गतान्क से आगे……………………
उधर बिरजू हाँ मा क्या है, कमला बिरजू ज़रा मेरे पाँव दबा दे
बेटा बड़ा दर्द हो रहा है, ठीक है मा और बिरजू अपनी मा के
पैरो की ओर बैठ गया और अपनी मा का घाघरा उठाकर उसके
जाँघो तक सरका दिया घाघरे की चौड़ाई (घेर) बहुत ज़्यादा
होने के कारण कमला ने अपनी जाँघो को थोड़ा खोल दिया और
बिरजू अपनी मा की फूली हुई गदराई चूत देख कर मन ही मन
खुस हो गया और अपनी मा की मोटी मोटी गोरी गोरी पिंदलियो को
पकड़ कर सहलाने लगा और फिर अपना हाथ उपर ले जाकर उसकी
मोटी जाँघ को जब उसने अपने हाथो मे दबोचा तो बिरजू का
लंड अपनी मा की मोटी गदराई जाँघो के स्पर्श से झटके मारने
लगा, कमला चुपचाप अपनी आँखे बंद किए लेटी थी उसकी मोटी
मोटी चुचियाँ उपर नीचे हो रही थी और ऐसा लग रहा था कि
कमला ने अपनी चुचियो को खूब कस कर अपनी लाल चोली मे
बाँध रखा है, बिरजू अपनी मा की गदराई जवानी को अपनी
आँखो से पी रहा था और सोच रहा था जब यह कपड़े मे
इतनी मादक लगती है तो नंगी इसका शरीर कितना मस्ताना होगा,
ऐसी चूत मारने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए, कितनी गदराई गंद
है मेरी मा की इसको तो नंगी करके खूब कस कस कर चोदने का
मन हो रहा है, तभी कमला ने बिरजू से कहा बेटा मैं सोने
की कोशिश करती हू अगर तुझे नीद आए तो यही लेट जाना
कमला वही राजू के साथ सो जाएगी, जी मा ठीक है और कमला
अपनी आँखे बंद कर लेती है, बिरजू अपनी मा के उठे हुए पेट
और गहरी नाभि को देख देख कर अपनी मा की चूत मारने को
तड़प रहा था और सोच रहा था इसकी चूत की गंद इतनी मादक
है कि इतनी दूर से भी इसकी चूत की कैसी मादक गंध आ रही
है, और बिरजू अपनी मा की मोटी गदराई गोरी गोरी जाँघो को अपनी
हथेलियो मे भर भर कर उसके गदराए योवन का मज़ा ले
रहा था, कभी कभी बिरजू अपनी मा की जाँघो के जोड़ तक भी
अपना हाथ फेर देता था, थोड़ी देर बाद बिरजू ने अपनी मा के
दोनो पैरो को अच्छे से फैला दिया और फिर अपनी मा की चूत को
बड़े प्यार से देखने लगा इतना बड़ा भोसड़ा तो सुधिया काकी
का भी नही था कैसी गदराई चूत है मेरी मा की, और बिरजू अपनी
मा के जाँघो को अपने दोनो हाथो मे भर भर कर उसकी
गदराई जवानी का मज़ा ले रहा था, कमला अपने बेटे द्वारा
अपनी मसल जाँघो को सहलाए जाने से उन्माद से भरी हुई थी
और आँखे बंद किए हुए उसे अपने बेटे के मोटे मोटे काले
लंड झूलते हुए नज़र आ रहे थे, उसकी बुर रसीले पानी से
चिचिपा गई थी बिरजू पूरी लगन से अपनी मा की मोटी जाँघो को
अपने दोनो हाथो मे भरने की कोशिश कर रहा था लेकिन
उसकी मा की जंघे इतनी गुदाज और मोटी थी की उसके दोनो हाथो
मे भी समा नही पा रही थी, उसका लंड लूँगी उठाए बार बार
झटके मार रहा था, बिरजू ने अपनी मा की दोनो जाँघो को थोड़ा
और फैला दिया जिससे उसकी मा की चूत पूरी खुल कर उसके सामने
आ गई वह अपनी मा की मस्तानी भोसड़ी को देख कर पागल हुआ जा
