बेटा उसे अच्छी तरह से कराता था,,,,, इस जंगल जैसी जगह से मधु कभी गुजरी नहीं थी इसलिए सब कुछ उसे नया नया लग रहा था लेकिन इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से हो रहा था कि अकेले आना यहां पर बिल्कुल भी ठीक नहीं था क्योंकि चारों तरफ सिर्फ झाड़ियां ही झाड़ियां थी,,,,, अगर अकेले थे आते समय कोई गलत इंसान के हाथ में पड़ जाओ तो बचाने वाला यहां कोई नहीं है,,,,, लेकिन इस समय मधु को डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी इस बात को अच्छी तरह से जाती थी क्योंकि वह अपने बेटे के हाथों में थी और वह बेटा जो डाकुओं को मार भगाया था इसे बहादुर बेटे के साथ वह कहीं भी आ जा सकती थी और उसे अपने बेट पर बहुत गर्व होता था,,,।

घोड़े की सवारी करते समय राजू जिस तरह से घोड़े पर हिल रहा था उसे लग रहा था और मधु के बदन से जिस तरह से सटा हुआ था उस स्थिति में उत्तेजना के मारे राजू का लंड फटने की स्थिति में हो गया था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था लेकिन वह चाहता था कि अपनी जवानी की गर्मी वह अपनी मां की बुर गोदाम पर पहुंचने पर बड़े आराम से उतार सकता है,,,, अपनी मां को चोदने की उत्सुकता के चलते गोदाम तक की दूरी भी उसे मिलों की तरह लग रही थी,,,, आखिरकार जैसे तैसे करके व गोदाम तक पहुंच गया और वहां एक पेड़ के नीचे घोड़ा रोककर वह पहले खुद उतरा और,,,, फिर अपनी मां का हाथ पकड़ कर उसे उतारने की कोशिश करने लगा तो वह उतरने में डरने लगी इसलिए राजू तुरंत अपने दोनों हाथ को अपनी मां की कमर में डालकर उसे अपनी भुजाओं के बल पर घोड़े पर से नीचे उतार लिया,,,, और इसी अदा की तो मधु कायल थी वो मुस्कुराने लगी और चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी वो ठीक तरह से गोदाम के बाहर का मुआयना करना चाहती थी,,,,,,, इसलिए वह चारों तरफ नजर घुमाकर देख रही थी चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ बड़ी-बड़ी घांसे,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे का गोदाम जंगलों के बीच में बना हुआ था,,,,

आज कोई भी नहीं है,,,(चारों तरफ नजर घुमाते हुए मधु बोली)

आज कोई नहीं है तभी तो तुम्हें यहां लेकर आया हूं,,,,

तेरा इरादा कुछ ठीक नहीं लग रहा है,,,(अपनी आंखों को ना चाहते हुए अपने बेटे की तरफ देख कर बोली)

तुम्हें देखकर इरादा बदल जाता है,,,,

ऐसा क्यों,,,?

तुम्हारे दशहरी आम तरबूज इसी बड़ी-बड़ी गांव और लहसुन की कली जैसी तुम्हारी बुर किसी के भी ईमान डोलाने के लिए काफी है,,,,

मेरे दशहरी आम के बारे में छोड़ मुझे गोदाम के आम दिखा ताकि घर पर भी ले जा सकूं,,,,

सब तुम्हारा यह मां पूछने की जरूरत नहीं है जितना हो सकता है उतना ले जा सकती हो,,,,

हां मुझे मालूम है अब तो बहुत बड़ा व्यापारी बन चुका है सौदा करना चाहता है मेरे दशहरी आम को लेकर गोदाम के दशहरी आम देना चाहता है ना,,,

तुम बहुत चालाक हो मा,,, बहुत जल्दी समझ गई सच कहूं तो तुम्हारी दशहरी आम के आगे यह पेड़ पर उगने वाले आम की कोई कीमत नहीं है तुम्हारा दशहरी आम जिसे मिल जाए तो वह अपना पूरा गोदाम देदे सिर्फ तुम्हारे दशहरी आम के चलते,,,,(गोदाम के बड़े से दरवाजे को खोलते हुए राजू बोला और दरवाजा आवाज करता हुआ खुल गया दरवाजा के खुलते ही मधु की नजर गोदाम में पड़ी तो वह देखती रह गई ,,,गोदाम बहुत बड़ा था चारों तरफ संतरे खरबूजे और दशहरी आम पड़े थे और चारों तरफ लकड़ी की पट्टी के डिब्बे जिसमें फल भरकर शहर भेजा जाता था,,,, गोदाम के अंदर प्रवेश करते हुए मधु का मुंह आचार्य से खुला का खुला रह गया था वह एकदम आश्चर्य जताते हुए बोली)

