You dont have javascript enabled! Please enable it! कैसे कैसे परिवार – Update 67 | Erotic Incest Family Story - KamKatha
कैसे कैसे परिवार - Erotic Family Sex Story

कैसे कैसे परिवार – Update 67 | Erotic Incest Family Story

अध्याय ६७: जीवन के गाँव में शालिनी ४

अध्याय ६६ से आगे

अब तक:

जीवन ने शालिनी को मित्र मंडली के गहरे संबंधों के विषय में बताया. शालिनी समझ गई कि उसका विवाह चाहे ही जीवन से हो, पर वो पत्नी सम्पूर्ण मित्र मंडली की होगी। वहीं निर्मला की नातिन शुभि और कुमार के बीच में प्रेम का रहस्य खुल गया. सबके मन में आगे चल कर और प्रगाढ़ संबंध होने का आश्वासन मिला और अगली पीढ़ी में भी संबंध बने रहेंगे इसका उल्लास था. बबिता कुमार और असीम के साथ अपनी विशेष चुदाई के लिए उत्सुक थी. गीता पर अपने नातियों से चुदने के प्रतिबंध को भी हटा दिया गया था. दोपहर के भोजन के बाद सब क्रीड़ागर में जा पहुँचे। आज रात से गैंगबैंग की शृंखला का भी आरम्भ होना था.

अब आगे:

क्रीड़ागार में सब पहुँचे तो वासना का ज्वर प्रबल होने लगा था. बबिता ने कुमार और असीम के हाथ यूँ पकड़े हुए थे मानो उन्हें कोई छीन ले जायेगा.

जीवन: “अब जब सब कुछ तय हो चुका है तो मुझे मेरी होने वाली समधन से मिल लेने दो.” वो बढ़ा और निर्मला को अपनी बाँहों में थाम लिया, “और मेरे पोतों को मेरी दूसरी समधन से मिलने दो.”

बबिता, शालिनी और निर्मला असीम, कुमार, सुशील और जीवन की जोड़ीदार बन चुकी थीं. गीता और पूनम के लिए जस्सी, कंवल और बलवंत उपलब्ध थे. उन्होंने एक ही साथ चुदाई करने का निर्णय लिया और आगे की कार्यवाही आरम्भ की.

गीता ने अचानक घोषणा की कि वो कल रात की पूनम की भूमिका का निर्वाह करेगी. ये सुनकर सबको आश्चर्य हुआ परन्तु बलवंत की मुस्कुराहट छुपाये न छुपी. गीता अपने नातियों से चुदे बिना किसी और से चुदने से बचना चाहती थी. बलवंत ने अपनी सहमति दे दी. और गीता बबिता की ओर चली गई.

“आ अब एक को तू संभाल और एक को मैं. फिर दोनों को मैं संभाल लुंगी.” कुमार के लंड को गीता के चेहरे के सामने लाते हुए बबिता ने कहा.

गीता ने एक क्षण की भी देर किया बिना कुमार के लंड को चाटा और फिर मुँह में लेकर चूसने लगी. बबिता ने अपना ध्यान असीम के लंड पर लगाया. फिर कुमार ने अपना लंड गीता के मुँह से निकाला और सोफे पर बैठ गया. बबिता का हाथ पकड़ गीता ने उसे उठाया और कुमार के लंड पर बैठा दिया. बबिता की पनियाई चूत सरलता से कुमार के लंड को निगल गई.

“अब अपने नातियों से एक साथ अपनी चूत चुदवा ले. फिर मेरी और शालिनी की बारी आएगी.” गीता ने कहा और असीम को बबिता के सामने खड़ा कर दिया. अपनी चूत को पहले से ही भरा हुआ अनुभव करते हुए एक बार बबिता को लगा कि क्या ऐसा सम्भव हो पायेगा? परन्तु उसे पूनम और निर्मला की कल रात की चुदाई का स्मरण हो आया और उसने असीम के मोटे लौड़े को अपनी चूत की ओर अग्रसर होते देखा.

