You dont have javascript enabled! Please enable it! कैसे कैसे परिवार – Update 39 | Erotic Incest Family Story - KamKatha
कैसे कैसे परिवार - Erotic Family Sex Story

कैसे कैसे परिवार – Update 39 | Erotic Incest Family Story

अध्याय ३९: मिश्रण २
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दृश्य ३: सुमति और प्रकाश

एक प्रसिद्ध रेस्त्रां के एक कोने में एक मंत्रणा चल रही थी. किसी को बाहर से देखने पर प्रतीत होता कि कोई किट्टी पार्टी हो, पर ऐसा था नहीं. स्त्री जब अपने षड्यंत्र को निभाने के लिए सक्रिय होती है तो कोई विराम नहीं लगती. ये मंत्रणा तीन परिवारों के मध्य चल रही थी. दिया और सिया, सुप्रिया और सुलेखा, नीलम और शोनाली इस चर्चा में लिप्त थे. और चर्चा का विषय तो समझा ही जा सकता है: सुमति और प्रकाश को मिलाना, बिना उन्हें अवगत कराये हुए कि वो मिल रहे हैं.

जब योजना बन गई तो सबके चेहरों पर एक संतुष्टि का भाव था. योजना आज से कार्यान्वित की जानी थी. पुरुष वर्ग को भी इसके बारे में समझना शेष था अन्यथा वे कोई न कोई व्यवधान डाल सकते थे.

घर पहुंचने के पश्चात अन्य पात्रों को बताया गया. पार्थ को उसकी भूमिका समझा दी गई. शीला को सुप्रिया ने बताया तो वो अत्यधिक प्रसन्न हुई. वो स्वयं भी सुमति से अथाह प्रेम करती थी और अगर उसका घर बस जायेगा तो शीला को अपार हर्ष होगा. शाम तक सभी इस योजना में निसंकोच सम्मिलित हो चुके थे.

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अगले दिन शाम:

मुखर्जी परिवार एक पाँच सितारा होटल के रेस्त्रां में भोजन के लिए एकत्रित हुआ था. सुमति और शोनाली सुंदर बंगाली साड़ियों में अप्सरा लग रही थीं. और उनके साथ केवल जॉय ही था.

“अरे जॉय, वो तो अपने छह नंबर बंगले वाले पटेल हैं न?” सुमति ने पूछा तो जॉय ने मुड़कर देखा. एक बड़ी टेबल पर आकाश, आकार, दिया और नीलम बैठे थे. उनके साथ एक स्त्री जो दिया की जुड़वाँ बहन थी दो पुरुषों के साथ बैठी हुई थी. जॉय के बोलने के पहले ही शोनाली बोल पड़ी.

“हाँ, लगता है दिया की बहन आई हुई है उससे मिलने. उसके साथ उसके पति चंद्रेश हैं, पर उस अन्य पुरुष को मैं नहीं जानती.”

तभी उन्होंने देखा कि नीलम उनकी ही ओर आ रही है. नीलम आई तो शोनाली और सुमति औपचारिकता से खड़ी हो गयीं. तीनों ने स्त्री सुलभ आलिंगन इस चतुराई से किया कि लिपस्टिक पर सिलवट भी न पड़ी. नीलम ने जॉय की ओर देखा.

“भाईसाहब, आप भी हमारे साथ आइये न?”

“अरे आपके परिवार के बीच में आकर बाधा नहीं डालना चाहेंगे.”

“क्या बात कर रहे हैं भाई साहब, हम सब घर की बातें घर में ही करते हैं. हमें तो अच्छा लगेगा कि कोई अन्य बातें भी सकेंगी. प्लीज़ आइये।”

अब जॉय से अस्वीकार नहीं किया गया. उसने वेटर को बुलाया और बताया कि वो दूसरी टेबल पर जा रहे हैं. वो सुमति के साथ पटेल परिवार की ओर बढ़ा और पटेल बंधु खड़े हो गए. पीछे से नीलम और शोनाली ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दीं. योजना का पहला चरण सुचारु रूप से सम्पन्न हो गया था.

