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कैसे कैसे परिवार - Erotic Family Sex Story

कैसे कैसे परिवार – Update 66 | Erotic Incest Family Story

अध्याय ६६: जीवन के गाँव में शालिनी 3

अध्याय ६५ से आगे

अब तक:

जीवन के गाँव में नए समीकरण बन रहे थे. असीम और कुमार ने पूनम और निर्मला की चूत की एक साथ चुदाई करके नए क्षितिज की ऊँचाई दिखाई.

कँवल और बबिता के पुत्र उदय और सुशील और निर्मला की पुत्री सुरभि से बात की और उनके पुत्र अभि और पुत्री शुभि से लोकेश के रिसोर्ट पर मिलने की योजना बनाई.

एक ही रात्रि में शालिनी की गाँड मारने का सुअवसर पहले बलवंत फिर जीवन को प्राप्त हुआ. शालिनी को अन्य पुरुषों से संसर्ग का आनंद उठाने के लिए अगले दिन की प्रतीक्षा थी. वो भी इस अनाचार के वातावरण में रंग चुकी थी. गीता बबिता सामान्य दुहरी चुदाई का आनंद ले चुकी थीं. अब सब विश्राम के लिए अपने कमरों में लौट गए थे.

अब आगे:

कुमार और असीम अपने कमरे में गए तो कुछ निराश थे. उन्हें आशा थी कि आज रात उन्हें भरपूर चुदाई का अवसर मिलेगा.

असीम: “भाई, चलो सलोनी चाची के घर चलते हैं.”

कुमार: “पगला गए हो क्या? इतना रात उनके पूरे मोहल्ले को शंका हो जाएगी.”

असीम: “वो तो है. पर इस लौड़े को कैसे बैठाएं?”

उनके कपड़े वहीँ क्रीड़ागर में पड़े हुए थे और दोनों नंगे ही अपने कमरे में आ जाये थे.

“सो जाओ. सुबह उठते ही किसी न किसी नानी को दबोच लेंगे.”

कमरे के बाहर बबिता ये सुनकर अंदर जाने से रुक गई. उसने भी इन दोनों को सुबह तड़के ही दबोचने का निर्णय किया और अपने पति के कमरे में चली गई. कंवल ने उसे देखा तो हंसने लगा.

“क्या हुआ? भगा दिया तुझे?”

“भगाएँगे क्यों? वो तो दोनों सलोनी के घर जाने की बात कर रहे थे पर कुमार ने रोक दिया. कह रहा था कि सुबह हममें से किसी एक को दबोच कर चोद देंगे.”

“चल फिर सो जा.”

“हाँ. मुझे तड़के ही उनके कमरे में चुदवाने के लिए जाना होगा, नहीं तो कोई और घुस न जाये.”

“आ जा, अब लेट कर सो ले.”

उधर शालिनी को जीवन अपने कमरे में ले गया और दोनों स्नान करने लगे. शालिनी ग्रामीण परिवेश में भी बाथरूम की नवीनता देखकर प्रभावित हुई. स्नान के बाद जीवन ने दो पेग बनाये और बिस्तर लेटकर दोनों चुस्कियाँ लेते हुए बतियाने लगे.

“मैंने कभी स्वप्न में भी गाँवों में इस प्रकार के संबंधों की कल्पना नहीं की थी. हमारे गाँव में भी ये सुनने में आता था, पर न कभी देखा न किसी ने पुष्टि की. पर आज लगता है वो सत्य ही रहा होगा. पर आप चारों के संबंध सच में अविश्वसनीय हैं. ऐसा प्रतीत ही नहीं होता कि किसी में कोई भी ईर्ष्या हो. सारी महिलाएँ अपने पतियों के सम्मुख आपकी चुदाई की इतनी प्रशंसा करती हैं, पर कोई बुरा नहीं मानता।”

“ये सच है. हम सबमें केवल समाज के लिए ही एक पति और एक पत्नी है. अन्यथा हम सब चार पुरुष और चार ही स्त्रियों का विवाह है. मेरी पत्नी कई बार रात्रि में मेरे किसी अन्य मित्र के घर चली जाती थी. मैं अकेला रहता था या कोई और आ जाता था. ये सबके साथ होता था. इसीलिए कभी हमारे बीच कोई दुर्भावना नहीं आई.” जीवन ने बताया.

