You dont have javascript enabled! Please enable it! कैसे कैसे परिवार – Update 68 | Erotic Incest Family Story - KamKatha
कैसे कैसे परिवार - Erotic Family Sex Story

कैसे कैसे परिवार – Update 68 | Erotic Incest Family Story

अध्याय ६८: जीवन के गाँव में शालिनी ५

अध्याय ६७ से आगे

अब तक:

जीवन ने शालिनी को मित्र मंडली के गहरे संबंधों के विषय में बताया. शालिनी समझ गई कि उसका विवाह चाहे ही जीवन से हो, पर वो पत्नी सम्पूर्ण मित्र मंडली की होगी। आज रात से गैंगबैंग की शृंखला का भी आरम्भ होना था. गैंगबैंग प्राप्तकर्ता भाग्यशाली स्त्री कौन होगी, उसका नाम एक गुप्त पर्ची में निकालकर एक ओर रख दिया गया. शालिनी के साथ जस्सी और कँवल के संसर्ग भी आज ही के लिए निर्धारित हुआ. वहीँ शालिनी को उसके भावी पोतों के द्वारा दुहरी चुदाई का आनंद भी आज ही करने का निर्णय लिया था. गीता को उसके पोते अब चोदने के लिए आतुर थे, तो गीता भी उत्सुक थी.

“अब तीन बजने को हैं, तो आगे क्या करना है?” जीवन ने पूछा.

गीता बोली, “मुझे तो अपने नातियों से चुदना है. और मुझे अपनी चूत में भी दो लंड का अनुभव करना है.”

“मेरा ये सोचना है कि कँवल भाईसाहब को भी शालिनी की चुदाई का अवसर आज ही मिलना चाहिए. वो गैंगबैंग में बाद में जुड़ सकते हैं, वैसे भी वो लम्बे समय तक चलना है. और, यही अवसर शालिनी को अपने होने वाले पोतों के साथ मिलना चाहिए.”

अब आगे:

शालिनी को असीम और कुमार से एक साथ चुदवाने में कुछ असहजता थी. हालाँकि उसने जीवन के कहने पर सहमति दे दी थी. परन्तु क्या वो इसे कल तक के लिए टाल पायेगी, ये सोचकर उसका चेहरा गंभीर हो गया.

“अगर इच्छा न हो, तो मना कर देना. कोई बुरा नहीं मानेगा. दुहरी चुदाई में अगर मन न हो तो आनंद नहीं आता बल्कि कष्ट ही होता है.” जीवन ने मानो उसके मन के भाव पढ़ लिए.

“आज नहीं करें तो चलेगा?”

“बिलकुल. अभी कुछ नहीं कहो, मैं बाद में संभाल लूँगा. अब जाओ, जस्सी के साथ आनंद लो.”

शालिनी उठी तो जस्सी उसके पास आ गया और उसे बाँहों में भर लिया. असीम और कुमार अपना पेग समाप्त करके गीता के पास आये और उसे उठाया.

“नानी, आपको चोदने की बहुत दिनों से इच्छा थी. अब आपको जी भर कर चोदने वाले हैं.” असीम ने उसकी गर्दन को चूमते हुए कहा.

“जिस दिन सुनीति ने कहा था कि तुम दोनों भी आ रहे हो, उस दिन से मैं इस पल की प्रतीक्षा में थी. इन सब ने मिलकर मुझे तुम दोनों से दूर कर दिया. पर अब मुझे जम कर चोदना। फिर तो अपने घर में चाहो तो मुझे कुछ दिन अपने ही कमरे में रखना.”

“नाना का क्या होगा? वो क्या करेंगे?”

“अरे उनके लिए सुनीति है, गुड़िया है, सलोनी है और भाग्या भी तो है. उन्हें मेरा कहाँ ध्यान रहने वाला है.”

सब इस वार्तालाप को सुनकर आनंदित हो रहे थे.

“नानी, भाग्या तो अभी बच्चे को जन्म देने वाली है. और वो वैसे भी पापा के सिवाय किसी को हाथ नहीं रखने देती.”

“ठीक है, फिर भी तीन तो हैं न उनके लिए, और फिर शालिनी भी तो पड़ोस में रहती है, उसे भी तो परिवार से मिलाया जायेगा, तब क्या तेरे नाना उसे छोड़ेंगे?”

“बात तो सही है नानी. फिर अदिति आंटी और उनकी पोती भी तो है. और मेरी होने वाली पत्नी महक भी है. नाना की तो लॉटरी लगने वाली है.

“हाँ, भई. सारी लॉटरी मेरी ही लगेगी, जैसे इसे सब छोड़ देंगे. अरे गाँव की टनाटन गोरी है, मोहल्ले में आग लगा देगी.” बलवंत हँसते हुए बोला और सब ठहाका मार कर हंस पड़े.

