You dont have javascript enabled! Please enable it! कैसे कैसे परिवार – Update 43A | Erotic Incest Family Story - KamKatha
कैसे कैसे परिवार - Erotic Family Sex Story

कैसे कैसे परिवार – Update 43A | Erotic Incest Family Story

अध्याय 4३: मिश्रण 6
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दृश्य १: रूचि आहूजा का घर:

शिखा: “जी आंटीजी. आज पहला अनुभव रहेगा इनके साथ.”

राशि: “अच्छे लड़के है. मस्त चुदाई करते हैं. जैसे बोलोगी वैसे चोदेंगे, जितना चाहोगी उतना. मेरी तो आत्मा तृप्त कर देते हैं. “

शिखा: “देखते हैं. मुझे भी यही आशा है.”

राशि: “तो चलो फिर बुला लो.”

शिखा: “पर पार्थ आया तो?”

राशि: “वो भी पंक्ति में लग जायेगा. मैंने उसे कहा है कि वो भी रहे.”

शिखा: “ओह!, तब ठीक है, बुला लो उन्हें अंदर.”

रूचि गई और सबको अंदर बुला लाई।

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जब रूचि बुलाने आई तो मेहुल कुछ दूर बैठा हुआ था. अन्य सभी रोमियो बियर पी रहे थे. मेहुल ने उनकी ओर देखा और लंड संभालते हुए वो भी अंदर की ओर चल दिया. वो रूचि आहूजा को पहचानता था. वो नगर की सबसे प्रतिष्ठित महिला व्यवसाई थी. उनका दिंची क्लब से जुड़ाव क्लब की सफल यात्रा का परिचायक था. और अभी जो महिला आई थी वो मंत्री की पत्नी थी और इसका अर्थ ये था कि पहुँच बहुत शक्तिशाली लोगों से थी. उसे ये भी समझ थी कि क्लब में अधिकांश उसे उसकी महिला सदस्याओं की इच्छा के अनुसार ही चुदाई करना होगी, न कि अपनी इच्छा से. जैसे शिखा को देखकर उसके मन में जो भाव उठे थे वो शिखा की सहमति या प्रस्ताव के बिना सम्भव न थे. इसकी हानि उसे क्लब के कार्य और मंत्रीजी के कोप के रूप में मिल सकती थी.

इसके विपरीत इन धनाढ्य और शक्तिशाली महिलाओं की सहायता से वो आगे बहुत कुछ पा सकता था. पार्थ इसका उदाहरण था और वो भी उसका उपयोग करना चाहता था. अंदर गया तो देखा कि राशि मैम शिखा को कुछ बता रही थीं.

राशि, “पहले इन तीनों विदेशियों से चुदवा ले. इनके लौड़े लम्बे भी हैं और मोटे भी. पर चुदाई में अधिक अनुभव नहीं है. इन्हें लगता है कि इनके लौड़े बड़ा होना ही पर्याप्त है. तो इनसे चुद कर तेरी मोटर चल पड़ेगी. फिर अपने देसी लौंडों से चुदवाने में आत्मा प्रसन्न हो जाएगी.”

जहाँ नीग्रो रोमियो को बात समझ नहीं आई, वहाँ देसी रोमियो अपनी प्रशंसा सुनकर आनंदित हो गए और मैडम को उनका समय आने पर पुरुस्कृत करने का मन बना लिए. राशि ने रूचि की ओर देखा.

“मैं तो इसकी चुदाई देखूँगी। पर तू भी आ ही जा.”

“नहीं माँ, अभी पार्थ आ जायेगा तो उससे मुझे बात करनी है.”

“ठीक है, जैसा तू चाहे.” राशि ने रूचि की आँखों में देखते हुए बोला तो रूचि ने ऑंखें घुमा लीं. राशि ने देखा था कि कई दिनों से रूचि किसी भी और से चुदवाने में आनाकानी करती है. पर पार्थ के साथ सदा उत्सुक रहती है. उसे इस बात की चिंता थी. पार्थ और रूचि की आयु का अंतर उनके किसी भी और सूत्र में बँधने की राह में रोड़ा था. बेटी पार्थ की ओर खिंची जा रही थी. और जहाँ रूचि केवल पार्थ से चुदवाती थी, वहीँ पार्थ पर ऐसा कोई बंधन नहीं था, न ही रूचि उसे रोकती ही थी. राशि को इस जटिल प्रश्न का उत्तर ढूँढना था.

