रमेश धीरे से लण्ड घुसा रहा था मगर रिया की चीख अभी एक तिहाई सुपारा घुसने के समय ही निकलने लगी। रमेश डर गया और रुक गया. तब रिया पीछे मुडी और हंसते हुए बोली- अरे, डैड मजाक किया था, डालो ना।
इस पर रमेश ने उसके बालों को कसकर खींचा और बोला- साली देख अब तू, कैसे तेरी गाँड का गड्ढा बनाता हूं मैं. इतना चोदूंगा कि अपनी माँ को याद करोगी।
उसने एक जोर का धक्का मारा और पूरा लण्ड एक साथ रिया की कसी हुई गाँड में उतर गया।
रिया ने हालांकि गाँड बहुत मरवाई थी, मगर इतना मोटा तगड़ा लौड़ा ले रही थी इसलिए उसकी चीख निकल गयी। वो लगभग रोते हुए बोली- डैड आराम से तो पेलते, कहीं गांड फट जाती तो?
रमेश- तुमको अब पता चला ना कि कैसा लगता है गाँड में लण्ड घुसता है तो। अब तो घुस गया. थोड़ी देर में गाँड उसको जगह दे देगी और तुमको मज़ा आएगा।
रिया- अरे डैड, मैं अपना सब तुमको दे चुकी हूं और साथ में मज़ा लूटना है ना! आआहह … थोड़ी देर बस लण्ड को गाँड में स्थिर रखो फिर खूब चोदना। तुमने तो लंड ऐसे घुसाया कि लंड को गांड से डाल कर मुंह से निकाल दोगे!
रमेश- ठीक है साली रंडी, मगर तूने ही मुझे उकसाया था. तेरे मस्त चूतड़ और तेरी गांड के उभरे हुए छेद को देख कर मुझसे रहा नहीं गया.
कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद रिया ने कहा- हाँ अब लगता है कि गाँड अभ्यस्त हो गयी है। अब चोदो अपनी रंडी बेटी की गाँड को जितना जी चाहे। अब मज़ा आएगा डैडी।
ये सुन कर रमेश ने रिया की गाँड के छेद, जिसमें उसका लण्ड ऐसे फंसा था जैसे गूँथे हुए आटे में किसी ने लकड़ी गाड़ दी हो, पर थूक दिया। गाँड के छेद के किनारे गहरे भूरे रंग के थे।
रमेश ने अपनी उंगली से थूक को छेद के चारों ओर पोत दिया। फिर उसने लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू किया. लण्ड को वो बमुश्किल आधा इंच ही अंदर बाहर कर रहा था।
धीरे धीरे उसने अपनी रफ्तार बढ़ानी शुरू की। उसे अपने लण्ड पर गाँड का कसाव मूंग के हलवे की तरह लग रहा था। लण्ड का अहसास रिया को भी बहुत आनन्ददायक लग रहा था।
गाँड के अंदर जो नर्व एन्डिंग्स होती हैं वहां पर रिया को लंड का घर्षण बहुत मजा दे रहा था. इसलिए गाँड की चुदाई का मज़ा डबल हो रहा था। रमेश गाँड मारने में मस्त था तो रिया गाँड मरवाने में मस्त थी।
धीरे धीरे उनकी मस्ती अब आक्रामक कामुक जोश में बदलने लगी। रमेश अब आधे से भी ज़्यादा लण्ड अंदर बाहर कर रहा था। रिया भी अपनी गाँड पीछे करके लण्ड लेने में कोई कोताही नहीं बरत रही थी। रमेश एक हाथ से रिया के बाल खींच रहा था और दूसरे हाथ से उसके चर्बीदार चूतड़ों को मसल रहा था।
अब पूरी तेज़ी से गाँड की चुदाई चल रही थी। रिया की गाँड से कुछ ग्रीज़ की तरह तरल पदार्थ रिसने लगा और रमेश के लण्ड पर चिपकने लगा। रमेश ने ये देखा तो उसने सोचा कि क्यों न रिया की गांड के इस लसलसे पदार्थ को रिया से ही चटवाया जाये!
