You dont have javascript enabled! Please enable it! कैसे कैसे परिवार – Update 57 | Erotic Incest Family Story - KamKatha
कैसे कैसे परिवार - Erotic Family Sex Story

कैसे कैसे परिवार – Update 57 | Erotic Incest Family Story

अध्याय ५७: सुमति का पटेल मिलन – २

पलक झपकते ही कपड़े एक ओर जाकर गिरने लगे. एक दूसरे के आलिंगन में बंधे जोड़े चुंबन में जुड़ गए. 

दर्शन ने सिया को अपनी बाँहों में जकड़ा हुआ था और वो उसके होंठ और स्तन चूम रहा था. सिया भी उसे एक एक करके अपने स्तनों का पान करवा रही थी. उसका एक हाथ नीचे से दर्शन के लौड़े को सहला रहा था जो अब तन कर खड़ा हुआ था. 

उसके पास ही कनिका प्रकाश से गुत्थमगुत्था थी. प्रकाश को कनिका को चोदे एक लम्बा समय हो चुका था. सुमति के साथ ऊटी जाने के कारण वो उसके युवा शरीर का उपभोग नहीं कर पाया था. आज वो इस कमी को दूर करने की चेष्टा कर रहा था. उसने अधिक देर न लगाई और नीचे बैठकर कनिका की चूत चाटने लगा. कनिका ने उसका सिर अपनी चूत पर दबा लिया. 

चंद्रू के लौड़े को नीलम चूसने में जुटी थी. सिया और चंद्रू का ही उपकार था जिसके कारण वो अपने परिवार से पुनः मिल पाई थी. चंद्रू भी लंड को चटवाने में सहायता कर रहा था और उसके बालों को सहला रहा था. उनके पास में दिया आकार से अपने मम्मे चुसवाते हुए उसके लौड़े को हाथ में लिए थी. 

और सुमति! सुमति तो मानो स्वर्ग में थी. आकाश और हितेश उसे आगे पीछे से चूम रहे थे और उसके मम्मे और गाँड दबा रहे थे. हितेश आगे था और उसके होठों को चूस कर गाँड दबा रहा था तो आकाश पीछे से उसके मम्मे निचोड़ रहा था. उसे नीलम का ये सुझाव अच्छा लगा था कि पहली ही बार उसे दो लौडों से चुदने का अवसर दिया था. कल रात्रि में वैसे भी उसके भाई और बेटे ने उसकी धुरंधर चुदाई की थी. और आज फिर उसे ये सुअवसर प्राप्त हो गया था. उसने कल रात की चुदाई ने विषय में सोचने का प्रयास किया पर उसके आज के दोनों प्रेमी उसका ध्यान बँटाने में सफल हो गए. 

दर्शन इतने दिनों से बाहर रहकर चुदाई के लिए बहुत लालायित था और सिया के द्वारा उसके लंड को सहलाया जाना उसे और अधिक उत्साहित कर रहा था. 

“मौसी, अब ये सब छोड़ो, प्लीज मुझे चोदने दो. इतने दिनों से सूखा हूँ. अब प्लीज रुका नहीं जा रहा है.”

सिया ने उसकी विनती सुनी और वहाँ बिछे गद्दे पर लेट गई और दर्शन को अपने ऊपर खींच लिया. दर्शन ने बिना रुके अपने लंड को सिया की चूत पर लगाया और एक धक्के में अंदर धकेल दिया. रिया के मुँह से एक सिसकी निकली और उसने अपनी गाँड उठाकर दर्शन का स्वागत किया. और दर्शन ने इस स्वागत के उत्तर में धक्कों की झड़ी लगा दी. 

कनिका को प्रकाश का चुदाई का ढंग पता था कि वो हमेशा तीव्र चुदाई ही करता है. इसीलिए जब प्रकाश ने उसकी चूत चाटने में इतना समय दिया तो वो हतप्रभ रह गई. उसका पिछले अनुभव तो ये था कि वो गाँड मारने के लिए अधिक आतुर रहता था. अगर सुमति के संसर्ग से उसमें ये अंतर आया है तो बहुत अच्छा हुआ है. कुछ देर और चूत चाटने के पश्चात प्रकाश ने अपना चेहरा ऊपर किया और पूछा कि क्या कनिका उसका लंड चूसना चाहेगी? कनिका ने हामी भरी और प्रकाश खड़ा हुआ और कनिका बैठकर उसका लंड चूसने लगी. 