पर अभी उसके पास अधिक महत्व का कार्य था. और वो था विदेशी रोमियो (विरो) ओडुम्बे, डिगबो, गातिमु से शिखा का उचित परिचय. उसने तीनों को निकट बुलाया और वो तीनों आज्ञाकारी बालकों के समान सामने आकर खड़े हो गए. उनके तनते हुए लौडों ने एक बार तो शिखा को भयभीत किया, पर उसे ध्यान आया कि वो ऐसे लौडों से चुदने की ही इच्छा लेकर यहाँ आई थी. और अगर वो पीछे हटी तो अपने पति बॉबी को क्या मुंह दिखाएगी?

राशि ने उसे फुसफुसाकर समझाया, “मैं इसीलिए तेरे साथ रहूँगी, इनको सीमा नहीं लाँघने दूँगी। तेरे सामर्थ्य के अनुसार ही चुदाई करवाऊँगी। हाँ, पर अपने देसी रोमियो (देरो) से जब चुदवाओगी तब उन्हें स्वयं ही संभालना होगा.”

शिखा ने हल्के से थैंक यू कहा. राशि उसे बिस्तर पर लिटाने के बाद ओडुम्बे, डिगबो, गातिमु को समझाने लगी कि राशि इस पूरे प्रकरण की निदेशक है और उन तीनों को उसकी बात माननी ही होगी. फिर उसने उन्हें शिखा की ओर धकेल दिया. एक विरो नीचे जा लेटा और राशि ने शिखा को उसके मुंह पर चूत रखने का निर्देशन दिया. मुंह पर चूत रखते ही एक सर्पाकार जीभ ने उसकी चूत में लिया. शिखा के मुंह से एक सिसकारी निकली और वो आगे झुक गई. राशि का संकेत पाते ही दूसरे विरो ने शिखा की गांड पर हाथ घुमाया और फिर उसे फैलाते हुए उसे चाटने लगा. अब तीसरे विरो को शिखा के सामने आने के लिया कहा गया. उसके सामने आने पर शिखा ने उसके लंड को मुंह में लिया और चाटने लगी.

अन्य रोमियो स्वाभाविक रूप में बैठे रहे मानो कोई घटना ही घटित न हो रही हो. हालाँकि उनके लौड़े उनकी इस विरक्ति से सहमत नहीं थे.

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इस सब में आधा घंटा व्यतीत हो चुका था और रूचि पार्थ की प्रतीक्षा में अधीर थी. पार्थ दस मिनट बाद आया और उसने रूचि को खड़ा पाया. ऐसा नहीं था कि पार्थ रूचि की भावनाओं से अवगत नहीं था. परन्तु उसने व्यवसाय और आनंद को पृथक रखने का दृढ़ निश्चय किया हुआ था. वो ये भी जानता था कि रूचि को उसके अन्य स्त्रियों को चोदने में कोई आपत्ति नहीं है. इसीलिए जब उसने रूचि को देखा तो उसे सीने से लगा लिया.

“अपने मेरे लिए जो किया है उसका मैं आभार कभी नहीं भूलूँगा। मैं आपकी भावनाओं को समझता हूँ पर हम एक दूसरे के प्रेमी तो बन सकते हैं पर इससे अधिक कुछ नहीं कर पाएंगे. आप भी मेरे ही समान स्वतंत्र हैं. अब चलिए आपके कमरे में चलते हैं. शिखा मैडम क्या कर रही हैं?”

