आशा ने जगदीश राय को साफ मना कर दिया था चूत चोदने के लिए।इसलिए वो आशा की गांड में थूक लगाकर धीरे धीरे ऊँगली पेलने लगे।
उनका कठोर लंड आशा की चूत पे टकरा रहा था….
जगदीश राय आशा की चुचिया मसलते हुए उसके होठो को चुम रहे थे…..
जगदीश राय का लंड आशा की गाँड में घुसने के लिए….. बेक़रार था ।
उन्होंने आशा की टाँगे फैला कर …
अपना लंड आशा की गाँड में पेल दिया
आशा के मुह से सिसकी निकल गयी ।वह सिसियाने लगी ।
हाआआयय्य्य्य्य्य उफ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स
जगदीश राय का पूरा लंड अंदर घुसने के बाद उन्होंने धक्के लगाने शुरू किये
आशा पापा के हर धक्के को कमर उचका कर जवाब देने लगी ।
जगदीश राय: लगता है बेटी तुमको पहले जैसा दर्द नहीं हो रहा ।
आशा: नहीं पापा … अब दर्द नहीं हो रहा … बहोत मजा आ रहा है …. और तेज करिये ना ……
जगदीश राय ने अपनी स्पीड बढ़ा दी ….
कुछ देर धक्के मारने के बाद वो रुके ….
उन्होंने आशा को उठाया ……
और खुद निचे लेटे … अब उनका वो फौलादी लंड कुतुबमीनार की तरह खड़ा था
जगदीश राय: आओ…. बेटी …. बैठो अपनी सवारी पर……
आशा उनकी दोनों ओर पैर रख कर खड़ी हुयी ……
एक हाथ से पकड़कर उनका लंड अपनी गाँड पर अड्जस्ट करके धीरे धीरे निचे बैठने लगी ……
अब उनका वो मोटा लंड पूरी तरह से आशा की टाइट गांड में कैद हो गया था ….
आशा पापा का लंड अंदर लेते लेते थक गयी थी
सो लंड पूरा अंदर जाने के बाद में बैठे बैठे हांपने लगी
आशा को आराम से बैठा देख उसके पापा बोले
आशा बेटी …. सिर्फ बैठना नहीं है… जरा ऊपर निचे करो …मेरे लंड पर
फिर देखना कैसा जन्नत का मजा आता है
फिर आशा थोडी सी ऊपर हुयी … और निचे भी ….
धीरे धीरे उसकी स्पीड बढ़ती गयी
उसके बाल बार बार चहरे पर आ रहे थे
जगदीश राय ने उन बालो की लट को ठीक किया ….
आशा को बहोत ही मस्त लगा रहा था इसी मस्ती में उसके मुह से आहे निकल रही थी।
धीरे धीरे वह पापा के लंड पर उछलने लगी
और उसकी आहे भी तेज होने लगी ।अब आशा पूरी तेजी से अपनी गांड अपने पापा के लंड पर पटक रही थी।लंड एक ही बार में आशा की गांड में पूरा घुस जाता और फिर अगले ही पल निकलने लगता।
10 मिनट घुड़सवारी करने के बाद आशा निचे उतरी ….फिर जगदीश राय ने बेड में सुलाकर आशा की गांड में लंड घुसाकर पेलते हुए बोला।
जगदीश राय: वाह क्या उछली हो मेरी जान … पूरी रंडी लग रही थी तुम….
आशा: छिः पापा … ये क्या आप मेरे लिए इतना गन्दा बोल रहे हो …..
जगदीश राय:इसमें गन्दा क्या है बेटी …… मैं तो तेरी तारीफ़ कर रहा हु …..
आशा: ऐसे करते है तारीफ।…. रंडी क्या अच्छा वर्ड है।
जगदीश राय: अरे बेटी कहा ये अच्छे बुरे के बारे में सोच रही हो ….चुदाई में कुछ गलत नहीं ….कुछ गन्दा नहीं होता।
आशा: … पर….
जगदीश राय: अरे बेटी …. एक अच्छी रंडी ही सबसे बेहतर चुदना जानती है ….. ये एक बहोत बड़ी कला है मेरी जान ….हाँ ये रण्डी वर्ड कुछ लोगो को बुरा लगता है……. पर बेटी चुदाई के समय ऐसे शब्द यूज़ करना बड़ा अच्छा लगता है ….
आशा: अगर आपको अच्छा लगता है … तो … आप मुझे जो चाहे बुलाओ…..
जगदीश राय: हाय मेंरी प्यारी बिटिया।…
आशा: हा मेरे प्यारे पापा …… अपनी इस रंडी से टूट के प्यार करो … चोद डालो अपनी इस रंडी को ….
