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एक भाई की वासना - Erotic Bhai Behan Ki Sex Story

एक भाई की वासना – Update 1 | Bhai-Behan Ki Sex Story

अपडेट 1

हैलो.. मेरा नाम काजल है। मेरी शादी को कोई 8-9 महीने हुए हैं।
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मेरे पति का नाम सूरज है..
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वो मेरे ऑफिस में मेरे साथ ही काम करते थे.. लेकिन शादी के बाद मैंने जॉब छोड़ दी और घर पर ही रहने लगी हूँ।

सूरज कोई बहुत ज्यादा अमीर आदमी नहीं हैं। उसकी फैमिली शहर के पास ही एक गाँव में रहती है.. उधर थोड़ी सी ज़मीन है.. जिस पर उसके घर वाले अपना गुज़र-बसर करते हैं। गाँव में उसके बाप.. माँ.. बहन और एक छोटा भाई रहते हैं। उसका छोटा भाई अपनी बाप के साथ जमीनों पर ही होता है। गाँव के स्कूल में ही बहन पढ़ रही थी.. वो बहुत ही प्यारी लड़की है.. रश्मि..
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यानि वो मेरी ननद हुई।

मैं अपने पति सूरज के साथ शहर में ही रहती हूँ। हमने एक छोटा सा मकान किराए पर लिया हुआ है.. इसमें एक बेडरूम मय अटैच बाथरूम.. छोटा सा टीवी लाउंज और एक रसोई है।

घर के अगले हिस्से में एक छोटी सी बैठक है.. जिसका एक दरवाज़ा घर से बाहर खुलता है.. और दूसरा टीवी लाउंज है.. घर के पिछले हिस्से में एक छोटा सा बरामदा है। बस.. तक़रीबन 3 कमरे का घर है.. ऊपर की छत बिल्कुल खाली है।
मेन गेट के अन्दर थोड़ी सी जगह गैराज के तौर पर जहाँ पर सूरज अपनी बाइक खड़ी करता है।

मैं और सूरज अपनी शादी से बहुत खुश हैं और बड़ी ही अच्छी लाइफ गुज़र रही थी। भले ही.. सूरज का बैक ग्राउंड गाँव का था.. लेकिन फिर भी शुरू से शहर में रहने की वजह से वो काफ़ी हद तक शहरी ही हो गया था। रहन-सहन.. ड्रेसिंग वगैरह सब शहरियों की तरह ही थी.. और वो काफ़ी ओपन माइंडेड भी था।

घर पर हमेशा वो मुझसे फरमाइश करता के मैं मॉडर्न किस्म के कपड़े ही पहनूं.. इसलिए घर पर मैं अक्सर टाइट लैंगिंग्स और टॉप्स.. स्लीव लैस शर्ट्स और हर किस्म की वेस्टर्न ड्रेसस पहन लेती थी।
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मैं अक्सर जब भी बाहर जाती.. तब भी मेरी ड्रेसिंग काफ़ी मॉडर्न ही होती थी।
मैं अक्सर जीन्स और टी-शर्ट पहनती थी या सलवार कमीज़ पहनती तो.. वो भी फैशन के मुताबिक़ ही एकदम चुस्त और मॉडर्न ही होती थी।
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घर से बाहर भी वो मुझे अक्सर लेगिंग पहना कर ले जाता था.. घर आ जाता तो मुझसे सिर्फ़ ब्रेजियर और लेगिंग में ही रहने की फरमाइश करता था..
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सूरज मेरे हुस्न और मेरे जिस्म का दीवाना था। हमेशा मेरी गोरे रंग और खूबसूरत जिस्म की तारीफ करता था।
जब भी मौका मिलता.. वो मेरी चूचियों को मसल देता था..
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और मेरे खुले गले में हाथ डाल कर मेरी चूचियों को सहलाता रहता था।