“वो विरों के साथ हैं. माँ ने समझाये अनुसार ही किया है, जब तक हमारा कार्य सम्पन्न होगा तब तक शिखा को विरो ही संभालेंगे. उसके बाद तुम्हें उन्हें चोदने का अवसर मिलेगा.” ये बातें करते हुए दोनों रूचि के शयनकक्ष में प्रवेश किये और उसे बंद कर दिया. रूचि और पार्थ एक दूसरे से लिपट कर चुंबनों में खो गए. मानो कई वर्षों बाद दो प्रेमी मिले हों. वस्त्र स्वाभाविक रूप में ही कहीं गिर गए और जब दोनों के चुंबनों का समापन हुआ तो वे पलंग पर जा गिरे और फिर चूमा चाटी में लिप्त हो गए.

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अब तक मुख्य शयनागार में शिखा पूर्ण रूप से चुदाई के लिए तत्पर थी. उसकी चूत के पानी को पीते हुए लेते हुआ रोमियो तक चुका था. सामने खड़े रोमियो के लंड में झटके लग रहे थे. राशि समझ गई कि लोहा अब पिघले की सीमा तक पहुंच चुका है. उसने जाकर टेबल से एक वस्तु निकाली जिसे देखकर अन्य रोमियो के चेहरों पर मुस्कान आ गई. वहीँ चाटने वाली रोमियो मुंह मुरझा गया. राशि एक गांड बंद करने वाला प्लग लेकर आई और उसे गांड चाटने वाले रोमियो को थमाया और उस रोमियो ने बिना आपत्ति के उसे शिखा की गांड में डाल दिया. शिखा कसमसाई पर कुछ बोली नहीं.

अगर राशि को गांड चाटने वाले रोमियो से कोई सहानुभूति थी भी तो उसने दर्शाया नहीं. उसके होंठों अपनी ऊँगली फिराई और शांत रहने का किया. फिर उसने शिखा से उठने कहा और उसे सीधा लेटा दिया. तीनों विरों को देखकर उसने चूत चाटने वाले रोमियो को आमंत्रित किया.

शिखा के पास बोली, “सुन अब इन अफ़्रीकी लौडों से चुदवा पर तेरी गांड मैं पहले पार्थ और देसी लौंड़ों से ही मरवाऊँगी। तो अधिक उतावली मत होना. एक बार इनसे अपनी चूत खुलवा ले. और तेरे बॉबी के लिए सब रिकॉर्ड कर रही हूँ.”

इसके बाद उसने तीनों अफ़्रीकी रोमियो को निर्देशित किया कि उनसे क्या अपेक्षा और उनकी क्या सीमा है. इसके बाद वो वहाँ से हट गई और देसी रोमियो के बीच जाकर बैठ गई. अफ़्रीकी रोमियो ने एक दूसरे को देखा और फिर निर्धारित रोमियो ने अपना काला लम्बा मोटा लौड़ा शिखा की चूत पर रखा और अंदर धकेलने लगा.

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अपनी घनघोर चुदाई से तृप्त रूचि पार्थ के चौड़े सीने में सिमटी हुई थी. पार्थ ने उसे चोद चोद कर थका दिया था. परन्तु पार्थ को देखकर लगता ही नहीं था कि उसने कोई विशेष परिश्रम भी किया हो.

“मुझसे गुस्सा तो नहीं हो न? जो मैंने शिखा और बॉबी जीजाजी के साथ मिलकर किया?” रूचि की स्वर में कम्पन था. उसे लगा था कि पार्थ ने आज कुछ अधिक क्रूर चुदाई की है. हालाँकि उसकी गांड मारने का अवसर नहीं आया था अब तक.

“हूँ भी और नहीं भी.” पार्थ ने उत्तर दिया. “पर ये भी सच है कि अगर पहले बतातीं तो सम्भवतः मैं इस क्लब को अधिक समय तक नहीं चला पाता। आपके निवेश से सहायता भी मिली है और नयी सदस्याएँ भी.”

राशि की तीन सहेलियों को अब तक क्लब में प्रवेश मिल चुका था. उनमें से एक तो महा चुदक्क्ड़ थी और प्रवेश के दो ही दिन बाद तीन तीन रोमियो से चुदाई की बुकिंग करवा ली थी. और जो विवरण आया था उससे अगर दो तीन और भी होते तो उसे कम ही पड़ते.

