जब मुझे पता चला कि, मे वीना को उसी रूम मे चोदने वाला हूँ….जिसके दूसरी तरफ अनु सोने वाली है….मेरा लंड पेंट मे और फूल गया….धीरे-2 वीना और अनु दोनो ने मिल कर काम निपटा लिया….मे बेसबरी से आने वाले पलों का इंतजार कर रहा था…
इस दौरान अनु कई बार रूम मे आई, मेने उसकी तरफ देखा…..पर वो मुझसे नज़रें नही मिला रही थी….थोड़ी देर बाद वीना रूम मे आई, और मुझे पीछे स्टोर रूम मे जाने का इशारा किया….मे वहाँ से उठ कर स्टोर रूम के अंदर चला गया…जैसे कि मेने बताया था कि, स्टोर रूम मे डोर नही था….और जहाँ से डोर वाली जगह शुरू होती थी….ठीक वही दीवार के पास बिस्तर लगा हुआ था…मे वहाँ बैठ कर वीना के आने का इंतजार करने लगा….
स्टोर रूम की लाइट ऑफ थी…..पर रूम से आ रही रोशनी से अंदर काफ़ी उजाला था….तभी बाहर रूम की लाइट ऑफ हो गयी….पर फिर टीवी चलने की आवाज़ आने लगी. और टीवी की हल्की रोशनी भी स्टोर रूम मे आने लगी….”अनु बहुत रात हो गयी है… ये टीवी बंद कर दे कल स्कूल भी जाना है….” मुझे बाहर से वीना की आवाज़ आई, और फिर थोड़ी देर बाद वीना स्टोर रूम मे आई….
वीना मेरे पास आकर बैठ गयी….और ठीक मेरे कानो के पास अपने होंठो को लाते हुए, धीरे से फुसफुसाते हुए बोली….”तुषार कोई आवाज़ मत करना….जो भी करना है धीरे से कर लेना….जब वो औरत हमारे घर रात को अपने कस्टमर के साथ आती थी. तब अनु रात को टीवी के बहाने उनके रूम मे हो रही आवाज़ों को सुनने के कॉसिश करती थी…एक रात को मैने उसे बाहर के रूम के डोर के पास खड़े हुए पकड़ भी लिया और डाँट भी लगाई…..इसलिए ज़रा ध्यान से करना….
मे: क्या वो लोग उस रूम मे करते थे…..?
वीना: हां और कहाँ करते….
मे: वहाँ तो इतनी बदबू है…..फिर वो कैसे उस रूम मे रुक जाते थे…..
वीना: पता नही….वो तो मेरी समझ के भी बाहर है…
मे: चलो छोड़ो हमे क्या लेना देना अब उनसे…..
मैने वीना को अपनी बाहों मे भर लिया….स्टोर रूम मे आने से पहले वीना अपनी साड़ी उतार कर आई थी….मेने उसकी चुचियों को ब्लाउस के ऊपर से पकड़ कर ज़ोर से मसल दिया…वीना एक दम से कसमसा गयी….”आह तुषार धीरे…मुझे यहाँ पर दर्द रहता है….इन्हे ज़ोर से मत दबाया करो…..” जैसे ही वीना ने ये बात कही, तो मुझे याद आ गया कि, वीना अभी भी अजय को दूध पिलाती है…इसलिए वो मना कर रही है….
मेने वीना के ब्लाउस के हुक्स खोलने शुरू कर दिए….”आहह नही तुषार इन्हे मत खोलो….वो अनु बाहर है ना….अगर अंदर आ गयी तो….”
मैने वीना की चुचियों को ज़ोर से मसल दिया….”नही आयगी तुमने उसे सब समझा तो दिया है….”
वीना एक बार फिर से कसमसा गयी….”फिर भी तुषार इन्हे उतारने से क्या होगा…” वीना ने मेरे हाथों को पकड़ कर रोकने की कॉसिश करते हुए कहा…
मे: हाथ हटाओ….
वीना: तुषार प्लीज़ इसे मत खोलो…..
मे: देखो अगर तुमने हाथ नही हटाए और इसे खोलने नही दिया तो मे वापिस चला जाउन्गा….
वीना: ये क्या ज़िद है तुषार प्लीज़ समझा करो…..