नीलम ने चंद्रू से कहा कि वो पहले उसकी गाँड मारें और फिर चूत. नीलम के इस कथन से ये सिद्ध हो गया कि ये चरण लम्बा चलने वाला है. चंद्रू को भला इसमें क्या आपत्ति हो सकती थी. उसका लंड पहले ही नीलम के थूक से गीला था. नीलम घोड़ी बनी और उसने अपने दोनों हाथों से अपनी गाँड फैलाकर खोल दी. चंद्रू ने उसमे कुछ लार टपकाई और फिर लंड को ऊपर लगाकर धीमे से अंदर धकेलने लगा. 

दिया ने आकार से कहा कि अब उसे चोदे क्योंकि वो अत्यधिक उत्तेजित है. दिया को लिटाकर आकार ने कुछ देर उसकी चूत को चाटा और फिर अपना लंड लगाकर उसे चोदने लगा. 

और सुमति कुछ कहने की स्थिति में ही नहीं थी. आगे पीछे से आक्रमण से वो आनंद से दुहरी हो रही थी. उसका शरीर कम्पन कर रहा था. 

“मौसा, नई मौसी मस्त माल हैं. क्या टाइट गाँड है मौसा, मन करता है कि अभी लौड़ा पेल दूँ.” हितेश ने सुमति की गाँड को मसलते हुए कहा.

“अरे इनके मम्मे तो इतने सुडौल हैं कि दिन भर दबाते रहेंगे तेरे चाचा. काम पर जायेगा भी या नहीं कहना कठिन है.”

सुमति अपनी प्रशंसा सुनकर फूली जा रही थी. 

“आप दोनों भी कुछ कम नहीं हो. अकेली देखकर कितना नोच रहे हो मुझे. जब चोदोगे तो न जाने क्या करोगे मेरे साथ. कहीं मेरी चूत और गाँड एक साथ मत मारने लगना।” सुमति ने अपनी इच्छा जताई. 

“अरे ऐसा कैसे हो सकता है कि हम ऐसा न करें? क्यों हितेश?”

“और क्या. मौसा आप क्या चाहते हैं?” हितेश ने पूछा तो आकाश उसकी इच्छा समझ गया. 

“मैं तो चूत ही मारूँगा, देखो तो सही कैसी बही जा रही है. तू गाँड मार लेना.”

सुमति भी इस खेल का आनंद ले रही थी. उसने हितेश की आँख में देखा. 

“कल रात भाई और बेटे ने जम कर चोदा है मुझे. आज तुम भी रही सही कमी पूरी कर दो. दबा के चोदो, जैसे चाहे चोदो।”

फिर सुमति उन दोनों से हटकर अपने कपड़ों की ओर गई और उसमें से गाँड का प्लग निकाला और हितेश को थमा दिया. 

“अपना रस गाँड में छोड़कर उसे इससे बंद कर देना.”

अब उसका तात्पर्य स्पष्ट था. वो चुदने को लालायित थी. आकाश नीचे बिछे गद्दे पर जा लेटा तो सुमति उसके सामने बैठकर उसके लौड़े को चूसने लगी. हितेश भी सामने आ खड़ा हुआ तो सुमति झुककर आकाश का लंड चूसती और फिर सिर उठाकर हितेश का. कुछ ही समय में दोनों लौडों पर उसके थूक का समुचित मात्रा में लेप हो गया. सुमति उठी और आकाश के लंड पर बैठकर उसके लंड को अपनी चूत में ले लिया. 

 लंड पर बैठकर उसने पीछे देखा और हितेश को मूक संकेत किया. हितेश का लौड़ा तो पहले से ही फड़फड़ा रहा था तो वो नीचे बैठा और अपने लंड को सुमति की गाँड़ पर रखा. 

