एक बार फिर राजू बाजार में कुछ देर रुक कर बैलगाड़ी लेकर आगे बढ़ गया था,,, लेकिन बाजार में उसने अपनी आंखों से और अपनी बातों से अपनी मां के साथ खूब मस्ती किया था जिसका एहसास मधु को भी थोड़ा थोड़ा हो रहा था,,,,,, खरबूजे वाली बात की तुलना अपनी मां की चुचियों से करके राजू अपने हौसले को और बड़ा चुका था,,, वह आप समझ गया था कि उसकी मां के साथ वो किसी भी तरह की बात करेगा तो उसकी मां उससे नाराज बिल्कुल भी नहीं होगी,,, राजू अपने मन में यही सोच कर खुश हो रहा था कि उसकी गंदी बातों से उसकी मां को भी मजा आता है तभी तो वह उसे रोकती नहीं है ,,बस उपर उपर से ही नाराज होने का नाटक करती है,,,,,, औरत और बाजार में दुकान के पीछे जिस तरह का नजारा उसने अपनी आंखों से देखा था उसे देख कर उसके तन बदन में अभी भी उत्तेजना की हलचल हो रही थी वह सोचा नहीं था कि उसे ऐसे माहौल में अपनी मां की नंगी गांड देखने को मिल जाएगी और उस जबरदस्त नजारे को देखकर उसके मन में पूरी तरह से माहौल बन चुका था,,,, ऐसा नहीं था कि राजू पहली बार अपनी मां की गांड देख रहा था वह कई बार अपनी मां को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देख चुका था और अपने पिताजी के साथ संभोग रत और संभोग से पहले की क्रियाकलापों को भी देख चुका था,,, लेकिन एक मर्द चाहे जितनी बार भी औरत को नग्न अवस्था में देख ले फिर भी उस औरत को नग्न,,, बिना कपड़ों के देखने की उसकी लालच कभी कम नहीं होती और यही हाल राजू का भी था क्योंकि वह भी मर्दों की जाति से अपवाद बिल्कुल भी नहीं था,,,।
अपनी मां को पेशाब मुद्रा में देखकर वह पूरी तरह से अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,,, सुनहरी धूप में गोरी गोरी गांड ओर भी ज्यादा चमकते हुए अपनी आभा बिखेर रही थी,,, जिसकी चमक में खुद है राजू की आंखें चौंधिया गई थी,,,, ऐसा नहीं था कि राजू पहली बार किसी औरत की गांड को देख रहा था अब तो कुछ नहीं ना जाने कितनी औरतों की गांड को नंगी देख भी चुका था और अपने हाथों से नंगी करके चुका था और गांड चुदाई भी कर चुका था,,,, फिर भी उसे अपनी मां की नंगी गांड देखकर जो मजा मिलता था वह किसी भी औरत की गांड से ना तो देखकर और ना ही उनसे संभोग करके मिलती थी,,,,।,,,
बाजार से निकल चुके थे और दोनों के बीच एक अजीब सी खामोशी छाई हुई थी दोनों अपने अपने मन में वही सोच रहे थे जो कि कुछ देर पहले हो चुका था मधु भी दुकान के पीछे वाले भाग में जिस तरह से पेशाब करने के लिए अपनी साड़ी कमर तक उठा कर बैठी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कोई उसे इस हाल में देख रहा होगा,,,, यह तो निश्चित तौर पर वह नहीं कह सकती थी कि उसे पेशाब करते हुए उसके बेटे ने देखा था या नहीं देखा था,,, लेकिन जिस हाल में उसने अपने बेटे को देखी थी और उसके अंजानपन को देखकर मधु को ऐसा ही लग रहा था कि जैसे ही उसके बेटे ने अनजाने में ही वहां पर आ गया था लेकिन उसे पेशाब करते हुए देखा नहीं था अपने बेटे को इतने करीब महसूस करके शर्म के मारे मधु का जो हाल हो रहा था वह बयां नहीं कर सकती थी वह एकदम शर्मसार हुए जा रही