“अब चलो, इनसे बात करना ही व्यर्थ है, हर बात घुमाकर मेरे ही ऊपर ले आते है.” गीता ने अपने नातियों के हाथ पकड़े और उस सोफे की ओर चल दी जो इस गतिविधि का केंद्र बन गया था. निर्मला और बबिता ने यहीं अपनी चूत में दो दो लौड़े लिए थे और वहाँ जाने का अर्थ यही था कि गीता भी अब इस आनंद से वंचित नहीं रहना चाहती थी. उसकी चूत से बहता हुआ पानी इसका साक्षी था.

शालिनी जस्सी से लिपटी हुई थी. बलवंत और सुशील से चुदने के बाद उसे भी इस जीवनशैली में आनंद आने लगा था. अपने परिवार से सम्भोग के बाद अब इस प्रकार से अन्य पुरुषों से उन्मुक्त चुदाई का अलग ही सुख था. सबसे बड़ी बात ये थी कि उसका भावी पति इसमें पूर्ण रूप से संलग्न था और उसे प्रोत्साहन भी दे रहा था. कल बलवंत से गाँड मरवाने के बाद उसे जीवन से गाँड मरवाने में जो आनंद मिला था वो अवर्णनीय था. आज सुशील उसके तीनो छेदों का आनंद ले चुका था और अब जस्सी भी ये सुख प्राप्त करने वाला था. जस्सी का फनफनाता लंड इस को दर्शा रहा था. इस समय केवल गीता और उसकी ही चुदाई होनी थी. अन्य सभी विश्राम करने वाले थे.

जीवन ने निर्मला से कुछ कहा तो निर्मला ने आश्चर्य से उसे देखा। जीवन ने विश्वास दिया कि वो सच बोल रहा है. निर्मला ने अपने पति सुशील को बाहर चलने के लिए कहा. वहाँ जाकर निर्मला ने सुशील को जीवन द्वारा बताई हुई बात कही तो सुशील ने उसे कपड़े पहनने के लिए कहा. दोनों अंदर कमरे में गए और कपड़े लेकर बाहर आये. सुशील ने जीवन को संकेत किया कि वो उसकी इच्छा के अनुसार कार्य करने जा रहा है. बलवंत ने उसे अँगूठा उठाकर अपनी सहमति का प्रदर्शन किया तो सुशील समझ गया कि ये बलवंत या गीता में से किसी की योजना थी. सुशील और निर्मला को जाते गीता ने भी देखा पर उसके हाथों में लौड़े थे और चेहरे पर एक रहस्य्मयी मुस्कान जिसका अर्थ कुछ भी हो सकता था.

शालिनी अब जस्सी के साथ मिल-जुल गई थी और उसे बैठा कर उसके लंड को चूस रही थी. बीच बीच में वो जीवन को देखती, उनकी आँखें मिलतीं और मूक स्वीकृति मिल जाती. लंड को चूसकर जब वो तृप्त हो गई तो उसने जस्सी को देखा जिसने बिना देरी किये उसे उठाया और पलंग पर लिटा दिया. अपने लंड को शालिनी की चूत पर रखा और बिना किसी चेतावनी के अंदर धकेल दिया. इतने दिनों से जिस चूत को चोदने का वो स्वप्न देख रहा था, आज उसे पाकर उसका लंड अंदर फड़फड़ा गया, जिसे शालिनी ने भी अनुभव किया. उसने अपने पैरों को फैलाकर जस्सी को और भीतर आने का निमंत्रण दे दिया.

“नानी, अब बहुत चूस लिया. नहीं तो मुँह में ही झड़ जायेंगे.” कुमार ने गीता से बोला जो एक एक करके दोनों के लंड इतनी तन्मयता से चूस रही थी कि उनके जैसे युवा भी झड़ने के निकट पहुंच गए थे.

“उसमें वैसे तो कोई बुराई नहीं है, पर अच्छा यही होगा कि इन्हें इनके सही स्थान पर ही पानी छोड़ने दिया जाये.” गीता ने सहमति जताई.

किसी आगंतुक के आक्रमण के आशा से उसकी चूत और गाँड अब लुपलुप कर रहे थे. अगर शीघ्र ही उन्हें मथने के लिए उनमें किसी दण्ड का प्रवेश न हुआ तो वो आक्रोशित हो सकते थे. गीता ऐसा कुछ नहीं होने देने वाली थी. उसके पास दोनों के लिए दो दण्ड थे और दोनों का प्रयोग करना उसे भलीभांति आता था. इस बार कुमार ने अपने बड़े भाई असीम को गाँड मारने का निवेदन किया, जिसे असीम ने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया.

