अध्याय ६१: दिंची क्लब के नए पंछी – २
सबीना:
पार्थ ने फिर दो पेग बनाये और सबीना को उसका पेग दिया. सबीना ने एक चुस्की ली ही थी कि पार्थ ने उसे आँख मारी.
“क्या हुआ?” सबीना ने पूछा.
“सचिन बता रहा था आपके पेग के विषय में.” पार्थ ने कहा.
“इस सचिन मादरचोद को तो मैं अच्छे से कुटूंगी जब मिलेगा.” सबीना हँसते हुए बोली.
फिर उसका चेहरा गंभीर हो गया. वो कुछ समय तक अपने ग्लास को देखती रही फिर एक घूँट में उसे समाप्त किया और पार्थ को ग्लास दे दिया.
“अब देखूँ तुम्हारे पानी के साथ कैसा स्वाद आता है.”
पार्थ ने कहा,”पहले टूंटी से असली स्वाद तो ले लो, नहीं तो समझ भी नहीं पड़ेगा.”
सबीना समझ गई कि पार्थ का संकेत किस ओर था. उसने कहा कि पेग तो बनाओ. पेग लेकर पार्थ आया तो सबीना खड़ी हुई थी और बाथरूम की ओर गाँड मटकाते हुए चल दी. पार्थ उसके पीछे गया और सबीना वहाँ जाकर नीचे बैठ गई और ग्लास अपने सामने रख लिया.
“अब चखाओ.” सबीना ने कहकर मुँह खोल दिया. उसके सुंदर दाँत चमक रहे थे.
पार्थ ने अपने लंड को पकड़ा और सबीना के खुले मुँह के सामने कर दिया. उसके लंड से धार निकली और सबीना के मुँह में समा गई. जब सबीना घूँट भरती तो मूत्र नीचे गिर जाता. पार्थ ने अपनी धार रोकी और सबीना से कहा कि ग्लास भरने वाला है, सबीना ने ग्लास हटाया और इस बार मुँह नहीं खोला बल्कि आँखें बंद करते हुए चेहरा ऊपर कर लिया. पार्थ ने उसके चेहरे पर अपनी धार छोड़ी और फिर नीचे को ओर ले गया. जब पार्थ ने मूतना बंद किया तब तक सबीना भीग चुकी थी. सबीना ने ग्लास उठाया और वहीँ बैठे हुए उसकी चुस्कियाँ लेती रही.
“स्वादिष्ट है. मुझे इसकी लत लगने का डर है. पर सच में इसमें अभूतपूर्व आनंद मिलता है.” सबीना ने अपना पेग समाप्त किया और फिर उठी और स्नान करने के लिए बढ़ गई. पार्थ लौटकर सोफे पर बैठ गया. उसे अब सबीना की क्लब में प्रविष्टि में कोई बाधा नहीं दिख रही थी. उसने आवेदन पर “Pass” लिखा और एक ओर रख दिया. सबीना की गाँड मारे बिना उसे दिखाने का कोई अर्थ न था. सबीना उसी समय कमरे में आई और इस बार अपना पेग बनाया और पार्थ के साथ बैठ गई.
“तुम मेरे इस व्यसन के बारे में क्या सोचते हो?” सबीना के स्वर में झिझक थी.
“सबकी अपनी रूचि है. मैं ये निर्णय नहीं लेता. क्लब का उद्देश्य आपकी इच्छाओं की पूर्ति है, आपके बारे में राय बनाना नहीं.” पार्थ ने उससे कहा, “मैं एक ऐसी महिला को जानता हूँ जिन्हें गाँड में से वीर्य सोखने और खाने में सुख मिलता है. पर मुझे कोई आपत्ति नहीं है.” पार्थ ने अपनी माँ के विषय में उनका नाम बताये बिना कहा तो सबीना आश्वस्त हो गई.