“डरो मत नानी, मस्त चुदाई करेंगे. मम्मी भी चुदवाती हैं ऐसे और बहुत आनंद पाती हैं.”

“जानती हूँ बिटवा, तुम दोनों मुझे कोई चोट नहीं देने वाले. डाल दे अपना भी लंड और मुझे भी पूनम और निर्मला वाले स्वर्ग की सैर करवा दे.” बबिता ने अपने पैरों को थोड़ा और फैलाया.

असीम ने अपना लंड उसकी चूत पर लगाया और धीरे से कुमार के लंड के समतल अंदर धकेलने लगा. और अगले ही पल बबिता भी आनंदलोक में विचरण करते हुए चीखने लगी.

सुशील और शालिनी एक दूसरे से लिपटे हुए चुंबनों के आदानप्रदान में व्यस्त थे. सुशील शालिनी के मम्मों को दाएं हाथ से दबाते हुए उसके होंठ चूस रहा था. वहीँ शालिनी अब निर्लज्ज होकर सुशील के लंड को मुठिया रही थी. संगति से मनुष्य कितना परिवर्तित हो जाता है उसका वो ज्वलंत उदाहरण थी. जीवन के साथ गाँव पहुँचने से पहले उसने कभी सामूहिक रूप में चुदाई की कल्पना भी नहीं की थी. यहाँ वो न स्वयं इसमें संलग्न थी, बल्कि कमरे में अन्य उपस्थित भी किसी न किसी रूप में व्यभिचार में लिप्त थे.

उसने गीता को अपनी ओर आते देखा.

“सुशील भाईसाहब चूत और गाँड चाटने में प्रवीण हैं, इसमें ये स्त्रियों को भी पीछे छोड़ देते हैं. और आज इस समय तक तुम्हारी चुदाई नहीं हुई है, तो अपने दोनों छेदों की सेवा का इन्हें अवसर अवश्य देना.” गीता ने सुशील की विशेषता बताई.

“ऐसा है तो हमें देर नहीं करनी चाहिए. मुझे भी इसमें बहुत आनंद मिलता है.” शालिनी ने कहा तो गीता ने उसे सोफे पर बैठाकर उसके पैरों को फैला दिया गाँड के नीचे सोफे की तकिया रख दी जिससे कि उसकी गाँड को सुशील के लिए सुगम बना दिया.

सुशील ने अपने सामने परोसी हुई सुंदर चिकनी चूत और भूरे रंग की गाँड के छेदों को देखा तो उसके मुँह में पानी भर आया. उसने चूत पर अपनी जीभ घुमाई तो शालिनी की सिसकी निकल पड़ी. परन्तु सुशील एकमात्र चूत का स्वाद लेकर संतुष्ट कहाँ होने वाला था. चूत पर कुछ दूर तक ऊपर ही ऊपर जीभ चलाने के बाद उसका गंतव्य नीचे का छेद था. गाँड पर जीभ का आभास होते ही शालिनी के तन में जैसे विद्युत् का प्रवाह हो गया. उसका शरीर उछल गया और एक झटके में फिर नीचे आया. शालिनी की चूत से एक धार निकली और सुशील के चेहरे को भीगा गई. सुशील ने ऐसी प्रतिक्रिया का अनुमान ही नहीं किया था. उसे अपनी कला पर गर्व हुआ.

एक बार स्थिर होने के बाद सुशील फिर अपनी कला के प्रदर्शन में जुट गया. गीता का कथन सच था, सुशील की विद्या की कोई तुलना ही नहीं थी. वो जिस सरलता से अपने होंठ, जीभ और दाँतों का प्रयोग कर रहा था वो अद्वितीय था. जीभ शालिनी की चूत की कलियाँ और गहराई को सहला रही थीं तो होंठ और दाँत उसके भग्न को रह रह कर मसल रहे थे. सुशील की प्रतिभा की ये विशिष्टता थी कि दाँतों से मसले जाने के बाद भी भग्न में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती थी. उसका दबाव इतना नापा हुआ होता था. चूत की चटाई के साथ सुशील ने शालिनी की गाँड पर भी पर्याप्त ध्यान केंद्रित किया हुआ था. शालिनी तो बिना चुदे ही आनंद की लहरों में झूल रही थी. उसे विश्वास हो चला कि विविधता ही जीवन के आनंद में वृद्धि कर सकती है.

