अध्याय ६५: जीवन के गाँव में शालिनी 2
अध्याय ५४ से आगे
अब तक:
जीवन के गाँव में नए समीकरण बन रहे थे. शालिनी उनके परिवारिक समूह में सम्मिलित होने की अपेक्षा में उत्तीर्ण हो चुकी थी. अपनी गाँड को बलवंत को अर्पण करके उसने जीवन के साथ आगे के संबंध के लिए राह सुगम कर दी थी. असीम और कुमार ने पूनम की चूत की एक साथ चुदाई करके उसे नए आकाश की यात्रा कराई थी. अब बबिता और निर्मला ने भी इस प्रकार से चुदने की इच्छा जताई।
असीम और कुमार के कहने पर जीवन ने कँवल और बबिता के पुत्र उदय और सुशील और निर्मला की पुत्री सुरभि से बात की और एक बार सभी मित्रों को सपरिवार मिलने का आमंत्रण दिया. उदय और सुरभि के पुत्र अभि और पुत्री शुभि से मिलने के लिए सब उत्सुक थे, क्योंकि उनसे मिले हुए एक वर्ष से अधिक हो चुका था.
रात्रि का चुदाई समारोह अब आगे बढ़ रहा था.
निर्मला किसी युद्द में जा रही वीरांगना के समान उठी और जहाँ पूनम की धुँआधार गाँड मारी गई थी वहाँ जाकर बैठ गई. कुमार और असीम उसके सामने खड़े हुए और उनके लौड़े उसके मुँह में समा गए. गीता जस्सी और सुशील के लौड़े चूसकर आनंद का आदान प्रदान कर रही थी. वहीँ बबिता ने कँवल और बलवंत के लंड मुँह में ले लिए और चूसने लगी. उधर जीवन शालिनी को लेकर उसी बिस्तर की ओर अग्रसर हुआ जहाँ बलवंत ने शालिनी का स्वागत किया था.
अब आगे:
निर्मला अपने नातियों के लौड़े चूसने लगी. उसे आशा थी कि पूनम की जैसे धुँआधार चुदाई हुई थी कुमार और असीम उसे भी उसी प्रकार से चोद कर नया सुखद अनुभव देंगे. कुमार और असीम के लिए ऐसे सुनहरी अवसर कम ही आते थे जब उन्हें इस प्रकार की दुहरी चुदाई करने के लिए महिलाएं पंक्ति में खड़ी हों. उनकी अपनी नानी गीता को अवश्य इसके लिए उनके घर पहुंचने की प्रतीक्षा करनी होगी. परन्तु पूनम के बाद, अब निर्मला और फिर बबिता नानी भी इसका आनंद लेने के लिए व्यग्र प्रतीत हो रही थीं. उनकी होने वाली दादी इस प्रकार का प्रयोग करने की इच्छुक होंगी इसका उन्हें विश्वास न था. परन्तु उनके दादा ने उनकी भेंट चढ़ाने में अधिक समय व्यर्थ नहीं करना था. निर्मला के अथक परिश्रम से उनके लौड़े अब पत्थर के समान कठोर हो चले थे.
“नानी, अब बस करो नहीं तो मुँह में ही निकल जायेगा. आपका मुँह बहुत प्रतिष्ठित है लौड़े झाड़ने के लिए.” असीम ने निर्मला से कहा तो निर्मला गर्व से फूल गई.
“बातें न बनाओ बिटवा, सब जानते हैं. तुम चोदने के लिए तड़प रहे हो.” निर्मला ने सिर ऊपर उठाकर कहा, “पर हम भी उतने ही आतुर हैं. देखें पूनम को ऐसा कौन सा सुख दिया है कि अब तक मस्त है.”
सबने पूनम को देखा जो आँखें बंद किये लेटी हुई मुस्कुराते हुए अपनी चूत सहला रही थी.