थी अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर उसके बेटे की नजर उसकी गांड पर पड़ जाती है तो क्या होता उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसका बेटा अपने मन में क्या सोचता,,,, बाजार में पेशाब करते समय जो हाल मधु का हुआ था उससे उसे अपनी जवानी के दिनों की बात याद आ गई थी जब उसकी शादी भी नहीं हुई थी और ऐसे ही एक दिन वह बाजार गई हुई थी और बाजार से लौटते समय खेत में झाड़ियों के पीछे इसी तरह से अपनी सलवार की डोरी खोल कर वह पेशाब करने बैठ गई थी और उसी समय एक आदमी ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो गया था वह एकदम से घबरा गई थी लेकिन दरी बिल्कुल भी नहीं थी और तुरंत खड़ी होकर अपनी सलवार को बाद कर उस आदमी को खरी-खोटी सुनाई थी लेकिन इस तरह की हिम्मत वह अपने बेटे के सामने नहीं दिखा पाई थी,,,, अपने बेटे की मौजूदगी में तो उसमें अपनी साड़ी को नीचे कर सकने की हिम्मत नहीं थी ताकि उसकी नंगी गांड ढंक जाए,,,,,, क्योंकि उस समय उसमें शर्म और डर दोनों के भाव एक साथ भरे हुए थे,,,, उस समय अपने बेटे के यहां भाव को देखकर उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे यह सब कुछ अनजाने में ही हुआ है और वह उसे पेशाब करते हुए नहीं देखा था वधू बड़े आसानी से अपने बेटे के जाल में फंस गई थी उसकी चला कि को बिल्कुल भी समझ नहीं पाई थी और राजू था कि अपनी हरकत को अंजाम देते हुए अपनी मां की नंगी गांड को भी देख लिया था और अपने खड़े लंड का दर्शन भी अपनी मां को करा दिया था जिसे देखकर उसकी मां की बुर कुलबुलाने लगी थी,,,,,,,।
बेल गाड़ी धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और मधु अपने बेटे की हरकत के बारे में सोचकर शर्म भी महसूस कर रही थी और ना जाने क्यों उतेजीत भी हुए जा रही थी,,,। बैलगाड़ी में रखे हुए बड़े-बड़े खरबूजे को देखकर उसकी नजर अपने आप ही अपनी छातियों पर चली गई तो वह मुस्कुरा दी,,, क्योंकि जिस तरह से खुले तौर पर उसके बेटे ने सूचियों की तुलना खरबूजे के आकार को लेकर किया था इस तरह से खुलकर तो कभी उसके पति ने भी उससे यह बात नहीं कहा था लेकिन एक बात पर वह हैरान थी कि उसके बेटे को उसकी चुचियों का आकार एकदम सचोट रूप से कैसे पता है,,,, वह ऐसे ही एक खरबूजे को अपने हाथ में उठा लिया और दूसरे हाथ में दूसरे खरबूजे को और तराजू की तरह दोनों को नापने तोलने लगी,,, कभी खरबूजे की तरफ तो कभी अपनी चुचियों की तरफ देख रही थी दोनों के आकार में बिल्कुल भी अंतर नहीं था,,,, मधु मन ही मन में सोचने लगी कि उसका बेटा चोरी छुपे उसके बदन को देखता है,,, या तो ब्लाउज के ऊपर से ही चुचियों का नाप भांप गया हो,,,,।
मधु अपने मन में यही सब सोच रही थी और बैलगाड़ी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी बाजार काफी दूर निकल गया था,,, एकदम दोपहर का समय हो चुका था लेकिन जगह जगह पर काले काले बादल नजर आ रहे थे लेकिन अभी तक बारिश हुई नहीं थी जो कि उन दोनों के लिए अच्छा था क्योंकि सफर काफी लंबा था ऐसे में बरसात हो जाती तो दोनों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती,,,,,,,, एक नजर अपने बेटे की तरफ डालकर मधु बोली,,,।