अपने पति को खुश करने और उसे लुभाने के लिए मैं भी हमेशा डीप और लो नेक की कमीजें सिलवाती थी.. जिसमें से मेरी चूचियों भी नजर आती थीं और मम्मों का क्लीवेज तो हर वक़्त ही ओपन होता था।
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दिन में जब भी मौका मिलता.. हम लोग सेक्स करते थे..
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बल्कि सच बात तो यह है कि मैं शादी से पहले ही अपना कुँवारापन सूरज पर लुटा चुकी थी।
जी हाँ.. सूरज ही मेरी पहली और आखिरी प्यार था और यह सूरज की प्यार ही थी.. जो के मुझे शादी से पहले ही उसके बिस्तर तक उसकी बाँहों में ले आई थी।

शादी के 8-9 महीने बाद भी जब हमारी सेक्स लाइफ और हवस से भरी हुई ज़िंदगी पूरे सिरे पर थी.. तो एकदम इसमें एक ब्रेक सी लग गई और एक टकराव सा आ गया।

इसकी वजह यह थी कि मेरी ननद रश्मि… ने स्कूल का आखिरी इम्तिहान पास कर लिया था और उसने कॉलेज में एडमिशन लेने का इच्छा ज़ाहिर किया.. तो मेरे ससुर जी ने पहले तो इन्कार कर दिया.. लेकिन जब उसके चहेते बड़े भाई सूरज ने भी अपने बाप से बात की.. तो मेरे ससुर जी ने हामी भर ली कि अगर सूरज उसकी जिम्मेदारी उठा सकता है.. तो ठीक है।

अब दिक्कत यह थी कि गाँव में कोई कॉलेज नहीं था और उसे शहर में आना था। जब रश्मि ने कॉलेज में एडमिशन लिया.. तो वो गाँव से शहर में आ गई। अब ज़ाहिर है कि उसे हमारे साथ ही रहना था तो रश्मि शहर में हमारे साथ उस छोटे से मकान में ही शिफ्ट हो गई।

रश्मि की आने से और हमारे साथ रहने से मुझे और तो कोई दिक्कत नहीं थी.. लेकिन सिर्फ़ एक असुविधा था कि हमारी सेक्स लाइफ थोड़ी बंदिशों वाली हो जाने थी।

अब हमें जो भी करना हो.. तो अपने कमरे में ही करना था। वैसे रश्मि बहुत ही अच्छे नेचर की लड़की थी.. अभी क़रीब 19 साल की ही थी.. बहुत ही सुंदर और खूबसूरत लड़की थी। बिल्कुल दूध की तरह गोरा रंग.. और मक्खन की तरह से नरम-नरम जिस्म था उसका..
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उसके सीने की उठान.. यानि चूचियों उभर चुकी थीं.. लेकिन अभी बहुत बड़ी नहीं थीं। जाहिर सी बात है कि मुझसे तो छोटी ही थी.. बहुत ही सादा और मासूम सी लड़की थी।
मुझसे बहुत ही प्यार करती थी और बहुत ही इज्जत देती थी।

जब से घर में आई.. तो रसोई में भी मेरा हाथ बंटाती थी.. और मेरे साथ घर का काफ़ी काम करती थी। मैं भी रश्मि की शक्ल में एक अच्छी सी सहेली को पाकर खुश थी।

उसके सोने का इंतज़ाम उस छोटी सी बैठक में ही एक सिंगल बिस्तर लगवा कर.. कर दिया गया था। वो वहीं पर ही पढ़ती थी और वहीं पर ही सोती थी। बाथरूम उसे हमारा वाला ही इस्तेमाल करना पड़ता था.. जिसका एक दरवाज़ा छोटे से टीवी लाउंज में खुलता था और दूसरा हमारे बेडरूम में खुलता था।

बस रात को सोते वक़्त हम लोग अपने बेडरूम वाला बाथरूम का दरवाज़ा अन्दर से बंद कर लेते थे.. ताकि रश्मि बाहर से ही उसे इस्तेमाल कर सके।