“कुछ और महिलाएं हैं जो हमसे केवल गाँड ही मरवाती हैं. आज तक उनकी चूत में उनके पति के अतिरिक्त दूसरा लंड नहीं गया.”
“तो फिर उनका इंटरव्यू कैसे हुआ?”
“वो हमारे क्लब की प्राथमिक सदस्याएं थीं. तब तक नियम भी पूरे बने नहीं थे. इसीलिए. पर हमने कभी उन्हें नए नियम मानने के लिए भी बाध्य नहीं किया. फिर दो ऐसी सदस्याएँ भी हैं जो यहाँ केवल पार्टी के लिए आती हैं अन्यथा हमारे रोमियो ही एक हमारी शाखा में जाकर उनकी सेवा करते हैं. और उनके पति उनकी चुदाई देखने में आनंद लेते हैं.”
“ओह! आपकी होम सर्विस भी है?”
“हाँ. पर विशेष परिस्थितियों में ही.”
सबीना के ध्यान में उसकी ननद फातिमा आ गई, जिसका गाँडू पति भी अपनी पत्नी को अपने बेटों से चुदते देखकर मुठ मारता था या स्वयं गाँड मरवाने चला जाता था. पर उसने इसके विषय में सचिन से बात करने का निर्णय लिया. पर सम्भव है इस सुझाव से उसके अपनी ननद से संबंध सुधर जाएँ और उसका जीवन.
क्योंकि दूसरे सत्र का समय निकट था और सबीना की गाँड अब तक बजी नहीं थी तो पार्थ ने सबीना से कहा कि अब आइये, आगे का खेल खेलें. ये सुनकर सबीना की गाँड में फुलझड़ी छूट गई और वो खड़ी हुई.
सबीना: “क्या मेरी गाँड भी इतनी ही निर्ममता से मारोगे क्या?”
उसके स्वर में जो भाव था वो यही दर्शा रहा था कि पार्थ उसकी गाँड का भर्ता बना दे. कल पूरे दिन सबीना की गाँड में ऊँगली तक नहीं गई थी. अब वो चाहती थी कि आज इसका उपचार किया जाये.
पार्थ मुस्कुराया, “आप क्या चाहती हैं. मैं तो जैसे चाहता हूँ वैसे ही मारने वाला हूँ. क्या आपकी डर के मारे गाँड फट रही है?”
“गाँड फ़टे तेरी माँ की. मैं तो तेरे जैसे लौड़े गाँड में लेकर थूक देती हूँ.”
सबीना का ये उद्देश्य था कि पार्थ अपनी माँ का नाम सुनकर सचिन के समान दानवी रूप में आ जायेगा और उसकी गाँड के सारे तार खोल देगा. वो इसमें सफल भी हो गई, पार्थ के चेहरे के भाव देखकर वो समझ गई कि तीर ने लक्ष्य को भेद दिया था. पर पार्थ इतने बड़े क्लब का स्वामी यूँ न था. उसके चेहरे पर क्रोध बस पल भर के लिए दिखा. पर उसने मन में ठान लिया की सबीना इस कथन के लिए उससे क्षमा याचना करेगी, पर वो उसे क्षमा नहीं करेगा.
“वो देख लेंगे मैडम. आइये, अब चलिए.” उसने शांत स्वर में कहा पर सबीना की आत्मा कांप गई.
पार्थ के स्वर में जो भाव था उसे देखकर उसे अपने कथन पर खेद होने लगा. पर अब तीर निकल चुका था और इसका मूल्य उसकी गाँड चुकाने वाली थी. पहले पार्थ सामान्य रूप से सबीना की गाँड पलंग पर ही मारने का इच्छुक था. पर अब उसने अन्य ही मन्तव्य बना लिया. वो सबीना की ओर देखकर धूर्तता से मुस्कुराया.