राजू तू अब बैलगाड़ी एकदम अच्छा चलाने लगा है बिल्कुल भी तकलीफ नहीं होती कितने आराम से लेकर जा रहा है,,,
मेरे पिताजी ने मुझे अच्छे से सिखा दिया है,,, तभी तो तुम्हें इतनी दूर ले जाने ले आने की जिम्मेदारी मुझे सौंप दिए हैं वरना वह खुद आ जाते,,,,,
हां राजू सही बात कह रहा है तू वरना तेरे पिताजी इस तरह की गलती बिल्कुल भी नहीं करते कि तुझे बेल गाड़ी ठीक से चलानी ना आती हो तो मुझे तेरे साथ इतनी दूर भेज दिए हो,,,
(दोनों मां-बेटे को ऐसा ही लग रहा था कि,,, राजू को बेल गाड़ी चलाने आने की वजह से उसके पिताजी ने सहज रूप से उसे दवा लेने के लिए भेज दिया था बल्कि हकीकत तो यह थी कि जैसे ही बैलगाड़ी गुलाबी और हरिया की नजरों से दूर हुआ था वैसे ही तुरंत वह दोनों घर में आते ही दरवाजा बंद करके सिटकिनी लगा दिए थे,,, और दोनों के बदन से कब कपड़े निकल कर जमीन पर गिर गए दोनों को पता ही नहीं चला,,, इसके बाद दोनों की कामलीला शुरू हो गई,,, ऐसा मौका दोनों को कहां रोज रोज मिलता था इसलिए दोनों एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश करने लगे और हरिया अपनी छोटी बहन की चुदाई करना शुरू कर दिया और यह सिलसिला अभी तक जारी ही था तो उन्होंने घर में दरवाजा बंद करके नंगे होने के बाद कपड़ों को हाथ तक नहीं लगाए थे और उसी तरह से ही घर का काम पूरा होता भी रहा दोनों ने खाना भी खाया और जब से भैया का लैंड खड़ा होता था तब तक वह गुलाबी की बुर में डालकर शांत हो जाता था,,,,)
अच्छा ही हुआ राजू कि तेरे पिताजी ने तुझे बेल गाड़ी चलाना सिखाती है वरना तू भी गांव के लड़कों की तरह आवारा घूमता रहता और औरतों के बारे में ना जाने कितनी गंदी गंदी बातें करता रहता,,,,।
अरे मां तुम मुझे गलत समझ रही हो,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मैं लोगों से गंदी बातें लिखता नहीं हूं लेकिन क्या है ना कि उन लोगों की बातें सुनकर मेरे दिमाग में भी ढेर सारी भावनाएं उमड़ने लगती हैं,,,, पहले देखो मैं इस तरह की बातें बिल्कुल भी नहीं करता था जबसे उन लोगों की संगत में आ गया तब से औरतों को दूसरी नजर से देखना शुरू कर दिया,,, और पहले तो मैं औरतों से बिल्कुल भी बात तक नहीं करता था ना उनकी तरफ देखता था,,,, इसमें तुम बिल्कुल भी बुरा मत मानना मैं अपनी गलती तुम्हारे सामने सभी कार्य कर रहा हूं और मैं जानता हूं कि तुम मुझे माफ कर दोगी,,,,,।
(मधु अपने बेटे की बात को सुन कर मुस्कुरा रही थी और जैसे उसकी नजर चूड़ियों की तरफ गई तो उसके मन में जो सवाल था वह उसके होंठों पर आ गया और वह राजू से बोली,,,,)
अच्छा मुझे तो सच सच बता कि तेरे पास इतने पैसे आए कहां से,,,, जो तूने मुझे चूड़ियां खरीद के दिला दिया,,, औरत और खरबूजे समोसे और जलेबियां भी खिलाया,,,।
अरे मां तुम क्या समझती हो कि कहीं में डाका डाल कर पैसे लेकर आया हूं डाकू या चोर नहीं हूं मैं मेहनत के पैसे हैं और वैसे भी मैं तुम्हें उस दिन बताया ही था ना कि लाला हमें और ज्यादा अधिक काम देने लगा है,,, और तो और मैं उसके आना आज के गोडाउन पर थोड़ा और काम कर देता हूं तो मुझे बख्शीश दे देता है यह पैसे उसी के थे,,,,,,
