You dont have javascript enabled! Please enable it! कैसे कैसे परिवार – Update 50 | Erotic Incest Family Story - KamKatha
कैसे कैसे परिवार - Erotic Family Sex Story

कैसे कैसे परिवार – Update 50 | Erotic Incest Family Story

अध्याय 50: दिंची क्लब डिगबो, ओडुम्बे, गातिमु

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आप सब इन तीनों रोमियो के विषय में पढ़ चुके हैं. उनके दिंची क्लब में जुड़ने का प्रकरण यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है.

डॉग परीक्षण:

“डॉग आ गए” मंजुल ने संदेश भेजा, जिसे पढ़कर शोनाली हंस पड़ी. तीनों नए अफ़्रीकी रोमियो के नाम ही ऐसे थे कि उन्हें इस प्रकार से पुकार सकते थे. डिगबो, ओडुम्बे, गातिमु (डी ओ जी डॉग). और ये नामकरण करने वाला कोई और नहीं उनका ही मित्र कालिया था. अगर किसी और ने उन्हें ये नाम दिया होता तो उसे रंगभेद माना जाता. शोनाली ने निश्चय किया कि वो अपने लोगों को इस नाम के उपयोग से बचने के लिए कहेगी. कालिया की अनुशंसा या कथन पर ही उन तीनों का एक ही दिन परीक्षण रखा गया था. ये एक अर्थ में शोनाली का भी परीक्षण था, क्योंकि ऐसा पहली बार कर रही थी. पर पार्थ को उस पर विश्वास था. हालाँकि हर परीक्षण के बाद दो घण्टे का विराम था.

“उन्हें बैठाओ और उनके महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करो.” शोनाली ने कहा. आधे घंटे बाद मंजुल का फिर फोन आया. उसने तीनों के विषय में बताया.

“ठीक है, डिगबो को भेजो.”

पर आज शोनाली अकेली नहीं आई थी. उसने अपने साथ बैठी महिला को कहा, “अब आपके छुपने का समय आ गया है.”

“मैं बाहर जाती हूँ.” ये कहकर वो महिला उस कमरे से निकली और निकट के कमरे में चली गई. कुछ ही पलों की देरी के बाद मंजुल एक लम्बे पतले लड़के को लेकर आई. उसके रंग रूप से ही अफ़्रीकी दिख रहा था।

“गुड़ मॉर्निंग, मैडम. आई ऍम डिगबो। यू कैन कॉल मी डिक.” उसने मुस्कुराते हुए कहा जिससे कि उसके श्वेत दाँत चमक गए.

(इसके बाद बातचीत का हिंदी अनुवाद लिखा जा रहा है.)

“देट इस ए नाइस नेम, डिक. पर मैं तुम्हें डी पुकारूँगी।” शोनाली ने कहा और पूछा, “नाम ही डिक है या सच में डिक में कुछ दम है?”

“कालिया ने मुझे बताया है कि मुझे यहाँ के मापदण्ड पर उत्तीर्ण होना है. पर मैं ये बता सकता हूँ कि मेरा लंड दस इंच से अधिक है. और मैंने अपने देश की कई महिलाओं को इसके आनंद का अनुभव दिया है.”

“ओके, पर मुझे नापना होगा.” शोनाली ने कहा तो मंजुल ने डिक को डिगबो को बाथरूम में जाकर नहाने और फिर तौलिया लपेट कर आने की आज्ञा दी. डिगबो के जाने पर मंजुल ने शोनाली को देखा.

“आज आपकी अच्छी चुदाई होनी है. तीन तीन मस्त लौड़े आये हैं. कहिये तो एक को मैं निपटा दूँ?”

“लालची. नहीं आज नहीं. पर तुझे मैं कुछ विशेष देकर जाऊंगी। इनको यहाँ कौन लाया है?”