“हम एक नए ढँग से गाँड मारेंगे. अब बिस्तर पर आधी ऊपर होंगी और आधी घुटनों के बल नीचे. चिंता न करें आपके घुटनों के नीचे तकिया लगा दूँगा नहीं तो आपको कष्ट होगा।”
सबीना समझ गई कि पार्थ खड़े होकर उसकी गाँड मारेगा और इस आसन में वो अधिक बल प्रयोग कर सकेगा. अब उसकी गाँड में खुजली ने जलन को स्थान दे दिया. सबीना को विश्वास था कि वो इस चुदाई के बाद चलने योग्य नहीं बचेगी. पर अब ओखली में सिर दे ही दिया था और मूसल विनाश के लिए मुँह फनफनाये उसके सामने खड़ा था. सच में इस समय पार्थ का लौड़ा बहुत भयावह लग रहा था.
उस पर उसकी कुटिल मुस्कान उसे खलनायक बना रही थी. पार्थ ने सबीना के लिए नीचे तकिया लगाया और उसका हाथ पकड़ कर उस पर झुका दिया. सबीना को ऐसा लग रहा था कि कसाई बकरी को काटने के लिए ले जा रहा हो. उसके पैर काँपने लगे थे. उसे अपनी जीभ पर क्रोध आया जिसने व्यर्थ में ही पार्थ को छेड़कर अपनी दुर्दशा को आमंत्रण दिया था.
एक तकिये से काम न होने के कारण एक और तकिया लगाया और अब सबीना की गाँड पलंग के कोने पर थी. सबीना ने चेहरा ऊपर रखने के लिए हाथों का सहारा लिया तो पार्थ ने उन्हें हटाकर एक ओर कर दिए और एक अन्य तकिया उसके सिर के नीचे लगा दिया. जब सबीना उचित स्थिति में स्थापित हो गई तो पार्थ ने दृश्य का अवलोकन किया. बहुत सुंदर दृश्य था. सबीना ने कल जो ब्यूटी पार्लर में खर्चा किया था उसके कारण उसकी गाँड भी चिकनी थी. पार्थ ने अपना हाथ उस पर फेरा तो सबीना को फिर बकरी और कसाई की तुलना मन में आई.
पार्थ एक ओर गया और सबीना ने अपनी गाँड को फैलते हुए अनुभव किया फिर उसमें कुछ ठण्डा तरल पदार्थ अंदर गिरा. सबीना ने सोचा कि चलो तेल लगा के मार रहा है, कम से कम इतनी तो दया की इसने मुझ पर. उसे ये समझ नहीं आया कि पार्थ अपनी ग्राहिका को पीड़ित नहीं करना चाहता था, न ही उसे क्लब छोड़ने के लिए बाध्य करने का इच्छुक था. सबीना की गाँड में पार्थ ने उँगलियों से तेल को अच्छे से फैलाया. जब उसे पूरी राह की चिकनाई का विश्वास हो गया तो वो हट गया. कुछ देर तक कोई ध्वनि न हुई क्योंकि पार्थ अपने लंड पर तेल लगा रहा था और सबीना श्वास रोके हुए लेटी थी.
सबीना ने पार्थ को उसके पीछे दोनों ओर पैर रखते हुए आभास किया. अब आहुति का समय आ चुका था. गाँड की दोनों गोलाइयों को पार्थ के हाथों से फैलाया जाने लगा तो सबीना ने अपनी गाँड ढ़ीली छोड़ दी क्योंकि अब उसके बचने की कोई आशा नहीं थी. क्या वो बचना भी चाहती थी, ये प्रश्न उसके मन में कौंधा ही था कि उसे अपनी गाँड पर पार्थ के लंड का दबाव अनुभव हुआ. उसकी गाँड ने सिकुड़ने का प्रयास किया पर अनुभवी सबीना ने उसे ढीला कर दिया. पक्क की हल्की ध्वनि के साथ पार्थ का सुपाड़ा उसकी गाँड में धँस गया. सबीना ने गाँड को ढीला ही रहने दिया और पार्थ अपनी यात्रा में आगे बढ़ता चला गया. आधे लंड के गाँड में जाने के बाद पार्थ रुक गया.