बाप रे इतना बड़ा गोदाम इसमें तो पूरा गांव बैठकर खाना खाए फिर भी गोदाम खाली का खाली ही दिखेगा,,,

तो क्या ना कम से कम 50 बारात  आकर रुक सकती है इतना बड़ा गोदाम  है ये,,,,

क्या सच में तू इतने बड़े गोदाम का मालिक बन गया है,,,

तो क्या मैं सब कुछ अपना ही है मेरे हाथ के नीचे कम से कम 30 40 मजदूर काम करते हैं,,,,

वाह बेटा तेरी तो शान बन गई,,,(गोदाम के अंदर गोल गोल घूम कर मधु गोदाम को देख रही थी और राजू अपनी मां के भारी-भरकम गोदाम को देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था)

आओ मैं तुम्हें दशहरी आम दिखाता हूं,,,,(ऐसा कहते हुए राजू गोदाम के बीच से होता हुआ अंदर की तरफ जाने लगा जहां पर दशहरी आम की पेटी रखी हुई थी और उसमें बड़े-बड़े आप रखे हुए थे,,,, उन पेटीयों में से दो बड़े-बड़े आम निकालकर अपनी मां की तरफ दिखाते हुए बोला,,,)

देख रही हो मैं कितने बड़े बड़े हैं लेकिन तुम्हारे दशहरी आम से बड़े नहीं हैं,,,,

(अपने बेटे की बात सुनकर अचानक ही उसकी नजर अपनी छाती पर चली गई और वह मुस्कुरा कर अपनी चुचियों को और फिर राजू की तरफ देख कर बोली,,,)

बहुत शैतान हो गया है तू क्या इनमें से एक पेटी घर पर ले जा सकते हैं,,,,

1 पेटी,,,, अरे मां सारी की सारी पेटी घर पर ले जा सकती हो,,,

क्या तु सच कह रहा है,,,,(आश्चर्य से बोली)

हा मा में एकदम सच कह रहा हूं,,,,

ओहहहह राजु तूने तो हम लोगों की जिंदगी  ही बदल दिया,,,,(ऐसा कहते हुए मधु बहुत खुश हो रही थी और घूम घूम कर आम की सभी बेटियों को देख रही थी और मैं पढ़े बड़े-बड़े आम को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था लेकिन राजू तो अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची को देखकर ललचा रहा था अपनी मां की चूची को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था अभी भी बड़े-बड़े दोनों दशहरी आम उसके हाथ में ही थे जिसे दबा दबा कर वह ईस  बात का एहसास कर रहा था कि अपनी मां की चूची को हाथ में लेकर इसी तरह से दबाएगा,,,, आखिरकार उसके मन की बात उसके होठों पर आ ही गई और वह अपनी मां को बोला,,,)

मां पहले तुम अपना ब्लाउज खोलो देखो तो सही तुम्हारी चूची से बड़ी है या छोटी यह दशहरी आम,,,

बड़ी ही होगी,,,(अपने बेटे की हथेली में दशहरी आम को देखते हुए बोली)

नहीं ऐसे नहीं पहले अपने ब्लाउज के बटन खोलो और मुझे अपनी चूची दिखाओ तब समझ में आएगा,,,

कितनी बार देख चुका है फिर भी तुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मेरी चूची कितनी बड़ी है,,,,

हां यह बात तो है लेकिन इस समय समझ में नहीं आ रहा है इस समय मेरा दिमाग चकरा रहा है इसलिए तो कह रहा हूं जल्दी से अपने ब्लाउज का बटन खोलो,,,,

हाय दैया तू ऐसे बिल्कुल भी नहीं मानेगा,,,,

(और ऐसा कहते हुए वो खुद अपने ब्लाउज के बटन कौन है ना कि ऐसा नहीं था कि उसका मन नहीं कर रहा था अपनी ब्लाउज के बटन खोल कर अपने बेटे को अपनी नंगी चूची दिखाने का वह अंदर ही अंदर तड़प रही थी अपने बेटे को अपना नंगा बदन इस गोदाम में दिखाने के लिए ताकि उसका बेटा अपने मोटे तगड़े लंड  को उसकी बुर में  डालकर उसकी जवानी की गर्मी को शांत कर सके,,,, इसीलिए वह एक-एक करके अपने ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दी गोदाम में इस समय कोई भी मजदूर नहीं था इसलिए राजू पूरी तरह से निश्चिंत था और वहां अपनी मां की कामुक हरकत को देखकर मस्त हो रहा था,,,,

Please complete the required fields.




Leave a Comment

Scroll to Top