“कालिया, पर वो चला गया. कहा शाम को आएगा इन्हें लेने।”

इतने में ही डिगबो बाहर आ गया. काले शरीर पर तौलिया एक भिन्नता प्रदान कर रहा था. मंजुल सोफे पर बैठ और अपने हाथ में लिए हुए टेप को एक ओर रख दिया. डिगबो को पास बुलाया और फिर उसके तौलिये को हटा दिया. आधे खड़े लौड़े को देखकर ही वो जान गई कि ये दस इंच पर कर लेगा. पर अपने कार्य को सुचारु रूप से सम्पन्न करना ही उसका कर्तव्य था. उसने लंड को हाथ में लेकर सहलाया और फिर मुँह में लेकर चूसना आरम्भ किया. मुँह में उसके बढ़ते आकर का आभास उसे था और कुछ देर चूसकर उसने लंड बाहर निकाला और टेप ने नापा.

“१०.३ इंच. ये पास होता है.”

“गुड. बधाई हो. तुमने पहली परीक्षा उत्तीर्ण कर ली. अब ये देखना है कि क्या इसका उचित और समुचित उपयोग करना भी जानते हो? मंजुल, तुम जाओ और ओडुम्बे और गातिमु का ध्यान रखो.”

शोनाली को कालिया के कमियों का पता था. जब वो पहली बार आया था तब उसे चूत चाटने का कोई अनुभव न था. इस कारण ही उसे क्लब की महिलाओं की सेवा के पहले इस कला का प्रशिक्षण दिया गया था. कालिया ने बताया था कि डॉग भी इस कला में पूर्ण पारंगत नहीं हैं, परन्तु उसकी समान अशिक्षित भी नहीं हैं. शोनाली की परीक्षा का पहला विषय यही था.

“लंड के बड़े होने से कोई महान चोदू नहीं बनता. उसके लिए चुदाई की कला का ज्ञान होना आवश्यक है. और इस कला के कई आयाम हैं. पर उन सबसे विशेष और महत्वपूर्ण है स्त्री की चूत को अपने मुँह और जीभ से संतुष्ट करना. कई पुरुष जिनके लंड बहुत प्रभावी नहीं होते वो इस कला में इतने निपुण होते हैं कि स्त्रियां उनसे समागम के लिए उत्सुक रहती है. अब तुम्हें मुझे इस प्रकार से संतुष्ट करना होगा.”

डी को बता दिया गया था कि मात्र इस एक कारण उसका आवेदन अस्वीकार नहीं होगा. परन्तु उसे ये अवश्य दर्शाना होगा कि वो इसमें आगे सीखने के लिए उपयुक्त है.

“मैं प्रयास करूँगा, मैम.”

“गुड.” ये कहते हुए शोनाली बिस्तर ओर चल दी. बीच में ही तौलिया उसके तन से नीचे गिर गया. शोनाली की गाँड की थिरकन देखकर डी का लौड़ा लहराने लगा. शोनाली बिस्तर के पास जाकर मुड़ी और डी के लौड़े को देखा और उसका मन नाच उठा. उसके बलिष्ठ शरीर को देखकर विश्वास हुआ कि ये लड़का उत्तीर्ण हो जायेगा. बिस्तर पर लेटकर शोनाली ने अपने पैरों को फैलाया और अपनी चूत के सम्पूर्ण दर्शन डी को कराये. ऊँगली के संकेत से डी को आमंत्रित किया और अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया. डी बिस्तर पर घुटनों के बल बैठा और अपनी नाक शोनाली की चूत पर लगाई और एक गहरी श्वास भरी. एक मनभावन सुगंध फेफड़ों तक जा बसी.

डी के लिए ये सुगंध निराली थी. अब तक उसने अपने देश में लौड़ा डाला, धक्के लगाए और खेल समाप्त किया, यही सीखा था. भारत आकर अब उसे सानिध्य नहीं मिला था. ऐसी लुभावनी सुगंध ने स्वतः ही उसकी जीभ को निकालकर उस स्त्रोत को चाटा जहाँ से ये अमृत का रस बाहर झर रहा था. वो न जानते हुए थी सही दिशा में अग्रसर हो गया था.