सबीना ने फिर अपनी गाँड को हाथों से फैलाकर उसमे और तेल के गिरने का आभास हुआ. पार्थ ने हल्के से लंड आगे पीछे करते हुए तेल को अंदर जाने में सहायता की. पार्थ ने अपने लंड को अंदर बाहर करना आरम्भ कर दिया. गति इतनी धीमी थी कि सबीना आश्वस्त हो गई कि उसकी गाँड फटेगी नहीं। पार्थ भी सबीना को इसी धोखे में रखना चाहता था क्योंकि उसकी माँ के अपमान का प्रतिशोध तो आवश्यक था, पर एक ओर माँ का अपमान था और दूसरी ओर व्यावसायिक नीति का सम्मान. इनके बीच में सामंजस्य रखते हुए ही उसे इस कार्य को पूर्ण करना था. धीमे धीमे गाँड मारते हुए पार्थ इसी उधेड़बुन में था.
मनुष्य का अचेतन मन भी एक उलझन है. जब हम किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में असमर्थ होते हैं तो अचेतन उसका समाधान स्वयं ढूँढ लेता है. और हम अनजाने में उस समाधान पर चल पड़ते हैं. पार्थ के साथ भी ऐसा ही हुआ. न सबीना ने कुछ कहा, न उसकी तंद्रा टूटी, पर उसने अपने हाथ आगे किये और सबीना के हाथों पर रख दिए. अब उसका शरीर आगे झुक गया था. और इस समय लंड पूर्ण रूप से अंदर था. पार्थ के शरीर को सामने सहारा मिलने से नई शक्ति मिली और उसने अपने धक्कों की गति को बढ़ाया.
और बढ़ाता ही चला गया. सबीना जो एक प्रकार से गाँड में धीमी चुदाई से आनंदित थी अब एक तीव्र चक्रवात में फँसा हुआ अनुभव करने लगी. उसके हाथ बंधे होने के कारण वो कुछ भी न कर सकती थी और पार्थ निर्दयता से उसकी गाँड में अपना लम्बा और मोटा लौड़ा तीव्र गति से अंदर बाहर कर रहा था. कुछ पलों की गाँड की चुदाई के बाद पार्थ ने गति कम की, फिर रुक कर लंड बाहर निकाला. उसने सबीना के हाथों को पकड़कर उसे घुटनों पर बिठाया.
“मेरा लंड चूसो!”
सबीना को जो विश्राम मिला था उसके आभार में उसे अपनी गाँड से निकले लंड को भी चूसने में कोई अड़चन नहीं हुई. चाटकर लंड को चूसने लगी पर पार्थ ने लंड मुँह से निकाल लिया.
“बस, इतना ही.”
उसे फिर से पलंग पर उसी आसन में अधलेटा किया और फिर से गाँड मारने में जुट गया. अब पार्थ ने यही शैली अपना ली. गाँड मारता, लंड चटवाता और फिर से गाँड मारने लगता. जब कई मिनट तक इस आसन में सबीना की गाँड मार चुका तो उसने आसन बदला और सबीना को पीठ के बल लिटा दिया और उसके पैरों को अपने सीने से लगा कर उसकी गाँड में लौड़ा पेलने लगा. सबीना इस आसन में कभी नहीं चुदी थी और इस आसन में पार्थ का लौड़ा और मोटा लग रहा था. गाँड मरवाने की अभ्यस्त सबीना अब थक चुकी थी. उसकी चूत ने अब रस छोड़ना बंद कर दिया था. पर पार्थ अबाध्य गति से उसकी गाँड मार रहा था.