“और एक और सच ये भी है कि हममें से किसी को नहीं पता है कि हमारी संतानों के पिता कौन हैं. माता तो स्वाभाविक ही पता चल जाती है.”

शालिनी ने अचरज से जीवन की ओर देखा.

“आपको पता हो न हो, उनकी माताओं को पता होगा. स्त्रियों की छठी इन्द्रिय पुरुषों से अधिक प्रभावी होती है. परन्तु उन्होंने सम्भवतः इसे गुप्त ही रखना उचित समझा होगा.”

“क्या अंतर पड़ता है. हम सबकी चार पत्नियां और चार संतानें हैं. बस यही सत्य है. परन्तु ये अवश्य जानता हूँ कि जिनका विवाह हुआ है वो भाई बहन नहीं है. इस विषय में एक बार बात हुई थी और स्त्रियों ने सही जोड़े बनने पर प्रसन्नता जताई थी.”

पेग समाप्त करने के बाद जीवन ने दूसरा बनाया. न जाने दोनों की नींद कहाँ खो गई थी. बातें करने से मन ही नहीं भर रहा था.

“तुम जानती हो न कल से तुम्हें जस्सी और कँवल भी चोदने वाले हैं. और मेरे पोते तो मानो चोदने के लिए सदा तत्पर रहते हैं. जितना चाहो उतना ही चुदना, कोई दबाव नहीं है.” जीवन ने उसकी आँखों में झाँका, “और जैसे चाहो वैसे चुदना, अपनी किसी इच्छा को दबाना मत. तुम भी विवाह के बाद हम चारों की ही पत्नी बनोगी, समाज में चाहे जो भी दिखे.”

शालिनी ने अपनी सहमति जताई. उसे भी दुहरी चुदाई का आनंद लेना था. असीम और कुमार के युवा लौंड़ों से चुदने की उसकी इच्छा प्रबल थी.

जीवन ने जम्हाई लेते हुए अपनी अंतिम बात कही. “सबने कुछ दिन और रुकने का आग्रह किया है. बबिता, पूनम, गीता और निर्मला चाहती हैं कि एक एक दिन उनका गैंगबैंग किया जाये.”

“गैंगबैंग?” शालिनी ने कौतुहल से पूछा.

“हाँ, इसमें हम सब सात पुरुष एक या दो महिलाओं की मिलकर चुदाई करेंगे. वैसे बबिता की इच्छा तो एक अकेली के गैंगबैंग की ही है.”

“अकेली झेल लेती हैं ये सब आप सब को?”

“अरे बड़ी सरलता से. हाँ असीम और कुमार के जुड़ने से सम्भवतः कुछ अंतर पड़े क्योंकि हम पाँच तो उन्हें उनके सामर्थ्य के ही अनुसार चोदते हैं, पर उन दोनों को नियंत्रित करना कठिन होता है. उनकी नानियों ने वैसे भी उन्हें बहुत बिगाड़ रखा है.”

“हाँ हाँ, जैसे दादा तो सुधारने में लगे रहते हैं.” शालिनी ने मुस्कुराकर जीवन के सीने पर हल्का मुक्का मारा तो दोनों हँस पड़े.

“तो क्या तुम भी गैंगबैंग का आनंद उठाना चाहोगी? अगर हाँ, तो मैं उन्हें सम्भाल कर चोदने के लिए कह दूँगा दो चार बार में तुम स्वयं ही इसमें अपूर्व सुख का अनुभव करने लगोगी. बोलो, गैंगबैंग करोगी? रुकोगी तो नहीं?”

“मैं नहीं रुकूँगी। आप तो नहीं रोकेंगे न?”

“मुझे क्या आपत्ति हो सकती है भला.”

जीवन ने समुदाय के विषय में अभी बात न करना ही उचित समझा. उसे गिरधारी और मधु से बात करने के बाद इस विषय पर निर्णय करना होगा. पेग समाप्त करने के बाद दोनों एक दूसरे से लिपट कर गहरी नींद में सो गए.

************

तड़के सुबह कुमार की नींद खुली तो उसे अपने लंड पर कुछ संवेदन का आभास हुआ. आँख खोल कर देखा तो उसकी नानी बबिता उसके लंड को चूस रही थी.