“आप भी उनके जितना ही सुख पाने वाली हो नानी. कोई कमी नहीं रखेंगे तुम्हारी चुदाई में. निश्चिन्त रहो, नहीं तो नाना को क्या मुँह दिखाएँगे?” असीम ने निर्मला को विश्वास दिलाया.
निर्मला भी पूर्णतः आश्वस्त हो गई कि दोनों नाती कोई दया नहीं करेंगे और उसे इस नए सुख पूरा अनुभव कराएंगे.
उधर बबिता ने कंवल और बलवंत के लंड चूसते हुए अचानक अपना सिर ऊपर किया और गीता को कोहनी मारी. गीता उसकी ओर देखने लगी तो बबिता पूछा, “आप कब जा रहे हो सुनीति के घर?”
बलवंत ने शालिनी और जीवन की ओर देखा फिर कहा, “आज से दो दिन बाद. क्या हुआ?”
बबिता बोली, “मैं सोच रही थी कि कुछ और दिन रुक जाते. आपके जाने के बाद बस हम तीन परिवार ही बचेंगे.”
गीता ने उसका हाथ पकड़ा तो बबिता बोली, “सच कहूँ तो मेरी इच्छा है कि जाने से पहले आप सारे पुरुष एक एक रात हममें से एक एक की सामूहिक चुदाई करो.”
ये सुनकर गीता की चूत और गाँड में कीड़े रेंगने लगे. उसने बलवंत की ओर देखा. बलवंत मुस्कुरा दिया.
“ये तो ठीक है, पर बाकी चारों क्या करोगी?”
“वो सोचेंगे, सहायता करेंगे. और एक दूसरे का मन बहलाएँगे। आपके लौड़े तने रखेंगे. आप बताओ क्या ये सम्भव है?”
“ठीक है, जीवन मान जायेगा, पर उसकी भावी पत्नी का पता नहीं.”
“उसे हम मना लेंगे.”
“तो ठीक है, पक्का. कल से हर रात तुममें से एक की सामूहिक चुदाई होगी और दिन में दूसरी.”
सब प्रसन्न हो गए और फिर से बबिता और गीता लंड चूसने में व्यस्त हो गईं.
जीवन शालिनी को चूम रहा था.
“बलवंत ने कोई कष्ट तो नहीं दिया न तुम्हारी चुदाई में?”
“नहीं, मुझे आनंद ही आया. और जो थोड़ा कष्ट हुआ तो आपके समूह में जुड़ने के भाव से अनुभव ही नहीं हुआ. अब अपनी गाँड आपको समर्पित करने के लिए लालायित हूँ.” शालिनी ने उत्तर दिया तो जीवन ने उसके नितम्ब अपनी हथेलियों से दबा दिए.
“उई !” शालिनी के मुँह से निकला तो पूनम की तंद्रा टूटी.
“भाईसाहब! थोड़ा प्रेम से करो. कहीं भागी नहीं जा रही हैं.!” उसने हँसते हुए कहा.
फिर शालिनी से बोली, “ये इन सब पुरुषों के अनुपात में अधिक निर्दयी है, गाँड मारने में तो जैसे पागल हो जाता है. पर सच में इससे गाँड मरवाने में सुख भी बहुत मिलता है.”
जीवन बोला, “क्यों डरा रही है? अभी देखना कल मेरे पोते जब तेरी गाँड की बखिया उधेड़ेंगे तो तू मुझे दयालु समझेगी.”
“मरवा चुकी उनसे गाँड दिन में. पर तेरे जैसे जानवर नहीं हैं मेरे नाती!”
“कल जब दो दो लौड़े गाँड में पेलेंगे न तब बोलना. अब बस कर!”
