दृश्य १
समय: शाम के आठ बजे
स्थान:घर में .
हलकी मद्धिम प्रकाश से नहाये हुए कमरे में तीन लोग थे. एक नंगी स्त्री अपने पांव फैला कर लेटी हुई थी. एक दूसरी स्त्री, जो उस ही की तरह नंगी थी, उसके ऊपर लेटी थी और उसकी जांघों के बीच अपना चेहरा छुपाये हुए थी. पहली स्त्री अपने मोटे और गुदाज मम्मों को अपने ही हाथों से मसल रही थी. बीच में रह रह कर वो दूसरी स्त्री का सिर अपने जांघों के बीच में जोर से दबा देती. उसके मुंह पर दूसरी स्त्री अपनी चूत लगाए हुए थी जिसे वो बड़ी बेसब्री और प्यार से अपनी जीभ से कुरेद रही थी. दूसरी स्त्री बीच बीच में सिहर उठती थी. उसकी सुन्दर मखमली नितम्बों के बीच इस समय एक लम्बा और मोटा लंड घुसा हुआ था जो उसकी गांड के अंदर आवागमन कर रहा था.
“सागरिका, तुम बार बार मेरी चूत से अपना मुंह क्यों हटा लेती हो?” नीचे वाली स्त्री ने शिकायत से कहा.
“बुआ, अभी थोड़ी देर में जब हमारी जगह बदलेगी और पापा का ये लौड़ा तुम्हारी गांड फाड़ रहा होगा न तब मैं भी तुमसे यही पूछूँगी.”
सुमति हल्के से हंस दी. “अभी देर है उसमें. जॉय तेरी गांड को इतनी जल्दी नहीं छोड़ने वाला. मेरा नंबर आने में अभी समय है. ऊई माँ. काटती क्यों है! ”
सागरिका ने अपना सिर घुमाकर पीछे अपने पिता को प्यार से देखा. “पापा थोड़ा तेज करो न. मेरी गांड में खुजली हो रही है आपके इतना धीरे करने से.”
“ओके, बेटी.” कहकर जॉय ने अपनी गति थोड़ी बड़ा दी. पर बहुत नहीं. उसे अपनी बेटी की अपेक्षा का अच्छे से पता था. उसे पता था की कब और कितना गहरा और तेज़ जाना है.
दृश्य २: उसी दिन दोपहर ४ बजे.
स्थान: दिंची क्लब
दिंची क्लब में आज नए सदस्य का साक्षात्कार था. ये एक बहुत ही विशिष्ट क्लब था, जिसकी सदस्यता मात्र और एकमात्र अनुशंसा या आमंत्रण से मिलती थी. इस समय इसके मात्र १३ सदस्य थे. ये सभी महिलाएं थीं. १५ युवक भी थे परन्तु उनका विवरण और पद सदस्य नहीं था, इन्हें रोमियो की उपाधि दी गई थी. इस क्लब का विचार और संकल्पना शोनाली की थी. परन्तु इसका सञ्चालन पार्थ के ही हाथ में था.
इस क्लब की विशेषता थी, इसकी सदस्यता के माप दंड.
१. इसमें स्त्रियों को ३० वर्ष की आयु से अधिक, विवाहित, तलाकशुदा, या विधवा होना आवश्यक था. अविवाहित महिलाओं को इसमें सदस्यता वर्जित थी.
२. युवकों की आयु की १९ वर्ष से २६ वर्ष की सीमा थी. २६ वर्ष के बाद उन्हें रिटायर कर दिया जाना था. हालाँकि अभी तक ऐसा हुआ नहीं था क्योंकि अभी कोई भी अगले ३ वर्ष तक २६ की आयु का नहीं होने वाला था.
३. ये वो विशेषता थी जिस के आधार पर इस क्लब का नाम रखा गया था. उस में रोमियो युवकों के लंड की लम्बाई १० इंच या अधिक होनी चाहिए थी. इस कारण इसका नाम दिंची (दस इंची) क्लब रखा गया था. पहले इसे Ten Plus का नाम देने का विचार था, परन्तु इससे शंका होने का भी था. हालाँकि इसका पूरा नाम सिर्फ चुने हुए लोगों को ही पता था.