“अरे लल्ला, उठ गया. मैं तो सोची थी कि तेरा रस पीने के बाद जगाऊँगी” बबिता ने अपने मुँह से लंड निकालते हुए कहा.

“नानी, अभी हटो, मुझे मूतना है, मुझे उठने दो!”

“ठीक है लल्ला, तब तक मैं इसे चूसती हूँ.” बबिता ने साथ लेटे असीम के लंड अपने मुँह में ले लिया.

जब तक कुमार निकलता असीम भी बाथरूम में आ गया.

“नानी को क्या हुआ? क्या समय है?” असीम ने अपने लंड को कमोड की ओर करते हुए पूछा.

“ठरक चढ़ी है. समय पता नहीं, पर बहुत दिनों से किसी ने ऐसे नहीं उठाया.” कुमार हंसकर बोला।

“हाँ, सही है. नानी को निपटाकर फिर सो जाएँगे। वैसे भी यहाँ आये ही इस उद्देश्य से हैं.”

“वैसे भाई, अपनी होने वाली दादी पर भी ध्यान देना. उनको चोदे बिना घर नहीं लौटना है.”

“चिंता न करो, दादा सब संभाल लेंगे. अब चलो.”

वहाँ पलंग पर बबिता नंगी लेटी हुई अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी.

“क्या नानी इतनी देर भी सहन नहीं हुआ?” कुमार ने उसके हाथ हटाकर अपनी ऊँगली चूत में घुसेड़ दी.

“रात भर सोई नहीं तुम दोनों से चुदवाने की कल्पना से. तेरे नाना ने कहा कि तड़के धावा बोल दूँ, नहीं तो कोई और तुम्हें दबोच लेगा. तो आ गई. अब पहले मेरी चूत और गाँड मारो और फिर पूनम और निर्मला जैसे दोनों एक साथ मेरी चूत का भी कल्याण कर दो.”

“हम्म्म, नानी पहले हमारे लौड़े चूस दो, फिर हम तुम्हारी चुदाई करते हैं. पर चीखना चिल्लाना मत, सबको जगाने का अभी समय नहीं हुआ है.”

“अरे लल्ला, मुँह साड़ी से बंद कर लूँगी पर अब चटवाने का समय नहीं है, बस चोद दो. फिर चूस दूँगी तुम्हारे मूसल.”

कुमार ने अपने बड़े भाई असीम की ओर देखा।

“तू गाँड मार नानी की, मैं चूत का आनंद लेता हूँ.” असीम ने बड़े भाई का कर्तव्य निभाते हुए कुमार के मन को पढ़ लिया. “पर उल्टा करते हैं. तू नीचे से गाँड मार और मैं ऊपर से चूत चोदता हूँ.”

कुमार तुरंत ही बबिता के पास लेट गया. अचानक कमरे में गीता ने पेटीकोट और ब्लाउज पहने हुए प्रवेश किया. बबिता को देखकर वो ठिठक गई.

“क्यों री! तुझे नींद नहीं आई क्या जो सुबह सुबह मेरे नातियों से चुदवाने आ धमकी! जागते ही चुदने के लिए आ गई.” गीता ने कृत्रिम क्रोध दिखाया।

“अरे उन दोनों की चुदाई देखकर जागने की क्या बात करूँ, मैं तो सोई ही नहीं. अब दया कर मुझ पर चुदवा लेने दे, फिर तेरे पास भेज दूँगी।”

“अरे यही तो ससुरी समस्या है. जीवन भाईसाहब और तुम्हारे भाईसाहब (गीता के पति बलवंत, गाँव में अधिकतर स्त्रियाँ अपने पति का नाम नहीं लेतीं.) ने मुझे यहाँ इनसे दूर रहने को कहा है. कह रहे थे सुनीति के घर पर अपने मन की कर लेना. ये सो रहे हैं तो मैं चोरी से आ गई. अब जाकर चाय नाश्ते का प्रबंध करती हूँ.” गीता ने उदास मन से कहा.

“सुन, मैं, पूनम और निर्मला उन्हें समझाएँगे कि ऐसा न करें. हो सका तो शालिनी को भी जोड़ लेंगे. तुझे यहीं तेरी इच्छा पूरी करवा देंगे. पर अभी मेरी चुदाई होने दे.”