जीवन ने शालिनी के होंठों से आरम्भ करते हुए नीचे चूमते हुए आना आरम्भ किया तो शालिनी खड़ी हुई सिहर उठी. चूत को चूमने के बाद उसने शालिनी को पलटा और उसकी गाँड को चूमते हुए ऊपर की ओर आने लगा. शालिनी के पाँव काँपने लगे. जीवन ने उसे धीमे से पलंग पर घोड़ी बना दिया और पूनम को संकेत दिया जिसने तुरंत उठकर तेल की कटोरी उठा लाई.
“आप अपने लौड़ा चुसवाओ, इनकी गाँड मैं संभालती हूँ.” पूनम ने जीवन को कहा तो वो हट गया और शालिनी के सामने जाकर अपना लंड लेकर खड़ा हो गया. शालिनी ने उसे प्रेम से चाटना आरम्भ किया।
पूनम ने शालिनी की गाँड को चूमा फिर चाटा और अपनी जीभ से कुरेदा. फिर अपनी ऊँगली में घी लगाकर उसे शालिनी की गाँड में डाल दिया. बलवंत से चुदी गाँड सरलता से खुल गई. पूनम ने प्रेमपूर्वक शालिनी की गाँड को घी से चिकना कर दिया. फिर जीवन को बुलाया और उसके लौड़े पर भी घी लगाकर उसे चिकना कर दिया.
“देखो देखो देखो! अब भाईसाहब अपन दुल्हनिया की गाँड की आहुति लेने जा हैं.” उसने घोषणा की तो अन्य सब उस ओर ही देखने लगे. उन्हें कुछ पलों के लिए अपने सुख में विराम लगाने में कोई समस्या नहीं थी.
पूनम ने जीवन के मोटे लम्बे लौड़े को शालिनी की चिकनाई युक्त गाँड पर रखा तो सभी दर्शक निकट आ गए. शालिनी को कुछ लज्जा आई कि सब उसकी गाँड मरवाने के साक्षी बनने जा रहे थे. जीवन ने पूनम को संकेत किया तो पूनम शालिनी के सामने जा बैठी और पैर फैला लिए. शालिनी के सामने उसकी दो लौंड़ों से चुद कर लाल हुई पड़ी चूत सामने थी. अदिति और अनन्या की चूत तो उसने चाटी हुई थी, पर आज एक नई चूत उसके सामने परोसी गई थी. शालिनी ने अपनी जीभ बढ़ाकर उसपर घुमाई ही थी कि उसे अपनी गाँड में अपने भावी पति जीवन के मूसल लौड़े का प्रवेश होने का आभास हुआ.
पूनम ने आगे खिसकते हुए शालिनी का मुँह अपनी चूत पर धीरे से दबा दिया. पूनम ने सोचा था कि जीवन शालिनी की गाँड भी उसी प्रकार से मारेगा जैसा उसका स्वभाव है, इसीलिए उसने शालिनी की चीख दबाने के लिए ऐसा किया था. पर जीवन ने ऐसा कुछ न किया, वो शालिनी की गाँड की परतें खोलने से पूर्व उसकी गाँड को नहीं फाड़ना चाहता था. पूनम को कुछ निराशा हुई, उसने शालिनी के सिर पर से अपना हाथ हटा लिया. शालिनी अपनी गाँड में आगे बढ़ते लौड़े को अनुभव करते हुए झड़ने लगी.
धीमी गति से आगे बढ़ते हुए जीवन ने अंततः अपना पूरा लंड शालिनी की गाँड में डाल ही दिया. शालिनी श्वास रोके इस पल की ही प्रतीक्षा कर रह थी. उसने अपना सिर पीछे किया.
“जैसे आप मेरी इन बहनों की गाँड मारते हैं, वैसी ही मेरी भी मारना। मैं नहीं चाहती कि ये मुझे सौतन समझने लगें.”
शालिनी की बार सुनकर महिलाओं की आँखें भर आयीं और पुरुषों को उस पर गर्व हुआ. जीवन के गाँड मारने की शैली देखने के बाद अगर वो इस प्रकार से बोल रही थी तो उसके साहस की प्रशंसा करनी तो बनती थी. जीवन ने उसकी गाँड पर अपना खुरदुरा हाथ घुमाया.