अरे वाह राजू तू तो अब कमाने लगा है और तेरी उम्र के लड़के जो भी अपने गांव में है मुझे नहीं लगता कि एक पैसा भी कमा कर आते हैं,,,
नहीं तो वह लोग कहीं काम नहीं करते,,,,
तब तो तू उन लड़कों में सबसे अच्छा लड़का है,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर राजू खुश हो गया वह चाहता है तो अपनी मां को हकीकत बता सकता था कि हलाला क्यों उस पर मेहरबानी करने लगा है वह साला और उसकी बहन की काली करतूतों को अपनी मां के सामने बता देता लेकिन वह खास मकसद से उस राज को अभी बताना नहीं चाहता था वह खास मौके पर अपनी मां से उन दोनों की कामलीला को बताना चाहता था ताकि उसका भी काम बन सके,,,,।
दोनों के बीच कुछ देर के लिए फिर से खामोशी छा गई मधु अपने मन में सोचने लगी कि उसके बेटे की हरकत तो शर्मिंदगी और उत्तेजना से भरी हुई है लेकिन वह आप कमाने लगा है वह एक अब आदमी बन गया है जो अपने परिवार की जिम्मेदारी लेकर चलने लगा है इस बात की खुशी मधु के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी लेकिन फिर उसकी हरकतों के बारे में सोच कर उसके चेहरे के भाव बदलने लगते थे वह शर्म से पानी पानी होने लगती थी उसकी बातों पर गौर करके उसकी हरकत को देखकर,,,, उसमें अपने बेटे से ज्यादा एक मर्द नजर आने लगता था,,,, क्योंकि जो कुछ भी हो कहता था जो कुछ भी हो करता था वह एक बेटा बिल्कुल भी नहीं कर सकता था और वैसे भी राजू की हरकतें एक बेटे की तरह बिल्कुल भी नहीं थी,,, एक मर्द जिस तरह से औरत को रिझाने के लिए अश्लील हरकतें करता है गंदी बातें करता है उसी तरह से राजु भी अपनी मां को रिझाने के लिए एक मर्द की तरह ही बर्ताव कर रहा था मधु अपने मन में सोच रही थी कि शायद उसका बेटा उसे अपनी मां न समझ कर एक औरत समझकर इस तरह की हरकत कर रहा है,,,,,,, रिश्तो के बीच जब मर्द और औरत का नजरिया आ जाए तो मर्यादा की डोरी टूटने में बिल्कुल भी देर नहीं लगती लेकिन इस मर्यादा की डोरी को टूटने से अभी तक मधु बचाई हुई थी लेकिन धीरे-धीरे अपने बेटे की हरकत से उसे भी आनंद आने लगा था उसकी बातें सुनकर उसे भी मजा आता था,,,,,,,, सभी राज्यों के मन में ख्याल आया कि देखो उसकी मां समोसे की दुकान के पीछे वाले वाक्ये के बारे में क्या बताती है,,, इसलिए वह बैलगाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ बोला,,,।
वैसे मां तुम चली कहां गई थी क्या कोई चीज अच्छी लग गई थी उसे खरीदना चाहती थी क्या,,,, अगर ऐसा है तो मुझे बताई होती मैं तुम्हें कब से ढूंढ रहा था,,,,।
(अपने बेटे की यह बात सुनकर मधु एकदम सकते में आ गई क्योंकि वह उस समय पेशाब कर रही थी लेकिन अपने बेटे को झूठ बोली थी कि वह बाजार में इधर-उधर घूम रही थी क्योंकि वह ठीक अपने बेटे के सामने बैठी हुई थी इसलिए वह अपनी बात को बनाते हुए बोली)
नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तो यूं ही बाजार में घूम रही थी काफी दिनों बाद बाजार आई थी ना इसलिए वैसे भी मुझे बाजार घूमने में बहुत मजा आता है,,,,।