मे: नही मुझे नही पता…तुम्हे मेरी कसम…अब मुझे किसी बात के लिए नही रोकॉगी…(मैने वीना के हाथों को उसके ब्लाउस के ऊपर से हटाते हुए कहा…)
और इस बार वीना ने अपने हाथो को हटा लिया….मे जानता था कि, वीना मुझसे क्यों शरमा रही है…मैने धीरे-2 वीना के ब्लाउस के सारे हुक्स खोल दिए….और फिर उसके ब्लाउस को उसके बदन से अलग करके फेंक दिया…..अब उसके बदन पर वाइट कलर की ब्रा और पेटिकॉट ही था…मैने वीना के होंठो को चूस्ते हुए, उसके ब्रा के स्ट्रॅप्स उसके कंधो से सरका दिया…फिर अपने हाथो को पीछे ले जाते हुए उसके ब्रा के हुक्स खोल कर ब्रा भी उसके बदन से अलग कर दी….
जैसे ही वीना की बड़ी-2 चुचियाँ बाहर आई, तो मे उन्हे देखता ही रह गया….वीना की चुचियाँ नेहा से भी बड़ी थी…उसकी चुचियों पर हरे रंग की नसें जो शायद दूध से भरी हुई थी…सॉफ नज़र आ रही थी…अगले ही पल मैने वीना की चुचियों को दोनो हाथों मे लेकर ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया…वीना मदहोश होकर लगतार मुझसे लिपटती जा रही थी….थोड़ी देर बाद मे वीना के ऊपर आ चुका था….मैने उसके होंठो को चूस्ते हुए दोनो चुचियों को नीचे से पकड़ कर ज़ोर से दबाया तो वीना एक दम सिसक उठी…..
उसके दोनो निपल्स से दूध की धार बाहर की ओर निकल कर मेरे हाथों पर गिरने लगी….जैसे ही वीना को इस बात का अहसास हुआ, वीना बुरी तरह झेंप गयी…और अपने ब्रा से अपनी चुचियों को कवर करने की कॉसिश करने लगी….”शियीयियीयियी तुषार…”
मैं वीना की आँखो मे देखते हुए अपने दोनो हाथों पर गिरा दूध अपनी जीभ बाहर निकाल कर चाटने लगा….वीना का चेहरा शरम के मारे एक दम से लाल हो गया….उसने मेरी चेस्ट मे शरमाते हुए मुक्का मारा और फिर दूसरी तरफ फेस करके मुस्कुराने लगी….
में अपने हाथों पर लगा दूध चाट कर चुका था…मैने वीना के पेटिकॉट को ऊपर उठा कर उसकी कमर तक चढ़ा दिया…जैसे कि मे सोच रहा था…वीना ने आज भी नीचे पैंटी नही पहनी हुई थी….मैने एक हाथ से वीना की राइट चुचि के निपल को पकड़ कर मसल्ते हुए दूसरे हाथ को वीना की चूत की फांको पर रख दिया.. “उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्िीीईईईईईई” वीना ने सिसकते हुए बेडशीट को कस्के दोनो हाथों से पकड़ लिया…मेने अपने आप को वीना की जांघों के बीच मे अड़जस्ट किया….और वीना की टाँगो को फैलाते हुए, घुटनो से मोड़ कर ऊपर उठा दिया….
जैसे ही वीना की टांगे ऊपर हुई, तो मुझे उसकी चूत का गुलाबी छेद सॉफ दिखाई देने लगा….जो पहले से कामरस टपका रहा था….मैने जल्दी से अपने शॉर्ट्स को उतार कर पास मे ही रख लिया…और अगले ही पल वीना की चूत के छेद मे अपनी दो उंगलियों को अंदर डालना शुरू कर दिया….जैसे ही मेरी उंगलियाँ वीना की चूत के छेद मे घुसी….वीना ने सिसकते हुए मेरी आँखो मे देखा….”आहह वीना तुम्हारी चूत तो बहुत गरम है….”
वीना का चेहरा एक दम लाल हो चुका था….जिस तरह से वो शरमाती थी….मेरा लंड उसके शरमाने की अदा को देख कर और अकड़ जाता था… “देखो ना वीना तुम्हारी चूत कैसे पानी छोड़ रही है….देखो ऐसे लग रहा है…जैसे कोई नदी बह रही हो…..” मैने वीना की चूत मे अपने उंगलियों को अंदर बाहर करते हुए कहा…..