पार्थ ने फिर एक दो और आसन बदले जिनका उपयोग सबीना ने कभी न किया था और कामसूत्र का ज्ञान उसे वैसे भी न था. आनंद के शिखर पर जाकर अब उसे नीचे आने में समय लगना था. पर इसके लिए जलस्राव का आयोजन पार्थ ने किया. अपने गाढ़े वीर्य से सबीना की गाँड को भरने के बाद ही पार्थ रुका. कुछ देर तक गाँड में लंड रखने के बाद बाहर निकाला और सबीना ने स्वयं ही आगे आकर उसके लंड को साफ कर दिया और चूसकर ठंडा किया.
“अब रुको.” पार्थ उठा और सबीना का ग्लास ले आया और गाँड के नीचे लगा दिया. सबीना ने गाँड में कुछ जोर लगाया और मल मिश्रित वीर्य गिलास में भर दिया. वो जानती थी कि पार्थ का उद्देश्य क्या था और वो आपत्ति नहीं करना चाहती थी. ये सब क्रीड़ाओं से सचिन उसे पहले ही अवगत करा चुका था. पार्थ ने जाकर उसके ग्लास में व्हिस्की डाली और वहीँ खड़े हुए उसमे मूत्र भी डाला.
“आपको सम्भवतः ये नया पेय रुचिकर लगे.”
“अगर तुम कहते हो तो मुझे विश्वास है कि मुझे भी लगेगा.” सबीना ने ऊँगली से पेय घुमाया और फिर सिप करते हुए पीने लगी.
“इसका स्वाद ही भिन्न है.” ये कहने के बाद सबीना ने कुछ देर में अपना पेग समाप्त किया और बाथरूम की ओर चल दी. बाथरूम के द्वार पर रुकी और पार्थ को देखकर उँगलियों से आने का संकेत किया. पार्थ उसके पीछे चल दिया. बाथरूम में पिछले कर्म को दोहराने के बाद जब सबीना ने स्नान करने के लिया कहा तो पार्थ ने उसे रोक दिया.
“इसकी आवश्यकता नहीं है. आप अपना गाउन पहन लीजिये. आपके अगले सत्र का समय हो चुका है. मैं आपको उसके विषय में अभी नहीं बताऊँगा पर आपको मैं किसी से मिलवाने जा रहा हूँ. उनका परिचय वहीँ दूँगा। वो भी क्लब की सम्मानित सदस्या हैं और अगले तीन घण्टे उन्होंने आपको देने की कृपा की है. आपको उनकी समस्त निर्देशों का पालन करना है. ये जान लीजिये कि ये चरण आपकी वर्तमान सीमा निर्धारित करने के लिए है. आप इससे आगे समय के साथ जा सकती हैं पर चाहें तो आज भी उसका आनंद ले सकती हैं.”
“आज आपको अधिकतर समय केवल दर्शक के रूप में ही निकालना होगा। अगर वो आपको सम्मिलित होने का निर्देश देंगी तो आपको जाना होगा. अगर आपको इन क्रीड़ाओं को देखने में आनंद आएगा तो यही सत्र कल आपके लिए आयोजित किया जायेगा.”
“अब आप गाउन पहनिए और मेरे साथ चलिए. आपकी इच्छा की अनुसार सचिन आपके साथ रहेगा परन्तु अगर उनकी आज्ञा हुई तो वो भी आपके साथ सम्मिलित हो सकता है. आप दोनों दो शरीर होंगे पर एक साथ ही हर कार्य में रहेंगे. ठीक है न, क्या आपको कोई आपत्ति है?”
“नहीं, पर बहुत कौतुहल में डाल दिया हैं तुमने.” सबीना ने गाउन पहनकर उसे बाँधा। पार्थ ने भी यही किया. फिर उसने कमरे का फोन उठाया और बताया कि वे आने वाले हैं. पार्थ ने उसके आवेदन को दिखाया और उसका क्लब में स्वागत किया. सबीना प्रसन्न हो गई. अब उसकी चुदाई में कोई कमी नहीं होगी. उसके बाद पार्थ ने पाँच मिनट तक प्रतीक्षा की और सबीना के साथ अगले सत्र के लिए चल पड़ा.
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क्रमशः
1438000