ओहहहह तो कहना चाहिए था ना मैं रोज तुम्हें बाजार लेकर जाता अब तो बैलगाड़ी ही मेरे हाथों में आ गई है,,,
हां यह तो तू ठीक कह रहा है अब जब भी मेरा मन करेगा तो तुझे बाजार लेकर चली जाऊंगी अब तो उसके पैसे भी कम आने लगा है इसलिए पैसे की भी चिंता नहीं है,,
हा मा तुम पैसे की बिल्कुल भी चिंता मत करना तुम्हारे लिए तो जान हाजिर है,,,
अरे वाह तू मेरे लिए जान देने लगा कब से,,,।
अरे कब से क्या जब से इस बात का एहसास हुआ है कि मेरी मां सबसे खूबसूरत औरत है इसलिए,,,,।
(अपने बेटे के मुंह से औरत शब्द सुनकर मधु की दोनों टांगों के बीच सुरसुराहट होने लगी उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका बेटा उसे एक औरत के नजरिए से देखता है तभी उसकी हरकतें इतनी अश्लील होते जा रही हैं,,,,)
चल रहने दे मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत औरत गांव भर में है,,,
तुम्हारी ।ह गलतफहमी है मा,,, तुमसे खूबसूरत गांव में तो क्या अगल-बगल के 10 गांव में तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत नहीं है,,,,
तुझे कैसे पता चला कि गांव में मेरे जैसी खूबसूरत औरत कोई और नहीं है तो क्या औरतों को देखता रहता है क्या,,,?
(राजू को इस बात का एहसास तो हो गया था कि उसकी मां सेवा कुछ भी कहेगा उसकी मां बुरा नहीं मानेंगे क्योंकि वह बहुत कुछ बोल चुका था गंदी से गंदी बातें कर चुका था यहां तक कि खुले शब्दों में अपनी मां की बुर में लंड डालने की बात भी कह चुका था लेकिन उसकी मां से एक शब्द तक नहीं खाई थी इसीलिए राजू इस मौके का फायदा उठाना चाहता था और अपनी बातों से अपनी मां का दिल बहलाना चाहता था औरतों की संगत में आकर राजु को इतना तो समझ में आ ही गया था कि औरतों को किस तरह की बातें अच्छी लगती हैं इसलिए वह अपनी बातों में नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)
नहीं पहले तो नहीं देखता था लेकिन जब से मेरी संगत गलत दोस्तों से पड़ गई तब से ना जाने क्यों मेरा नजरिया बदलता चला गया और मैं गांव भर में घूम-घूम कर औरतों को देखने लगा,,,
क्या देखता था औरतों में,,,(मधु उत्सुकता भरे शब्दों में बोली,,,,, एक बार फिर से राजू को माहौल बनता हुआ नजर आ रहा था,,,, बैलगाड़ी कच्चे रास्ते से आगे बढ़ती चली जा रही थी दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आ रही थी ऐसे में अपनी मां की उत्सुकता को देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, भले ही राजू अपनी मां से लाख कोशिशों के बाद भी उसे हासिल नहीं कर पाया था उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाया था लेकिन उसे अपनी मां से इस तरह की अश्लील बातें करने में भी बेहद उत्तेजना का अनुभव होता था और उसे बहुत मजा आता था इसलिए अपने होठों पर मुस्कान लाता हुआ अपनी मां से बोला,,,)
सच कहूं तो औरतों में देखने लायक क्या नहीं है ऊपर से नीचे तक सब कुछ देखने लायक है । सर के बाल से लेकर झांट के बाल तक सब कुछ खूबसूरत ही होता है,,,।
(राजू जानबूझकर इस तरह की बात कर रहा था और अपने बेटे के मुंह से झांट शब्द सुन कर वह चौंकते हुए बोली,,,)
क्या,,,,?
अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो मैं यहीं पर बात खत्म करता हूं लेकिन जो कुछ भी हकीकत है मैं वही बता रहा हूं,,,
नहीं नहीं वह बात नहीं है तूने कहा क्या खूबसूरती के बारे में,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू समझ गया था कि उसकी मां वही सुनना चाहती है जो वह बोलना चाहता है इसलिए आप अपनी बात में बिल्कुल भी मर्यादा के शब्द चलाना नहीं चाहता था वह पूरी तरह से अपने शब्दों को अश्लील कर देना चाहता था इसलिए वह बोला,,)
यही मां की औरतों का सब कुछ खूबसूरत होता है उनके सर के बाल से लेकर के उनके झांट के बाल तक,,,)
सर के बाल तो ठीक है लेकिन उस बाल के बारे में तुझे कैसे पता चला,,,,
अरे मां तुम भी अब मैं बड़ा हो गया हूं मुझे सब कुछ पता चलता है और वैसे भी ऐसे दोस्त मिले हैं कि अगर नहीं पता चलता हो तो फिर भी सब कुछ बता देते हैं,,,
तूने देखा है क्या वहां के बाल,,,,(मधु अपने चेहरे पर शर्म का एहसास लाते हुए बोली)
हां देखा हूं,,,
कहां देखा है,,,(थोड़ा सा मधु घबराते हुए बोली उसे इस बात का डर था कि कहीं घर में ही तो नहीं देख लिया है)
अरे अपना मुन्ना है ना वही मुझे पड़ोस के गांव लेकर गया था अपनी चाची के वहां,,,, वहीं पर मैंने उसकी चाची को देखा था,,,।
क्या वह तुझे अपनी चाची दिखाने के लिए किया था,,,
अरे नहीं मैं वह मुझे अपनी चाची दिखाने के लिए नहीं ले गया था बल्कि किसी काम से गया था,,,,
तो तूने केसे देख लिया,,,,?
अरे वहां पहुंचकर मुन्ना किसी काम से किसी दूसरे के घर चला गया और मैं वहीं बैठा रह गया मुझे बैठे-बैठे प्यास लग गई,,,, और मैं पानी लेने के लिए घर के पीछे की तरफ चला गया और वहां जाकर देखा तो मेरे होश उड़ गए,,,।
(इतना सुनकर मधु का दिल जोरो से धड़कने लगा अपने मन में सोचने लगी कि ऐसा क्या राजु ने देख लिया इसलिए उत्सुकता भरे स्वर में बोली,,)
ऐसा क्या देख लिया कि तेरे होश उड़ गए,,,
अरे मां यह पूछो कि मैंने क्या नहीं देखा,,,, मैं जैसे ही घर के पीछे पहुंचा तो मैंने देखा कि मुन्ना की चाची जो कि एकदम जवानी से भरी हुई थी वह कुए पर खड़ी थी और कुएं में बाल्टी से पानी निकाल रही थी,,,,।
(कुवे वाली बात सुनते ही मधु की आंखों के सामने अपनी बेटे के साथ कुएं से रस्सी खींचने वाली बात याद आ गई जब पहली बार वह उसका साथ देने के बहाने उसके साथ कुएं पर आया था और उसके पीछे खड़ा होकर अपने मर्दाना अंग की रगड़ को उसकी गांड पर महसूस कर आया था तभी से मधु को इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा बड़ा हो रहा है और साथ में उसका लंड भी बड़ा हो रहा है,,,,)
तो इसमें क्या हो गया कुवे से पानी निकाल रही थी तो,,,
अरे यही तो बात है वह दूसरी औरतों की तरह ही कुवे से पानी निकाल रही थी लेकिन दूसरी औरतों की तरह उसके बदन पर कपड़ा होना चाहिए था ना साड़ी पहनी होनी चाहिए लेकिन वह बिल्कुल नंगी थी एकदम नंगी उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था,,,)
क्या,,,,?( मधु,,एकदम से चौंकते हुए बोली)