“मौसी, वैलकम टू द फैमिली!” ये कहकर एक झटके में अपने लंड को अंदर डालने का प्रयास किया. पर आकाश के लंड के चूत में होने के कारण उसे व्यवधान का सामना करना पड़ा. वहीँ सुमति ने भी एक चाल चली और अपनी गाँड को सिकोड़ लिया. सामान्य रूप से ये क्रिया कष्टकारी  हो सकती है, पर सुमति की गाँड इतनी बार मारी गई थी कि उसमें हितेश का लंड शीघ्र समा जाता, जो वो नहीं चाहती थी. 

“मौसी, आपकी गाँड तो बहुत टाइट है. लगता है इसे ठीक से मारा नहीं गया कभी.” हितेश ने कहा तो सुमति ने सोचा कि बेटे मेरी गाँड अपने बेटे के लौड़े से नहीं डरती तू किस खेत की मूली है. पर वो चुप रही, वो चाहती थी कि हितेश का भ्रम बना रहे. अब उसे इस परिवार में जो हर दिन चुदना जो था. अगले धक्के के लिया सुमति ने गाँड को कुछ ढ़ीला किया और हितेश ने अपना लंड इस बार पूरा अंदर डाल दिया. 

आकाश सुमति के कान में फुसफुसाया, “बहुत पहुँची हुई चीज़ हो, बच्चों को मूर्ख बना रही हो.”

“बच्चों का मन भी रखना पड़ता है, भाईसाहब.” सुमति ने उसी प्रकार उत्तर दिया, “अब चोदो मुझे और चाँद तारे दिखा दो.”

आकाश ने हितेश से कहा कि अब मौसी को पता लग जाना चाहिए कि हम कैसे चुदाई करते हैं. और इसी के साथ दोनों अपने लौड़े सुमति की चूत और गाँड में पेलने लगे. 

अन्य जोड़ों में भी चुदाई का कार्यक्रम पूर्ण रूप से स्थापित हो चुका था. दर्शन अपने इतने दिनों की कमी को पूरा करने का भरसक प्रयत्न कर रहा था. उसकी चुदाई की गति में तनिक भी कमी न आई थी. वो पूरी शक्ति के साथ सिया की चूत चोदे जा रहा था. सिया आनंद से चीखने लगी थी. उसे आभास न था कि दर्शन इतनी तीव्रता से भी चुदाई करने में सक्षम है. ये भी सम्भव है कि इतने दिनों तक उससे न चुदने के कारण वो दर्शन के इस रूप को भूल चुकी थी, या दर्शन ने ये अपने घर में उसकी माँ दिया और चाची नीलम से सीखा था. कारण चाहे जो भी रहा हो, इसका सम्पूर्ण लाभ सिया को मिल रहा था. अब तक उसकी चूत के पानी ने दर्शन के लंड के घर्षण को कम कर दिया था. पर दर्शन को इससे कोई अंतर नहीं पड़ रहा था. वो तो निर्बाध गति से सिया को चोदे जा रहा था. 

कनिका की चूत चाट चुकने के बाद अब प्रकाश कनिका से अपना लंड चुसवा रहा था. इतनी कम आयु में भी कनिका की लंड चूसने की कला बहुत परिष्कृत थी. परिवार की दोनों स्त्रियों से ज्ञान प्राप्ति करने का उसे जो सुअवसर मिला था उसे इस संस्कारी बाला ने आत्मसात कर लिया था. उसे अपनी कला का अभ्यास करने के लिए भी बाहर नहीं जाना पड़ा था. उसके पिता, ताऊ और भाई उसे इसमें महारथ पाने के लिए सदा उपलब्ध हो जाते थे. प्रकाश को भी कनिका से संसर्ग किये हुए एक अवधि हो चुकी थी. उसे भी आभास हुआ कि पिछले समय की तुलना में कनिका अब अधिक प्रवीण हो गई थी. लंड को भलीभांति चूसने के उपरांत कनिका ने वासना भरी दृष्टि से प्रकाश को देखा तो प्रकाश समझ गया कि कन्या अब चुदने के लिए लालायित है. उसने प्रेमपूर्वक उसे गद्दे पर लिटाया और अपना लौड़ा उसकी गीली संकरी चूत पर रख दिया. 

चंद्रेश नीलम की गाँड में लंड डालकर कुछ समय के लिए रुका और गाँड की ऊष्मा का आनंद लेने लगा. नीलम अपनी गाँड हिलाकर उसे प्रोत्साहित कर रही थी. 