“भाई, क्या नानी को इस बार ट्रिपल ट्रीटमेंट दे दें?” कुमार ने सोफे पर बैठते हुए पूछा.

“क्यों नहीं. हमारी नानी हैं, हमें मना थोड़े ही करेंगी. है न नानी?”

“क्या देने को बोल रहा है ये?” गीता ने पूछा।

“नानी, वो आप दोनों पर छोड़ दो. आप बस आनंद लो. ये बताओ कि आपको हम पर विश्वास है या नहीं?”

“ये क्या पूछ रहा है. जो देना है सो दो और जो लेना वो लो. तुम्हारे लिए कोई बंधन इस सीमा नहीं है.” गीता ने पूर्ण विश्वास से कहा.

दूर से जीवन ने सुनकर उसके दोनों पोतों का षड्यंत्र भाँप लिया परन्तु कुछ न कहने का निर्णय लिया. गीता अपने नातियों से चुदने के लिए इतनी अधिक उत्सुक थी कि उसने उन्हें खुला निमंत्रण दे दिया था. वो असीम सुख का अनुभव पाने वाली थी.

सोफे पर कुमार ने अपने पीछे एक मोटा तकिया लगाया जिससे कि वो सामने आ गया. अब गीता के पैर हत्थों से बाधित नहीं होने वाले थे. गीता ने बिना संकोच के कुमार के दोनों ओर अपने पैर किये और उसके लंड को हाथ में लेकर अपनी चूत पर लगाया उस पर बैठती चली गई. अपने छोटे नाती के लंड को पूरा चूत में उतारने के बाद उसने एक गहरी श्वास भरी. इस सुख के लिए वो कितने दिनों से उत्सुक थी. उसकी चूत ने उसकी भावना का अनुशरण किया और लुपलुपना कुछ पलों के लिए बंद कर दिया. परन्तु फिर उसकी नसों में रक्त का संचार हुआ और फिर एक नई उमंग से चूत कुलबुलाने लगी.

“आह नानी. कितना अच्छा लगता है आपके साथ.” कुमार ने उसके झूलते मम्मों को हाथ में लेकर मसला और फिर उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा.

“हाँ, बिटवा. मैं भी तरस गई तुम दोनों के लिए. न जाने कितनी रातें बिताई हैं मैंने तुम्हारी कल्पना में.” गीता की आँखों में आँसू आ गए.

“अब तो हमारे साथ ही रहोगी, जब मन हो हमें बुला लेना. सब छोड़ कर आ जायेंगे.” असीम ने लंड उसकी गाँड पर रखते हुए कहा, “जैसे चाहोगी, वैसे चोदा करेंगे.”

असीम ने गीता की कमर पर हाथ रखकर उसे आगे झुकाया और अपना लौड़ा गीता की गाँड में डालने का उपक्रम आरम्भ कर दिया. उसे पता था कि उसकी महा चुड़क्कड़ नानी एक बार में भी लौड़ा झेलने की क्षमता रखती है, परन्तु वो इस खाई के हर रोम को अपने लंड से छूना चाहता था.

“ओह! मेरी माँ! इतना सुख है तुम दोनों के साथ.” गीता ने कहा और कुमार को चूमने लगी.

असीम ने धीमी गति से आगे बढ़ते हुए अपने लंड को पूर्णतः अपनी नानी की गाँड में डालकर एक गहरी श्वास भरी. इतने दिनों की इच्छा इस संसर्ग से पूर्ण हुई थी. तीनों कुछ क्षणों इस अनुभव को आत्मसात करना चाहते थे. कोई न हिला, बस उनके गुप्तांग अपनी धड़कन एक दूसरे को सुना रहे थे. चूत और गाँड के मध्य की उस पतली झिल्ली पर अत्यधिक दबाव था और दोनों भाइयों को एक दूसरे के लौंड़ों का स्पंदन हो रहा था. साथ ही उनकी नानी की चूत और गाँड खुलने और बंद होने का असफल प्रयास कर रही थीं.

गीता स्वर्ग के द्वार पर थी, और उसे अंदर प्रवेश करने के लिए धक्के उसके नातियों ने ही देने थे. उन दोनों के बीच वो हिलने डुलने की स्थिति में नहीं थी. असीम ने पहले उसकी गाँड मारना आरम्भ किया और फिर कुछ ही क्षणों में कुमार ने उसकी चूत में चप्पू चलाने का बीड़ा उठाया. स्वर्ग का द्वार धीमे से खुलने लगा, गीता को बहुरंगी प्रकाश की किरणे दिखने लगीं. असीम और कुमार ने अपनी गति बढ़ाई और कुछ ही देर में दोनों ने उसे वो धक्का लगाया जिसके कारण वो स्वर्ग का विचरण करने लगी.