“नानी, दादी को पटाओ, अभी सारा नियंत्रण वहीँ है दादा का. आप तीनों से अधिक उनकी सुनी जाएगी.” असीम ने हंसकर कहा तो सबने उसका साथ दिया.

“ये सही है. मैं शालिनी से ही प्रार्थना करुँगी.”

“वो मान जाएगी. अब तू चल निकल!” बबिता ने उसे भगाने के लिए कहा.

गीता पलट कर बाहर निकल गई. कुमार लेटा ही था और इस बीच में बबिता भी बैठ चुकी थी. असीम ने बबिता को सहारा देकर कुमार के लौड़े के ऊपर आसन बनाया। कुमार ने अपने तने लंड को हाथ में लिया और असीम ने बबिता की गाँड को कुमार के लंड पर रख दिया.

“बैठ जाओ नानी.” असीम ने कहा तो बबिता धीमे से कुमार के लंड पर बैठती गई और पूरा लंड गाँड में लेकर ही रुकी.

“कल से तरस रही थी तुमसे गाँड मरवाने के लिए. अब जाकर गाँड की जलन कुछ कम हुई.”

“थोड़ा रुको नानी, पूरी जलन सोख लेगा कुमार का लंड और उसे ठंडा करने के लिया पानी भी छोड़ेगा.”

“हाय लल्ला, कितनी मीठी बातें करता है तू.” बबिता कुमार के लंड पर उछलने लगी तो कुमार ने उसके स्तन पकड़ लिए और मसलने लगा.

“नानी को पीछे खीँच ले अब.” असीम ने कुमार को आज्ञा दी तो कुमार ने अपने हाथों के सहारे ही बबिता को अपने ऊपर लिटा लिया. इस आसन में लंड और भी तन कर बबिता को गाँड में घुस गया. बबिता की आँखें पलट गयीं.

“आ जाओ भाई, अब आप भी नानी की चूत का उद्धार कर दो, मेरी तो जाँघें गीली कर दीं इतना पानी छोड़ रही है.”

असीम भी बबिता की चूत से रस की अविरल बहती धार को देख चुका था और अब उसके भी धावा बोलने का अवसर आ चुका था. असीम ने नानी के गले में हाथ दिया जिससे कि उनका चेहरा उठ गया. बबिता नानी की आँखों में झांकते हुए उसने अपने लंड के एक प्रबल धक्के के साथ उनकी गुफा में लगभग आधा लंड डाल दिया. इस आसन में गाँड में उपस्थित लंड के कारण कुछ प्रतिरोध हुआ पर दूसरे धक्के में बबिता की चूत में लंड पूरा समा ही गया. असीम बबिता की फटी आँखों में झाँकते हुए मुस्कुरा दिया.

“नानी, इसकी भी जलन मिटानी है न?”

बबिता की तो साँसे ही ठहरी हुई थीं. वो कुछ समय बाद ही उत्तर दे पाई.

“हाँ मेरे बच्चों, मिटा दो अब आगे पीछे की जलन. जम कर चोदो अपनी नानी को. जैसे अपनी माँ को चोदते हो.”

“नानी. आपकी जलन मिटाने के लिए हमारे दोनों इंजेक्शन उद्द्यत है. बस आप चीख पुकार मत करना. नहीं तो आपको बचाने कोई आ गया तो विघ्न पड़ेगा.”

“न न बिटवा, कोई न आई. सबको पता है कि बीच में नहीं पड़ना है. ऊई माँ, हाँ रे क्या मोटे मोटे लौड़े हैं तुम दोनों के. अपने बाप दादा पर गए हो, अब चोदो भी उनके ही समान.”

कुमार और असीम जो अब तक संयम रखे हुए थे अचानक ही आक्रांता बन गए. एक साथ लंड अंदर बाहर करते हुए उन्होंने बबिता की भीषण चुदाई आरम्भ कर दी. बबिता, असीम और कुमार के दिन का शुभारम्भ हो चुका था. अब बबिता बिना पूर्ण संतुष्टि पाए बिना कमरे से जाने वाली न थी. जहाँ तक दोनों भाइयों की बात थी, तो उन्हें तो संतुष्टि कभी मिलती ही न थी, बस विराम तथा विश्राम ही मिलता था.