“बहुत गर्मी है तुम्हारी गाँड में नीलम, लौड़ा मानो एक भट्टी में डाल दिया हो.”

“तो इसकी गर्मी को शांत कर दो जीजाजी. अपनी पिचकारी चलाओ और इसमें पानी डालकर ठंडा करो.”

“उसके लिए कुछ देर पिचकारी को रास्ता ढूँढना होगा.” चंद्रू ने भी हँसते हुए कहा.

“तो रोका किसने है आपको. आपकी पत्नी तो मेरे बेटे से अपनी आग ठंडी करवा रही है. आप मेरी ठंडी कर दो.”

चंद्रू ने आननफानन अपने लौड़े को नीलम की गाँड में अंदर बाहर करना आरम्भ किया और नीलम की सिसकारियों से उसका उत्साह और बढ़ गया. उसका लंड उसे दो फुट का प्रतीत होने लगा था जबकि नीलम अपनी गांड उछाल कर और लौड़ा अपनी गांड में समाने के लिए आतुर थी. चंद्रू ने एक लय पकड़ी और नीलम की गाँड का कल्याण करने में जुट गया. 

आकार और दिया शांतिपूर्वक चुदाई कर रहे थे. उनके बीच अनगिनत चुदाई के प्रकरण लिखे जा चुके थे और उन्हें कोई व्यग्रता नहीं थी. सम्भवतः पूरे कमरे में वही एक जोड़ा ऐसा था जो प्रेमालाप कर रहा था. और एक दूसरे के साथ बहुत संयम के साथ संसर्गरत थे. होंठों से होंठ मिलाकर, एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे के शरीर से खेलते हुए उनकी चुदाई चल रही थी. और क्योंकि होंठ व्यस्त थे तो कोई ध्वनि भी नहीं थी. परन्तु जितना उन दोनों का मिलन शांत था उनके साथ में सुमति ने मानो आकाश को सिर पर उठाया हुआ था. मानव रूपी आकाश नीचे से उसकी चूत चोद रहा था. परन्तु सबसे अधिक परिश्रम सुमति की गाँड मारने में हितेश कर रहा था. 

सुमति की आनंद भरी चीत्कारों ने बैठक को गुंजायमान किया हुआ था. अन्य जोड़ों की सामान्य सिसकारियाँ मानो दब कर रह गई थीं. प्रकाश कनिका को चोदते हुए उस ओर ही देख रहा था जहाँ उसकी भावी पत्नी का मर्दन हो रहा था. हितेश और उसकी आँखें मिलीं तो प्रकाश ने अपना अँगूठा उठाकर उसकी प्रशंसा की. ये देख हितेश में और ऊर्जा भर गई और वो सुमति की गाँड को और शक्ति के साथ चोदने में लग गया. पर इस का परिणाम ये हुआ की उसे थकान होने लगी. ये देख आकाश ने कहा कि स्थान परिवर्तन का समय आ गया है. 

थके हारे हितेश ने अपने लौड़े को सुमति की गाँड से निकाला और गद्दे पर लेट गया. सुमति छलांग मार कर आकाश के लंड से उतरी और हितेश के लंड पर सवार हो गई. आकाश उठा और अपने शरीर, जो अकड़ गया था, उसे मोड़कर ठीक किया और सुमति के पीछे चला गया. सुमति की गाँड अब बंद होने लगी थी पर उसकी लालिमा अभी भी दिख रही थी. आकाश ने गाँड को बंद न होने दिया और अपने लौड़े को उसमें एक ही बार में पेल दिया. सुमति फिर आनंद के सागर में गोते लगाने लगी. 

उनकी देखा देखी सिया ने दर्शन से कहा कि वो अब उसकी गाँड मारे. दर्शन के मन की बात हो गई पर वो इतना आतुर था कि उसने दिया के पैरों को उठाकर अपने कन्धों पर रखा और अपने लंड को उसकी चूत से निकालकर गाँड में डाल दिया. इसमें उसे कुछ व्यवधान आया पर उसके दृढ़ निश्चय ने उसे विजय दिलवा दी. एक बार सुपाड़े के अंदर प्रवेश करने के बाद उसके लंड की यात्रा सिया की गाँड में सरलता से पूरी हो गई. सिया दूभर थी, पर इस आसन में दर्शन का लौड़ा उसकी गाँड में बहुत मोटा अनुभव हो रहा था. एक बार लंड के पूरे भीतर जाने के बाद दर्शन ने गाँड मारने का कार्य आरम्भ किया और कुछ ही पलों में अब सिया की चीखें सुमति के साथ ताल मिला रही थीं. 