फिर मे वीना की चुचियों के ऊपर झुक गया…और जैसे ही मैने वीना की लेफ्ट चुचि को मुँह मे लिया….तो वीना एक दम से सिसकते हुए मचल उठी…”यूम्ह्ष शियी तुषार ईए यी आह आप क्या कर रहे है…..?” वहाँ मुँह मत लगाओ…” वीना का बदन बुरी तरह से कांप गया….उसने बेडशीट को छोड़ कर मेरे सर के बालो को कस्के पकड़ लिया…”श्िीीईई उन्घ्ह्ह्ह्ह तुषार प्लेआस्ीई मत करिए ना….” वीना बुरी तरह कांप रही थी….
मैने वीना के निपल से मुँह हटाया और उसके होंठो को चूमते हुए बोला….”क्यों क्या हुआ….?”
वीना ने अपनी मदमस्त आँखो को खोल कर मेरी तरफ देखा….”आप ने देखा नही वहाँ से दूध निकलता है….आप को बुरा नही लगा….” मे वीना की बात सुन कर मुस्कुराने लगा….”क्यों इस दूध को बचा कर क्या करोगी….मुझे नही पिलाओगी…”
वीना: (शरमाते हुए) छी आपकी दूध पीने की उम्र है क्या अभी…..
मे: क्यों क्या हुआ…..उम्र मे क्या रखा है…वैसे भी तुम्हारी चुचियों से दूध की धार निकलती देख मेरा लंड भी साला और अकड़ गया है….देखो ना…
मैने वीना का हाथ पकड़ कर नीचे ले जाकर अपने लंड पर रख दिया…”क्यों इस बार ज़यादा कड़क लग रहा है ना…”
वीना ने शरमाते हुए हन मे सर हिला दिया
…”वीना अच्छा तुम्हारी भाषा मे इसे क्या कहते है….” मैने वीना के हाथ को अपने लंड पर दबाते हुए कहा….तो वीना और शरमाने लगी…
.”बोलो ना तुम्हे मेरी कसम जो पूछूँगा वो तुम मुझे बताओगी….”
वीना: लंड ही कहते है…..
मे: और चूत को….
वीना: उसे हमारी भाषा मे भी ऐसे ही बोलते है…..
मे: और कुछ नही कहते….चूत तो हिन्दी मे कहते है….जैसे हमारे पंजाब मे चूत को फुद्दी कहते है….वैसे तुम्हारी भाषा मे क्या कहते है…
वीना: (शरमाते हुए) नही मुझे नही पता….आप बहुत बेशरम हो…
मे: बोलो ना….नही तो ये बेशरम तुम्हारा सारा दूध खाली कर देगा…..
वीना: (शरमाते हुए) बुर….
मे: (वीना की चूत की फांको के ऊपर अपने लंड को रगड़ते हुए) तो फिर तुम्हारी बुर मे अपना लंड डालु क्या…..(जैसे ही मैने अपने लंड के मोटे सुपाडे को वीना की चूत के छेद पर सेट किया…वीना एक दम से सिसकते हुए मुझसे लिपट गयी….उसने खुद ही अपनी टाँगो को ऊपर उठा कर फैला लिया……”हाआँ डालो नही….पेलो मेरी बुर मे अपना लंड पेलो तुषार…” उसने मेरे सर के इर्द गिर्द अपनी बाहों को कसते हुए अपने होंठो को मेरे होंठो पर लगा दिया….और अपनी गान्ड को ऊपर की ओर उठाते हुए अपनी चूत को मेरे लंड के सुपाडे पर दबाने लगी……
लंड का सुपाडा वीना की पनियाई हुई चूत के छेद को फैलाता हुआ अंदर घुसने लगा……मैने भी अपनी कमर को पूरी ताक़त के साथ नीचे की ओर पुश किया… तो मेरे लंड का सुपाडा वीना की चूत की दीवारो से रगड़ ख़ाता हुआ चूत की गहराइयों तक उतरता चला गया….”श्िीीईईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तुषार….” वीना ने अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग करते हुए कहा…वीना का पूरा बदन थरथरा रहा था….” तुषार शीईइ मेरा दूध पाइयो तुषार खाली कर दो मेरी चुचियों को उम्ह्ह्ह्ह प्लीज़ चूसो ना मेरी चुचियों को…..