उसका मन मस्तिष्क बहुआयामी प्रतिबिम्बों से आल्हादित हो गया. वो उस दृश्य को देख के आनंद से किलकारियाँ ले रही थी. जिसे वो किलकारियाँ समझ रही थी वो उसकी आनंद भरी चीखें थीं जिन्हें कमरे में उपस्थित सभी लोग सुनकर उसके सुखद अनुभव का परोक्ष रूप में आनंद ले रहे थे.

जस्सी का लंड अब शालिनी की चूत में समा चुका था और चुदाई की भीषण आँधी चल रही थी. जस्सी गाँव का परिश्रम करने वाला किसान था. उसका शरीर उसकी शक्ति का परिचायक नहीं था. जहाँ जीवन लम्बा और हट्टा कट्टा था, वहीँ जस्सी का शरीर अनुमान में पतला था. परन्तु न उसका लौड़ा जीवन से उन्नीस था न ही उसके चोदने की क्षमता. उसकी चुदाई का ढंग अवश्य भिन्न था, शक्तिशाली चुदाई के बाद भी उसकी चुदाई में एक ठहराव था. जीवन जिस प्रकार से चुदाई करता था वो निर्ममता का बोध कराती थी. जस्सी की चुदाई में एक प्रेम का भाव था. स्त्रियों को उनकी मनोदशा के अनुसार दोनों प्रकार की चुदाई की आवश्यकता होती थी. सम्भवतः यही कारण था कि ये चारों परिवारों में इतने अंतरंग संबंध थे. अपने मन के अनुसार स्त्रियाँ अपनी चुदाई का साथी चुन सकती थीं.

********

कमरे में अब चुदाई से गीता की चीत्कारों और शालिनी की सिसकारियों के रूप में एक सरगम का मादक संगीत बज रहा था.

उधर निर्मला और सुशील जीवन के खेतों में बने एक घर में प्रवेश कर के सामने चल रहे दृश्य को देख रहे थे. सुशील के हाथ में १२ शराब की बोतलों का क्रेट था. उनके सामने एक महिला बैठी हुई थी जिसने घाघरा और चोली पहनी हुई थी. इस समय घाघरा उसकी कमर के ऊपर बँधा हुआ था. उसके सामने एक अत्यंत मरियल पुरुष उसकी चूत चाटे जा रहा था. वो महिला कुछ कुछ देर में अपनी कमर उठाकर अपनी गाँड भी उसके सामने कर देती थी जिसे चाटने में वो पुरुष कोई संकोच नहीं करता था. उस महिला ने सुशील की ओर देखा और अपनी जीभ होंठों पर घुमाई.

महिला: “देखो, बाबूजी ने तुम्हारे लिए कितनी मंहगी शराब की बोतलें भेजी हैं.”

उस पुरुष ने अपना मुँह हटाया और सुशील की ओर मुड़कर देखा.

“नमस्ते बाबूजी. आप इस बार बहुत बोतलें लाये हो. लगता है इस बार इसे कई दिनों के लिए ले जा रहे हो. बस मुझे कुछ समय दीजिये फिर इसे साथ ले जाइएगा.”

“हाँ, भूरा. इस बार एक सप्ताह के लगभग के लिए बाबूजी ने बुलाया है. एक नए अतिथि को लाये हैं और उससे भी मिलाना चाहते हैं बसंती को. हम गाड़ी में बैठे हैं, इसे भेज देना अपना पेट भरने के बाद.”

“जी बाबूजी.” भूरा ने उत्तर दिया.

बसंती ने भूरा को प्रेम से देखा, “कितना प्रेम करता है तू मुझसे. स्वयं चोद नहीं पाता है फिर भी मेरी आग बुझाने के लिए इन सबके पास भेज देता है. अब चाट ले अच्छे से तुझे पानी पिलाकर जाती हूँ. सुबह आकर भोजन बना दूँगी। अपना ध्यान रखना और दारू पीकर गिर मत जाना कहीं. घर पर ही रहना. ठीक है न.”

“ठीक है.” ये कहकर भूरा ने बसंती को एक बार झड़कर उसका पानी पी लिया.

बसंती ने अपना लंहगा नीचे किया और एक चुन्नी सीने पर डालकर बाहर जाकर गाड़ी में बैठ गई. भूरा ने लपक कर एक बोतल निकाली और काँपते हाथों से एक पेग बनाया और गटागट पी गया. उसके हाथों ने काँपना बंद कर दिया और उसके चेहरे पर एक शांति का भाव छा गया.

बसंती: “इस बार बाबूजी ने बहुत दिनों बाद मुझे बुलाया है. क्या बात है?”