“गुड, ऐसे ही चाटो!” शोनाली ने आग्रह किया तो डी को मानो प्रशस्ति पत्र मिल गया. उसने आगे बढ़कर अपनी जीभ को चूत की फाँकों पर घिसते हुए भग्न को भी छेड़ा तो शोनाली को मानो एक झटका सा लगा. चूत को भी ये अच्छा लगा होगा क्योंकि डी को अपने मुँह में खारे पानी के प्रवेश करने का आभास हुआ. डी बिना रुके अपनी जीभ को चलाता गया और शोनाली की चूत उसके मुँह अमृत वर्षा करती रही. डी इस सीमा तक इस क्रीड़ा में तल्लीन हो गया कि कब उसकी जीभ ने शोनाली की चूत में प्रवेश किया इसका उसे पता भी नहीं चला.

उसकी जीभ को जब अपने हर ओर कोमल त्वचा का अनुभव हुआ तब डी को खेद हुआ कि उसने इस सुख और स्वाद का आनंद पहले क्यों नहीं लिया. उसने प्रण लिया कि आज से वो हर स्त्री के कामांग का स्वाद लेने के पश्चात ही उसकी चुदाई करेगा. उसने अनजाने में ही दिंची क्लब की महिलाओं को सुख देने की दिशा में पहल कर ली थी. उसकी लम्बी जीभ शोनाली की चूत के अंदर घुसकर उसका निरीक्षण कर रही थी. कोमल त्वचा पर बहता हुआ रज उसकी जीभ को सुगमता से अपना मार्ग पर सफलता दे रहा था. आज का रंगरूट अवश्य भविष्य में झंडे गाढ़ने के लिए दीक्षित हो रहा था.

शोनाली अब झड़ कर तृप्त हो चुकी थी और नियमानुसार डी इस चरण में सफल हुआ था. डी के सिर पर हाथ घुमाकर उसे उठाया और उसके मुँह पर लगे अपने रस को देखकर शोनाली का मन प्रसन्न हो गया. वो डी के अपने कार्य के प्रति समर्पण से भी प्रभावित हुई थी. अब इस परीक्षण के अगले चरण में अग्रसर होने का समय था.

“यू हैव डन वैल. आई ऍम हैप्पी.” शोनाली ने कहा तो डी का चेहरा चमक उठा.

“अब देखना है कि तुम्हारा लंड केवल देखने के लिए ही है या कुछ काम भी करता है.” शोनाली ने कहा.

डी को आशा थी कि शोनाली उसके लंड को चूसेगी, पर उसे समझ आ गया कि ऐसा होगा या नहीं बताया नहीं जा सकता. उसका लंड इस आशा में खड़ा हो चुका था और अब उसे नीचे झुकाने के लिए किसी गुफा में प्रवेश करना आवश्यक था. शोनाली अब तक उसी आसन में थी और उसकी खोह अब और भी अधिक गीली प्रतीत हो रही थी. डी ने शोनाली को देखा तो वो मुस्कुरा दी. ये डी के लिए आगे बढ़ने का संकेत था.

अपने लंड को हाथ में पकड़कर वो बिस्तर पर बैठा और शोनाली की चूत पर रगड़ने लगा. गीली चूत पर लंड घिसने से उसपर भी रस लगा और डी ने उँगलियों से उस रस को अपने लंड पर मला और फिर चूत के मुंह पर लंड रखते हुए शोनाली को देखा. शोनाली उन दोनों के मिलन को देखने को लालायित थी. डी ने एक धक्का मारा और लंड चूत में प्रवेश करते हुए एक चौथाई लुप्त हो गया. अधिक प्रतिरोध न पाकर एक और धक्का मारा और आधे लंड को अंदर गाढ़ दिया.

शोनाली की खाई में खोते हुए उस काले मांसपिंड को देखने वाले मुग्ध हो सकते थे. परन्तु इसका आनंद कुछ ही लोगों को प्राप्त था, वो भी तब जब वो इसकी रिकॉर्डिंग देखते, जो बहुत ही सीमित अवसरों पर ही होता था. डी ने शोनाली से कोई प्रतिकूल प्रतिक्रिया न पाकर अपने लंड को पूरा बाहर निकाला और एक शक्तिशाली धक्का मारा तो लंड पूरा अंदर चला गया. शोनाली के मुँह से सुख भरी आह निकली और उसने अपनी कमर लचका कर डी का स्वागत किया. एक बार तो डी भी अचम्भित रह गया. उसके लंड को पूरा लेने के बाद कई मिनटों तक महिलाएं आँसू पौंछती तो उसने देखीं थीं, पर कमर मटकाने वाली से पहली बार पाला पड़ा था.