मे भी तो वीना की चुचियों से दूध खींच कर निकालने को बेताब था…अगले ही पल मैने वीना के तन चुके मोटे काले रंग के एक निपल को मुँह मे भर लिया….और जितनी मेरे मुँह मे आ सकती थी…उतनी चुचि भी मुँह मे भर ली. और उसे पागलो की तरह चूसने लगा….वीना की चुचियों की नसों से बह कर मीठा दूध बाहर मेरे मुँह मे आने लगा…और मे उसे गटाकते हुए जोश मे आकर अपने लंड को तेज़ी से वीना की चूत के अंदर बाहर करने लगा….
एक पल के लिए तो मे भी भूल गया था कि, बाहर अनु टीवी देखने के बहाने हमारी चुदाई की आवाज़ें सुन रही है…जैसे ही मेरी जांघे वीना के मोटे-2 चुतड़ों से टकरा कर थप-2 की आवाज़ करने लगी….वीना ने मुझे मेरे कंधो से पकड़ कर रुकने के लिए कहा….”अहह तुषार रूको ओह्ह्ह्ह तुषार रूको….” मे एक दम से रुक गया… और वीना की आँखो मे देखने लगा…वीना ने मेरे चेस्ट मे मुक्का मारते हुए कहा…..”बाहर अनु बैठी है..और तुम तो ना…..” कहते हुए वीना एक दम से शर्मा गयी….
मे: क्या मे तो बोलो भी चुप क्यों हो गयी….
वीना: वो क्या सोचेगी मेरे बारे मे…कि मम्मी की ठुकाइ कितनी ज़ोर से कर रहा है तुषार…श्िीीईईई तुषार मुझे बहुत अजीब सा लगता है…जब से मुझे पता चला कि, अनु अब चुदाई की आवाज़े सुनने की कॉसिश करती है….
मे: तो क्या हुआ सुनने दो ना उसे भी….वो भी तो जवान हो चुकी है….उसकी बुर भी तुम्हारी तरह पनियाती होगी…
वीना: (शरमा कर मेरे कंधे पर मुक्का मारते हुए) शरम करो….बेटी है मेरी वो…और तुम उसके बारे मे….
मे: बेटी तुम्हारी है मेरी नही….
मेने फिर से अपने लंड को धीरे-2 अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था…”धीरे -2 करो तुषार….प्लीज़ धीरे आवाज़ मत करना…” वीना ने अपनी एक चुचि को एक हाथ से पकड़ कर दूसरे हाथ से मेरे बालो को पकड़ा और मेरे होंठो को अपनी चुचि की तरफ बढ़ाने लगी….”ओह्ह्ह्ह तुषार इन्हे भी चूसो ना…..ये दो दिन से भरी हुई है….”
मे: क्यों क्या हुआ अब अजय नही पीता….
वीना: नही अब दो दिन से नही पी रहा….दो दिन से बहुत खींचाव महसूस हो रहा है….प्लीज़ इन्हे खाली कर दो….चूसो मेरी चुचियों को…अह्ह्ह्ह हां बुर मे लंड भी पेलो आह तुषार….आपका लंड बहुत बड़ा है….अह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह तुषार उम्ह्ह्ह्ह्ह आप रोज रात मेरे पास ही सोना यहाँ उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह उन्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह उन्घ्ह्ह्ह्ह्ह
मे वीना की चुचियों को चूस्ते हुए लगतार अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था…अब वीना भी अपनी गान्ड उठा-2 कर मेरा लंड अपनी चूत की गहराइयों मे लेने की कॉसिश कर रही थी….हम भले ही बहुत कम आवाज़ कर रहे थे…पर मे यकीन के साथ कह सकता हूँ कि, बाहर बैठी अनु….हमारी चुदाई की और वीना की मस्ती भरी सिसकियाँ सुन रही थी….और उसकी चूत भी ज़रूर गीली हो चुकी थी…
10 मिनिट बाद हम दोनो झड कर ढेर हो गये….मे वही उसके बगल मे लेट गया…वीना ने एक पुराना कपड़ा उठा कर पहले मेरा लंड सॉफ किया और फिर अपनी चूत….पर अभी तो रात जवान होना शुरू हुई थी….और मे लेटा हुआ अनु को अपने जाल मे फसाने की सोच रहा था…..