************

गीता रसोई में चाय बना रही थी कि उसने शालिनी को आते देखा.

“अरे दीदी, बड़ी सुबह सुबह जाग गयीं, क्या भाईसाहब से ठीक से सेवा नहीं की?”

“नहीं ऐसा नहीं है, हम बातें की करते रहे.” शालिनी ने शर्माकर उत्तर दिया.

“ये अच्छा किया. चुदाई जो जब मन चाहे कर लो, बातें करने के लिए उचित समय और मन चाहिए होता है.”

शालिनी उसकी बात सुनकर स्तब्ध रह गई. एक वाक्य में कितना गूढ़ अर्थ निहित था. आज के समाज में परिवारों के बिखराव का मूल कारण यही था.

“वैसे दीदी, मैं आपसे कुछ माँगना चाहती हूँ, अगर आप सहमत हो.” गीता ने अवसर भाँपते हुए कहा.

“हाँ, हाँ, पर मुझे दीदी मत कहो. नाम से ही पुकारो. जब हम चार पति और चार पत्नियों का परिवार हैं तो मैं दीदी क्यों हो गई?”

गीता समझ गई कि जीवन ने उनकी मित्रता की गहराई के विषय में शालिनी को अवगत करा दिया है.

“शालिनी, मैं इतने दिनों से अपने नातियों की राह देख रही थी. अब वो आये हैं तो उन्हें कहा गया है कि मुझे न चोदे। अब हमारा जाना भी टल गया है.” गीता ने शालिनी की ओर विनती की दृष्टि से देखा, “क्या तुम भाईसाहब से बोलकर इस प्रतिबंध को हटवा सकती हो? हम चारों बहनों को इसमें कोई आपत्ति नहीं है. बस भाईसाहब और मेरे पति ही हठ किये बैठे हैं. मेरे नाती भी उत्सुक हैं. क्या मेरी सहायता करोगी?”

शालिनी ने सिर हिलाया, “मैं इनसे बोलूँगी, पर क्या आपको लगता है कि ये मान जायेंगे?”

“उचित समय और उचित स्थिति में बोलोगी तो मानेंगे. समय और स्थिति का निर्माण करने में हम महिलाओं से अधिक पारंगत कोई नहीं होता.” गीता बोली तो शालिनी हंस पड़ी.

“सच है. समझो आपके नातियों से आपकी चुदाई का कार्यक्रम निर्धारित हो गया. हो सके तो आज ही!”

“शालिनी, तुम भी उनकी युवा शक्ति और क्षमता का आनंद लेने से मत चूकना, भाईसाहब बुरा नहीं मानेंगे.”

“वो मुझे कल रात ही इसकी आज्ञा और अनुमति दोनों दे चुके हैं, और गैंगबैंग की भी. मेरा अर्थ है सही पुरुषों से एक साथ चुदाई.”

गीता मुस्कुराई, “ये बहुत अच्छा है. वैसे हम गाँव वाले अवश्य हैं पर गैंगबैंग अर्थ भली भांति समझते हैं.”

शालिनी बोली, “मुझे तो कल ही रात को पता चला है. लाओ चाय दो, अब आपका उद्देश्य पूरा करने का अभियान आरम्भ करती हूँ.”

“आप सच में बहुत अच्छी हो, हम सब भाग्यशाली हैं जो जीवन को आप मिलीं.”

“मैं भी उतनी ही भाग्यशाली हूँ, गीता. मुझे आप लोगों जैसा परिवार जो मिला है.”

शालिनी ने चाय की ट्रे ली और अपने अभियान पर निकल गई. गीता की चूत से पानी रिसकर रसोई को सुगंधित बनाने लगा. उसी समय पूनम और निर्मला आ गईं और एक गहरी श्वास भरी और खिलखिला उठीं. गीता ने भी उनका साथ दिया और तीनों एक दूसरे से लिपट गयीं.