शोनाली डी के मन से उसके लंड के आकार का घमंड निकाल देना चाहती थी. इस राह पर कई पथिक आकर निकल चुके थे. डी से उन्नीस उनमें से एक दो ही थे. डी को ये समझना आवश्यक था कि इस क्लब की सदस्याओं को उसके जैसे लम्बे और मोटे लौंड़ों से चुदने का भरपूर अनुभव था और उसके जैसे तीस और इस क्लब में सेवारत थे.

“क्या हुआ? रुक क्यों गए?” शोनाली ने पूछा.

“मै मै मैडम आपको कोई प्रो प्रो प्रॉब्लम तो नहीं हुआ?” उसने हकलाते हुए पूछा.

शोनाली ने ऑंखें मिचकाते हुए कहा, “नहीं तो? ऐसा क्या हुआ?”

डी को आकाश से पृथ्वी पर गिरने में मात्र कुछ क्षण ही लगे, पर अब वो सदैव के लिए पृथ्वीवासी हो गया. वो जान गया कि अब तक जिन महिलाओं से उसका सामना हुआ था वो इतनी परिपक्व नहीं थीं, और इस क्लब में उसे एक से बढ़कर एक चुड़क्कड़ नारी से संसर्ग करना होगा. उसका लंड उनके लिए अपने मनोरंजन के हेतु मात्र एक साधन है. इस आत्मबोध ने उसको जीवन की नयी दिशा दिखाई.

शोनाली मुस्कुरा रही थी, वो जान रही थी कि उसकी इस प्रतिक्रिया से डी का मानमर्दन हो गया था. और यही उसका अभिप्राय भी था. रोमियो का कर्तव्य क्लब की सदस्याओं की सेवा करना था, न कि उन पर रोब दिखाने का. क्लब की अधिकतर सदस्याएँ उनसे गन्ने के समान चूसकर एक ओर फेंकने की क्षमता रखती थीं और किसी प्रकार का भी भाव दिखाना उन्हें कदापि रास नहीं आता था. डी के लंड की अकड़ निकल गई. शोनाली मुस्कुराती रही और फिर उसने अपनी चूत की मांसपेशियों को कुछ इस प्रकार से सक्रिय किया कि डी के लंड में फिर से शक्ति का संचार हो गया और उसने फिर से अपनी पूर्व कठोरता को प्राप्त कर लिया. डी अब शोनाली के आगे नतमस्तक हो गया. पल भर में उसे क्षीण और उतने ही पलों में सम्पूर्ण बनाने वाली नारी पर वो विजय की कल्पना भी नहीं कर सकता था. उनका केवल पूजन और सेवा ही करना उसका कर्तव्य था.

इस आभास के साथ डी ने शोनाली की चुदाई आरम्भ कर दी. पहले कुछ हल्के धक्कों के बाद उसने तीव्रता पकड़ी और शोनाली ने भी उसका उत्साह बढ़ाते हुए उसे और अच्छे से चोदने के लिए प्रेरित किया. डी कुछ ही देर में सामान्य हो गया. उसका घमंड तो चूर चूर हो चुका था पर चुदाई की क्षमता अभी शेष थी. हालाँकि उसकी चुदाई की कला का उतना ज्ञान नहीं था. न तो वो स्त्री के कामांगों के विषय में जनता था न ये कि स्त्री को सम्भोग के समय किस प्रकार से उत्तेजित रखा जाता है. ऐसे धक्के मारने को चुदाई की संज्ञा देना उपयुक्त नहीं था. उसे इस कला का ज्ञान और प्रशिक्षण देना आवश्यक था, अन्यथा क्लब की प्रतिष्ठा पर प्रश्न उठने लगेंगे. पर कौन ये ज्ञान देगा?

