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एक भाई की वासना - Erotic Bhai Behan Ki Sex Story

एक भाई की वासना – Update 16 | Bhai-Behan Ki Sex Story

अपडेट 16

आपने अभी तक पढ़ा..

रश्मि की चूची दबाते-दबाते शायद सूरज ने जज़्बाती होकर कुछ ज्यादा ही मसक दिया था.. जिसकी वजह से रश्मि थोड़ा सा कसमासाई और फिर उसने मेरी तरफ करवट ले ली।
जैसे ही रश्मि हिली तो सूरज ने फ़ौरन ही अपना हाथ पीछे खींच लिया और दूसरी तरफ मुँह कर करते हुए लेट गया।

तभी मैंने अपनी आँखें हल्की सी खोल कर देखा तो देखा कि रश्मि ने आहिस्ता आहिस्ता अपनी आँखें पूरी खोल ली हैं और मेरी तरफ देख रही है।
फिर उसने थोड़ा सा ऊपर होकर अपने भाई की तरफ देखा और धीरे से मुस्करा कर फिर लेट गई। उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी और आँखें खुली हुई थीं।
मैं दिल ही दिल मैं सोच रही थी कि क्या रश्मि को भी पता था कि उसका भाई उसकी चूचियों को दबा रहा है।
अब आगे..

अगर ऐसा था तो उसने कोई ऐतराज़ क्यों नहीं किया और अगर उसने सब कुछ जानते हुए भी कोई ऐतराज़ नहीं किया तो फिर तो यह मेरी बहुत बड़ी कामयाबी थी कि मैं दोनों बहन-भाई को इतना क़रीब लाने में कामयाब हो गई थी और मैं अपनी इस कामयाबी पर दिल ही दिल में बहुत खुश हो रही थी।

अगली शाम रश्मि ने मेरी कहने पर एक मिनी स्कर्ट और टी-शर्ट पहन ले. स्कर्ट उसके चूतड़ों को आधा ढांप रही थी लेकिन उसकी जाँघों की पूरी पूरी शेप और टाँगें बिल्कुल साफ़ दिख रही थीं।

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रश्मि बहुत ही सेक्सी लग रही थी.. जैसे ही सूरज ने उसे देखा तो उसकी चेहरे पर मुस्कराहट फैल गई।

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मेरी नज़रें उससे टकराईं तो रश्मि ने शर्मा कर अपना सिर झुका लिया। मैं देख रही थी कि जिधर-जिधर भी रश्मि जा रही थी.. सूरज की नजरें उसी के जिस्म पर रह रही थीं। ऊपर टाइट टी-शर्ट में उसकी चूचियाँ बिल्कुल फंसी हुई थीं और उसका गला भी थोड़ा डीप था.. जिसकी वजह से उसका खूबसूरत गोरा-चिकना सीना भी काफ़ी खुला सा नज़र आ रहा था।

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लेकिन चूचियाँ या क्लीवेज तो नहीं दिख सकता था। सोने के वक़्त तक भी रश्मि अपने जिस्म की जलवे बिखेरती रही और अपने भाई पर अपनी हुस्न की बिजलियाँ गिराती रही।

रोज़ की तरह आज भी सोने के लिए मैं और सूरज पहले ही कमरे में आ गए।
अब जो आग रश्मि ने अपने भाई के जिस्म और दिमाग में लगाई थी.. उसकी वजह से सूरज ने अन्दर आते ही मुझे खींचा और अपने सीने से लगा लिया।

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मैंने भी कोई रुकावट नहीं की और उसे और भी गर्म करने के लिए उससे लिपट गई और उसके किस का जवाब किस से देने लगी।

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नीचे मैंने उसके बरमूडा में हाथ डाला और उसका लंड पकड़ लिया.. जो धीरे-धीरे मेरे हाथ में फूलने लगा। मैं भी उसके लण्ड को अपने हाथ में दबाते हुए आगे-पीछे करते हुए और भी खड़ा करने लगी। इधर दूसरे हाथ से अपनी मखमली चुत सहलाने लगी।

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सूरज बोला- जान जल्दी से एक बार चोद लेने दो ना..
मैंने कहा- नहीं… अभी नहीं.. तुम्हारी बहन ने आ जाना है।
सूरज बोला- नहीं.. तुम थोड़ी देर के लिए सिटकनी लगा कर आओ।

मैंने उसके लण्ड को सहलाते हुए कहा- नहीं.. जब वो सो जाएगी.. तो तुम खामोशी से जो भी करना चाहो.. मेरे पीछे लेटे-लेटे कर लेना।
आख़िर में सूरज मान गया।