शालिनी की चूत और गाँड का भरपूर सेवन करने के बाद उसने जब अपना चेहरा ऊपर किया तो वो रस से भीगा हुआ था. अपने होंठो पर जीभ घुमाकर चटकारे लेते हुए उसने शालिनी की ओर देखा तो शालिनी ने उसके प्रयासों की सफलता को स्वीकार किया और अब लंड चूसने का आमंत्रण दिया. सुशील ने खड़े होकर अपना लंड शालिनी के सामने लहराया तो शालिनी ने उसे हाथ में लेकर चूमा, फिर चाटा और अंत में मुँह में लेकर चूसने लगी. गीता को लगा कि अब उसे अपने अगले पड़ाव की और जाना चाहिए.

गीता ने अब अपना ध्यान अपने समधी जीवन की ओर किया, जहाँ वो गीता और जीवन की होने वाली नई समधन से अपना लौड़ा चुसवा रहा था. निर्मला जीवन के लंड पर आसक्त थी और उसे किसी लॉलीपॉप के समान चूसने और चाटने में लगी हुई थी. एक हाथ से वो अपनी चूत में भी ऊँगली किये हुए थी परन्तु उसमे अधिक संचालन नहीं था क्योंकि उसका पूरा ध्यान अपने मुँह में उपस्थित लौड़े को आनंद देने पर था. उसे पता था कि जितना वो जीवन के लंड पर ध्यान देगी, जीवन पलट कर उसकी चूत और गाँड की उतनी ही भरपूर चुदाई करेगा.

निर्मला ने अपने हाथ को अपनी चूत पर से हटने का अनुभव किया तो कोई विरोध नहीं किया. और फिर उसने पाया कि दो उँगलियों ने उसकी चूत की गहराई में डुबकी लगा दी. गीता को निर्मला की चूत से खेलने में कोई व्यवधान नहीं था. उसने अपनी उँगलियों से निर्मला की चूत को चोदना आरम्भ कर दिया. उत्तेजित निर्मला ने जीवन के लंड को भी उतने ही उत्साह से चूसने की गति बढ़ा दी.

कुछ ही देर में गीता ने अपनी उँगलियाँ निकालीं और बोली, “भाईसाहब, अब सवारी करिये, बहुत गरमा रही है इसकी चूत. आपके लंड के पानी से ही ठंडी होगी.”

जीवन भी बेचैन था अपने तने लंड को निर्मला की चूत में डालने के लिए और उसने तुरंत ही अपने लंड को निर्मला की बहती चूत पर लगाया और अपने स्वाभाविक ढंग से एक ही धक्के में अंदर तक डाल दिया. निर्मला की आनंद से चीख निकली और उसने जीवन को अपने ऊपर खींच लिया. गीता को आभास हुआ कि अब यहाँ उसका कार्य समाप्त हो गया है और उसने जस्सी, कंवल और बलवंत के बीच पिस रही पूनम की सहायता करने का बीड़ा उठाया.

“क्यों एक बेचारी पर तीनों पिले हो, इतना मत चोदो कि इसकी साँस ही रुक जाये.” गीता ने हंसकर कहा क्योंकि वो जानती थी कि पूनम भी इसका पूरा आनंद ले रही थी. बलवंत ने उसकी चूत चाटने का कार्य संभाला हुआ था तो पूनम के मुँह में जस्सी और कंवल के लौड़े अंदर बाहर हो रहे थे. गीता ने जस्सी के लंड को आने मुँह में ले लिया तो पूनम को कँवल के लंड पर पूरा ध्यान देना का अवसर मिल गया.

बलवंत: “अब चुदाई हो जाये, इसकी चूत का रस तो बहता ही रहेगा.”