टेबल पर बैठ कर बातचीत आरम्भ हुई और शीघ्र हु महिलाएँ साड़ियों और शृंगार इत्यादि की बातें करने लगीं तो पुरुष खेल, राजनीति और व्यवसाय की. वेटर के आने पर पेय का मंगाये गए. पुरुष ने बियर या व्हिस्की मंगाई तो महिलाओं ने यहाँ मात्र रस इत्यादि से ही संतोष किया. प्रकाश और सुमति के सिवाय किसी को भी इस मिलन का आशय नहीं पता था. षड्यंत्र के अनुसार उन्हें आमने सामने बैठाया गया था. जैसे जैसे बातों का विस्तार बढ़ा तो सब इसमें सम्मिलित होने लगे. सुमति और प्रकाश को ये पता भी नहीं चला कि कब वे दोनों एक दूसरे से ही बात करने लगे.

भोजन समाप्त होने तक सुमति और प्रकाश एक दूसरे से सहज हो चुके थे. भोजन समाप्त होने पर सिया ने प्रकाश को देखा और आँख से संकेत किया और बताया कि वो नंबर ले ले. प्रकाश ने धीरे से सिर हिलाकर उसे स्वीकार किया. बिल चुकाने के बाद सब उठे और चले लगे. प्रकाश और सुमति कुछ पीछे रह गए.

“आपसे मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा. अगर आपको आपत्ति न हो तो क्या हम फिर मिल सकते हैं. इतने सबके साथ नहीं.” प्रकाश ने पहल की.

सुमति मुस्कुराई, “अवश्य.”

“अगर आप अपना नंबर दे दें तो मैं आपसे पूछ लूँगा।”

सुमति ने अपना नंबर बताया जिसे प्रकाश ने तुरंत ही अपने फोन में डाल लिया. आगे चल रहे सर्वजनों को पता था कि पीछे क्या चल रहा है.

“सब कश्मीर से कन्या कुमारी की बात करते है, हम गुजरात से बंगाल मिलाने का प्रयास कर रहे हैं.”

इस बात पर सब खुलकर हँसे. होटल के बाहर अपनी गाड़ियों की प्रतीक्षा करते हुए सबने ये निश्चय किया कि इस प्रकार के मिलन करते रहना चाहिए. गाड़ियाँ आते ही सब अपने घरों की ओर चल दिए.

जॉय गाड़ी चला रहा था और शोनाली उसके साथ आगे बैठी थी. पीछे सुमति अपनी कल्पना में मग्न थी.

“बड़ी बढ़िया पार्टी हो गई, बिना किसी परिश्रम के.” जॉय ने कहा.

“हाँ बहुत आनंद आया.” शोनाली ने उत्तर दिया फिर सुमति से पूछा, “क्यों दी? कैसी रही?”

“हुँह, हाँ हाँ, बेसी भालो छिलो!” सुमति मानो तंद्रा से जगी हो.

शोनाली और जॉय ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दिए. लगता था कि प्रेमदेव ने सुमति के मन को अपने प्रेम बाण से भेद दिया था. घर पहुंच कर सब उनकी ओर ही देख रहे थे.

पार्थ, “अरे बहुत देर कर दी. क्या हुआ?”

जॉय, “पटेल परिवार मिल गया था. तो उनके ही साथ बैठ गए थे. अच्छा लगा उनसे मिलकर इतने दिनों बाद.”

शोनाली, “और दिया की बहन सिया आई है, अपने पति और देवर के साथ. उनके पति तो ठीक ठाक थे, पर देवर कुछ अधिक ही चतुर चालाक लग रहा था, क्यों दी, आपको क्या लगा?” शोनाली ने चुटकी ली.

“मुझे तो प्रकाश बहुत सज्जन लगा. बहुत शालीनता से बात की मुझसे. अब मुझे नींद आ रही है, तो मैं चली सोने. पार्थ, तुम कब आओगे.”

“अभी आता हूँ. आप चलो.”

सुमति के जाते ही सबने हाथ उठाकर सामूहिक ताली बजाई।

उधर प्रकाश की भी स्थिति समान ही थी. परन्तु घर में अधिक लोगों के होने से किसी ने उससे अधिक प्रश्न नहीं किये. पर ये सबने ताड़ लिया कि प्रकाश का ध्यान कहीं और था. नीलम ने ताड़ने के लिए सुझाव दिया.