नाश्ते का समय हो चला था और चारों मित्र बैठे गपशप कर रहे थे. रसोई में गीता के साथ पूनम, निर्मला और शालिनी भी लगी हुई थीं. शालिनी ने मूक संदेश से गीता को अवगत कर दिया कि उसके अनुरोध पर जीवन की सहमति लेने में वो सफल रही थी. गीता की प्रसन्नता की सीमा न थी और इसका प्रभाव नाश्ते पर हुआ जिसका स्वाद अनूठा था. उसके हाथ थिरकते हुए सारी सामग्री को डाल रहे थे. शालिनी के सिवाय किसी को इसका कारण विदित नहीं था.

उधर बबिता अपनी नातियों से अपनी चूत और गाँड मरवाने के पश्चात उनके बीच में लेटी हुई थी. दोनों छेदों से बहते रस को अपनी उँगलियों से समेट कर अपनी जीभ से चाट रही थी. पर तीनों शांत लेटे हुए आज के विषय में ही चिंतन कर रहे थे. इस चढ़ाई में ही कुमार और असीम में इतना अधिक समय लगा दिया कि चूत की दुहरी चुदाई का समय नहीं था. बाहर बैठक से चहलपहल की ध्वनि सुनाई दे रही थी और उनका बुलावा शीघ्र ही आने वाला था.

असीम उठा और एक बार अपनी नानी को देखते हुए बाथरूम में चला गया. कुछ देर में कुमार गया और अंत में दोनों ने बबिता को अपने साथ ले जाकर स्नान कराया.

“तुम दोनों से चुद कर मेरी प्यास तो मिट गई है पर मुझे भी अपनी चूत में दो लौड़े लेने हैं.” बबिता ने पोंछते हुए बोला तो असीम ने कहा कि इसका निर्णय तो बाहर ही होगा क्योंकि वे चाहते तो थे कि इसी समय उसको भी परिणाम कर देते पर समय नहीं मिला.

“पर आप निश्चिन्त रहो, आपको चूत में और फिर गाँड में भी दो दो लौडों से चोदे बिना हम नहीं लौटने वाले.”

“जुग जुग जियो, लल्ला. बस यूँ ही अपनी नानियों की सेवा करते रहो.” बबिता के सिर पर आशीर्वाद का हाथ फेरते हुए कहा.

तीनों ने वस्त्र पहने और बैठक में चले गए, जहाँ से बबिता रसोई में चली गई.

असीम और कुमार जब बैठक में पहुँचे तो कँवल ने आँख मारते हुए पूछा, “अरे तुम दोनों कहाँ रह गए थे? बड़ी देर कर दी. जाओ अपनी चाय ले आओ.”

“नाना जी, आप को पता ही है कि हम कहाँ व्यस्त थे. वैसे इस प्रकार अगर कोई उठाये तो जीवन ही धन्य जाये.” असीम ने उत्तर दिया.

“अब जीवन तो धन्य हो ही गया है.” कँवल ने उनके दादा की ओर देखकर कहा, “अब तुम दोनों भी विवाह कर लो तो ऐसा आनंद हर दिन प्राप्त कर सकते हो.”

“अब इसका तो तय कर ही दिया है, कुमार के विषय में एक दो वर्ष बाद सोचेंगे.”

तभी सारी महिलाएं रसोई से आ गयीं.

“सोचना क्या है, अपनी शुभि भी एक दो वर्ष में विवाह करने की इच्छा जता चुकी है.” निर्मला ने अपनी नातिन के विषय में बोला तो सब चकित रह गए.

“हाँ भाईसाहब, आपने असीम के लिए तो बहू अपने मन से चुन ली है, पर अब कुमार की बहू हमारा चुनाव होगी.” बबिता ने भी अपनी पोती का पक्ष लिया.

जीवन: “मुझे कोई आपत्ति नहीं है, पर कुमार का भी विचार सुनना चाहिए.”

कुमार: “दादाजी, उदय चाचा और सुरभि चाची से मिलने की बात किसने की थी?”

कुछ सोचने के बाद जीवन ने कहा, “तुमने.”

कुमार: “अकेले चाचा चाची से थोड़े ही मिलना था.”

“ओह!” जीवन की आँखें खुली रह गयीं.