४. इस बात का ध्यान रखने के लिए कि किसी भी तरह की सूचना बाहर न जाये, हर सदस्य के लगभग दस प्रकरण वीडियो में रिकॉर्ड किये जाते थे. इन्हे एक बहुत सुरक्षित स्थान पर रखा जाता था, जिसका पता केवल पार्थ और शोनाली को ही था. इन्हें एक क्लाउड स्टोरेज में भी रखा गया था जिसकी पहुँच भी केवल इन दोनों को ही थी.
५. क्लब का सदस्यता शुल्क २ लाख प्रति माह था और युवकों को प्रति माह १ लाख का पारश्रमिक मिलता था. इसका मात्र २५% ही उन्हें हर माह दिया जाता था, अनुबंध के अनुसार, उन्हें २९ वर्ष की आयु प्राप्त करने या क्लब से जाने के तीन वर्ष पश्चात् उन्हें उनकी शेष राशि दे दी जानी थी. नयी सदस्या का पंजीकरण शुल्क १० लाख था, जो सुरक्षा जमा राशि के रूप में ली जाती थी और छोड़ने के ३ साल बाद वापिस की जाती थी. एक वर्ष के पहले छोड़ने पर ये राशि नहीं लौटाई जाती थी.
क्लब के रखरखाव इत्यादि के व्यय के कारण अभी तक इसमें लाभ मिलना आरम्भ नहीं हुआ था. कुछ अन्य सदस्यों को जोड़ने के लिए वर्तमान सदस्याओं ने नाम सुझाये थे. उनके बारे में प्राथमिक जानकारी प्राप्त कर ली गई थी.
आज इस क्लब में एक नए स्त्री सदस्य और एक रोमियो का साक्षात्कार था. सदस्या का साक्षात्कार पार्थ दायित्व था और रोमियो का शोनाली का.
घर में :
जॉय सागरिका की मखमली गांड में अब तेज और लम्बे धक्के लगा रहा था. सागरिका एक सुखद पीड़ा से कराह रही थी. पर उसने अपनी बुआ की चूत चाटने में कोई ढील नहीं दे रही थी. उसकी चूत में सुमति बुआ की जीभ अपना जादू दिखा रही थी और उसकी गांड में उसके पिता का लंड अपना पराक्रम। इस समय वो स्वर्ग के द्वार पर थी. अचानक जॉय ने हाथ बढाकर उसकी भगनासे को दो उँगलियों से मसल दिया. बस फिर क्या था, सागरिका चरम सुख की सीमा लाँघ गई. उसने अपना मुंह अपनी बुआ की चूत में गाढ़ दिया और स्खलित होने लगी. उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला. उसका शरीर उन्माद से कम्पित हो रहा था. उसकी बुआ के मुंह में उसका ये रस पूरा भर गया.
सागरिका के इस आक्रमण से सुमति भी अब ठहर नहीं पायी और वो भी गों गों की ध्वनि करते हुए झड़ने लगी. दोनों स्त्रियों के चेहरे एक दूसरे के काम रस से भीग गए. उधर जॉय भी अब अपने आप को ज्यादा देर तक रोकने में सक्षम नहीं था. उसने सागरिका की गांड में धक्के तेज कर दिए और कुछ ही क्षणों में अपना लंड अंदर गाढ़ कर अपना पानी अपनी बड़ी बेटी की गांड में डाल दिया. सब लोग कुछ देर के लिए यूँ ही स्थिर रहे.
“सग्गू, मुझे ऊपर आने दे न.” सुमति ने हिलते हुए कहा. “मुझे अपना टॉनिक लेना है.”
सागरिका समझ गई की बुआ क्या चाहती है.
“बुआ, आप वहीँ रहो, मैं आपको आपकी खुराक पिलाती हूँ.”