ये कहते हुए उसने उठकर अपना लंड पूनम की चूत में डाला और चोदने लगा. पूनम ने कुछ कूँ कूँ की ध्वनि की पर लंड मुँह से निकलने नहीं दिया.

गीता ने जस्सी के लंड को मुँह से निकालते हुए कहा, “भाईसाहब, आपको मुँह की नहीं किसी और छेद में जाना चाहिए.” फिर उसने बलवंत को सम्बोधित करते हुए कहा, “थोड़ा हटिये, जस्सी भाईसाहब को भी आने दीजिए.”

बलवंत ने पूनम को अपनी बलिष्ठ बाँहों में समेटा और बैठ गया. पूनम की चूत से उसका लौड़ा पल भर के लिए भी न निकला. अब जस्सी के लिए उसका लक्ष्य सामने था. पूनम की गाँड मानो उसे पुकार रही थी. उसकी पुकार सुनते हुए जस्सी ने आव देखा न ताव और अपने लौड़े को पूनम की लुपलुपाती गाँड पर रखा और उसकी गाँड मारने लगा. बलवंत और जस्सी पूनम की चूत और गाँड चोद रहे थे तो पूनम ने कँवल के लंड पर अपना आधिपत्य बनाये हुए था.

गीता ने फिर अपने नातियों की ओर चल दी. अब तक दोनों भाइयों ने अपने स्थान परिवर्तित कर लिए थे और निर्मला की चूत में धुआँधार अपने लौंड़ों से आतंक मचाया हुआ था. इतनी प्रबल चुदक्कड़ निर्मला की भी गाँड से धुआँ निकल रहा था. उसकी आँखें पलटी हुई थीं और उसे देखकर लगता था कि वो किसी अन्य लोक में थी. आँखें शून्य को टाक रही थीं, परन्तु उसके चेहरे पर वासना का ज्वर स्पष्ट दिखाई दे रहा था. वो आनंद की चरम सीमा पर थी और गीता ने उन्हें छेड़ना उचित न समझा, बस अपने नातियों की चुदाई की कला और शक्ति पर गर्व करते हुए उन दोनों के सामंजस्य से अत्यंत प्रभावित थी. कुछ ही देर में वो भी उनके बीच में इसी प्रकार से चुद रही होगी. यही सोचकर वो अपनी चूत में ऊँगली डालने लगी.

कुमार ने उसे ऐसा करते देखा तो पास बुलाया और फिर अपने लंड को निर्मला की चूत से निकालकर उन्हें चूसने के लिए आमंत्रित किया. निर्मला को सम्भवतः चूत में कुछ रिक्तता का आभास हुआ तो उसने आँखें खोलीं और गीता को कुमार के लंड को चूसते पाया.

“चाट ले मेरा पानी, मेरी प्यारी गीता रानी.” उसने कहा, “तेरे लौंडे सच में मस्त चुदाई करते हैं. मेरी इस बूढी चूत को आज अपनी जवानी में लौटा दिए. तू भी चुदवा कर देखना, सारी नसें खोल देंगे मेरे प्यारे नाती. तू बड़ी भाग्यशाली है जो इनके साथ रहेगी.”

गीता ने कुछ न कहा, बस कुमार के लंड को निर्मला की चूत में फिर से धकेल दिया. फिर निर्मला के होंठों से होंठ मिलाये और निर्मला को उसकी चूत के रस का स्वाद दिलाया.

“मैं हूँ भाग्यशाली, पर तू भी कुछ कम नहीं. अपनी बेटी के दामाद से चुद रही है. अब तो तेरा इन दोनों पर और भी अधिक अधिकार बनता है. जब चाहे आकर इन दोनों से चुदवा लिया करना. अपनी नातिन से भी मिल लेना और अपनी चुदाई भी करवा लेना.”

