सो मैं मेरे रूम में पहुचकर माँ को तुरंत एसएमएस किया .
” फिर से भूल गई!!!!”
उनका भी तुरंत रिप्लाई आया
” क्या?”
मैने थोड़ी शरारत करके लिखा
” अरे .. तुम को मालूम हैना रात में जब तक गरम दूध नहीं पिता हु और मेरे सर के बालों में तुम्हारा हाथ का छूना जब तक न मिले, तब तक मुझे ठीक से नीद नहीं आती है !!”
मेसेज सेंड करने के बाद सोचा की आज माँ आयेगी क्या? शाम को जिस तरीके से नज़र घुमा घुमा के चल रही थि, वह सोच के मैं पकड़ नहीं पाया उनके मन में क्या विचार है. अगर आयी तो आज मुझे रोकना मुस्किल हो जाएग. शादी का मुहूर्त जितना नज़्दीक आ रहा है, उतना ही बेताब हो रहा हु, उनको पाने के लिये. मेरे ख़ुद का बनाके पाने के लिये. मेरे प्यार भी जैसे दिन ब दिन बढे जा रहा है, वैसे उनके लिए मेरे अंदर आग भी बढ़ रही है. टाइम निकल रहा है पर माँ का रिप्लाई नहीं आया. मैं भी समझ नहीं पाया माँ आज क्या रिप्लाई देगी. क्या उनके अंदर भी मेरे जैसी चाहत बढ़ नहीं रही है क्या? क्या मेरे बारे में सोचके वह आसक्त होती है या नहीं ? अचानक यह सब के बीच बीप बीप करके एसएमएस आया. उन्होंने लिखा है
” वह में जानती हु…लकिन मुझे आप का ईरादा मालूम है”
पढके मेरे होठ पे एक स्माइल खील गया. माँ मुझे सही तरीके से हमेशा जान जाती थि, और आज भी वह मेरे मन का ईरादा पकड़ लि. फिर भी में भोला बनके लिखा
“क्या?”
उनका अब तुरंत रिप्लाई आया
” आप बहुत बदमाश बन गए हो”.
अच्छा ..इस लिए पूरी शाम मेरे से दूर दूर रह रही थी. मैं लिखा
” ओहः.. इस लिए यहाँ आ नहीं रही हो!! तुम्हे मेरी बदमाशी पसंद नहीं है?”
उनहोने जल्दी लिख के भेजा
“उन्ह ह…एक दम नहि”
मुझे अब बस उनके मन की बात जानने का भूत सवार हो गया. मैं लिखा
“ईस लिए मेरे से दुर रह रही हो?”
बस फ़टाक से बीप बीप करके रिप्लाई आगया.
” हमं..इसी लिए तो.”
मेरे सर पे शरारत चढ़ गया. और में धीरे धीरे टाइप किया
” दो दिन बाद से क्या करोगी? तभी भी मेरे से दुर रहोगी?”
सेंड करके सोच रहा हु अब वह क्या रिप्लाई देगी. हालां की वह अब पहले से सहज हो गई. स्पेशली हम जब अकेले होते है. मैं उनको नाम लेकर बुलाता हु. वह एक प्यारी पत्नी जैसा मेरे से बात करती है. तो में अब उनका रिप्लाई का इंतज़ार कर रहा हु. अचानक मेरे चिंता का लिंक तूट गया बीप बीप आवाज़ से. उन्होंने लिख के भेजा
“वह सोचना पडेगा”.
मै समझ गया माँ मेरी परीक्षा ले रही है. और इसमें उनको आनंद भी मिल रही होगी. मैं भी उसी तरह उनको रिप्लाई दिया
” है राम…अभी भी सोचोगी?”
फटाफ़ट रिप्लाई किया
“ह्म्म..”
मैन फिर थोड़ी सोच के लिखना चालू किया.
” लेकिन मुझे मेरी बीवी .. मेरी मंजु हमेशा..ज़िन्दगी भर मेरे पास , मेरी बाँहों में चहिये”.
इस बार तुरंत रिप्लाई नहीं आया, पर इंतज़ार भी ज़ादा करना नहीं पडा उन्होंने लिखा
” ओके. वह में उसको बता दूंगी”
इस जवाब से में थोड़ी रुक गया, माँ क्या लिख के भेजीं है. वह तो और किसीसे एसएमएस ही नहीं करति. ऐसा लगा और किसीके लिए टाइप किया , लेकिन मेरे फोन पर सेंड हो गया. मैं समझ नहीं पाया. क्या वह टाइपिंग गलत कर दि!! मैं एक दुवीधा के साथ लिखके भेजा
“किस्को?”
उनका तुरंत रिप्लाई आया.
” क्यूं…आप की बीवी को”.
यह पढ़ के मेरे चेहरे पे फिर से स्माइल आगया. मेरे मन में एक ख़ुशी का तूफ़ान दौडने लगा. में फ़टाफ़ट टाइप किया
” ओहः..तो उनको यह भी बताना की उनका होनेवाला पति उनको बहुत?? बहुत?? प्यार करता है. उनके बिना ज़िन्दगी एक पल भी नहीं जी पाएगा.”