कनिका ने प्रकाश की ओर देखा क्योंकि अब सिया, नीलम और सुमति की गाँड मारी जा रही थी और प्रकाश को गाँड मारने में अत्यधिक रूचि थी. 

“क्या आप मेरी गाँड मारना चाहते हो?” कनिका ने काँपते स्वर में पूछा क्योंकि प्रकाश गाँड बहुत निर्ममता से मारता था. 

“नहीं, बिटिया. आज नहीं. आज तो तेरी चूत में ही इतना आनंद मिल रहा है कि गाँड के बारे में सोचना भी नहीं है.”

अब कनिका को दृढ़ विश्वास हो गया कि सुमति ने प्रकाश के भीतर के पशु को एक सीमा तक वश में कर लिया है और अगर ऐसा हुआ है तो सुमति एक अत्यंत समर्थ स्त्री थी जो उसके परिवार में सरलता से जुड़ जाएगी. फिर एक बार उसने सुमति की चूत और गाँड मारते हुए अपने भाई और ताऊजी को देखा और सोचा कि सही जुड़ रही है. उसने फिर प्रकाश द्वारा उसकी चुदाई पर अपना ध्यान लगाया और अनायास ही उसकी चूत ने ढेर सा पानी छोड़ दिया. 

चंद्रू ने नीलम की गाँड लगभग दस मिनट तक मारी. वो झड़ने की कगार पर चुका था. उसने नीलम को बताया। 

नीलम ने आकाश की ओर देखते हुए संकेत दिया कि अब सुमति को चुदाई से मुक्त करना होगा क्योंकि अब उसके जलपान का समय निकट है. आकाश ने नीचे झुककर सुमति को ये बताया तो वो सहर्ष सहमत हो गई. पर उसने आकाश से पूछा कि उन्हें झड़ने में कितनी देर लगेगी? आकाश ने कुछ अधिक समय लगने की दुविधा बताई तो सुमति ने कहा कि वो बाद में गाँड फिर मार लें तो अच्छा होगा। आकाश ने अपना लौड़ा सुमति की गाँड से निकाला तो सुमति ने उसे चाटने की इच्छा जताई. आकाश उसके सामने गया और सुमति ने उसका लंड चाटकर चमका दिया. फिर उसने हितेश से रुकने के लिए कहा और उसके ऊपर से उतर कर उसके लंड को चाटकर साफ किया और अपने चारों और चल रहे चुदाई के ऊपर ध्यान देने लगी. 

सुमति की दृष्टि नीलम और चंद्रू पर जाकर रुक गई. वहीँ सबसे पहले झड़ने की संभावना थी. और वो भी नीलम की गाँड में उसके होने वाले जेठ का रस छूटने वाला था. सुमति के मुँह में पानी आ गया. और इससे पहले कि उसकी लार टपकती चंद्रू के लौड़े ने अपना रस नीलम की गाँड में छोड़ दिया. लंड को अंदर रखते हुए वो कई पलों तक यूँ ही जड़ बना रहा और फिर उसने सुमति की ओर देखा जो अब उसके साथ खड़ी थी. 

“लो, तुम्हारे लिए हमारा पहला उपहार!” चंद्रू ने कहा और धीमे से अपना लंड नीलम की गाँड से निकाल लिया. अभी लंड बाहर भी नहीं आ पाया था कि सुमति की जीभ नीलम की गाँड पर घूमने लगी. चंद्रेश के लंड के बाहर निकलते ही बाहर बहने का प्रयास करता हुआ श्वेत गाढ़ा वीर्य सुमति की चटोरी जीभ का शिकार हो गया. जब स्वतः निकलता रस रुका तो सुमति ने जीभ को गाँड में डालकर खोद खोद के रस को सोखा. जब लगा कि नीलम की गाँड में अब कुछ भी शेष नहीं है तब जाकर सुमति हटी पर इस बार उसका लक्ष्य चंद्रेश का लंड था. चंद्रू इसकी अपेक्षा कर रहा था इसीलिए वो वहीँ खड़ा इस घ्रणित क्रिया को देख रहा था. अगर उसके भाई को कोई आपत्ति नहीं थी तो उसे भला क्यों ही होती?  उसके लंड को चाटकर सुमति हट गई. 