रश्मि वैसे तो बहुत ही खूबसूरत लड़की थी.. लेकिन सारी ज़िंदगी गाँव में रहने की वजह से बिल्कुल ही ‘डल’ लगती थी। उसकी ड्रेसिंग भी बहुत ज्यादा ट्रेडीशनल किस्म की होती थी। सादा सी सलवार-कमीज़ पहनती थी.. कभी भी मॉडर्न किस्म के कपड़े नहीं पहनती थी।
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मुझे घर में लेगिंग पहने देखना शुरू किया.. तो वो बहुत ही हैरान हुई.. तो मैंने हंस कर कहा- अरे यार क्यों हैरान होती हो.. यह सब आज के वक़्त की ज़रूरत और फैशन है.. इसके बिना ज़िंदगी का क्या मज़ा है.. वैसे भी तो घर पर सिर्फ़ तुम्हारे भैया ही होते हैं ना.. और जब भी बाहर जाती हूँ.. तो उनके साथ ही जाती हूँ.. तो फिर मुझे किस चीज़ की फिकर है।

रश्मि – लेकिन भाभी बाहर तो बहुत से लोग होते हैं.. वो आपको अजीब नजरों से नहीं देखते क्या?
मैं – अरे यार देखते हैं.. तो देखते रहें.. मेरा क्या जाता है.. वैसे इन लोगों की कमीनी नज़रों का भी अपना ही मज़ा होता है।
मैंने एक आँख मार कर रश्मि से कहा.. तो वो झेंप गई।

मैं उसे हमेशा ही मॉडर्न और न्यू फैशन के कपड़े पहनने को कहती.. लेकिन वो इन्कार कर देती।
‘मुझे शरम आती है.. ऐसी कपड़े पहनते हुए.. और फिर मुझे इन कपड़ों में देख कर भैया बुरा मान जाएंगे..’

शहर में आने के बाद सूरज ने उसे खूब शहर की सैर करवाई। हम लोग सूरज की बाइक पर बैठ कर घूमने जाते.. मैं सूरज के पीछे बैठ जाती और मेरे पीछे रश्मि बैठती थी।
हम लोग खूब शहर की सैर करते.. और रश्मि भी खूब एंजाय करती थी।

बाइक पर बैठे-बैठे मैं अपनी चूचियों को सूरज की बैक पर दबा देती
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और उसके कान में ख़ुसर-फुसर करती जाती- क्यूँ फिर फील हो रही हैं ना मेरी चूचियां तुमको?
मेरी कमर पर सूरज भी जानबूझ कर अपनी कमर से थोड़ा-थोड़ा हरकत देता और मेरी चूचियों को रगड़ देता। कभी मैं उसकी जाँघों पर हाथ रख कर मौका मिलते ही उसकी पैन्ट के ऊपर से ही उसके लण्ड को सहला देती थी..
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जिससे सूरज को बहुत मज़ा आता था।

हमारी इन शरारतों से बाइक पर पीछे बैठे हुई रश्मि बिल्कुल बेख़बर रहती थी।

सूरज अपनी बहन से बहुत ही प्यार करता था.. आख़िर वो उसकी सबसे छोटी बहन थी ना.. कम से कम भी उससे 8 साल छोटी थी.. और वो मुझसे 5 साल छोटी थी।

रोज़ाना सूरज खुद ऑफिस जाते हुए रश्मि को कॉलेज छोड़ कर जाता और वापसी पर साथ ही लेता आता था। मुझे भी कभी भी इस सबसे कोई दिक्कत नहीं हुई थी। जैसा कि ननद-भाभी में घरों में झगड़ा होता है.. मेरे और रश्मि कि बीच में ऐसा कभी भी नहीं हुआ था.. बल्कि मुझे तो वो अपनी ही छोटी बहन लगती थी।

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