” ठीक है. मैं उसको बता दूंगी.ओके”
” और हा…उनको यह भी बताना की उनके पतिके दिल में हमेशा एक ही खूबसूरत लड़की थी, अब है और रहेगी. दुनिया की सबसे खूबसूरत प्यारी लड़की को बीवी के रूप में पाके उनका पति खुद को भाग्यवान मानता है”
” मैं बता दूंगी . और वह यह बात याद रखेगी”.
यह पढ़के मुझे मालूम हो गया की माँ बहुत इमोशनल हो गयी और अपनी दिल की बात लिख दिया. उस को पकड़ के में उन्हें परेशान करने के लिए लिखा
” तुमको कैसे मालूम की वह याद रखेगी या नहि”
काई रिप्लाई आया नही माँ शायद समझ गयी की पिछले एसएमएस में वह एक ग़लती कर दि, शायद वह वहि फिर से पड़ रही होगी और सोच रही होगी की कैसे फिर से बात को घुमाया जाए. थोड़ी देर में इंतज़ार करने के बार उनका रिप्लाई मिला
“क्यूं की में उससे पूछ लुंगि”.
मैन तुरंत लिख के सेंड किया
“तो अब पुछो ना”.
मा बस अब थोड़ी अपनी ही बातों से फस गई. वह समझ नहीं पा रही है की क्या रिप्लाई करे. लेकिन फिर भी लिख के भेजी
” अब वह बिजी है”.
मैन हास के टाइप करने लगा
” ठीक है उनको फ्री होने के लिए बोलो और उनको बता दो”.
मै यह सेंड कर दिया और कुछ न लिखके मोबाइल पकड़ के बैठा हु. बहुत टाइम कोई रिप्लाई आया नही वह क्या कर रही है अब!! मैं जो बोला उसका जवाब क्या देगीजब कुछ टाइम बाद भी कोई रिप्लाई नहीं आया तो में फिर से एसएमएस टाइप किया
” उनसे बात हुआ”.
अब रिप्लाई आया.
“ह्म्मम्”.
“तुमने पुछा वह यह सब याद रखेगी या नहि”
“हा…पूछ लिया”.
“क्य बोली उन्होंने”.
??वह यह सब बातें उसके दिल में सजाकर ज़िन्दगी भर याद रखेगी”.
मेरे मन में माँ के लिए प्यार भर गया. अब वह इतनी प्रतिबद्ध और समर्पित हो रही है, मुझे उनके इस भावनाओं की कदर करना है ज़िन्दगी भर. मैं उनके दिल की बात और जानना चाह रहा था मैं लिखा
“और कुछ नहीं बोलि”
उनहोने थोडा टाइम लिया और लिखके भेजि
“वोह भी उसके होनेवाले पति को बहुत. बहुत ..प्यार करती है. पूरी जिंदगी उनके साथ, उनको प्यार करके गुज़ारना चाहती है”.
मै भी इमोशनल हो गया. मुझे माँ के लिए जो आसक्ति हुई थी , अब इन सब प्यारी बातों में वह धीरे धीरे कम होने लगी. मेरे मन में उनको पाने के लिये, शारीरिक रूप से उनके पास आने के लिए मन छटफट कर रहा था पर अब भावूक होने लगा. मुझे मालूम पड़ रहा है की मेरे ऊपर एक रेस्पॉन्सिबिलिटी धीरे धीरे बढ़ रही है. माँ को खुश रख के उनका हर इच्छा पूरी करके , उनको सारे सुख , आनंद देकर उनकी ज़िन्दगी को रंगीन बना के रखना चाहता हु. वह ज़िन्दगी भर पति के प्यार के लिए तरसी होगी, अपनी फॅमिली पाने के लिए चाहत दिल में छुपाके रखी होगी, एक प्यारी पत्नी बनके ज़िन्दगी गुजारने का सपना दिल में दफ़न करदी होगी. पर आज उनको सब कुछ देना चाहता हु. इन सब भावनाओं के बीच मेरे फोन पर फिर से एसएमएस आया और उनको मजाक करते हुए लिखा
??और कुछ नहीं बोला उन्होंने??.
मा समझ नहीं पाई में और क्या पूछना चाहता हु, वह रिप्लाई में वहि लिखके भेजि
??और क्या!!??.
मैने लिखा
??दो दिन बाद से भी क्या वह मेरे से दुर रहेगी???
थोड़े टाइम चुप्पी रही फिर उनका रिप्लाई आया
??वह इसका जवाब अब नहीं बतायेगी. और टाइम आने दीजिये. आप को इसका जवाब मिल जाएगा??.
मुझे मालूम है माँ अब मुह से न कुछ बतायेगि, ना आज मेरे पास आयेगी. मैं बस उस दो दिन गुज़रने का इंतज़ार करने लगा.
