निशा ने अपने पापा को उसे घूरते देखा और वह खुश हो गयी। उसने बिना कुछ कहें मुस्कुराते हुए , अपनी अन्दाज़ में मुडी और मटकती हुआ चल दी।
जगदीश राय उसके पीछे अपने खडे लंड को सम्भालते हुआ चल रहा था।
जगदीश राय बाहर आकर अपनी मारुती ८०० के तरफ चलने लगा।
निशा: पापा हम बस में जाएंगे।
जगदीश राय: क्यों बेटी, कार हैं न। इसमे चलते है।
निशा: नहीं पापा, मैं इस खटारे में नहीं आउंगी। आप तो नयी कार लेते नही। मेरे सब फ्रेंड्स के पापा के पास कम से कम नई गाड़ी तो है ही। और वैसे भी बस स्टोप तो यही है।
जगदीश राय, हर वक़्त की तरह , हार मान गया।
जगदीश राय: ठीक है चलो बस में।
निशा को सभी लोग रोड पर देख रहे थे, जगदीश राय ने देखा। जब बस आ गयी, तो बस में बेठने की कोई जगह नहीं थी।
निशा: शायद आगे के स्टॉप्स में खाली जो जाए। चलें?
जगदीश राय और निशा दोनों चढ़ गये। बस में खडे होने के लिये, बीच में, थोड़ी सी जगह बनायीं थी। जगदीश राय ने देखा की बस में ज्यादातर स्टूडेंट्स थे।
निशा (उदास चेहरे से): शायद सब युनिवरसिटी जा रहे है। तो सीट्स मिलना मुश्किल होगा।
जगदीश राय: कोई बात नही, आधे घन्टे में आ ही जाएगा।
निशा और जगदीश राय एक दूसरे को फेस करके खडे थे। निशा के पीछे एक कॉलेज का जवान लड़का खड़ा था।
बस में अगले स्टोप पर और स्टूडेंट्स चढ़ गये। अब बस पूरा पैक हो चूका था।
निशा के पीछे खड़ा जवान लड़का निशा के पीछे पूरा चिपका हुआ था। और निशा आगे से अपने पापा से चिपकी हुई थी, एक सैंडविच की तरह। जगदीश राय ने देखा की लड़का अपना पेंट के आगे का हिस्सा निशा की गाण्ड पर चिपका रखा है। निशा के चूचे पूरी तरह से जगदीश राय के शरीर पर दबी हुई है। जगदीश राय का लंड पुरे आकार में था।
निशा: ओह न, हमें कार में ही आना चाहिए था…।शीट…। बहुत उनकंफर्टबल है यहाँ…।।
जगदीश राय:क्या मैं… थोड़ा पीछे हो जाऊँ।
निशा: नहीं पापा, आप ठीक है। पर यह पीछे वाला…।उफ्फ्।
जगदीश राय समझ गया की निशा को उस जवान लड़के का लंड महसूस हो रहा है। और यह उसे पसंद नहीं आ रहा। जगदीश राय, ने जाना की निशा ,भले ही सेक्सी है और सेक्सी कपडे पहनती है, पर है सुशिल और समझदार।
निशा: मैं एक काम करती हूँ, घूम जाती हूँ।