“और अब मंत्रीजी के मिलने से जो एक डर था वो भी समाप्त हो गया है.” पार्थ ने कहा तो रूचि ने उसके मुंह पर हाथ रखा.

“आगे से कभी भी उन्हें इस नाम से नहीं बुलाना. बॉबी भैया कहना, जो एक सामान्य नाम हो सकता है, या जीजाजी.”

“ठीक है, जैसा कहो. अब शिखा दीदी की क्या सेवा करनी है?” पार्थ ने हंसकर कहा.

फिर बोला, “जैसा मैं कह रहा था, आपके हस्तक्षेप के बिना मैं अधिक दिन तक इसे नहीं संभाल सकता था, इसीलिए भी मैं क्रोधित नहीं हूँ. और सच ये भी है कि मैं भी आपसे प्रेम करता हूँ. परन्तु हमारे संबंध किसी और रूप में नहीं चल सकते.”

“मैं जानती हूँ और मुझे भी ये स्वीकार है.” रूचि ने कहा फिर पूछा, “तुम्हारी माँ की क्या कहानी चल रही है? अगर आपत्ति न हो तो पूछूँ?”

“नहीं, हम एक दूसरे से अब कुछ भी नहीं छुपाएंगे, सच्चे प्रेमियों की भांति.” फिर पार्थ ने सुमति और प्रकाश के बनते प्रेम प्रसंग की बात की.

“हम्म्म, अगर चाहो तो मैं इसमें कुछ मधु मिला सकती हूँ.”

ये कहकर रूचि ने अपनी योजना बताई जिसे सुनकर पार्थ प्रसन्न हो गया. उसने रूचि को चूमा और उसे चोदने के आसन में आ गया. पार्थ ने उसकी चूत में लंड दो चार बार अंदर बाहर किया और फिर निकाला.

उसे चूमा और बोला, “और मैं भी अब तुम्हारा ही हूँ, रूचि डार्लिंग.”

“नहीं, अभी मुझे छोड़ो, शिखा की गांड तुम्हारे लिए तेल लगाकर प्रतीक्षा कर रही है, पहले उसका उद्धार करो. मैं तो अब तुम्हारी ही हूँ.”

“उसके पहले मैं कुछ कहना कहता हूँ. अगर आपको उचित न लगे तो नकार देना.”

“क्या?”

“क्या हम आंटीजी को क्लब में भेज सकते हैं? उन्हें एक उत्कृष्ट कमरा दे दिया जायेगा. यहाँ भी उन्हें अकेले ही रहना पड़ता है. वहाँ रहेंगी तो क्लब के काम काज में भी व्यस्त रहेंगी. और हमें अपने रोमियो इस प्रकार से यहाँ नहीं भेजने होंगे। क्लब की अन्य सदस्याओं को भी लाभ मिलेगा.”

रूचि सोच में पड़ गई. पार्थ का तर्क सही था. राशि की चुदाई के लिए रोमियो यहाँ आते थे जिसके कारण उन्हें क्लब से अनुपस्थित होना पड़ता था. अगर उसकी माँ क्लब में ही रहेंगी तो व्यस्त भी रहेंगी और चुदाई भी भरपूर हुआ करेगी. साथ ही अन्य महिलाओं की सेवा करने के लिए रोमियो उपलब्ध हो सकेंगे.

“मुझे तो सुझाव अच्छा लगा है. पर उनसे पूछना होगा. फिर शुचि का क्या होगा?”

“उन्हें वहीं आना होगा, या नूतन और मंजुला में से एक के घर का उपयोग करना होगा. परन्तु उनके घर विशेष प्रयोजन के लिए ही उपयोग किये जाते हैं. मैं चाहता हूँ कि हम नियम किसी के भी लिए न तोड़ें. अगर कोई विशष परिस्थिति न आये, तब तक तो कदाचित ही नहीं.”