रमेश ने ये सोचकर कमर की हरकत रोक दी। फिर दोनों चूतड़ों को फैलाकर अपने लण्ड को धीरे धीरे बाहर निकाला। रिया की गांड का छेद रमेश के लंड की गोलाई के जितना चौड़ा हो गया था. लंड पर पूरा चिपचिपा पदार्थ लगा हुआ था.
रिया की गांड का अंदर का गुलाबी हिस्सा साफ साफ दिख रहा था. लंड बाहर निकला तो रिया की सांसों के साथ ही उसकी गांड के अंदर का हिस्सा भी ऊपर नीचे हो रहा था. रमेश ने गांड के अंदर ही थूक दिया। वो ये दृश्य देखकर जैसे मदहोश हो रहा था.
तभी रिया ने टोका- क्या हुआ डैड? क्यों निकाल लिया लण्ड बाहर?
रमेश ने उसकी ओर मुस्कुरा कर देखा और बोला- इधर आ साली कुतिया और चूस इस लण्ड पर लगे अपनी गांड के रस को.
रिया पीछे घूम गयी और उसने लण्ड को जड़ से पकड़ लिया. फिर रमेश की आंखों में देखते हुए अपनी जीभ बाहर निकाली और लण्ड के निचले हिस्से को चाटने लगी। फिर सुपारे पर चूसने लगी और फिर लंड के दायें बायें और फिर ऊपरी हिस्से पर अपनी जुबान फिराने लगी.
रमेश उसके बालों को संवारते हुए उसकी ओर प्यार से देख रहा था। रिया ने उसकी ओर देखा और कहा- मेरी गांड तो बहुत मीठी है डैड.
रमेश- क्यों ना होगी? तुम हो ही स्वीट, अब पता चला कि हम मर्द लोग गांड को क्यों चाटते हैं?
रिया के मुंह मे लण्ड था, मगर फिर भी उसकी हंसी रुक नहीं पाई।
वो बोली- अब रोज़ चटवाऊंगी और चाटूंगी लंड से चुदवाने के बाद। डैड, ये एक नई चीज पता चली मुझे आज।
फिर रमेश ने लण्ड को छुड़ा लिया और बोला- अभी पहले तुम्हारी गांड की चुदाई अधूरी है। तुम अपनी चूत को मसलती रहना, तब तुमको और मज़ा आएगा।
रमेश ने रिया को पीठ के बल अपने सामने लिटा दिया। उसके बाल बिखरे हुए थे। होंठों पर लण्ड चूसने के बाद चमक थी। आंखों में कामुकता की प्यास थी। चूचियां तनकर पहाड़ सी लग रही थीं। रमेश ने उसकी गांड़ के नीचे तकिया लगा दिया और फिर उसकी गांड में लण्ड घुसा दिया।
रिया अपनी चूत मसलने लगी और रमेश ने उसकी दोनों चूचियों को अपने पंजों की गिरफ्त में ले लिया। अब फिर से घमासान चुदाई शुरू होने वाली थी।
रमेश ने अब रिया की गांड फिर से मारनी शुरू कर दी।
अब रिया की गाँड भी ढीली हो चुकी थी। अब लण्ड के आवागमन में कोई दिक्कत नहीं थी। वो गांड मरवाते हुए अपनी चूत के दाने को छेड़ रही थी। रमेश ने उसकी चूत पर थूक दिया तो रिया उसे पूरी चूत पर मलने लगी।
रिया- आआहह डैड … ऐसे ही! आआहह … उफ़्फ़फ़ … चोदो इस्स! लण्ड चाहे चूत में घुसे या गाँड में, लण्ड को पाने के बाद लड़की मस्त हो ही जाती है।
रमेश- बेटी, देखो ना तुम्हारी गाँड कैसे लण्ड को अपने अंदर समा रही है। जैसे यह मेरे लण्ड का स्वागत कर रही है और कह रही है कि आओ और मुझे जरा और ज्यादा फैला दो।