“अब देर हो रही है तो सोने चलते हैं. भाईसाहब आप कहाँ सोयेंगे?” उसने प्रकाश से पूछा.

“उँह, हाँ आज कुछ अधिक नींद आ रही है, तो मैं अपने ही कमरे में सो जाता हूँ.” ये कहते हुए वो उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना ही अपने कमरे चला गया.

“लगता है पँछी घायल हो गया है.” सिया बोली तो सब ठहाका मर कर हंस पड़े.

“बच्चों, सेंधमारी की हुई है न?”

“पूरी”

नीलम ने शोनाली को फोन लगाया. और वहाँ से भी सकारात्मक उत्तर ही आया. एक प्रहरी को प्रकाश के कमरे में बाहर बैठा कर टीवी चलाया और फिर एक चैनल पर रुके जहाँ प्रकाश के कमरे का दृश्य दिख रहा था. चलचित्र उतना स्पष्ट नहीं था परन्तु इसका प्रयोजन देखना नहीं सुनना था. पंद्रह मिनट में ही स्पष्ट हो गया कि प्रेमाग्नि को ग्रसित कर लिया है. दोनों के अकेले मिलने की योजना भी पता चल गई. अब उन्हें इस प्रकार से निकट लाना था कि बंधन न टूटे. और इसके लिए महिलाओं की नई मंत्रणा कल करना निर्धारित हुआ.

अगले दिन सुबह जब शोनाली उठी तो देखा घर का मुख्य द्वार बंद हो रहा था, जैसे कोई अंदर आया हो या बाहर गया हो. उसने बाहर झाँका तो सुमति को तेज चाल से उद्यान में जाते देखा.

“हम्म, लगता है दोपहर की प्रतीक्षा भी दोनों को भारी पड़ रही है.” उसने नीलम को फोन लगाया. कोई उत्तर न मिलने पर कटा ही था कि नीलम ने फोन किया. शोनाली ने अपनी ओर की सूचना दी तो नीलम ने रुकने को कहा. फिर नीलम ने बताया की प्रकाश भी कमरे में नहीं है. नीलमा अपने घर की बालकनी में गई और बताया कि दोनों उद्यान में घूम रहे हैं. इसके बाद फोन काटकर दोनों अपने कार्यों में व्यस्त हो गयीं.

जब सुमति घर लौटी तो शोनाली रसोई में ही थी.

“अरे दी, कहाँ से आ रही हो?”

सुमति सकपका गई.

“थोड़ा घूमने गई थी, बहुत मोटी होती जा रही हूँ.”

“ये अच्छा किया दी. मुझे बोलती तो मैं भी चलती.”

“अरे मैंने सोचा तुम सो रही होगी. क्यों डिस्टर्ब करूँ। चलो नहा कर आती हूँ.”

“अब ठहरो, चाय पीकर जाओ.” शोनाली ने रोका.

एक कप सुमति को दिया और एक स्वयं लेकर वहीँ खड़े हुए चुस्की लेने लगे. चाय पीकर कप को बेसिन में रखा. सुमति मुड़ी ही थी कि शोनाली ने फिर रोका.

“अरे दी, ये क्या लगा है मुंह पर?”

सुमति ने अपने चेहरे पर हाथ चलाया, “कोथाय?”

शोनाली पास गई और उसके होंठों पर हाथ फेरे, फिर उन्हें चूम लिया. “यहाँ, एक मुस्कराहट है जो कल से लगी है.”

सुमति शर्मा गई.

“दी. इसमें शर्माने की बात नहीं है. आपको प्रकाश अच्छा लगा न? हमें भी अच्छा लगा. और पार्थ को भी. तो हमसे छुपाने का कोई अर्थ नहीं है. उन्मुक्त होकर मिलो और आनंद लो. अगर बात आगे बढ़े तो हम सबको प्रसन्नता होगी. अब जाओ, नहाकर आ जाओ.”

सुमति ने शोनाली को चूमा, “धन्यवाद, भाई क्या बोला?”