हां मैं एकदम सच कह रहा हूं मैं पहली बार किसी औरत को बिना कपड़ों के देखा था एकदम नंगी और क्या लग रही थी मैं ठीक उसके पीछे खड़ा था थोड़ी दूरी पर पेड़ के पीछे छुप कर मैं सब कुछ देख रहा था,,,, उसकी गोरी गांड मुझे साफ नजर आ रही थी,,,, मेरा तो हालत ही खराब हो गया,,,, मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूं एक बार तो ऐसा मन हो रहा था कि वहां से चला जाऊं लेकिन पहली बार किसी औरत को नंगी देख रहा था इसलिए मेरे पैर वहीं जम से गए थे,,,, और नजरें उसी दृश्य से चिपक गई थी,,,,,,।
तुझे डर नहीं लग रहा था अगर कोई तुझे वहां देख लेता तो,,,
डर तो मुझे बहुत लग रहा था लेकिन जिस तरह का नजारा मेरी आंखों के सामने पहली बार आया था उधर से जाने का मन नहीं कर रहा था,,,,
फिर क्या हुआ,,,?(मधु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी और राजू अपनी मां की उत्सुकता देख कर खुश हो रहा था ऐसा किसी भी तरह का वाकया उसके साथ बिल्कुल भी नहीं हुआ था बस वह ऐसे ही मनगढ़ंत बातें अपनी मां को बता कर उसके मन को टटोल रहा था)
फिर मैं उसी तरह से रस्सी को खींच रही थी और रस्सी खींचने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी गांड ऊपर नीचे हो रही थी मानो कि जैसे बड़े-बड़े तरबूज उसके पीछे बांध दिए गए हो,,,(गांड की जगह बड़े-बड़े तरबूज की उपमा को अपने बेटे के मुंह से सुनकर मधु को हंसी आ गई थी लेकिन वह अपने हंसी को रोक ली,,,) मेरी तो हालत खराब हो रही थी पहली बार मैं किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था उसकी नंगी चिकनी पीठ सब कुछ नजर आ रहा था तभी वह पानी निकाल कर मेरी तरफ घूम गई लेकिन उसने मुझे नहीं देखी थी लेकिन मैं सब कुछ देख रहा था उसकी चूचियां,,,, तुम्हारी जैसी खूबसूरत तो नहीं थी,,,( अपने बेटे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह सीधे-सीधे उसकी चूचियों की तुलना उस औरत से कर रहा था और उसके मुंह से यह सुनकर अच्छा लग रहा था कि उसकी तरह उसकी चूचियां नहीं थी मतलब की मधु की खुद की चूचियां बहुत खूबसूरत थी) लेकिन नारंगी से थोड़ी बड़ी बड़ी थी,,,,, उसे देख कर तो मेरी आंखें एकदम चमक गई मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं वह ठीक मेरे सामने खड़ी थी उसकी नजर कभी भी मेरे पर पड़ सकती थी लेकिन मैं अपने आपको पेड़ के पीछे पूरी तरह से छुपा लिया था और थोड़ी देर बाद फिर से नजर उसकी तरफ करके देखने लगा तो इस बार मेरी नजर उसकी चिकने पेट से नीचे की तरफ आई और दोनों टांगों के बीच की वह पतली लकीर मैंने जिंदगी में पहली बार देखा जिसे बुर कहते हैं,,,, घुंघराले बालों से गिरी हुई बहुत खूबसूरत लग रही थी पहली बार मुझे पता चला कि औरत की बुर के आसपास बाल होते हैं,,,,,,(अपने बेटे के मुंह से बेझिझक बुर शब्द सुनकर मधु के तन बदन में आग लग गई हो गहरी सांस लेते हुए अनजाने में ही साड़ी के ऊपर से ही अपनी हथेली को अपनी बुर पर रख दी जो कि धीरे-धीरे पानी छोड़ रही थी,,, एक बार इसी तरह की बातों से राजू ने उसका पानी निकाल दिया था और अब धीरे-धीरे उसके मदन रस की बूंदों को बुर की अंदरूनी दीवारों से बाहर निकलवा रहा था,,,, और राजू बेशर्मी की सारी हदें पार करता हुआ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) वरना मैं तो यही समझता था कि हम मर्दों के लंड के आसपास ही बाल होते हैं,,,,(राजू अपने शब्दों के बाण से लगातार अपनी