डी भरपूर शक्ति के साथ शोनाली की चुदाई कर रहा था. शोनाली को ये समझ आ गया कि डी का पूरा ध्यान अब उसे संतुष्ट करने में है तो उसने और उत्साह से अपनी कमर उछालकर डी का साथ दिया. कई मिनट तक यूँ ही एक ही आसन में धक्के दे दे कर डी झड़ने के निकट आ गया. न जाने क्या सोचकर शोनाली ने उसे अपना रस उसके पेट पर छोड़ने के लिए कहा. डी जब झड़ चुका तो आशा से शोनाली को देखने लगा.

“तुममे शक्ति और सामर्थ्य तो है पर कुशलता नहीं है. मेरे विचार से इसे सिखाया जा सकता है. इस चरण में मैं तुम्हें केवल उत्तीर्ण होने के लिए ही अंक दे रही हूँ. पर इसमें हताश होने की बात नहीं है. क्लब में सेवारत होने के पहले तुम्हें प्रशीक्षित किया जायेगा. अब कुछ देर विश्राम करो, फिर अंतिम चरण का खेल खेलेंगे.”

“ओके मैडम”, डी ने अपने लंड को चूत से निकालकर कहा और सोफे पर जा बैठा.

शोनाली ने उठकर अपने लिए बियर निकाली और फिर एक बियर डी को भी दी. डी एक नए आदर से शोनाली को देख रहा था. उसके सम्मुख बैठी हुई स्त्री किसी भी रूप में सामान्य नहीं थी. और उसे अब ये आभास हो रहा था कि सम्भवतः वो अकेली ऐसी महिला नहीं थी.

“जिस प्रकार से चूत की चुदाई कर रहे थे, उस प्रकार ही गाँड मारते हो क्या?”

डी ने हाँ कहते हुए सिर झुका लिया.

“कोई बात नहीं. हम तुम्हें सिखाएंगे कि स्त्रियों को गाँड मरवाने में कब आनंद आता है और कब कष्ट होता है. किस समय ये कृत्य नहीं करना चाहिए. अगर स्त्री सहमत न हो तो कभी भी गाँड मारने चेष्टा मत करना. हालाँकि ये चूत पर भी उतना ही उपयुक्त है, पर चूत में लचीलापन अधिक होता है और अगर थोड़ा भी उचित संवेदन हो तो अपने रस से वो इसे सरल कर देती है. गाँड के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है.”

डी एक अच्छे विद्यार्थी के समान सुन रहा था.

“इसीलिए, गाँड मारने से पहले उसे उपयुक्त बनाना अति आवश्यक होता है. और इसके लिए तुम्हें न केवल जैल का उपयोग करना चाहिए बल्कि मुँह, जीभ और उँगलियों का भी उपयोग करना आना चाहिए. तुमने जिस प्रकार से मेरी चूत को चूसा है, उससे मुझे विश्वास है कि तुम इसमें भी सफल रहोगे.”

डी ने गाँड चाटने के विषय में सुना तो उसका मुँह टेढ़ा हो गया. पर उसने सोचा कि कालिया भी तो करता होगा. और अन्य रोमियो भी यही करते होंगे. अगर इस कला को वो सिख ले तो अपने देख में अत्यंत लोकप्रिय हो जायेगा.

“मैं पूरा प्रयास करूँगा, मैडम. पर…”

“क्लब की सभी महिलाएं गुदा-मैथुन (गाँड मरवाने) के पहले उसे पूर्णरूप से साफ करती हैं. ये नितांत आवश्यक है और सभी इसकी उपयोगिता भी समझती हैं. मैं भी अभी फिर से सफाई करुँगी। ये सब भी तुम्हारे प्रशीक्षण के अंतर्गत आएगा. परन्तु आज मैं ये समझना चाहूँगी कि तुम इसके प्रति कितने इच्छुक हो.”

“मैं सीखूँगा। आप जैसा सिखाओगे मैं सीखूँगा।”

“तो चलो, देखें तुम क्या जानते हो. मैं अभी आती हूँ.” ये कहकर सोनाली बाथरूम में चली गई. डी को सांत्वना मिली.