“ठीक है, अगर यही चाहती हो तो. अब मैं तुम्हें मना तो कर भी नहीं सकता.” जीवन ने द्विअर्थी संवाद से शालिनी का डर कम किया तो उसकी गाँड स्वतः कुछ ढीली पड़ गई.
पूनम ने शालिनी के मुँह पर फिर अपनी चूत लगा दी. और अन्य सभी अपने पूर्व जोड़ियों में यथास्थान चले गए. लौड़े अब और तमतमा चुके थे पर उन्हें कुछ गीला करना आवश्यक था. निर्मला ने असीम और कुमार के लौड़े चाटे तो गीता ने जस्सी और सुशील के लौड़े और बबिता ने कँवल और बलवंत के लंड मुँह में ले लिए.
कुमार नीचे लेट कर अपने लंड को पकड़े हुए था. निर्मला ने उसका हाथ हटाया और उसके दोनों ओर पैरों को करते हुए उसके तने लंड को अपनी चूत में उतार लिया. उसकी पीठ कुमार सिर की ओर थी और लंड को चूत लेकर पीछे झुकी तो कुमार ने उसे सहारा दिया. इस कारण उसके दोनों हाथ मुक्त थे. उसने अपने भग्नाशे को रगड़ते हुए असीम की ओर देखा.
“पेल दो बिटवा अब अपना लौड़ा भी पेल दो मेरी चूत में. देखूँ क्या सुख दिया है तुमने पूनम को.”
असीम कब मना करने वाला था.
“नानी, एक बार में पेल दूँ या धीरे धीरे!”
“अब तुम दोनों समझो ये. जैसा ठीक लगे सो करो. वैसे मेरी चूत कुमार के लौड़े से भी भरी हुई अनुभव हो रही है.”
असीम समझ गया कि संयम से चोदने में ही भलाई है. कहीं चोट लग गई तो उनके नाना उनके लौड़े लगा देंगे. उसने कुमार की जाँघ को थपथपाया तो कुमार ने अपना लंड बाहर खींच लिया. असीम ने अपने भाई के लंड से समकक्ष अपने लंड को रखा और दोनों भाइयों के तालमेल से बनी लय के साथ निर्मला की चूत में दोनों लंड एक साथ धकेलने लगे. कई पलों के पश्चात दोनों के लंड निर्मला की वयोवृद्ध चूत में पूरे प्रविष्ट हो गए. इसके बाद दोनों भाई रुक गए और असीम निर्मला के चेहरे को देखने लगा जहाँ उसे एक संतुष्टि का भाव दिखाई पड़ा.
निर्मला ने आँखें खोलीं, “सच में चले गए तुम दोनों के लंड मेरे भीतर. कितना भरा भरा लग रहा है, बता नहीं सकती. ऐसा लग रहा है मानो मेरी चालीस वर्ष पहले वाली तंग चूत हो. अब करो जो करना है. मेरी तो चूत इतना पानी छोड़ रही है कि एक तालाब बन जाये.”
ये सच था, निर्मला की चूत से झरते पानी के ही कारण इतने मोटे मोटे दो दो लौड़े इतनी सरलता से उसकी चूत में जा सके थे. असीम और कुमार दुविधा में थे. जहाँ निर्मला नानी उन्हें बड़ी सरलता से आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रही थीं, वहीँ उन्हें अपने नानाओं का भय भी था. कहीं ऐसा न हो कि वो अपने ढँग से नानी को चोद दें फिर लेने के देने पड़ जाएँ. इसका समाधान उनके नाना और निर्मला नानी के सुशील ने दिया.
उन्होंने दूर से ही नातियों से कहा कि वे अपनी नानी का कहा मानें और जैसी भीषण चुदाई का आनंद उन्होंने पूनम को दिया था उससे लेशमात्र कम भी उनकी पत्नी को न दें.