तभी दरवाज़ा खुला और रश्मि अन्दर आई.. तो उसे देख कर हम दोनों अलग हो गए। जैसे ही रश्मि बिस्तर के क़रीब आई.. तो मैं फ़ौरन ही उसकी जगह पर होकर लेट गई और बोली- रश्मि आज तुम बीच में सोओगी।

रश्मि चौंकी और हैरान होकर बोली- लेकिन क्यों भाभी?
सूरज भी हैरत से मेरी तरफ देख रहा था।
मैं मुस्कुराई और हँसते हुए बोली- तुम्हारे भैया.. मुझे बहुत तंग करते हैं.. इसलिए आज मैं इस तरफ सोऊँगी और तुमको बीच में सोना पड़ेगा।

रश्मि का चेहरा शर्म से लाल हो गया.. लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे घसीटा और उसे अपने और सूरज के बीच अपनी वाली जगह पर लिटा दिया।
रश्मि के चेहरे पर घबराहट के साथ शरम के आसार साफ़ नज़र आ रहे थे.. और वो मेरी तरफ देख रही थी।
मैं मुस्करा कर बोली- थैंक्यू माय डियर ननद..

मैंने महसूस किया था कि सूरज के चेहरे पर पहले वाली मायूसी के बाद अब थोड़ी उत्तेजना आ गई थी।
आज इस नई स्थितियों की वजह से हम में से कोई भी बोल नहीं रहा था।

मैंने ही थोड़ी सी बातें कीं और उन दोनों ने ‘हूँ.. हाँ..’ में जवाब दिया।
फिर मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं।

हमारा बिस्तर इतना बड़ा नहीं था कि हम सब लोग एक-दूसरे से दूर-दूर होकर सो सकें.. इसलिए रश्मि का जिस्म अपने भाई के जिस्म से टच कर रहा था।
मेरी देखते ही देखते रश्मि ने भी आँखें बंद कर लीं और शायद इस सारी सूरते-हाल को हज़म करने की कोशिश करते हुए सोने लगी।

लेकिन उसके जिस्म से टच होता हुआ उसके भाई का जिस्म भी उसे शायद बेचैन कर रहा था।

ज़ाहिर है कि मैं सो नहीं रही थी और सूरज के हरकत में आने का इन्तजार कर रही थी। कुछ ही देर गुज़री कि वो ही हुआ जिसका मुझे इन्तजार था।
सूरज ने अपनी बहन की तरफ करवट ली और आहिस्ता से अपना हाथ उठा कर रश्मि के पेट पर रख दिया।

मेरी नज़र फ़ौरन ही रश्मि के चेहरे की तरफ गई। मैंने महसूस किया कि उसके चेहरे के हाव-भाव एकदम से थोड़े से चेंज हो गए.. लेकिन फ़ौरन ही उसने दोबारा से अपनी चेहरे को सपाट कर लिया। अब वो खुद को संम्भालते हुए दोबारा से आँखें बंद करके पड़ी रही।

मेरे जिस्म के पास पड़े हुए उसके हाथ में मुझे थोड़ी सी हरकत सी भी फील हुई थी.. जैसे की एकदम किसी के छूने से वो उसका जिस्म काँप उठा हो।
मैं दिल ही दिल में मुस्करा उठी।

सूरज का हाथ कुछ देर के लिए एक ही जगह पर रश्मि के पेट के ऊपर पड़ा रहा। फिर आहिस्ता आहिस्ता उसका हाथ हिलने लगा और उसने अपने हाथ को अपनी बहन के पेट के ऊपर हौले-हौले हरकत देते हुए उसके पेट को उसकी शर्ट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया।

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सूरज का हाथ आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के पेट पर हरकत कर रहा था और उसके चेहरे के हाव-भाव बदल रहे थे.. लेकिन उसकी आँखें अभी भी बंद थीं।

पेट पर हाथ फेरने की बाद सूरज ने अपना हाथ थोड़ा सा नीचे लिए जाते हुए रश्मि की जांघ पर रख दिया। रश्मि की जाँघें एक दम रुई के माफिक नरम थी और सायद जांघ सहलाने में सूरज को मजा आ रहा था।
सूरज ने अपना हाथ आहिस्ता आहिस्ता रश्मि की जाँघों पर फिराना शुरू कर दिया और उसकी जाँघों को सहलाने लगा।
सूरज का हाथ नीचे उसके घुटनों तक जाता और फिर ऊपर को आ जाता। उसे अपनी बहन की जाँघों पर हाथ फेरने में शायद बहुत ही अच्छा लग रहा था।

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मैंने भी महसूस किया कि वो थोड़ा सा ऊपर को उठा और उसने बहुत ही आहिस्ता से रश्मि के गले की तरफ अपनी मुँह कर बढ़ाया और उसके गोरे-गोरे सुरहिदार गले को चूम लिया।

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