शोनाली की मटकती गाँड को देखकर डी का लौड़ा फिर टनटना गया. उसने निकट में पड़ी जैल की ट्यूब देखी तो उसे उठाकर अपने लंड पर मला. इसकी आवश्यकता तो हर बार ही रहती है. और इससे चाहे जितनी भी चुदक्क्ड़ हो, गाँड मरवाने का सम्पूर्ण आनंद उठाती है. अपने लंड को सहलाते हुए वो शोनाली के लौटने की प्रतीक्षा करने लगा. शोनाली ने भी अधिक समय नहीं लिया और उसे देखकर ये पता चल गया कि वो स्नान भी करके आई है. उसने डी के निकट में रखी ट्यूब देखी और उसे लंड सहलाते हुए देखा तो मुस्कुराई.

“मुझे अच्छा लगा कि तुमने समय का सदुपयोग किया है. मैंने भी अपनी गाँड को भलीभांति धो लिया लिया है. परन्तु मेरी गाँड के साथ खेलने से पहले एक बात का तुम्हें ध्यान रखना है.”

“जी”

शोनाली ने अपनी हथेली खोली और उसके हाथ में गाँड को बंद करने वाला एक प्लग था.

“मेरी गाँड मारने के बाद अपना रस उसमें ही छोड़ना है, और इस प्लग से उसे बंद कर देना है. उसके बाद तुम्हें बिना कुछ कहे कमरे से निकल जाना है. हाँ कपड़े पहन कर. इसके आगे का निर्णय मंजुल तुम्हें बताएगी.”

“जी”

“गुड, सो लेट अस प्ले.”

ये कहते हुए शोनाली बिस्तर पर घोड़ी बन गई. इस आसन में शोनाली की गाँड और उभर कर सामने आई. न जाने क्यों डी के मुँह में पानी आ गया. अब तक इस प्रकार की भावना उसके मन में कभी नहीं आई थी. इसका अर्थ यही था कि वो भी इस कला के रंगों में रंगने लगा था. चूत में मीठे स्वाद के बाद अब उसे गाँड का स्वाद चखने का मन था. वो शोनाली के पीछे गया और उसकी गाँड पर हाथ फिराते हुए उसके कसाव को ताड़ने लगा.

इस आयु में भी शोनाली के कसाव यथावत थे. नियमित चुदाई से उसका व्यायाम अच्छा होता था. हालाँकि वो अन्य कई प्रकार के व्यायाम और योग भी करती थी. ऐसा क्लब जो महिलाओं के बल पर चलता हो, स्वयं को सही रूप में दिखाना आवश्यक होता है. विशेषकर तब जब आप उस क्लब की स्वामिनी हों. महिलाओं की परस्पर पर्तिस्पर्धा में वो पीछे नहीं रह सकती थी. ऐसी मखमली गाँड देखकर डी की लार टपक गई और संयोगवश गाँड के छेद पर ही जाकर बिखर गई. शोनाली को तो इसका आभास नहीं हुआ पर डी की जीभ चंचल हो गई.

डी ने झुककर जीवन में पहली बार गाँड पर जीभ लगाई. शोनाली इसकी अपेक्षा कर रही थी तो उसने गाँड हिलाकर डी को आगे बढ़ने का संकेत दिया. डी अब वैसे भी रुकने की स्थिति में नहीं था. वो जीभ को चारों ओर घुमाते हुए केंद्र की ओर बढ़ रहा था. अनुभव की कमी को वो अपने उत्साह से पूरा करने के लिए प्रयासरत था. शोनाली उसके इस मनोवृत्ति से प्रभावित हो गई और गाँड को ढीला छोड़ दिया जिससे कि डी को भेदने में समस्या न हो.

डी की जीभ ने उसे टटोला तो गाँड स्वतः ही खुल गई और उसकी जीभ उसमें प्रवेश कर गयी. डी के नथुनों को एक तीखी गंध का आभास हुआ. परन्तु वो रुका नहीं और अपनी जीभ को अंदर से बाहर करने लगा. शोनाली अपने कर उसका उत्साह बढ़ा रही थी. किसी ऐसे व्यक्ति की तुलना जिसने ये कार्य पहली बार किया हो, डी अत्यंत दक्षता से गाँड चाट रहा था. इस प्रकार से उसने कुछ देर गाँड का आनंद लिया कि शोनाली ने उसे कहा कि अब वो गाँड मारे। डी ने कुछ जैल शोनाली की गांड में डाला और फिर अपने लंड को ऊपर रखते हुए एक धक्का लगाया.