“बुढ़िया को चलने योग्य मत छोड़ना.” उनके इन शब्दों ने निर्मला भविष्य निर्धारित दिया.
“अब सुन लिया बिटवा अपने बूढ़े नाना की आज्ञा को. अब ठूँठ के समान लौड़े डालकर मत पड़े रहो मेरी चूत में. कुछ हिलो डुलो और चोदो अपनी नानी को.” निर्मला ने भी आज्ञा दी.
असीम और कुमार के मन में अगर कोई संशय था तो वो दूर हो गया. उनकी आँखें मिलीं और दोनों ने निर्मला को अपने पूरा उपचार देने का निर्णय लिया. धीमी गति से दोनों ने अपने लंड अंदर बाहर करने आरम्भ किया और कुछ ही देर में पूरी गति के साथ निर्मला की भीषण चुदाई में जुट गए. निर्मला को एक नए आनंद का बोध हुआ और उसकी सिसकारियों ने चीखों का रूप लेने में अधिक देर न लगाई. कुछ पलों के लिए अन्य जोड़ों ने उनकी ओर देखा फिर सब अपने कर्मकांड में व्यस्त हो गए. निर्मला की चुदाई की वीभत्सता पूनम से अधिक थी. पूनम को बहुत प्रेम से दोनों ने दो लौंड़ों का आनंद दिया था. पर अपने नाना नानी के आशीर्वाद पाकर उन्हें निर्मला को अपने ढंग से चोदने में कोई संकोच न था.
जहाँ एक ओर निर्मला को चूत दो दो लौड़े खाकर पानी छोड़ रही थी, वहीँ जीवन के लंड ने मंथर गति से शालिनी की गाँड में अपने लंड को पूर्ण रूप से स्थापित कर दिया था. पूनम की चूत पर अब शालिनी की जीभ स्वतः ही नर्तन थी और पूनम के रस का भोग कर रही थी. पूनम में जीवन की ओर देखा और संकेत में पूछा कि अब तक वो इतना संयम क्यों रखे हुए है? जीवन ने शालिनी की गाँड को आक्रमक चुदाई के लिए उपयुक्त बना लिया था. उसने इसका बोध पूनम को कराया तो पूनम मुस्कुरा दी. अब शालिनी को पता चलेगा कि उसका भावी पति किस भयावहता और निर्ममता से गाँड का संहार करता है.
परन्तु उसके पहले पूनम शालिनी के सामने से उठी और शालिनी की गाँड के पास जा खड़ी हुई. जीवन अपनी शैली को भलीभाँति समझता था, इतने वर्षों का साथ जो था. उसने अपना लंड धीमे से बाहर निकाला तो पिघला हुआ घी शालिनी की गाँड से बह निकला. पूनम ने शालिनी की गाँड में जीभ डाली और घुमा दी. अब शालिनी की गाँड पूरी खुली हुई थी. उसके बाद उसे जीवन के लंड को चाटने में भी कोई संकोच न हुआ और फिर से उसने जीवन के लौड़े को शालिनी की गाँड पर रख दिया.
“अब जब दुल्हनिया जम के गाँड मारने को बोल रही है तो झिझक क्यों रहे हो. फाड़ दो इसे भी जैसे हमारी फाड़ते हो. हम पर तो कभी अपने दया नहीं दिखाई. जब तक दीदी थीं उनकी भी आपने भयंकर ढंग से ही गाँड मारी थी. अब क्यों ढीले पड़ रहे हो?”
“सच कहती हो. अब हटो मैं अपनी दुल्हन की कैसे गाँड मारता हूँ ये देखो.” जीवन ने दो शक्तिशाली धक्कों में अपना पूरा लम्बा मोटा मूसल शालिनी की गाँड में पेल दिया.