वीना आज फिर से कई दिनो बाद झड़ी थी….और वीना मेरे लंड और मेरे स्टॅमिना की कायल हो चुकी थी….वो मेरी बगल मे लेटी हुई मेरी चेस्ट को सहला रही थी…पर मेरा ध्यान अनु की तरफ था…अनु के नाज़ुक मखमली जिस्म के बारे मे सोचते हुए, मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था….मे जानता था कि, वीना को जल्द ही मेरे लंड की लत लग जाएगी…और मुझसे चुदवाने के लिए वो मेरे सामने अपनी गान्ड हिलाती फ़िरेगी….तभी मे अपने सपनो की दुनिया से बाहर आया….जब वीना ने मेरे फिर से खड़े हुए लंड को हाथ से पकड़ लिया….वो हैरत से मेरे लंड को देख रही थी….
उसकी आँखो की चमक मेरे फिर से खड़े हुए लंड को देख और तेज हो चुकी थी… “तुषार ये तो फिर से तैयार हो गया…..” उसने मेरे लंड को मुट्ठी मे लेकर ऊपर से नीचे करते हुए कहा…
.”तैयार मे समझा नही लंड भी तैयार होता है क्या..? “ मैने वीना को छेड़ते हुए कह…
.तो वीना ने शरमाते हुए मेरी चेस्ट मे अपने फेस को छुपा लिया…”होता है ना….” वीना ने शरमाते हुए कहा….
मे: अच्छा तो फिर तुम्हे ये भी पता होगा कि, ये किस लिए तैयार हुआ है….?
वीना: (कुछ देर चुप रहने के बाद…) बुर पेलने के लिए…..
मे: (मैने वीना की चूत को हाथ मे लेकर मसल्ते हुए कहा) तो तेरी बुर लंड पेल्वाने को तैयार है फिर से….
वीना: श्िीिइ हाआँ तुषार……
मे: अच्छा रूको फिर पहले मे ज़रा मूत कर आता हूँ…फिर तुम्हारी बुर की खुजली मिटाता हूँ…
मेने उठ कर बैठ गया….और अंडरवेर पहनने लगा…”रूको “ वीना एक दम से बोली फिर चुप हो गयी…
.”क्या हुआ….?” मैने वीना की तरफ देखते हुए कहा….
.”कुछ नही आप जाओ….” वीना ने अपने ऊपर रज़ाई ओढ़ते हुए कहा….
मे उठा कर बाहर आ गया…मेरे जिस्म पर सिर्फ़ एक अंडरवेर था…..जिसमे मेरा लंड एक दम आकड़ा हुआ था. और अंडर वेअर को आगे से फैलाए हुआ था…
जैसे ही मे बाहर आया तो अनु जो कि चारपाई पर रज़ाई ओढ़ कर बैठी हुई थी…उसने एक बार मेरी तरफ देखा….मे तो जैसे इसी पल के इंतजार मे था…मेने झट से अपने लंड को अंडरवेर के ऊपर से पकड़ कर मसल दिया…अंडरवेर मे मेरे लंड का तनाव सॉफ दिखाई दे रहा था….अगले ही पल अनु ने नज़रें झुका ली…मे वहाँ चलता हुआ बाहर की ओर जाने लगा…कुछ पलों की दूरी पर डोर था..पर डोर की तरफ बढ़ते हुए मे लगतार अनु की आँखो की तरफ देख रहा था…वो सर झुकाए हुए मेरी तरफ देख रही थी….