रहा था उसका बस नही चलता नही तो अभी के अभी अपने मोटे
डंडे को अपनी मा की भोसड़ी मे फसा कर उसकी चूत को पूरी
फाड़ कर रख दे किंतु वह भीतर ही भीतर डर भी रहा था कि
कही मा नाराज़ हो गई तो फिर क्या होगा, उधर कमला अपनी
जाँघो को और फैलाकर अपनी मस्तानी चूत के दर्शन अपने
बेटे को पूरी तरह खोल कर करवा रही थी और मन ही मन
सोच रही थी कि मेरे बेटे का मोटा लंड अगर मेरी चूत मे
घुस जाए तो सारी गर्मी शांत हो जाएगी, दोनो को काफ़ी देर हो
चुकी थी और दोनो की आँखो मे नीद नही थी, बिरजू ने
अचानक अपनी मा के मासल गदराए पेट पर हाथ फेरते हुए
धीरे से मा सो गई क्या, कमला जाग रही थी लेकिन कुच्छ बोली
नही तब बिरजू की हिम्मत थोड़ी बढ़ गई और उसने अपनी मा की
गुदाज फूली हुई चूत के उपर हल्के से अपने हाथो को रख
दिया उसकी इस हरकत से कमला सिहर उठी वह अपने आप को रोक
नही पा रही थी लेकिन हिम्मत करके चुपचाप पड़ी हुई थी,
बिरजू ने जब अपनी मा की फूली चूत का एहसास किया तो उसके रोंगटे
खड़े हो गये इतनी गदराई और फूली हुई चूत का स्पर्श इतना
मादक था कि उसके हाथ अपनी मा की बुर के उपर स्थिर रखे
होने की कोशिश के बावजूद कांप रहे थे, फिर बिरजू ने अपनी
मा की फूली हुई चूत पर अपने हाथ का थोड़ा सा दबाव बढ़ाते
हुए उसकी चूत को पूरी तरह महसूस करने की कोशिश की उसका
हाथ लरज रहा था लेकिन चूत के कोमल और फूले पन का
एहसास उसे बहुत उत्तेजित और रोमांचित कर रहा था उसने अपनी
मा की चूत को थोड़ा और दबाते हुए एक बार और कहा मा सो
गई क्या लेकिन कमला के मूह से एक बोल तक नही फूटा वह
हिम्मत बाँधे पड़ी रही लेकिन उसकी सांसो पर उसका बस नही
चल रहा था और उसकी मोटी मोटी छातियाँ उपर नीचे हो रही
थी और उसका प्यासा दिल बुरी तरह धड़क रहा था, अब बिरजू को
काफ़ी हिम्मत आ चुकी थी और उसने धीरे धीरे अपनी मा की
फूली हुई चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और उसकी फूली
चूत के मादक एहसास को महसूस करने लगा, जब बिरजू अपना
हाथ अपनी मा की चूत के छेद पर ले गया तो उसे एक झटका
लगा क्यो कि उसकी मा की चूत पूरी गीली थी ऐसा लग रहा था
जैसे उसकी मा मूत चुकी हो, और उसने मन मे सोचा कही मा
जाग तो नही रही है, फिर उसने सोचा अगर जाग रही है तो
मतलब उसको भी मज़ा आ रहा है और उसे मेरी इस हरकत पर
कोई आपत्ति नही है, और उसने अपना हाथ हटाकर अपनी मा के
घाघरे मे अपना मूह घुसा कर अपनी मा की फूली हुई बुर के
उपर अपने होठ रख कर अपने मूह को अपनी मा की फूली हुई बुर
पर दबाने लगा
उसे इतना मज़ा आ रहा था कि वह उस मज़े को
बयान नही कर सकता था, उसे उसकी मा की चूत से उठती गंध
पागल बना रही थी कुच्छ देर वह अपनी मा की चूत को अपने
बंद होंठो से चूमता रहा दबाता रहा फिर अपना मूह बाहर
निकाल लिया वह कोई रिस्क लेना नही चाहता था, लेकिन उसका मन
अभी भरा नही था और उसने अपना हाथ फिर से अपनी मा की
फूली हुई चूत पर रख दिया और हल्के हल्के सहलाने लगा,