नेक्स्ट डे यानि की संडे सुबह सुबह उठना पडा घर पे एक पूजा था मैं एक बार बिमार पड़ा था हॉस्पिटल में भी था तब नानी मेरे नाम का एक मन्नत रखी हुई थी. सब लोग यह कहते है की शादी जैसे एक पवित्र बंधन में बाधा पड़ने से पहले सारा उधार चुका देना चहिये. इस लिए आज वह पूजा हुआ. पण्डितजी हमारे ही फॅमिली के पण्डितजी थे उनको मेरे शादी के बारे में कुछ मालूम नही वह केवल मेरे नाम का उधार रखा हुआ पूजा करने के लिए आये थे. ड्राइंग रूम में पूजा हो रही थी मैं पण्डितजी के सामने बैठा था नाना मेरे पीछे राईट साइड में, नानी उनके बगल में और माँ नानी के पास यानि की मेरे पीछे बैठि हुई थी. पंडित जी पूजा ख़तम होने के बाद मुझे नाना नानी और माँ को प्रणाम करने को कहा. मैं मेरे आसन से उठके नानाके पास गया और उनके पैर छुयै. नानी के पास जाके झुक के उनके भी पैर छुए . मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था की माँ को अब प्रणाम करना चाहिए या नही क्यूँ की वह मेरी माँ है. हालां की दो दिन में वह मेरी पत्नी बन जाएगी. लेकिन फिर भी में उनका ज़िन्दगी भर पैर छु सकता हु. पर नानी को लगा की शायद में दुविधा में हु की माँ का पैर अब छु यानही इस लिए जैसे ही में उनका पैर छूकर खड़ा होने गया, वह मेरे सर पर हाथ रखके अशीर्वाद करने लगी और में झुक के उनके सामने रह गया. तब नानी मुझे बोला ” अब जाओ माँ का पैर छु लो”. शायद उन्होंने मुझे और माँ को.. दोनों को यह कहना चाहती है की शादी न होने तक अब हम माँ बेटे ही है. मैं माँ के पास गया और झुक के उनके पैर छुये. माँ सर झुका के बैठि थी. मुझे हमेशा उनके उन गुलाबी पैरों को चूमने का मन करता है. पर अब इस परिस्थिति में में मेरे मन से , एक बेटा उसकी माँ का पैर जैसे छुता है, वैसे में उनके पैर छुयै.
पूजा थोड़ी लेट ही ख़तम हुआ था हम सब लंच करके थोड़ी रेस्ट करने लगे . क्यों की शाम को निकल के ट्रैन पकडना है. और रात भर जर्नी करना है. मैं बस अब कुछ सोचने का मौका नहीं पा रहा हु. सब ऐसा इतना जल्दी हो रहा है. मैं भी तैयार होकर हमारी सब का लगेज वगेरा लेकर टैक्सी करके स्टेशन पहुच गया. और टाइम होते ही हम ट्रैन में चढ़ गये. माँ आज एक पिंक कलर की साड़ी पहनी हुई है. उस साड़ी से और उनके चेहरे से जो ग्लो दे रही है , वह सब मिलकर बहुत ही खूबसूरत लग रही है. और मेरे मन में एक ख़ुशी का हवा का झोका जैसे आगया. मैं सोच रहा था की यह प्यारी, सुन्दर, खूबसूरत सेक्सी लड़की बस और कुछ टाइम के बाद मेरी बीवी बन जाएगी. .. और वह मेरी..केवल मेरी ही होजाएगी. मैं उनको देखते रहा और वह बस सब का सोने का इन्तेज़ाम करनेलगी. नाना नानी नीचे के बर्थ में सो गये . और में और माँ ऊपर के बर्थ मे. मैं मेरे बर्थ में सोके उनके तरफ घूमके केवल उनके ऊपर नज़र टिकाके रखी है. वह कुछ टाइम यह महसुस किया और फिर मेरी तरफ देख के ,एक स्माइल देकर शर्मा के घूम गयी और मेरी तरफ पीठ करके सो गई. मैं उनके पीठ के तरफ देखते देखते बहुत उत्तेजित होने लगा. मेरा लिंग फिर से कठिन होने लगा. उनकी पतली कमर और हिप्स के ऊपर नज़र गया. फिर ऊपर जाकर उनके सुडौल गर्दन पे नज़र पड़तेहि में उत्तेजना के चरम सीमा पे पहुच गया. और अनजाने में मेरा हाथ मेरे पाजामे के अंदर जाके मेरे लिंग को छु लिया. मैं बस एकबार मुठ्ठी पकड़ के मेरे लिंग को पकड़ा और फिर थोड़ी टाइम बाद छोड़ दिया. मैं खुद को कण्ट्रोल करते करते सोचने लगा की बस और दो दिन. उसके बाद मेरा लिंग जहाँ दुनियाका सबसे ज़ादा आनंद मेहसुस करेगा, वहां होगा.