निर्मला: “इस बार वो अपनी भावी पत्नी शालिनी को लेकर आए हैं. मुझे लगता है कि वो उसे अपना विद्रूप रूप भी दिखाना चाहते हैं. हममें से तो कोई उनकी उनकी इस क्रीड़ा में उनका साथ नहीं देता है. इसीलिए तुझे बुलाया है जिससे कि बाद में शालिनी को कोई धक्का न लगे. अगर वो आगे जाने से मना कर दे तो वो ये सब छोड़ देंगे. मेरा यही अनुमान है.”

बसंती: “ठीक है. अगर उन्होंने बंद भी किया तो आप सब तो मुझे वंचित नहीं रखेंगे न?”

सुशील: “अरे तेरा इतना ध्यान रखते हैं, आगे भी रखेंगे. पर मुझे लग रहा है कि बलवंत तुझे साथ ले जाने के लिए कहेगा. भूरा तो यहीं रहेगा. उसका हम ध्यान रख लेंगे. बलवंत के घर में रहकर उसकी देखभाल कर लेगा. सलोनी और भाग्या को भी सहारा हो जायेगा. वैसे भी तेरी नातिन अब किसी भी दिन बच्चे को जन्म देने वाली है.”

बसंती: “भूरा मन का बहुत अच्छा है. बस दारू ने उसका सर्वनाश कर दिया.”

सुशील: “जीवन सम्भवतः कोई प्रबंध कर रहा है. बता रहा था कि उनके नगर में कोई क्लिनिक है जिसमें शराब छुड़ाई जाती है. उसमें जब भी कोई स्थान मिलेगा वो स्वयं तुझे बता देगा. इसीलिए भी तुझे साथ ले जाना चाहता है. अगर तू वहाँ रहेगी तो जाने से मना नहीं कर सकेगा. यहाँ रहेगी तो कोई न कोई बहाना निकलता रहेगा.”

बसंती: “बाबूजी सबका कित्ता ध्यान रखते हैं न?”

निर्मला पीछे मुड़कर बोली: “हाँ और आज तेरा ध्यान रखने वाले हैं. तुझे अपने प्यार से नहलाने वाले जो हैं.”

बसंती का चेहरा लाल हो गया, “क्या दीदी, आप सब भी तो नहलाओगे मुझे प्यार से.”

सुशील: “अब तू इतनी प्यारी है तो कैसे न करें?”

बसंती को हर दिन भूरा के घर ले जाने का विश्वास दिलाकर सब यूँ ही बतियाते रहे. कुछ ही देर में वो बलवंत के पहुंच गए.

********

उधर बलवंत के घर पर चुदाई समारोह की उपकथा अपने अगले चरण में प्रवेश कर चुकी थी. शालिनी की चूत का भोग लगाने के बाद अब जस्सी उसकी गाँड मारने में व्यस्त था. शालिनी भी अब गाँड मरवाने में अभ्यस्त हो गई थी और इसमें उसे आनंद आने लगा था. पहले भी गाँड मरवाई थी परन्तु इतने कम अंतराल में नहीं. और अब तो लगता था कि हर चुदाई में उसकी गाँड मारा जाना एक स्वाभाविक विस्तार होगा.

गीता की चूत और गाँड मारने के बाद दोनों भाइयों ने उसे भी चूत में दो लंड का सुख देने का निर्णय ले लिया था. और इसके लिए गीता को पलट दिया गया था और उसकी चूत में नीचे से अभी भी कुमार का ही लंड था, पर सामने असीम अपने लंड को लेकर खड़ा हुआ था. गाँड से निकले लौड़े को गीता से चटवाने की इच्छा को दबाते हुए उसने अपनी नानी की चूत पर लंड लगाया. कुमार ने लंड पहले ही बाहर निकाला हुआ था. दोनों लंड आपस में सटे हुए थे और एक साथ अंदर की और अग्रसर होने लगे.

गीता असीम की आँखों में झाँक रही थी. वो अपने नाती के आनंद की अनुभूति करना चाहती थी. असीम की आँखों में अथाह प्रेम दिख रहा था. असीम भी गीता के चेहरे के भाव पढ़ रहा था. दोनों लौंड़ों के प्रवेश के साथ साथ गीता के भाव कौतुहल की ओर थे. गीता ने इस प्रकार का अनुभव जीवन में पहले कभी नहीं किया था. इतने वर्षों में सामूहिक चुदाई करते हुए भी कभी चूत में एक साथ दो लौड़े नहीं लिए थे. और आज उसके नाती उसे इसका ज्ञान दे रहे थे.

दोनों लौंड़ों ने अंततः गीता की चूत की गहराई को नाप ही लिया. इस समय गीता को अपनी चूत इतनी भरी हुई लग रही थी जितनी अपनी युवावस्था में लगती थी.