ये सुनकर निर्मला की चूत ने ढेर सारा पानी उगल दिया, जिसने दो दो लौड़े अंदर होने के बाद भी बाहर की राह ढूंढ ही ली. ढह गई पर कुमार और असीम की गति में कोई कम न हुई. वो दोनों मशीनों के समान निर्मला को चोदे जा रहे थे. उनकी शक्ति और गति को देखकर गीता कुछ क्षणों के लिए विचलित हो गई. परन्तु उसे आभास हुआ कि उसकी चूत से बहता हुआ रस उसकी जाँघों को गीला कर रहा था. सम्भवतः उसकी चूत भी इस प्रकार से चुदने के लिए लालायित थी. निर्मला की अब रह रह कर सिसकियाँ या कराहें निकल रही थीं और उसकी चूत से आती छप छप की ध्वनि साक्षी थी कि चूत अति आनन्दित थी.

“भाई, अब मेरा निकलने वाला है.” कुमार ने कहा तो तत्क्षण निर्मला की आँखें खुल गईं.

“मुझे पिला दे बिटवा, अंदर मत छोड़ना नहीं तो मुई गीता सब चट कर जाएगी.” उसने कुमार से कहा और गीता की देखकर अपनी शंका बताई.

“पिला दे इसे ही. जब मुझे चोदोगे तब मैं भी बूँद न दूँगी.” गीता ने कुछ आक्रोश में कहा तो निर्मला को अपनी गलती का आभास हुआ.

“मैं तो इसे छेड़ रही थी. मेरे मुँह में डाल मैं इसे पिलाऊँगी।” उसने कुमार से कहा जो अब अपना लंड बाहर निकाल चुका था. उसे अपनी दोनों नानियों के बीच में सुलह हो जाने से बहुत शांति मिली. निर्मला के मुँह में लंड डालकर कुछ धक्कों में उसने अपना रस उसे पिला दिया. निर्मला के मुँह से लंड निकाला तो निर्मला के होंठों से गीता ने अपने होंठ जोड़ दिए. दोनों सखियों ने अपने नाती का रस मिल बांटकर पिया. असीम की हुँकार ने उनका ध्यान उसकी ओर खींचा.

“जा मेरी चूत में से उसका पानी निकालकर मुझे भी चखा.” निर्मला ने गीता के होंठ चूमकर बोला तो असीम को अपना रस अपनी नानी की चूत में छोड़ने की हरी झंडी मिल गई और उसने निसंकोच उसे अपनी पानी से लबालब कर दिया. इससे पहले कि उसका लंड बाहर निकलता गीता ने उनके जोड़ पर मुँह रखकर सोखना आरम्भ दिया. इतना रस था कि उसका मुँह तुरंत ही भर गया. उसने निर्मला के साथ उसे बाँटा और तब तक असीम ने भी अपना लंड बाहर निकाल लिया. अब गीता के लिए पूरी गली खुली पड़ी थी इसमें से रस को सोख सोख कर निर्मला से तब तक बाँटती रही जब तक कि अंतिम बूँद शेष थी. असीम के लंड को मुँह में लेकर उसे चाटा तो कुमार ने निर्मला से अपना लंड चटवा लिया.

निर्मला, असीम और कुमार अब रुक गए और गीता अगले पड़ाव की ओर चल पड़ी, जहाँ जीवन और निर्मला की चुदाई चल चल रही थी.

“भाईसाहब, अब इसकी गाँड का भी कल्याण कर ही दीजिये, चूत मैं संभालती हूँ.” गीता ने जीवन से कहा तो जीवन ने अपने लंड को निर्मला की चूत से निकाल लिया.

“नीचे लेटिए, मुझे कुछ देर में आगे जाना होगा. मैं ऊपर से ही इसकी चूत चाटूँगी.” गीता ने बताया।

जीवन बिना समय गँवाए लेट गया. गीता ने उसके मोटे लौड़े को देखा और अपने मुँह में लेकर चाटा और फिर चूमा. फिर उसने निर्मला का हाथ पकड़ा और उसे जीवन के तमतमाए लंड पर बैठाया. जीवन के लंड ने निर्मला की गाँड भेदने में कोई संकोच नहीं किया. निर्मला की फूली और गीली चूत अब उभर कर सामने थी. गीता ने उस पर अपना मुँह लगाया और चाटना आरम्भ कर दिया. निर्मला की चूत से इतना पानी छूट रहा था कि गीता से पीना दूभर हो रहा था. फिर जीवन ने नीचे से एक दो बार धीरे धीरे अपना लंड निर्मला की गाँड में अंदर बाहर किया तो निर्मला की चूत ने एक उबाल लिया और इस बार गीता का मुंह भर गया.