जगदीश राय:आशा … तू भी मुझे गालिया दे तो और भी मजा आएगा …
आशा: तो मैं क्या आपसे डरती हु क्या … आप भी तो बेटीचोद …..हो।अपनी दो दो बेटियों को चोद रहे हो।
जगदीश राय: वाह मेरी रंडी साली…. मजा आ गया ….
तेरी गांड में जो मज़ा है।वो किसी में नहीं है।कितनी गरम और टाइट गांड है तेरी।कितना भी पेलो तुझे फर्क नहीं पड़ता।साली तेरी कुँवारी चूत में जिसका लंड पहली बार जाएगा वो कितना लकी होगा।
आशा:और जोर से पेलो पापा।आप भी कम लकी नहीं हो।आपको मेरी कुँवारी गांड मिली।चूत भी चूस लेते हो।जीभ से चोद भो देते हो।मेरी चूत में ऊँगली भी घुसा देते हो।और मेरे मुँह को तो चूत की तरह चोदते हो और आपको क्या चाहिए पापा।
और आज तो आपने मुझे अपनी रंडी भी बना दिया
जगदीश राय:ठीक है मेरी रांड।आज से तू मेरी पर्सनल रांड है।अब तू साली कुतिया बन जा।आज मैं तेरी गाँड को इतना फाडूँगा की उसमे से आज फिर खून निकल जाए।तू दर्द से चीखने लगे।
आशा बेड से निचे उतरकर अपने पापा के लंड को पकड़कर हिलाने लगती है।लंड आशा की गांड से निकला था।वो रस में भीगा पिला रंग का हो गया था।लेकिन आशा ने लंड को अपने मुँह में भर लिया और चुसने चाटने लगी।जगदीश राय भी मस्ती में भरकर आशा के मुँह को चोदने लगा।
कुछ देर बाद जगदीश राय ने निशा को कुतिया बना दिया।
जगदीश राय: हाँ बेटी अब मैं तुम्हे अपनी फेवरेट पोजीशन में चोदूंगा ….
आशा : तो चोदो न पापा ….
जगदीश राय: लेकिन इसबार तुम्हें बहोत दर्द हो सकता है ।क्योंकि इस बार तुम्हारी गांड फाड़ने का मन कर रहा है …
आशा : आप उस की चिंता मत करो पापा …आप मुझे जैसे चाहो वैसे चोदो …… मेरे दर्द की परवाह मत करो
जगदीश राय ने आशा को खीच के गले लगाया उसे चूमा ……
बाद में उन्होंने आशा को पलंग को पकड़ कर कुतिया जैसा खड़ा किया ….
आशा की टाँगे फैला दी…..
और खुद उसकी गांड के पीछे खड़े हुए ……
उन्होंने अपना लंड आशा की गांड के भूरे छेद पे रगड़ा…
और अचानक एक करारा धक्का दे कर आधा लंड अंदर पेल दिया …..
आशा इस अचानक हमले के लिए तैयार नहीं थी ….
वह गिरते गिरते बची …..
फिर जगदीश राय ने झुककर आशा की चुचिया थामी … और उसे पीछे खींचा।
जगदीश राय ने बेदर्दी से आशा की चूचियोंको मसलना शुरू किया बिलकुल रफ तरीके से।
आशा के मुह से जोरो की आह निकल गयी
ओफ्फ्फ्फ्फ्फ़ ह्म्म्म्म्म्म पापा हाय्य्य्य्य्य्य्य
जगदीश राय: साली रंडी अभी तो शुरू भी नहीं किया है … अभी इतना तड़प रही है तो आगे क्या होगा।
आशा: नहीं पापा कुछ नहीं हुआ है …. आप आगे बढ़ो
और आशा ने अपनी गांड उभार के दिखाई
जगदीश राय गांड पे थप्पड लगाते बोले…. “वाह….. बेटी……ये हुयी ना बात।और अपनी गांड पीछे कर।
फिर उन्होंने एक और तेज झटका मार के पूरा के पूरा लंड आशा की गाण्ड में घुसा दिया।
आशा अपने होठ दबा रखे थे …. वह चाहती थी की उसके मुह से कराह न निकले।
फिर जगदीश राय ने आशा की कमर थामी
और लंड आगे पीछे करके आशा की गांड में अपना 9 इंच का लंड पेलने लगे ।
धीरे धीरे वो अपनी स्पीड में इजाफा कर रहे थे
कुछ ही देर में उनकी स्पीड इतनी बढ़ गयी ….
की उनके हर धक्के से आशा तो हिल ही जाती लेकिन साथ साथ पलंग भी चरमरा जाता।