अगले दिन जगदीश राय , नहा धोकर हॉल में आकर पेपर के साथ बैठ गया । निशा उसे चाय देने आ गई।
निशा: गुड मॉर्निंग पापा, यह लो। चलो हमें जल्दी निकलना है। मुझे यूनिवर्सिटी होकर कॉलेज भी जाना है और आपको ओफिस।
निशा नहाकर आयी थी। अपनी गीले बालों को टॉवल में बाँध रखा था। उसने एक फ्रॉक पहना हुआ था, जो घुटने तक का था।
जगदीश राय को निशा बहुत प्यारी और सुन्दर लगी। गोरा भरा हुआ बदन, बड़ी बड़ी चूचे, भरा हुआ गाँड। जब वह चलती तो उसके हिप्स फ्रॉक के अंदर मटकते हुये साफ़ दिख रहे थे। इतनी सेक्सी होने पर भी उसके चेहरे में एक मासूमियत और सुशीलता थी।
जगदीश राय: क्या मेरा जाना ज़रूरी है।
निशा (नाराज़ होते हुए): पापा, अब आप अपनी प्रॉमिस से मुकर रहे है।
जगदीश राय: ओके ओके ठीक है चलता हूँ। मैं तैयार हो जाता हूँ।
जगदीश राय चाय पीकर जब सीडी चढ़ रहा था, तब आशा और निशा स्कूल ड्रेस में निचे उतर रहे थे।
करीब 9:15 में जगदीश राय हॉल में अपना कॉटन शर्ट और कॉटन पेंट में आकर बैठ गया। वह सोफे पर बैठकर गुज़रे हुए कुछ दिन की वाक्या सोच रहा था।
जगदीश राय(मन में): पिछले कितनो दिनों से मैंने सीमा के बारे में सोचा ही नही। जो आदमी हर रात सोते वक़्त सीमा के बारे में सोचकर रोता हो, वह आज पिछली 3 रातो से खुश है। और यह सब निशा के वजह से है।
तभी निशा पीछे से आयी।
निशा: पापा, चलें?
जगदीश राय पीछे मुडा और निशा को देखते रह गया। निशा ने अपनी बाल पोनीटेल में बांध रखा था।
गोरा चेहरा बहुत सुन्दर लग रहा था। उसने ऊपर एक ग्रीन कलर की शार्ट कुर्ती पहनी थी और नीचे रेड कलर की टाइट लेगीन्स। कुर्ती का कट पुरे उसके साइड हिप्स तक आ रहा था, जिसे उसकी बड़ी जांघे लेग्गिंग्स में साफ़ दिख रहे थे। निशा ने आज थोंग्स पहन रखी थी , इसलिए गाण्ड टाइटस में पूरा खुला दिख रही थी।
उसके मम्मे भी कुर्ती में उभरकर आ रहे थे।