मां के संस्कारी और मर्यादा रूपी दीवार को गिराने की कोशिश कर रहा था धीरे-धीरे उसके शब्दों से वह मर्यादा की दीवार डहने को मजबूर होती जा रही थी,,,,,, पहले गांड और बुर और फिर लंड अपने बेटे के मुंह से इस तरह के शब्दों को सुनकर मर्यादा की मजबूत डोरी तार-तार होने पर मजबूत हो रही थी,,, मधु में इतनी हिम्मत अब नहीं बची थी कि वह अपने बेटे को इस तरह के शब्दों को कहने से रोक सके,,,, उसे अपने बेटे की इस तरह की बातें अच्छी लगने लगी थी और उत्तेजित भी हुए जा रही थी खास करके वह बात दोनों टांगों के बीच की पतली दरार,,, औरतों की बुर के बारे में उसे पतली दरार के रूप का व्याख्यान पहली बार हुआ अपने बेटे के मुंह से सुन रही थी वरना आज तक सिर्फ हुआ अपनी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार को बुर ही कहती आ रही थी,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।) सच में मां मैं तो यही सोचता था किसी भी हम मर्दों को ही लंड के आसपास बाल होते लेकिन पहली बार मुन्ना की चाची को देखकर मेरा ख्याल बदल गया था और मैं पहली बार जाना था कि औरतों की बुर के आसपास भी बाहर होते हैं और पहली बार तो मैं किसी औरत की बुर देख रहा था इसलिए दूर देखकर मैं एकदम से हैरान रह गया था इससे पहले तो मैं बुर की कभी कल्पना भी नहीं कर पाता था कि बुर दिखती कैसी है,,,, सच में मां मैं पहली बार देख रहा था कि औरत की बुर केवल एक पतली दरार की तरह होती है बीच में पतली बनार और इर्द-गिर्द फूली हुई जगह मानो कि जैसे कचोरी फुल गई हो,,,।
(जिस तरह से राजू औरत के अंगों के बारे में उदाहरण दे रहा था उसे सुनकर मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी)
सच में तु पहली बार देख रहा था,,,,
हा मा मैं सच कह रहा हूं में पहली बार देख रहा था,,, इससे पहले में औरतों को केवल कपड़ों में ही देखा था,,, मैं तो तब और ज्यादा हैरान हो गया जब देखा कि मुन्ना की चाची साबुन से अपनी बुर रगड़ रगड़ कर साफ़ कर रही थी मेरे तो होश उड़ गए सच कहूं मा तो मेरा तो लंड खड़ा हो गया था,,, ठीक उस दिन की तरह जब खेत में मैंने तुम्हारे हाथ में पकड़ाया था,,,( इस बार अपने बेटे के मुंह से इस तरह की बात सुनकर वह एकदम से मदहोश हो गई,,,, राजू अपनी मां के चेहरे पर अपनी बातों का असर देखना चाहता था उसी के पीछे मुड़कर अपनी मां के चेहरे की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई उसकी मां का चेहरा शर्म और उत्तेजना से एकदम लाल हो गया था,,, वह तुरंत आगे की तरफ देखने लगा क्योंकि उसकी बातों ने उसकी मां पर असर करना शुरू कर दिया था और वह भी एकदम बुरी तरह से,,,, अपनी बात को आगे बढ़ाता तब से उसे आगे गांव नजर आने लगा और वह बोला,,)
लगता है हम लोग आ गए ना,,,
(इतना सुनकर मधु आगे की तरफ देखने लगी तो गांव नजर आ रहा था और वह गहरी सांस लेते हुए बोली)
हां यही गांव है आगे चलकर बांई ओर मुड जाना,,,
और थोड़ी ही देर में बैलगाड़ी ठीक वैद्य के घर के सामने जाकर रुकी,,, बैलगाड़ी में से उतरने से पहले मधु साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर को टटोलकर उस का जायजा लेना चाहती थी कि उसके बेटे के शब्दों ने उसे कितनी क्षति पहुंचाई है,,, इस बार अपने बेटे की बात सुनकर वह झाड़ी नहीं थी लेकिन बुर पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी,,,।)