असीम: “क्या नानी, कैसा लग रहा है?”

गीता: “सच में बेटा अद्भुत अनुभव है. इसीलिए मेरी बहनें इतनी भाग्यशाली हैं. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि मैं ये सुख उनके सामने ही पा रही हूँ.”

उधर शालिनी की गाँड में जस्सी अपने लंड से लगातार धक्के लगा रहा था. गाँड मारने के समय उसका प्रेम का रूप छुप गया था और वो भी बलवंत और जीवन के ही समान पूरी शक्ति के साथ उसकी गाँड में उत्पात मचाये हुए था. शालिनी की आनंदकारी सीत्कारें उसका साथ दे रही थीं.

तभी कमरे में निर्मला और सुशील ने प्रवेश किया. उनके पीछे बसंती खड़ी हुई थी. उसे कमरे से चुदाई का संगीत और सुगंध दोनों आ रही थीं और उसकी चूत कुलबुलाने लगी थी. परन्तु उसे पता था कि उसे किस प्रयोजन से बुलाया गया है. पहले वो इस प्रकार के आयोजनों में नियमित बुलाई जाती थी, परन्तु कई महीनों से उसे इसका अवसर नहीं मिला था. वो सप्ताह में अवश्य दो या तीन बार इन मित्रों में से किसी न किसी के घर जाकर अपने शरीर का व्यायाम कर लेती थी, पर आज उसे अपने मन और तन दोनों को तृप्त करने का अवसर मिलेगा.

निर्मला ने बसंती का हाथ पकड़ा और उसे जीवन के सामने ला खड़ा किया.

“लो भाईसाहब, ले आई आपकी बसंती को.”

जीवन उसे देखकर मुस्कुराया, “बड़े दिन बाद आई है. हमें भूल गई क्या?”

“नहीं बाबूजी, आपको कैसे भूलूँगी। अब तो आप फिर से दादा बनने वाले हो. तो मेरे संबंधी भी बन जाओगे.” बसंती का संकेत भाग्या की होने वाली संतान की ओर था जो जीवन के बेटे आशीष के बीज से जन्मने वाला था.

“हाँ, ये तो लगभग निश्चित ही है.” जीवन ने ऊपर से नीचे तक उसे निहारा और होंठों पर जीभ घुमाई, “इतने सारे कपड़े क्यों डाली है अपने जोबन पर?”

“हाय दैया क्या कह रहे हैं बाबूजी? सबके सामने नंगी हो जाऊँ?” फिर हंसकर बोली, “सच में अब कल सुबह तक इन निगोड़ों का कोई काम भी तो नहीं है.”

बसंती ने कपड़े निकालने में कोई समय नहीं गँवाया और जीवन के सामने बैठ गई. जीवन के मोटे लौड़े को देखकर उसने अपनी जीभ से होंठ गीले किये.

“पहले जिसने बुलाया है उसकी सेवा कर.” जीवन ने बलवंत की ओर संकेत किया.

बसंती तुरंत बलवंत के सामने गई और इससे पहले कि वो कुछ कहता उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.

“बहुत प्यासी लग रही है ये!” बलवंत ने हंसकर कहा.

“हाँ, कुछ देर रुको फिर इसकी सारी प्यास बुझाएँगे।” जीवन ने उत्तर दिया और शालिनी की ओर देखने लगा. ये शालिनी की अंतिम परीक्षा होगी. उसने मन में कामना की कि शालिनी इसमें उत्तीर्ण हो सके.

बलवंत के लंड चूसने के बीच में ही बलवंत ने उसे रोक दिया.

“अभी नहीं. जाकर गीता को देख क्या कर रही है.”

अनमने भाव से बसंती उठी और दोनों चुदाई के दृश्यों को देखा. एक नई स्त्री की गाँड मारने में जस्सी व्यस्त था तो दूसरी ओर गीता की चुदाई में उसके नाती लगे हुए थे. वो गीता के पास गई तो हतप्रभ रह गई. गीता की चूत में दो दो लंड अबाध गति से अंदर बाहर आ जा रहे थे. उसे पास आया देख कुमार और असीम मुस्कुराये.

“क्या छोटी नानी? आप भी आ गयीं?”

“हाँ मुन्ना, तेरे दादा ने बुलवा भेजा तो कइसन मना करती. ये तुम दोनों क्या अपनी नानी की दुर्गति कर रहे हो? चूत में दोनों लंड डालकर चोद रहे हो, कहीं कुछ हो न जाये.” बसंती की आँखें गीता की सूजी हुई चूत पर गड़ी हुई थीं.