ये कहते हुए सागरिका उठी और अपनी गांड को सुमति के मुंह पर रख दिया. जॉय के लंड का प्रसाद सुमति के मुंह में गिरने लगा. जब प्राकृतिक रूप से रस गिरना बंद हुआ तो सुमति ने अपना मुंह सागरिका की गांड के छेद पर रखा और लम्बे लम्बे सांसों के साथ अंदर का रस खींचने और चूसने लगी. हालाँकि सागरिका ये कई बार कर चुकी थी पर फिर भी इस अश्लील और घिनौने कृत्य से वापिस एक बार और झड़ गई और इस पानी ने सुमति के चेहरे को नहला दिया. गांड के अंदर से सारा रस खींचने के बाद सुमति ने सागरिका को उठने को कहा.
सागरिका उठ कर एक ओर बैठ गई और लम्बी लम्बी सांसों से अपने आपको संयत करने लगी.
“दीदी, अमार की होबे (मेरा क्या होगा) ?”
“एखाने आशुन (इधर आओ )”
जॉय सुमति के पास गया तो सुमति ने बड़े प्यार से उसका लंड अपने हाथ में लिया और फिर मुंह में लेकर चाटने और चूसने लगी.
“सच में तुम्हारे लंड और सागरिका की गांड का ये मिला जुला स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगता है.”
“दीदी, मुझे आज तक नहीं समझ आया कि तुम्हे ऐसा करना कैसे पसंद है. मैं शिकायत नहीं कर रहा. पर ये इतना गन्दा काम है कि मुझे बहुत अजीब लगता है.”
“हाँ बुआ. पापा सही बोल रहे हैं.”
“सबके अपने अपने स्वांग होते हैं. मुझे गांड मरवाने और उसके अंदर से वीर्य पीने में बहुत आनन्द आता है. अगर वो गांड किसी और की भी हो तो मुझे अच्छा लगता है. आवश्यक नहीं कि तुम्हे भी रुचिकर लगे. पर कभी स्वाद लेना, हो सकता है इसका व्यसन लग जाये।” सुमति बोली, “मुझे अगर वो कुछ समय बाद पीने मिले तो और स्वादिष्ट लगता है. इसीलिए मैं शोनाली की प्रतीक्षा करती हूँ. उसकी गांड में जब भी क्लब जाती है तो माल एक डेढ़ घंटे पकने के बाद आता है.”
सागरिका के भाव देखकर वो समझ गई कि लड़की कहीं भाग न जाये.
“हम्म्म लगता है तुझे अभी नहीं भायेगा, सग्गू, एक बड़ा ड्रिंक बना दे मेरे लिए.” सुमति उठकर पास पड़े सोफे पर बैठती हुई कहती है.
सागरिका उठती है और दो ड्रिंक्स बनती है और सुमति और जॉय को थमा देती है.
“अब अच्छी बच्ची की तरह मेरी चूत और गांड चाट और अपने बाप के लंड के लिए तैयार कर.”
सागरिका नीचे बैठकर अपने काम में जुट जाती है. जॉय अपने मोबाइल पर कुछ देखने में व्यस्त हो जाता है. फिर वो एक मैसेज करता है.
“कहाँ हो?”
“घर वापिस आ रही हूँ. आज एक साक्षात्कार था नए लड़के का क्लब में.”
“पास हुआ?”
“अव्वल नंबर से. दीदी के लिए उपहार भी ला रही हूँ. बस ठहरो १० मिनट में पहुँच रही हूँ.”
जॉय ने फ़ोन एक ओर रख दिया.
“शोनाली तुम्हारे लिए प्रसाद ला रही है, दीदी.”
“वो सच में अपनी ननद से बहुत प्यार करती है.”
दिंची क्लब में:
क्लब में साक्षात्कार करने के पहले दोनों सदस्यों से अलग अलग फॉर्म भरवाए गए और साक्षात्कार का शुल्क (मात्र रु १०,०००) लिया गया जिसे वापिस नहीं किया जाना था. दोनों आवेदकों को अलग अलग लाया गया था और दोनों ने एक दूसरे को देखा नहीं था.