गीता को लगा कि अब उसका कार्य यहां सम्पन्न हो गया है तो उसने अपना मुँह पोंछा और निर्मला के होंठ चूमने के बाद अच्छे से गाँड मरवाने का सुख लेने की इच्छा को पूरा करने के लिए कहा. वहीँ उसने जीवन को भी आज्ञा दी कि वो किसी भी प्रकार की कमी न रखे और निर्मला की गाँड को जम कर चोदे. जीवन को ऐसे किसी सुझाव की आवश्यकता नहीं थी और ये सिद्ध करने के लिए उसने निर्मला के मम्मों को अपने हाथ में भींचा और दो तीन ऐसे शक्तिशाली धक्के लगाए की निर्मला की नींव हिल गई और इतने बार गाँड मरवाने के बाद भी उसकी आँखें चौड़ी हो गयीं. गीता ने जीवन की सराहना की और आगे चल दी.

अब उसकी चूत और गाँड भी लौड़े की माँग कर रही थीं. परन्तु उसे ज्ञान था कि अभी उनकी खुजली मिटाने में समय लगेगा. तब तक वो अन्य सबको संतुष्ट देखना चाहती थी. इस बार उसका लक्ष्य शालिनी थी. हर जोड़ी के साथ रुकने के कारण यहाँ भी अब खेल आगे बढ़ चुका था. सुशील ताबड़तोड़ गति से शालिनी की चूत में लंड पेले जा रहा था. शालिनी भी धक्कों का कुछ सीमा तक साथ दे रही थी. परन्तु कहाँ स्व पाँच फुट की हल्की फुलकी शालिनी और कहाँ छह फुट से अधिक का बलिष्ठ बलवान सुशील, कोई तुलना ही नहीं थी. सुशील के तीन धक्कों के उत्तर में शालिनी एक ही बार अपनी गाँड उठाकर उसका साथ दे पा रही थी.

गीता ये देखकर मुस्कुराई. कुछ दिनों जीवन और उन सबसे चुदने के बाद वो ये भी सरलता से कर लेगी. उसे इस बात की प्रसन्नता अवश्य थी कि शालिनी ने उनके सामने खुलने और खुलकर चुदने में अधिक समय नहीं व्यर्थ किया. सम्भवतः वो और जीवन किसी प्रकार की भी कोई बाधा अपने संबंध में नहीं रखना चाहते थे. उसे अब इन दोनों के साथ भी वही करना पड़ा जो जीवन और निर्मला के साथ किया था.

“भाईसाहब, अब इसकी गाँड का भी उद्धार कर दो. मैं चूत संभालती हूँ.”

और फिर उसी प्रकार से सुशील को लिटाकर शालिनी की गाँड में उसके लौड़े का प्रवेश करवाने के बाद शालिनी की चूत पर आक्रमण कर दिया. अपना कार्य पूर्ण करने के बाद उसने जीवन और शालिनी की ओर देखा. जीवन लेटा हुआ निर्मला की गाँड मार रहा था तो शालिनी सुशील को नीचे लिटाकर उससे गाँड मरवा रही थी. उसके चेहरे पर एक संतुष्टि का भाव छा गया. अब उसे पूनम का भी ध्यान रखना था, तो स्वतः वो उस ओर मुड़ गई.