“वो भी हैप्पी है.”

सुमति अपने कमरे में चली गई पर इस बार उसकी चाल भिन्न थी.

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दृश्य ४: वर्षा और स्मिता:

चार गाड़ियाँ रुकीं और उनमे से लोग उतरे. कुछ ने अंगड़ाई लेकर अपने शरीर को सीधा किया तो किसी ने घुटने मोड़कर.

“नाइस प्लेस.” समीर ने कहा.

“यस, वेरी वेरी नाइस.” वर्षा जो उसके साथ खड़ी थी उसने सहमति जताई.

वर्षा और उसका परिवार आज स्मिता के परिवार के साथ उसी रिसोर्ट में आया था जहाँ पर समुदाय के मिलन समारोह होते हैं.

“हाँ, मेरी इसके स्वामी से अच्छी मित्रता है. कभी आवश्यकता पड़े तो बताइयेगा.” विक्रम ने उसके पास आकर कहा.

रिसोर्ट में उनके लिए विशेष प्रबंध किया गया था. स्मिता द्वारा बताये जाने के बाद उन्हें इस बात का दायित्व दिया था कि अगर सम्भव हो तो उन्हें भी समुदाय से जोड़ने का प्रयास किया जाये. उनकी जो जाँच इत्यादि है वो समय ले सकती है परन्तु उनका इस प्रकार की जीवनशैली के प्रति समर्पण को समझना आवश्यक था.

गाड़ियों में से एक एक करके अंजलि, राहुल, जयंत, सुलभा और पवन भी बाहर आकर रिसोर्ट की सुंदरता का आनंद उठा रहे थे. स्मिता, मोहन, महक, मेहुल और श्रेया भी यही देख रहे थे. मेहुल का यहाँ का पहला आगमन था, हालाँकि इस माह के अंत के मिलन में उसे औपचारिक रूप से प्रवेश मिलना था. अविरल और सुजाता विवेक और स्नेहा के साथ आ सकते थे, अपितु उनका अब तक आना निश्चित नहीं था.

रिसोर्ट से निकलकर दो लड़के और दो लड़कियां आये, जो रिसोर्ट की वेशभूषा में थे. उन्होंने आकर सबको प्रणाम किया. तभी एक इलेक्ट्रिक गाड़ी लेकर एक लड़का और आया और उनकी कार से सामान निकालकर रखने लगा. इसमें अन्य कर्मचारी हाथ बंटाने लगे. फिर एक कर्मचारी विक्रम के पास आया और उसे चार चाबियाँ दे दीं. कारों की चाबी लेकर उसने बताया कि वे उन्हें उचित स्थान पर खड़ी कर देंगे.

“आप चलकर जलपान कीजिये. आपका सामान पहुंचा दिया जायेगा और फिर आपको भी छोड़ दिया जायेगा.” उसने बताया.

“क्या हम कमरों में जाने के पहले रिसोर्ट घूम सकते हैं?” वर्षा ने पूछा.

“बिलकुल, अगर आप ऐसा चाहती हैं तो ऐसा भी किया जा सकता है. अन्य रिसोर्ट के अतिथि तो आपको इस समय नहीं मिलेंगे, पर तरण ताल इत्यादि में अवश्य कोई न कोई मिल जायेगा.”

“कोई बात नहीं, हम उन सबसे बाद में मिल लेंगे. एक बार थोड़ा घुमा दीजिये.”

“ओके, मैम, नो प्रॉबलम।”

इसके बाद सभी अल्पाहार के लिए रेस्त्रां में चले गए.

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रेस्त्रां में प्रवेश करते ही स्मिता को मानो के झटका लगा. एक ओर श्रीमती मधु बैठी हुई थीं. और उनके साथ तीन समुदाय के लड़के बैठे थे. इनमें से एक सिद्धार्थ था जिसकी प्रशंसा उन्होंने पिछले मिलन समारोह में की थी. एक डॉक्टर रति का बेटा रवि था और एक अन्य लड़का जिसका नाम स्मिता को ध्यान नहीं था. मधुजी ने उन्हें देखा और मुस्कुरा दीं। जब सब बैठ गए तब उन्होंने स्मिता को बाहर बुलाया. बाहर एक ओर खड़े हो गए.