फॉर्म के स्वीकृत होने के पश्चात्, दोनों को अलग अलग कमरे में ले जाया गया. दोनों कमरे आलीशान ५-सितारा होटल की तरह थे. दोनों कमरों में कई वीडियो कमरे लगे थे और उनका सञ्चालन दूर से कण्ट्रोल रूम से होता था. क्लब का एक वीडियो ग्राफर था जो इस तरह की फिल्में बनाने में निपुण था. महीने में तीसरे शनिवार को ही सिर्फ ये इंटरव्यू होते थे.
घर में:
बताये समय पर शोनाली घर पहुँच गई और गाड़ी पार्क करके घर में चली गई. फिर उसने जॉय को फ़ोन लाया और पता किया कि वो किसके कमरे में हैं. जानने के बाद उसने अपने कदम तेजी से उस ओर बढ़ा दिए. सुमति उसे देखकर आनंदित हो जाती है.
“मेरी प्यारी भाभी!” सुमति उससे लिपट जाती है. फिर उसे देखकर कहती है, “भाभी क्या बहुत मजा आया?”
“हाँ, बहुत बड़े लंड वाला था. मेरी गांड के तो तार ढीले कर दिए. सच कहूँ दीदी तो मैं तुम्हारे प्रसाद के ही लिए अब गांड मरवाती हूँ. किसी दिन कोई मेरी गांड सच में न फाड़ दे.”
“अरे भाभी, गांड अगर तरीके से मारने वाला हो तो एक क्या दो दो लंड भी ले ले, इतनी लचीली बनाई है ऊपर वाले ने. अब समय न गंवाओ, लाओ मुझे मेरा प्रसाद खिलाओ.”
जॉय और सागरिका एक साथ बैठकर इस प्रसंग को देख रहे थे. न जाने कितनी बार देखने के बाद, आज भी उन्हें घिन और रोमांच दोनों का अनुभव होता था. शोनाली ने अपने कपडे उतर कर अलग किये. सुमति तो नंगी ही थी, वो बिस्तर पर लेट गई और शोनाली ने अपनी गांड का छेद उसके मुंह पर रख दिया. सुमति ने बड़े प्यार के साथ प्लग के इर्द गिर्द शोनाली की गांड को चाटा और फिर प्लग बाहर खींच लिया. प्लग के बाहर आते ही शोनाली की गांड से निखिल का वीर्य बहने लगा. सुमति ने अपना पूरा मुंह शोनाली के गांड में डाल दिया और चूसने लगी.
“ओह शिट ” इस आघात से शोनाली की गांड में कीड़े चलने लगे और उसके मुंह से अनायास ही निकला.
सागरिका दूर से खिलखिलाई. जब सुमति को विश्वास हो गया कि शोनाली की गांड में कुछ बाकी नहीं है तो उसने शोनाली की गांड पर एक चपत लगाई. शोनाली उठी और सीधे लेट गई. उसे पता था की सुमति का अगला आक्रमण कहाँ होना है. सुमति ने भूखी आँखों से शोनाली को देखा. उसके सुन्दर चेहरे और वक्ष पर एक पतली सी पपड़ी जमी थी.
“क्या मैं जो सोच रही हूँ ये वही है?”
“हाँ, आपकी खुराक. दीदी, पर इस तरह इतनी देर रहने में मुझे अच्छा नहीं लगता.”
“मेरी प्यारी भाभी, इसीलिए तो मैं तुम्हें इतना प्यार करती हूँ. तुम मेरे लिए बेमन भी सब कुछ करती हो.” कहते हुए सुमति ने शोनाली के चेहरे से सूखा वीर्य चाटना शुरु किया.
सागरिका ने जॉय से कहा, “आइये पापा, आपको तैयार कर दूँ, अभी बुआ बुलाने वाली है. उससे पहले ही आप छोटे भाई का कर्तव्य निभाइये और पहले ही हमला कर दीजिये.”
ये कहकर सागरिका ने जॉय के लंड को मुंह में लेकर चाटते हुए अच्छे से खड़ा और गीला कर दिया. जॉय आगे रणक्षेत्र की ओर चल दिया. उधर सुमति शोनाली के चेहरे, वक्ष और पेट से चाटती हुई उसकी चूत के द्वार पर पहुंची. उसने चूत की फाँके खोलीं और सागरिका की ओर देखा. जॉय को न देखकर उसे हैरानी हुई.