सुमति को पता था कि अब विकेट का पतन एक शृंखला में होगा, इसीलिए वो अगले पतन होने वाले की ओर देखने लगी. और ये कोई और नहीं प्रकाश ही निकला. 

सुमति ने कनिका के पास जाकर उसकी चूत को चाटना आरम्भ किया और कनिका की आनंदित चीख ने कमरा हिला दिया. प्रकाश भी इससे अछूता न रहा और उसने भी अपना लावा कनिका की चूत में उढेल दिया. जब उसने अपना लंड बाहर निकाला तो पहले तो सुमति ने उसे प्रेम से चाटा और फिर कनिका की चूत पर धावा बोल दिया. अंदर तक जीभ डालकर उसने कनिका की चूत से उसका और प्रकाश के रस को पीकर ही अपना मुँह हटाया. कनिका निढाल पड़ गई पर अब सुमति का लक्ष्य सिया थी जिसकी गाँड में दर्शन का लौड़ा अंतिम पदचाप कर रहा था. 

उसने पास जाकर दर्शन से कहा कि वो झड़ने के बाद सिया की टाँगें यूँ ही पकड़े रहे जब तक सुमति अपना भोग नहीं लगा लेती. दर्शन ये सुनकर ही झड़ने लगा और फिर उसने बहुत सावधानी से अपना  लंड बाहर निकाला और सिया की गाँड को सुमति के आहार के लिए प्रस्तुत कर दिया. सुमति ने फिर से अपनी जीभ और होंठों के बल से सिया की गाँड से दर्शन के रस को सोखा और फिर दर्शन के लंड को भी चाटकर चमका दिया. 

“आप अद्भुत हो!” सिया ने आह भरते हुए कहा. इसके उत्तर में सुमति ने सिया के होंठ चूमे और अपने अंतिम भोज के लिए सिया की बहन दिया की ओर चल दी. दिया ने उसे देख आकार से कहा कि अब बस करिये और सुमति को उनका आहार ग्रहण करने दीजिये. सच ये था कि आकार कुछ पलों पहले ही झड़ा था पर अपने लंड से दिया को चोदे जा रहा था. उनकी धीमी गति से की गई चुदाई के कारण किसी को शंका भी नहीं हुई की दिया की चूत में पानी भरा हुआ है. आकार ने अपना लंड निकालकर सुमति को आमंत्रित किया और सुमति फिर अपने भोग में लीन हो गई. 

अब केवल एक समस्या थी, हितेश और आकाश अब तक झड़े न थे. पर अब सुमति और उनकी ताल टूट चुकी थी. तो इसका समाधान करने के लिए उनके लौड़े चूसकर सुमति को उनका रस पिलाने का निर्णय हुआ. कनिका ने आकाश के लंड को मुँह में लिया तो हितेश के लंड को सुमति चूसने लगी. कुछ देर के प्रयासों से दोनों ने पानी छोड़ा. सुमति ने हितेश के रस को सीधे ही पी लिया और फिर कनिका ने अपने मुँह से आकाश के रस को उसे पिलाया. 

अब ये राउंड समाप्त हो चुका था. नीलम ने आधे घंटे के विश्राम की घोषणा की. दिया का मन मचल उठा क्योंकि इस बार उसके साथ दो पुरुष चुदाई करने वाले थे. बच्चों ने सबके लिए पेग बनाये और सब यूँ ही नंगधड़ंग बैठ कर सुस्ताने लगे. नीलम, सिया और कनिका अपनी दुहरी चुदाई की कल्पना में खो गयीं. पुरुष इस चिंतन में थे कि क्या वो पूरी रात चुदाई के लिए सक्षम हैं?

क्योंकि रात अभी शेष थी. 

क्रमशः

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