मे बाहर आ गया….पेशाब किया और फिर अंदर आया….फिर वही सब हुआ…मे अंदर आकर वीना के साथ लेट गया…रज़ाई मे घुसते ही मैने अपना अंडरवेर उतार फेंका और वीना को चूमते हुए उसे अपने ऊपर ले आया….अब वीना मेरे ऊपर थी दोनो घुटनो को मेरे कमर के दोनो तरफ टिकाए हुए
…”ये क्या कर रहे है….” वीना ने शायद आज तक लेट कर सीधा सेक्स ही किया था…सेक्स की कितनी पोज़ीशन होती है… उसे तो शायद मालूम भी नही था….मैने हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर सेट किया…तो उसके वजन के कारण मेरा लंड फिसलता हुआ उसकी चूत मे घुसता चला गया…..फिर मैने उसे उसकी कमर को ऊपर नीचे करने को कहा….
ये सब वीना के लिए एक दम नया था….कुछ ही पलों मे वीना किसी रंडी की तरह अपनी कमर के निचले हिस्से को ऊपर नीचे करने लगी…उसने अपने दोनो हाथों को मेरे कंधो के दोनो तरफ टिका रखा था….खुद को ऐसी पोज़ीशन मे पाकर जिसमे वो ना सिर्फ़ अपने आप को कंट्रोल कर पा रही थी….बल्कि मुझे भी….वो बेहद एक्शिकटेड हो गयी थी….मैने उसकी दोनो चुचियों को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया…और उसके निपल्स मे दूध की धार बह कर मेरे चेहरे पर गिरने लगी…ये सब देख वीना और ज़यादा मस्ती मे आ गयी….और पूरी ताक़त के साथ अपनी गान्ड को उछाल-2 कर मेरे लंड पर अपनी चूत को पटकने लगी….
वीना: ओह्ह्ह तुषार जी ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हाईए बहुत मज़ा आ रहा है…..ओह्ह उम्ह्ह्ह्ह तुसरररर देख ना मेरी बुर कैसे आपके लंड को लील रही है….उम्ह्ह अह्ह्ह अहह आह आह अहह ओह्ह्ह्ह आह तुषार…..आपका लंड बहुत मोटा है….आहह मेरे पति का तो छोटा सा है तुषार….अह्ह्ह्ह मुझे रोज चोदेगा ना….आहह मेरी बुर मे रोज लंड पेलेगा ना…..अहह अहह
वीना के चूतड़ अब मेरी जाँघो पर टकरा कर थप-2 की आवाज़ कर रही थी….वो खुद इतनी गरम हो चुकी थी….कि वो भूल गयी थी कि, अनु बाहर जाग रही है…”आह ओह्ह्ह्ह जीई…..आहह मेरी बुर पानी फेंक आह आहह लो तुषार जी मेरी बुर तो गयी…ओह्ह्ह्ह हो गाईए पानी-2 अहह…..
वीना हान्फते हुए मेरे ऊपर लूड़क गयी….वीना को इस तरह अपने लंड पर उछलता देख मेरा लंड कुछ पल पहले ही पानी छोड़ चुका था….कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद वीना मेरे ऊपर से उठ कर बगल मे लेट गयी….रात का 1 बज चुका था….वीना का मन तो नही भरा था…पर अब उसे भी नींद आने लगी थी. मे उसकी बगल मे लेटा हुआ था….मुझे अब वीना के हल्के ख़र्राटों की आवाज़ सुनाई देने लगी थी….
1 घंटा गुजर चुका था…और मुझे भी अब नींद आने लगी थी….वीना तो दो बार अपनी चूत से पानी निकलवा कर सो चुकी थी….तभी मुझे बाहर से डोर के खुलने की आवाज़ आई….शायद अनु बाहर गयी थी….मे ध्यान से उठा और स्टोर रूम से बाहर आकर देखा तो रूम का डोर खुला हुआ था….और डोर से किचिन के अंदर ऑन हो चुकी लाइट सॉफ दिखाई दे रही थी…
मे बिना आवाज़ किए बाहर आ गया…देखा तो अनु किचन मे खड़ी पानी पी रही थी….मुझे किचन के डोर पर खड़ा देख वो भी सिर्फ़ अंडरवेर मे अनु एक दम से सकपका गयी….वो एक दम से सहम गयी थी…
.”वो मुझे प्यास लगी थी…” मैने जान बुझ कर अपने लंड को अंडरवेर के ऊपर से खुजाते हुए कहा… मेरी इस हरक़त को देख कर उसने अपनी नज़रें झुका ली….और एक ग्लास मे पानी डाल कर मेरी तरफ बढ़ा दिया…..”नाम क्या है तुम्हारा….” मैने उसके हाथ से पानी का ग्लास लेते हुए कहा…
अनु: (हड़बड़ाते हुए) जी जी अनु…
मे: कॉन से क्लास मे पड़ती हो…..?