“जॉ…” कहने के पहले ही जॉय ने अपना लंड एक ही झटके में सुमति की गांड में पेल दिया. सुमति की ऑंखें बाहर आ गयीं. जॉय ने शोनाली को इशारा किया और शोनाली ने सुमति के सिर पर हाथ रखकर अपनी चूत पर दबा दिया.
“चाटो मेरी चूत दीदी. उसके अंदर भी मेरे घोड़े का पानी है.”
सुमति गुं गुं की आवाज़ के साथ छटपटाती हुई चूत चाटने लगी. पीछे जॉय उसकी गांड में लम्बे करारे धक्के लगा रहा था. सागरिका सोफे पर बैठी संतुष्टि में ये कामक्रीड़ा देख रही थी. शोनाली ने अपना हाथ सुमति के सिर से हटाया तो सुमति ने साँस लेने के लिए अपना चेहरा ऊपर लिया. उसका चेहरा शोनाली के रस से सराबोर था.
“तुम दोनों मुझे शॉक दिए न.” उसने हल्के शिकायत भरे स्वर में कहा.
“नहीं दीदी, वही किये जो आप हर बार चाहती हैं. बस इस बार हमने पहल की. आपको बुरा लगा क्या.”
“तुम्हारी चूत पीना, और अपने भाई से गांड मरवाने में मुझे क्यों बुरा लगेगा. जॉय अब तू अच्छे से पेल मेरी गांड और इसकी खुजली मिटा दे.”
“बिलकुल, दी.” ये कहकर जॉय ने तेज और लम्बे धक्के लगाने शुरू कर दिए.
शोनाली नीचे से उठी और फिर दूसरी ओर जाकर नीचे लेट गई और सुमति की चूत चाटने लगी. सुमति ने तुरंत ही शोनाली के मुंह पर अपना पानी छोड़ दिया. उधर जॉय भी अब झड़ने वाला था. सुमति ने उसके लंड को अपनी गांड में फूलते हुए महसूस किया.
“जॉय, मेरे मुंह में डालना, गांड में नहीं.”
ये सुनकर जॉय ने अपना लंड हल्के से बाहर खींच लिया. सुमति की गांड का छेद इस समय दस रुपये की सिक्के जितना खुला हुआ था और उसकी गांड का छेद लुप लुप कर रहा था. जॉय अपना लंड लेकर सुमति के सर के पास आकर खड़ा हो गया. शोनाली नीचे से हटी और सोफे पर सागरिका के साथ बैठ गई. दोनों माँ बेटी सामने हो रहे भाई बहन की प्रणय लीला देख रहे थे. सुमति ने जॉय का लंड अपने गले तक लिया हुआ था और वो अपना सिर आगे पीछे कर रही थी. जॉय का शरीर अकडने लगा और वो कांपते हुए उसने अपनी बहन के मुंह में अपने लंड का प्रसाद छोड़ दिया. सुमति ने कुछ पिया और कुछ अपने चेहरे पर मल लिया. फिर वो थक कर लेट गई और गहरी सांसे लेने लगी.
कुछ समय पश्चात् सागरिका ने सबके लिए एक डबल ड्रिंक बनाया और इस बार खुद भी लिया.
“तो माँ, कैसा रहा आज का इंटरव्यू.” सागरिका ने शोनाली से पूछा.
“एकदम फर्स्ट क्लास. और जॉय मुझे शायद अपना पहला दामाद मिल गया है. सागरिका के लिए मुझे ऐसा लड़का मिला है जो हमारे परिवार के लिए बिल्कुल उपयुक्त है.”
कहकर उसने अपनी पूरी ड्रिंक एक ही साँस में समाप्त कर दी.
“और उसका नाम है ……”
“निखिल!”
“क्या?”
“वो समर्थ सिंह का नाती!”
“यस! और अब सुनो क्या हुआ…..”