शालिनी इस अकस्मात आक्रमण से ढल गई और उसकी चीख कमरे में गूँज उठी. कमरे में उपस्थित सर्वजन इस चीख को सुनकर प्रसन्न हो गए. उनका जीवन अब भी पहले वाला जीवन ही था. और शालिनी की चीखें निरंतर कमरे में गूँजती रहीं। जीवन अपने पूर्व रूप में किसी दैत्य की गति और शक्ति से शालिनी की गाँड मार रहा था. पूनम ने अपना कार्य सम्पन्न हुआ जानकर निर्मला की ओर जाने का निर्णय लिया.
पूनम ने असीम और कुमार को निर्मला की चूत को एक साथ चोदते देखा तो उसे अपनी कुछ देर पहले हुई चुदाई ध्यान में आई और उसने एक सुझाव दिया.
“बच्चों, ऐसी चुदाई इस आसन में न करके तुम्हें इसके लिए सोफे का उपयोग करना चाहिए. उससे तुम्हें निर्मला को सँभालने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और उसे और भी गहराई से चोद सकोगे.”
“वाह नानी, क्या सुझाव दिया है. अपने समय क्यों नहीं सोचा?” असीम ने अपना लौड़ा निर्मला की चूत से बाहर निकालते हुए पूछा.
“बिटवा, तब चुदने में इतनी खोई थी कि और कुछ ध्यान में ही न था. अभी निर्मला की चुदाई देखी तो समझा कि मेरी चुदाई में क्या कमी रह गई थी.” पूनम ने बताया.
अब तक निर्मला भी कुमार के लंड को छोड़कर उठ गई थी.
“तेरी चुदाई हो और कमी न रहे ऐसा तो आज तक हुआ नहीं है. तेरी जैसी चुड़क्कड़ तो सदियों में एक ही जन्म लेती है.” निर्मला हँसते हुए बोली.
पूनम कौन कम थी, “हाँ, ये तो है, पर इस सदी में हम चारों एक साथ ही आ गई हैं.”
असीम अब सोफे पर जा बैठा था और निर्मला उसकी ओर बढ़ी कि पूनम ने उसे रोका. फिर लपक कर असीम के लंड को मुँह में लिया और चाट लिया.
“दीदी, तुम्हारा स्वाद बहुत निराला है. रुक नहीं पाई.”
“कोई बात नहीं कुमार के लौड़े पर भी वही रस है, जा उसे भी चाट ले.” निर्मला ने प्रेम से कहा तो पूनम ने इस अवसर का लाभ उठाया. निर्मला फिर से पीठ के बल असीम के लौड़े पर जा बैठी और सोफे के हत्थों का सहारा ले लिया. उसे पूनम के सुझाव का लाभ समझ आ गया. अपना लंड चटवाकर कुमार सामने आया और फिर से निर्मला की चूत में लंड पेल दिया.
“भाई पूनम नानी का आइडिया बहुत उत्तम है. अब हमें इसी आसन में चुदाई करेंगे.” कुमार ने कहा.
“सही बात है. अब मैं नानी के मम्मों से भी खेल सकता हूँ.” असीम ने निर्मला के मम्मों को हाथों में लेकर मसलते हुए बोला।
“और मैं उनकी चुम्मी ले सकता हूँ.” कुमार ने निर्मला के होंठों को अपने होंठों से जोड़ दिया.
दोनों भाई उसे पूरी शक्ति से उसे चोदने लगे और निर्मला अब आनंद की अनंत ऊँचाई की ओर अग्रसर होने लगी.
जीवन अपनी प्रेयसी की गाँड उसी प्रकार से मार रहा था जिसके लिए वो विख्यात था. उसके मोटे और लम्बे लौड़े ने शालिनी की गाँड में हाहाकार मचाया हुआ था. शालिनी की चीखें अब कुछ दब चुकी थीं. उनका स्थान अब कुछ घुटी हुई सिसकारियों ने ले लिया था.