“अरे कछु न होइ छोटी नानी. बाकि तीनों नानिओं को भी अइसन है चोदे रहे हम. दुइनौ बहुत मजा लिए रहीं. और अब तुम्हें भी चोदने वाले हैं. पहिले तनिक दादा से निपट लेयो.” असीम ने गाँव की भाषा में उत्तर देने का प्रयत्न किया.

“हाय दैया, ये क्या बोल रहा है?” बसंती सच में सहम गई.

“तू चुप कर और मुझे चुदवाने दे. नहीं तो तेरी गाँड में बाँस कर दूँगी।” गीता ने अपनी चुदाई में व्यवधान से क्रुद्ध होकर कहा.

“अरे दीदी, गुस्सा न करो. मैं चली.” बसंती वहाँ से लौटकर जीवन के पास गई तो जीवन ने उसे अपनी गोद में बैठने के लिए कहा.

“क्या हुआ?” जीवन ने उसकी गर्दन को चूमते हुए उसकी चूत में ऊँगली डाली.

“दोनों दीदी की चूत को एक साथ चोद रहे हैं.” बसंती ने कुनमुनाते हुए उत्तर दिया.

“अभी तो एक साथ गाँड भी मारेंगे, तब क्या करेगी?”

“क्या बाबूजी, ऐसे मत बनाओ. ऐसा भी होता है क्या?”

“अरे मेरी सुनीति की गाँड कई बार मारी है दोनों ने मिलकर. तेरी भी इच्छा हो रही होगी न?”

बसंती कुछ न बोली तो जीवन ने कहा.

“सुन, मेरे साथ चल इस बार. मैंने भूरा की शराब छोड़ने के लिए प्रबन्ध किया है. पर अगर तू यहाँ रही तो वो नहीं आएगा. वैसे भी भाग्या अब बच्चा जनने ही वाली है. तो उसकी भी देखभाल करनी होगी.”

“बाबूजी, इन्हें छोड़कर कैसे चलूँ. दारू पीने के बाद मैं तो इन्हें खाना खिला भी देती हूँ. कौन देखेगा इन्हें?”

“क्यों? क्या पूनम, बबिता और निर्मला ध्यान नहीं रखेंगी? मेरे विचार से तो वो तुझे आँख दिखाकर तेरे प्रेम का अनुचित लाभ उठाता है. उन्हें कुछ न बोल पायेगा. वैसे भी इस घर में ही रहेगा. तू चिंता न कर.” जीवन ने उसे समझाया.

“ठीक है बाबूजी. पर ये आप ही बोलना उसे. आपसे बहुत डरता है, मुझसे न मानेगा.”

“ठीक है, वहां तू मेरे साथ ही रहेगी, मेरे कमरे में.”

“बाबूजी, मेरा जीवन ही कृतार्थ हो जायेगा.”

“रुक, तुझे अपनी होने वाली पत्नी से मिलवाता हूँ. जस्सी उसकी गाँड मारकर निपट ले. तेरा भी परिचय हो जायेगा उसकी गाँड से.”

बसंती ने जस्सी की ओर देखा जो अब अंत के निकट था. उसने जीवन की ओर देखा और उसकी आज्ञा लेकर जस्सी और शालिनी के पास जा खड़ी हुई.

जस्सी ने उसे देखा तो समझ गया कि बसंती के मन में क्या है. उसके विषय में सोचते ही उसके लंड ने पानी छोड़ दिया और शालिनी को अपनी गाँड में उसे वीर्यपात का सुखद अनुभव हुआ. जस्सी ने कुछ समय तक लंड शालिनी की गाँड में ही रखा जब तक उसकी अंतिम बूँद स्खलित नहीं हुई. उसने बसंती को देखा.

“आ अपने इच्छा पूरी कर ले. नई नई गाँड है, माल पुराना है.” जस्सी ने अपने ढीले पड़ते लंड को पक्क की ध्वनि से बाहर निकाला। शालिनी को उसकी गाँड के खुले छिद्र में ठंडी पवन का आभास हुआ. परन्तु इससे पहले कि वो इसका पूर्ण आनंद ले पाती उसे अपनी गाँड पर किसी की जीभ का अनुभव हुआ. उसे ध्यान आया कि जस्सी कुछ समय पहले किसी से बात कर रहा था. सम्भवतः कोई नई स्त्री थी. उसने इस विषय में बाद में चिंतन करने का निर्णय लिया क्योंकि उस जीभ को अपनी गाँड में प्रवेश करते पाया.