“मधु जी, आप यहाँ कैसे?”

“अरे जब परख ने बताया कि आप नए संभावित सदस्यों के साथ आ रही हो तो मैंने भी सोचा कि ये अच्छा समय होगा उनके पूर्वावलोकन का. अगर उनका प्रदर्शन उचित रहा तो उनके सम्मिलित होने की एक अड़चन हट जाएगी.”

“अगर वो इसके लिए सहमत हुए, तब.” स्मिता ने कहा.

“हाँ. अगर नहीं भी हुए तो कुछ मनोरंजन ही हो जायेगा. वैसे तुम्हें रति और स्वाति दोनों के बेटों के साथ समय बिताना चाहिए. सिद्धार्थ तो उत्कृष्ट है ही पर रवि और स्पर्श भी बहुत निपुण हैं चुदाई में. तो मैंने सोचा कि जब मैं तुम सबकी काम क्रीड़ा देख रही होंगी, तब अपनी भी कुछ चुदाई करवा ही लूँ.”

“आप कब चूकती हैं, बस अवसर मिलना चाहिए.” स्मिता ने हँसते हुए कहा.

“और अवसर इस आयु में भी मुझे ढूंढते हैं.” मधुजी ने इठलाते हुए बोला।

“अब मुझे ध्यान रखना होगा कि हम सबकी चुदाई का लाइव शो होगा.”

“बाद में भी देख सकती हो. परख ने इसका भी प्रबंध कर लिया है.” मधुजी ने आँख मारते हुए कहा और अंदर चली गईं।

ये समस्या खड़ी कर सकता था. इस विषय में विक्रम से बात करनी होगी. जब वो अंदर पहुँची तो जलपान लगा हुआ था.

“कौन हैं वो?” वर्षा ने पूछा.

“मेरे मित्र की माँ हैं. उनके ही बेटे का रिसोर्ट है ये.” विक्रम ने उत्तर दिया.

“ओह, बहुत वैल मैनटैनेड हैं.” वर्षा ने कहा तो स्मिता ने मन ही मन सोचा कि और उच्च कोटि की चुदक्क्ड़ भी हैं.

जलपान समाप्ति के बाद विक्रम ने उस वेटर को बुलाया जिसने उसे चाबियाँ दी थीं. वो उन्हें लेकर उनके आवास की ओर ले गया.

“परख सर ने आपके लिए अतिविशिष्ट लॉउन्ज सुरक्षित किया है. ये मात्र उनके अतिविशेष अतिथियों को ही आवंटित किया जाता है.” ये बताते हुए वो उसके साथ चल रहे थे.

“आपको आपका आवास दिखाकर मैं रिसोर्ट दिखाने के लिए ले चलूँगा. परन्तु आपको कोई चित्र या वीडियो लेने की अनुमति नहीं है. ये सामान्य आज्ञा है, अगर आप परख सर से अनुमति ले लेंगे तो कुछ चुने स्थानों पर आप खींच पाएँगे।”

“कोई बात नहीं, उसके लिए हमारे पास पर्याप्त समय है.” विक्रम ने उत्तर दिया.

जब वो उनके लॉउन्ज में पहुंचे तो प्रवेश कक्ष के बाद एक छोटा हॉल था.

“ये अन्य लोगों के आने पर मेल मिलाप के उद्देश्य से है. कृपया अपनी चाबी दीजिये। इसके आगे केवल चाबी के द्वारा ही प्रवेश किया जा सकता है. इसीलिए आपको चार चाबियाँ दी गई हैं.” ये कहकर उसने द्वार खोला और अंदर चला गया.