उसके गाँड चाटने के उपक्रम और जैल से सनी गाँड में लौड़ा मक्खन में छुरी की भांति अंदर चला गया. शोनाली ने एक सिसकी ली और फिर अपनी गाँड को पीछे धकेला. डी ने उसका अभिप्राय समझ लिया और शेष लंड भी अंदर डाल दिया. इसके बाद शोनाली नीचे से और डी ऊपर से धक्के लगाने लगे. शोनाली की गाँड से निकलती ऊष्मा से डी का काला मोटा लंड और फैल गया. शोनाली को इससे और आनंद आने लगा और वो डी को चीख चीख कर और तेजी से गाँड मारने के लिए कहने लगी. डी भी अपनी पूरी शक्ति के साथ शोनाली की गाँड मार रहा था और अचरज कर रहा था कि जहाँ उससे गाँड मरवाने वाली महिलाएं उसे धीमे चोदने की विनती करती थीं वहीँ शोनाली उसे और भी अधिक गति और शक्ति से गाँड मारने के लिए उकसा रही थी.

जिस गति से डी चोद रहा था उतनी ही गति से शोनाली भी अपने कूल्हे उछाल रही थी. दस मिनट की चुदाई के बाद शोनाली ने डी को लेटने को कहा और फिर उसके ऊपर चढ़कर लौड़ा अपनी गाँड में ठूँस लिया. अब शोनाली उछाल मार रही थी और डी नीचे से धक्के लगाए जा रहा था. जब शोनाली थक गई तो पहला फिर से बनाया और डी ऊपर से गाँड मारने लगा. अब इस खेल का अंतिम पड़ाव निकट था और दोनों थक रहे थे. डी ने एक चिंघाड़ के साथ अपना लंड शोनाली की गाँड में डाला और अपना रस उसमें छोड़ने लगा. शोनाली अपनी गाँड की मांसपेशियों से उसके लंड को सोखने लगी और जब डी का स्खलन समाप्त हुआ तो उसे प्लग लगाने की आज्ञा दी.

डी को निर्देश भूला न था, उसने लंड बाहर निकाला, उसे शोनाली की गाँड पर पोंछा और प्लग लगाकर गांड बंद कर दी. उसने अपने कपड़े पहने और चुपचाप कमरे से निकल गया. जब वो मंजुल के पास पहुँचा तो मंजुल उसे देखकर मुस्कुराई और ओडुम्बे तथा गातिमु के साथ बैठने को कहा. उसके अंदर जाने के बाद एक फोन मिलाया.

डिग्बो अपने साथियों को नियम समझाने लगा जैसे परीक्षा के पहले विद्यार्थियों को समझाया जाता है. अगर ओडुम्बे और गातिमु में कोई घमंड था तो उसे भी मिटा दिया. अब उन्हें दो घंटे का समय मिला था.

मंजुल ने जिसे फोन किया था वो महिला पवन गति से शोनाली के कमरे में घुसी.

शोनाली: “आओ दी. आज तुम्हारे लिए विदेशी पकवान बनाया है.”

सुमति को किसी आमंत्रण की आवश्यकता न थी वो अब तक नंगी हो चुकी थी और शोनाली की गाँड से उसने प्लग निकाला और अपनी क्षुधा शांत करने में जुट गई. शोनाली ने भी उन्हें पूरे प्रेम से अपनी गाँड को खोल खोल कर रस पिलाया. सुमति जब संतुष्ट हो गई तो शोनाली के साथ लेट गई.

“मैं एक बात कहना चाहती हूँ.”

“बोलो दी.”

फिर सुमति ने अपनी बात कही तो शोनाली ने उसे कहा कि वो इसका प्रबंध कर देगी. उसने मंजुल को बुलाया और कुछ निर्देश दिए. उन्हें सुनकर मंजुल की भी बाँछें खिल गयीं और वो लपककर उन निर्देशों को पूरा करने चली गई.