गीता, निर्मला और बबिता ने कुमार को जकड़ लिया और उसे चूमने लगीं. उनके इस वात्स्ल्य को देखकर पूनम और शालिनी की आँखें भीग गयीं. वहीँ कंवल और सुशील उठकर बलवंत और जीवन के साथ गले मिलने लगे. घर में उत्सव का वातावरण बन गया.

निर्मला ने आँखें पोंछी और बोली, “मैं सुरभि से बात करके आती हूँ.”

गीता ने उसे पकड़ा, “कहाँ जा रही है, यहीं बता न सबके सामने. और उससे कहना कि शुभि का भी मन टटोल ले.”

निर्मला ने सुरभि को फोन लगाया।

सुरभि: “क्या हुआ अम्मा, सुबह सुबह फोन कर रही हो आज?”

निर्मला: “सुरभि, गुड़िया तुझे गीता का नाती कुमार कैसा लगता है?”

सुरभि: “अच्छा लड़का है. और मोटा लम्बा भी.” सुरभि हंसने लगी.

निर्मला: “वो तो ठीक है, तुझे लगता कैसा है?”

सुरभि: “पहेली न बुझाओ, अम्मा. सीधे बोलो क्या बात है.”

निर्मला: “हम सोच रहे थे कि एक दो वर्ष बाद कुमार और शुभि का विवाह कर दें तो कैसा रहेगा?”

सुरभि की सिसकी सुनाई दी: “अच्छा विचार है अम्मा. आप सब ने मिलकर सोचा है क्या? और कुमार पूछा?”

निर्मला: “यहाँ तो सब सहमत है, कुमार भी. तू भी एक बार शुभि का मन टटोल न?”

सुरभि: “ठीक है अम्मा, मुझे तो लगता है मानी बैठी है. जब देखो दोनों एक दूसरे से फोन पर बतियाते रहते हैं. मुझे तो डर था कहीं भाग न जाएँ. अब चिंता दूर हुई.” सुरभि की हंसी सबको सुनाई दी और उन्होंने कुमार की ओर देखा.

“तो लाटसाहब फोन पर बात करते हैं और हमें मूर्ख बना रहे हैं.” जीवन ने कुमार के कान खींचे तो कुमार शर्मा गया.

“दादा जी, हम दोनों एक दूसरे को प्रेम करते हैं. इतनी दूरी सहन नहीं होती है तो फोन पर ही मन भला लेते हैं. इस बार मैं यही सोचकर आया था कि नाना नानी से कहूँगा कि चाचा चाची से बात करें.”

“अब हो गई बात बेटा”, फोन से सुरभि का स्वर फूटा, “अब सबको ये संबंध स्वीकार है. अब मैं रखती हूँ. अभी मिलते हैं कुछ दिनों में.”

“चलो एक शुभ कार्य और सम्पन्न हुआ.” जीवन ने कहा. शालिनी ने अपना अवसर निकाला।

“एक और शुभ कार्य भी कर ही दीजिये जिसके लिए मैंने आपसे अभी पूछा था.”

जीवन मुस्कुराकर उसकी ओर देखते हुए बोला, “अब तुम्हारी आज्ञा कैसे टालूँ।”

फिर सबको सम्बोधित करते हुए बोला, “ऐसा है कि जो हमने सोचा था कि असीम और कुमार को गीता की चुदाई घर लौटने पर ही करने देंगे, उसमे संशोधन किया है. अब हम इतने दिन और जो रुक रहे हैं तो वो दोनों चाहें तो अपनी प्यारी नानी की चुदाई कर सकते हैं.” ये सुनते ही गीता का शरीर काँपा और वो वही खड़ी हुई लहराने लगी.

“ये ससुरी तो बात सुनकर ही झड़ गई. चुदने के बाद कहीं निपट ही न जाये.” बलवंत बड़बड़ाया.

“शुभ शुभ बोलिये भाई साहब! ऐसा भी कोई बोलता है? इतने दिनों से तरस रही है बेचारी इनके लिए बोलते हैं?”

“अरे मैं तो यूँ ही उपहास कर रहा था. मुझे तो अच्छा लगेगा कि इसकी इच्छा पूरी हो जाये.”

“अब नाश्ता कर लीजिये, फिर आप लोगों को खेतों पर भी जाना है और हम स्त्रियों को भी बहुत काम हैं.”