कमला की साँसे रुकी हुई थी और फिर एक दम से साँसे छ्चोड़ती
उसकी हालत खराब हो रही थी तभी बिरजू ने अपनी मा के गुदाज
पेट के उपर मूह रख दिया और अपने मूह को अपनी मा के गुदाज
पेट पर दबा दबा कर उसके उठे हुए पेट को महसूस करने
लगा अब वह उपर की ओर बढ़ा और अपनी मा के दूध के उपर
अपना हाथ रख कर अपनी मा के दूध को हल्के हल्के दबाने
लगा, कभी कभी अपनी मा की मोटी मोटी चुचियो को थोड़ा ज़ोर
से दबा देता, कमला को अब बर्दास्त करना मुश्किल हो गया और
उसने नीद का बहाना करते हुए करवट ले ली और बिरजू एक दम
से हट गया लेकिन जल्दी ही उसने फिर से अपनी मा के पैरो को
अपने हाथ मे लेकर दबाने लगा थो डी देर बाद उसने धीरे
धीरे अपनी मा के घाघरे को उसकी गंद की तरफ से उपर उठाना
शुरू कर दिया अब उसका मन अपनी मा की मोटी गंद को देखने
का कर रहा था, उसने बहुत आराम आराम से अपनी मा के घाघरे
को काफ़ी उपर तक सरका दिया जब उसने अपनी मा की मोटी गंद
देखी तो उसका मूह खुला का खुला रह गया क्योकि वह अपनी मा
की गंद की गंद के गोल शेप और उसके उभरे हुए चूतादो के
पाटो को देखकर मस्त हो गया और जब उसकी नज़र अपनी मा के
गंद के छेद पर पड़ी तो वह अपने आप को रोक नही पाया और
अपने दोनो हाथो से अपनी मा की गंद को दबोचने लगा वह
ज़्यादा ज़ोर नही लगा रहा था लेकिन इतना ज़ोर से ज़रूर अपनी मा की
गंद को दबा रहा था कि उसे फुल मज़ा मिल रहा था फिर उसने
धीरे से अपनी मा की गंद के छेद पर हाथ फेरा और नीचे
तक हाथ ले गया तो उसे अपनी मा की चूत की फूली हुई फांको का
मस्त एहसास पागल कर गया. उसने अपने दोनो हाथो से अपनी मा
की मोटी गंद के छेद को फैलाकर उसकी गंद के छेद मे
अपनी नाक लगाकर उसकी गंद की मादक गंध को जब शुंघने
लगा तो कमला उसकी इस हरकत से पागल हो गई उसे लग रहा था कि
अभी अपने बेटे को अपनी बाहो मे कस कर दबोच ले और उसके
मोटे लंड को इतना चूसे की वह उसके मूह मे ही पानी छ्चोड़
दे, कुछ देर बिरजू ने अपनी मा की गंद को सहलाया उसके बाद
बिरजू ने अपना मोटा और काला लंड बाहर निकाला और अपनी मा की
गंद से अपने लंड को चिपका कर उसकी गंद से चिपक कर लेट
गया और धीरे धीरे अपनी मा के मस्ताने चूतादो पर अपना
हाथ फेरता रहा उसे ऐसा लग रहा था कि एक धक्का मारे और
अपना मोटा लंड अपनी मा की मतवाली गंद मे भर दे, लेकिन
वह चुपचाप पड़ा रहा, उधर राजू अपनी बहन की चूत मारने
के बाद उसकी गंद मे सरसो का तेल भर भर कर उसकी गंद मे
अपना लंड पेलने लगा और करीब सुबह 4 बजे तक राजू अपनी
बहन को हर आसन मे चोद्ता रहा, सुबह सुबह कमला जल्दी
उठ गई और उसने जब बिरजू के लंड को देखा जो लूँगी बाहर से
झाँक रहा था तो उससे रहा नही गया उसके लंड के मोटे
सूपदे को कमला ने अपनी मुट्ठी मे भर लिया तभी बिरजू का
लंड कड़क होने लगा तो कमला ने जल्दी से उसका लंड छ्चोड़ा
और बाहर आकर काम धाम मे लग गई,
क्रमशः………………..