अंदर जाते ही सबकी ऑंखें खुली रह गयीं. ये हॉल समुदाय के मिलन वाले हॉल से लगभग चौथाई होगा. चारों ओर सोफे लगे हुए थे. बीच में एक गोलाकार वृत्त बना हुआ था. उस लड़के ने एक ओर जाकर एक रिमोट उठाया और विक्रम को थमा दिया और फुसफुसाकर बोला, “मेरे जाने के बाद देखिएगा इसका जादू, पर उस समय इस गोले के अंदर मत रहिएगा. उनका सामान एक ओर रखा हुआ था, हॉल के तीन ओर दो दो द्वार थे जो कमरों में जाते थे. महिलाओं ने जाकर कमरों का निरीक्षण किया और बाहर आने पर उनके चेहरे के भावों से संतुष्टि झलक रही थी. इसके बाद रिसोर्ट घूमने के लिए निकले और फिर एक घंटे बाद अपने आवास पर लौटे. सभी कमरों में जाने लगे तो विक्रम ने रोका.

“ये रिमोट दिया है किसी का. देखें तो क्या है?”

रिमोट में ऑन ऑफ़ के बटन थे और कुछ और भी बटन बने हुए थे. ऑन का बटन दबाने पर उस वृत्त के बीच एवं पूरी परिधि में प्रकाश हो गया. इसके बाद एक चेतावनी की घंटी बजी और उस वृत्त के पाट अंदर की ओर सिमट गए. फिर उसके बीच में से एक गोलाकार बिस्तर बाहर आया और रुक गया. बिस्तर इस प्रकार निकला था कि उसके नीचे कोई रिक्त स्थान नहीं था.

“वाओ!” सबके मुंह से निकला।

“लगता है आपके मित्र को हमारे यहाँ आने का प्रयोजन पता है.” समीर ने कौतुहल से कहा.

“हाँ. उनके साथ भी हमारे इस प्रकार के संबंध हैं और उनके पूछने पर मुझे बताना पड़ा. पर आप गोपनीयता की चिंता न करें.”

“ठीक है. तो थोड़ा विश्राम करने के बाद मिलते हैं.” ये कहकर समीर ने अपना बैग उठाया और एक कमरे में चला गया. पर्याप्त कमरे थे तो कोई समस्या नहीं थी, जहाँ जाना हो जा सकता था. कमरे भी पूर्ण रूप से सुसज्जित थे.

स्मिता ने एकांत पाते ही अपनी चिंता विक्रम को बताई. अगर मधुजी ये सारे वृत्तांत को रिकॉर्ड करने वाली थीं तो इसमें नायक और शिर्के परिवार को आपत्ति हो सकती थी. विक्रम ने बताया कि हम किसी भी परिस्थिति ने उन दोनों परिवारों को ये नहीं बता सकते हैं. और मधुजी को ये अनुरोध किया जा सकता है कि वे इसे अत्यंत सुरक्षित स्थान पर रखें और किसी के साथ साझा न करें. और अगर वो रिकॉर्डिंग न करने पर मान जाएँ तो सोने पर सुहागा होगा, केवल देखकर ही संतुष्ट हो जाएँ.

इस बात पर दोनों हंस पड़े क्योंकि मधुजी और संतुष्टि ये दोनों शब्द परस्पर विरोधी थे.

उधर वर्षा, समीर, सुलभा और पवन भी बातों में तल्लीन थे.

पवन, “मुझे पूर्ण विश्वास है कि ये परिवार दूसरे परिवारों के साथ भी इस खेल में सम्मिलित है. और सम्भवतः इस रिसोर्ट के स्वामी भी. हम सबने देखा कि रिसोर्ट स्वामी की माँ यहाँ उपस्थित है और उनके साथ तीन उनके नाती पोतों की आयु के नवयुवक भी हैं. सम्भव है कि ये एक बड़ा गुट हो हमारे ही प्रकार से पारिवारिक सम्भोग का आनंद लेता है और अन्य समान शैली वालों को भी जोड़ता है.”

समीर भी सोच रहा था, “हाँ, बाहर जो गोल बिस्तर है वो इसी की ओर संकेत करता है. तो पवन और आप दोनों. मानो हमें यहाँ लाकर हमारा परीक्षण किया जा रहा है और बाद में हमें भी उस गुट या सम्प्रदाय में जुड़ने का अवसर दिया जाये. तब हम क्या करेंगे?”

दूर रिसोर्ट के किसी अन्य कमरे में मधुजी इस वार्तालाप को बहुत ध्यान से सुन रही थीं. उन्हें अचरज था कि इस दोनों परिवारों ने इतना शीघ्र इस पहेली को सुलझा लिया था. अब अगर इनकी जाँच की रिपोर्ट ठीक आ जाये तो भला होगा.