सब नाश्ता करने में व्यस्त हो गए. नाश्ते के बाद पुरुष अपने खेतों पर चले गए जहाँ उन्होंने अपने मैनेजर से बात की और उसे आवश्यक निर्देश दिए. लौटते हुए दोपहर के भोजन का समय हो चुका था तो सबने प्रेम से भोजन किया। इसके पश्चात आज के कार्यक्रम के विषय में बात चल निकली. गैंगबैंग का समय रात्रि भोज के बाद निर्धारित हुआ. अचानक बबिता का संयम टूट गया.

बबिता: “आप जो मन हो सो कार्यक्रम बनाओ. मुझे मेरे नातियों से चुदाई पूरी करनी है. सो मैं तो चली उनके कमरे में.”

सुशील: “अरे भागवान, उनके कमरे में क्यों जाने लगी, नीचे चलो, हम सब भी आते है वहीं।हम भी तो देखें तेरी चुदाई का दृश्य. और फिर हमें भी तो अपने डंडे ठंडे करना है. शालिनी को भी पूरा सम्मिलित करना है.”

“ऐसा है तो मैं साथ ही चलूँगी।”

अब सुशील ने जीवन से कहा, “जीवन, अब मुझे शालिनी को चोदने की आज्ञा चाहिए.”

जीवन: “इसकी कब से आवश्यकता पड़ गई. वो मेरी ही नहीं हम सबकी पत्नी होगी, हमारी अन्य पत्नियों के समान. शालिनी ने भी इसमें अपनी सहमति दे दी है. तो आगे औपचरिकता को आड़े मत आने देना.”

“जी भाईसाहब, आइये मैं आपके साथ चलती हूँ.” शालिनी ने सुशील का हाथ थामा।

जस्सी और कँवल हाथ मलने लगे. शालिनी उन्हें देखकर मुस्कुराई.

“आप भी मन छोटा न करो. अभी से रात तक बहुत समय है. आप दोनों को भी मैं मना नहीं करुँगी।”

“और दादी हम?” असीम और कुमार ने पूछा.

“हम्म्म, बच्चों को सिर पर नहीं चढ़ाना चाहिए, है न? तुम्हारे लिए मुझे उचित समय देखना होगा. आज तो मैं व्यस्त हूँ.” शालिनी ने इठलाते हुए उत्तर दिया तो सब हंसने लगे जिसमें कुछ पलों में कुमार और असीम भी जुड़ गए.

क्रीड़ागार में सब पहुँचे तो वासना का ज्वर प्रबल होने लगा था. बबिता ने कुमार और असीम के हाथ यूँ पकड़े हुए थे मानो उन्हें कोई छीन ले जायेगा. पर नियति को ये स्वीकार न था. निर्मला के फोन की घंटी ने सबको चौंका दिया.

निर्मला: “बोल सुरभि!” ये कहकर उसने फोन को स्पीकर पर कर दिया.

सुरभि: “अम्मा, मैंने शुभि से पूछा वो तो मानो आज ही ससुराल जाने को आतुर है. वो और कुमार एक दूसरे से प्रेम करते हैं और चाहे वो किसी को भी चोदे पर साथ रहना चाहते हैं. पर वो भी अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ही विवाह करेगी.”

निर्मला: “चल ये अच्छा हुआ. सब की सहमति हो गई. अब रखती हूँ, कुछ काम है.”

सुरभि: “हाँ हाँ, होगा ही जीवन चाचा जो आये हुए हैं.” हंसकर बिना उत्तर सुने सुरभि ने फोन काट दिया।

जीवन: “अब जब सब कुछ तय हो चुका है तो मुझे मेरी होने वाली समधन से मिल लेने दो.” वो बढ़ा और निर्मला को अपनी बाँहों में थाम लिया, “और मेरे पोतों को मेरी दूसरी समधन से मिलने दो.”

बबिता, शालिनी और निर्मला असीम, कुमार, सुशील और जीवन की जोड़ीदार बन चुकी थीं. गीता और पूनम के लिए जस्सी, कंवल और बलवंत उपलब्ध थे. उन्होंने एक ही साथ चुदाई करने का निर्णय लिया और आगे की कार्यवाही आरम्भ की.

अभी दिन भी शेष था और रात भी. 

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क्रमशः

1505500

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