You dont have javascript enabled! Please enable it! मेरे गाँव की नदी - Update 19 | Incest Sex Story - KamKatha
मेरे गाँव की नदी – Incest Sex Story

मेरे गाँव की नदी – Update 19 | Incest Sex Story

कल्लु : गुड़िया इस बार तो जीन्स पहन कर नहीं आई।
गीतिका : मुस्कुरा कर क्यों आपको मै जीन्स में ज्यादा अच्छी लगती हु क्या।
कालू : हाँ वो तो है, वैसे तो सभी कपडो में मस्त दिखती है।
गीतिका : पर आपने पहले से सोच रखा होगा की गीतिका जीन्स पहन कर बस से उतरेगी।
कालू : मुस्कुराते हुये, हाँ पहले तुझे जीन्स में देखा था न बस इसिलिये।

धीरे धीरे हम गांव पहुच गए और फिर अगले दिन गीतिका भी मेरे साथ खेतो में चल दी, गीतिका मेरे साथ चल रही थी और उसने आज फिर घाघरा चोली पहना हुआ था, मै उसके गले में हाथ डाल कर चल रहा था और बीच बीच मै उसके मस्त उभरे हुए चूतडो को भी सहला देता था, खेत में पहुंचने के बाद गीतिका काफी खुश होते हुये कहने लगी भैया बारिश के बाद गांव में कितनी हरियाली हो जाती है, अब तो कही भी नरम नरम घास में बैठ जाओ।

गीतिका : भैया आम का मौसम इतनी जल्दी क्यों ख़तम हो गया।
कालू : अरे तो क्या साल भर आम लगे रहेगे।
गीतिका : भैया मुझे तो बोरियत हो रही है।
कालू : चल तुझे नदी की तरफ घुमा कर लाता हूँ।
गीतिका : खुश होते हुए हाँ भैया चलो आप मुझे तैरना सीखाने वाले थे ना।
कालू : अरे ऐसे घाघरा चोली में तुझसे तैरते नहीं बनेगा कल दूसरे कपडे पहन कर आना फिर तुझे तैरना सीखा दुँगा।

गीतिका : अच्छा ठीक है, मै खुद भी घबरा रही थी की कही भैया अभी मुझे घाघरा उतार कर तैरने के लिए न कहने लगे नहीं तो उनसे क्या कहूँगी की मै अंदर चडडी
पहन कर नहीं आई हूँ।

तभी सामने से बिरजु आ गया और
बीरजु : अरे गीतिका दीदी तुम्हे मेरी माँ बुला रही है, वह नदी किनारे कपडे धो रही है जाओ चली जाओ।
उसकी बात सुन कर गीतिका मेरी ओर देखने लगी तब मैंने कहा गुड़िया जा चलि जा मै थोड़ी देर में आता हूँ। मेरे कहने पर गुड़िया वहाँ से जाने लगी और उसके चूतडो को बिरजु घुरते हये उसके पीछे पीछे जाने लगा।
कालू : ये बिरजु रुक तू कहा जा रहा है।
बीरजु : अरे दादा हमें भी नहाना है नदी किनारे माँ कपडे धो रही है हम तो सिर्फ गीतिका दीदी को बुलाने आये थे माँ पूछ रही थी।
कालू : अरे नहा लेना पहले तू मेरी बात तो सुन आ बैठ यहॉ, बिरजु मेरे बगल मै बैठ गया और मैंने उसके काँधे पर हाथ फेरते हुए कहा, अच्छा बिरजु यह बता कभी तूने चाची को मुतते हुए देखा है या नहि।
बीरजु : देखा है भेया।
कालू : कैसी है तेरी माँ की चूत, बड़ी मोटी धार के साथ मुतति होगि।
बीरजु : अरे भैया माँ की चुत तो बहुत मस्त और बिलकुल चौड़ी और गुलाबी है जब मुतती है तो बड़ी मोटी धार निकलती है लेकिन भैया।
कालू : अबे लेकिन क्या बे।
बीरजु : दादा माँ से भी ज्यादा बड़ी और मस्त फुल्ली हुई चुत है बड़ी माँ की और जब वह मुतती है तो उनकी चुत से पेशाब की धार इतनी मोटी निकलती है की क्या बताऊ।
कालू : अबे हरामि तूने कब देख ली मेरी माँ की चूत।
बीरजु : वो दादा जब बड़ी माँ और माँ दोनों खेत में बैठ कर बाते करती है तब उन्हें पेशाब लगती है तो झोपडी के पीछे जाकर मुतती है और बस मै झोपडी के अंदर से छूप कर उनकी मस्त चुत के दर्शन कर लेता हु।
कालू : तू तो बड़ा हरामि है साले, फिर क्या करता है चुत देख कर।
बीरजु : दादा वाही खड़ा होकर मुट्ठ मार लेता हु बड़ा मजा आता है।
कालू : यार मुझे भी अपनी माँ की चुत के दर्शन करवा दे।
बीरजु : क्यों बड़ी माँ की चुत नहीं देखना चाहोगे, बड़ी माँ तो और भी ज्यादा मस्त माल है, मैंने तो बड़ी माँ और माँ के मोटे मोटे चूतडो को भी पूरा नंगा देखा है, सच दादा अगर तुम बड़ी माँ को नंगी देख लो
तो तुम्हारा लंड पानी छोड़ देगा।

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