“अभी कहना या सोचना सम्भव नहीं है. अगर ऐसा है तो वो भी बहुत सोच विचार के बाद ही हमें इसमें जोड़ेंगे. परन्तु अगर ऐसा है तो मुझे देखा जाये तो कोई आपत्ति नहीं है.” समीर ने अपने विचार रखे.

“मुझे भी.” सुलभा के ये कहने पर पवन ने उसकी ओर आश्चर्य से देखा.

“ऐसे मत देखिये. क्या बुराई है? हमारे जैसे ही होंगे न?”

पवन और वर्षा ने एक दूसरे को फिर समीर और सुलभा की ओर देखा.

“हम्म्म, ठीक है. अगर ऐसा होगा तो हमें भी स्वीकार है.”

मधुजी और उनके तीनों युवक प्रेमियों के चेहरे पर हर्ष की लहर दौड़ गई.

और मधुजी ने अपनी प्रसन्नता को दर्शाने के लिए नीचे झुकते हुए अपनी दायीं ओर बैठे लड़के, जिसका नाम विलास था, का लंड मुंह में लेकर चूसना आरम्भ कर दिया. उनकी बायीं ओर बैठे रवि ने उनकी चूत में अपनी ऊँगली को चलाने की गति बढ़ा दी और सिद्धार्थ बैठा हुआ ये सब देखता रहा.

एक दूसरे कमरे में लगभग इसी विषय में अंजलि, राहुल की बातें श्रेया और मोहन से हो रही थीं. उनकी बातों से ये अवश्य विदित हो गया था कि सुलभा और वर्षा पर मोहन और स्मिता पर राहुल आसक्त थे. वहीँ अंजलि को विक्रम और श्रेया को समीर और पवन बहुत भाये थे. एक विषय पर सबकी एक ही राय थी. वे पहले एकांत में कमरों में सम्भोग करने के इच्छुक थे न कि उस गोलाकार पलंग पर जहाँ पर सब मिलकर चुदाई कर सकते थे. अंततः किस प्रकार से आगे की क्रीड़ा चलेगी इस पर निर्णय लेने के लिए स्मिता, सुलभा और वर्षा पर ही सबको विश्वास था.

एक घंटे के विश्राम के बाद वे सब मुख्य हॉल में लौटे तो विक्रम ने सहायक को बुलाया और उसे जलपान लाने का निवेदन किया. कुछ ही समय में वो अल्पाहार इत्यादि लेकर आ गया. उसने फिर विक्रम को दो मेनू दिए. एक भोजन से संबंधित था और दूसरा मदिरा से. उसने बताया कि जो भी मदिरा उनकी रूचि की है वो उन्हें कुछ ही देर में सौंप दी जाएगी. उसके साथ उचित मात्रा में अल्पाहार, सोडा इत्यादि भी दिए जाएँगे। रात्रि का भोजन आठ बजे होगा और इसके अतिरिक्त अगर कुछ चाहिए है तो उसी समय बताना होगा. उसने एक छोटी रसोई की ओर संकेत करके बताया कि वहाँ माइक्रोवेव और फ्रिज इत्यादि है.

इसके बाद वो चला गया और सबका ध्यान दोनों मेनू पर केंद्रित हो गया. अंततः दो उच्च कोटि की व्हिस्की और उत्कृष्ट बियर का चयन किया गया. अल्पाहार में अधिक नहीं मंगाया गया और भोजन के लिए भी सबने सीमित व्यंजन ही चुने. विक्रम ने अपना निर्णय फोन पर सहायक को बता दिया. अब चर्चा आरम्भ हुई आज के कार्यक्रम की.

सबको ये विचार सही लगा कि आज की रात सभी कमरों में ही बिताएं और कल इस सामूहिक क्रीड़ाघर को उपयोग किया जाये. जैसा कि पूर्व निर्धारित था महिलाओं ने आज रात्रि के लिए जोड़ों का चयन कर लिया. सबके मन प्रसन्न थे.

रात अभी शेष थी.

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