“ठीक है.”

“कम डार्लिंग.” पार्थ बोला।

अपने लिए तुम और डार्लिंग का सम्बोधन सुनकर रूचि की आँखों में आँसू आ गए. उसे पार्थ को अपने ऊपर से उठाया और उसका हाथ पकड़कर अपनी माँ के शयनकक्ष में ले चली.

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शिखा आनंद की पराकाष्ठा को मानो कई बार छूकर लौटी पर पार कदाचित न कर पाई थी. दो अफ़्रीकी लौड़े उसकी चुदाई कर चुके थे. परन्तु उन्हें उसकी चूत में झड़ने नहीं दिया गया था. उसके लिए दोनों बार राशि सामने आई थी और उन्हें अपने मुंह से ही स्खलित किया था. दोनों बार उसने उस रस को शिखा से बाँटा था. और इस समय उसकी चुदाई में रत तीसरा अफ़्रीकी रोमियो भी अब अपने अंत के निकट था. शिखा की चुदाई को आधे घण्टे से अधिक हो चुका था और उसी शक्ति क्षीण होने लगी थी. राशि ने एक ही आसन में चुदने के लिए विवश किया था और अब वो इस बंधन से मुक्त होना चाहती थी.

और जब ओडुम्बो ने हुँकार भरी तो राशि ने उसे खींचकर हटाया और उसके लंड को मुंह में ले लिया. ओडुम्बो का लंड उसके मुंह में उछलते हुए अपना गाढ़ा रस छोड़ने लगा. शिखा पलंग पर पसरी हुई थी और उसकी चूत पूरी खुली हुई थी जिसकी लालिमा उसके साथ हुई कामक्रीड़ा की साक्षी थी. लंड के पानी को मुंह में लेकर राशि शिखा की ओर मुड़ी और मुँह से मुंह जोड़ा. शिखा ने अपना मुंह खोला और दोनों ने अफ़्रीकी वीर्य का रसपान किया. फिर राशि हटी और उसकी चूत में अपनी जीभ घूमने लगी. खुली हुई चूत उसके इस प्रेम से बंद होने लगी.

और इसी दृश्य को देखते हुए रूचि ने पार्थ के साथ प्रवेश किया.

खड़े हुए रोमियो ने जब अपने बॉस और लेडी बॉस को आते देखा तो तालियाँ बजाने लगे. पार्थ और रूचि को तब आभास हुआ कि वो दोनों नंगे ही आ गए थे. पर वहाँ तो सब नंगे ही थे. फिर उन्हें समझ आया कि ऐसा क्यों था. रूचि पार्थ की बाँह पकड़े हुए थी जैसे कोई पत्नी या गर्लफ्रेंड पकड़ती है. न ही पार्थ ने इसे छुड़ाने का अभिनय किया न ही रूचि ने छोड़ा. ये देख सभी देसी रोमियो उनके निकट आये और अपने हाथ बढ़ाये. उनसे हाथ मिलाकर पार्थ ओर एक और हाथ बढ़ा, जो राशि का था. उसकी आँखों में आँसू थे पर हर्ष की चमक भी थी. बिना कुछ कहे सुने ही सब समझ लिया गया.

अब तक एक रोमियो ने सबके लिए पेग बना दिए थे और पार्थ और रूचि को उस ओर ले गए. शिखा और उसके रोमियो भी अब सजीव होकर इस उत्सव में जुड़ गए. रोमियो राशि देखकर यही सोच रहे थे कि इस आयु की महिला में कामवासना कितनी प्रबल है. वो हर प्रकार की काम क्रीड़ा के लिए आतुर रहती है. आज उसकी चुदाई का एक चरण पूर्ण हो चुका था और अभी उसकी लालसा और वासना में कोई कमी नहीं आई थी. लेकिन अभी अगला संस्करण पार्थ का दायित्व था. शिखा की गांड में डाला प्लग अब बाहर निकलने को उद्द्यत था. उसे केवल अपनी स्वामिनी शिखा की शक्ति के लौटने की प्रतीक्षा थी. और इसमें मदिरा अपना सहयोग दे रही थी.