घण्टे के बाद ओडुम्बे की परीक्षा की गई. जब सुमति उसके वीर्य को शोनाली की गाँड से पी चुकी तो शोनाली ने उसे बताया कि उसकी इच्छानुसार प्रबंध कर दिया है. और कुछ सुरक्षा का भी प्रबंध कर दिया है जो वो उसे गातिमु के परीक्षण के उपरांत बताएगी. गातुमी का परीक्षण भी सफल हुआ. और सुमति को उसका रस पिलाकर उन्हें पंद्रह मिनट में लौटने का निर्देश दिया, परिणाम बताने के लिए. मंजुल ने आकर बताया कि उसने सभी कार्य सम्पन्न कर लिए हैं.

“दी, आपकी इच्छा के अनुसार, तीनों नए रोमियो आज यहीं रुकेंगे. अभी मैंने ये उन्हें नहीं बताया है पर कुछ देर में बता दूंगी. अपनी सुरक्षा के लिए मैंने कालिया जो इन्हें जानता है उसे भी बुला लिया है और दो और रोमियो भी आएंगे पर वो मुख्यतः सुरक्षा के लिए ही होंगे. मंजुल भी आपके साथ रहेगी क्योंकि मैं आपको यूँ अकेले नहीं छोड़ सकती. आशा है आप पूरा आनंद लेंगी.”

“धन्यवाद, मैं प्रकाश को बता देती हूँ.”

“ओके, पर आप अभी जाइये. मैं फिर बुलाऊँगी”

सुमति मंजुल तीनों को लेकर आ गई.

“मुझे तुम तीनों को रोमियो बनने के लिए बधाई देती हूँ. तुम तीनों ने अपने अनुभव की कमी को परिश्रम से पूरा किया है. मैं चाहती हूँ कि तुम्हारी आगे का शिक्षण आज ही आरम्भ किया जाये. तो तुम्हें आज यहीं रुकना है. किसी को इसमें कोई समस्या तो नहीं है?”

तीनों ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं.

“ठीक है. मंजुल तुम इनके आवेदन ले आओ.”

मंजुल के हाथ में ही आवेदन पत्र थे जिन पर शोनाली ने हस्ताक्षर किया और इस प्रकार से तीन नए रोमियो क्लब में सम्मिलित हो गए. इसके बाद उन्हें उसकी कमरे में जाकर बैठने के लिए कहा गया. कमरे को साफ किया गया और चादर इत्यादि बदली गयीं.

“मंजुल, दीदी का ध्यान रखना. कैमरा अवश्य चलने देना। हम घर से बीच बीच में देखते रहेंगे. वैसे दो कौन से रोमियो आ रहे हैं? उन्हें भी थोड़ी थोड़ी देर में जांच करने के लिए कह देना.”

फिर सुमति को बुलाया गया. शाम छह बजे कालिया और अन्य दो रोमियो भी आ गए. कालिया के साथ डिग्बो, ओडुम्बे और गातिमु को कमरे में बुलाया. चारों सुमति को देखकर ठिठक गए. उनके पीछे मंजुल मुस्कुरा रही थी.

“आज ये मंजुल के साथ तुम्हारी ट्रेनिंग करेंगी, कालिया तुम्हें इन्हें समझने के आशय से बुलाया है.”

“ओके, मैम. मैं ध्यान रखूँगा। नमस्ते सुमति मैम!”

कालिया ने कहा तो शोनाली को ध्यान आया कि सुमति तो एक बार पहले भी विदेशी वीर्य पी चुकी है. पर अब ये निरर्थक था. उसने सबको बाई कहा और निकल गई. बाहर दोनों रोमियो को फिर से समझाया और उन्हें भी खेल में सम्मिलित होने के लिया कहा. पर एक समय पर एक ही.

चारों अफ़्रीकी रोमियो अब सुमति और मंजुल को देख रहे थे जो अपने कपड़े उतार रही थीं. आज की रात उन दोनों की हर नस में सुख का संचार होने वाला था.

रात अभी शेष थी

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