बबिता अब बलवंत के लंड के ऊपर बैठकर उसे अपनी चूत में समा चुकी थी. कंवल अब पीछे आया और उसकी गाँड पर रखा और घिसने लगा.
“ क्यों सता रहे हो. कितनी देर से तड़प रही हूँ चुदने के लिए. अब पेल दो मेरी गाँड में अपना लौड़ा. अब और मत रुको.”
कँवल तो मानो इसी की प्रतीक्षा में था, उसने बबिता की गाँड पेला तो बबिता जाकर बलवंत के सीने पर गिर गई. बलवंत ने अपनी बाँहें उसकी पीठ पर बाँध लीं जिससे कि अब कँवल और वो उसे जम कर चोद पाएं. बबिता अब सम्भल ही न सकी थी कि उसकी चूत और गाँड में दोनों मित्रों के लंड भीषण उत्पात मचाने लगे.
गीता जस्सी के लंड पर उसकी ओर पीठ करते बैठी और जस्सी का लंड उसकी गाँड में समा गया. सामने उसकी चूत खुली हुई थी और सुशील ने बिना समय गँवाये उसे अपने लंड से भर दिया. दोनों मित्र अब गीता की चुदाई में व्यस्त हो गए. कमरे में चुदाई का मादक संगीत सुनाई पड़ रहा था. पूनम घूम घूम कर सबके कुकृत्य का अवलोकन कर रही थी. बीच बीच में वो किसी लंड को तो किसी की चूत या गाँड को चाट लेती. उसे इस बात का कोई दुःख न था कि वो इस चुदाई के समारोह में सम्मिलित न थी.
बबिता और गीता की चुदाई भिन्न आसनों में हुई. बबिता की गाँड में कभी कँवल का लौड़ा होता तो कभी बलवंत का, दूसरा लंड उसकी चूत में होता. यही स्थिति गीता की भी थी. उधर शालिनी अब अपनी गाँड में जीवन के लौड़े से धन्य होकर चादर गीली चुकी थी. निर्मला की चुदाई में दोनों भाई स्थान परिवर्तित करते हुए कर रहे थे. सब अब अपने अंतिम पड़ाव पर थे. और कुछ ही पलों में सब झड़कर शांत होने लगे. मुरझाये लौंड़ों ने अपने लंड बाहर निकाले और थककर बैठ गए. पूनम ने इस स्थिति को भाँप कर सबके लिए पेग बनाये हुए थे.
पसीने से लथपथ व्यभिचारियों ने एक पेग तो यूँ ही पी लिया. कुछ शक्ति का सँचार होने पर सब अपने लिए नए पेग बना लाये. स्त्रियाँ शांति से अपने पेग पीती रहीं और एक दूसरे को निहारती रहीं. पुरुष बस शांत बैठे रहे.
फिर पूनम ने चुप्पी तोड़ी.
“तो शालिनी दीदी का स्वागत हो चुका है. अब उन्हें भी इस सबमे सम्मिलित होना है या नहीं इसका निर्णय जीवन भाईसाहब और उन्हें करना है.”
जीवन ने शालिनी की ओर देखा तो उसने सिर हिलाकर सहमति दे दी. सबके मन प्रफुल्लित हो गए. असीम और कुमार अपने दादा को आशा से देखने लगे.
“तुम अभी पीछे हो. मेरे मित्रों का मेरी पत्नी पर पहला अधिकार है.”
“जी दादा जी.” दोनों ने एक स्वर में कहा.
“वैसे अब रात बहुत हो रही है. हमें सोना चाहिए.” गीता बोली.
“हाँ, बस एक पेग और मार लें, फिर चलते हैं.” जस्सी ने कहा.
रात अब ढल चुकी थी और कल के लिए सभी नए सूर्योदय के लिए सोने चले गए.
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क्रमशः
1496300