बसंती मानो सदियों की भूखी हो, वो अपनी जीभ को घुमा घुमाकर शालिनी की गाँड से जस्सी के रस की हर बूँद सोख रही थी. शालिनी को गुदगुदी होने लगी तो वो गाँड हिलाकर हंसने लगी. जीवन शालिनी के इस अनुभव से आनंदित हो रहा था. बसंती ने भी अपनी भूख मिटाकर ही अपनी जिव्हा को विश्राम दिया. उसके बाद ही उसने उस गाँड की स्वामिन स्त्री की ओर देखा. परन्तु अभी उसका चेहरा दूसरी ओर था और उसके पलटने के पहले ही जस्सी ने उसे अपना लंड भी चाटने के लिए प्रस्तुत कर दिया. बसंती ने पूरे प्रेम से उस मलिन लंड को चाटकर चमका दिया.

अब तक शालिनी उठ गई थी. उसने एक सांवली गठे शरीर की स्त्री को जस्सी के लंड को चाटते देखा. न जाने क्यों उसके मन में ये देखकर वितृष्णा नहीं हुई. इस समूह में मानो उसे ये देखकर कोई अचम्भा नहीं हुआ. जस्सी ने बसंती के गाल पर प्रेम से हाथ फेरा और हट गया. अब तक जीवन उनके पास आ चुका था. शालिनी और बसंती ने एक दूसरे को देखा, तो जीवन ने उनका परिचय करवाया.

“आप बहुत सुंदर हो दीदी. मेरे बाबूजी बहुत भाग्य वाले हैं जो उन्हें आप मिल गयीं. और सच कहूँ तो यही आप पर भी सार्थक होता है. मुझे बहुत प्रसन्नता है, दीदी.” ये कहकर बसंती ने अपनी आँख से काजल निकाला और शालिनी के माथे के एक ओर लगा दिया।

शालिनी उसके इस क्रिया और कथन से शालिनी भावुक हो गई और बसंती को गले से लगा ली.

“बाबूजी, आपकी चयन उत्तम है. मेरी शुभकामनायें आप दोनों के लिए.” बसंती ने जीवन से कहा.

“तू भी सदा मेरी चहेती रहेगी. अब जा गीता का भी ध्यान कर ले. उसके नाती भी उसकी चुदाई समाप्त करने वाले हैं.”

बसंती ने गीता की चीख सुनी तो समझ गई की चुदाई लीला समाप्त हो गई है. वो वहाँ जाकर खड़ी हुई तो असीम ने अपना लंड निकाला. बसंती ने लालच से देखा तो असीम ने उसे चाटने के लिए आमंत्रित किया. असीम का लंड चाटा ही था कि असीम ने उसे गीता की चूत की ओर संकेत किया. कुमार के लंड पर चढ़ी हुई गीता की चूत पर बसंती ने मुँह जमाया और चाटना और सोखना आरम्भ कर दिया. कुमार ने धीरे से लंड बाहर निकाला तो बसंती का कार्य और सरल हो गया. गीता की चूत से पूरा रस पीकर वो हटी. उसकी आँखों के सामने अब कुमार का लंड था जिसे उसने चाटकर अपना कार्य समाप्त किया.

गीता वहीँ लेट गई. वो अत्यधिक संतुष्ट थी. उसकी महीनों की प्यास मिटी थी. प्रतिदिन चुदाई होने के बाद भी अपने नातियों से चुदवाने में जो परम सुख था उसकी तुलना नहीं थी. और वो भी चूत में एक साथ, उसके मन में फिर से सुख और आनंद की लहर दौड़ गई.

कुछ ही देर में सब कुछ सामान्य हो गया. शालिनी जाकर जीवन के पास बैठ गई और गीता बलवंत के पास. जीवन को अचरज हुआ कि बोलने के बाद भी उसके पोतों ने गीता की तीसरा अनुभव नहीं कराया. आज के आगे के कार्यक्रम के विषय में बात होने लगी तो बसंती जीवन के सामने बैठकर उसका लंड चूसने लगी. उसने अपना अधिपत्य जमाना चाहा. जीवन ने उसके बालों में प्रेम से हाथ फेरा.

“शालिनी को दिखाना है कि तेरा क्या आकर्षण है जो तुझे हम सबकी ओर खींचता है.”

“जी बाबूजी, दीदी को भी जानना ही चाहिए.”

असीम और कुमार ने सबको पेग बनाकर दिया. बसंती ने मना कर दिया. शराब ने उसके घर का सर्वनाश जो किया था.

गीता और शालिनी को छोड़कर वो कौन थी जिसे आज गैंगबैंग का सुख प्राप्त होना था. क्या असीम और कुमार गीता को उसका तीसरा अनुभव आज कराएँगे? शालिनी बसंती और उनके बीच की क्रीड़ा से अपना मन तो नहीं बदलेगी? यही प्रश्न सबके मन में थे, जिनका उत्तर आज मिलना था.

अभी शाम ही हुई थी, और आगे बहुत रात शेष थी.

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क्रमशः

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