शिखा ने भी रूचि को गले लगाकर बधाई दी. रूचि शर्मा गई परन्तु उसने शिखा की बधाई को स्वीकारा और उसके कान में फुसफुसाकर बोली, “मेरे बॉयफ्रेंड को दे रही हूँ, उसका ध्यान रखना. वैसे उसे गाँड मारने का बहुत अनुभव है. तुझे बहुत सुख देगा.”

“जानती हूँ. तभी तो आंटीजी ने किसी और को गांड में ऊँगली नहीं करने दी.” शिखा बोली.

सब अपने पेग पी रहे थे और सामान्य वार्तालाप में मग्न थे. सचिन पार्थ से एक कोने में बात कर रहा था.

सचिन, “भाई, मैंने कल दो नई महिलाओं को सदस्या बनने के लिए मनाया है. दोनों भाभी और नन्द हैं. और उनके परिवार में भी चुदाई की परम्परा है. परिवार का आयात निर्यात का बड़ा व्यवसाय है और इसके लिए पुरुष कई दिनों तक दुबई और अन्य खाड़ी देशों में रहते हैं. बेटों को अपने कार्य से जोड़ने के बाद बेटे भी जाने लगे हैं और ये दोनों प्यासी रह जाती हैं. वैसे तो वो बोल रही कि अपनी अम्मी को भी क्लब में सदस्या बनवा देगी. पर मैंने सोचा पहले आपसे पुष्टि लूँ.”

“अम्मी? क्या वे मुस्लिम हैं?”

“जी भाई. और बहुत प्रतिष्ठित परिवार है.” सचिन ने बताया.

“किसकी बात कर रहे हो?” पार्थ ने उसे पैनी दृष्टि से देखा, “मैं किसी लफड़े में नहीं पड़ना चाहता.”

“नहीं भाई. कुछ नहीं होगा. वो दोनों अपने पतियों से लिखित अनुबंध देंगी. उनके पति भी इतने महीनों जो तो उन्होंने भी वहां अपने लिए स्थाई रखेलें रखी हैं.”

“तुमने बताया नहीं. कौन?”

“सलीम खान, एस एन एस ट्रेडिंग के मालिक. वो उनकी बेटी और बहू हैं. और उनकी बेटी उनकी अम्मी अमीना को भी जोड़ना चाहती हैं.”

पार्थ के मुंह से अनायास ही सीटी की ध्वनि निकल गई.

“अगर मैं गलत नहीं हूँ तो उनकी बेटी….”

“सबीना है और बहू निगार.”

“सबीना अब तक साली के बेटों से चुदवा कर ठंडी हो जाती थी. पर अब वो तीनों अपनी माँ की सेवा के लिए चले गए. और उसकी बेटी को भी साथ ले गए. तब से बेचारी बड़ी दुखी है. वैसे ये अवश्य है कि उनके न तो लौड़े ही बड़े थे न चुदाई ही ढंग से आती थी. अब इसे हमारे लौंड़ों का स्वाद मिल गया है तो उन्हें भूल गई है.”

“मुझे रूचि और बुआ से बात करनी होगी. वैसे क्लब के बारे में क्या बताया?”

“कुछ नहीं. बस ये कहा कि अगर नियमित लम्बे और मोटे लौंड़ों से चुदना हो तो मेरे मित्रों की मंडली में आ जाओ. पर ये फ्री सर्विस नहीं है. जितने मोटे लम्बे लौड़े हैं उतना ही दाम भी लगेगा.”

इस बात पर दोनों हंस पड़े. “ये हमारे क्लब की टैग लाइन हो सकती है.”

तभी रूचि पार्थ को लेने आ गई. कुछ सोचकर पार्थ ने रूचि से कहा कि सचिन कोई बात करना चाहता है तो तुम भी सुन लो. फिर बताना क्या विचार है.

“ओके. मैं कर लूँगी. अब चलो शिखा अत्यधिक आतुर है.”

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