ये अच्छा हुआ कि गीता पूनम की ओर गई. कँवल, जस्सी और बलवन्त जिस प्रकार से उसे एक गुड़िया के समान उछाल उछाल कर चोद रहे थे पूनम कुछ भी प्रतिकार करने की स्थिति में नहीं थी. बलवंत और जस्सी खड़े हुए थे और उनके लौड़े उनके बीच में धँसी हुई पूनम की चूत और गाँड मो मथ रहे थे. वो स्वयं खड़े थे पैंटी जस्सी ने उसके नितम्ब थामे हुए थे तो बलवंत ने उसकी काँखों के बीच में हाथ रखे हुए थे. दोनों एक समंजस्य के साथ उसे लौंडों पर उछाल रहे थे. पूनम की अवस्था देखकर पूनम ने क्रोध से कँवल को देखा को बलवंत को हटाकर उसका स्थान लेने के लिए उत्सुक था.

“ये क्या कर रहे हो तुम सब? ऐसे भी कोई चोदता है क्या? देखो, उसको देखो! कैसी निरीह सी है. क्या तुम सबको कोई दया भाव नहीं है?”

“तू चुप कर!” पूनम ने आँखें खोलकर गीता को डपटा, “मुझे तो बहुत आनंद मिल रहा है. रुको मत आप सब, चोदते रहो!”

गीता आश्चर्य से उसकी ओर देखने लगी. पहले भी ऐसे चुदाई उन सब ने की हुई थी, परन्तु आज उसे क्यों आक्रोश आया वो समझ न पाई. इसका उत्तर भी उसे शीघ्र मिल गया. थोड़ा रुककर कँवल ने बलवंत का स्थान ले लिया तो बलवंत गीता के पास आया.

“तुझे बोला था कि हमारे साथ आ जा. कल से सूखी है, कुछ चुदवा लेती तो मन शांत हो जाता. पर तुझे तो अपने नातियों से ही चुदना था आज पहले. हम सब कितनी बार ऐसी चुदाई कर चुके हैं? तुझे तो स्वयं ऐसे चुदने में असीम आनंद मिलता है. अब मेरे साथ आ, मैं तेरी चूत का रस पीता हूँ, तू मेरे लंड को चूस ले. अब जस्सी और कँवल को पूनम की चुदाई करने देते हैं.”

बलवंत ने क्षण भी में उसकी भावनाओं को समझ कर समाधान भी बता दिया था. उसने अपने पति को देखा और उसके साथ चल पड़ी. से लिटाकर बलवंत उसे साथ ६९ के आसन में आ गया और गीता ने अपने पति के लंड को चूसना आरम्भ किया तो बलवंत ने उसकी चूत को चाटने का कार्य. दोनों पति पत्नी अन्य सबको भूल कर एक दूसरे को प्रसन्न करने में जुट गए.

दोनों एक दूसरे में इतने खोये हुए कि उन्हें इस बात का आभास भी नहीं हुआ कि कमरे में कोई संगीत नहीं बज रहा था. हाँ साँसों की सरगम अवश्य थी, पर उसे सुनने का उनके पास ने समय था न ही कोई इच्छा. मानो दोनों एक दूसरे से पुनर्मिलन कर रहे थे. बबिता अपने नातियों से दोनों लंड अपनी अपनी चूत में लेकर पूर्णतः संतुष्ट थी और उसने उन दोनों के लंड चूसकर उन्हें चमका दिया था. निर्मला की गाँड से जीवन का रस बह रहा था तो शालिनी की गाँड से सुशील का. पूनम थकी हुई जस्सी की गोद में लेटी हुई हल्की नींद में थी तो जस्सी और कंवल उसके सुंदर शांत चेहरे को देखकर संतुष्ट थे.

बलवंत और गीता का प्रेमालाप कुछ समय बाद समाप्त हुआ तो उन्होंने अन्य सभी को देखा. उनकी गतिविधि को देखकर निर्मला ने ताली बजे तो अन्य सभी तालियों से उनके प्रेम की प्रशंसा करने लगे. असीम और कुमार ने आकर उन्हें गले से लगाया और बलवंत और गीता ने उनके माथे चूमे। इसके बाद दोनों भाइयों ने सबके लिए पेग बनाये और सब बैठ कर आगे की योजना बनाने लगे. सभी अपने पति अथवा पत्नियों के साथ बैठे अपने पेग से व्हिस्की पी रहे थे. असीम और कुमार एक ओर बैठे हुए थे.

