You dont have javascript enabled! Please enable it! मेरे गाँव की नदी - Update 45 | Incest Sex Story - KamKatha
मेरे गाँव की नदी – Incest Sex Story

मेरे गाँव की नदी – Update 45 | Incest Sex Story

कल्लु : ओह माँ कितनी गरम बुर है तेरी बहना।
गुडिया : आह सी सी ओह भैया तुम्हारा लौड़ा भी तो किसी गरम रोड की तरह तप रहा है, कल्लु ने सटासट अपनी बहन की चुत में लंड पेलना शुरू कर दिया, गुड़िया आँखे बंद किये हुए सटासट लंड अपनी चुत में खा रही थी और कल्लु खूब हुमच हुमच कर अपनी बहना की कोरी गाण्ड को सहलाते हुए लंड पेल रहा था और फिर कल्लु ने लम्बे लम्बे झटके अपनी बहन की मस्त बुर में मारना शुरू कर दिया और गुड़िया मजे से कराहते हुए कहने लगी चोदो भैया और कस के चुत मारो अपनी बहन की चूत आह आह ओह ओह ओह भैया खूब सटा सट लंड पेलो अपनी बहन की बुर में खूब नंगी करके चोदो भैया ।
कल्लू:आह गुड़िया क्या मस्त चूत है तेरी।कितनी टाइट है मेरा लंड कितना कसा कसा जा रहा है।दिल करता है दिन रात अपना लंड तेरी चूत में घुसाये रहू।क्या मस्त माल है तू।
गुड़िया:ओह भइया मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है।तुमको जितना मन करे,जब मन करे,जहाँ मन करे चोदो।मैं मना थोड़े करुँगी।

कल्लू:हाय गुड़िया तू कितनी मस्त है।
और कल्लू जोर जोर से गुड़िया को कुतिया बनाये पेलता रहता है।साथ में अपनी एक ऊँगली में थूक लगाकर धीरे धीरे गुड़िया की गांड में पेल देता है।अब गुड़िया के दोनों छेदों की चुदाई हो रही है।
कल्लू:हाय मेरी गुडियआआआआआ।कितनी टाइट गांड है तेरी।इसमें तो एक ऊँगली कितनी मुश्किल से जा रही है।मेरा लंड कैसे जाएगा।

गुड़िया:अभी चूत पर ही ध्यान दो भइया देखो कितनी पानी छोड़ रही है।मैं अपनी गांड भी सबसे पहले अपने भैया को ही दूंगी।
कल्लू:हाय गुड़िया कितनी मस्त बातें करती है तू।जी चाहता है।तुझे दिन भर खेतो में नंगी करके पुरे दिन चोदूँ।हर तरीके से चोदूँ।कभी खड़ा करके कभी बैठा के कभी कुतिया बना के कभी गोद में उठाके तो कभी अपने लंड पर चढ़ा के।
गुड़िया:हाँ भइया मैं भी तुमसे दिनभर नंगी हो के चुदवाना चाहती हूँ।पुरे दिन चोदना मुझे खुले आसमान के निचे वो भी दिन में।
और गुड़िया अपनी गाँड पीछे करके तेज तेज धक्का मारने लगती है।कल्लू भी गुड़िया की चूत को धक्के मार मार कर फाड़ने लगता है।दोनों की स्पीड बढ़ती जाती है कुछ ही देर में गुड़िया की चुत ने पानी छोड़ दिया और कल्लु ने भी खूब गाढा गाढा रस अपनी बहन की चुत में भर दिया।दोनों साफ़ सफाई करके अपने खेत में जाते है।

खेत में जाने के बाद कल्लु बाबा के साथ काम में लग गया कुछ देर बाद निर्मला आई और गुड़िया से पुछने लगी की चाची उसके खेतो में है या नहीं तब गुड़िया ने बताया की उसे भी नहीं पता है वह तो सुबह से चाची के पास गई ही नही।

निर्माला : मंद मंद मुस्कुरा कर यह कहती हुई चाची के खेतो की ओर जाने लगी की दिन रात आज कल तू अपने भैया से ही लगी रहती है जरा ध्यान रखना कुछ उल्टा सीधा न कर लेना, गुड़िया अपनी माँ की बात सुन कर कुछ सोच में पड़ गई फिर अचानक उसके दिमाग में कोई बात आई और वह कुछ देर ठहर कर चुपके से चाची के खेतो की ओर अपनी माँ के पीछे चल दि।
जब वह चाची के खेतो में बनी झोपडी के पीछे पहुची तो उसे चाची की और माँ की आवाज सुनाइ देने लगी और उसने वही छूप कर उनकी बातो को सुनने लगी।

 

निरमला : अरे मै इसलिए कह रही हु की कुछ दिनों से गुड़िया के हाव भाव ठीक नहीं दिख रहे है उसकी चाल भी बदली बदली नजर आ रही है।
चाची : मुस्कुराते हुये, अरे गुड़िया की चाल तो उसी दिन बदल गई थी जब तूने उसे शहर भेजा था।
निरमला : तो क्या वह शहर से ही मुह काला करके आई है, अब तू ही कुछ बता मुझे तो बड़ी चिंता हो रही है और ऊपर से मै कुछ दिनों से देख रही हु दिन भर कल्लु के पीछे लगी रहती है, कही ऊँच नीच हो गई तो हम क्या मुह दिखाएगे।
चाची : अरे आज कल सब समझदार हो गए है गोलिया खा खा कर आज कल की लड़किया खूब तबियत से लंड लेती है। तू बेकार में मरी जा रही है उसे मौज़ करने दे और तू अपनी ढलती जवानी का उपाय कर तेरे चूतडो को देख देख कर आज भी गांव के मरद अपने लंड मसलने लगते है अब गुड़िया की उम्र भी तो देख अब इस उम्र में तो जब तुझे ही तगडे लंड की जरुरत पड़ रही है तो फिर तेरी बेटी को तो लंड चाहिए ही।
निर्माला : अरे अब मेरी किस्मत में लंड काहे का
बाबा तो अब ढल चुके अब मै क्या गांव भर के लोगो के सामने नंगी हो जाउ।

चाची : अरे तो कह तो सही तेरे लिए मस्त लंड का इन्तजाम करवा सकती हूँ।
निरमला : भला वो कैसे।
चाची : अब गुड़िया को ही देख तेरे घर में ही रोज रात को तबियत से चुदती है और तुझे पता भी नहीं लगता है।
निर्माला : क्या कह रही है किससे चुदती है।
चाची : तेरे बेटे कल्लु से और किससे।
निर्माला : मुझे इस बात का ही तो शक था इसी लिए तो तुझसे पुछने आई थी, क्या गुड़िया ने तुझे बताया है।

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