अनु: जीए *****
मेने पानी पी कर ग्लास वापिस अनु को पकड़ा दिया…और फिर उसको एक बार ऊपर से लेकर नीचे तक देखा….और फिर रूम मे से होकर स्टोर रूम मे वापिस चला गया…..अगली सुबह वीना ने मुझे सुबह 6 बजे उठा दिया….मेने कपड़े पहने और ऊपर आ गया…सर्दियों के दिन थे…इसलिए अभी भी अंधेरा था….इस लिए मे बिना किसी डर के अपने घर की छत पर आ गया…रूम का डोर खोला और फिर वहाँ बेड पर लेट कर सो गया….
जब आँख खुली तो 10 बज रहे थे….मे उठ कर बाहर आया…तो थोड़ी देर बाद वीना ऊपर आ गयी…..”उठ गये आप….” वीना ने मेरे पास आते हुए कहा…”हां उठ गया….” मेने वीना की तरफ देख कर मुस्कराते हुए कहा…..”मे आपके लिए नाश्ता लेकर आती हूँ….”
मे: वो कमलेश आ गया है क्या…..?
वीना: हां आ गये है….अभी नाश्ता करके सोए है….
मे: तो फिर क्या कहती हो….एक बार फिर हो जाए…..
वीना: (मुस्कराते हुए) नही अभी नही…
मे: क्यों क्या हुआ…..?
वीना: अभी नहा कर आई हूँ….
मे: तो क्या हुआ…..?
वीना: अगर कर लिया तो फिर नहाना पड़ेगा….(उसने मुस्कराते हुए कहा…)
उसके बाद वीना नीचे चली गयी….वीना नाश्ता लेकर आई और मुझे देकर नीचे जाने लगी…..”सुनो….” वीना ने पलट कर मेरी तरफ देखा…..
वीना: जी…..
मे: अब क्या कर रही हो…..
वीना: कुछ भी नही बच्चे स्कूल चले गये है….घर का काम भी कर लिया है.
मे: तो फिर ऐसे करो नीचे जाकर सो जाओ….
वीना: क्यों….?
मे: फिर रात को जगाना है ना तुम्हे….
वीना मेरे बात सुन कर मुस्कराने लगी….फिर एक दम से कुछ सोच कर बोली….”तुषार जानते है आज अनु ने मुझसे क्या कहा….”
मेने वीना की तरफ देखते हुए कहा….”क्या कहा उसने…..”
वीना: पता नही जब मे उसे स्कूल के लिए उठाने के लिए गयी तो वो उठ नही रही थी….देर तक तो टीवी देखती रहती है….जब मैने उसे इस बात के लिए डांता तो पता है वो आगे से क्या बोली…..
मे: क्या कहा उसने….
वीना: वो बोली, इतनी ही फिकर है तो रात को आवाज़ कम करनी थी…..
मे: तो फिर तुमने उसे कुछ नही कहा…..
वीना: तुषार मेरी तो समझ मे नही आ रहा कि, मे उसे क्या कहती…अब उसे ज़्यादा डाँट भी तो नही सकती….कही गुस्से मे आकर अपने पापा को ना बता दे….
मे: हां ये बात तो है…..
वीना: तब से मुझे बहुत घबराहट से हो रही है….आज तक उसने मुझे कभी ऐसे आगे से जवाब नही दिया…..
मे: तुम उसकी चिंता मत करो….नया खून है….अभी जवानी चढ़नी शुरू हुई है तो चूत तो रात को भी होगी ना….उसकी…..
वीना: तुषार आप भी ना….वो मेरे बेटी है…..
मे: तो क्या हुआ….उसकी चूत से पानी नही आता क्या….(मैने मुस्कराते हुए कहा…)
वीना: आप भी ना….आपको ज़रा भी डर नही लगता आप मेरे सामने ही मेरी बेटी के बारे मे ऐसी बातें कर रहे है…..