पर शालिनी के मन में कुछ प्रश्न उमड़ रहे थे.

शालिनी: “क्या आप सब बस दिन रात चुदाई ही करते रहते हैं. जब से मैं आई हूँ तब से तो बस यही देख रही हूँ.”

उसकी बात सुनकर सबकी हंसी छूट गई.

उत्तर पूनम ने दिया जो अब संतुष्टि से व्हिस्की पी रही थी, “नहीं ऐसा नहीं है. सामान्य रूप से तो हम सप्ताह में दो या तीन दिन मिलते हैं. पर जब जीवन भाईसाहब आते हैं तो ऐसा ही होता है. इनको तो चुदाई के सिवाय कोई कार्य ही नहीं है. यही हम सबको चोदने के चक्कर में रहते हैं. इस बार तो हमारे नाती भी आये हैं तो आप सकबे जाने के बाद सप्ताह भर तो शांति ही रहेगी.”

सुशील बोल पड़ा, “अरी ओ क्या बोल रही है, हम सब क्या यूँ ही मुठ मारेंगे?”

“नहीं नहीं, इसका अर्थ है कि हम कुछ दिन सामान्य रूप से रहेंगे.” निर्मला ने बात संभाली.

“तब ठीक है.”

इस बीच असीम और कुमार को देखकर गीता ने बलवंत से कुछ कान में कहा. बलवंत आश्चर्य से उसे देखने लगा. उसने जीवन की ओर एक संकेत किया तो जीवन ने मुस्कुराकर सहमति दे दी.

“अब तीन बजने को हैं, तो आगे क्या करना है?” जीवन ने पूछा.

गीता बोली, “मुझे तो अपने नातियों से चुदना है. और मुझे अपनी चूत में भी दो लंड का अनुभव करना है.”

जीवन: “और? गैंगबैंग किसका होना है?”

सुशील ने कहा: “पर्ची निकालो, नहीं तो ये लड़ मरेंगी.”

ये सुनकर गीता एक पैन ले आई और उसने पर्चियाँ बनाईं। इसमें उसने अपना और शालिनी का नाम नहीं जोड़ा. पूनम, बबिता, निर्मला में से एक को ये अवसर मिलना था. उसने कुमार को बुलाकर एक पर्ची निकालने के लिए कहा. कुमार ने पर्ची निकाली तो गीता ने उसे रात्रिभोज के बाद खोलने के लिए कहा. कुमार ने जाकर वो पर्ची एक ग्लास में रख दी और ग्लास अलमारी के अंदर रख दिया. गीता ने अन्य पर्चियाँ फाड़ दीं. चूँकि गीता और शालिनी गैंगबैंग का नहीं होना था तो केवल उनकी ही चुदाई का निर्णय हुआ. शालिनी के लिए जस्सी का नाम निर्धारित हुआ.

“मेरा एक सुझाव है, अगर मानो तो.” बबिता बोली.

“बताओ.”

“मेरा ये सोचना है कि कँवल भाईसाहब को भी शालिनी की चुदाई का अवसर आज ही मिलना चाहिए. वो गैंगबैंग में बाद में जुड़ सकते हैं, वैसे भी वो लम्बे समय तक चलना है. और, यही अवसर शालिनी को अपने होने वाले पोतों के साथ मिलना चाहिए. इन दोनों पर जीवन भाईसाहब और शालिनी की सहमति चाहिए.”

जीवन और शालिनी एक दूसरे से बात करने लगे.

जीवन: “हमें स्वीकार है. परन्तु मैं कुमार और असीम को अभी से बोल रहा हूँ कि वो थोड़ा संयम से अपनी दादी को चोदे।”

असीम और कुमार ने सहर्ष इसे स्वीकार किया। और एक और पेग बनाकर बाँट दिया. उधर गीता ने बाहर जाकर किसी से फोन पर बात की और लौट आई. उसने बलवंत को देखा और सिर हिलाकर बताया कि काम हो गया है.

अभी तो शाम भी नहीं हुई थी. शाम और रात अभी शेष थी.

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क्रमशः

1515000

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