मे: बात शुरू किसने की थी….चलो जाओ तुम आगे से मुझसे ऐसे बात ना करना…
वीना: तुषार क्या है…एक तो आप गुस्सा बहुत जल्दी हो जाते हो…..दरअसल आप को अनु के बारे मे एक बात बतानी थी….
मे: क्या अनु के बारे मे…
वीना: हां….
मे: तो फिर तुम मुझे ना ही बताओ तो अच्छा है….नही तुम नाराज़ हो जाओगी….
वीना: अच्छा अब नही होती…..
मे: सोच लो….सोच समझ कर बोलना….
वीना: कह दिया ना अब नही होती….
मे: अच्छा कहो क्या बात है…..
वीना ने एक बार चारो तरफ देखा और फिर धीरे से बोली…..”अनु मेरी खुद की बेटी नही है…..” वीना ने धीरे से आवाज़ मे कहा….ये बात मेरे लिए सच मे चोंकाने वाली थी…..
मे: क्या…वो तुम्हारी बेटी नही है….तो फिर किसकी है…..
वीना: वो मेरी बहन है ना…..जो पिछली गाली मे रहती है….
मे: हां….
वीना: वो उसकी बेटी है……
मे: तो क्या तुमने उसे गोद लिया है….?
वीना: हां…..
मे: क्यों…?
वीना: अनु मेरे दीदी के तीसरी बेटी थी….दो लड़कियाँ पहले से ही थी…इसलिए जीजा जी बहुत परेशान रहने लगी थी….जब अनु *** साल की हुई तो हम ने उसे गोद ले लिया….तब मेरी नयी-2 शादी हुई थी…ये सोच कर उनके ऊपर से कुछ बोझ कम हो जाएगा….फिर अनु के बाद उनके बेटा हुआ…और फिर दो साल बाद अजय पैदा हुआ….
मे: अच्छा अगर तुमने अनु को **** की उम्र मे गोद लिया था….फिर तो अनु को सब याद होगा….
वीना: हां याद है….पर मैने कभी उसे अपनी बेटे अजय से कम नही समझा….और वो भी ये बात जानती है….
मे: तो फिर वैसे तुम ये बात मुझे क्यों बता रही हो……
वीना: इसलिए कि तुम भी ये पता रहे कि, अनु मेरे बेटी नही है…..और मुझे आज सुबह से इस बात का शक हो रहा है कि, कहीं वो ये बात कमलेश या फिर दीदी को ना बता दे….
मे: पर तुमने उसे समझाया तो था…
वीना: हां समझाया था…पर मुझे पता नही क्यों लग रहा है कि, कही वो ये सारी बात अपनी बड़ी बेहन से ना कर दे….दीदी की एक बेटी की शादी तो हो गयी है….पर एक अभी कुँवारी है….3 महीने बाद उसका भी लगन होने वाला है…..
मे: कोई बात नही जो होगा देखा जाएगा……
उसके बाद वीना नीचे चली गयी…..मे नाश्ता करते हुए सोच रहा था कि, आख़िर वीना चाहती क्या है….क्यों उसने ये सारी बात मुझसे कही…उसने खुद खुल कर कुछ भी नही कहा था…..कहीं ये मुझे फसाने के चक्कर मे तो नही है…..हो सकता है कि, आगे चल कर वीना मुझे ब्लॅकमेल करे….पर क्यों….शायद पैसों के लिए….उफ्फ यार अब क्या करूँ….कुछ समझ मे नही आ रहा…..अगर कल कोई बात होगी तो मेरे पास क्या सबूत है कि, ये सब वीना ने अपनी मरज़ी से मेरे साथ किया था….
यही सब सोचते हुए दिमाग़ की बॅंड बज गयी…समझ मे नही आ रहा था कि, अब क्या करूँ….दोपहर का वक़्त हो चला था…सॅटार्ड का दिन था…इस लिए स्कूल मे 12 बजे ही छुट्टी हो गयी थी….करीब 1 बजे जब मे रूम से बाहर आया तो देखा वीना अपनी बड़ी बेहन के साथ ऊपर छत पर चटाई बिछा कर बैठी हुई थी….दोनो आपस मे मगन थी….मे रूम मे गया और अंदर से चटाई लाकर दीवार के साथ बिछा कर नीचे बैठ गया….